APJ Adul Kalam Biography in Hindi : मिसाइल मैन डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन परिचय
Apj adul kalamमिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन परिचय.
एपीजे अब्दुल कलाम का इतिहास व जीवन परिचय, जन्म कब हुआ, पूरा नाम, विज्ञान में योगदान, शिक्षा में योगदान, अनमोल वचन, निबंध हिंदी, विचार (APJ Abdul Kalam Biography and History in Hindi) (Full Name, Quotes, Ka Poora Naam, Books, Death Date, Essay)
Table of Contents
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम,(APJ Abdul Kalam ) जिन्हें “जनता के राष्ट्रपति” और “भारत के मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिक और राजनेता थे जिन्होंने देश के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी। 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे, वह साधारण शुरुआत से उठकर भारत की सबसे प्रिय शख्सियतों में से एक बन गए। डॉ. कलाम के शानदार करियर में भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल कार्यक्रमों, विशेष रूप से सफल पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान शामिल था। 2002 में, उन्होंने 11वें राष्ट्रपति के रूप में भारत में सर्वोच्च संवैधानिक पद ग्रहण किया, जहाँ उनकी सादगी, विनम्रता और प्रेरणादायक भाषणों ने उन्हें देश का प्रिय बना दिया। अपनी राजनीतिक भूमिका से परे, डॉ. कलाम एक विपुल लेखक और एक प्रेरणादायक वक्ता थे, जिनकी “विंग्स ऑफ फायर” और “इग्नाइटेड माइंड्स” जैसी किताबें अनगिनत व्यक्तियों, विशेष रूप से युवाओं को अपने सपनों को आगे बढ़ाने और देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी विरासत विज्ञान, शिक्षा और समाज की भलाई के प्रति अटूट समर्पण की है और उनका प्रभाव पीढ़ियों को प्रेरित करता रहता है। डॉ. कलाम का 27 जुलाई 2015 को एक व्याख्यान देते समय निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत उनके शब्दों, कार्यों और उनके द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों के माध्यम से जीवित है।
APJ abdul kalam short biography in hindi
डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन.
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: डॉ कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनका पूरा नाम ‘अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम’ था। लेकिन उन्हें डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम और मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम ‘ जैनुलाब्दीन’ था, जो एक नाविक थे और उनकी माता का नाम ‘ असीम्मा ‘ था, जो एक गृहणी थी। डॉ कलाम के पांच भाई बहन थे।
बालक कलाम को भी अपनी शिक्षा के लिए बहुत संघर्ष करना पढ़ा था. वे घर घर अख़बार बाटते और उन पैसों से अपने स्कूल की फीस भरते थे. अब्दुल कलामजी ने अपने पिता से अनुशासन, ईमानदारी एवं उदार स्वभाव में रहना सिखा था. इनकी माता जी ईश्वर में असीम श्रद्धा रखने वाली थी. कलाम जी के 3 बड़े भाई व् 1 बड़ी बहन थी. वे उन सभी के बहुत करीब रिश्ता रखते थे. क्या आप जानते हैं डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम एक लड़ाकू पायलट बनना चाहते थे लेकिन उन्हें ‘भारतीय वायु सेना’ (IAF) की प्रवेश परीक्षा में नौवां स्थान मिला था। जबकि IAF ने केवल 8वीं रैंक तक ही रिजल्ट की घोषणा की थी इसलिए वह पायलट नहीं बन सके।
अब्दुल कलाम जी के करियर की शुरुवात (APJ Abdul Kalam Career)
1958 में कलाम जी D.T.D. and P. में तकनिकी केंद्र में वरिष्ट वैज्ञानिक के रूप कार्य करने लगे. यहाँ रहते हुए ही इन्होंने prototype hover craft के लिए तैयार वैज्ञानिक टीम का नेतृत्व किया. करियर की शुरुवात में ही अब्दुल कलामजी ने इंडियन आर्मी के लिए एक स्माल हेलीकाप्टर डिजाईन किया. 1962 में अब्दुल कलामजी रक्षा अनुसन्धान को छोड़ भारत के अन्तरिक्ष अनुसन्धान में कार्य करने लगे. 1962 से 82 के बीच वे इस अनुसन्धान से जुड़े कई पदों पर कार्यरत रहे. 1969 में कलाम जी ISRO में भारत के पहले SLV-3 (Rohini) के समय प्रोजेक्ट हेड बने.
APJ Adul Kalam जी का स्वाभाव (APJ Abdul Kalam Nature)
APJ Adul Kalam को बच्चों से बहुत अधिक स्नेह है. वे हमेशा अपने देश के युवाओं को अच्छी सीख देते रहे है, उनका कहना है युवा चाहे तो पूरा देश बदल सकता है. देश के सभी लोग उन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम ने संबोधित करते है. डॉ एपीजे कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्र में पितामह के रूप जाना जाता है. कलाम जी भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो अविवाहित होने के साथ-साथ वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से राजनीति में आए है.
अब्दुल कलाम जी का राष्ट्रपति बनना (APJ Abdul Kalam President Life)
APJ Adul Kalam Biography in Hindi
982 में वे फिर से रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन के director बन गए. इनके नेतृत्व में Integrated guided missile development program को सफलतापूर्वक शुरू किया गया. अग्नि, प्रथ्वी व् आकाश के प्रक्षेपण में कलाम जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सन 1992 मेंAPJ Adul Kalamजी रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव बन गए. वे इस पद में 1999 तक कार्यरत रहे. भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिकों की लिस्ट में इनका नाम शामिल है. सन 1997 में APJ अब्दुल कलामजी को विज्ञान एवं भारतीय रक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत के सबसे बड़े सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया.
सन 2002 में APJ Adul Kalamजी को भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने राष्ट्रपति के चुनाव के समय अपना उम्मीदवार बनाया था, जिसका सबने समर्थन किया और 18 जुलाई 2002 को APJ Adul Kalam जी ने राष्ट्रपति पद की शपत ली. कलाम जी कभी भी राजनिति से नहीं जुड़े रहे, फिर भी वे भारत के सर्वोच्य राष्ट्रपति पद पर विराजमान रहे. जीवन में सुख सुविधा की कमी के बावजूद वे किस तरह राष्ट्रपति के पद तक पहुँचे, ये बात हम सभी के लिये प्रेरणास्पद है. आज के बहुत से युवा एपीजे अब्दुल कलामजी को अपना आदर्श मानते है. छोटे से गाँव में जन्म ले कर इनती ऊचाई तक पहुचना कोई आसान बात नहीं. कैसे अपनी लगन, कङी मेहनत और कार्यप्रणाली के बल पर असफलताओं को झेलते हुए, वे आगे बढते गये इस बात से हमे जरुर कुछ सीखना चाहिए.
अब्दुल कलम जी का राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद का सफर (After President of India)
राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद APJ Adul Kalam जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम के चांसलर बन गए. साथ ही अन्ना यूनिवर्सिटी के एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर बन गए. इसके अलावा उन्हें देश के बहुत से कॉलेजों में विसिटिंग प्रोफेसर के रूप में बुलाया जाता रहा.
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अब्दुल कलाम का विज्ञान में योगदान (Abdul Kalam Science)
अब्दुल कलाम जी के नेतृत्व में 1980 में रोहिणी को सफलतापूर्वक पृथ्वी के निकट स्थापित कर दिया गया. इनके इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए 1981 में भारत सरकार द्वारा इनको भारत के राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक पदम् भूषण से सम्मानित किया गया. APJ Adul Kalam जी हमेशा अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता को देते थे. उनका कहना था उनकी माता ने ही उन्हें अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी. वे कहते थे “पढाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी माँ ने मेरे लिये छोटा सा लैम्प खरीदा था, जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ सकता था. माँ ने अगर साथ न दिया होता, तो मैं यहां तक न पहुचता।”
APJ Adul Kalam की मिसाइलों के नाम और उनकी विशेषताएं
मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन परिचय में अब हम उनकी कुछ प्रमुख मिसाइलों और उनकी विशेषताओं के बारे में बता रहे है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
APJ Adul Kalam: इसरो में निभाई अहम भूमिका
APJ Adul Kalam अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए, जहां उन्होंने ‘ हावरक्राफ्ट परियोजना’ पर काम किया। डॉ कलाम ने कुछ समय तक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘ विक्रम साराभाई’ के साथ भी काम किया था। इसके बाद वह वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ ( ISRO) में आ गए, यहाँ उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
क्यों कहा जाता है डॉ कलाम को मिसाइल मैन
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने ISRO में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लांच व्हीकल SLV-III के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस प्रथम सैटेलाइट व्हीकल से भारत ने वर्ष 1980 में रोहिणी सैटेलाइट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था। इस मिसाइल को बनाने में डॉ कलाम में अपना अहम योगदान दिया था, जिस वजह से उन्हें ‘ मिसाइल मैन’ की उपाधि से नवाजा गया। इसके बाद डॉ कलाम ने देश के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में कार्य किया और देश के लिए कई मिसाइलें बनाई।
द्वितीय पोखरण परमाणु परीक्षण में दिया अहम योगदान
इसके बाद डॉ. कलाम ने वर्ष 1992 से 1999 तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया। वह प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी थे। वर्ष 1998 में दूसरे परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी। इस सफल परमाणु परिक्षण के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक पूर्ण विकसित परमाणु देश घोषित किया और भारत विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभरा।
APJ Abdul Kalam की बुक्स (APJ Abdul Kalam Books)
अब्दुल कलम साहब की ये कुछ बुक्स, जिनकी रचना उन्होंने की थी:
- इंडिया 2020 – ए विशन फॉर दी न्यू मिलेनियम
- विंग्स ऑफ़ फायर – ऑटोबायोग्राफी
- इग्नाइटेड माइंड
- ए मेनिफेस्टो फॉर चेंज
- मिशन इंडिया
- इन्सपारिंग थोट
- एडवांटेज इंडिया
- यू आर बोर्न टू ब्लॉसम
- दी लुमीनस स्पार्क
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर लिखी गई जीवनी
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi में अब हम डॉ. कलाम के जीवन पर लिखी गई कुछ प्रमुख जीवनी के बारे में बता रहे है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
अब्दुल कलाम के सबसे प्रसिद्ध उद्धरण एक |A.P.J. Abdul Kalam most famous quotes presented .
यहाँ APJ Adul Kalam के जीवन परिचय (APJ Abdul Kalam Biography in Hindi) के साथ ही उनके कुछ अनमोल विचारों के बारे में भी बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
- शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है जो किसी व्यक्ति के चरित्र, क्षमता, और भविष्य को आकार देता हैं। अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद रखते हैं, तो मेरे लिए ये सबसे बड़ा सम्मान होगा।
- महान शिक्षक ज्ञान, जूनून और करुणा से निर्मित होते हैं।
- अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलो।
- सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।
- महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।
- मैं इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता।
- अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।
- शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वो माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
- किसी भी मिशन की सफलता के लिए, रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक हैं।
- जब तक भारत दुनिया के सामने खड़ा नहीं होता, कोई हमारी इज्जत नहीं करेगा। इस दुनिया में, डर की कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती हैं।
प्रेरक विचार | Motivatinal Thoughts
- अपने आप पर यकीन रखो : आत्मविश्वास आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने की कुंजी है। अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें, और दूसरे भी करेंगे।
- विफलता को गले लगाओ : असफलता अंत नहीं है; यह सफलता की ओर एक सीढ़ी है। अपनी गलतियों से सीखें और आगे बढ़ते रहें।
- स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें : अपने लक्ष्यों को स्पष्टता के साथ परिभाषित करें। उद्देश्य की स्पष्ट समझ होने से आपको प्रेरित और केंद्रित रहने में मदद मिलती है।
- कार्यवाही करना : कार्रवाई के बिना सपने सिर्फ कल्पनाएँ हैं। अपने लक्ष्यों की ओर लगातार और उद्देश्यपूर्ण कदम उठाएँ।
- लगातार बने रहें : सफलता के लिए अक्सर दृढ़ता की आवश्यकता होती है। बाधाओं का सामना होने पर भी चलते रहें।
- लचीला बनें : जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है। लचीलापन असफलताओं से उबरने की क्षमता है।
- अपने आप को सकारात्मकता से घेरें : आप जिस संगति में रहते हैं और जिस जानकारी का आप उपभोग करते हैं, वह आपकी मानसिकता पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। अपने आप को सकारात्मकता और प्रेरणा से घेरें।
- लगातार सीखना : कभी सीखना मत छोड़ो। जितना अधिक आप जानेंगे, आप चुनौतियों पर विजय पाने के लिए उतने ही अधिक सुसज्जित होंगे।
- वर्तमान पर ध्यान दें : हालाँकि भविष्य के लिए योजना बनाना महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में जीना न भूलें। आज के कार्य कल के परिणामों को आकार देते हैं।
- छोटी जीत का जश्न मनाएं : अपनी उपलब्धियों को पहचानें और उनका जश्न मनाएं, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हों। यह आपको प्रेरित रखता है और प्रगति को सुदृढ़ करता है।
- दूसरों की मदद करें : दयालुता और दूसरों की मदद करने के कार्य अत्यंत संतुष्टिदायक और प्रेरक हो सकते हैं।
- सफलता की कल्पना करें : अपने लक्ष्यों और सफलता की कल्पना करने से उन्हें अधिक प्राप्य महसूस हो सकता है और आप प्रेरित रह सकते हैं।
- आभारी रहें : आपके पास जो कुछ भी है उसके प्रति कृतज्ञता से अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण और प्रेरणा में वृद्धि हो सकती है।
- जोखिम लें : अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलने और परिकलित जोखिम लेने से व्यक्तिगत विकास और नए अवसर मिल सकते हैं।
- सकारात्मक बने रहें : एक सकारात्मक दृष्टिकोण चुनौतियों पर काबू पाने और सफलता प्राप्त करने में एक शक्तिशाली शक्ति हो सकता है।
डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम की उपलब्धियां
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने अपने जीवन में बहुत सी विपरीत परिस्थितियों का सामना किया था। लेकिन जीवन में उन्होंने कभी भी कठिन परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी। यही वजह रही है कि उनका जीवन आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहा हैं। डॉ. कलाम को उनके कार्यों के लिए बहुत से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। जिन्हें नीचे दिए गए टेबल में बताया जा रहा हैं:-
एपीजे अब्दुल कलाम की म्रत्यु (A.P.J. Abdul Kalam Death Date)
डॉ. कलाम ने विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना अतुलनीय योगदान दिया है, जिसकी वजह से उन्हें वर्ष 1997 में भारत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने जीवन के बहुत से वर्ष रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के लिए काम करते हुए बिताए थे।
देश का सर्वोच्च पद पर रहने के बाद भी डॉ. कलाम हमेशा अपना जीवन सादगी के साथ जीते रहे उनका स्वभाव बेहद सहज, सरल और विनम्र था। वे हमेशा खुद को एक वैज्ञानिक और शिक्षक की तरह ही देखा करते थे। लेकिन 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) शिलांग में व्याख्यान देते समय हृदय गति रुकने से अचानक उनका निधन हो गया।
- निधन : डॉ . ए.पी.जे. 27 जुलाई 2015 को अब्दुल कलाम का निधन हो गया।
- स्थान : भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में व्याख्यान देते समय उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ।
- अंतिम क्षण : डॉ . कलाम व्याख्यान के दौरान गिर पड़े और उन्हें तुरंत बेथनी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
- सार्वजनिक शोक : उनकी मृत्यु पर भारत और दुनिया भर के लोगों ने शोक और संवेदना व्यक्त की।
- विरासत जारी है: हालाँकि वह अब हमारे साथ नहीं हैं, डॉ. कलाम की विरासत उनके लेखन, भाषणों और भारत के वैज्ञानिक और शैक्षिक परिदृश्य पर उनके प्रभाव के माध्यम से जीवित है।
- राष्ट्रीय शोक : भारत में सात दिन का राजकीय शोक मनाया गया और उनके अंतिम संस्कार में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य लोग शामिल हुए।
- अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कार्यकाल में इन्होने देश के लिए बहुत योगदान दिया. यह अपने सरल एवम साधारण व्यव्हार के लिए प्रसिद्ध रहे. मुस्लिम होने के कारण इन्हें दुसरे मुल्क ने अपने मुल्क में बुलाया, लेकिन देश के प्रति प्रेम के कारण उन्होंने कभी देश को नहीं त्यागा.इन्हें देश के एक सफल राष्ट्रपति के तौर पर देखा गया था, इन्होने देश के युवा को समय- समय पर मार्गदर्शन दिया. APJ Adul Kalam उन्होंने अपने उद्घोष एवम अपनी किताबों के जरिये युवा को मार्गदर्शन दिया .
आशा है आपको डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए biographymap के साथ बने रहें।
Q-एपीजे अब्दुल कलामकिस लिए प्रसिद्ध थे?
Ans- भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ के लिए काफी प्रसिद्ध थे।
Q- एपीजे अब्दुल कलामकब बने राष्ट्रपति?
Ans- एपीजे अब्दुल कलाम 18 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक बने रहे राष्ट्रपति।
Q- एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम क्या है?
Ans- डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था।
Q- किस नाम से पुकारे जाते थे एपीजे अब्दुल कलाम?
Ans- मिसाइल मैन के नाम से पुकारे जाते थे।
Q- एपीजे अब्दुल कलाम की मृत्यृ कब हुई?
Ans- एपीजे अब्दुल कलाम की मृत्यृ 27 जुलाई 2015 में हुई।
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ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की संपूर्ण जीवनी |APJ Abdul Kalam Biography In Hindi
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम,(APJ Abdul Kalam ) जिन्हें “जनता के राष्ट्रपति” और “भारत के मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिक और राजनेता थे जिन्होंने देश के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी। 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे, वह साधारण शुरुआत से उठकर भारत की सबसे प्रिय शख्सियतों में से एक बन गए। डॉ. कलाम के शानदार करियर में भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल कार्यक्रमों, विशेष रूप से सफल पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान शामिल था। 2002 में, उन्होंने 11वें राष्ट्रपति के रूप में भारत में सर्वोच्च संवैधानिक पद ग्रहण किया, जहाँ उनकी सादगी, विनम्रता और प्रेरणादायक भाषणों ने उन्हें देश का प्रिय बना दिया। अपनी राजनीतिक भूमिका से परे, डॉ. कलाम एक विपुल लेखक और एक प्रेरणादायक वक्ता थे, जिनकी “विंग्स ऑफ फायर” और “इग्नाइटेड माइंड्स” जैसी किताबें अनगिनत व्यक्तियों, विशेष रूप से युवाओं को अपने सपनों को आगे बढ़ाने और देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी विरासत विज्ञान, शिक्षा और समाज की भलाई के प्रति अटूट समर्पण की है और उनका प्रभाव पीढ़ियों को प्रेरित करता रहता है। डॉ. कलाम का 27 जुलाई 2015 को एक व्याख्यान देते समय निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत उनके शब्दों, कार्यों और उनके द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों के माध्यम से जीवित है।
डॉ . ए . पी . जे एक वैज्ञानिक के रूप में अब्दुल कलाम का करियर | Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s career as a scientist
- अंतरिक्ष अनुसंधान : डॉ. कलाम इसरो में शामिल हुए और भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान कार्यक्रमों में योगदान दिया।
- उल्लेखनीय भूमिका : उन्होंने भारत के पहले उपग्रह, रोहिणी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- मिसाइल विकास : अब्दुल कलाम बाद में डीआरडीओ में शामिल हो गए, जहां उन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास में प्रयासों का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें “भारत का मिसाइल मैन” उपनाम मिला।
डॉ . ए . पी . जे . पोखरण – द्वितीय परमाणु परीक्षण में अब्दुल कलाम की भागीदारी | Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s involvement in the Pokhran-II nuclear tests
- परमाणु परीक्षण : डॉ. कलाम ने 1998 में पोखरण में भारत के सफल परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- ऐतिहासिक क्षण : इन परीक्षणों ने भारत के परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र के रूप में उद्भव को चिह्नित किया।
- राष्ट्रीय महत्व : पोखरण-द्वितीय परीक्षणों का भारत की रक्षा क्षमताओं और वैश्विक परमाणु राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा।
डॉ . ए . पी . जे . मिसाइल विकास में अब्दुल कलाम का योगदान |Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s contributions to missile development
- नेतृत्व : डॉ. कलाम ने विभिन्न बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियों के विकास में नेतृत्व प्रदान किया।
- “ मिसाइल मैन ऑफ इंडिया “: उनके प्रयासों से उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” की उपाधि मिली।
- उ ल्लेखनीय मिसाइलें : उन्होंने भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाते हुए अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों के विकास में योगदान दिया।
डॉ . ए . पी . जे . भारत के राष्ट्रपति के रूप में अब्दुल कलाम का कार्यकाल |Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s tenure as President of India
- निर्वाचित राष्ट्रपति : डॉ. कलाम 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गये।
- लोकप्रिय व्यक्ति : वह भारत के इतिहास में सबसे लोकप्रिय और सम्मानित राष्ट्रपतियों में से एक बन गए।
- सादगी और प्रेरणा : अपनी सादगी और प्रेरणादायक भाषणों के लिए जाने जाने वाले उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।
डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम का लेखन और प्रेरणा | Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s writing and inspiration
- विपुल लेखक : डॉ . कलाम ने कई किताबें लिखीं, जिनमें “विंग्स ऑफ फायर” और “इग्नाइटेड माइंड्स” शामिल हैं।
- प्रेरक साहित्य : उनकी पुस्तकों ने अनगिनत व्यक्तियों, विशेषकर छात्रों को अपने सपनों को साकार करने और देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया है।
- प्रेरक वक्ता : वह एक प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता थे, जो लोगों को उत्कृष्टता हासिल करने और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम का राष्ट्रपति पद के बाद का कार्य |Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s post-presidential work
- निरंतर संलग्नता : अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद, डॉ. कलाम विभिन्न शैक्षिक और वैज्ञानिक पहलों में सक्रिय रूप से लगे रहे।
- परामर्शदाता : उन्होंने विशेषकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवाओं को प्रेरित करना और मार्गदर्शन करना जारी रखा और कई लोगों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य किया।
- विरासत निर्माण : डॉ. कलाम ने भावी पीढ़ियों के लिए शिक्षा, नवाचार और आत्मनिर्भरता की एक स्थायी विरासत छोड़ने की पहल पर काम किया
ए . पी . जे . अब्दुल कलाम की विरासत |Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s legacy
- प्रेरक व्यक्तित्व : डॉ. कलाम सभी उम्र के लोगों, विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणा के स्थायी स्रोत बने हुए हैं।
- दूरदर्शी नेता : उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने शिक्षा, नवाचार और आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर दिया।
- वैज्ञानिक प्रगति : भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति में उनका योगदान देश की प्रगति को प्रभावित करता रहा है।
- लोकप्रिय लेखक : उनकी किताबें और भाषण व्यक्तियों को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और समाज में योगदान देने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
- शैक्षिक पहल : शिक्षा और मार्गदर्शन में डॉ. कलाम के काम ने भारत के शैक्षिक परिदृश्य पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है।
डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम की मृत्यु |Dr. A.P.J. Abdul Kalam death
- निधन : डॉ . ए.पी.जे. 27 जुलाई 2015 को अब्दुल कलाम का निधन हो गया।
- स्थान : भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में व्याख्यान देते समय उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ।
- अंतिम क्षण : डॉ . कलाम व्याख्यान के दौरान गिर पड़े और उन्हें तुरंत बेथनी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
- सार्वजनिक शोक : उनकी मृत्यु पर भारत और दुनिया भर के लोगों ने शोक और संवेदना व्यक्त की।
- विरासत जारी है: हालाँकि वह अब हमारे साथ नहीं हैं, डॉ. कलाम की विरासत उनके लेखन, भाषणों और भारत के वैज्ञानिक और शैक्षिक परिदृश्य पर उनके प्रभाव के माध्यम से जीवित है।
- राष्ट्रीय शोक : भारत में सात दिन का राजकीय शोक मनाया गया और उनके अंतिम संस्कार में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य लोग शामिल हुए।
अब्दुल कलाम के सबसे प्रसिद्ध उद्धरण एक |A.P.J. Abdul Kalam most famous quotes presented .
