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विज्ञान दिवस पर निबंध हिंदी में | Essay On Science Day in Hindi (Download PDF)

Essay On Science Day in Hindi

Science Day Essay in Hindi: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस ( National Science day) हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है। यह दिन प्रसिद्ध भारतीय भौतिक विज्ञानी सर सीवी रमन की ‘रमन प्रभाव’ की खोज का जश्न मनाने का दिन है। इसके अलावा, विज्ञान दिवस एक ऐसा दिन हैं। जहां लोग विज्ञान और हमारे जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में जान सकते हैं।  विज्ञान दिवस पर, विज्ञान को बढ़ावा देने और लोगों को व्यावहारिक प्रयोगों में भाग लेने का अवसर देने के लिए दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पहली बार विज्ञान दिवस 1987 में मनाया गया था। विज्ञान दिवस पूरे देश में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में मनाया जाता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस अनुसंधान संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों और विज्ञान संस्थानों में भी मनाया जाता है।

ऐसे में यदि आप एक छात्र हैं और विज्ञान दिवस के ऊपर एक बेहतरीन निबंध लिखना चाहते हैं लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है कि आप Science Day Essay in Hindi कैसे लिखेंगे उससे संबंधित जानकारी आज के आर्टिकल में Science Day Essay in Hindi  से जुड़ी जानकारी आपके साथ साझा करेंगे आईए जानते हैं:- 

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर निबंध | National Science Day Essay

हर साल 28 फरवरी को भारत राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है। यह दिन 28 फरवरी 1928 को “रमन प्रभाव” की खोज की याद दिलाता है। सीवी रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की और 1930 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) के अनुरोध पर मनाया जाता है। स्कूलों ने विज्ञान से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके इस दिन को मनाया।इंजीनियरिंग और साइंस कॉलेजों में यह दिन महत्वपूर्ण स्थान रखता है।  इस दिन सरकार विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों को पुरस्कार और पुरस्कार भी वितरित करती है। 1987 में भारत ने पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया। National Science Day हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व को भी बढ़ावा देता है। विज्ञान दिवस लोगों को वैज्ञानिक अनुसंधान में अधिक योगदान देने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस निबंध | National Science Day Nibandh

लेख का प्रकारनिबंध
कब मनाया जाता है28 फरवरी
किस लिए मनाया जाता हैसीवी रमन की खोज के लिए
डॉ. सीवी रमन ने क्या खोजा थारमन प्रभाव
सबसे पहले कब मनाया गया था28 फरवरी 1987
विज्ञान दिवस की घोषणा कब हुई1986
विश्व विज्ञान दिवस कब है?10 नवंबर

प्रस्तावना: 

1928 में सर सीवी रमन द्वारा ‘रमन प्रभाव’ की खोज की याद में हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस खोज के लिए सर सीवी रमन को भौतिकी में 1930 का नोबेल पुरस्कार भी मिला

विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है?

Science Day Kyu Mananya Jata Hai: 28 फरवरी 1928 को, महानतम भारतीय भौतिकविदों में से एक, सर सीवी रमन ने प्रकाश के प्रकीर्णन पर अपनी उपन्यास खोज की घोषणा की, जिसे ‘रमन प्रभाव’ के रूप में जाना जाता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज थी | जिसके कारण उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार मिला। राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) ने 1986 में भारत सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। 

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास क्या है? (Science Day History)

पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 1987 में मनाया गया था। सर सीवी रमन की महत्वपूर्ण खोज के लगभग छह दशक बाद, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) ने 1986 में सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में घोषित करने का अनुरोध किया था। इसलिए, 1987 से शुरू होकर, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल भारतीय स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य प्रासंगिक स्थानों में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाया जाता है?

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है। स्कूल और कॉलेज अत्यधिक उत्साह और जोश के साथ भाग लेते हैं। मुख्यतः इंजीनियरिंग और विज्ञान महाविद्यालयों में प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं और छात्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग पर चर्चा करते हैं।सरकार किसी न किसी तरह से विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में शामिल व्यक्तियों और संगठनों को  विज्ञान संबंधित पुरस्कार उन्हें प्रदान करती हैं।

विज्ञान दिवस पर संक्षिप्त भाषण | Short Speech On Science Day

विज्ञान दिवस भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक वार्षिक उत्सव है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पहली बार भारत में 1987 में मनाया गया था। इसके अतिरिक्त, विज्ञान दिवस देश भर में स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी एजेंसियों, विश्वविद्यालयों आदि सहित विभिन्न सेटिंग्स में मनाया जाता है। अनुसंधान संस्थान, मेडिकल स्कूल और विज्ञान संस्थान सभी राष्ट्रीय विज्ञान में भाग लेते हैं। इस दिन स्कूल और विश्वविद्यालय में विज्ञान दिवस से संबंधित कई प्रकार के प्रतियोगिता आयोजित किए जाते हैं जिसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुरस्कार दिया जाता हैं। 

Also Read: राष्ट्रीय बालिका दिवस कब, क्यों, कैसे मनाया जाता है?

