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स्वच्छता पर निबंध (Cleanliness Essay in Hindi)

स्वच्छता

नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्य को पूरा करने के लिये एक बड़ा कदम हो सकता है हर भारतीय नागरिक का एक छोटा सा कदम। रोजमर्रा के जीवन में हमें अपने बच्चों को साफ-सफाई के महत्व और इसके उद्देश्य को सिखाना चाहिये। अच्छा स्वास्थ्य किसी के जीवन को बेहतक बना सकता है और वह हमें बेहतर तरीके से सोचने और समझने की ताकत प्रदान करता है और अच्छे स्वास्थ्य का मूल मंत्र स्वच्छता है।

स्वच्छता पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Cleanliness in Hindi, Swachhata par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द).

स्वच्छता कोई काम नहीं है, जो पैसे कमाने के लिये किया जाए बल्कि, ये एक अच्छी आदत है जिसे हमें अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के लिये अपनाना चाहिये। स्वच्छता पुण्य का काम है जिसे जीवन का स्तर बढ़ाने के लिये, एक बङी जिम्मेदारी के रुप में हर व्यक्ति को इसका अनुकरण करना चाहिये। हमें अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता, पालतू जानवरों की स्वच्छता, पर्यावरण की स्वच्छता, अपने आस-पास की स्वच्छता, और कार्यस्थल की स्वच्छता आदि करनी चाहिये। हमें पेड़ों को नहीं काटना चाहिये और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिये पेड़ लगाना चाहिये।

ये कोई कठिन कार्य नहीं है, लेकिन हमें इसे शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिये। ये हमें मानसिक, शारीरिक, समाजिक और बौद्धिक रुप से स्वस्थ रखता है। सभी के साथ मिलकर उठाया गया कदम एक बड़े कदम के रुप में परिवर्तित हो सकता है। जब एक छोटा बच्चा सफलतापूर्वक चलना, बोलना, दौड़ना सीख सकता है और यदि अभिभावकों द्वारा इसे बढ़ावा दिया जाए, तो वो बहुत आसानी से स्वच्छता संबंधी आदतों को बचपन में ग्रहण कराया जा सकता है।

माता-पिता अपने बच्चे को चलना सीखाते हैं, क्योंकि ये पूरे जीवन को जीने के लिये बहुत जरुरी है। उन्हें जरुर समझना चाहिये कि स्वच्छता एक स्वस्थ जीवन और लंबी आयु के लिये भी बहुत जरुरी होता है, इसलिये उन्हें अपने बच्चों में साफ-सफाई की आदत भी डालनी चाहिये। हम अपने अंदर ऐसे छोटे-छोटे बदलाव अगर ले आएं तो शायद वो दिन दूर नहीं जब पूरा भारत स्वच्छ हो। बच्चों में क्षमता होती है, कि वे कोई भी आदत जल्दी सीख लेते हैं। इस लिये उन्हे स्वच्छता का पालन करने के लिये बचपन से प्रेरित करें।

निबंध 2 (300 शब्द)

स्वच्छता एक अच्छी आदत है जो हम सभी के लिये बहुत जरुरी है। अपने घर, पालतू जानवर, अपने आस-पास, पर्यावरण, तालाब, नदी, स्कूल आदि सहित सबकी सफाई करते हैं। हमें सदैव साफ, स्वच्छ और अच्छे से कपड़े पहनना चाहिये। ये समाज में अच्छे व्यक्तित्व और प्रभाव को बनाने में मदद करता है, क्योंकि ये आपके अच्छे चरित्र को दिखाता है। धरती पर हमेशा के लिये जीवन को संभव बनाने के लिये अपने शरीर की सफाई के साथ पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों (भूमि, पानी, खाद्य पदार्थ आदि) को भी साफ बनाए रखना चाहिये।

स्वच्छता हमें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक हर तरीके से स्वस्थ बनाता है। सामान्यत:, हमने हमेशा अपने घर में ये ध्यान दिया होगा कि हमारी दादी और माँ पूजा से पहले स्वच्छता को लेकर बहुत सख्त होती हैं, तब हमें यह व्यवहार कुछ अलग नहीं लगता, क्यों कि वो बस साफ-सफाई को हमारी आदत बनाना चाहती हैं। लेकिन वो गलत तरीका अपनाती हैं, क्योंकि वो स्वच्छता के उद्देश्य और फायदे को नहीं बताती हैं, इसी वजह से हमें स्वच्छता का अनुसरण करने में समस्या आती है। हर अभिवावक को तार्किक रुप से स्वच्छता के उद्देश्य, फायदे और जरुरत आदि के बारे में अपने बच्चों से बात करनी चाहिये। उन्हे जरुर बताना चाहिये कि स्वच्छता हमारे जीवन में खाने और पानी की तरह पहली प्राथमिकता है।

अपने भविष्य को चमकदार और स्वस्थ बनाने के लिये हमें हमेशा खुद का और अपने आसपास के पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिये। हमे साबुन से नहाना, नाखुनों को काटना, साफ और इस्त्री किये हुए कपड़े आदि कार्य रोज करना चाहिये। घर को कैसे स्वच्छ और शुद्ध बनाए ये हमें अपने माता-पिता से सीखना चाहिये। हमें अपने आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिये ताकि किसी प्रकार की बीमारी न फैले। कुछ खाने से पहले और खाने के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिये। हमें पूरे दिन साफ और शुद्ध पानी पीना चाहिये, हमें बाहर के खाने से बचना चाहिये, साथ ही ज्यादा मसालेदार और तैयार पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिये। इस प्रकार हम खुद को स्वच्छ के साथ-साथ स्वस्थ भी रख सकते हैं।

Essay on Cleanliness in Hindi

निबंध 3 (400 शब्द)

स्वच्छता एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आसपास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिये साफ-सफाई बेहद जरुरी है। अपने आसपास के क्षेत्रों और पर्यावरण की सफाई सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिये बहुत जरुरी है। हमें साफ-सफाई को अपनी आदत में लाना चाहिये और कूड़े को हमेशा कूड़ेदान में ही डालना चाहिये, चाहिये क्योंकि गंदगी वह जड़ है जो कई बीमारियों को जन्म देती है। जो रोज नहीं नहाते, गंदे कपड़े पहनते हों, अपने घर या आसपास के वातावरण को गंदा रखते हैं, ऐसे लोग हमेशा बीमार रहते हैं। गंदगी से आसपास के क्षेत्रों में कई तरह के कीटाणु, बैक्टीरिया वाइरस तथा फंगस आदि पैदा होते हैं जो बीमारियों को जन्म देते हैं।

जिन लोगों की गंदी आदतें होती हैं वो भी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों को फैलाते है। संक्रमित रोग बड़े क्षेत्रों में फैलाते हैं और लोगों को बीमार करते हैं, कई बार तो इससे मौत भी हो जाती है। इसलिये, हमें नियमित तौर पर अपने स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिये। हम जब भी कुछ खाने जाएँ तो अपने हाथों को साबुन से धो लें। अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये हमें बिल्कुल साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिये। स्वच्छता से हमारा आत्म-विश्वास बढ़ता है और दूसरों का भी हम पर भरोसा बनता है। ये एक अच्छी आदत है जो हमें हमेशा खुश रखेगी। ये हमें समाज में बहुत गौरान्वित महसूस कराएगी।

हमारे स्वस्थ जीवन शैली और जीवन के स्तर को बनाए रखने के लिये स्वच्छता बहुत जरुरी है। ये व्यक्ति को प्रसिद्ध बनाने में अहम रोल निभाती है। पूरे भारत में आम जन के बीच स्वच्छता को प्रचारित व प्रसारित करने के लिये भारत की सरकार द्वारा कई सारे कार्यक्रम और सामाजिक कानून बनाए गये और लागू किये गये है। हमें बचपन से स्वच्छता की आदत को अपनाना चाहिये और पूरे जीवन उनका पालन करना चाहिये। एक व्यक्ति अच्छी आदत के साथ अपने बुरे विचारों और इच्छाओं को खत्म कर सकता है।

घर या अपने आसपास संक्रमण फैलने से बचाने और गंदगी के पूर्ण निपटान के लिये हमें ध्यान रखना चाहिये कि कूड़ा केवल कूड़ेदान में ही डालें। साफ-सफाई केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि ये घर, समाज, समुदाय, और देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है। हमें इसके महत्व और फायदों को समझना चाहिये। हमें कसम खानी चाहिये कि, न तो हम खुद गंदगी फैलाएंगे और किसी को फैलाने देंगे।

निबंध 4 (600 शब्द)

स्वच्छता किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी होता है। चाहे वह कोई भी क्षेत्र क्यों न हो, हमें सदैव इसका पालन करना चाहिये। स्वच्छता कई प्रकार की हो सकती है जैसे कि, सामाजिक, व्यक्तिगत, वैचारिक आदि। हमें हर क्षेत्र में इसे अपनाना चाहिये क्यों कि सबके मायने अलग होते हैं। विचारों कि स्वच्छता हमें एक अच्छा इंसान बनाती है, तो वहीं व्यक्तिगत स्वच्छता हमें हानिकारक बिमारियों से बचाती है। इस लिये स्वच्छता के सार्वभौमिक विकास हेतु हमें सदैव प्रयासरत रहना चाहिये।

स्वच्छता का महत्व

चाहे व्यक्ति छोटा हो या बड़ा, हर उम्र में उन्हें कुछ स्वच्छता संबंधीत नियमों का पालन करना आवश्यक होता है जैसे कि, सदैव खाने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से धुलना, रोज नहाना, अपने दांतो को साफ करना, नीचे गिरे वस्तुओं को न खाना, अपने घर को साफ रखना, घर में उचित सूर्य के प्रकाश कि व्यवस्था हो, आपने नाखूनों को साफ रखना, केवल घर ही नहीं अपितु आस-पास के परिवेश को भी स्वच्छ रखना, अपने स्कूल, कॉलेज या कोई भी सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा न फैलाना। सूखे और गीले कचड़े को अलग-अलग हरे और नीले कूड़ेदान में डालना। इस प्रकार और भी कई काम हैं जिनके जरिये आप अपने अंदर स्वच्छता संबंधी आदतों को विकसित कर सकते हैं।