- “सपने देखो, सपने देखो, सपने देखो। सपने विचारों में बदल जाते हैं और विचार कार्य में परिणित होते हैं।”
- “अपने सपने सच होने से पहले आपको सपने देखना होगा।”
- “अपनी पहली जीत के बाद आराम न करें क्योंकि अगर आप दूसरी जीत में असफल हो जाते हैं, तो अधिक लोग यह कहने के लिए इंतज़ार कर रहे होते हैं कि आपकी पहली जीत सिर्फ किस्मत थी।”
- “यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले सूरज की तरह जलें।”
- “उत्कृष्टता संयोग से नहीं होती। यह एक प्रक्रिया है।”
- “हम सभी में समान प्रतिभा नहीं है, लेकिन हम सभी के पास अपनी प्रतिभा विकसित करने का समान अवसर है।”
- “रचनात्मकता भविष्य में सफलता की कुंजी है, और प्राथमिक शिक्षा वह जगह है जहां शिक्षक उस स्तर पर बच्चों में रचनात्मकता ला सकते हैं।”
- “देश का सबसे अच्छा दिमाग कक्षा की आखिरी बेंचों पर पाया जा सकता है।”
- “सीखना रचनात्मकता देता है, रचनात्मकता सोच की ओर ले जाती है, सोच ज्ञान प्रदान करती है और ज्ञान आपको महान बनाता है।”
- “मनुष्य को अपनी कठिनाइयों की आवश्यकता होती है क्योंकि सफलता का आनंद लेने के लिए वे आवश्यक हैं।”
प्रेरक विचार | Motivatinal Thoughts
- अपने आप पर यकीन रखो : आत्मविश्वास आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने की कुंजी है। अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें, और दूसरे भी करेंगे।
- विफलता को गले लगाओ : असफलता अंत नहीं है; यह सफलता की ओर एक सीढ़ी है। अपनी गलतियों से सीखें और आगे बढ़ते रहें।
- स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें : अपने लक्ष्यों को स्पष्टता के साथ परिभाषित करें। उद्देश्य की स्पष्ट समझ होने से आपको प्रेरित और केंद्रित रहने में मदद मिलती है।
- कार्यवाही करना : कार्रवाई के बिना सपने सिर्फ कल्पनाएँ हैं। अपने लक्ष्यों की ओर लगातार और उद्देश्यपूर्ण कदम उठाएँ।
- लगातार बने रहें : सफलता के लिए अक्सर दृढ़ता की आवश्यकता होती है। बाधाओं का सामना होने पर भी चलते रहें।
- लचीला बनें : जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है। लचीलापन असफलताओं से उबरने की क्षमता है।
- अपने आप को सकारात्मकता से घेरें : आप जिस संगति में रहते हैं और जिस जानकारी का आप उपभोग करते हैं, वह आपकी मानसिकता पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। अपने आप को सकारात्मकता और प्रेरणा से घेरें।
- लगातार सीखना : कभी सीखना मत छोड़ो। जितना अधिक आप जानेंगे, आप चुनौतियों पर विजय पाने के लिए उतने ही अधिक सुसज्जित होंगे।
- वर्तमान पर ध्यान दें : हालाँकि भविष्य के लिए योजना बनाना महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में जीना न भूलें। आज के कार्य कल के परिणामों को आकार देते हैं।
- छोटी जीत का जश्न मनाएं : अपनी उपलब्धियों को पहचानें और उनका जश्न मनाएं, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हों। यह आपको प्रेरित रखता है और प्रगति को सुदृढ़ करता है।
- दूसरों की मदद करें : दयालुता और दूसरों की मदद करने के कार्य अत्यंत संतुष्टिदायक और प्रेरक हो सकते हैं।
- सफलता की कल्पना करें : अपने लक्ष्यों और सफलता की कल्पना करने से उन्हें अधिक प्राप्य महसूस हो सकता है और आप प्रेरित रह सकते हैं।
- आभारी रहें : आपके पास जो कुछ भी है उसके प्रति कृतज्ञता से अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण और प्रेरणा में वृद्धि हो सकती है।
- जोखिम लें : अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलने और परिकलित जोखिम लेने से व्यक्तिगत विकास और नए अवसर मिल सकते हैं।
- सकारात्मक बने रहें : एक सकारात्मक दृष्टिकोण चुनौतियों पर काबू पाने और सफलता प्राप्त करने में एक शक्तिशाली शक्ति हो सकता है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कौन थे?
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, एक भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
डॉ. कलाम का भारत के लिए क्या योगदान था?
डॉ. कलाम भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल कार्यक्रमों में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं, विशेष रूप से देश के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान और बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियों के विकास में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पृष्ठभूमि क्या है?
उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उनकी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पृष्ठभूमि थी और उन्होंने भारत के अंतरिक्ष और रक्षा संगठनों में विभिन्न वैज्ञानिक और प्रशासनिक पदों पर कार्य किया।
डॉ. कलाम की प्रसिद्ध पुस्तक कौन सी है?
भारत के लिए डॉ. कलाम का दृष्टिकोण क्या है, डॉ. कलाम को कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए.
डॉ. कलाम को कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न और इंजीनियरिंग पुरस्कार हूवर मेडल शामिल हैं।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का निधन कैसे हुआ?
डॉ. कलाम का 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में व्याख्यान देते समय निधन हो गया। उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और उन्हें बचाया नहीं जा सका।
अब्दुल कलाम राष्ट्रीय स्मारक क्या है?
अब्दुल कलाम राष्ट्रीय स्मारक तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक संग्रहालय है, जो डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन और उपलब्धियों को समर्पित है।
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- Jivan Parichay (जीवन परिचय) /
APJ Abdul Kalam Biography: मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी
- Updated on
- अक्टूबर 9, 2024
“ भारत रत्न” से सम्मानित और ‘भारत का मिसाइल मैन’ कहे जाने वाले मशहूर वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) अपने बेहतरीन कार्यों के लिए आज भी जाने जाते हैं। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। बेहद साधारण परिवार में जन्म लेने के बावजूद, डॉ. कलाम ने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प के बल पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियाँ हासिल कीं। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ काम करते हुए भारत के मिसाइल कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।
डॉ. कलाम का जीवन केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं था; वे एक शिक्षाविद्, लेखक और युवाओं के प्रेरणास्रोत भी थे। उनके विचारों ने लाखों लोगों को प्रोत्साहित किया। उनका सपना था कि भारत एक विकसित राष्ट्र बने, और इसके लिए उन्होंने न केवल वैज्ञानिक शोध किया, बल्कि युवाओं को उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित भी किया। इस ब्लॉग में हम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी, उनके योगदान और उनके विचारों को विस्तार से जानेंगे।
उससे पहले इस टेबल के माध्यम से पढ़िए डॉ. कलाम के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
This Blog Includes:
डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन – apj abdul kalam ka jivan parichay, इसरो में निभाई अहम भूमिका , क्यों कहा जाता है डॉ. कलाम को “मिसाइल मैन” , द्वितीय पोखरण परमाणु परीक्षण में दिया अहम योगदान , डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की मिसाइलों के नाम और उनकी विशेषताएं , डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम का राजनैतिक सफर , डॉ. कलाम का निधन , डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की उपलब्धियां , डॉ. कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें – books by apj abdul kalam in hindi, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर लिखी गई जीवनी , डॉ. कलाम के 10 अनमोल विचार .
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: डॉ. कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में धनुषकोडी नामक गांव में 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। उनका पूरा नाम ‘अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम’ (Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam) था। लेकिन उन्हें डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम और “ मिसाइल मैन” के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम ‘ जैनुलाब्दीन’ था, जो कि एक नाविक थे और उनकी माता का नाम ‘ असीम्मा ‘ था, जो एक गृहणी थी। डॉ. कलाम के पांच भाई-बहन थे।
डॉ. कलाम का शुरूआती जीवन संघर्षों से भरा रहा था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था। उन्हें बचपन से ही सिखने की बहुत इच्छा थी। रामनाथपुरम, तमिलनाडु से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. कलाम वर्ष 1955 में मद्रास चले गए वहाँ उन्होंने ‘ मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ , चेन्नई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। क्या आप जानते हैं डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक लड़ाकू पायलट बनना चाहते थे लेकिन उन्हें ‘भारतीय वायु सेना’ (IAF) की प्रवेश परीक्षा में नौवां स्थान मिला था। जबकि IAF ने केवल 8वीं रैंक तक ही रिजल्ट की घोषणा की थी इसलिए वह पायलट नहीं बन सके।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ‘ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए, जहां उन्होंने ‘ हावरक्राफ्ट परियोजना’ पर काम किया। डॉ. कलाम ने कुछ समय तक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘ विक्रम साराभाई’ के साथ भी काम किया था। इसके बाद वह वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ ( ISRO) में आ गए, यहाँ उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने ISRO में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लांच व्हीकल SLV-III के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस प्रथम सैटेलाइट व्हीकल से भारत ने वर्ष 1980 में रोहिणी सैटेलाइट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था। इस मिसाइल को बनाने में डॉ कलाम में अपना अहम योगदान दिया था, जिस वजह से उन्हें ‘ मिसाइल मैन’ की उपाधि से नवाजा गया। इसके बाद डॉ. कलाम ने देश के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में कार्य किया और देश के लिए कई मिसाइलें बनाई।
यह भी पढ़ें – जानिए सत्य, अहिंसा के पुजारी ‘महात्मा गांधी’ का संपूर्ण जीवन परिचय
इसके बाद डॉ. कलाम ने वर्ष 1992 से 1999 तक ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) में सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया। वह प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी थे। वर्ष 1998 में दूसरे परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी। इस सफल परमाणु परिक्षण के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक पूर्ण विकसित परमाणु देश घोषित किया और भारत विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभरा।
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi में अब हम उनकी कुछ प्रमुख मिसाइलों और उनकी विशेषताओं के बारे में बता रहे है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 18 जुलाई, 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। क्या आप जानते हैं कि डॉ. कलाम भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ भारत रत्न’ प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। बता दें कि डॉ कलाम से पहले वर्ष 1954 में “ डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ” और वर्ष 1963 में “ डॉ. जाकिर हुसैन ” को यह सम्मान प्रदान किया गया था। डॉ. कलाम वर्ष 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन रहे और इसके बाद उन्होंने फिर से राष्ट्रपति चुनाव ना लड़ने का फैसला किया। राष्ट्रपति के पद से मुक्त होने के बाद डॉ. कलाम ने देश के विभिन्न कॉलेज-संस्थानों में अध्यापन कार्य किया और कई पुस्तकें लिखी।
यह भी पढ़ें – ‘फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन’ कहे जाने वाले एम.एस. स्वामीनाथन के बारे में कितना जानते हैं आप?
डॉ. कलाम ने विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना अतुलनीय योगदान दिया है, जिसकी वजह से उन्हें वर्ष 1997 में भारत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार “भारत रत्न” से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने जीवन के बहुत से वर्ष ‘ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) के लिए काम करते हुए बिताए थे।
देश का सर्वोच्च पद पर रहने के बाद भी डॉ. कलाम हमेशा अपना जीवन सादगी के साथ जीते रहे। उनका स्वभाव बेहद सहज, सरल और विनम्र था। वे हमेशा खुद को एक वैज्ञानिक और शिक्षक की तरह ही देखा करते थे। लेकिन 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, (IIM) शिलांग में व्याख्यान देते समय हृदय गति रुकने से अचानक उनका निधन हो गया।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने अपने जीवन में बहुत सी विपरीत परिस्थितियों का सामना किया था। लेकिन जीवन में उन्होंने कभी भी कठिन परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी। यही वजह है कि उनका जीवन आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। डॉ. कलाम को उनके कार्यों के लिए बहुत से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। जिन्हें नीचे दिए गए टेबल में बताया जा रहा हैं:-
यहाँ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय (APJ Abdul Kalam Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनके द्वारा लिखित कुछ पुस्तकों के बारे में बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
यह भी पढ़ें – लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi में अब हम डॉ. कलाम के जीवन पर लिखी गई कुछ प्रमुख जीवनी के बारे में बता रहे है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
यहाँ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन परिचय (APJ Abdul Kalam Biography in Hindi) के साथ ही उनके कुछ अनमोल विचारों के बारे में भी बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
- शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है जो किसी व्यक्ति के चरित्र, क्षमता, और भविष्य को आकार देता हैं। अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद रखते हैं, तो मेरे लिए ये सबसे बड़ा सम्मान होगा।
- महान शिक्षक ज्ञान, जूनून और करुणा से निर्मित होते हैं।
- अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलो।
- सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।
- महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।
- मैं इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता।
- अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।
- शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वो माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
- किसी भी मिशन की सफलता के लिए, रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक हैं।
- जब तक भारत दुनिया के सामने खड़ा नहीं होता, कोई हमारी इज्जत नहीं करेगा। इस दुनिया में, डर की कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती हैं।
डॉ. कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था।
एपीजे अब्दुल कलाम की माता का नाम ‘असीम्मा’ था जबकि पिता का नाम ‘जैनुल्लाब्दीन’ था।
वर्ष 1997 में, डॉ. कलाम को भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान और रक्षा प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण में उनके योगदान के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” मिला था।
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A.P.J. Abdul Kalam Biography: प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, करियर, किताबें, पुरस्कार और अधिक
A.p.j. abdul kalam biography: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारत के मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रमों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई. आइये इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के प्रांभिक जीवन, करियर, शिक्षा, पुरस्कार, इत्यादि के बारे में अध्ययन करते हैं..
A.P.J. Abdul Kalam Biography: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की भारत में परमाणु ऊर्जा में भागीदारी ने उन्हें "भारत का मिसाइल मैन" की उपाधि दी. उनके योगदान के कारण, भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया.
आपको बता दें कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 9 फरवरी 2020 को नई दिल्ली में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की बायोपिक का फर्स्ट लुक जारी किया था. फिल्म का शीर्षक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम : द मिसाइल मैन (APJ Abdul Kalam: The Missile Man) है.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था. उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. वह 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. उन्हें 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. उनका जन्म धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था.
नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम) राष्ट्रीयता: भारतीय व्यवसाय: इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ जन्म: 15-अक्टूबर -1931 जन्म स्थान: धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत निधन: 27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय, भारत के रूप में प्रसिद्ध: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम वर्ष 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ राष्ट्रपति चुने गए थे. भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले, उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया था. देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम, प्रक्षेपण यान और बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ नाम की उपाधि दी गई. इसके अलावा, 1998 में, उन्होंने भारत के पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया था. क्या आप जानते हैं कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अपना करियर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शुरू किया था? उन्होंने ISRO में भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वाहन (SLV-III) के के एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया था.
1990 के दशक में उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था. आइये अब, इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं.
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के प्रसिद्द कथन
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पारिवारिक इतिहास और प्रारंभिक जीवन
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था, जो एक नावक थे. उनकी माता का नाम असीम्मा था और वह एक गृहणी थीं. ये कुल पांच भाई बहिन थे, तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन.
उनकी सबसे बड़ी बहन जिसका नाम आसिम ज़ोहरा और तीन बड़े भाई, अर्थात् कासीम मोहम्मद, मुस्तफा कमल, मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मारिकायर था. वह अपने परिवार के करीब थे और हमेशा उनकी मदद करते थे, हालांकि वह पूरी जिंदगी कुंवारे रहे.
अब्दुल कलाम के पूर्वज कई संपत्तियों और भूमि के बड़े ट्रैक्ट के साथ धनी व्यापारी और ज़मींदार थे. वे मुख्य भूमि और द्वीप के बीच और श्रीलंका से किराने का सामान व्यापार करते थे और मुख्य भूमि से पामबन द्वीप तक तीर्थयात्रियों के लिए नौका विहार करते थे. तो, उनके परिवार को "Mara Kalam Iyakkivar" (लकड़ी की नाव चलाने वाले) और बाद में "माराकियर" (Marakier) के नाम से जाना गया.
लेकिन 1920 के दशक तक, उनके परिवार के व्यवसाय विफल हो गए और जब तक अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब तक वे गरीबी से जूझ रहे थे. परिवार की मदद करने के लिए, कलाम ने कम उम्र में अखबार बेचना शुरू किया था.
स्कूल के दिनों में वे पढ़ाई लिखाई में सामान्य थे पर नै चीजें सिखने के लोए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे. वे चीजों को सीखना चाहते थे और अपनी पढ़ाई पर घंटो ध्यान देते थे. गणित में उनकी मुख्य रुचि थी.
उन्होंने Schwartz Higher Secondary स्कूल, रामनाथपुरम, तमिलनाडु से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी और बाद में उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया और सं 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया.1955 में वे मद्रास चले गए जहां से उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की उनका सपना एक लड़ाकू पायलट बनना था, परन्तु परीक्षा में उन्होंने नौवा स्थान प्राप्त किया, जबकि आईएएफ ने केवल आठ परिणाम ही घोषित किये थे. अतः वह उसमें सफल नहीं हो पाये.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: शिक्षा और करियर
वर्ष 1960 में स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हो गए.
उन्होंने इनकोस्पार (भारतीय राष्ट्रीय समिति) की समिति के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया था. उन्होंने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने करियर की शुरुआत की थी. अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने भारतीय सेना के लिए एक छोटा सा हेलीकॉप्टर तैयार किया था. वर्ष 1963 से 1964 तक, डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने रक्षा मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, वर्जीनिया के पूर्वी तट पर स्थित वालप्स फ्लाइट दक्षता और वर्जीनिया के हैम्पटन में स्थित नासा के लैंगली रिसर्च सेंटर का दौरा किया.
उन्होंने 1965 में DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तार योग्य रॉकेट परियोजना पर स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर किया था. वह DRDO में अपने काम से बहुत संतुष्ट नहीं थे और जब उन्हें 1969 में इसरो को स्थानांतरण आदेश मिले तो वे खुश हो गए. वहां उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया. जुलाई 1980 में, उनकी टीम पृथ्वी की कक्षा के पास रोहिणी उपग्रह को स्थापित करने में सफल रही थी. यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान है.