विज्ञान दिवस भाषण | Science Day Speech 

प्रिय विशिष्ट अतिथियों, सम्मानित वैज्ञानिकों और मेरे साथी नागरिकों,

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आपको संबोधित करते हुए मुझे गर्व महसूस हो रहा है। इस दिन, हम भारत के सबसे प्रसिद्ध भौतिकविदों में से एक, सर सीवी रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज का जश्न मनाते हैं, जिनके काम ने हमारे देश और उसके बाहर वैज्ञानिकों की पीढ़ियों को  विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था।  रमन प्रभाव एक अभूतपूर्व खोज थीं।  जिसने आधुनिक भौतिकी के विकास का मार्ग प्रशस्त किया और वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा बदल दी। इस खोज ने   सर सीवी रमन को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिलाया बल्कि भारत को वैश्विक वैज्ञानिक मानचित्र पर स्थापित करने का भी काम किया था।

 जो हर एक भारतीयों के लिए गौरव की बात थीं। विज्ञान हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आवश्यक है। यह वह इंजन है जो स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, ऊर्जा और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और प्रगति को संचालित करता है। वैज्ञानिक अनुसंधान में जलवायु परिवर्तन से लेकर गरीबी और असमानता तक, आज हमारी दुनिया के सामने आने वाली कुछ सबसे गंभीर चुनौतियों का समाधान करने की शक्ति है।

इस राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर, आइए हम वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार समर्थन करें आइए हम युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें उत्कृष्टता हासिल करने के लिए आवश्यक संसाधन और बुनियादी ढांचा प्रदान करें।  अंत में, मैं इस राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर सभी वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहता हूं। आपका कार्य हम सभी के लिए बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए  महत्वपूर्ण हैं। इन शब्दों के माध्यम से मैं अपने भाषण का समापन कर रहा हूं |

विज्ञान दिवस पर भाषण | Speech On Science Day 

आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों, सभी को सुप्रभात

माननीय अतिथियों और मेरे प्यारे दोस्तों, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के बारे में बोलने का इतना बड़ा अवसर पाकर मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। सबसे पहले सभी वैज्ञानिकों एवं विज्ञान प्रेमियों को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि हम यह दिवस क्यों मनाते हैं? इसका उद्देश्य क्या है? दोस्तों, यह दिन विज्ञान के क्षेत्र में सर चंद्र शेखर वेंकट रमन के समृद्ध और चिरस्थायी योगदान को बड़े गर्व के साथ याद करने के लिए मनाया जाता है। इसी दिन सर सीवी रमन ने वर्ष 1928 में  रमन प्रभाव की खोज की थी सीवी रमन युवा दिमागों के लिए एक महान प्रेरणा हैं, सर सीबी रमन द्वारा किए गए आविष्कार का सम्मान करने के लिए, हर साल 28 फरवरी को पूरे देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सर रमन को वर्ष 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और दृढ़ता को सलाम करने का एक अवसर है।  यह दिन लोगों को विज्ञान से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा करने और विज्ञान के क्षेत्र में विकास के लिए नई तकनीकों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस एक थीम के अनुसार मनाया जाता है जो विज्ञान के महत्व के बारे में संदेश फैलाता है। 2024 में विज्ञान दिवस का थीम Science for a Sustainable Future” . घोषित किया गया है उसके अनुरूपी 2024 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाएगा। मैं अपने भाषण का समापन विज्ञान दिवस संबंधित Quote किसी भी देश की उन्नति के लिए सबसे ज्यादा योगदान विज्ञान का होता है।

विज्ञान दिवस पर निबंध PDF Download:

शिक्षण संस्थानों में विज्ञान दिवस 2024 पर निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। ऐसे में निबंध PDF फॉर्मेट में उपलब्ध हो तो बहुत अच्छा हो। प्रस्तुत है आपके लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर निबंध PDF फॉर्मेंट में आप इसे डाउनलोड कर सकते है।

उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित अगर आपका कोई भी सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं। तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में 

FAQ’s: Science Day Nibandh in Hindi

Q. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को क्यों मनाया जाता है?

Ans.भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में नामित किया था। इस दिन सर सीवी रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस अवसर पर विषय-आधारित विज्ञान पूरे देश में संचार गतिविधियाँ चलायी जाती हैं। 

Q. पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया गया था?

1986 में, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) ने केंद्र से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने का अनुरोध किया। यह दिन पहली बार 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था। इसी दिन वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने रमन प्रभाव की खोज की थी।

Q. 2024 में विज्ञान दिवस कब मनाया जाएगा? 

Ans. 2024 में विज्ञान दिवस 28 फरवरी को मनाया जाएगा।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2022 - राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास - राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाते है - राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाया जाता है - उपसंहार।