स्वच्छता से होने वाले फायदे

स्वच्छता के कई फायदे हैं जैसे कि स्वच्छता संबंधी अच्छी आदतें हमे कई बीमारियों से बचाती हैं। कोई भी बीमारी न केवल शरीर के लिए हानिकारक होता है, अपितु खर्च भी बढ़ा देता है। गंदे पानी व भोजन के सेवन से पीलिया, टाइफाइड, कॉलेरा जैसी खतरनाक बीमारियां फैलती हैं। गंदे परिवेश मे मच्छर पनपते हैं जो मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियां फैलाते हैं।

व्यर्थ के बीमारियों को बढ़ाने से अच्छा है कि हम स्वच्छता संबंधी नियमों का पालन करें। ऐसा कर के हम देश के लाखों रुपये, जो बीमारियों पर खर्च होते हैं बचा सकते हैं। व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ वैचारिक स्वच्छता हमें एक अच्छा इंसान बनाता है। जो सदैव अपने विकास के साथ दूसरों का भी भला सोचता है और जब देश के सभी लोग ऐसी भावन के साथ जीने लगेंगे, तो वो दिन दूर नहीं जब देश स्वच्छता के साथ-साथ प्रगति के पथ पर भी तेजी से आगे बढ़ने लगेगा।

स्वच्छता संबंधी अभियान

भारत सरकार ने स्वच्छता की आवश्यकता को समझते हुए स्वच्छ भारत नामक अभियान को भी चलाया जिसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती के मौके पर की गई। पर कोई भी अभियान केवल सरकार मात्र नहीं चला सकती, आवश्यकता है वहां के नागरिकों में जागरुकता फैलाने की।

इस अभियान के तहत सरकार ने शहर एवं ग्रामीण दोनो क्षेत्रों मे स्वच्छता को बढ़ावा दिया है और पूरे भारत को खुले मे शौच मुक्त करने का प्रण लिया है। अब तक 98 प्रतिशत भारत को खुले में शौचमुक्त बनाया जा चुका है। इसी प्रकार कई अन्य अभियान हैं जैसे निर्मल भारत, बाल स्वच्छता अभियान आदि। सबका उद्देश्य भारत में स्वच्छता को बढ़ावा देना है।

हम यह कह सकते हैं कि स्वच्छता हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है और स्वच्छता संबंधी आदतों से हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। और जब हमारा स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो हम अपने परिवेश कि भी सफाई आसानी से कर पाएंगे। जब हमारा पूरा परिवेश साफ रहेगा तो नतीजन देश भी साफ रहेगा और इस प्रकार एक छोटी सी कोशिश मात्र से हम पूरे देश को साफ कर सकते हैं।

हमें बच्चों में छोटे समय से स्वच्छता संबंधी आदतें डालनी चाहिए, क्यों कि वे देश के भविष्य हैं और एक अच्छी आदत देश में बदलाव ला सकता है। जिस देश के बच्चे सामाजिक, वैचारिक और व्यक्तिगत रूप से स्वच्छ होंगे उस देश को आगे बढ़ने से कोइ नहीं रोक सकता। एक जिम्मेदार नागरिक बनें और देश के विकास में अपना योगदान दें। स्वच्छता अपनाएं और देश को आगे बढ़ाएं।

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स्वच्छता पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Essay on Swachata in Hindi

आज की इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं स्वच्छता पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। स्वच्छता का हर इंसान के जीवन में बहुत ज्यादा महत्व होता है क्योंकि यह लोगों के जीने के ढंग को गुणवत्ता से भरपूर बनाती है। इसी वजह से स्कूल में जाने वाले बच्चों को स्वच्छता को लेकर जागरूक किया जाता है। ऐसे में कई बार परीक्षा में स्वच्छता पर निबंध (essay on Swachata in Hindi), स्वच्छता का महत्व निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में भी स्वच्छता पर निबंध पूछा जाता है। अगर आप भी स्वच्छता पर निबंध अलग-अलग शब्दों में ढूंढ रहे हैं तो हमारे आज के इस लेख को जरुर पढ़ें। 

swachata par nibandh

स्वच्छता पर निबंध 100 शब्दों में

स्वच्छता हर मनुष्य के जीवन का एक बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण अंग है। अपने शरीर की स्वच्छता से लेकर अपने आसपास के वातावरण की स्वच्छता भी हमारी जिम्मेदारी है। यह इंसान के स्वस्थ रहने और बेहतर जीवन जीने का तरीका है। इसलिए किसी भी इंसान को स्वच्छता के साथ भूल से भी समझौता नहीं करना चाहिए। स्वच्छ रहना उतना ही जरूरी है जितना कि खाना, हवा और पानी जरूरी है। यही वजह है कि कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि जहां पर साफ-सफाई यानी कि स्वच्छता होती है वहां पर ईश्वर का वास होता है। 

स्वच्छता पर निबंध 150 शब्दों में

स्वच्छता हर इंसान के लिए जरूरी है इसलिए हम सभी को अपने आपको और अपने आसपास की जगहों को साफ सुथरा रखना चाहिए। इसके साथ साथ हमें हमेशा साफ और धुले हुए कपड़े ही पहनने चाहिए। इसके अलावा जब भी खाना खाएं तो हमेशा अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए। जब इंसान स्वच्छ रहता है तो उस इंसान की समाज में अच्छी छवि बनती है। स्वच्छता इंसान के चरित्र को दर्शाता है इसलिए साफ रहना अति आवश्यक होता है। 

जो लोग यह चाहते हैं कि उनका भविष्य बेहतर हो और वे निरोगी जीवन जियें तो उन्हें हमेशा स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए हमें हमेशा अपने दांत, शरीर और कपड़ों को साफ़ रखना चाहिए। छोटे बच्चों को स्वच्छता के बारे में अपने माता-पिता से जानकारी लेनी चाहिए। जब इंसान स्वच्छ रहता है और अपने आसपास के वातावरण को भी पूरी तरह से साफ रखता है तो तब उसे किसी भी तरह की बीमारी नहीं हो सकती। इस तरह से व्यक्ति जब छोटी-छोटी बातों की तरफ ध्यान देता है तो तब वह खुद को और अपने आसपास की जगह को स्वच्छ बना सकता है। 

स्वच्छता पर निबंध 250 शब्दों में

स्वच्छता से हर इंसान का पूरा शरीर, दिमाग, पहनने के कपड़े और उसका घर शुद्ध रहता है। व्यक्ति के आसपास का वातावरण स्वच्छ है तो इससे उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए स्वच्छता से व्यक्ति का सामाजिक और बौद्धिक विकास होता है। जो लोग स्वच्छता को नहीं अपनाते उनकी समाज में कोई भी इज्जत नहीं करता और ना ही उन्हें कोई सम्मान की दृष्टि से देखता है। इसलिए समाज में अपनी एक अच्छी पहचान बनाए रखने के लिए जरूरी है कि स्वच्छता को अपनाया जाए। 

स्वच्छता के लिए जरूरी आदतें

स्वच्छता के लिए कुछ आदतें हर इंसान में होनी चाहिए और वो आदतें निम्नलिखित हैं – 

  • हर दिन अपने दांत साफ करने चाहिए और मुंह धोना चाहिए।
  • नहाकर साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए।
  • हमेशा कूढ़े को कूड़ेदान में डालना चाहिए।
  • अपने आसपास के स्थान साफ को रखना चाहिए क्योंकि गंदगी होने पर फंगस, वाइरस और कीटाणु जन्म लेते हैं जोकि कई तरह की जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। 
  • भोजन करने से पहले हाथों को धोना चाहिए। इसी तरह से भोजन करने के बाद भी हाथ धोने चाहिए।
  • ना तो खुद गंदगी फैलाएं और ना ही दूसरे लोगों को गंदगी फैलाने दें। 

स्वच्छता क्यों जरूरी है

स्वच्छता इसलिए जरूरी है क्योंकि जब व्यक्ति खुद साफ नहीं रहता और उसका आसपास का वातावरण भी गंदा रहता है तो इससे संक्रमण फैलने का डर रहता है। लेकिन समाज को स्वच्छ बनाए रखने की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति की नहीं है बल्कि इसकी जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की है। हर इंसान को स्वच्छता के महत्व को समझते हुए खुद को और अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाना चाहिए। 

स्वच्छता पर निबंध 500 शब्दों में

स्वच्छता हर इंसान के लिए बहुत जरूरी होती है चाहे वह किसी भी जगह पर रहता हो उसे हमेशा साफ रहना चाहिए। स्वच्छता एक तरह की नहीं होती बल्कि स्वच्छता कई तरह की होती है जैसे कि सामाजिक, व्यक्तिगत और वैचारिक स्वच्छता। इसे हर क्षेत्र में अपनाना चाहिए वैसे हर क्षेत्र में स्वच्छता के मायने अलग-अलग हो सकते हैं जैसे कि अगर हमारे विचार अच्छे हैं तो तब हम एक अच्छे इंसान बनते हैं। वहीं हमारी व्यक्तिगत स्वच्छता बहुत सी खतरनाक बीमारियों से हमारा बचाव करती है। इसलिए हर मनुष्य को चाहिए कि वह स्वच्छता का सार्वभौमिक विकास करें

स्वच्छता का महत्व 

इंसान को चाहिए कि वो स्वच्छता से संबंधित नियमों का सख्ती के साथ पालन करें फिर चाहे वो छोटा हो या फिर बड़ा हो। इसलिए सदैव भोजन करने से पहले और भोजन के उपरांत अपने हाथों को साबुन से धोना, दांतों को ब्रश करना, रोज नहाना, नीचे गिरी हुई चीज को ना खाना,  अपने नाखूनों को बढ़ने पर काटना अपनी आदत बना लेना चाहिए। कुछ लोग कूड़े को गली में फेंक देते हैं जो कि बहुत गलत बात है इससे वातावरण प्रदूषित होता है और कई तरह के कीटाणु भी पनपने लगते हैं। तो हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा ना फेंके और हमेशा सूखे एवं गीले कचरे को अलग-अलग कूड़ेदान में डालना चाहिए। ऐसे और भी बहुत सारे कार्य हैं जिनको करके आप अपने अंदर स्वच्छता की आदतों का विकास कर सकते हैं। 