अब्दुल कलाम जी ने 1969 में सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया. 1970 के दशक में, उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को विकसित करने के उद्देश्य से एक प्रयास किया था ताकि भारत अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रह को Sun-Synchronous कक्षा में लॉन्च कर सके, PSLV परियोजना सफल रही और 20 सितंबर 1993 को, यह पहली बार लॉन्च किया गया था.
वर्ष 1970 से 1990 तक एसएलवी -3 और ध्रुवीय एसएलवी की परियोजनाओं के विकास में डॉ कलाम के प्रयास काफी सफल साबित हुए थे.
डॉ कलाम ने परियोजना वालिएंट और प्रोजेक्ट डेविल को निर्देशित किया था जिसका उद्देश्य एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक का उपयोग करके बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करना था, जो सफल भी रहा था.
DRDO द्वारा प्रबंधित एक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर 1980 के दशक की शुरुआत में Integrated Guided Missile Development Program(IGMDP) का शुभारंभ किया. अब्दुल कलाम को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा गया और इसलिए वह आईजीएमडीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में डीआरडीओ में लौट आए. उन्हीं के निर्देशों से ही अग्नि मिसाइल, पृथ्वी जैसे अन्य मिसाइलों का बनाना सफल हुआ.
अब्दुल कलाम जी के नेतृत्व में, IGMDP की परियोजना 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित हुई। उनके योगदान के कारण, उन्हें "भारत के मिसाइल मैन" के रूप में जाना जाता है. उन्होंने, जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव के रूप में कार्य किया था और प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे.
अब्दुल कलाम जी ने इस अवधि में हुए पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक पूर्ण विकसित परमाणु राज्य घोषित किया.
क्या आप जानते हैं कि 1998 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सोमा राजू के साथ अब्दुल कलाम जी ने एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी? जिसे बाद में “कलाम-राजू स्टेंट” नाम दिया गया था. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में इन दोनों लोगों ने स्वास्थ्य देखभाल के लिए टैबलेट पीसी भी डिजाइन किया गया था जिसे "कलाम-राजू टैबलेट" नाम दिया गया था.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: सामान्य ज्ञान प्रश्न और उत्तर
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (2002 से 2007)
- 10 जून 2002 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का नाम विपक्ष की नेत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को प्रस्तावित किया था.
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था. वह राष्ट्रपति भवन में रहने वाले पहले अविवाहित और वैज्ञानिक थे.
- क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें लगभग 922,884 वोट मिले थे और विपक्ष के लक्ष्मी सहगल को हराकर चुनाव जीता था?
- के.आर. नारायणन के बाद डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने.
- वे सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे. इनसे पहले वर्ष 1954 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वर्ष 1963 में डॉ. जाकिर हुसैन को यह सम्मान प्रदान किया गया था.
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को पीपुल्स प्रेसिडेंट के रूप में भी जाना जाता था.
- उनके अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिया गया सबसे कठिन निर्णय ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के बिल पर हस्ताक्षर करने का था.
- अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे.
- हालांकि, 21 में से 20 लोगों की दया याचिकाओं के भाग्य का फैसला करने की निष्क्रियता के लिए उन्हें एक राष्ट्रपति रूप में आलोचित भी होना पड़ा था, जिसमें कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु भी शामिल थे, जिन्हें दिसंबर 2001 में संसद हमलों के लिए दोषी पाया गया था.
- उन्होंने 2007 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का निधन
27 जुलाई 2015 को, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम IIM शिलॉन्ग में एक व्याख्यान दे रहे थे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी स्थिति गंभीर हो गई, इसलिए, उन्हें बेथानी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां बाद में कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई. श्रीजन पाल सिंह को उनके कहे गए अंतिम शब्द थे "Funny guy! Are you doing well?"
30 जुलाई 2015 को, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का अंतिम संस्कार उनके पैत्रक गाँव रामेशवरम के पास हुआ. क्या आप जानते हैं कि लगभग 350,000 लोग कलाम जी के अंतिम अनुष्ठान में शामिल हुए थे, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल थे?
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: पुरस्कार और उपलब्धियां
- 1981 में, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया. - 1990 में, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. - 1997 में, भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया. - 1998 में, वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. - 2000 में, अलवरस रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने उन्हें रामानुजन पुरस्कार प्रदान किया. - 2007 में, ब्रिटेन रॉयल सोसाइटी द्वारा किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल से सम्मानित किया गया. - 2008 में, उन्हें सिंगापुर के नान्यांग तकनीकी विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग (ऑनोरिस कौसा) की उपाधि प्रदान की गई थी. - 2009 में, अमेरिका एएसएमई फाउंडेशन (ASME Foundation) द्वारा हूवर मेडल से सम्मानित किया गया - 2010 में, वाटरलू विश्वविद्यालय ने डॉ. कलाम को डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग के साथ सम्मानित किया. - 2011 में, वह आईईईई (IEEE) के मानद सदस्य बने. - 2013 में, उन्हें राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी द्वारा वॉन ब्रौन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. - 2014 में, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि से नवाजा गया था. - डॉ. कलाम लगभग 40 विश्वविद्यालयों के मानद डॉक्टरेट के प्राप्तकर्ता थे. - 2015 में, संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम के जन्मदिन को “विश्व छात्र दिवस” के रूप में मान्यता दी - डॉ. कलाम की मृत्यु के बाद, तमिलनाडु सरकार द्वारा 15 अक्टूबर जो कि उनका जन्म दिवस है को राज्य भर में युवा पुनर्जागरण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई. इसके अलावा, राज्य सरकार ने उनके नाम पर “डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार” की स्थापना की. इस पुरस्कार के तहत 8 ग्राम का स्वर्ण पदक और 5 लाख रुपये नगद दिया जाता है. यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है, जो वैज्ञानिक विकास, मानविकी और छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देने का काम करते हैं. - यही नहीं, 15 अक्टूबर, 2015 को डॉ. कलाम के जन्म की 84वीं वर्षगांठ पर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नई दिल्ली में डीआरडीओ भवन में डॉ. कलाम की याद में डाक टिकट जारी किया.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें - इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (India 2020: A Vision for the New Millennium) (1998) - विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी (Wings of Fire: An Autobiography) (1999) - इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया (Ignited Minds: Unleasing the Power Within India) (2002) - द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स (The Luminous Sparks: A Biography in Verse and Colours) (2004) - मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ (Mission of India: A Vision of Indian Youth) (2005) - इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज (Inspiring Thoughts: Quotation Series) (2007) - यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियोंड (You Are Born to Blossam: Take My Journey Beyond) (सह-लेखक: अरूण तिवारी) (2011) - द साइंटिफिक इंडियन: ए ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस (The Scientific India: A Twenty First Century Guide to the World Around Us) (सह-लेखक: वाई. एस. राजन) (2011) - टारगेट 3 बिलियन (Target 3 Billion) (सह-लेखक: श्रीजन पाल सिंह) (2011) - टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस (Turning Points: A Journey Through Challenges) (2012) - माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू एक्शंस (My Journey: Transforming Dreams into Actions) (2013) - मैनीफेस्टो फॉर चेंज (Manifesto For Change) (सह-लेखक: वी. पोनराज) (2014) - फोर्ज योर फ्यूचर: केन्डिड, फोर्थराइट, इन्स्पायरिंग (Forge Your Future: Candid, Forthright, Inspiring) (2014) - बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमोरोज इंडिया (Beyond 2020: A Vision for Tomorrow’s India) (2014) - गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया (Governance for Growth in India) (2014) - रिग्नाइटेड: साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर (Reignited: Scientific Pathways to a Brighter Future) (सह-लेखक: श्रीजन पाल सिंह) (2015) - द फैमिली एंड द नेशन (The Family and the Nation) (सह-लेखक: आचार्य महाप्रज्ञा) (2015) ट्रांसेडेंस माई स्प्रिचुअल एक्सपीरिएंसेज (Transcendence My Spiritual Experiences) (सह-लेखक: अरूण तिवारी) (2015)
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: आत्मकथाएँ
- इटरनल क्वेस्ट: जीवन और टाइम्स ऑफ डॉ कलाम ( Eternal Quest: Life and Times of Dr. Kalam ) (लेखक: एस चंद्र) - राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (President A.P.J. Abdul Kalam) (लेखक: आरके प्रूथी) - महात्मा अब्दुल कलाम के साथ मेरे दिन (My Days With Mahatma Abdul Kalam) (लेखक: फ्रेट ए.के. जॉर्ज) - डॉ. ए. पी.जे अब्दुल कलाम: भारत के विजनरी ( A.P.J.Abdul Kalam: The Visionary of India) (लेखक: के. भूषण और जी कैट्याल) - ए लिटिल ड्रीम (A Little Dream) (Documentary film) (पी. धनपाल द्वारा) - कलाम प्रभाव: राष्ट्रपति के साथ के मेरे वर्ष ( The Kalam Effect: My Years with the President) (लेखक: पी.एम. नायर)
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ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी
”अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।”
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम आजाद भारत के 11वें एवं पहले गैर राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति थे। उनके द्धारा भारत देश की प्रगति के लिए किए गए महत्वपूर्ण और उत्कृष्ट कामों की वजह से आज भी देश उन्हें याद करता है, उनके प्रति आज भी सभी देशवासियों के हृदय में अपूर्व सम्मान है। वे जनता के सबसे चहेते और लोकप्रिय राष्ट्रपति थे।
इसके साथ ही वे एक मशहूर भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक भी थे, जिन्होंने तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर भारत को एक नई दिशा दी। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद जी देश के ऐसे महान व्यक्ति थे, जिन्होंने सर्वप्रथम देश में ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान दी।
इसलिए उन्हें भारत के मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम जी दूरदर्शी सोच वाले प्रख्यात वैज्ञानिक, महान व्यक्तित्व वाले एक प्रभावशाली वक्ता एवं ईमानदार और कुशल राजनैतिज्ञ थे। वे हर किसी की जीवन के लिए एक प्रेरणा हैं, उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष की कड़ी कसौटियों से गुजरकर सफलता की असीम ऊंचाईयों को छुआ है।
उनके प्रेरणात्मक विचार आज भी लाखों युवाओं के अंदर आगे बढ़ने का जोश और जज्बा पैदा करते हैं, आइए जानते हैं भारत के इस प्रभावशाली और महामहिम व्यक्तित्व डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम आजाद जी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में –
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी – A. P. J. Abdul Kalam Biography in Hindi
जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन –.
15 अक्टूबर, साल 1931 को तमिलनाडु में रामेश्वरम के धुनषकोड़ी गांव में एक मछुआरे के घर में ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी जन्में थे। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। वे जैनुलअबिदीन और अशिअम्मा की सबसे छोटी संतान थे।
अब्दुल कलाम जी के पिता जी मछुआरों को नाव किराए पर देकर किसी तरह अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। अब्दुल कलाम जी से बड़े तीन भाई और 1 बहन थे। घर की माली हालत सही नहीं होने की वजह से अब्दुल कलाम जी को शुरुआत से ही काफी संघर्ष करना पड़ा था।
लेकिन वे इन कठिनाइयों से कभी घबड़ाए नहीं बल्कि सच्चे दृढ़संकल्प और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ते रहे और आगे चलकर उन्होंने अपने जीवन में असीम सफलताएं हासिल की।
पढ़ाई-लिखाई के लिए करना पड़ा काफी संघर्ष –
बेहद गरीब घर में पैदा होने की वजह से अब्दुल कलाम जी को अपनी पढ़ाई के लिए भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। वे अखबार बेचकर जो भी पैसे कमाते थे, उससे अपनी स्कूल की फीस भरते थे। अब्दुल कलाम जी ने अपनी शुरुआती शिक्षा रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की।
इसके बाद साल 1950 में उन्होंने तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज से फिजिक्स विषय से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने 1954 से 1957 तक मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एरोनिटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
इस तरह कठिन परिस्थितियों में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, और बाद में देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित हुए और भारत के सबसे मशहूर वैज्ञानिक के रुप में अपनी पहचान बनाई।
एक प्रख्यात वैज्ञानिक के तौर पर –
अद्भुत प्रतिभा वाले व्यक्तित्व अब्दुल कलाम जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक वैज्ञानिक के तौर पर काम कर अपने करियर की शुरुआत की। हमेशा कुछ नया और बड़ा करने की चाहत रखने वाले कलाम जी ने अपने वैज्ञानिक करियर की शुरुआत में ही एक छोटे से हेलीकोप्टर का डिजाइन तैयार कर लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ा था।
वहीं इसमें कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद वे ‘इंडियन कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी रहे। फिर साल 1962 में वे भारत के महत्वपूर्ण संगठन- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़े। फिर सन् 1962 से 1982 के बीच वे इस अनुसंधान से जुड़े और कई अहम पदों पर कार्यरत रहे। इसके बाद अब्दुल कलाम जी को भारत के सेटैलाइट लॉन्च व्हीकल परियोजना के निदेशक के पद का कार्यभार र्सौंपा गया।
अब्दुल कलाम जी ने यहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर रहते हुए भारत में अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-3 बनाया, जिसे साल 1980 में पृथ्वी की कक्षा के पास स्थापित किया गया। कलाम जी की इस सफलता के बाद उन्हें भारत के अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना दिया गया।
विलक्षण प्रतिभा के धनी कलाम जी ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल की डिजाइन तैयार की एवं भारतीय तकनीक का इस्तेमाल कर अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाकर विज्ञान के क्षेत्र में न सिर्फ अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारत को तकनीकी रुप से संपन्न राष्ट्र बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इसके बाद सन् 1992 से लेकर दिसंबर 1999 में डॉक्टर अब्दुल कलाम आजाद जी ने भारत के रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार के तौर पर काम किया। वहीं इस दौरान अटल वाजपेयी जी की केन्द्र में सरकार थी। और इसी समय दूसरी बार एपीजे अब्दुल कलाम जी की देखरेख में राजस्थान के पोखरण में सफलापूर्वक परमाणु परीक्षण किए गए और इसी के साथ भारत परमाणु हथियार बनाने वाला, परमाणु शक्ति से संपन्न और समृद्ध देशों में शुमार हो गया।
भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के तौर पर काम कर चुके अब्दुल कलाम जी ने भारत में विज्ञान के क्षेत्र मे विकास और तरक्की के लिए विजन 2020 दिया। साल 1982 में डॉक्टर एपीज अब्दुल कलाम जी को डिफेंस रिसर्स डेवलपमेंट लेबोरेट्री का डायरेक्टर (DRDL) बना दिया गया। इसी दौरानअन्ना यूनिवर्सिटी द्धारा उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से भी नवाजा गया।
यह वह समय था जब एपीजे अब्दुल कलाम आजाद ने डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) का प्रस्ताव तैयार किया था। इसके अलावा इसी दौरान आजाद साहब की अध्यक्षता में स्वदेशी मिसाइलों के विकास के एक कमेटी भी बनाई गई थी। वहीं सबसे पहले एक सीमित एवं मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर दिया गया। इसके बाद पृथ्वी से हवा में मार करने वाली टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहकिल (रेक्स) बनाने पर जोर डाला गया।
दूरदर्शी सोच रखने वाले कलाम जी के नेतृत्व में सन् 1988 में पृथ्वी, साल 1985 में त्रिशूल और 1988 में ‘अग्नि’ मिसाइल का परीक्षण किया गया। इसके अलावा अब्दुल कलाम जी की अध्यक्षता में आकाश, नाग नाम की मिसाइलें भी बनाईं गईं।
साल 1998 में एपीजे अब्दुल कलाम जी ने रुस के साथ मिलकर भारत ने ब्रह्रोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम करने की शुरुआत की। आपको बता दें कि ब्रह्रोस एक ऐसी मिसाइल है, जिसे आकाश, पृथ्वी और समुद्र कहीं पर भी दागा जा सकता है। इसी साल उन्होंने ह्रद्य चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक सस्ता ”कोरोनरी स्टेंट” का विकास किया, जिसे कलाम-राजू स्टेंट नाम दिया गया।
विज्ञान के क्षेत्र में अब्दुल कलाम जी के द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान और सफलताओं के बाद उनका नाम दुनिया के सबसे मशहूर वैज्ञानिकों में गिना जाने लगा और उनकी ख्याति ‘मिसाइल मैन’ के रुप में दुनिया के चारों कोनों में फैल गई। वहीं विज्ञान के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।
देश के सबसे पहले गैरराजनीतिज्ञ राष्ट्रपति के रुप में –
भारत की ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आजाद जी द्धारा भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने एवं विज्ञान एवं भारतीय अनुसंधान एवं रक्षा के क्षेत्र में उनके द्धारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान देने की वजह से वे दुनिया भर में इतने मशहूर हो गए कि राजनैतिक जगत में कई राजनैतिक पार्टियां भी भी उनके नाम को भुनाने के जुगत में लग गईं।
एपीजे अब्दुल कलाम जी की प्रसिद्धि को देखते हुए सन 2002 में NDA की गठबंधन सरकार ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए उन्हें अपना एक मजबूत उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया, वहीं एपीजे की राष्ट्रपति उम्मीदवारी को विपक्ष ने बिना किसी विरोध के स्वीकार कर लिया। इसके बाद राष्ट्रपति के चुनाव में कलाम साहब जी ने अपने विरोधी लक्ष्मी सहगल को भारी वोटों से हराकर विजय प्राप्त की और फिर साल 2002 में देश के 11वें राष्ट्रपति के पद की शपथ ली।
इसी के साथ कलाम साहब देश के ऐसे पहले राष्ट्रपति बने जिनका राष्ट्रपति बनने से पहले राजनीति से कोई वास्ता नहीं था, इसके साथ ही वे देश के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जो इस पद पर सुशोभित हुए, राष्ट्रपति के पद की कमान संभालने के साथ ही उन्होंने देश के सभी वैज्ञानिकों का सीना फक्र से चौड़ा कर दिया।
इसके साथ ही अब्दुल कलाम जी देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित होने वाले ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे, जिन्हें इस पद पर बैठने से पहले भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था। इससे पहले डॉ. जाकिर हुसैन और डॉ राधाकृष्णन को राष्ट्रपति बनने से पहले इस सम्मान से नवाजा जा चुका था।
वहीं राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे अपने स्तर पर लोगों से मिलते रहते थे, आम लोगों के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहते थे। वहीं कई पत्रों का जबाव तो वे खुद अपने हाथों से लिखकर देते थे, इसलिए उन्हें ”जनता का राष्ट्रपति” (पीपुल्स प्रेसीडेंट) भी कहा गया। डॉ. अब्दुल कलाम जी के मुताबिक, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिए गए सबसे मुश्किल फैसलों में लाभ के कार्यालय के बिल पर हस्ताक्षर करना था।
यही नहीं साल 2001 में संसद हमलों में दोषी पाए गए कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरू समेत 21 में से 20 लोगों की दया याचिकाओं के भाग्य के फैसलों की निष्क्रियता के लिए अब्दुल कलाम जी को एक राष्ट्रपति रूप में काफी आलोचनाएं भी सहनी पड़ी थीं।
राष्ट्रपति पद छोड़ने का बाद का सफर –
भारत की ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आजाद जी ने अपने 11वें राष्ट्रपति के तौर पर 5 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद भी वे अपने काम के प्रति उतने ही ईमानदारी और निष्ठा के साथ समर्पित रहे। राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने के बाद वे टीचिंग, रिसर्च, लेखन, सार्वजनिक सेवा जैसे कार्यों में अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी से जुट गए।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, शिलांग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट इंदौर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट अहमदाबाद जैसे इंस्टीट्यूट से गेस्ट प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। अब्दुल कलाम जी ने IIT हैदराबाद, अन्ना यूनिवर्सिटी एवं बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) में भी इंर्फोमेशन टेक्नोलॉजी का विषय पढ़ाया था।
इसके अलावा कलाम जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम के वाइस चांसलर और चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी में एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर अपनी जिंदगी के आंखिरी पलों तक काम करते रहे।
अब्दुल कलाम जी हमेशा देश की प्रगित और विकास के बारे में सोचने वाले शख्सिसयत थे, जिन्होंने देश के युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने एवं भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के उद्देश्य से उनके लिए ”व्हाट कैन आई गिव” पहल की भी शुरुआत की थी।
इसके साथ ही आपको बता दें कि देश के हर नागरिक के दिल में अपने लिए प्यार और सम्मान जगाने वाले कलाम जी को छात्रों से खास लगाव था। वहीं अब्दुल कलाम जी के इस खास लगाव को देखते हुए देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को ‘विधार्थी दिवस’ ( World Students’ Day ) के रुप में मनाने का भी फैसला लिया है।
किताबें –
भारत के एक महान वैज्ञानिक, कुशल राजनैतिक और प्रख्यात टीचर होने के साथ-साथ अब्दुल कलाम जी एक महान लेखक भी थे, अब्दुल कलाम जी को शुरु से ही लिखने का शौक था, वहीं उनके द्धारा लिखी कुछ प्रसिद्ध किताबों के बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –
- ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’,
- ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’,
- ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’,
- ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’
- ‘मिशन इंडिया’
- एडवांटेज इंडिया
- ”यू आर बोर्न टू ब्लॉसम”
- ‘इन्सपायरिंग थोट्स’
- ”माय जर्नी”
- ”द ल्यूमिनस स्पार्क्स”
- रेइगनिटेड
सम्मान और उपलब्धियां –
डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आजाद जी द्धारा तकनीकी और विज्ञान में दिए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान एवं समाज में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण कामों के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न समेत पदम भूषण, पदम विभूषण समेत कई बड़े पुरस्कारों से सम्म्मानित किया गया।
इसके साथ ही उनके सम्माम में दुनिया की 35 से भी ज्यादा यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा। अब्दुल कलाम जी को मिले पुरस्कारों की लिस्ट नीचे दी गई है –
अब्दुल कलाम जी को मिले पुरस्कारों की लिस्ट:
एपीजे अब्दुल कलाम जी का सरल स्वभाव एवं प्रेरक व्यक्तित्व भारत के मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद जी ने अपने प्रेरक और प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव हर भारतीय पर छोड़ा था। बहुमुखी प्रतिभा वाले कलाम साहब बेहद सौम्य एवं सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे, जो हर काम को बेहद बुद्दिमानी और संजीदगी के साथ उसके मुकाम तक पहुंचाते थे।
कलाम जी ने अपने जीवन में कठिन परिस्थितयों में पूरी हिम्मत और धैर्य के साथ कठोर संघर्षों का सामना किया और आगे बढ़ने का लक्ष्य लेकर वे ईमानदारी और निष्ठा के साथ आगे बढ़ते रहे और देश के एक मशूहर वैज्ञानिक और पहले गैरराजनैतिज्ञ राष्ट्रपति बनकर सभी के प्रेरणास्त्रोत बने।
देश में अग्नि मिसाइल की उडा़न भरने वाले कलाम जी के महान विचार और प्रखर वाकशक्ति हर किसी को मंत्र-मुग्ध करती थी और नौ जवानों के दिल में कुछ नया करने का जोश भरती थी। उनकी दूरदर्शी सोच का अंदाजा उनके द्दारा लिखी गईं किताबों और उनके महान विचारों द्धारा लगाया जा सकता है।
कलाम जी का कहना था कि –
”सपने वो नहीं है जो आप सोते वक्त देखें, बल्कि सपने वो हैं जो आपको नींद नहीं आने दें” इसके अलावा उनके द्धारा दिए गए कई अन्य ऐसे अनमोल विचार हैं, जो युवाओं के अंदर उनकी जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा पैदा करती हैं, और अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करते हैं –
महान विचार –
- ”अगर आप अपने किसी प्रयास में FAIL हो जाएं तो फिर से कोशिश करना बिल्कुल भी न छोड़ें क्योंकि, FAIL का मतलब होता है – First Attempt in Learning.