वर्ष 1928 में सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन, भारतीय भौतिकविज्ञानी के द्वारा भारत में “रमन प्रभाव” के आविष्कार को याद करने के लिये हर वर्ष 28 फरवरी को बड़े उत्साह के साथ पूरे भारत वर्ष में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है। वर्ष 1930 में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करने के लिये भौतिक विज्ञान में चन्द्रशेखर वेंकट रमन को नोबल पुरस्कार से पुरस्कृत कर उन्हें सम्मानित किया गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2022 में, 28 फरवरी, सोमवार के दिन मनाया जायेगा।

भारत में 28 फरवरी 1928 एक महान दिन था जब प्रसिद्ध भारतीय भौतिक शास्त्री चन्द्रशेखर वेंकट रमन के द्वारा भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में आविष्कार पूरा हुआ था। वो एक तमिल ब्राह्मण थे जो विज्ञान के क्षेत्र के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में ऐसे आविष्कार पर शोध किया था। भविष्य में इस कार्यक्रम को हमेशा याद और सम्मान देने के लिये वर्ष 1986 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय संचार के लिये राष्ट्रीय परिषद के द्वारा भारत में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रुप में नामित करने के लिये भारतीय सरकार से कहा गया था। आज भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में एक महान कार्यक्रम के रुप में पूरे भारत वर्ष में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जा रहा है। इसे हर वर्ष विद्यार्थी, शिक्षक, संस्थान, और शोधकर्ताओं द्वारा स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, भारत के तकनीकी और शोध संस्थान, चिकित्सा, अकादमिक, वैज्ञानिक सहित सभी शिक्षण संस्थान मनाते हैं। भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के पहले उत्सव के मौके पर विज्ञान संप्रेषण और सार्वजनिकीकरण के क्षेत्र में एक प्रशंसनीय प्रयास और उत्कृष्ट पहचान के लिये राष्ट्रीय विज्ञान सार्वजनिकीकरण पुरस्कार की घोषणा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय संचार के लिये राष्ट्रीय परिषद ने किया था।

भारत में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में इंडियन ऐसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में 1907 से 1933 तक सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने कार्य किया था जिसके दौरान उन्होंने भौतिकी के कई बिन्दुओं पर शोध किया था जिसमें से “रमन प्रभाव”(प्रकाश के फैलने पर प्रभाव जब विभिन्न वस्तुओं के द्वारा उसको गुजारा जाता है) उनकी महान सफलता और खोज बनी जो भारतीय इतिहास में प्राख्यात हुआ। अपने बड़े आविष्कार के लिये वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार सहित कई भारतीय पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया। साल 2013 से, अमेरिकन केमिकल समाज द्वारा अंतरराष्ट्रीय ऐतिहासिक केमिकल लैंडमार्क के रुप में “रमन प्रभाव” को नामित किया गया है। वर्ष 2009 के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस उत्सव के दौरान, देश में आधुनिक विज्ञान के सार्वजनिकीकरण और नेतृत्व के लिये सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के भारतीय वैज्ञानिकों के बड़े प्रयासों और उपलब्धियों की पहचान के लिये विज्ञान संचार के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार के द्वारा पाँच भारतीय संस्थान को इंडियन डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने पुरस्कृत किया। विज्ञान से इसके बड़े योगदान की पहचान के लिये वर्ष 2009 में विक्रम साराभाई समुदाय विज्ञान केन्द्र को सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने स्कूल और कॉलेजों से विद्यार्थियों के भाग लेने, राज्य और राष्ट्रीय विभाग से वैज्ञानिकों के द्वारा वैज्ञानिक क्रिया-कलापों और कार्यक्रमों की पहचान के लिये विज्ञान उत्सव के रुप में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाने का मुख्य कारन था और लोगों के दैनिक जीवन में वैज्ञानिक अनुप्रयोग के महत्व के बारे में एक संदेश को व्यापक तौर फैलाने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है।

मानव कल्याण के लिये विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करते है। विज्ञान के विकास के लिये सभी मुद्दों पर चर्चा करना और नयी प्रौद्योगिकी को लागू करना इस दिवस का मुख्य उद्श्य है। देश में वैज्ञानिक दिमाग नागरिकों को सही मौका प्रदान करता है। विज्ञान और उनके तकनीक को प्रसिद्ध करना साथ ही लोगों को बढ़ावा देना राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मिशन है। वर्ष 2020 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम “वुमन इन साइन्स” था। हालांकि वर्ष 2021 की थीम अभी तक घोषणा नही हुई है।

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 पर भाषण व निबंध | Speech on National Science Day Essay in Hindi

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मनुष्य हमेशा से ही एक जिज्ञासु प्राणी रहा है और इसी जिज्ञासा को विज्ञान की जननी माना जाता है।

जिज्ञासा से विज्ञान और विज्ञान से प्रौद्योगिकी (Technology) का जन्म होता है। जैसे-जैसे मानव जीवन की आवश्यकताएं बढ़ती गई वैसे-वैसे नई-नई तकनीकों का आविष्कार होने लगा। आज हम अपने दैनिक जीवन में व्यापक स्तर पर तकनीकी द्वारा बनाई गई वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन विज्ञान एक वरदान या अभिशाप दोनों साबित हो सकता है। क्योंकि इसका सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों इंसानों के हाथ में है।