स्वच्छता से होने वाले लाभ 

स्वच्छता से होने वाले लाभ बहुत सारे हैं जो कि निम्नलिखित हैं –

  • स्वच्छता व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों से बचाती है। 
  • जिस देश में स्वच्छता होती है उस देश में प्रगति भी तेजी के साथ होती है।
  • साफ-सफाई रखने वाला व्यक्ति अपने आसपास के सारे वातावरण को गंदा होने से बचा सकता है। 
  • स्वच्छ रहने वाले व्यक्ति का दूसरे लोग बहुत सम्मान करते हैं। 
  • जो इंसान स्वच्छता को अपने जीवन में अपनाता है उसका विकास लगातार होता रहता है।
  • इस तरह से मानसिक स्वच्छता को अपनाकर अपने आसपास के क्षेत्र को शांत और सुंदर बनाया जा सकता है। 
  • कई प्रकार की आपराधिक गतिविधियां मानसिक स्वच्छता के कारण रुक सकती हैं। 

सरकार द्वारा चलाए गए सफाई अभियान 

भारत की सरकार ने भारत में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करके लोगों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैलाने की कोशिश की है। इस अभियान के तहत बहुत से गांवों में जहां पर शौचालय नहीं थे वहां पर शौचालय बनवाए गए। इसके साथ-साथ-साथ स्वच्छ भारत अभियान में लोगों को अपने घरों के आसपास, धार्मिक स्थलों, कार्य स्थलों, कॉलेज, स्कूल और गार्डन की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के लिए जोर दिया गया। यह अभियान लोगों के बीच बहुत ज्यादा लोकप्रिय भी रहा और इसकी वजह से अनेकों लोगों ने स्वच्छता के महत्व को समझा। इसके अलावा ऐसी बहुत सारी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं भी हैं जो लोगों को व्यक्तिगत रूप से स्वच्छ रहने के लिए मोटिवेट करतीं हैं। यदि देश के सभी लोग स्वच्छ रहने लगें तो पूरे देश को प्रगतिशील और विकासशील बनाया जा सकता है।

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दोस्तों यह था हमारा आज का पोस्ट स्वच्छता पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। इसमें हमने आपको स्वच्छता पर निबंध (essay on swachata in Hindi) अलग-अलग शब्दों में बताया। हमें पूरी आशा है कि हमारा यह लेख आपके लिए बहुत उपयोगी रहा होगा। अब आप बहुत आसानी के साथ स्वच्छता पर निबंध लिख सकेंगें। अगर आपको ये जानकारी उपयोगी लगी हो तो हमारे इस पोस्ट को उन लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो स्वच्छता पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में ढूंढ रहें हैं। 

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स्वच्छता का महत्व पर निबंध

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By विकास सिंह

cleanliness essay in hindi

विषय-सूचि

स्वच्छता का महत्व पर निबंध, importance of cleanliness essay in hindi (100 शब्द)

स्वच्छता, भक्ति के समान है, जिसका अर्थ है स्वच्छता से ईश्वरत्व या अच्छाई का मार्ग प्रशस्त होता है। उचित स्वच्छता के अभ्यास के माध्यम से हम खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वच्छ रख सकते हैं जो वास्तव में हमें अच्छा, सभ्य और स्वस्थ इंसान बनाते हैं।

स्वच्छता शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से अच्छा होने का एहसास दिलाती है और अच्छे व्यक्तित्व और इस प्रकार दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालने में मदद करती है। स्वच्छता एक व्यक्ति को उसके स्वच्छ कपड़े और अच्छे व्यक्तित्व के माध्यम से साफ चरित्र दिखाती है। अच्छे चरित्र वाले लोग अपने जीवन में नैतिक और धार्मिक बन जाते हैं। स्वच्छता शरीर, मन और आत्मा को स्वच्छ और शांतिपूर्ण रखकर अच्छे चरित्र को जन्म देती है।

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जीवन में स्वच्छता का महत्व पर निबंध, importance of cleanliness in life in hindi (150 शब्द)

स्वच्छता भक्ति के समान है एक सबसे प्रसिद्ध कहावत है जो हमें बताती है कि स्वच्छता का अभ्यास करना एक बहुत अच्छी आदत है और हमें अपने शरीर, मन और आत्मा को स्वच्छ और शांतिपूर्ण रखकर जीवन के हर क्षेत्र में अच्छाई की ओर ले जाती है।

स्वस्थ शरीर और मन और जीवन में अंतिम सफलता प्राप्त करना हम सभी के लिए स्वच्छ होना बहुत अनिवार्य है। स्वच्छता को बनाए रखना स्वस्थ जीवन का अनिवार्य हिस्सा है क्योंकि यह केवल स्वच्छता है जो बाहरी और आंतरिक रूप से स्वच्छ रखकर हमारे व्यक्तित्व को बेहतर बनाने में मदद करती है।

स्वच्छता सभी की जिम्मेदारी है और उन्हें अपने और अपने आसपास की स्वच्छता और स्वच्छता को बनाए रखने की आवश्यकता है। एक स्वच्छ शरीर हमें स्वस्थ रखता है और डॉक्टरों से दूर रखता है और इस प्रकार चिकित्सा खर्च और समय की हानि से बचाता है। स्वच्छता से मन में अच्छे और सकारात्मक विचार आते हैं जो रोगों की घटना को धीमा करता है।

cleanliness essay in hindi

मानव जीवन में स्वच्छता का महत्व निबंध, importance of cleanliness in school essay in hindi (200 शब्द)

स्वच्छता भगवान के बगल में है सामान्य कहावत है जो हमें अपने दैनिक जीवन में स्वच्छता को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है ताकि कल्याण की भावना मिल सके। यह हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालता है और हमें जीवन भर स्वच्छ आदतों का पालन करना सिखाता है।

स्वच्छता केवल शारीरिक रूप से खुद को स्वच्छ रखने के लिए नहीं है, बल्कि इसका मतलब व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने और सकारात्मक विचारों को लाकर शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वच्छ रखना है। स्वच्छता ईश्वरत्व का मार्ग है जिसका अर्थ है स्वच्छता बनाए रखना और अच्छी सोच किसी व्यक्ति को ईश्वर के निकट लाना। अच्छी सेहत पाने और नैतिक जीवन जीने के लिए स्वच्छ रहना बहुत जरूरी है।

एक साफ़ सुथरा और अच्छी पोशाक वाला व्यक्ति अच्छे व्यक्तित्व और प्रभावशाली आदतों के साथ अच्छे चरित्र का संकेत देता है। किसी व्यक्ति के अच्छे चरित्र का मूल्यांकन साफ ​​कपड़े और अच्छे शिष्टाचार से किया जाता है। शरीर और मन की सफाई किसी भी व्यक्ति के आत्म-सम्मान में सुधार करती है।

शरीर, मन और आत्मा की स्वच्छता ईश्वर की ओर ले जाती है जो अंततः शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से अच्छी तरह से व्यक्ति होने का एहसास दिलाती है। एक व्यक्ति को दैनिक जीवन में स्वच्छता बनाए रखने की आवश्यकता है, जीवन में एक सख्त अनुशासन और कुछ सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता है। जो लोग साफ-सुथरे हो जाते हैं वे आम तौर पर धार्मिक और ईश्वर से डरने वाले होते हैं और दूसरों से कभी घृणा या जलन महसूस नहीं करते।

cleanliness essay in hindi

‘स्वच्छता भक्ति के समान है’ पर निबंध, cleanliness is next to godliness in hindi (250 शब्द)

प्रसिद्ध कहावत स्वच्छता भक्ति के समान है ’हमारे सामने बहुत कुछ व्यक्त करती है। यह इंगित करता है कि स्वच्छता स्वस्थ जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि स्वच्छता की आदत हमारी परंपरा और संस्कृति में है। हमारे दादा दादी हमें हमेशा साफ रहना सिखाते हैं और सुबह स्नान करने के बाद पूजा करने और भोजन करने के लिए हमें प्रेरित करते हैं।

वे हमें हाथ धोने के बाद ही भोजन करना सिखाते हैं और पवित्र पुस्तकों और अन्य पवित्र चीजों को साफ हाथों से स्पर्श करते हैं। यहां तक ​​कि कुछ घरों में बिना स्नान किए मंदिर और रसोईघर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध है। पुजारी हमें भगवान को दर्शन देने या पूजा या कथा में शामिल होने से पहले स्नान करने, हाथ धोने और साफ कपड़े पहनने के लिए कहते हैं। यहूदी बुजुर्गों में भोजन से पहले हाथ धोने की सख्त परंपरा थी।

व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वच्छता और नैतिक स्वास्थ्य के बीच घनिष्ठ संबंध है। व्यक्तिगत स्वच्छता को शरीर और आत्मा की पवित्रता का प्रतीक माना जाता है जो स्वस्थ और आध्यात्मिक संबंध प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। जो लोग दैनिक स्नान नहीं करते हैं या गंदे कपड़े पहनते हैं, वे आमतौर पर आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान और कल्याण महसूस करते हैं।

तो हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत स्वच्छता हमें बेईमानी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। स्वच्छता के सभी फायदे इस सवाल को साबित करते हैं कि धार्मिक लोगों और धर्म संस्थापकों ने आध्यात्मिक अवसरों के दौरान स्वच्छता को आवश्यक क्यों बना दिया है। नियमित और उचित सफाई से हमें शरीर पर लंबे समय तक रहने वाले कीटाणुओं से बचाने और अपनी ईश्वर भक्ति को बनाए रखने में मदद मिलती है।

cleanliness essay

स्वच्छता का जीवन में महत्व पर निबंध, importance of cleanliness essay in hindi (300 शब्द)