- अपनी पहली सफलता के बाद आराम करने के बारे में बिल्कुल भी न सोचें क्योंकि अगर आप दूसरे प्रयास में असफल होंगे, तो सब लोग आपसे यही कहेंगे कि पहली सफलता आपको किस्मत से मिली थी।
- रचनात्मकता का मतलब एक ही चीज के बारे में अलग-अलग ढंग से सोचना है।
- अगर तुम भी चाहते हो कि तुम सूरज की तरह चमको, तो इससे पहले सूरज की तरह जलो।
- हमें अपनी जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और ना ही समस्याओं को खुद को हराने देना चाहिए।
- शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
मृत्यु –
भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्ना राष्ट्र बनाने वाले अब्दुल कलाम जी को विद्यार्थियों के साथ अपना समय बिताना बेहद अच्छा लगता था। एक एक अध्यापक के रुप में हमेशा विद्यार्थियों की जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश में रहते थे।
वहीं 25 जुलाई, सन् 2015 में कलाम जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलांग (IIM, शिलांग) में एक फंक्शन के दौरान लेक्चर दे रहे थे, तभी अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई, जिसके बाद उन्हें तुरंत शिलांग के हॉस्पिटल में एडमिट किया गया, लेकिन उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं आया और इसी दौरान उन्होंने अपनी जीवन की अंतिम सांस ली।
कलाम जी के शवयात्रा में अपने चहेते राजनेता के अंतिम दर्शन के लिए लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ी। कलाम जी का अंतिम संस्कार रामेश्वर में उनके पैतृक गांव में किया गया। इस तरह भारत का यह महान शख्सियत हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गया। हालांकि उनकी तमाम यादें आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है।
कलाम जी जैसी महान शख्सियत का भारत देश में जन्म लेना भारत के लिए गौरव की बात है। वहीं कलाम जी का संघर्षपूर्ण जीवन और उनके महान विचार हर व्यक्ति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। ज्ञानी पंडित की पूरी टीम की तरफ से भारत के इस महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को भावपूर्ण श्रंद्धाजली ।।
25 thoughts on “ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी”
Woow Nice biography of A P J Abdul Kalam I like kalam
अब्दुल कलाम जी बहुत नम्र थे | छात्रों में वों जादा लोकप्रिय थे | इसलिये छात्रोंको प्रश्न पुछने का अवसर देते थे | बहुत अच्छा आर्टिकल है | धन्यवाद
THIS ESSAY IS VERY INTERESTING. I GET ALL INFORMATION HERE ABOUT A. P. J. ABDUL KALAM JI. THANKS
Very good biography of APJ Abdul Kalam sir, I want to details information about Agni missile.
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It's Hindi
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम.
जन्म : 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु
मृत्यु: 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय
पद/कार्य : भारत के पूर्व राष्ट्रपति
उपलब्धियां: एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन
अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थे इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की।
मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया। डीआरडीओ में कलाम को उनके काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कलाम पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह ‘रोहिणी’ पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर कार्य आरम्भ किया तब उन्हें लगा जैसे वो वही कार्य कर रहे हैं जिसमे उनका मन लगता है।
1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की। परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना, जिनके देख-रेख में भारत ने पहला परमाणु परिक्षण किया, ने कलाम को वर्ष 1974 में पोखरण में परमाणु परिक्षण देखने के लिए भी बुलाया था।
सत्तर और अस्सी के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से डॉ कलाम भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी थी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट के मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर कार्य करने की अनुमति दी थी।
भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का प्रारम्भ डॉ कलाम के देख-रेख में किया। वह इस परियोजना के मुख कार्यकारी थे। इस परियोजना ने देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी है।
जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण इसी दौरान किया था। उन्होंने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर. चिदंबरम के साथ डॉ कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।
वर्ष 1998 में डॉ कलाम ने ह्रदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम कीमत का ‘कोरोनरी स्टेंट’ का विकास किया। इसे ‘कलाम-राजू स्टेंट’ का नाम दिया गया।
भारत के राष्ट्रपति
एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. ए. की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। डॉ कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न ने नवाजा जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका था।
उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई पर राजनैतिक पार्टियों में एक राय की कमी होने के कारण उन्होंने ये विचार त्याग दिया।
12वें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के समाप्ति के समय एक बार फिर उनका नाम अगले संभावित राष्ट्रपति के रूप में चर्चा में था परन्तु आम सहमति नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी उमीद्वारी का विचार त्याग दिया।
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का समय
राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद डॉ कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे और भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर, जैसे संस्थानों से विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। इसके अलावा वह भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनन्थपुरम, के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे।
उन्होंने आई. आई. आई. टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढाया था।
कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए “व्हाट कैन आई गिव’ पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 & 2004) ‘एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड’ के लिए मनोनित भी किया गया था।
वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।
शिक्षण के अलावा डॉ कलाम ने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमे प्रमुख हैं – ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’, ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’, ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’, ‘मिशन इंडिया’, ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’ आदि।
पुरस्कार और सम्मान
देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।
मृत्यु: 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए।
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Dr. A.P.J. Abdul Kalam Biography in Hindi | डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम जीवन परिचय
डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- उनका जन्म रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था।
- कलाम के पिता एक नौका के मालिक थे, जो रामेश्वरम और धनुष्कोडी (अब निर्जन) के बीच हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जाने का कार्य करते थे।
- कलाम अपने परिवार में चार भाइयों और एक बहन से सबसे छोटे थे।
- उनके पूर्वज संपन्न व्यापारी और जमींदार थे और वे मुख्य रूप से श्रीलंका में किरयाने का व्यापार करते थे।
- तीर्थयात्रियों को श्रीलंका से पंबन के बीच नाव से यात्रा करवाने के लिए उनके परिवार को “Mara Kalam iyakkivar (wooden boat steerers)” के ख़िताब से नवाजा गया।
- वर्ष 1914 में, मुख्य भूमि (मेनलैंड) से पबंन तक ब्रिज को खोला गया, जिसके कारण उनके परिवार की आजीविका प्रभावित हुई।
- बचपन से ही कलाम ने ग़रीबी को बहुत नजदीक से देखा और महसूस किया, क्योंकि उनके माता-पिता की आय इतनी नहीं थी कि वह पूरे परिवार का पालन पोषण कर सकें। अपने परिवार की निर्धनता को देखते हुए, कलाम ने समाचार पत्रों के वितरण का कार्य करना प्रारम्भ किया। वह धनुष्कोडी मेल ट्रेन से बाहर गिरे हुए अखबारों को एकत्रित करके दुसरी ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को बेचते थे, और उसी समय विश्वयुद्ध शुरू हो गया था। विश्वयुद्ध के दौरान भी कलाम ने अपना कार्य नहीं छोड़ा।
- कलाम सिर्फ 10 वर्ष के थे, जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। एक साक्षात्कार में, कलाम ने यह खुलासा किया था कि उन्होंने युद्ध की आग को बिल्कुल समीप से महसूस किया था, क्योंकि युद्ध की आग धीरे-धीरे रामेश्वरम तक पहुंच गई थी।
- वर्ष 1960 में एमआईटी से स्नातक करने के बाद, वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में शामिल हुए और वहां एक छोटे से होवरक्राफ्टर डिजाइनर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि, कलाम डीआरडीओ में नौकरी करने से संतुष्ट नहीं थे।
- वर्ष 1963 में, कलाम ने नासा (NASA’s) के विभिन्न अंतरिक्ष केंद्रों का दौरा किया। जिनमें वर्जीनिया: Goddard Space Flight Center in Greenbelt (Maryland), Langley Research Center in Hampton; and Wallops Flight Facility.
- वर्ष 1965 में डीआरडीओ में, कलाम ने स्वतंत्र रूप से एक रॉकेट प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था।
- वर्ष 1980 में, कलाम के शैक्षिक नेतृत्व और अनुसंधान कार्य को देखते हुए, सरकार द्वारा कलाम को उन्नत मिसाइल कार्यक्रम को अपने निर्देशन में नियोजित करने का प्रस्ताव रखा गया।
- वेंकटरामन (तत्कालीन रक्षा मंत्री) ने कलाम को इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का मुख्य कार्यकारी नियुक्त किया और मिशन के लिए 388 करोड़ रुपये का आवंटन किया। इसके साथ-साथ कलाम द्वारा मिशन अग्नि और मिशन पृथ्वी सहित कई सफल मिसाइलों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की गई।
- जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक, कलाम ने प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सचिव के रूप में कार्य किया। इस अवधि के दौरान उन्होंने पोखरन -2 परमाणु परीक्षण को आयोजित किया, जिसमें कलाम ने अटल बिहारी वाजपेयी (भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री) के साथ एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और तकनीकी भूमिका अदा की।
- 1998 में, कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के सहयोग से कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट (coronary stent) विकसित किया और उसका नाम “कलाम-राजू स्टेंट” रखा। वर्ष 2012 में, दोनों ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए “कलाम-राजू टैबलेट” नामक एक टैबलेट कंप्यूटर का अविष्कार भी किया।
- एपीजे अब्दुल कलाम भारत के तीसरे राष्ट्रपति बने, जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उनसे पहले डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954) और डॉ जाकिर हुसैन (1963) ने भारत रत्न को प्राप्त कर, राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की थी।
- राष्ट्रपति भवन में निवास के दौरान, उन्होंने कहा कि “वह अपने भोजन के लिए स्वयं भुगतान करेंगे।” उसी समय जनरल केएस डोगरा (पूर्व सैन्य सचिव एपीजे अब्दुल कलाम) ने एक घटना को याद करते हुए कहा कि “उनके रिश्तेदार पहली बार उनसे मिलने आए थे, जब वे राष्ट्रपति बने। उन्होंने राष्ट्रपति भवन से कोई विशेष व्यवस्था लेने से इंकार कर दिया। अपने परिवार के साथ दिल्ली के आसपास की जगह पर घूमने के लिए एक छोटी सामान्य स्लीपर क्लास बस को किराए पर लेकर यात्रा की और जिसके लिए कलाम ने ही भुगतान किया था। हालांकि, राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति और उनके परिवार के इस्तेमाल के लिए वाहनों का एक बेड़ा है, एक अस्तबल, क्लब, अस्पताल, एक गोल्फ कोर्स है, जिसे कलाम ने कभी इस्तेमाल नहीं किया। उनका एकमात्र मनोरंजन उनकी किताबें थीं, जिसे वह मुगल गार्डन में टहलते हुए पढ़ते थे।
- सितंबर 2003 में, पीजीआई चंडीगढ़ में एक इंटरैक्टिव सत्र के दौरान उन्होंने भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता का समर्थन किया।
- वर्ष 2011 में, एक हिंदी फिल्म “आई एम कलाम” को रिलीज़ किया गया, जिसमें कलाम को ‘छोटू’ नाम के एक गरीब राजस्थानी लड़के पर सकारात्मक प्रभाव के रूप में चित्रित किया गया था।
- 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में जब वह “Creating a Livable Planet Earth” विषय पर सभा को सबोंधित कर रहे थे, तब अपने संबोधन के मात्र पांचवें मिनट में (भारतीय समयानुसार सायं 6:35 बजे) वह अचानक गिर पड़े। जब उन्हें समीप के Bethany Hospital में ले जाया गया, तो उनकी नब्ज रुकी हुई थी और उनके शरीर के जीवंत होने का कोई भी लक्षण परिलक्षित नहीं था। उसी दिन लगभग सायं 7:45 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, उनके अंतिम शब्द निम्नवत थे :- “Funny guy! Are you doing well?” जो कि उन्होंने अपने सहायक श्रीजनपाल सिंह से कहे थे।
- डॉ अब्दुल कलाम के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सम्पूर्ण भारत ने सोशल मीडिया पर उनके लिए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दुखद घटना के लिए भारत सरकार ने सात दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया। उनके निधन पर प्रणव मुखर्जी (भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति), हामिद अंसारी (भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति) और राजनाथ सिंह (भारत के वर्तमान गृह मंत्री) एवं अन्य लोगों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए, उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
- 30 जुलाई 2015 को, रामेश्वरम के Pei Karumbu Ground पर पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम क्रिया सम्पन्न की गई। उनकी अंतिम क्रिया पर नरेंद्र मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री), राहुल गांधी, तमिलनाडु के राज्यपाल और केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्रियों सहित अंतिम क्रिया में 3.5 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया।
- कलाम को अपनी मां से बहुत लगाव था, और उन्होंने अपनी आत्मकथा, “विंग्स ऑफ़ फायर” में लिखी एक कविता में अपनी मां के लिए कुछ इस प्रकार स्नेह प्रकट किया:
Mother “I still remember the day when I was ten, Sleeping on your lap to the envy of my elder brothers and sisters. It was full moon night, my world only you knew Mother!, My Mother! When at midnight, I woke with tears falling on my knee You knew the pain of your child, My Mother. Your caring hands, tenderly removing the pain Your love, your care, your faith gave me strength, To face the world without fear and with His strength. We will meet again on the great Judgment Day. My Mother
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A.P.J Abdul Kalam का जीवन परिचय | APJ Abdul Kalam Biography in Hindi
Table of contents.
APJ Abdul Kalam , जिन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम एक भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ थे, उन्होंने परमाणु हथियारों एवं मिसाइलों के निर्माण में भारत को आगे ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उनके इन्हीं महत्वपूर्ण योगदानों के कारण भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया। चलिए APJ Abdul Kalam Biography in Hindi को विस्तार से जानते हैं।
अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम था। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी, तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था।
अब्दुल कलाम के पिता का नाम जैनुलाब्दीन तथा उनकी माता का नाम आशियम्मा था अब्दुल कलाम कुल 5 भाई बहन थे जिनमें वे चार भाई और उनकी एक बड़ी बहन थी। अब्दुल कलाम अपने पांचों भाई बहनों में सबसे छोटे थे।
अब्दुल कलाम के तीन बड़े भाई जिनका नाम मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई माराइकयार, मुस्तफा कलाम और कासिम मोहम्मद था तथा उनकी बड़ी बहन का नाम आसिम ज़ोहरा था।
अब्दुल कलाम एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे उनके पिता नाव मछुआरों को किराए पर देकर अपना परिवार चलाते थे। अब्दुल कलाम की माता गृहणी थी जो घर के काम किया करतीं थी।
अब्दुल कलाम के पूर्वज कई संपत्तियों और भूमि के बड़े ट्रेडर्स के साथ धनी व्यापारी और जमींदार थे। वे श्रीलंका से किराने के सामान का व्यापार करते थे। उनका व्यापार जगह जगह फैला हुआ था।
लेकिन 1920 के दशक में उनके परिवार को व्यवसाय में बहुत बड़ा घाटा हुआ जिससे वे व्यवसाय में विफल हो गए और उसके कुछ समय बाद ही अब्दुल कलाम का जन्म हुआ उस समय वह गरीबी से जूझ रहे थे। अपने परिवार की मदद करने के लिए अब्दुल कलाम ने कम उम्र में ही अखबार बेचना शुरू कर दिया।
अब्दुल कलाम की शिक्षा और करियर | Abdul Kalam’s Education and Career
अब्दुल कलाम ने अपनी स्कूली शिक्षा स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल , रामनाथपुरम से पूरी की। इसके बाद उन्होंने 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Madras Institute of Technology) से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और 1958 में एक वैज्ञानिक के रूप में वे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में शामिल हो गए।
वर्ष 1960 की शुरुआत में अब्दुल कलाम ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान ( Indian National Committee for Space Research INCOSPAR) समिति के साथ प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के अधीन काम किया।
अब्दुल कलाम ने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने कैरियर की शुरुआत की।
और इसके बाद वर्ष 1965 में उन्होंने DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तार योग्य रॉकेट परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया। उस समय अब्दुल कलाम DRDO में अपने काम ज्यादा संतुष्ट नहीं थे लेकिन जब उन्हें 1969 में ISRO जाने का Transfer Order मिला तो वह काफी ज्यादा खुश हुए।
वहां जाकर उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया जिसने जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह को निकट पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक तैनात किया, यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान है।
वर्ष 1969 में अब्दुल कलाम ने सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया वर्ष 1970 में उन्होंने पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) को विकसित करने के उद्देश्य से एक प्रयास किया था ताकि भारत को अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रह को Sun- Synchronous Orbit में लॉन्च करने की अनुमति मिले।
और यह PSLV प्रोजेक्ट सफल रहा तथा 20 सितंबर 1993 को इसे पहली बार लांच किया गया। इसके बाद राजा रामन्ना ने अब्दुल कलाम को TBRL के प्रतिनिधि के रूप में देश के पहले परमाणु परीक्षण, Smiling Buddha के साक्षी के रूप में आमंत्रित किया!
DRDO द्वारा प्रबंधित एक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर वर्ष 1980 की शुरुआत में एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Program (IGMDP) का शुभारंभ किया। अब्दुल कलाम को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा गया और 1983 में वह IGMDP के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में DRDO में लौट आए।
कार्यक्रम में चार परियोजनाओं के विकास के लिए नेतृत्व किया गया जिसका नाम है Short Range Surface-to-Surface Missile (Prithvi), Short Range low-level Surface-to-Air Missile (Trishul), Medium Range Surface-to-Air Missile (Akash) और Third-Generation Anti-Tank Missile (Nag).
अब्दुल कलाम के नेतृत्व में IGMDP परियोजना (Project) 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित हुई। उनके योगदान के कारण उन्हें “भारत के मिसाइल मैन” के रूप में जाना जाता है !