विज्ञान और तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए और उन्हें बेहतर ढंग से समझने तथा सदुपयोगी बनाने के लिए भारत में हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फरवरी को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के खास मौके पर देशभर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस खास मौके पर विभिन्न वैज्ञानिक संस्था और शिक्षण संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर निबंध लेखन (National Science Day Essay In Hindi) प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।

केवल इतना ही नहीं, इस दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भाषण (National Science Day Speech In Hindi) के जरिए विज्ञान के महत्व अनुप्रयोग और उसकी उपयोगिता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रकार के जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।

इस साल 28 फरवरी 2023 का दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 के रूप में मनाया जाएगा। अगर आप भी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 पर निबंध, भाषण (National Science Day 2023 Essay, Speech In Hindi) की तलाश कर रहे हैं तो हमारा यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित होगा।

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विषय–सूची

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 पर निबंध, भाषण (Speech on National Science Day Essay in hindi)

भारत में एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक पैदा हुए जिन्होंने विश्व स्तर पर विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की और नए नए खोज अविष्कार किए।

इन्हीं भारतीय वैज्ञानिकों में सी.वी. रमन जी का नाम भी शामिल है जिन्हें “रमन प्रभाव (Raman Effect)” की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 28 फरवरी का दिन वह ऐतिहासिक दिन था जब भारत के महान भौतिक शास्त्री चंद्रशेखर वेंकट रमन (C.V. Raman) ने इस रमन प्रभाव (Raman Effect) की खोज की थी।

इसीलिए रमन प्रभाव की खोज के उपलक्ष में हर साल 28 फरवरी का दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रुप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 का संक्षिप्त विवरण (Speech on National Science Day Essay in hindi)

लेख का प्रकारनिबंध व भाषण
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है?रमन प्रभाव की खोज
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है?28 फरवरी
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की शुरुआत किसके द्वारा की गईभारत के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC)
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाने की घोषणा 1986
पहली बार कब शुरु हुआ?28 फरवरी 1987
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन किसको याद करते हैंसी.वी. रमन
सी.वी. रमन का जन्म दिवस7 नवंबर 1888
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 थीमवैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान

रमन प्रभाव की खोज (Discovery of Raman Effect) –

चंद्रशेखर वेंकट रमन भारत के एक महान भौतिक वैज्ञानिक थे जिन्हें सी.वी. रमन के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने ही भौतिक विज्ञान में रमन प्रभाव (Raman Effect) की खोज की थी।

28 फरवरी 1928 का दिन वह ऐतिहासिक दिन था जब सर सी.वी रमन जी ने रमन प्रभाव की खोज की थी। यह प्रभाव प्रकाश के प्रकीर्णन से जुड़ा हुआ है। चूंकि सी.वी. रमन ने इस प्रभाव की खोज की थी इसलिए उनके सम्मान में इस प्रभाव अथवा इफ़ेक्ट का नाम रमन इफेक्ट रख दिया गया।

भौतिक विज्ञान के प्रकाशिकी में रमन प्रभाव की खोज के बाद भारत के महान भौतिक वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन जी को 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास –

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने की शुरुआत 1987 में हुई। पहली बार 28 फरवरी 1987 को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया था.

रमन प्रभाव की खोज जैसी उपलब्धि को भारतीय इतिहास में संजोने और अमर करने के लिए भारत के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC) ने 28 फरवरी के दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया और साल 1986 में इसकी घोषणा की।

1986 में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC) द्वारा सार्वजनिक रूप से घोषणा करने के बाद 28 फरवरी 1987 से लगातार हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाने लगा।

इन्हें भी पढ़ैं-

  • राष्ट्रीय एकता दिवस पर निबंध व कविता
  • बाल दिवस पर निबंध और भाषण
  • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण
  • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर निबंध

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाया जाता है?

भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के खास मौके पर भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध विभिन्न प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा भी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

28 फरवरी के इस खास मौके पर शिक्षण संस्थानों में निबंध लेखन, भाषण और स्लोगन लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में विज्ञान और आधुनिक तकनीक के विषय पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के विशेष मौके पर भारत सरकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के अभियान का शुभारंभ करती है ताकि आने वाले समय में देशभर के लोगों को विज्ञान की उपयोगिता के प्रति जागरूक किया जा सके और साथ ही साथ उन्हें विज्ञान के सदुपयोग से लाभ और दुरुपयोग से हानि के बारे में भी सतर्क किया जा सके।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व –

मानव जीवन में विज्ञान का बहुत विशेष महत्व है क्योंकि हमारा जीवन, हमारी मृत्यु, हमारी दिनचर्या, प्रकृति, उपयोग में लाए जाने वाले संसाधन यह सभी विज्ञान से जुड़े हुए हैं और कहीं ना कहीं विज्ञान की ही देन है।

आज हम जितनी सुख सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं यह सारी चीजें विज्ञान द्वारा विकसित की गई तकनीकों का ही नतीजा है। मानव शुरू से ही एक जिज्ञासु प्राणी रहा है। हमारे भीतर जानने की इच्छा हमेशा चरम पर रहती है।