स्वच्छता ईश्वर के बगल में है जिसे हम कह सकते हैं कि स्वच्छता ईश्वरत्व का मार्ग है और स्वच्छता के बिना हम ईश्वरत्व प्राप्त नहीं कर सकते। भारत में कई महान लोगों और समाज सुधारकों (जैसे महात्मा गांधी, आदि) ने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए व्यक्तिगत और आसपास की सफाई के रखरखाव के लिए कड़ी मेहनत की थी।

अब-एक दिन, स्वच्छ भारत अभियान नामक एक स्वच्छ भारत अभियान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाया गया है ताकि आसपास के क्षेत्र में स्वच्छता को बनाए रखा जा सके और भारत को एक स्वच्छ भारत बनाया जा सके। पहले भी कई स्वच्छता कार्यक्रम चलाए गए थे, लेकिन आम जनता का उचित समर्थन नहीं मिलने के कारण वे असफल हो गए थे। विश्व पर्यावरण दिवस का जश्न भी हर साल स्वच्छता के समान उद्देश्यों के साथ होता है।

हमने पश्चिमी संस्कृति से कई चीजों को अपनाया है, लेकिन स्वच्छता और स्वच्छता से संबंधित उनके शिष्टाचार और आदतों को कभी नहीं पकड़ा। स्वच्छता दृष्टिकोण का विषय है जो आम लोगों में उचित जागरूकता के माध्यम से संभव है। स्वच्छता एक ऐसा गुण है जिसे सभी आयु वर्ग के लोगों के बीच प्रचारित किया जाना चाहिए और स्वच्छता पर पूर्ण आदेश प्राप्त करने की स्थिति होनी चाहिए।

उचित और नियमित सफाई से अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, ख़ुशी और आत्मा और मन की पवित्रता आती है। शरीर और मन की सफाई आध्यात्मिक और सकारात्मक विचार प्रदान करती है और साथ ही प्रकृति से आसानी से जुड़ने में मदद करती है। जो लोग अपनी स्वच्छता को बनाए नहीं रखते हैं वे आमतौर पर शारीरिक समस्याओं, मानसिक अशांति, बीमारियों, नकारात्मक विचारों आदि जैसे कई कारणों से तंग आ जाते हैं।

दूसरी ओर, वे लोग जो अपनी स्वच्छता और व्यक्तिगत में स्वच्छता बनाए रखते हैं, वे हमेशा खुश रहते हैं क्योंकि वे सकारात्मक विचारों का विकास करते हैं। जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने में मदद करते हैं।

easy essay on swachata ka mahatva

स्वच्छता का महत्व पर निबंध, importance of cleanliness essay in hindi (400 शब्द)

स्वच्छता भगवान के बगल में है एक सबसे आम और प्रसिद्ध कहावत है जिसका मतलब है कि स्वच्छता सब कुछ अच्छाई के लिए है। लोगों को अपने स्वस्थ जीवन शैली और स्वस्थ रहने के लिए खुद को साफ और उज्ज्वल रखना चाहिए। स्वच्छता ईश्वर भक्ति का तरीका है और ईश्वरत्व मन, आत्मा और शरीर को संतुलित करने का तरीका है।

स्वच्छ रहना स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वच्छ रखने का माध्यम है। हमारे शरीर को साफ सुथरा और अच्छी तरह से तैयार रखना हमें आत्मविश्वास और सकारात्मक विचारों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त स्मार्ट बनाता है। अच्छी पोशाक की समझ के साथ स्वच्छ आदतें दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालती हैं और समाज में अच्छी प्रतिष्ठा बनाती हैं क्योंकि स्वच्छता व्यक्ति के स्वच्छ चरित्र को दर्शाती है।

यह माना जाता है कि जो लोग स्वच्छता बनाए रखते हैं और सभ्यता से कपड़े पहनने की आदत विकसित करते हैं, साफ चरित्र के होते हैं और आम तौर पर पवित्र और ईश्वरवादी होते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में कुछ नैतिक होते हैं और ईश्वरीय होने से साफ दिल के होते हैं।

हम कह सकते हैं कि ईश्वरत्व की शुरुआत साफ दिल से होती है और साफ दिल अच्छे चरित्र वाले व्यक्ति का हो सकता है। यही कारण है कि किसी भी धर्म के पुजारी पूजा से पहले शरीर और मन से साफ होना बताते हैं। स्वच्छता सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण चीज है भगवान के पास होना।

दूसरी ओर, स्वच्छ होना हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और हमें कई पुरानी और तीव्र बीमारियों से बचाता है। हालाँकि, स्वच्छ लोग गंदे लोगों से बीमारियों को पकड़ सकते हैं लेकिन वे छोटी समस्याओं से निपटने के लिए पर्याप्त मजबूत हैं। वे स्वच्छता से संबंधित अपने परिवेश में चीजों का प्रबंधन कर सकते हैं जिसमें गरीब और गंदे लोगों को स्वच्छता के बारे में निर्देश देना शामिल है।

अपनी उचित सफाई बनाए रखने वाले लोग गंदे चेहरे, हाथ, गंदे कपड़े और खराब महक वाले लोगों से मिलने में शर्म महसूस करते हैं क्योंकि वे इस प्रकार के लोगों से मिलते समय अपना अपमान महसूस करते हैं। अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वास्तव में शरीर की सफाई बहुत आवश्यक है। दूसरी ओर, शारीरिक सफाई आंतरिक सफाई देती है और दिल और दिमाग को साफ रखती है।

मन की सफाई हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है और मनोवैज्ञानिक समस्याओं से बचाती है। तो, पूर्ण स्वच्छता गंदगी और बीमारियों से दूर रहती है क्योंकि दोनों एक साथ चलते हैं, जहाँ गंदगी है वहाँ बीमारियाँ हैं।

रोग पैदा करने वाले कीटाणु प्रजनन करते हैं और गंदगी में बहुत तेजी से बढ़ते हैं जो संक्रमण या विभिन्न महामारी जैसे कि हैजा का कारण बनता है। इसलिए, स्वस्थ, सुखी और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए हम सभी को जीवन के हर पहलू में स्वच्छ आदतों का अभ्यास करना चाहिए क्योंकि गंदगी नैतिक बुराई का प्रतीक है जबकि स्वच्छता नैतिक शुद्धता का प्रतीक है।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Not bad 😐but needs to be in a more proper and in a grammatical way😑. But still thank you 😌

Good but not soo good

No it’s good,nice

it’s good,nice

स्वच्छ भारत मिशन कि शुरुवात सच में सराहनीय है, किन्तु सिर्फ सरकार के प्रयासों से कुछ नहीं होने वाला देश को स्वच्छ बनाने हेतु सभी नागरिको को अपनी जिम्मेदारी समाज कर कार्य करना पड़ेगा. सड़क पर कूड़ा न डालना हर दिन अपने घर के आस पास सफाई करना आवश्यक है. महान संत गाडगे बाबा सफाई करने हेतु अकेले निकल पड़ते थे. हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए

NICE BUT PLEASE MAKE OF ATLEAST 500 TO 600 WORDS .THANKS FOR HELP 🙏GOD BLESS YOU 😊

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स्वच्छता पर निबंध-Swachata Par Nibandh

easy essay on swachata ka mahatva

Essay On Cleanliness In Hindi

भूमिका : स्वच्छता का अर्थ होता है हमारे शरीर, मन और हमारे चारों तरफ की चीजों को साफ करना। स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण होता है। यह विभिन्न प्रकार की बिमारियों से बचाव के सरलतम उपायों में से एक है।

यह जीवन की आधारशिला होती है। इसमें मानव की गरिमा, शालीनता और आस्तिकता के दर्शन होते हैं। स्वच्छता के द्वारा मनुष्य की सात्विक वृत्ति को बढ़ावा मिला है। रोजमर्रा के जीवन में हमें अपने बच्चों को साफ-सफाई के महत्व और इसके उद्देश्यों को भी समझाना चाहिए।

स्वच्छता का महत्व : मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक और सामाजिक हर तरीके से स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी होती है। स्वच्छता को मनुष्य को स्वंय करना चाहिए। हमारी भारतीय संस्कृति में भी वर्षों से यह मान्यता है कि जहाँ पर सफाई होती है वहाँ पर लक्ष्मी का वास होता है। हमारे भारत के धर्मग्रन्थों में साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे में बहुत से निर्देश दिए गए हैं।

हमारे भारत देश की वास्तविकता यह है कि यहाँ पर अन्य स्थानों की अपेक्षा मंदिरों में सबसे अधिक गंदगी पाई जाती है। धार्मिक स्थलों पर विभिन्न आयोजनों पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन स्वच्छता के महत्व से अनजान होकर वहाँ पर बहुत बड़ी मात्रा में गंदगी फैलाते हैं। स्वस्थ मन, शरीर और आत्मा के लिए स्वच्छता बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।

आचरण की शुद्धता में स्वच्छता बहुत जरूरी होती है। शुद्ध आचरण से मनुष्य का चेहरा तेजोमय रहता है। सभी लोग उस व्यक्ति को आदर की दृष्टि से देखते हैं। उनके सामने मनुष्य खुद ही अपना सिर झुका देता है। उस व्यक्ति के प्रति लोगों में अत्यंत श्रद्धा होती है। स्वास्थ्य रक्षा के लिए स्वच्छता बहुत अनिवार्य होती है। जब मनुष्य स्वच्छ रहता है तो उसमें एक तरह की स्फूर्ति और प्रसन्नता का संचरण होता है।

स्वच्छता की आवश्यकता : साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। वह अपने और आस-पास के क्षेत्र को साफ रखना चाहता है। वह अपने कार्यस्थल पर गंदगी नहीं फैलने देता। अगर वह सफाई नहीं रखेगा तो साँप, बिच्छु, मक्खी, मच्छर तथा अन्य हानिकारक कीड़े-मकोड़े आपके घर में प्रवेश करेंगें जिससे अनेक प्रकार के रोग और विषैले कीटाणु घर में चारों तरफ फैल जायेंगे।