वर्ष 1992 में अब्दुल कलाम को रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार (Scientific Adviser) के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद वर्ष 1999 में उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद के साथ भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
भारत के राष्ट्रपति के रूप में एपीजे अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam as President of India
वर्ष 2002 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance NDA) सत्ता में था और भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को नामित किया था। एक लोकप्रिय राष्ट्रीय व्यक्ति होने के नाते उन्होंने आसानी से राष्ट्रपति चुनाव जीता लिया।
अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया । वह राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने वाले पहले वैज्ञानिक और पहले स्नातक थे।
अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे। इसके बाद कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु, जो दिसंबर 2001 में संसद हमलों के लिए दोषी ठहराया गया था, उसमे 21 में से 20 दया याचिकाओं के भाग्य का फैसला करने में उनकी निष्क्रियता के लिए उनकी आलोचना की गई थी।
जिसके बाद उन्होंने 2007 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति पद छोड़ दिया।
राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद अब्दुल कलाम का सफ़र :
राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद अब्दुल कलाम ने अकादमिक क्षेत्र को चुना और भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर, भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के मानद साथी के रूप में Visiting Professor बने।
उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम के चांसलर, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक के रूप में भी काम किया।
वर्ष 2011 में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Koodankulam Nuclear Power Plant) पर उनके रुख को लेकर नागरिक समूहों द्वारा उनकी आलोचना की गई क्योंकि उन्होंने परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया था और उन पर स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया गया।
अब्दुल कलाम की मृत्यु | Death of Abdul Kalam
27 जुलाई 2015 को अब्दुल कलाम IIM शिलॉन्ग में एक व्याख्यान दे रहे थे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी स्थिति गंभीर हो गई, इसके बाद उन्हें तुरंत बेथानी अस्पताल में ले जाया गया, जहां कुछ देर बाद उनकी मृत्यु हो गई। 84 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया! इस दुखद खबर के बाद सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी और 30 जुलाई 2015 को अब्दुल कलाम का उनके पैत्रक गाँव रामेश्वरम में अंतिम संस्कार किया गया!
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अब्दुल कलाम की उपलब्धियां एवं पुरस्कार | Abdul Kalam’s Achievements and Awards
अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गयी प्रमुख किताबें | abdul kalam’s books, अब्दुल कलाम के प्रसिद्ध विचार | abdul kalam quotes in hindi.
- अपनी पहली जीत के बाद आराम मत करो क्योंकि अगर आप दूसरे में असफल होते हैं, तो सभी लोगों के होंठ यह कहने के लिए इंतजार कर रहे हैं कि आपकी पहली जीत सिर्फ भाग्य थी।
- इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे।
- युवाओं को मेरा सन्देश है कि अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें, अपना रास्ता खुद बनायें, असंभव को हासिल करें।
- आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदल सकते है और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देंगी।
- यदि चार बातों का पालन किया जाए – एक महान लक्ष्य बनाया जाए, ज्ञान अर्जित किया जाए, कड़ी मेहनत की जाए, और दृढ रहा जाए – तो कुछ भी हासिल किया जा सकता हैं।
- अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलो।
- विज्ञान मानवता के लिए एक खूबसूरत तोहफा है, हमें इसे बिगाड़ना नहीं चाहिए।
- शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है जो किसी व्यक्ति के चरित्र, क्षमता, और भविष्य को आकार देता हैं। अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद रखते हैं, तो मेरे लिए ये सबसे बड़ा सम्मान होगा।
- महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।
- आइये हम अपने आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके।
- इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये ज़रूरी हैं।
- अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।
- शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
- तब तक लड़ना मत छोड़ो जब तक अपनी तय की हुई जगह पर ना पहुँच जाओ- यही, अद्वितीय हो तुम। ज़िन्दगी में एक लक्ष्य रखो, लगातार ज्ञान प्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो, और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए दृढ रहो।
- जो अपने दिल से काम नहीं कर सकते वे हासिल करते हैं, लेकिन बस खोखली चीजें, अधूरे मन से मिली सफलता अपने आस-पास कड़वाहट पैदा करती हैं।
- किसी भी मिशन की सफलता के लिए, रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक हैं।
- इंतजार करने वाले को उतना ही मिलता हैं, जितना कोशिश करनेवाले छोड़ देते हैं।
- जब तक भारत दुनिया के सामने खड़ा नहीं होता, कोई हमारी इज्जत नहीं करेगा। इस दुनिया में, डर की कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती हैं।
- जीवन एक कठिन खेल हैं। आप एक व्यक्ति होने के अपने जन्मसिद्ध अधिकार को बनाये रखकर इसे जीत सकते हैं।
- पक्षी अपने ही जीवन और प्रेरणा द्वारा संचालित होता हैं।
- महान शिक्षक ज्ञान, जूनून और करुणा से निर्मित होते हैं।
- किसी विद्यार्थी की सबसे ज़रूरी विशेषताओं में से एक है पश्न पूछना। विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने दीजिये।
- यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा।
- मैं 18 मिलियन यूथ्स से मिला हूँ, और हर एक यूनीक बनना चाहता हैं।
- जिस दिन हमारे सिग्नेचर ऑटोग्राफ में बदल जायें, उस दिन मान लीजिये आप कामयाब हो गये।
- हम केवल तभी याद किये जायेंगे जब हम हमारी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दें, जो आर्थिक समृद्धि और सभ्यता की विरासत का परिणाम होगा।
- निपुणता एक सतत प्रक्रिया है कोई दुर्घटना नहीं।
- एक लोकतंत्र में, देश की समग्र समृद्धि, शांति और ख़ुशी के लिए हर एक नागरिक की कुशलता, वैयक्तिकता और ख़ुशी आवश्यक हैं।
- आकाश की तरफ देखिये। हम अकेले नहीं हैं। सारा ब्रह्माण्ड हमारे लिए अनुकूल है और जो सपने देखते है और मेहनत करते है उन्हें प्रतिफल देने की साजिश करता हैं।
- बारिश के दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है, लेकिन बाज बादलों के ऊपर उड़कर बादलों को ही अवॉयड कर देते हैं। समस्यायें कॉमन है, लेकिन आपका एटीट्यूड इनमें डिफरेंस पैदा करता हैं।
- चलिए मैं एक लीडर को परिभाषित करता हूँ। उसमे एक विजन और पैशन होना चाहिए और उसे किसी समस्या से डरना नहीं चाहिये। बल्कि, उसे पता होना चाहिए कि इसे हराना कैसे हैं। सबसे ज़रूरी, उसे ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए।
- असली शिक्षा एक इंसान की गरिमा को बढ़ाती है और उसके स्वाभिमान में वृद्धि करती है। यदि हर इंसान द्वारा शिक्षा के वास्तविक अर्थ को समझ लिया जाता और उसे मानव गतिविधि के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाता, तो ये दुनिया रहने के लिए कहीं अच्छी जगह होती।
- जब हम बाधाओं का सामना करते हैं, हम अपने साहस और फिर से खड़े होने की ताकत के छिपे हुए भण्डार को खोज पाते हैं, जिनका हमें पता नहीं होता कि वो हैं। और केवल तब जब हम असफल होते हैं, एहसास होता है कि संसाधन हमेशा से हमारे पास थे। हमें केवल उन्हें खोजने और अपनी जीवन में आगे बढ़ने की ज़रूरत होती हैं।
- मुझे पूरा यकीन है कि जब तक किसी ने नाकामयाबी की कड़वी गोली न चखी हो, वो कायमाबी के लिए पर्याप्त महत्वाकांक्षा नहीं रख सकता।
- मेरा संदेश, विशेष रूप से युवाओं के लिए है, कि वे अलग सोचने का साहस रखें, आविष्कार करने का साहस रखें, अनदेखे रास्तों पर चलने का साहस रखें, असंभव को खोजने और समस्याओं पर जीत हासिल करके सफल होने का साहस रखें। ये महान गुण हैं जिनके लिए उन्हें ज़रूर काम करना चाहिए। युवाओं के लिए ये मेरा सन्देश हैं।
Short Biography Of APJ Abdul Kalam in Hindi
अंतिम शब्द :.
Dr. APJ Abdul Kalam ने भारत को विज्ञान के युग में आगे लेकर जाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया कलाम जी के इन बहुमूल्य योगदानो को कभी भुलाया नहीं जा सकता, कलाम जी ने भारत को हर एक क्षेत्र में मजबूत बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई! Dr. APJ Abdul Kalam सभी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं हमें उनके किये गए कार्यों एवं उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए, भारत के विकास में Dr. APJ Abdul Kalam की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है!
आपको APJ Abdul Kalam biography in Hindi, Biography of APJ Abdul Kalam in Hindi के बारे में जानकार कैसा लगा हमें Comment Box में अवश्य बताएं!
एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम क्या है?
अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम।
एपीजे अब्दुल कलाम का उपनाम क्या था?
भारत के मिसाइल मैन।
एपीजे अब्दुल कलाम का पेशा क्या था?
यरोस्पेस वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ और लेखक।
कलाम ने भारत के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के निदेशक भी थे।
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APJ Abdul Kalam Biography in Hindi – ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जीवनी
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का परिचय – APJ Abdul Kalam Biography in Hindi –
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक विलक्षण व्यक्तित्व, महान बैज्ञानिक, राजनेता, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति थे। (apj abdul kalam biography in hindi) उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था, जो की एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं।
उनके परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके चलते उनको बचपन से ही काम करना पड़ा, पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का काम करते थे। स्कूली शिक्षा के समय से ही कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे।
उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा “रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल” से पूरी की और बाद में वे तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिए जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया, उसके उपरान्त वो (1955) में मद्रास चले गए। जहाँ उन्होंने “एयरोस्पेस इंजीनियरिंग” की शिक्षा ग्रहण की, 1960 में कलाम साहब ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर ली।
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ऐसे ब्याक्तित्व के ब्यक्ति थे जिनको सभी लोग प्यार करते है, आज वो इस दुनिया में नहीं है फिर भी उनको लोग बहुत याद करते है उनको भारत का मिसाइलमैन भी कहा जाता है आज उनके नाम से भारत में कई तरह के एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी बनाये गए है जो उनके महान ब्यक्तित्व को चिन्हित करता है। कलाम साहब एक महान ब्याक्तित्व के बैज्ञानिक एवं राजनेता थे। कलाम साहब का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम था। उनको लोग कलाम के नाम से ज्यादा जानतें थे।
कलाम साहब के बारे में इंग्लिश में पढ़ने ले लिए यहाँ क्लिक करें – A. P. J. Abdul Kalam
APJ अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान डीआरडीओ और इसरो (DRDO & ISRO) में भी काम किया था। उनको लोग एक बहुत ही अच्छा बैज्ञानिक मानते थे साथ में एक अच्छा और जनता का राष्ट्रपति भी। उन्होंने 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम (Missile Development Program) के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। 2002 में कलाम साहब को देश का 11वां राष्ट्रपति चुना गया। राष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद वो शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
APJ Abdul Kalam (Biographical Sketch Information) Hindi –
अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी 1970 और 1980 के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए थे। एक नजर कलाम साहब के बारे में…
नाम – अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी जन्म – 15 अक्टूबर , 1931 मृत्यु – 27 जुलाई, 2015, शिलोंग, मेघालय धर्म – इस्लाम जन्म स्थान – रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत माता पिता – आशियम्मा जैनुलाब्दीन शिक्षा – सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पेशा – प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक एयरोस्पेस इंजीनियर राष्ट्रपति – 25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007 पद/कार्य – भारत के पूर्व राष्ट्रपति वेबसाइट – http://www.abdulkalam.com/
APJ Abdul Kalam वैज्ञानिक जीवन –
- 1972 में कलाम साहब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े।
- कलाम साहब परियोजना महानिदेशक के रूप में पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाया।
- 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था।
- कलाम साहब 1980 के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गये।
- ISRO लॉन्च व्हीकल Program को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है।
- कलाम साहब ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया था।
- इन्होने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।
- कलाम साहब July 1992 से Dec 1999 तक Defence Minister के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे।
- इन्होने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता में भी अपना बहुत अधिक योग्यदान दिया था।
- कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक बनाने के लिए कई प्रयास किये।
- भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
- सन 1982 में कलाम साहब भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये।
- उन्होंने “गाइडेड मिसाइल” का भी विकास किया।
- अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय भी काफी हद तक उन्हीं को जाता है।
- July 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये, उनकी देख रेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
APJ Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति के रूप में –
- एपीजे अब्दुल कलाम ने 25 July 2002 को भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया।
- राष्ट्रपति भवन में जाने वाले देश के पहले बैज्ञानिक और पहले स्नातक बने।
- अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे।
- युवा लोगों के साथ एक-से-एक बैठकें आयोजित करने उन्होंने उनको प्रेरित किया, जिसमे उनको सर्वश्रेष्ठ सफलता भी मिली।
- समय के साथ उनको “जनवादी राष्ट्रपति” के रूप में जाना जाने लगा।
- 2007 में, उन्होंने फिर से President चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया।
APJ Abdul Kalam – पोस्ट प्रेसीडेंसी के रूप में
- राष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद कलाम साहब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलॉन्ग (IIM Shillong), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (IIM Ahamdabad) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट इंदौर (IIM Indore) सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में विजिटिंग प्रोफेसर बने।
- राष्ट्रपति पद को छोड़ने के बाद कई वर्षों के बाद उनको अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी सिखाते हुए देखा गया उन्होंने BHU और अन्ना विश्वविद्यालय में भी प्रौद्योगिकी के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम के चांसलर के रूप में भी कार्य किया।
- वर्ष 2012 में, उन्होंने युवाओं में एक “देने” (“giving” attitude) के दृष्टिकोण को विकसित करने और छोटे लेकिन सकारात्मक कदम उठाकर उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ‘व्हाट कैन आई मूवमेंट’ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया।
APJ Abdul Kalam पुरस्कार और उपलब्धियां –
- कलाम साहब को भारत की ओर से पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया था, उन्होंने क्रमशः 1981, 1990 और 1997 के वर्षों में समान प्राप्त किया।
- वर्ष 1997 में, उन्हें India Govt द्वारा राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- Next Year उन्हें भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- Alwar रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने वर्ष 2000 में कलाम को रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया।
- वर्ष 2007 में कलाम साहब को रॉयल सोसाइटी, UK द्वारा “किंग चार्ल्स मेडल” से सम्मानित किया गया था।
- वर्ष 2008 में, उन्होंने ASME फाउंडेशन, यूएसए द्वारा दिया गया हूवर मेडल जीता।
- California इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए (USA) ने कलाम को वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय वॉन कर्मन विंग्स पुरस्कार से सम्मानित किया।
- IEEE ने कलाम को वर्ष 2011 में IEEE मानद सदस्यता से सम्मानित किया।
- कलाम 40 विश्वविद्यालयों (Universities) के मानद डॉक्टरेट के गौरव प्राप्त करने वाले थे।
- इसके अतरिक्त संयुक्त राष्ट्र द्वारा कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व छात्र दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी।
- कलाम साहब को वर्ष 2003 और 2006 में MTV यूथ आइकॉन ऑफ़ द ईयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था।
कलाम साहब द्वारा लिखी गई पुस्तकें – जो पूरी दुनिया के लोग पढ़ते है –
Wings Of Fire, India 2020 – ‘इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम’, तथा ‘इग्नाटिड माइंड्स– अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’।
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(1350 Words)
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"जीवनचरित- आपकी कहानी, हमारे अक्षरों में"
Dr. APJ Abdul Kalam Biography- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी
APJ Abdul kalam biography- महान व्यक्तित्व हर दिन पैदा नहीं होते बल्कि सदी में एक बार पैदा होते हैं और आने वाली सहस्राब्दियों तक याद किए जाते हैं। ऐसे ही एक महान व्यक्ति पर जिस पर हमें हमेशा गर्व रहेगा, वो हैं डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम।
उनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम था, जिन्होंने 15 अक्टूबर 1931 को मद्रास प्रेसीडेंसी के रामेश्वरम में जन्म लिया था, और उनकी मृत्यु 27 जुलाई 2015 को शिलांग में हुई थी।
वे एक भारतीय वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक प्रख्यात राजनीतिज्ञ भी थे, जो बाद में भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने भारतीय मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया।
Table of Contents
डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम की जीवनी – उनके परिवार और संघर्षपूर्ण जीवन के बारे में
डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म एक गरीब तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। वह अपने परिवार के साथ तमिलनाडु के मंदिरों के शहर, रामेश्वरम में रहते थे, जहाँ उनके पिता जैनुलाब्दीन के पास एक नाव थी और वह एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे। वहीं, उनकी मां अशिअम्मा एक गृहिणी थीं। कलाम के परिवार में उनके चार भाई और एक बहन थी, और वह उनमें सबसे छोटे थे।
कलाम के पूर्वज धनी व्यापारी और ज़मींदार थे और उनके पास विशाल भूमि और संपत्ति थे। लेकिन समय के साथ, पंबन ब्रिज के खुलने के कारण तीर्थयात्रियों को लाने-ले जाने और उनके किराने के व्यापार में भारी नुकसान हो गया। इसके परिणामस्वरूप, कलाम के परिवार को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और जीविकोपार्जन के लिए मुश्किल संघर्ष करना पड़ा। बचपन में ही, कलाम ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अखबार बेचने का काम किया।
कलाम की शैक्षिक पृष्ठभूमि- Educational Background of Kalam
यद्यपि कलाम के स्कूली अंक औसत थे, लेकिन उनकी अद्वितीय मेहनत और अत्यंत उत्कृष्ट शिक्षा के प्रति उनका विशेष रुचि था। वे अपने अध्ययन के प्रति अत्यधिक समर्पण दिखाते थे और उनमें सीखने की अत्यधिक इच्छा थी। कलाम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद गणित विषय में विशेष रुचि का विकास किया।