हम हर उस नई चीज को जानना और समझना चाहते हैं जिसे अपने आसपास देखते हैं या हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं। यही कल्पनाएं और जिज्ञासाएं विज्ञान का आधार है। जिज्ञासा को विज्ञान की जननी माना जाता है।

ऐसे में विज्ञान के साथ साथ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का हमारे जीवन में बहुत विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन हमें भारतीय वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन जी की महान उपलब्धि के बारे में याद दिलाता है। साथ ही साथ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम और चलाए गए अभियान हमें विज्ञान की उपयोगिता के लिए प्रेरणा देते हैं और इससे होने वाले जोखिमों के बारे में जागरूक करते हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य –

भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का सबसे प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान और तकनीकी को बढ़ावा देना है। इसके अलावा विज्ञान के प्रति लोगों को जागरूक करना भी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य है ताकि वह सही तरीके से विज्ञान का उपयोग करें।

हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस एक नई थीम अथवा विषय के साथ मनाया जाता है। अलग-अलग थीम के जरिए हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर भविष्य में विज्ञान को लेकर संकल्प लिए जाते हैं।

विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी! एक और जहां विज्ञान हमें दुनिया भर की सुख सुविधाएं प्रदान करता है तो वही यह मानव जीवन और प्रकृति को नुकसान भी पहुंचा सकता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु युद्ध इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिसने पूरे जापान को तबाह कर दिया।

हालांकि विज्ञान की उपयोगिता हम सब पर निर्भर करती है, कि हम इसका सदुपयोग करके इसे वरदान बनाएंगे अथवा दुरुपयोग करके अभिशाप।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम (National Science Day Theme 2023)

हर साल की तरह इस साल भी 28 फरवरी 2023 को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाएगा। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को हर साल अलग-अलग थीम अथवा विषयों के साथ मनाया जाता है।

इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान (Global Science for Global Wellbeing)” घोषित की गई है।

जबकि पिछले साल 2022 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम “सतत विकास के लिए बुनियादी विज्ञान” थी।

विश्व कल्याण में विज्ञान की भूमिका –

संपूर्ण विश्व के कल्याण में विज्ञान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। विज्ञान ने इस विश्व और संपूर्ण मानव जाति को ऐसी उपलब्धियां प्रदान की है जिन्हें केवल स्वप्न समझा जाता था।

आज यह विश्व केवल पृथ्वी तक संकुचित नहीं है बल्कि मानव जगत की परिकल्पनाएं विज्ञान की बदौलत ब्रम्हांड के दूसरे ग्रहों तक भी पहुंच गई हैं। आज इंसान चांद और अंतरिक्ष तक पहुंच चुका है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में –

पिछले कुछ सालों से कोविड-19 ऐसी भीषण महामारी ने पूरे विश्व को हताश कर दिया है। इस महामारी के चलते दुनिया भर के लाखों लोगों ने अपनी जान गवा दी और आज भी लाखों लोग इस महामारी से जूझ रहे हैं।

लेकिन ऐसे कठिन समय में एक विज्ञान ही है जिसने मानव जीवन और मानव स्वास्थ्य के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाई है। विज्ञान की बदौलत ही विश्व और भारत के वैज्ञानिक कोविड-19 जैसी भयावह महामारी के लिए वैक्सीन बनाने में कामयाब रहे।

विज्ञान की बदौलत न केवल कोविड-19 बल्कि दुनिया भर के जटिल से जटिल रोगों की वैक्सीन बनाई जा चुकी हैं और आगे भी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन –

वैसे तो बढ़ती तकनीकी के साथ ही विश्व का प्रदूषण स्तर भी बढ़ता चला जा रहा है लेकिन अगर देखा जाए तो कहीं ना कहीं विज्ञान प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विज्ञान की ही देन है कि आज विद्युत जैसे ऊर्जा स्रोत की खोज हो चुकी है जिससे विश्व का कार्बन उत्सर्जन नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा आए दिनों विज्ञान की मदद से ही ऊर्जा के नए नए स्रोत खोजो जा रहे हैं और प्रदूषण तथा जलवायु परिवर्तन को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

खाद्य पदार्थों की उपलब्धता–

आज भारत की आबादी लगभग 130 करोड़ पार है। केवल भारत में ही नहीं बल्कि इस संपूर्ण विश्व की आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण भोजन और खाद्य पदार्थों की उपलब्धता के लिए संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है।

ऐसी परिस्थिति में विज्ञान ने खाद्य पदार्थों की उपलब्धता के लिए भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जैव उत्पादन के क्षेत्र में उन्नतशील बीज, उर्वरक और कीटनाशक की मदद से कृषि की उत्पादन क्षमता बढ़ा रहा है ताकि दुनिया भर के लोगों को खाद्य पदार्थों की उपलब्धता हो सके।