बहुत से लोगों का यह कहना होता है कि यह काम सरकारी एजंसियों का होता है इसलिए खुद कुछ न करके सारी जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ देते हैं जिसकी वजह से चारों तरफ गंदगी फैल जाती हैं और अनेक प्रकार के रोग और बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। जब तक हम स्वच्छता के महत्व को नहीं समझेंगे तब तक हम अपने आप को सभ्य और सुसंस्कृत नहीं कह सकते हैं।

आज के समय में 60 फीसदी से ज्यादा लोग खुले में शौच करने जैसी बुरी आदतों की वजह से बहुत सी जानलेवा बिमारियों को उत्पन्न कर रहे हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर की सफाई बहुत आवश्यक होती है। ऐसा माना जाता है कि गंदगी और बीमारी हमेशा एक साथ शरीर में जाते हैं। शरीर को स्वस्थ और बिमारियों से रहित रखने के लिए स्वच्छता बहुत ही आवश्यक होती है।

स्वच्छता के उपाय : अगर हम अपने घर और आस-पास के क्षेत्र में साफ-सफाई रखेंगें तो हम बहुत से रोगों के कीटाणुओं को नष्ट कर देंगे। सफाई रखकर मनुष्य अपने चित्त की प्रसन्नता भी प्राप्त कर सकता है। सफाई मनुष्य को अनेक प्रकार के रोगों से बचाती है। साफ-सफाई के माध्यम से मनुष्य अपने आस-पास के वातावरण को दूषित होने से बचा सकता है।

कुछ लोग साफ-सफाई को बहुत कम महत्व देते हैं और ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहाँ पर आस-पास कूड़ा कचरा फैला होता है। उन्हें अपने व्यवहार में परिवर्तन करना चाहिए और आस-पास के क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए। स्वच्छता का संबंध खान-पान और वेश-भूषा से भी होता है।

रसोई की वस्तुओं और खाने-पीने की वस्तुओं का विशेष रूप से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। बाजार से लाए जाने वाले फल, सब्जी और अनाज को अच्छी तरह से धोकर प्रयोग में लाना चाहिए। पीने के पानी को हमेशा साफ बर्तन में और ढककर रखना चाहिए। गंदे कपड़े कीटाणु युक्त होते हैं इसलिए हमें हमेशा साफ-सुथरे कपड़ों का प्रयोग करना चाहिए।

अपने शरीर की स्वच्छता का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है। प्रतिदिन स्नान करना चाहिए और अपने शरीर की गंदगी को साफ करना चाहिए। सभी को सप्ताह में कम-से-कम दो दिन साबुन से स्नान करना चाहिए ताकि शरीर में छिपे कीटाणुओं को नष्ट किया जा सके। नाखूनों को बढने नहीं देना चाहिए क्योंकि नाखूनों में होने वाली गंदगी से अनेक प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं।

जिस प्रकार से घर की सफाई में घर के सदस्यों की भूमिका होती है उसी प्रकार बाहर की सफाई में समाज की बहुत भूमिका होती है। बहुत से लोग घर की गंदगी को घर के बाहर डाल देते हैं उन्हें घर की गंदगी का निष्पादन ठीक प्रकार से करना चाहिए। आत्मिक उन्नति के लिए सभी निवास स्थानों के वातावरण को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए।

राष्ट्रपति जी की तरह हमें भी स्वच्छता पर पूरा जोर देना चाहिए। स्वच्छता में बाधक बनने वाले तत्वों को पहचान कर उनके प्रसार पर रोक लगानी चाहिए। स्वच्छता न होने के दुष्प्रभाव सभी समुदायों पर पड़ते हैं। ये सभी समुदाय बिमारियों के प्रकोप एवं खराब स्वास्थ्य के रूप में परिलक्षित होते हैं।

देश और समाज को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखने के लिए अनेक साधन और उपाय हैं। स्वच्छता के लिए बहुत-सी सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा यह संचालित हैं और बहुत से संचालन व्यक्तिगत रूप से निजी स्तर पर होते हैं। जो नई सरकार आई है उसकी मुख्य प्राथमिकता भारत को स्वच्छ करने की है।

अस्वच्छता से हानियाँ : जब लोग ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहाँ पर चारों तरफ कूड़ा-कचरा फैला होता है और नालियों में गंदा जल और सडती हुई वस्तुएं पड़ी रहती हैं जिसकी वजह से उस क्षेत्र में बहुत बदबू उत्पन्न हो जाती है, वहां से गुजरना भी बहुत मुश्किल हो जाता है ऐसे स्थानों पर लोग अनेक प्रकार की संक्रामक बिमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। वहां की गंदगी से जल, थल, वायु आदि पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ता है।

अगर हम बाजार के मैले और अधिक कीटाणुयुक्त भोजन को खाते हैं तो हमारे शरीर में बहुत से रोग उत्पन्न हो जाते हैं। आधुनिक सभ्यता और हानिकारक उद्योगों के फैलाव की वजह से पूरी दुनिया में प्रदुषण का संकट खड़ा हो रहा है। भारतीय कहीं भी कूड़ा-कचरा फेंकने की आदत से मजबूर होते हैं और चारों ओर साफ-सफाई के लिए गंभीर नहीं होते है। अगर स्वच्छता नहीं रखी जाती है तो मनुष्य को बहुत जल्दी अनेक प्रकार के रोग हो जाते हैं।

स्वच्छता के लिए नारे : स्वच्छता के लिए बहुत से नारों का प्रयोग किया जाता है।

1. हम सभी का एक ही नारा, साफ सुथरा हो देश हमारा। 2. स्वच्छता का दीप जलाएँगे, चारों ओर उजियाला फैलाएँगे। 3. सफाई अपनाएं, बीमारी हटाएँ। 4. हम सब ने अब ये ठाना है, भारत स्वच्छ बनाना है। 5. करें हम ऐसा काम, बनी रहेगी देश की शान। 6. स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत। 7. साफ सुथरा मेरा मन, देश मेरा सुंदर हो, प्यार फैले सडकों पर, कचरा डिब्बे के अंदर हो। 8. सभी रोगों की एक दवाई घर में रखो साफ-सफाई। 9. मैं शपथ लेता हूँ कि मैं स्वंय स्वच्छता के प्रति सजग रहूँगा और उसके लिए समय दूंगा, हर साल 100 घंटे यानी हर सप्ताह दो घंटे श्रम। 10. प्रदूषण से पीड़ित लगते गाँव-शहर बेजान, स्वच्छता से होगी अब गाँव-शहर की पहचान। 11. गाँव-शहरों में लग गए साफ-सफाई के काम, स्वच्छता के लिए होगा नगर का रोशन नाम। 12. गंदगी न फैलाओ बताओ सबको साफ-सफाई के गुण, साफ-सफाई करते रहो नहीं तो हो जाओगे रोने को मजबूर। 13. रखे स्वच्छता यही स्वस्थ्यता का आधार है, सुंदर गाँव-शहर बनने के यही तो आसार है। 14. कचरों से भरा हो यदि रास्ता हमारा, सफाई से सुंदर बनेगा नगर न्यारा। 15. स्वच्छता सुंदरता के लिए साफ-सफाई करते रहो, नगर हो प्रदुषण से मुक्त कुछ ऐसा काम करते रहो। 16. साफ-सफाई के लिए हुआ ये कैसा अजब कमाल, स्वच्छता के लिए हटाया सबने प्रदूषण का जाल। 17. आओ मिल जुलकर स्वच्छता अभियान के गीत गाए, स्वच्छता अभियान हो सफल मिलकर खुशिया मनाए। 18. आइये साफ-सफाई करके दिखाए, नगर को स्वच्छ और सुंदर बनाए। 19. स्वच्छता होगी तभी तो कुछ बात होगी, स्वच्छ नगरों में यही गिनती खास होगी। 20. कचरा गाँव-शहर फैलाने से मच्छर सुनाएँगे राग, बीमारियाँ पनपेंगी, लग जायेगा प्रदूषण का दाग। 21. स्वच्छता अभियान से जागरूकता लाए, साफ-सफाई करने में मिलकर हाथ बटाए। 22. सफाई करने से नगर में उजियारा छाया, कचरे से मुक्त नगर सबके मन को भाया।

उपसंहार : देश में स्वच्छता रखना केवल सरकार का ही नहीं अपितु सभी का कर्तव्य होता है। देशवासियों को मिलकर स्वच्छता के प्रति अपने कर्तव्य को निभाना चाहिए। समाज के सभी सदस्यों को आस-पास की सफाई में अपना योगदान देना चाहिए। नदियों, तालाबों, झीलों और झरनों के पानी में गंदगी को जाने से रोकने के लिए सभी को अपना योगदान देना चाहिए।

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10 Lines on Cleanliness in Hindi। स्वच्छता पर 10 लाइन निबंध

10 Lines on Cleanliness in Hindi

स्वच्छता जीवन का बहुत ही आवश्यक अंग है। विकसित समाज का पता स्वच्छता से लगाया जा सकता है। व्यक्ति को सदैव स्वच्छ रहना चाहिए। स्वच्छ शरीर में ही स्वच्छ आत्मा का निवास माना जाता है, इसी तरह स्वच्छता से समाज कितना विकसित है इसका पता चलता है। Cleanliness Essay in Hindi अक्सर विद्यालयों में निबंध के रूप में आता है। इसलिए आज हम “ स्वच्छता पर 10 लाइन निबंध ” लेकर आपके समक्ष आये है इस आर्टिकल में आप “ 10 Lines on Cleanliness in Hindi ” में पढ़ेंगे।

Table of Contents

10 Lines on Cleanliness in Hindi

  • स्वच्छता मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • गाँधी जी ने स्वच्छता को सेवा का भाव कहा था।
  • स्वच्छ मनुष्य ही स्वच्छ समाज की नीव रख सकते है।
  • लोगो को अपने घरो के साथ साथ अपने आस पड़ोस को भी साफ़ रखना चाहिए।
  • स्वच्छता से रहने पर हम बहुत सी बीमारियों से बच सकते है।
  • भारत में 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान को शुरू किया गया था।
  • स्वच्छ भारत अभियान का मकसद भारत को गन्दगी मुक्त बनाना है।
  • विश्व स्तर पर आयरलैंड सबसे स्वच्छ देश है।
  • विश्व स्तर पर भारत स्वच्छ देशो की सूचि में 98वे स्थान पर स्थित है।
  • स्वच्छता की आवश्यकता व्यक्ति और समाज दोनों को है।