उन्होंने श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल को छोड़ दिया और सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली में अपनी शिक्षा जारी रखी। सेंट जोसेफ कॉलेज से उन्होंने 1954 में भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1955 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए मद्रास जाने का निर्णय लिया।
एक वैज्ञानिक के रूप में कलाम- Kalam as a Scientist
स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम ने 1960 में डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। उनके पैथशला वर्षों की शुरुआत एक छोटे होवरक्राफ्ट के डिज़ाइन काम से हुई। हालांकि, वे डीआरडीओ में अपनी नौकरी से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे।
1969 में, कलाम को इसरो में स्थानांतरित किया गया जहां उन्होंने भारत के पहले उपग्रह वाहन प्रक्षेपण के परियोजना निदेशक के रूप में काम किया। उपग्रह वाहन ने जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी के निकट की कक्षा में सफलतापूर्वक तैनात किया।
1970-90 के दशक में, कलाम को सरकार की एलवी और एसएलवी परियोजनाओं का हिस्सा बनने का अवसर मिला। उन्होंने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलिएंट जैसी दो परियोजनाओं का निर्देशन किया जिनका उद्देश्य बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक का विकास था। कलाम ने अनोखे तरीके से प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी को राजी किया और इन एयरोस्पेस परियोजनाओं के लिए गुप्त वित्त की मांग की। उनके वैज्ञानिक ज्ञान ने उन्हें और देश को 1980 के दशक में विशेष पहचान दिलाई।
इसके बाद, कलाम ने 1992 में रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्ति प्राप्त की और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के पद पर उन्नत होने से पहले पांच वर्ष तक उसी पद पर काम किया।
कलाम अब एक राष्ट्रीय नेता थे, जिन्हें आने वाले पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा। हालांकि, उनके द्वारा किए गए परीक्षणों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उत्कृष्ट हलचल पैदा की।
कलाम ने “टेक्नोलॉजी विजन 2020” नामक राष्ट्रव्यापी योजना को आगे बढ़ाया, जिसमें वे उन्नत तकनीक की सहायता लेकर, स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने और जनता की शिक्षा को प्राथमिकता देने की कल्पना करते थे।
कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे- Kalam as the 11th President of India
सर कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने के वाकई योग्य थे। उन्होंने 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक के अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय राष्ट्रपति के पद का निर्वाहन किया। उन्होंने 2002 में बड़े अंतर से राष्ट्रपति चुनाव जीतकर यह पद प्राप्त किया था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया और इसे समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का समर्थन भी था।
सर कलाम को लोग “मानवरूप राष्ट्रपति” कहते थे क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान लोगों के कल्याण के लिए और पूरे देश में अनगिनत कार्य किए थे। उनकी साहसी और संवेदनशील नेतृत्व के बजाय उन्होंने हमेशा उचित निर्णय लेने और उन्हें अमल में लाने की प्रवृत्ति रखी थी, चाहे वह कितने ही कठिन या विवादास्पद क्यों न हों।
वे विशेष रूप से गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य को पूरा करने में “लाभ का पद” की तरह कठिन विधियों के बावजूद हस्ताक्षर किए। उन्होंने 2005 में बिहार में राष्ट्रपति शासन स्थापित करने के लिए बड़े राष्ट्रपति शासन में भी अपना योगदान दिया।
सर कलाम ने एक बार फिर इस पद को संभालने की इच्छा जताई, लेकिन बाद में उन्होंने अपना निर्णय बदल लिया। उन्होंने अपने कार्यालय से विदाई ली और शिलांग में भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सेवा की शुरूआत की। उन्होंने तमिलनाडु के अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में काम किया और अपनी उपस्थिति और ज्ञान से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंदौर और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ बेंगलुरु जैसे शैक्षणिक संस्थानों को भी प्रेरित किया।
सर कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के चांसलर के रूप में भी सेवा की। 2012 में, उन्होंने “व्हाट कैन आई गिव?” एक पहल की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए मेहनत की।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की रचनाएँ- Writings of Dr. APJ Abdul Kalam
डॉ. अब्दुल कलाम एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल एक महान राजनीतिक नेता बल्कि एक उत्कृष्ट शिक्षक और लेखक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनमें अनेक सूक्ष्म गुण और दूरदर्शी दृष्टि थी। वे हमेशा देश के विकास के लिए एक महान सपना देखते थे और महसूस करते थे कि युवा पीढ़ी इसके प्रति अपना सहयोग दे सकती है।
अपने विश्वविद्यालय करियर के दौरान, उन्होंने अपने प्रेरणादायक भाषणों और दूरदर्शी विचारों से कई छात्रों को प्रेरित किया। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी, जो मुख्य रूप से देश के सशक्तिकरण और विकास को समर्पित थीं।
वह कई प्रसिद्ध पुस्तकों के लेखक रहे, जैसे “इंडिया 2010,” “टच्ड ऑफ माइंड्स,” “मिशन इंडिया,” “द ल्यूमिनस स्पार्क्स,” “विंग्स ऑफ फायर,” और “मूविंग थॉट्स.” उनके लेखन कौशल और विचारशीलता का परिचय हमें उनकी यथासंभाव प्रेरणा देता है।
उनकी किताब “इंडिया 2020” हमारे लिए एक उपहार की तरह थी जिसमें उन्होंने भारत को महाशक्ति बनाने के लिए सभी रणनीतियों को विस्तार से प्रस्तुत किया था। उन्होंने इस पुस्तक में मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में खाद्य और विकास, स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधाओं को सुधारने, उन्नत सूचना और संचार प्रणाली, मजबूत आधारिक संरचना, बिजली उत्पादन में वृद्धि, और कई उन्नत प्रौद्योगिकियों के साथ आत्मनिर्भरता जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया था।
डॉ. कलाम का जीवन और कार्य, आदर्शों और प्रेरणाओं से भरा हुआ है और वे हमारे सभी लोगों के लिए एक महान उदाहरण हैं।
अब्दुल कलाम की उपलब्धियाँ- Achievements of Abdul Kalam
अब्दुल कलाम वे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने उद्यान जीवन में अनगिनत पुरस्कार और सम्मान हासिल किए और अपनी उपलब्धियों से लोगों को प्रेरित किया। 1981 में, उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1990 में, उन्हें फिर से पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके अत्युत्तम योगदान के कारण, उन्हें 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, और उसी वर्ष, उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1998 में, भारत सरकार ने कलाम को वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया, और उनके वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी योगदान के लिए 2000 में सस्त्र रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अंत में, 2013 में, उन्होंने राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसायटी द्वारा दिलाया गया ब्रौन पुरस्कार से अपने प्रतिष्ठित व्यक्तित्व को और भी ऊंचा स्तर पर पहुंचाया।
डॉ. अब्दुल कलाम का व्यवसाय- Abdul Kalam’s Profession
डॉ. कलाम वह व्यक्ति थे जिन्होंने विज्ञान और यांत्रिकी के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने हमें विश्वास दिलाया कि विज्ञान से हम असीमित समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं। उनके अतीत के योगदान ने हमें परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में स्वायत्तता दिलाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसे हम गर्व से याद कर सकते हैं।
डॉ. कलाम की अद्वितीय प्रतिबद्धता ने भारत को परमाणु शक्ति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया और उन्होंने यह सिद्ध किया कि हमारा देश विश्व सामरिक संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उनके प्रेरणास्पद काम ने हमारी अंतर्राष्ट्रीय भूमिका को नया दिशा देने में मदद की।
अब्दुल कलाम के योगदान और महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ- Abdul kalam’s Grants and Accomplishments
डॉ. अब्दुल कलाम को उनके योगदान और महत्वपूर्ण संस्थानों के कारण सरकार ने कई उच्च सम्मानों से सम्मानित किया। उनमें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, और भारत रत्न शामिल हैं। वर्ष 1997 में, उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 1998 में वीर सावरकर पुरस्कार और वर्ष 2000 में रामानुजन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
डॉ. कलाम को विशेषज्ञता और योगदान के आधार पर दुनिया भर के 40 कॉलेजों से डॉक्टरेट की उपाधि मिली जो उनकी महानता को पुनर्निर्माण करती है। उनकी सम्मान और उपलब्धियाँ एक उत्कृष्ट जीवन का वर्णन करती हैं, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपने अनोखे योगदान के लिए समर्पित किया।
कलाम के कार्य और प्रेरणा- Kalam’s Works and Motivation
डॉ. अब्दुल कलाम के कार्य और उनकी प्रेरणा ने दुनियाभर के लोगों को प्रभावित किया। उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने योगदान की ओर बढ़ने का प्रयास शामिल है।
उन्होंने भारत के प्रमुख परमाणु अनुसंधान कार्यों में अपने सुदृढ योगदान से एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उनके परमाणु अनुसंधान कार्यों के परिणामस्वरूप, वर्ष 1974 में भारत ने परमाणु शक्ति की घोषणा की और दुनिया को अपनी अद्वितीय शक्ति की ओर दिशा देने में सफल रहा।
उन्होंने अपने विचारों और विज्ञानिक ज्ञान के माध्यम से अनगिनत लोगों को प्रेरित किया और उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने क्षमता का उपयोग करने की प्रेरणा दी।
डॉ. कलाम के जीवन और कार्य का परिचय हमें दिखाता है कि किसी भी क्षेत्र में अद्वितीय योगदान और समर्पण से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, चाहे वो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, या राजनीति का क्षेत्र क्यों ना हो।
कलाम के कार्य और उनकी प्रेरणा ने दुनिया को यह सिखाया कि संघर्ष और समर्पण से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छू सकते हैं।
कुछ रोचक तथ्य- Some Interesting Facts
आइए अब हम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में कुछ नए और रोचक तथ्य जाने।
- जन्म: अब्दुल कलाम का जन्म एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था, जो तमिलनाडु के रामेश्वरम नामक स्थान पर हुआ था।
- नाम का अर्थ: उनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था, जिसका अर्थ होता है “धर्मिक और सच्चे दिलवाला व्यक्ति”।
- शाकाहारी: यह रोचक तथ्य है कि अब्दुल कलाम शाकाहारी थे, और उन्होंने अपने जीवन में इसे अपनाया। उन्होंने कहा, “मुझे वित्तीय बाधाओं के कारण शाकाहारी बनने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन अंततः मुझे इसका आनंद मिला।” आज, वे पूर्ण शाकाहारी थे।
- पहले अविवाहित राष्ट्रपति: डॉ. अब्दुल कलाम भारत के पहले अविवाहित राष्ट्रपति थे और उन्होंने अपने कार्यकाल में राष्ट्रपति के रूप में अद्वितीय योगदान दिया।
- बच्चों के बीच लोकप्रियता: अब्दुल कलाम बच्चों के बीच अपनी अपनीयता और सादगी के साथ बहुत पॉप्युलर थे। उन्होंने बच्चों को ज्ञान और विज्ञान के प्रति प्रोत्साहित किया।
- ‘विंग्स ऑफ फायर’: उनकी आत्मकथा ‘विंग्स ऑफ फायर’ शुरू में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हुई थी, लेकिन बाद में यह किताब 13 अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित हुई। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनका संदेश विश्वभर में पहुंचा।
- महान वैज्ञानिक: अब्दुल कलाम का जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा था, लेकिन वे प्रतिकूलताओं से ऊपर उठकर आधुनिक भारत के महानतम वैज्ञानिकों में से एक बने। राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को भावी पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।
अब्दुल कलाम का निधन- The Demise of Abdul Kalam
अब्दुल कलाम वह व्यक्ति थे जो हम सभी मानवों की तरह थे, लेकिन उन्होंने अपने देश के लिए अपना सबकुछ समर्पित करने का निर्णय लिया। उनका जीवन एक अद्भुत प्रेरणास्पद था, और उनकी 83 साल की आयु में हुई दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु समस्त देशवासियों के लिए एक विशाल क्षति थी। उनकी इस दुखद निधन ने पूरे देश को शोकमय बना दिया, क्योंकि एक महान आत्मा हमें छोड़कर चली गई थी।
अब्दुल कलाम ने आईआईएम(IIM) शिलांग के एक कार्यक्रम में भाषण दिया था, जो युवाओं के लिए मोटिवेशनल था। इस भाषण के बीच में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे गिर पड़े। हालांकि उन्हें तुरंत शिलांग के सर्वश्रेष्ठ अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। उसके बाद, उनकी दिल की धड़कन रुकने के बाद, उनके शरीर को हवाई मार्ग से गुवाहाटी से नई दिल्ली ले जाया गया, जहां से एयरफोर्स के विमान द्वारा उन्हें आखिरी यात्रा पर भेजा गया।
उनके निधन के बाद, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई अन्य नेताओं ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। फिर उनके शरीर को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया और उनके गृहनगर लाया गया। उनके अंतिम संस्कार कार्यक्रम में लगभग 35000 लोग शामिल हुए और सभी ने उन महान आत्मा के लिए प्रार्थना की।
सारांश- Summary
2002 में, अब्दुल कलाम को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उनके प्रतिस्पर्धी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सहायता से भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के तौर पर चुना गया था। उन्हें आमतौर पर “जनता का राष्ट्रपति” के रूप में जाना जाता है।
अपने जीवन में, वे एक वैज्ञानिक और विज्ञान प्रशासक के रूप में मशहूर थे, खासकर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में चार दशक तक कार्य किया। उन्होंने भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सेना मिसाइल सुधार प्रयासों के साथ-साथ अपनी नज़रों में एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत की कल्पना की।
अब्दुल कलाम के एक कार्यकाल के बाद, वे स्कूली शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक क्षेत्र में अपनी नागरिक जीवनशैली के लिए वापस चले गए। उन्हें उनके प्रतिष्ठित कार्य के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
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डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय हिंदि मे । A P J Abdul Kalam Biography in Hindi
इस लेख में, हम आपको एक भारतीय वैज्ञानिक, इंजिनियर और मिसाइल मैन कहे जाने वाले भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की उम्र, विकी और जीवनी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। इसके अलावा, आप लेख के अंत तक डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के परिवार की तस्वीरें देख सकते हैं। तो, आइए हम उनके व्यक्तिगत , व्यावसायिक और राजनीतिक जीवन पर एक नज़र डालें।
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी, तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता आशिमा एक गृहणी थीं। डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलआबदीन अब्दुल कलाम है। ये कुल पांच भाई बहन थे, तीन बड़े भाई और एक बड़ी बहन थी।
अब्दुल कलाम के पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे और इसी कारन इनके पिता अपनी नाव मछुआरों को देकर मिलने वाले पैसे से अपना घर चलाते थे जिसके चलते उनको तथा उनके परिवार को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
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महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं। Great dreams of great dreamers are always transcended.
इसी सब कारन के चलते अब्दुल कलाम घर घर जाकर अखबार बांटने लगे तथा उन पैसों से अपने स्कूल की फीस भरते थे उन्हें विरासत में केवल गरीबी ही मिली थी। स्कूल के दिनों में कलाम पढ़ाई लिखाई में सामान्य थे पर नई चीजें सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनमें सीखने की भूख थी और वह अपनी पढ़ाई पर घंटों ध्यान देते थे।
उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की।
पढ़ाई पुरी करने के बाद कलाम का बस एक ही सपना था एक फाइटर पायलट बनना पर किश्मत उनको कुछ बरा बनाना चाहती थी फिर Air Force की इंटरव्यू के लिए देहरादून गए। वहाँ इंटरव्यू में आए 25 Candidates में 9वां स्थान आया। जबकि जरूरत 8 candidates की थी।
फिर कलाम दिल्ली आ गए और उसके पश्चात् ही वे DRDO से विज्ञानिक के रूप में जुड़े और शुरुवात में उन्होंने छोटे हेलीकाप्टर डिजाईन कारने में अपना अहम् योगदान दिया।
अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति (Indian National Committee for Space Research – INCOSPAR) का हिस्सा होने के कारन उनको भारत के महान वैज्ञानिक जैसे विक्रम साराभाई जैसे लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। 1969 में उन्हें ISRO भेज दिया गया जहाँ उन्होंने परियोजना निदेशक (Project Director) के पद पर काम किया।
इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे। You have to dream before your dreams can come true.
1980 में भारत सरकार ने एक आधुनिक मिसाइल प्रोग्राम(Advanced missile program) अब्दुल कलाम जी डायरेक्शन से शुरू करने का सोचा इसलिए उन्होंने दोबारा DRDO में भेजा। उसके बाद एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Program -IGMDP) कलाम जी के मुख्य कार्यकारी के रूप में शुरू किया गया। अब्दुल कलाम जी के निर्देशों से ही अग्नि मिसाइल, पृथ्वी जैसे मिसाइल का बनाना सफल हुआ।
एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया
उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है।
उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 18 जुलाई 2002 को एपीजे अब्दुल कलामजी ने राष्ट्रपति पद की शपत ली। कलाम जी कभी भी राजनिति से नहीं जुड़े रहे फिर भी वे भारत के सर्वोच्य राष्ट्रपति पद पर विराजमान रहे।
>>> जयप्रकाश नारायण के जीवन के बारे में यहा पढ़े
27 जुलाई 2015 को उनका निधन मेघालय के शिलांग में हुआ था। यहां वे एक कॉलेज लेक्चर देने गए थे। मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर दे रहे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा, आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अफसोस डॉक्टरों की टीम उन्हें बचा नहीं सकी।
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की मृत्यु
मृत्यु के बाद 28 जुलाई को उन्हें मेघालय के शिलांग से दिल्ली लाया गया, जहाँ उन्हें दिल्ली के घर में आम जनका के दर्शन के लिए रखा गया। यहाँ सभी बड़े नेता ने आकर उन्हें श्रधांजलि दी। इसके बाद उन्हें उनके गाँव एयरबस के द्वारा ले जाया गया। 30 जुलाई 2015 को कलाम जी का अंतिम संस्कार उनके पैत्रक गाँव रामेश्वरम के पास हुआ।
आज के बहुत से युवा एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानते है. छोटे से गाँव में जन्म ले कर इनती ऊचाई तक पहुचना कोई आसान बात नहीं ।
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भौतिक अवस्था ( Apj Abdul Kalam physical state )
इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने कि लिए ये ज़रूरी हैं। Man needs his difficulties because they are necessary to enjoy success.
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम सम्मानित अवार्ड
1981 -: पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
1990 -: पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
1997 -: भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1998 -: वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2007 -: ब्रिटेन रॉयल सोसाइटी द्वारा किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल से सम्मानित किया गया।
2009 -: अमेरिका एएसएमई फाउंडेशन (ASME Foundation) द्वारा हूवर मेडल से सम्मानित किया गया।
2013 -: वॉन ब्रौन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2014 -: एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस उपाधि से नवाजा गया।
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के द्वारा लिखी कुछ पुस्तके
- इंडिया 2020 – ए विशन फॉर दी न्यू मिलेनियम
- इग्नाइटेड माइंड
- विंग्स ऑफ़ फायर – ऑटोबायोग्राफी
- ए मेनिफेस्टो फॉर चेंज
- मिशन इंडिया
- इन्सपारिंग थोट
- यू आर बोर्न टू ब्लॉसम
- दी लुमीनस स्पार्क
- एडवांटेज इंडिया
Note: – Apj Abdul Kalam Biography in hindi कैसी लगी आपको प्लीज कमेंट करके जरूर बताएं और हमारे द्वारा लिखे गए आर्टिकल में आपको कोई भी कमी नजर आती है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं हम उसमें सुधार करके अपडेट कर देंगे। अगर आपको हमारे लेख पसंद आए तो इसे Facebook, WhatsApp और अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें !
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एपीजे अब्दुल कलाम जीवनी – बचपन, भारत के पूर्व राष्ट्रपति का जीवन इतिहास
Table of Contents
अब्दुल कलाम के बारे में जानकारी
APJ Abdul kalam in hindi
भारत के 11 वें राष्ट्रपति (25 जुलाई, 2002 – 25 जुलाई, 2007)
जन्म तिथि : 15 अक्टूबर, 1931
जन्म स्थान : रामेश्वरम, रामनाद जिला, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
माता-पिता : जैनुलाब्दीन (पिता) और आशियम्मा (माता)
जीवनसाथी : अविवाहित रहे
शिक्षा : सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली; मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
पेशा : प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक
निधन : 27 जुलाई, 2015
मृत्यु का स्थान : शिलांग, मेघालय, भारत
पुरस्कार : भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990), पद्म भूषण (1981)
अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, जिन्हें एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है, एक शानदार वैज्ञानिक , राजनेता , जिन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। कलाम ने मुख्य रूप से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक वैज्ञानिक के रूप में चालीस से अधिक वर्ष बिताए। वह भारत के सैन्य मिसाइल विकास प्रयासों और नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ निकटता से जुड़े थे। लॉन्च वाहन प्रौद्योगिकी और बैलिस्टिक मिसाइल के विकास पर उनके काम के लिए, उन्हें “द मिसाइल मैन ऑफ इंडिया ’का नाम दिया गया था।’ 1998 में, उन्होंने पोखरण -2 परमाणु परीक्षण में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी ।
2002 में, उन्हें देश का 11 वां राष्ट्रपति चुना गया और उन्हें व्यापक रूप से ” पीपुल्स प्रेसिडेंट” के रूप में जाना जाने लगा। अपने राष्ट्रपति पद की सेवा के बाद उन्होंने वो किया जो उन्हें सबसे ज़्यदा पसंद था -पढ़ाना , लिखना और पढ़ना । एक वैज्ञानिक के रूप में उनकी उपलब्धियों और योगदान के लिए, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
वह 27 जुलाई, 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) शिलांग में व्याख्यान देते हुए उनकी मृत्यु हो गयी । उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया ।
प्रारंभिक जीवन
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म एक गरीब तमिल मुस्लिम परिवार में 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के तीर्थ नगरी रामेश्वरम में हुआ था। उनकी माँ, आशियम्मा, एक गृहिणी थीं और उनके पिता जैनुलेदीन एक स्थानीय मस्जिद और एक मस्जिद के इमाम और साथ ही साथ एक नाविक भी थे। वह चार बड़े भाइयों और एक बहन के साथ परिवार में सबसे छोटे थे ।
हालाँकि, परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था लेकिन सभी बच्चों को एक ऐसे माहौल में पाला गया था जो प्यार और करुणा से भरा था। परिवार की आय के लिए, कलाम को अपने शुरुआती वर्षों के दौरान समाचार पत्रों भी बेचने पड़े ।
वह अपने स्कूल के दौरान एक औसत छात्र थे , लेकिन उनमे सीखने की तीव्र इच्छा थी और वह बहुत मेहनती थे । वह गणित से प्यार था और विषय का अध्ययन करने में घंटों बिताते थे । उन्होंने 1954 में ‘स्चार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल’ से शिक्षा ग्रहण की और फिर ‘सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली’ से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे एक लड़ाकू पायलट बनना चाहते थे, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका क्योंकि यहाँ केवल आठ पद उपलब्ध थे उन्होंने नौवां स्थान हासिल किया था ।
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एक वैज्ञानिक के रूप में
1960 में, उन्होंने ‘रक्षा प्रौद्योगिकी और विकास सेवा’ के सदस्य बनने के बाद ‘मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ से स्नातक किया और ‘वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान’ में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। कलाम ने प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम के अधीन भी काम किया। साराभाई जब वे ‘INCOSPAR’ समिति का हिस्सा थे। कलाम को 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ’में स्थानांतरित कर दिया गया था। वह देश के सबसे पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) के प्रोजेक्ट हेड बन गए। जुलाई 1980 में, SLV-III ने कलाम के नेतृत्व में ’रोहिणी’ उपग्रह को सफलतापूर्वक पृथ्वी के निकट कक्षा में तैनात किया।
कलाम 1970 में ‘प्रोजेक्ट डेविल’ सहित कई परियोजनाओं का हिस्सा थे। हालांकि यह परियोजना सफल नहीं थी, फिर भी इसने 1980 में ‘पृथ्वी मिसाइल’ के विकास की नींव रखी। वह प्रोजेक्ट वैलिएंट” का भी हिस्सा थे । ‘
1983 में, कलाम प्रमुख के रूप में DRDO में लौटे क्योंकि उन्हें ” इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम ’(IGMDP) का नेतृत्व करने के लिए कहा गया था ।
मई 1998 में, उन्होंने भारत द्वारा ” पोखरण-द्वितीय ” परमाणु परीक्षण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन परमाणु परीक्षणों की सफलता ने कलाम को राष्ट्रीय नायक बना दिया और उनकी लोकप्रियता आसमान छू गई।
एक तकनीकी दूरदर्शी के रूप में, उन्होंने भारत को 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए तकनीकी नवाचारों, कृषि और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कई सिफारिशें कीं।
राष्ट्रपति के रूप में
2002 में, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) द्वारा कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना गया, और वह 25 जुलाई, 2002 को भारत के 11 वें राष्ट्रपति बने और 25 जुलाई, 2007 तक इस पद पर रहे।
वह राष्ट्रपति का पद संभालने से पहले “भारत रत्न ” प्राप्त करने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति भी बने।
आम लोगों, विशेष रूप से युवाओं के साथ काम करने और बातचीत करने की उनकी शैली के कारण, उन्हें प्यार से ‘ द पीपुल्स प्रेसिडेंट ‘ कहा जाता था। डॉ कलाम के अनुसार, उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने जो सबसे कठोर निर्णय लिया था, वह था ‘ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट बिल “पर हस्ताक्षर करने का।
राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्हें दया याचिकाओं के भाग्य का फैसला करने में उनकी निष्क्रियता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। 21 दया याचिकाओं में से, उन्होंने केवल एक दया याचिका पर काम किया। 2005 में, उन्होंने बिहार में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जो एक विवादास्पद निर्णय भी बन गया।
एक शिक्षाविद के रूप में
अपने राष्ट्रपति कार्यकाल की समाप्ति के बाद, वह ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), अहमदाबाद,’ ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), इंदौर’ और ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), शिलांग में विजिटिंग प्रोफेसर बन गए। उन्होंने अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम’ में चांसलर के रूप में, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बैंगलोर ’के मानदके रूप में और देश भर के कई अन्य शोध और अकादमिक संस्थानों में उन्होंने अपनी सेवा दी । उन्होंने ‘अन्ना विश्वविद्यालय,’ , ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी सिखाई।’
भ्रष्टाचार को हराने और दक्षता लाने के उद्देश्य से, कलाम ने 2012 में युवाओं के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया, जिसे “व्हाट कैन आई गिव मूवमेंट ’कहा जाता है।
पुरस्कार और उपलब्धियां
- कलाम को भारत सरकार की ओर से प्रतिष्ठित ‘भारत रत्न,’ ‘पद्म विभूषण’ और ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।
- उन्हें 1997 में भारत सरकार द्वारा ation राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार ’से सम्मानित किया गया।
- वे वीर सावरकर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे।
- 2000 में, उन्हें ‘अलवरर्स रिसर्च सेंटर’ द्वारा ‘रामानुजन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
- 2007 में, उन्होंने रॉयल सोसाइटी से ‘किंग्स चार्ल्स II मेडल’ प्राप्त किया।
- एएसएमई फाउंडेशन, यूएसए ने कलाम को हूवर मेडल से सम्मानित किया।
- उन्होंने 40 विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्राप्त की।
- संयुक्त राष्ट्र ने कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व छात्र दिवस के रूप में मान्यता दी।
- 2003 और 2006 में, उन्हें Icon एमटीवी यूथ आइकन ऑफ द ईयर ’के लिए नामांकित किया गया था।
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कलाम 27 जुलाई 2015 को ” क्रिएटिंग ए लिवेबल प्लैनेट अर्थ ’पर व्याख्यान देने के लिए आईआईएम शिलांग गए, सीढ़ियां चढ़ते समय, उन्होंने कुछ असुविधा व्यक्त की, लेकिन सभागार के लिए अपना रास्ता बना लिया। व्याख्यान में केवल पाँच मिनट, लगभग 6:35 बजे IST, वह व्याख्यान कक्ष में गिर गया। उन्हें गंभीर हालत में “बेथानी अस्पताल ’ले जाया गया। उन्हें गहन देखभाल इकाई में रखा गया था, लेकिन उनकी हालत खराब थी । 7:45 बजे IST में, कार्डियक अरेस्ट के कारण उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
कलाम के शरीर को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर में एयरलिफ्ट किया गया और 28 जुलाई को नई दिल्ली लाया गया था। कई गणमान्य व्यक्तियों और जनसमूह ने उनके 10 राजाजी मार्ग स्थित निवास पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे कलाम के शरीर को तब मंडपम शहर में ले जाया गया, जहां से एक सेना के ट्रक ने उन्हें उनके गृह नगर रामेश्वरम ले जाया। उनके शरीर को बस स्टेशन के सामने रामेश्वरम में प्रदर्शित किया गया था ताकि लोग दिवंगत आत्मा को अंतिम सम्मान दे सकें। । कलाम के अंतिम संस्कार में 350,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और युवा
वह मृत्यु के आने से पहले भी वही क्र रहे थे जो वह जीवन भर करना चाहता था। कलाम ने अंतिम हांफते हुए कहा कि वह सबसे ज्यादा प्यार करते थे – युवाओं से । उनका जीवन देश के युवाओं के लिए एक प्रतिमान बन गया। वह अपने विनम्र स्वभाव, सरल और सहज व्यक्तित्व के कारण युवा पीढ़ी और युवा दिमाग से जुड़ने की क्षमता के कारण युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श और प्रेरणा बन गए।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें
डॉ कलाम ने ‘इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम,’ ‘विंग्स ऑफ फायर,’ ‘द ल्युमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्सेज एंड कलर्स’ सहित कई निर्देशात्मक और प्रेरणादायक पुस्तकों के लेखक और सह-लेखक थे।
इंडिया: ए विजन ऑफ़ इंडियन यूथ, ” यू आर बर्न टू ब्लॉसम, ” इग्नेस्ड माइंड्स: अनलिशिंग द पॉवर इन इंडिया, ” गाइडिंग सोल्स, ” इंस्पायरिंग थॉट्स, ” टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी विद चैलेंजेस, ” ट्रांसेंडेंस माय स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस, ” बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमॉर्स इंडिया, ” और अन्य।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में रोचक तथ्य
- एक व्यक्ति जिसने सार्वजनिक सेवा में लगभग पांच दशक बिताए, जिसमें राष्ट्रपति के रूप में एक कार्यकाल शामिल था, कलाम के पास बहुत कम स्वामित्व था। उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी, टीवी, फ्रिज, कार, एसी, लेकिन उनके पास लगभग 2,500 किताबें, छह शर्ट, एक जोड़ी जूते, एक कलाई घड़ी, चार पतलून और तीन सूट थे।
- उन्होंने किताबों को छोड़कर कभी भी किसी से कोई उपहार स्वीकार नहीं किया।
- उन्होंने कभी भी देश के भीतर या बाहर दिए गए व्याख्यानों के लिए कोई शुल्क नहीं लिया।
- प्रौद्योगिकी के लिए उनका प्यार कोई रहस्य नहीं है और उन्होंने मुख्य रूप से रेडियो के माध्यम से सभी नवीनतम घटनाओं पर नजर रखी।
- वह एक शाकाहारी थे और और उन्हें जो भी परोसा जाता था उससे वह खुश रहते थे ।
- वह एक पवित्र आत्मा था और विशेष रूप से अपनी सुबह की प्रार्थना के बारे में, जिसे करना वह कभी नहीं भूले ।
- उनके काम के बीच कभी भी धर्म नहीं आया ,और वह सभी धर्मों का आदर करते थे।
- उसने कभी अपनी वसीयत नहीं लिखी। हालांकि, जो कुछ भी पीछे रह गया था, वह उसके बड़े भाई और पोते को दिया जाना था।
- उनकी आत्मकथा “विंग्स ऑफ फायर” को शुरू में अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया था, लेकिन चीनी और फ्रेंच सहित तेरह भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
- 2011 में, नीला माधब पांडा ने कलाम के जीवन पर आधारित एक फिल्म निर्देशित की, जिसका शीर्षक था, ‘आई एम कलाम।’
- गणित और भौतिकी उनके पसंदीदा विषय थे।
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रक्षाबन्धन का त्योहार , इसका इतिहास और सांस्कृतिक महत्व
Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi: अब्दुल कलाम का जीवन परिचय (Essay) जीवनी
Missile Man के नाम से सुप्रसिद्ध Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi के इस विशेष लेख में हम ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय, बचपन, शिक्षा, वैज्ञानिक करियर, राष्ट्रपति जीवनी के बारे में विस्तार से बात करेंगे। अक्सर आपके स्कूल/कॉलेज में APJ Abdul Kalam Essay in Hindi लिखने को भी कहा जाता है, तो आप इस लेख को निबंध के तौर पर भी लिख सकते हैं।
विश्व के जाने-माने वैज्ञानिकों में माने जाने वाले डॉ. ए. पी. जे. कलाम का नाम विश्वभर में आदर के साथ लिया जाता है। डॉ. कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्र के पितामह के रूप में भी जाना जाता है। प्रक्षेपास्त्र और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का नाम विश्व मानचित्र पर अंकित कराने का श्रेय डॉ. कलाम को ही जाता है।
Table of Contents
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम ज़िले के धनुषकोडि गाँव के एक मछुवारे परिवार में 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। इनके पिता का नाम ज़ैनुलआबेदीन था। डॉ. कलाम का पूरा नाम अबुल पकीर ज़ैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम है।
इनकी आरम्भिक शिक्षा रामनाथपुरम के सक्वार्ट्ज हाई स्कूल में हुई। विज्ञान में स्नातक की उपाधि तिरुची के सेंट जोसेफ कॉलेज से डॉ. कलाम ने प्राप्त की। 1954-57 में चेन्नई के मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोज़ी (MIT) से Aeronautical Engineering में इन्होंने डिप्लोमा प्राप्त किया।
1958 में DTD & P (Air) में बतौर वरिष्ठ सहायक वैज्ञानिक नियुक्त हुए और इसी वर्ष रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में वरिष्ठ सहायक वैज्ञानिक नियुक्त हुए। यहाँ रहकर ही उनके नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने prototype hover craft का विकास किया।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय
डॉ. कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन 1962 में छोड़कर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ गए। यहाँ पर 1963 से 1982 तक इन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया। इसके बाद वे Aerodynamics से जुड़े, फिर वे थुम्बा की सैटेलाइट प्रक्षेपण यान टीम के सदस्य बने और जल्द ही वे SLV के निदेशक बन गए। डॉ. अब्दुल कलाम SLV के तीन डिज़ाइन, उनके विकास तथा उनके चार परीक्षणों के प्रति उत्तरदायी रहे। इन योजना के तहत 1980 में सफलतापूर्वक रोहिणी सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया गया।
उनके इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 1981 में डॉ. कलाम को पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया। सन् 1982 में वे एक बार फिर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से जुड़े। इस बार वे यहाँ निदेशक पद पर आए। यहाँ आने के बाद उन्होंने Integrated Guided Missile Development Programme ( IGMDP ) को आगे बढ़ाया।
यह प्रोग्राम तत्कालीन समय का देश का सबसे सफल सैन्य अनुसंधान था। इस योजना के अंतर्गत दस वर्षों में पाँच महत्वाकांक्षी कार्यों को क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा गया था। इनमें नाग, आकाश, पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसे प्रक्षेपास्त्रों का विकास करना शामिल है।
Missile Man Abdul Kalam Essay in Hindi
डॉ. कलाम को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए समय-समय पर सम्मानित भी किया जाता रहा। इस क्रम में उन्हें भारतीय रक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने के लिए 25 नवम्बर, 1997 को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
इसी तरह 1998 में उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गाँधी अवार्ड से सम्मानित किया गया। भारत को रक्षा क्षेत्र में पहले से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली देश बनाने का श्रेय डॉ. कलाम को ही जाता है। पोखरन में परमाणु परीक्षण की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अपने दम पर किसी भी क्षेत्र व किसी भी कार्य को करने में सक्षम है।
उनकी विज्ञान क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के कारण उन्हें 25 नवम्बर, 1999 को भारत सरकार का वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया। वर्ष 2001 तक वह इस पद पर रहे। 25 जुलाई, 2002 को उन्हें भारत का बारहवाँ राष्ट्रपति चुन लिया गया।
डॉ. कलाम अविवाहित थे। उन्हें शास्त्रीय संगीत से विशेष लगाव था। वे वैज्ञानिक ही नहीं एक अच्छे कवि भी थे। डॉ. कलाम द्वारा लिखित दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें ‘ India 2020 ’ तथा ‘ Wings of Fire : An Autobiography of APJ Abdul Kalam’ शमिल हैं।
Dr. APJ Abdul Kalam Wikipedia Information in Hindi
डॉ. कलाम के अथक प्रयासों से ही आज हमारा देश प्रक्षेपास्त्र के क्षेत्र में विश्व के अन्य विकसित देशों की बराबरी कर रहा है। भारतीयों के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि हमारा देश वर्तमान में अंतरिक्ष और प्रक्षेपास्त्र के क्षेत्र में लगातार नित नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। डॉ. अब्दुल कलाम दिखने व व्यवहार में साधारण और धार्मिक प्रवृत्ति के थे। सच्चे मुस्लिम होने के नाते वे नियमित रूप से नमाज़ अदा करते थे। साथ ही वे राम भक्त भी थे।
अलग-अलग प्रणालियों को एकीकृत रूप देने में डॉ. कलाम का कोई सानी नहीं है। वह अलग-अलग प्रणालियों को अपना विजन देकर एकीकृत कर हमेशा कुछ नया बनाने की क्षमता रखते थे। डॉ. कलाम में चीजों को नए तरह से इस्तेमाल करने की क्षमता भी ग़ज़ब की थी। यही कारण है कि डॉ. कलाम ने अंतरिक्ष और सामरिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नए उपकरणों का निर्माण किया।
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi लेख यहीं तक। युवाओं के लिए उन्होंने कहा था कि “सपने वे नहीं होते जो हम सोते हुए देखते हैं। सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।” Dreams are not what you see in your sleep, dreams are things which do not let you sleep.
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एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय
By विकास सिंह
नाम: अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम)
निक नेम: मिसाइल मैन
राष्ट्रीयता: भारतीय
व्यवसाय: इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ
जन्म: 15-अक्टूबर -1931
जन्म स्थान: धनुषकोडि, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
निधन: 27 जुलाई 2015
निधन के समय आयु: 83 वर्ष
मृत्यु का स्थान: शिलांग, मेघालय, भारत
प्रसिद्ध का कारण: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे
इससे पहले: कोचरिल रमन नारायणन (1997-2002 से राष्ट्रपति)
उत्तराधिकारी: प्रतिभा पाटिल (2007-2012 से राष्ट्रपति)
अवुल पकिर जैनुलदेबेन अब्दुल कलाम को डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam) के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था।
वह भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे और 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ जीत हासिल की। भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया।
देश के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता था। इसके अलावा, 1998 में, उन्होंने भारत के पोखरण -2 परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
क्या आप जानते हैं कि A.P.J अब्दुल कलाम ने अपना करियर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शुरू किया था? उन्होंने ISRO में भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) के परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया था।
“अगर मेरी परिभाषा पर्याप्त रूप से मजबूत है तो असफलता मुझे कभी नहीं पछाड़ेगी”।
1990 के दशक में उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले प्रधान मंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था। अब, इस लेख के माध्यम से डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं।
अब्दुल कलाम: प्रारंभिक जीवन
डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था, तब यह ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी में और अब तमिलनाडु में आता है। उनके पिता का नाम जैनुलबदीन था, जो एक नाव के मालिक थे और एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे। उनकी माँ का नाम आशियम्मा था, जो एक गृहिणी थीं।
अब्दुल कलाम पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, सबसे बड़ी एक बहन थी, जिसका नाम आसिम ज़ोहरा था और तीन बड़े भाई, अर्थात् मोहम्मद मुथु मीरा लेबाई मराय्यार, मुस्तफा कलाम और कासिम मोहम्मद थे। वह अपने परिवार के बहुत करीब थे और बहुत मदद करते थे हालांकि वे अपने जीवन भर कुंवारे रहे।
उनके पूर्वज कई संपत्तियों और भूमि के बड़े ट्रैक्ट के साथ धनी व्यापारी और ज़मींदार थे। वे मुख्य भूमि और द्वीप के बीच और श्रीलंका से किराने का सामान व्यापार करते हैं और मुख्य भूमि से पाम्बिया द्वीप के तीर्थयात्रियों को भी पार करते हैं। तो, उनके परिवार को “मारा कलाम इयक्किवर” (लकड़ी की नाव चलाने वाले) और बाद में “मारकियर” के रूप में जाना जाता था।
शिक्षा आपको उड़ान भरने के लिए पंख देती है। उपलब्धि हमारे अवचेतन मन में जीतने की आग प्रज्वलित करती है।
लेकिन 1920 के दशक तक, उनके परिवार ने अपने भाग्य को खो दिया था; उनके व्यवसाय विफल हो गए और जब तक अब्दुल कलाम का जन्म हुआ तब तक वे गरीबी से जूझ रहे थे। परिवार की मदद करने के लिए, कलाम ने कम उम्र में अखबार बेचना शुरू कर दिया।
अपने स्कूल के दिनों में, कलाम के पास औसत ग्रेड थे लेकिन उन्हें एक उज्ज्वल और मेहनती छात्र के रूप में वर्णित किया गया था, जिसमें सीखने की तीव्र इच्छा थी। गणित उनकी मुख्य रुचि थी।
बिना कर्म के ज्ञान बेकार और अप्रासंगिक है। कार्रवाई के साथ ज्ञान प्रतिकूलता को समृद्धि में परिवर्तित करता है।
उन्होंने श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल, रामनाथपुरम से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी और बाद में वे सेंट जोसेफ कॉलेज चले गए जहाँ वे भौतिकी स्नातक बन गए। 1955 में, वे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए मद्रास गए।
अपने स्नातक के तीसरे वर्ष के दौरान, उन्हें कुछ अन्य छात्रों के साथ मिलकर एक निम्न-स्तर के हमले के विमान को डिजाइन करने के लिए एक परियोजना सौंपी गई थी। उनके शिक्षक ने उन्हें परियोजना को पूरा करने के लिए एक तंग समय सीमा दी थी, यह बहुत मुश्किल था। कलाम ने अपार दबाव में कड़ी मेहनत की और अंत में निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना प्रोजेक्ट पूरा किया। शिक्षक कलाम के समर्पण से प्रभावित थे।
परिणामस्वरूप कलाम एक फाइटर पायलट बनना चाहते थे लेकिन उन्हें क्वालीफायर सूची में 9 वां स्थान मिला और भारतीय वायुसेना में केवल आठ स्थान ही उपलब्ध थे।
अब्दुल कलाम की शिक्षा और उपलब्धियां:
ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपना स्नातक पूरा किया था और 1958 में एक वैज्ञानिक के रूप में वे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में शामिल हुए थे।
1960 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के अधीन इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च के साथ काम किया।
उन्होंने DRDO में एक छोटा होवरक्राफ्ट डिजाइन करके अपने करियर की शुरुआत की थी। हैम्पटन, वर्जीनिया में नासा के लैंग्ली रिसर्च सेंटर का दौरा करने के बाद; 1963-64 में ग्रीनबेल्ट, मैरीलैंड और वॉलॉप्स फ्लाइट सुविधा में गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर, उन्होंने 1965 में DRDO में स्वतंत्र रूप से एक विस्तार योग्य रॉकेट परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया था।
वह डीआरडीओ में अपने काम से बहुत संतुष्ट नहीं थे और जब उन्हें 1969 में इसरो को स्थानांतरण आदेश मिले तो वे खुश हो गए। वहां उन्होंने SLV-III के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया, जिसने जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह को निकट-पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक तैनात किया। यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपग्रह प्रक्षेपण यान है।
कलाम ने 1969 में सरकार की स्वीकृति प्राप्त की और अधिक इंजीनियरों को शामिल करने के लिए कार्यक्रम का विस्तार किया। 1970 के दशक में, उन्होंने भारत में अपने भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रह को सूर्कयक्षा में लॉन्च करने की अनुमति देने के उद्देश्य से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) को विकसित करने का प्रयास किया था, PSLV परियोजना सफल रही और 20 सितंबर 1993 को, यह पहली बार लॉन्च किया गया था।
सपना वह नहीं है जो आप सोते समय देखते हैं यह कुछ ऐसा है जो आपको सोने नहीं देता है।
राजा रामन्ना ने अब्दुल कलाम को टीबीआरएल के प्रतिनिधि के रूप में देश के पहले परमाणु परीक्षण स्माइलिंग बुद्धा के साक्षी के रूप में आमंत्रित किया, भले ही उन्होंने इसके विकास में भाग नहीं लिया था।
1970 के दशक में, अब्दुल कलाम ने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलियंट नामक दो परियोजनाओं का निर्देशन किया। क्या आप प्रोजेक्ट डेविल के बारे में जानते हैं? यह एक कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बनाने के उद्देश्य से एक प्रारंभिक तरल-ईंधन मिसाइल परियोजना थी।
यह परियोजना सफल नहीं थी और 1980 के दशक में इसे बंद कर दिया गया था और बाद में इसने पृथ्वी मिसाइल का विकास किया। दूसरी ओर प्रोजेक्ट वैलेन्ट ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के विकास के उद्देश्य से किया। यह भी सफल नहीं था।
डीआरडीओ द्वारा प्रबंधित एक भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अन्य सरकारी संगठनों के साथ मिलकर 1980 के दशक की शुरुआत में एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) का शुभारंभ किया। अब्दुल कलाम को इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा गया और 1983 में वह आईजीएमडीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में डीआरडीओ में लौट आए।
कार्यक्रम में चार परियोजनाओं के विकास के लिए नेतृत्व किया गया, जिसका नाम है शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-सतह मिसाइल (पृथ्वी), शॉर्ट रेंज लो-लेवल सरफेस-टू-एयर मिसाइल (त्रिशूल), मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (आकाश) और थर्ड -विस्फोट रोधी मिसाइल (नाग)।
दुनिया आज चार रैपिड कनेक्टिविटी के माध्यम से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। वे पर्यावरण, लोग, अर्थव्यवस्था और विचार हैं।
अब्दुल कलाम के नेतृत्व में, IGMDP की परियोजना 1988 में पहली पृथ्वी मिसाइल और फिर 1989 में अग्नि मिसाइल जैसी मिसाइलों का उत्पादन करके सफल साबित हुई। इसके कारण उन्हें “भारत के मिसाइल मैन” के रूप में जाना जाता था।
1992 में, उन्हें रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। कैबिनेट मंत्री के पद के साथ, 1999 में, उन्हें भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
अब्दुल कलाम ने मई 1998 में पांच परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों की एक श्रृंखला पोखरण -2 का संचालन करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। इन परीक्षणों की सफलता के साथ उन्हें राष्ट्रीय नायक का दर्जा मिला और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को पूर्ण घोषित किया ।
इतना ही नहीं, ए.पी.जे. 1998 में अब्दुल कलाम ने भारत को वर्ष 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए टेक्नोलॉजी विजन 2020 नामक एक देशव्यापी योजना का प्रस्ताव रखा और परमाणु सशक्तिकरण, विभिन्न तकनीकी नवाचारों, कृषि उत्पादकता में सुधार आदि का सुझाव दिया।
2002 में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सत्ता में था और डॉ. ए.पी.जे. भारत के राष्ट्रपति पद पर अब्दुल कलाम। एक लोकप्रिय राष्ट्रीय व्यक्ति होने के नाते, उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव आसानी से जीत लिया। क्या आप जानते हैं कि 1998 में हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के साथ अब्दुल कलाम ने “कलाम-राजू स्टेंट” नाम से एक कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट विकसित की थी। इसके अलावा 2012 में, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक बीहड़ टैबलेट कंप्यूटर को डिज़ाइन किया गया था जिसे “कलाम-राजू टैबलेट” नाम दिया गया था।
राष्ट्रपति के पद पर एपीजे अब्दुल कलाम:
- 10 जून 2002 को एनडीए सरकार ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की नेता का सुझाव दिया, साथ में कांग्रेस ने अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लिया।
- डॉ. अब्दुल कलाम ने 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वह राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने वाले पहले वैज्ञानिक और पहले स्नातक थे।
- क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें लगभग 922,884 वोट मिले थे और उन्होंने लक्ष्मी सहगल को हराया था।
- के आर नारायणन के बाद वे भारत के 11 वें राष्ट्रपति बने। उन्होंने प्रतिष्ठित भारत रत्न प्राप्त किया और 1954 में डॉ. सर्वपाली राधाकृष्णन के बाद सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले तीसरे राष्ट्रपति बने, 1963 में डॉ जाकिर हुसैन को भी यह मिला था।
- डॉ. अब्दुल कलाम को जनवादी राष्ट्रपति के रूप में भी जाना जाता था।
- डॉ कलाम के अनुसार, राष्ट्रपति के रूप में उनके द्वारा लिया गया सबसे कठिन निर्णय ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के बिल पर हस्ताक्षर करने का था।
- अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे।
- हालांकि, 21 में से 20 दया याचिकाओं के भाग्य का फैसला करने में उनकी अक्षमता के लिए उनकी आलोचना की गई, जिसमें कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु भी शामिल थे, जिन्हें दिसंबर 2001 में संसद हमलों के लिए दोषी ठहराया गया था।
- उन्होंने 2007 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया।
ए पी जे अब्दुल कलाम: राष्ट्रपति के बाद का जीवन
कार्यालय छोड़ने के बाद, डॉ. अब्दुल कलाम ने शैक्षणिक क्षेत्र को चुना और भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर, भारतीय विज्ञान संस्थान के मानद साथी के रूप में विजिटिंग प्रोफेसर बने।
उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम के चांसलर, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक के रूप में भी कार्य किया।
सूचना प्रौद्योगिकी को उनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में भी पढ़ाया गया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी पढ़ाई। 2011 में, उन्होंने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर अपने रुख को लेकर नागरिक समूहों द्वारा आलोचना की थी क्योंकि उन्होंने परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का समर्थन किया था और स्थानीय लोगों के साथ बात नहीं करने का आरोप लगाया था।
व्हाट कैन आई मूवमेंट ’एक कार्यक्रम है जिसे भारत के युवाओं के लिए डॉ. अब्दुल कलाम ने भ्रष्टाचार को हराने के एक केंद्रीय विषय के साथ शुरू किया था।
मौत:
27 जुलाई 2015 को, डॉ. अब्दुल कलाम IIM शिलॉन्ग में एक व्याख्यान दे रहे थे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी स्थिति गंभीर हो गई, इसलिए, उन्हें बेथानी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां बाद में कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई।
30 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को राजकीय सम्मान के साथ रामेश्वरम के पेई करुम्बु मैदान में आराम करने के लिए रखा गया था। क्या आप जानते हैं कि कलाम के अंतिम अनुष्ठान में लगभग 350,000 लोग शामिल हुए, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल थे?