सुरक्षा के क्षेत्र में विज्ञान–

सुरक्षा के क्षेत्र में भी विज्ञान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज भारत के पास राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एक से बढ़कर एक संसाधन उपलब्ध हैं। मिसाइल और लड़ाकू विमानों से संपन्न हमारा भारत देश आज राष्ट्रीय सुरक्षा संयंत्रों के मामले में परमाणु संपन्न भी हो चुका है।

उपसंहार / निष्कर्ष (Conclusion)–

आज पूरी दुनिया के लिए विज्ञान को बेहतर ढंग से समझने और इसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। दुनिया भर की मानव जाति को सुविधाएं प्रदान करने में कारगर विज्ञान केवल हमारी एक छोटी सी चूक से हमारा काल बन सकता है।

विज्ञान को तेज धार वाली चाकू के सामान समझा जा सकता है, जिससे भोजन बनाने के लिए सब्जियां और इंसानों के सर दोनों काटे जा सकते हैं। हालांकि यह बात हम पर निर्भर करती है कि हम उसका उपयोग किस तरीके से करना चाहते हैं।

जैसे थोड़ी सी लापरवाही पर तेज धार वाले चाकू खुद हमें नुकसान पहुंचा देती है ठीक वैसे ही विज्ञान में जरा सी लापरवाही संपूर्ण मानव जाति के जीवन को बर्बाद कर सकती है। इसीलिए हमें विज्ञान की उपयोगिता के प्रति जागरूक होना चाहिए और इसका केवल सही इस्तेमाल करना चाहिए।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस किस दिन हैं?

28 फरवरी मंगलवार के दिन है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन किसकों याद किया जाता है?

महान भौतिक शास्त्री चंद्रशेखर वेंकट रमन

2023 राष्ट्रीय विज्ञान दिवस थीम क्या है?

“वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान (Global Science for Global Wellbeing)

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पहली बार कब मनाया गया था?

28 फरवरी 1987

भौतिक वैज्ञानिक वेंकट रमन की खोज क्या है?

प्रभाव प्रकाश के प्रकीर्णन से जुड़ी खोज जिसका नाम उनके ही नाम पर रमन प्रभाव रखा गया।

इन्हें भी पढ़ें-

  • विश्व पर्यटन दिवस पर निबंध व भाषण
  • राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस कब मनाया जाता है?
  • राष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध व भाषण
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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भारत पर निबंध Essay National Science Day India in Hindi

इस लेख में हमने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भारत पर निबंध (Essay National Science Day India in Hindi) लिखा है। यह भारत में कब और क्यों मनाया जाता है? और चन्द्रशेखर वेंकटरमन (सी वी रमन) से इस दिन को क्यों जोड़ा जाता है।

Table of Content

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भारत में क्यों मनाया जाता है? Why National Science Day is Celebrated?

पढ़ें: चन्द्रशेखर वेंकटरमन : सी वी रमन की जीवनी

भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब है? When is National Science Day India

भारत में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी, को ‘सी वी रमन’ जी के सम्मान में मनाया जात है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास History of National Science Day

भविष्य में 28 फरवरी में  इस घटना को याद रखने और सम्मान देने के लिए वर्ष 1986 में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC) ने भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने के लिए भारत सरकार से कहा।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार के लिए राष्ट्रीय परिषद ने भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के पहले समारोह में विज्ञान संचार और लोकप्रियता के क्षेत्र में उत्कृष्ट और अद्भुत प्रयासों को पहचानने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान लोकप्रियता पुरस्कार की घोषणा की थी।

अपने बड़े आविष्कार के लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार सहित विभिन्न भारतीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 में, “रमन प्रभाव” को अमेरिकन केमिकल सोसाइटी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक केमिकल सीमाचिह्न के रूप में नामित किया गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, स्कूल और कॉलेज के छात्रों, राज्य और राष्ट्रीय संकायों के वैज्ञानिकों की भागीदारी से वैज्ञानिक गतिविधियों और कार्यक्रमों को मान्यता देने के लिए विज्ञान कार्निवल के रूप में मनाया जाता है। इस आयोजन उत्सव में विभिन्न नए आने वाले वैज्ञानिकों के लिए इस मंच पर उनको आगे बढ़ने और विज्ञान के पेशे में अपना करियर उज्ज्वल करने के लिए एक वास्तविक मंच प्रदान किया है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उत्सव How National Science Day is Celebrated in India?

रेडियो खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के क्षेत्र में उनकी अग्रणी अनुसंधान गतिविधियों को पहचानने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह में NCRA और GMRT द्वारा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के लिए आम जनता और छात्र समुदाय के लिए कार्यक्रमों की विविधता भी आयोजित की जाती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री इस दिन अपने भाषण के माध्यम से छात्रों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और राष्ट्र की सामान्य जनता को संदेश देते हैं।

C V Raaman Photo Source – Wikimedia (Copyright)

science day essay in hindi

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भाषण – Science Day speech in hindi

- Last updated on Feb 26, 2020

विज्ञान दिवस 2020 : इस लेख में हमने राष्ट्रिय विज्ञानं दिवस पर भाषण दिया है. विज्ञानं दिवस क्या है? क्यों मनाया जाता है? इसका महत्व क्या है? ये अभी जानकारी के साथ एक उत्तम भाषण script देने का प्रयास किया है. विज्ञानं दिवस के अवसर पर छात्र और अध्यापक इस भाषण को किसी कार्यक्रम में प्रस्तुत कर सकते है. या फिर छात्र इसे निबंध के रूप में भी लिख सकते है.