5 Lines on Cleanliness in Hindi

  • सरकार ने समय – समय पर नारो द्वारा लोगो को जागरूक करने का प्रयास किया है।
  • आज भी देश की अधिकांश जनता सफाई से नहीं रहती।
  • देश की अधिकांश जनता सफाई से नहीं रहते। , जिसका कभी – कभी उन्हें मुआवज़ा भी देना पड़ता है।
  • देश में पानी से संक्रमित रोग अधिक होते है , जिसका कारण है गन्दा पानी।
  • कहना ना होगा की हाल के वर्षो में स्वछता के प्रति लोगो की चेतना बढ़ी है।

Cleanliness in Hindi

स्वच्छ एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनकर मन में पवित्रता का एहसास होता है। स्वच्छ तथा शुद्ध एक दूसरे के पुरक है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जहाँ स्वछता होती है , वहां लक्ष्मी का वास होता है। स्वछता का अभिप्राय केवल पूजा घर की स्वछता से नहीं अपितु घर और बाहर के प्रत्येक स्थान की   साफ़ – सफाई से है। साफ़ कपडे कीटाणुरहित होते है और पहनने में भी अच्छे लगते है। आप एक व्यक्ति को देखे जो साफ़ – सुथरे कपडे पहनकर आपके सामने खड़ा है और उस व्यक्ति को देखे जो गंदे कपडे , गंदे जूते तथा बिखरे बालो के साथ आपके सामने खड़ा है। आपको वही व्यक्ति आकर्षित करेगा जो साफ़ कपड़ो में है एवं उसके प्रति आपके मन में श्रद्धा जागेगी। यहाँ साफ़ कपड़ो का अर्थ महंगे कपड़ो से हरगिज़ नहीं है। साफ़ अर्थात साबुन से धोये तथा आयरन किये हुए कपडे।

अपने कपडे की साफ़ – सफाई हमारा पहला दायित्व है। स्वछता यानि रोगो से मुक्ति चाहे वो शरीर की हो , खाने – पीने से सम्बंधित हो , घर की स्वछता से सम्बंधित हो अथवा अपने पर्यावरण की स्वछता से सम्बंधित हो। साफ़ – सुथरा घर किसे नहीं पसंद ? लकिन घर को साफ़ रखने हतु हमें थोड़ी सी परिश्रम की आवश्यकता है। रोज़ाना डेटोल से घर की सफाई करनी चाहिए। घर की प्रत्येक वस्तु को अपने निश्चित स्थान पर रखना चाहिए। घर साफ़ रखने के लिए घर की गन्दगी को बाहर न फैलाये। एक साफ़ घर में जाना किसको नहीं पसंद? जहाँ हर वस्तु व्यवस्थित ढंग से रखी हुई हो। सरकारी दफ्तर तो गन्दगी का खज़ाना होता है। इसमें कोई शक नहीं की ऐसा हमारे करतूतों की वजह से ही होता है। हम पान के पीच जहाँ -तहाँ दीवारों के ऊपर फेंक देते है। जहाँ दीवारों पर लिखा रहता है कि यहाँ थूकना मना है उसी स्थान पे विशेषरूप से थूकते है ,खुले स्थान पर शौच करते है ,जैसे कि हमने कसम खाई हो कि हम नहीं सुधरेंगे।

हम अक्सर गन्दगी का सम्बन्ध गरीबी से लगा लेते है,पर ये सरासर गलत है। जहाँ बस्तियाँ होती है वहां गन्दगी का ढेर होता है। घर हो अथवा बाहर लोग अपने घर को ही कचरा का ढेर बना देते है। और यहीं से शुरू होता बीमारियों का सिलसिला। इसका सबसे बड़ा और साक्षात प्रमाण है 2020 में हुए भारतवर्ष का सबसे बड़ा स्लम एरिया धारावी में कोरोना का फैलाव।

यह सच है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी है पर इसका सम्बन्ध सफाई से भी है। हम जितने साफ़ -सुथरे रहेंगे,कोरोना भी उतनी ही दूर रहेगी।सफाई की जरुरत हर प्राणी को है। हम प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ कहे जाते है। शायद  इसलिए प्रकृति को गन्दा और प्रदूषित करने का दायित्व भी सबसे ज़्यादा हमारे ही कंधो पर है। गन्दगी भी फैलाते जा रहे है और पेड़ो की अंधाधुन कटाई भी करते जा रहें है।

स्वछता के ऊपर लोगो को शिक्षित करने की आवश्यकता है। जब तक सभी लोगो में जागरूकता नहीं आ जाती। लोग स्वछता का पालन सही ढंग से नहीं करेंगे। हमारी पुरानी संस्कृति इस बात का प्रमाण है की हमारा समाज साफ़ -सफाई को कितना महत्व देता था। सिंधु घाटी सभ्यता के बने चौड़े रास्ते, सड़क किनारे बड़े -बड़े नाले ,बड़ा स्नानागार इस बात का सबूत है की लोग सफाई को कितना महत्व देते थे।

पर बढ़ती जनसँख्या ने जैसी स्वछता पर अंकुश लगा दिया हो। सामने कूड़ादान होते हुए भी हम अपने खाने,पीने का रैपर रास्तों में ही फैक देते है। लोगो को जागरूक करना अति आवश्यक है। केवल सरकार पर दोषारोपण कर देने भर से समस्या का हल नहीं हो जाता। रास्तो ,बस ,पार्क ,सार्वजनिक स्थानों पर सफाई पर भाषण देते काफी लोग नज़र आ जायेंगे ,पर उस पर अमल करने वाले कम ही लोग नज़र आएंगे। केवल नाक भर ढक लेने से समस्या का हल नहीं हो जाता।

लोगो के दिमाग में केवल ये बात घुसानी होगी कि स्वछता का पालन करना अर्थात बीमारियों से दूर रहना है। चलिए जानते है कि स्वछता का   पालन कैसे करें –

1) रोज़ाना घर की साफ़ – सफाई करे।

2) खाना पक जाने उपरांत रसोई घर की अच्छे से सफाई करे।

3) सप्ताह में एक या दो बार शौचालय की सफाई करे।

4) घर का कूड़ा कूड़ेदान के फैके , यदि वह उपलब्ध न हो तो घर से सुनसान इलाके में फैके , जहाँ कोई आता – जाता नहीं।

5) रास्तों से चलते वक़्त जहाँ – तहाँ   ना थूके , ना शौच करे और ना गन्दगी फैलाएं।

6) हमें ध्यान रखना होगा की सफाई का सम्बन्ध बीमारियों से मुक्ति है।

7) रोज़ाना स्नान करके साफ़ कपडे पहने। सफ्ताह में कम से कम 2-3 बार साबुन लगाए।

8) नाखुनो को समय – समय पर काटते रहे।

9) बाहर जब भी निकले ध्यान रखे कि कपडे ज़मीन तक ना जाये और साथ में हमेशा सैनीटाइज़र रहे।

10) पहने हुए कपड़ो को साबुन से धोकर पुनः पहने।

11) बाजार से फल – सब्ज़ी खरीदकर इस्तेमाल करने से पूर्व अच्छी तरह धो ले।

12) पीने का पानी तथा खाना अच्छी तरह ढक कर रखे।

13) घर में अगर कोई पालतू जीव है , तो स्वछता का खास ध्यान रखे।

14) घर में अगर बच्चे है, तो सफाई का खास ध्यान रखे।

उपरोक्त छोटे – छोटे नियमो का पालन करके हम समाज में बड़े बदलाव ला सकते है। इस बात का ध्यान रखना होगा हम पहले अपनी स्वछता का ध्यान रखे फिर तो समाज स्वतः ही स्वच्छ हो ही जायेगा।

स्वछता के बारे में 10 पंक्तियाँ हिंदी में

  • स्वछता हमारे जीवन का मूल आधार है।
  • गन्दगी रोगो को निमंत्रण देती है।
  • स्वच्छ रहने से चित भी प्रसन्नचित रहता है।
  • साफ – सुथरा व्यक्ति सामान्य लोगो से ज़्यादा आकर्षित लगता है।
  • साफ़ वातावरण में मच्छर – मक्खी तथा दूसरे रोग फ़ैलाने वाले कीड़े – मौकोड़े भी कम भिनभिनाते है।
  • यदि पर्यावरण स्वच्छ रहे तो देखने में भी अच्छा लगता है और बीमारियाँ भी कम फैलती है।
  • गन्दगी रोगो का घर है। इसलिए यदि रोगमुक्त रहना है तो स्वच्छ रहें।
  • रसोई तथा शौचालय की विशेष रूप से साफ़ – सफाई का ध्यान रखे।
  • पानी तथा खाने को अच्छी तरह ढक कर रखे।
  • साफ़ बर्तनो में खाना पकाये और खाना बनने के बाद बर्तनो को अच्छी तरह धो ले।

हमें आशा है आप सभी को Cleanliness in Hindi पर छोटा सा लेख पसंद आया होगा। आप इस लेख को अपने स्कूल में 10 lines about Cleanliness in Hindi या 10 Lines on Swachata in Hindi के रूप में भी प्रयोग कर सकते है।

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FAQ on Cleanliness in Hindi

Question: जीवन में स्वछता का क्या महत्व है? Ans-जीवन में स्वछता का बहुत महत्व है। स्वच्छ रहने से तन तो अच्छा रहता ही है साथ ही साथ मन भी अच्छा रहता है। घर और परिवेश के स्वच्छ रहने से तन निरोगी और मन भी प्रसन्नचित रहता है।

Question: स्वच्छ रहने के क्या -क्या फायदे है?किन्ही पाँच का उल्लेख करे। Ans-स्वच्छ रहने के निम्नलिखित फायदे है – 1) तन निरोगी रहता है। 2) मन प्रसन्न रहता है। 3) रोग दूर रहते है। 4) घर और परिवेश सुन्दर लगता है। 5) व्यक्ति आकर्षक और अच्छा लगता है।