ए पी जे अब्दुल कलाम राष्ट्रीय स्मारक:
दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम की याद में भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम के द्वीप शहर में पेई करम्बु में उनके नाम पर एक स्मारक बनाया गया था। 27 जुलाई, 2017 को इसका उद्घाटन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।
क्या आप जानते हैं कि इस स्मारक का निर्माण किसने कराया था? इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा बनाया गया था। स्मारक में रॉकेट और मिसाइलों की विभिन्न प्रतिकृति रखी गई है जो डॉ. अब्दुल कलाम के काम को दर्शाता है। साथ ही, उनके जीवन के बारे में कुछ एक्रिलिक चित्रों को भी सैकड़ों चित्रों के साथ प्रदर्शित किया गया है जो डॉ. कलाम के जीवन को दर्शाते हैं।
स्मारक के प्रवेश द्वार पर डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को उन्हें वीणा एक वाद्य यंत्र बजाते हुए दिखाया गया था। इसके साथ दो और प्रतिमाएँ बैठी और खड़ी मुद्रा में हैं।
ए पी जे अब्दुल कलाम: पुरस्कार और उपलब्धियां
- 1981 में, डॉ. कलाम को भारत सरकार से पद्म भूषण प्राप्त हुआ।
- 1990 में, डॉ. कलाम को भारत सरकार से पद्म विभूषण प्राप्त हुआ।
- 1994 और 1995 में, इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स इंडिया और नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा प्रतिष्ठित फेलो और मानद फैलो का पुरुस्कार मिला।
- 1997 में, उन्होंने भारत सरकार से भारत रत्न और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार प्राप्त किया था।
- 1998 में, भारत सरकार की ओर से वीर सावरकर पुरस्कार।
- 2000 में, अलवरस रिसर्च सेंटर, चेन्नई से रामानुजन पुरस्कार।
- 2007 में, उन्हें रॉयल सोसाइटी, U.K द्वारा किंग चार्ल्स II मेडल से सम्मानित किया गया और ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ वॉल्वरहैम्प्टन से डॉक्टरेट ऑफ साइंस किया।
- 2008 में, उन्होंने एएसएमई फाउंडेशन, यूएसए द्वारा दिए गए हूवर मेडल जीते और नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर द्वारा डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग प्राप्त किया।
- 2009 में, द कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, U.S.A ने कलाम को इंटरनेशनल वॉन कर्मन विंग्स अवार्ड, एएसएमई फाउंडेशन, अमेरिका के हूवर मेडल और ओकलैंड यूनिवर्सिटी द्वारा मानद डॉक्टरेट प्रदान किया।
- 2010 में, वाटरलू विश्वविद्यालय द्वारा इंजीनियरिंग के डॉक्टर। 2011 में, IEEE ने कलाम को IEEE मानद सदस्यता से सम्मानित किया।
- 2012 में, साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉज़। 2013 में, नेशनल स्पेस सोसाइटी द्वारा वॉन ब्रौन पुरस्कार।
- 2014 में, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस। डॉ. कलाम 40 विश्वविद्यालयों के मानद डॉक्टरेट के प्राप्तकर्ता थे। साथ ही, डॉ. कलाम के 79 वें जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व छात्र दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी। उन्हें 2003 और 2006 में MTV यूथ आइकन ऑफ़ द ईयर के लिए भी नामांकित किया गया था।
- उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें 15 अक्टूबर को तमिलनाडु राज्य सरकार की तरह कई श्रद्धांजलि मिलीं, जो उनके जन्मदिन पर राज्य भर में “युवा पुनर्जागरण दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की गई हैं। इसके अलावा राज्य सरकार ने डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम पुरस्कार की स्थापना की, जिसमें 8 ग्राम स्वर्ण पदक, एक प्रमाण पत्र और 500,000 रूपए थे।
- 2015 से एक स्वतंत्रता दिवस पर, राज्य के निवासियों को वैज्ञानिक विकास, मानविकी या छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देने में उपलब्धियों के साथ प्रतिवर्ष पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
- साथ ही, डॉ. कलाम के जन्म की सालगिरह पर CBSE ने CBSE पाठ्यक्रम या अभिव्यक्ति श्रृंखला में उनके नाम पर कुछ विषय निर्धारित किए।
- यही नहीं, 15 अक्टूबर, 2015 को कलाम के जन्म की 84 वीं वर्षगांठ पर, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में DRDO भवन में कलाम की स्मृति में डाक टिकट जारी किया।
ए पी जे अब्दुल कलाम: विरासत
जैसा कि हम जानते हैं कि डॉ अब्दुल कलाम अपने परिवार में सबसे छोटे बच्चे थे और अपने माता-पिता और भाइयों और बहनों के करीबी थे। उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपने रिश्तेदारों की पूरी जिंदगी सेवा की। इसमें कोई शक नहीं कि वह सरल जीवन शैली वाले एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे। उनके पास वीना और पुस्तकों के संग्रह सहित कुछ संपत्ति थी। वह एक दयालु दिल का आदमी था, शाकाहारी और सादा भोजन करता था।
डॉ अब्दुल कलाम के करीबी एसएम खान के अनुसार एक किताब द पीपुल्स प्रेसिडेंट अब्दुल कलाम कहते हैं, “वह एक सच्चे मुसलमान का जीवन जीते थे लेकिन अन्य सभी धर्मों के लिए उच्च सम्मान रखते थे और उनका मानना था कि मानवतावाद मानव का सबसे बड़ा गुण है।
वह रोजाना नमाज अदा करते हैं लेकिन भागवत गीता भी पढ़ते हैं। वीणा बजाने का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उनके लिए धर्म एक व्यक्तिगत मामला था और इस बात पर जोर दिया करते थे कि किसी को इसे धूमधाम और दिखावे का मामला नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने इसका इस्तेमाल किया।”
27 जुलाई 2015 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलांग में एक व्याख्यान देते हुए, वह गिर गया और बेथानी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें कार्डियक अरेस्ट से मृत होने की पुष्टि हुई और 30 जुलाई 2015 को रामेश्वरम के पीयू करुम्बु द्वीप में अंतिम संस्कार किया गया।
ए पी जे अब्दुल कलाम: शैक्षिक और वैज्ञानिक संस्थान
क्या आप जानते हैं कि विभिन्न शैक्षिक, वैज्ञानिक संस्थानों और कुछ स्थानों का नाम डॉ। अब्दुल कलाम के सम्मान में रखा गया है। वे इस प्रकार हैं:
- कलाम के अंतिम संस्कार के दिन, बिहार राज्य सरकार द्वारा किशनगंज, बिहार में एक कृषि कॉलेज का नाम बदलकर “डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज” रखा गया।
- उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (UPTU) का नाम बदलकर “A.P.J. अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय” कर दिया गया।
- ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल त्रावणकोर इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव डिजीज, कोल्लम शहर, केरल में एक नया शोध संस्थान है, जो त्रावणकोर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से जुड़ा हुआ है।
- सितंबर 2014 में, भारत और अमेरिका ने फुलब्राइट-कलाम क्लाइमेट फेलोशिप लॉन्च की है। फेलोशिप का संचालन फुलब्राइट कार्यक्रम के तहत बिनेशनल यूएस-इंडिया एजुकेशनल फाउंडेशन (USIEF) द्वारा किया जाएगा।
- केरल टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम में है, जहां कलाम वर्षों तक रहे, उनका नाम बदलकर उनकी मृत्यु के बाद अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रख दिया गया।
ए पी जे अब्दुल कलाम किताबें
- इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (यज्ञस्वामी सुंदरा राजन के साथ सह-लेखक, (1998))
- विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी (1999)
- इग्नाइटेड माइंड: अनलीशिंग द पॉवर ऑफ़ इंडिया (2002)
- द लुमिनस स्पार्क्स (2004)
- मिशन इंडिया (2005)
- इंस्पायरिंग थॉट्स (2007)
- यू बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियॉन्ड (अरुण तिवारी के साथ सह-लेखक, 2011)
- परिकल्पना और सशक्त राष्ट्र
- लक्ष्य 3 बिलियन ए.पी.जे. कलाम और श्रीजन पाल सिंह (दिसंबर 2011)
- टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज (2012)
- माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन एक्शन (2013)
- मेनिफेस्टो फॉर चेंज: ए सीक्वल टू इंडिया 2020 (वी। पोनराज के साथ सह-लेखक, 2014)
- शासनकाल: ए.पी.जे द्वारा एक उज्जवल भविष्य के लिए वैज्ञानिक रास्ते (2015)
- ट्रान्सेंडेंस: माई स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस विद प्रमख स्वामीजी (अरुण तिवारी के साथ सह-लेखक, 2015)
- एडवांटेज इंडिया: चैलेंज टू अपॉर्चुनिटी टू ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और श्रीजन पाल सिंह (2015)
- गवर्नेंस ऑफ़ ग्रोथ इन इंडिया (2014)
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की आत्मकथाएं
- इटरनल क्वेस्ट: लाइफ एंड टाइम्स ऑफ डॉ. कलाम (2002)
- राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा (2002)
- ए.पी.जे अब्दुल कलाम: द विजनरी ऑफ़ इंडिया (2002)
- द कलाम इफेक्ट: माई इयर्स विद प्रेसिडेंट (2008)
ए पी जे अब्दुल कलाम: प्रसिद्ध विचार
– “सपने देखें। सपने विचारों में बदल जाते हैं और विचार कार्रवाई में परिणत होते हैं।”
– “यदि आप असफल होते हैं, तो कभी हार न मानें क्योंकि असफल का अर्थ है” सीखने में पहला प्रयास “।
– “अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं। पहले सूरज की तरह जलो। ”
– “हम सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है। लेकिन, हम सभी के पास अपनी प्रतिभा विकसित करने का समान अवसर है।”
– “सभी पक्षी बारिश के दौरान आश्रय पाते हैं। लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उड़कर बारिश से बच जाता है।”
– “उत्कृष्टता एक निरंतर प्रक्रिया है और दुर्घटना नहीं है।”
– “क्या हमें एहसास नहीं है कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है?”
– “भारत के लिए मेरा 2020 का विजन इसे एक विकसित राष्ट्र में बदलना है। वह सार नहीं हो सकता; यह एक जीवन रेखा है। ”…… आदि।
https://www.youtube.com/watch?v=dVOmq9bcMfM
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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bahut he acha biography hai… keep it up…
bahut acha lga bro
Great post really like it a lot.
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Dr APJ Abdul Kalam Profile
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Born on 15th October 1931 at Rameswaram in Tamil Nadu, Dr. Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam, specialized in Aeronautical Engineering from Madras Institute of Technology. Dr. Kalam made significant contribution as Project Director to develop India's first indigenous Satellite Launch Vehicle (SLV-III) which successfully injected the Rohini satellite in the near earth orbit in July 1980 and made India an exclusive member of Space Club. He was responsible for the evolution of ISRO's launch vehicle programme, particularly the PSLV configuration. After working for two decades in ISRO and mastering launch vehicle technologies, Dr. Kalam took up the responsibility of developing Indigenous Guided Missiles at Defence Research and Development Organisation as the Chief Executive of Integrated Guided Missile Development Programme (IGMDP). He was responsible for the development and operationalisation of AGNI and PRITHVI Missiles and for building indigenous capability in critical technologies through networking of multiple institutions. He was the Scientific Adviser to Defence Minister and Secretary, Department of Defence Research & Development from July 1992 to December 1999. During this period he led to the weaponisation of strategic missile systems and the Pokhran-II nuclear tests in collaboration with Department of Atomic Energy, which made India a nuclear weapon State. He also gave thrust to self-reliance in defence systems by progressing multiple development tasks and mission projects such as Light Combat Aircraft.
As Chairman of Technology Information, Forecasting and Assessment Council (TIFAC) and as an eminent scientist, he led the country with the help of 500 experts to arrive at Technology Vision 2020 giving a road map for transforming India from the present developing status to a developed nation. Dr. Kalam has served as the Principal Scientific Advisor to the Government of India, in the rank of Cabinet Minister, from November 1999 to November 2001 and was responsible for evolving policies, strategies and missions for many development applications. Dr. Kalam was also the Chairman, Ex-officio, of the Scientific Advisory Committee to the Cabinet (SAC-C) and piloted India Millennium Mission 2020.
Dr. Kalam took up academic pursuit as Professor, Technology & Societal Transformation at Anna University, Chennai from November 2001 and was involved in teaching and research tasks. Above all he took up a mission to ignite the young minds for national development by meeting high school students across the country.
In his literary pursuit four of Dr. Kalam's books - "Wings of Fire", "India 2020 - A Vision for the New Millennium", "My journey" and "Ignited Minds - Unleashing the power within India" have become household names in India and among the Indian nationals abroad. These books have been translated in many Indian languages.
Dr. Kalam is one of the most distinguished scientists of India with the unique honour of receiving honorary doctorates from 30 universities and institutions. He has been awarded the coveted civilian awards - Padma Bhushan (1981) and Padma Vibhushan (1990) and the highest civilian award Bharat Ratna (1997). He is a recipient of several other awards and Fellow of many professional institutions.
Dr. Kalam became the 11th President of India on 25th July 2002. His focus is on transforming India into a developed nation by 2020.
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APJ Abdul Kalam: The scientist who missed pilot's seat, but sent India to the stars
Though he narrowly missed his dream of becoming a fighter pilot, apj abdul kalam soared to new heights as a visionary scientist and the beloved people's president. his journey reminds us that sometimes, our greatest failures pave the way for even greater successes..
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We all know APJ Abdul Kalam as the Missile Man of India, who successfully sent Indian dreams to space, but a story of Kalam that we hear less often tells us how the missile man failed in his dream of becoming a pilot and later ended up as a scientist and, ultimately, the people's President, a title he was fondly given. APJ Abdul Kalam, the former President of India, had the dream of becoming a fighter pilot, which he mentions in his book 'My Journey: Transforming Dreams into Actions.' Kalam missed the spot by only one position, securing the 9th rank, while the Indian Air Force (IAF) at that time only had eight available positions.
Before graduating in Aeronautical Engineering from the Madras Institute of Technology (MIT), Kalam was eager to fly for the Indian Air Force. Even after failing to join the IAF, Kalam did not give up his pursuit of the skies and chose to study Aeronautical engineering.
He received two interview calls, one from the Air Force and the other from the Directorate of Technical Development and Production (DTDP) at the Ministry of Defence in Delhi.
Kalam mentions in his book that the interview at the DTDP was easy, while the Air Force selection board interview was tricky, requiring a certain kind of smartness in candidates. Out of 25 candidates at the Air Force interview, he secured the 9th position, leaving just one position behind out of the eight available slots.
THE JOURNEY TO BECOME THE SCIENTIST
Although he dreamed of being a pilot, financial constraints led him to study physics at St. Joseph’s College, Tiruchirappalli, and later aerospace engineering at the Madras Institute of Technology.
Kalam began his career at Hindustan Aeronautics Limited and later joined the Indian Space Research Organisation (ISRO) in 1969. His pivotal role in launching India’s first satellite, SLV-3, marked the beginning of his journey as a pioneering scientist. At the Defence Research and Development Organisation (DRDO), he led crucial projects that developed the Agni and Prithvi missiles.
In 2002, Kalam was elected the 11th President of India, serving until 2007. He inspired countless students with his vision for a developed India and continued to engage with youth even after his presidency.
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Dr. A.P.J. Abdul Kalam was the 11th President of India and known as the Missile Man. Let us study about APJ Abdul Kalam Biography, Books, Facts, Awards, Legacy, Family History etc. in Hindi.
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A.P.J. Abdul Kalam (born October 15, 1931, Rameswaram, India—died July 27, 2015, Shillong) was an Indian scientist and politician who played a leading role in the development of India's missile and nuclear weapons programs. He was president of India from 2002 to 2007. His scientific achievements and popularity gained him the epithets "Missile Man" and "People's President."
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This is a list of things named after A. P. J. Abdul Kalam, the Indian aerospace scientist who also served as the 11th President of India from 25 July 2002 to 25 July 2007. [1] Science ... Dr. APJ Abdul Kalam DRDO Golden Jubilee Auditorium at Bavdhan in city of Pune in Maharashtra state. Colleges and universities