विज्ञान दिवस पर भाषण हिंदी में

वैज्ञानिक अनुप्रयोग के महत्व के संदेश को व्यापक तौर पर प्रसारित करने के उद्देश्य से “राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फरवरी को भारत में मनाया जाता है।  वर्ष 1928 में सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन, भारतीय भौतिकविज्ञानी के द्वारा भारत में “रमन प्रभाव” के आविष्कार को याद करने के लिये इस विज्ञान दिवस का विशेष महत्व है.

Science Day speech in hindi

आपको बता दे की वर्ष 1930 में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करने के लिये भौतिक विज्ञान में चन्द्रशेखर वेंकट रमन को नोबल पुरस्कार से पुरस्कृत और सम्मानित किया गया था।

ज्ञान का परिष्कृत और उन्नत स्वरूप है विज्ञान। आदिकाल में मनुष्य को अंधेरें से डर लगता था। सहज वृत्ति और विज्ञान ने पत्थरों की रगड़ से मनुष्य ने आग की खोज की। अंधेरा हटा और मानव ने विज्ञान को आत्मसात किया। तर्क की कसौटी पर कसने के बाद ही विभिन्न वैज्ञानिक सिद्धांतों को प्रतिपादित किया गया। हमने एक राष्ट्र के रूप में विज्ञान के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। लेकिन अब भी काफी लंबा सफर तय करना है।

मानव जीवन में विज्ञान का अहम योगदान है। विज्ञान के बगैर विकास की कल्पना संभव नहीं है। 

रात के बाद दिन क्यों, ऋतुओं का परिवर्तन क्यों, पानी डालने पर आग बुझती क्यों, बीज से पौधे क्यों से लेकर सेब पेड़ से धरती पर गिरता क्यों? ………आखिर क्यों? ये सब वो सवाल थे जिन्होंने मानव को सदा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। इनके कारण जानने को लगातार खोज के लिए प्रेरित किया। विज्ञान और विश्वास के बीच दव्ंदव् नहीं सह संबंध है। मानव ने पहिए का सर्वप्रथम आविष्कार किया। बड़ा और क्रांतिकारी। इस खोज ने गति प्रदान की। मानव अब एक जगह का नहीं होकर दुनिया भर में अपनी पहुंच बनाने लगा था।

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विज्ञानं दिवस को सिर्फ आज के दिन विशेष के रूप में नहीं बल्कि पुरे साल भर विज्ञान की गतिविधियों और वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ने का काम करना है.

  • लोगों के दैनिक जीवन में वैज्ञानिक अनुप्रयोग के महत्व के बारे में एक संदेश को व्यापक तौर फैलाने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है।
  • मानव कल्याण के लिये विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करके हमें आगे बढ़ाना है.
  • आज के दिन विज्ञान के विकास के लिये सभी मुद्दों पर चर्चा करना और नयी प्रौद्योगिकी को लागू करने के बारे में हमें सोचना चाहिए.

आज के युग को विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग कहा जाता है, और इस क्षेत्र में हम तीव्र गति से प्रगति कर रहे हैं। हमारे जीवन को खुशहाल बनाने के लिए, वैज्ञानिक भी दिन-प्रतिदिन नई तकनीकों का विकास कर रहे हैं’

पिछला दशक तकनीक के विकास के मामले में हमारी ज़िंदगी में क्रांति लेकर आया है. इसने एक तरह से कई वैज्ञानिक आविष्कारों की नींव रख दी है. 20वीं सदी में इंटरनेट ने कंप्यूटर क्रांति के लिए रास्ता बना दिया.हालांकि, पिछले दशक में आई डिजिटल क्रांति ने पूरी दुनिया के काम करने का तरीका बदल दिया.

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लेकिन क्या हम खुश हैं? क्या आधुनिक तकनीकों को ध्यान में रखते हुए, विज्ञान ने हमें ऐसी तकनीक दी है, जिसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं है? इसका मतलब है कि हम कहीं न कहीं गलती कर रहे हैं। जैस कि हमने भौतिक विज्ञान को गहराई से नहीं समझा है।

जब एक वैज्ञानिक एक तकनीक का आविष्कार करता है, तो क्या वह इसके प्रतिकूल प्रभावों के बारे में सोचता है? उनकी दृष्टि हमेशा एकतरफा रहती है। यही कारण है कि वर्तमान में कोई भी तकनीक पूरी तरह से हानिरहित नहीं है। आधुनिक विज्ञान आज कई गंभीर समस्याओं से घिरा हुआ है। लेकिन इसके भी कई हल है और वो भी विज्ञानं से ही आसन हो जायेगा.