Question: स्वच्छ रहने से हम रोगो से कैसे दूर रह सकते है? Ans-कीटाणु वहां जन्म लेते है, जहाँ गन्दगी पनपती है। सड़ी-गली वस्तुएं ,भोज्य प्रदार्थ ,कचरा आदि अनेक दिनों से पड़े रहने से इसमें रोगो की उत्पत्ति होती है। इसके कीटाणु यहाँ जन्म ग्रहण करते है तथा चारो ओर फ़ैल जाते है। घर की सफाई के लिए हम परिवेश को दूषित कर डालते है और रोगो का फैलने का अवसर प्रदान करते है। अतः रोगो से दूर रहना है तो हमें स्वच्छ रहना होगा।

Question: क्या स्वच्छ रहने वाले लोग कम बीमार पड़ते है? अगर हाँ तो कैसे? Ans-स्वछता के नियमो का पालन करने वाले व्यक्ति कम बीमार पड़ते है, क्योकि गदगी रोगो का घर होती है। जहाँ के लोग साफ -सफाई का ज़्यादा ध्यान रखने है। औरो की तुलना में कम बीमार पड़ते है।

Question: स्वच्छ रहने से सकरात्मक ऊर्जा का का विकास होता है? कैसे समझाइये ? Ans-स्वच्छ रहने से यक़ीनन सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है, जब हम स्वछता के नियमो का पालन करते है ,तो हमारा चित प्रसन्नचित रहता है। व्यक्तित्व आकर्षक लगता है ,मन का आत्मविश्वास बढ़ता है और हमारे अंदर के सकरात्मक ऊर्जा के विकास होता है। इसे एक छोटा सा उदहारण द्वारा समझा जा सकता है -जब हम एक नया कपड़ा पहनते है तो खुद को आईने में बार-बार देखते है। अर्थात उस वस्त्र के कारण हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।

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स्वच्छता पर निबंध- Essay on Cleanliness in Hindi

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स्वच्छता पर निबंध- Essay on Cleanliness in Hindi

साफ सफाई का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व है। साफ सफाई हमें और हमारे वातावरण को स्वच्छता और सुंदरता प्रदान करती है। व्यक्ति को खुद को भी साफ सुथरा रखना चाहिए। साफ सफाई के अंतर्गत शरीर की सफाई, घर की सफाई और आस पास के वातावरण की सफाई आती है। बिना सफाई के मनुष्य का जीवन बिल्कुल ही व्यर्थ है। साफ सफाई के माध्यम से ही किटाणुओं को खत्म किया जा सकता है और बिमार होने से बच सकते हैं। वातावरण की सफाई से ही उसे प्रदुषण मुक्त बनाया जा सकता है।

आज के समय में मनुष्य साफ सफाई के महत्व को भूलता जा रहा है। वह इतना आलसी होता जा रहा है कि कहीं पर भी कूड़े को फेंक देता है। हमारे रहने सहने की जगह हमारे व्यक्तितव के बारे में बताती है। हमारे आस पास अगर साफ सफाई होगी तो लोग हमारे बारे में सकारात्मक सोच रखेंगे और अगर वहीं पर गंदगी होगी तो लोग हमारे बारे में नकारात्मक सोच रखेंगे। लोग साफ सफाई के प्रति बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। वह बसों में से, राह चलते और घरों के पास खुले में ही गंदगी को फेंक देते है।

खुले में कूड़ा फेंकने से बहुत सी बिमारियाँ पैदा होती है। मनुष्य को खुद को और वातावरण को स्वस्थ रखने के लिए साफ सफाई की अहमियत को समझना चाहिए। मनुष्य को नियमित रूप से अपने शरीर की सफाई करनी चाहिए। नियमित रूप से नाखुनों की भी सफाई करनी चाहिए क्योंकि गंदे हाथों से ही किटाणु शरीर के अंदर जाते है। घर के अंदर की साफ सफाई परिवार के सदस्य का कार्य है और सभी को मिलकर यह करना चाहिए। घर से बाहर की सफाई समाज के लोगों का काम है।

सरकार ने भी लोगों को सफाई के प्रति जागरूक किया है। गलियों और सड़को की सफाई के लिए भी सफाई कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। जगह जगह पर कुड़ेदान रखे गए है ताकि लोग सड़क पर ही कूड़ा न फेंके। घर और दुकानों से कूड़ा लेने के लिए गाड़ी आती है। लोगों को खुद भी सफाई का महत्व समझना होगा। हर व्यक्ति को साफ सफाई को अपना कर्तव्य समझना चाहिए और यह मानवता का गुण भी है। अगर वातावरण स्वच्छ होता है तो सब कुछ स्वर्ग जैसा लगने लगता है। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर वातावरण को शुद्ध करना चाहिए। साफ सफाई किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है बल्कि पूरे समाज का कर्तव्य है। अगर देश स्वच्छ होगा तभी तो देश के लोग स्वस्थ होंगे।

#Cleanliness Essay in Hindi

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3 thoughts on “स्वच्छता पर निबंध- Essay on Cleanliness in Hindi”

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bahut badhiya essay sir

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It helped me a lot Thanks ☺️

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स्वच्छता का महत्व Essay In Hindi

Swachhata ka Mahatw Essay in Hindi

स्वच्छता का महत्व

Swachhata ka Mahatw Essay in Hindi

बुनियादी स्वच्छ व्यवहार अधिक प्रभावी होता है यदि इसे बचपन से ही शामिल किया जाए। जिन बच्चों को स्वच्छता का महत्व सिखाया जाता है, वे बड़े होकर उन लोगों की तुलना में स्वास्थ्यकर एवं स्वस्थ वयस्क बनते हैं, जिन्हें उनके प्रारंभिक वर्षों से स्वच्छता का महत्व नहीं सिखाया जाता है। स्वच्छ दिनचर्या को बच्चों के जीवन में तब तक शामिल किया जाजाना चाहिए  जब तक कि वे उनके दिमाग में बैठ नहीं जाते और उनकी जीवन शैली का हिस्सा नहीं बन जाते। हालाँकि माता-पिता को प्रचार करना चाहिए कि वे क्या करते हैं, क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता की बातों का पालन करने के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं, जो वे कहते हैं। इसलिए, माता-पिता को रोल मॉडल बनना होगा और उदाहरण के लिए नेतृत्व करना होगा।

स्वच्छता को दो भागों में बांटा जा सकता है, व्यक्तिगत और पर्यावरणीय स्वच्छता।

व्यक्तिगत स्वच्छता

स्वच्छता का महत्व पर लेख

दंत चिकित्सकों द्वारा अच्छे टूथब्रश की सिफारिश की जानी चाहिए, क्योंकि अधिकतर सस्ते ब्रशों में कठोर ब्रिसल्स होते हैं और वे मसूड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। हमारे नाखून साफ-सुथरे और अच्छी तरह से कटे हुए होने चाहिए। जो लोग उन्हें लंबे समय तक रखना पसंद करते हैं, वे  सुनिश्चित करें कि वे अच्छी तरह से रखे हुए हैं और साफ भी हैं।

हमारे कपड़े हमेशा साफ होने चाहिए। हम उन्हें कैसे रखते हैं यह भी एक मुद्दा है क्योंकि उन्हें नमी युक्त खराब वातावरण वाले स्थानों में रखने से उनमें बदबू आएगी। उन्हें सूटकेस में अच्छी तरह से मोड़ा जा सकता है या अलमारी में लटकाया जा सकता है। इसके अलावा, हमें कपड़ों को रिसाइकिल करने से बचना चाहिए और उन्हें धोने से पहले सिर्फ एक बार पहनना चाहिए – खासकर हमारे कपड़े। हमारे बालों का भी ख्याल रखना चाहिए। चाहे हम उन्हें छोटा या लंबा रखना चाहें या जो भी शैली हम उन्हें बनाना पसंद करते हैं, उन्हें हमेशा साफ और साफ होना चाहिए।

उन्हें नियमित रूप से शैम्पू से धोना चाहिए, ताकि उनमें बदबू न आए या चमक और लचीलापन ढीली न हो। हमें अपने शरीर को शेव करने की भी आवश्यकता होती है, या तो वैक्सिंग करके या ब्लेड का उपयोग करके। इसके अलावा, हमें कोलोन (पुरुषों के लिए) और परफ्यूम (महिलाओं के लिए) का उपयोग करके अपने शरीर की गंध की निगरानी करनी होगी।

व्यक्तिगत स्वच्छता का अगला भाग हमारे शरीर की तरह हमारे पर्यावरण को स्वच्छ रखना है। शरीर के लिहाज से बेहद स्मार्ट होना बेतुका होगा, लेकिन पूरी तरह से गंदे घर में रहना। हमारा तात्कालिक वातावरण हमें दिखाई देता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप प्रति दिन कितनी बारिश करते हैं, अगर आपका घर गंदा है, तो आप भी गंदे हैं। घरों की नियमित रूप से धूल, वैक्यूम सफाई और पोछा लगाना चाहिए।

खिड़कियों को धोना चाहिए ताकि वे क्रिस्टल स्पष्ट हों। टेबल, पैनल और सपाट सतहों को नियमित रूप से साफ और धोया जाना चाहिए। दीवारों को फिर से रंगा जा सकता है और कालीनों को समय-समय पर धोया जा सकता है। हमारे गैरेज और भंडारण कक्ष आमतौर पर सबसे गंदे होते हैं, क्योंकि हम उनमें चीजें डंप करते हैं। उन्हें भी साफ किया जाना चाहिए, अच्छी तरह से व्यवस्थित किया जाना चाहिए और सभी अतिरिक्त कचरे को सुरक्षित स्थान पर फेंक दिया जाना चाहिए। दिन में ताजी हवा देने के लिए घरों को खुली खिड़कियों से अच्छी तरह हवादार होना चाहिए। घर को सुंदर महक रखने के लिए एयर फ्रेशनर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लॉन को रोजाना पानी देना चाहिए और अच्छी तरह से छंटनी चाहिए।

कभी-कभी, घरों में कीटनाशकों और कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है ताकि कीड़ों और रोग पैदा करने वाले वैक्टरों को दूर किया जा सके। कीड़ों को दूर रखने के लिए दीवारों पर दरारें भी भरनी चाहिए। अधिकांश लोगों से अनभिज्ञ, जिन दो स्थानों पर बैक्टीरिया, कवक और कीड़ों का सबसे अधिक प्रसार होता है, वे हैं रसोई और स्नानघर। इसलिए वे ऐसे स्थान हैं जिन्हें पूरी तरह से सफाई की आवश्यकता होती है। किचन की सतह बेदाग साफ होनी चाहिए।

तिलचट्टे और मकड़ियों को बाहर रखने और वातन के लिए समय-समय पर खोलने के लिए अलमारियाँ नियमित रूप से साफ की जानी चाहिए। इसके अलावा, निचले अलमारियाँ डंप नहीं होनी चाहिए। घर को बदबूदार होने से बचाने के लिए क्लॉगिंग और लीकिंग सिंक को ठीक किया जाना चाहिए और दिन में कम से कम एक बार कूड़ेदानों को खाली करना चाहिए। बाथरूम में टॉयलेट बाउल और बाथटब को रोजाना डिटर्जेंट से साफ करना चाहिए। धूल के निर्माण को रोकने के लिए सतहों को भी मिटा दिया जाना चाहिए।

व्यक्तिगत स्वच्छता के लाभ

अच्छी स्वच्छता के लाभों में से एक रोग की रोकथाम है। हमारा शरीर बहुत सारे कीटाणुओं के संपर्क में आता है, खासकर हमारे हाथों पर। एक अच्छा उदाहरण पैसा है, जो पृथ्वी की सबसे गंदी चीजों में से एक है। यह जरूरी है कि हम अपने हाथों को लगातार धोते रहें, क्योंकि मुंह के जरिए हमारे शरीर में ज्यादातर कीटाणु पहुंच जाते हैं।

इसलिए, उच्च स्तर की स्वच्छता बनाए रखते हुए, हम अपने शरीर को रोग पैदा करने वाले वैक्टर के संपर्क में आने से रोक रहे हैं। यह बदले में हमें बहुत सारी पीड़ा और चिकित्सा लागतों से बचाएगा। इसके अलावा, हम यह जानकर अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं कि हम अच्छे दिखते हैं और अच्छी खुशबू आती है। हमारे आत्म-सम्मान को बढ़ावा मिलता है और हमारी आत्माओं का कायाकल्प होता है। स्वच्छता वास्तव में हमारे साथियों के बीच हमारी वांछनीयता को बढ़ाती है, जिससे सामाजिक रैंकिंग में हमारे स्कोर में सुधार होता है।

इसके अलावा, स्वच्छता सम्मान के साथ आती है। लोग हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा हम अपने साथ करते हैं। इसलिए, यदि हम अपने आप को सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करते हैं, तो हमारे साथ भी वैसा ही व्यवहार किया जाएगा। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि स्मार्ट लोग स्वाभाविक रूप से सभी की प्रशंसा और सम्मान करते हैं। स्वच्छ रहने से वास्तव में हमें मानसिक शांति मिलती है। जब हम साफ-सुथरे होते हैं, तो हमें इस बात की परवाह नहीं होती कि हम कैसे गंध करते हैं या दिखते हैं या लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं। हम लोगों के बीच सहज हो जाते हैं, जिससे हमें अच्छा महसूस होता है।

एक और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पसीना और आमतौर पर अशुद्धता हमें थका और बेचैन रखती है, जिससे हमारी कार्यक्षमता कम हो जाती है। हालांकि नहाने के बाद हम खुद को तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करते हैं। साफ चादरों के साथ बिस्तर पर लेटने या बाथटब में घंटों बिताने के साथ पृष्ठभूमि में कुछ संगीत बजने जैसा कुछ भी ताज़ा नहीं है।

पर्यावरण स्वच्छता

यह स्वच्छता और पर्यावरण का सुधार है और सामुदायिक स्तर पर किया जाता है। अधिकांश लोग इस प्रकार के व्यायाम में लिप्त नहीं होते हैं, क्योंकि वे सरकार को पर्यावरण को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी लेते हैं, आखिर वे टैक्स देते हैं, है ना? हालांकि यह सच हो सकता है, यह वास्तव में विवेकपूर्ण है कि हम पर्यावरण प्रदूषण या गिरावट में भाग नहीं लेते हैं, सिर्फ इसलिए कि हम सरकार को इसे साफ करने के लिए भुगतान करते हैं। अधिकांश लोग वास्तव में प्रदूषण के प्रभावों और आने वाली पीढ़ियों के लिए होने वाले जोखिमों से अनभिज्ञ हैं। इसलिए हमें स्वार्थी व्यवहार करने के बजाय उनके सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखना चाहिए और इस तरह जीना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षित रहे।

हम उचित डिस्पोजेबल विधियों का उपयोग करके शुरू कर सकते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सारा कचरा कूड़ेदान में जाए न कि सड़कों पर। इसके अलावा, हम उत्पादन को कम करने के लिए वस्तुओं को रीसायकल कर सकते हैं, यही मुख्य कारण है कि पूरी दुनिया में बहुत अधिक कचरा ढेर है। यह प्लास्टिक के लिए विशेष रूप से सच है, जिसकी खराब गिरावट दर है।

हम ऐसे संगठन भी बना सकते हैं या बना सकते हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य पर्यावरण को स्वच्छ रखना है। प्रदूषित भूमि को साफ करने और पुनः प्राप्त करने के अलावा, हम पर्यावरण की सुरक्षा के महत्व पर लोगों को शिक्षित और संवेदनशील बनाने के लिए सेमिनार और पर्यावरण कार्यशालाएं भी आयोजित कर सकते हैं।

पर्यावरण स्वच्छता के लाभ

अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने का पहला लाभ यह है कि हम इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करते हैं। उनके लिए एक ऐसी दुनिया को विरासत में लेना अनुचित होगा जो इतनी प्रदूषित है कि यह उन्हें बहुत सारे स्वास्थ्य जोखिमों के लिए उजागर करती है। दूसरे, एक स्वच्छ वातावरण वास्तव में देखने में अच्छा है। प्रकृति को सुंदर बनाया गया था, यह मानवीय गतिविधियाँ हैं जो इसे नष्ट करती हैं। पर्यावरण को संरक्षित कर हम वन्य जीवों और समुद्री जीवों का भी संरक्षण कर रहे हैं। प्रदूषण से जमीन और समुद्री जानवर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि कचरा तेजी से उनके आवासों में पहुंच रहा है।

जिसने भी यह वाक्यांश गढ़ा कि “स्वच्छता ईश्वरीयता के बगल में है” हाजिर था। स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है और इसे हमारे जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए। यहां तक ​​कि जानवर भी, जिनकी तुलना इंसानों से नहीं की जा सकती, स्वच्छता को समझते हैं और कभी-कभी नदियों और झीलों में डुबकी लगाते हैं। तो, अगर जानवर ऐसा कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?

स्वच्छता का मुद्दा बहस का विषय नहीं होना चाहिए। पागल लोगों को छोड़कर, जो मानसिक रूप से विकलांग हैं, हर समझदार व्यक्ति को स्वच्छ रहना अनिवार्य है। अस्वच्छ जीवन शैली हमें और हमारे आस-पास के लोगों को बहुत सारे जोखिमों के लिए उजागर करती है और हम इन सभी जोखिमों से आसानी से बच सकते हैं, अगर हम सभी रोजाना स्नान करते हैं।

Essay on History of computers/Evolution of Computers

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Essay on cleanliness in hindi स्वच्छता पर निबंध.

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Essay on Cleanliness in Hindi

hindiinhindi Essay on Cleanliness in Hindi

Essay on Cleanliness in Hindi 300 Words

स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण है क्योकि यह एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आसपास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। अपने आस-पास स्वच्छता रखना खुद को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वच्छ रखना है, जो हमे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। हमे हर समय खुद को शुद्ध, स्वच्छ और अच्छे कपडे पहन कर रखने चाहिए क्योकि यह समाज में आपके अच्छे चरित्र को दिखाता है। साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। अपनी खुद की स्वच्छता से मनुष्य का स्वास्थ्य ढीक रहता है जिससे उसकी आयु बीमार लोगो के मुकाबले ओर बढ़ती है। इसी लिए हम सब को हमारी धरती के जीवन को संभव बनाने के लिये इसके पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को शुद्ध बनाये रखना चाहिए।

स्वच्छता के कारण ही हम मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरह से स्वस्थ रहते है। अपने भी अपने घर में यह देखा होगा कि पूजा करने से पहले माता-पिता स्वच्छता को लेकर बहुत सख्त होते है। माता-पिता स्वच्छता को हमारी आदत बनाना चाहते है किन्तु उनका तरीका गलत है क्योकि वो हमे स्वच्छता के उद्देश्य और फायदे तो बताते ही नहीं। हर अभिवावक को तार्किक रुप से स्वच्छता के फायदे जरूर बताने चाहिए ताकि सब स्वच्छता कि एहमियत को समझ सके। हमे रोज अपने नहाना चाहिए, नाखुनों को काटना चाहिए साफ और इस्त्री किये हुए कपड़े ही पहनने चाहिए। हमे खाना खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोने चाहिए। हमे बहार के ज्यादा मसालेदार खाने से बचना चाहिए।

हमे स्वस्थ जीवन शैली और जीवन के स्तर को बनाए रखने के लिए अपने आसपास के पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिए। हम अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध रखकर ही बहुत बीमारियों से बच सकते है। गंदगी से कई तरह के कीटाणु, बैक्टेरिया वाइरस तथा फंगस आदि पैदा होते है, जो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते है और बीमार हो जाते है। हमे अपने माता-पिता से सीखना चाहिए कि कैसे हम अपने घर और आस-पास के वातावरण को कैसे ओर शुद्ध बना सकते है।

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