आज हम विज्ञान में बहुत तरक्की कर चुके है लेकिन अब भी हमें विज्ञान के क्षेत्र में बहुत कुछ करना बाकी हैं। स्वतंत्रता के बाद देश में विज्ञान के विकास के लिए हमारे नीति निर्धारकों ने एक स्वप्न देखा था। जिसे आज हम सात दशक बाद फलता-फूलता हुआ देख रहे हैं। इस दिशा में सभी का सहयोग जरूरी है जिससे कि विज्ञान और अधिक विकसित होता रहे।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का थीम (विषय)

वर्ष 1999 – “हमारी बदलती धरती”।

वर्ष 2000 – “मूल विज्ञान में रुचि उत्पन्न करना”।

वर्ष 2001 – “विज्ञान शिक्षा के लिये सूचना तकनीक”।

वर्ष 2002 – “पश्चिम से धन”।

वर्ष 2003 – “जीवन की रुपरेखा- 50 साल का डीएनए और 25 वर्ष का आईवीएफ”।

वर्ष 2004 – “समुदाय में वैज्ञानिक जागरुकता को बढ़ावा देना”।

वर्ष 2005 -“भौतिकी को मनाना”।

वर्ष 2006 – “हमारे भविष्य के लिये प्रकृति की परवरिश करें”।

वर्ष 2007 – “प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल”।

वर्ष 2008 – “पृथ्वी ग्रह को समझना”।

वर्ष 2009 – “विज्ञान की सीमा को बढ़ाना”।

वर्ष 2010 – “दीर्घकालिक विकास के लिये लैंगिक समानता, विज्ञान और तकनीक”।

वर्ष 2011 – “दैनिक जीवन में रसायन”।

वर्ष 2012 – “स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा”।

वर्ष 2013 – “अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा”।

वर्ष 2014 – “वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना”।

वर्ष 2015 – “राष्ट्र निर्माण के लिये विज्ञान”।

वर्ष 2016 – “देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के लक्ष्य” ।

वर्ष 2017 – “विशेष रूप से एबल्ड पर्सन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी”।

वर्ष 2018 –  “एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी।”

वर्ष 2019 – “विज्ञान के लिए जन और जन विज्ञान के लिए विज्ञान।”

वर्ष 2020 – ” विज्ञान में महिलाएँ” ।

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

वर्ष 1928 में सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन, भारतीय भौतिकविज्ञानी के द्वारा भारत में “रमन प्रभाव” के आविष्कार को याद करने के लिये हर वर्ष 28 फरवरी को बड़े उत्साह के साथ पूरे भारतवर्ष में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है। वर्ष 1930 में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करने के लिये भौतिक विज्ञान में चन्द्रशेखर वेंकट रमन को नोबल पुरस्कार से पुरस्कृत और सम्मानित किया गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021

भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021, 28 फरवरी, रविवार को मनाया गया।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2020 पर विशेष

  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2020 का थीम है “वुमन इन साइन्स” जिसका अर्थ है विज्ञान में महिलाओं की भूमिका। जो आज कल के परिवेश कि पहचान भी है और आवश्यकता भी।
  • इस अवसर पर हमारे राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, विज्ञान भवन में देश के कुछ प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों को सम्मानित किये जिसमें रितु करढाल (जिन्हें भारत की रॉकेट वुमन कहा जाता है), मौमिता दत्ता, मीनल संपत, नंदिनी हरिनाथ, अनुराधा टी. के, आदि देश कि महान महिलाएं शामिल थीं। इस मौके पर कई अन्य कैबिनेट मंत्री भी वहां मौजूद थे।
  • देश के सभी स्कूलों एवं कालेजों में इस अवसर को बड़ी उत्सुकता से मनाया गया । विज्ञान दिवस युवाओं में, कुछ अलग करने कि चाह को बढ़ाता है और उन्हें भी चन्द्रशेखर वेंकट रमन कि तरह देश का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित करता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास

भारत में 28 फरवरी 1928 एक महान दिन था जब प्रसिद्ध भारतीय भौतिक शास्त्री चन्द्रशेखर वेंकट रमन के द्वारा भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में आविष्कार पूरा हुआ था। वो एक तमिल ब्राह्मण थे और वो विज्ञान के क्षेत्र के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में ऐसे आविष्कार पर शोध किया था। भविष्य में इस कार्यक्रम को हमेशा याद और सम्मान देने के लिये वर्ष 1986 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय संचार के लिये राष्ट्रीय परिषद के द्वारा भारत में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रुप में नामित करने के लिये भारतीय सरकार से कहा गया था।

तब से, भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में एक महान कार्यक्रम के रुप में पूरे भारत वर्ष में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है। इसे हर वर्ष विद्यार्थी, शिक्षक, संस्थान, और शोधकर्ताओं द्वारा स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, भारत के तकनीकी और शोध संस्थान, चिकित्सा, अकादमिक, वैज्ञानिक सहित सभी शिक्षण संस्थान मनाते हैं। भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के पहले उत्सव के मौके पर विज्ञान संप्रेषण और सार्वजनिकीकरण के क्षेत्र में एक प्रशंसनीय प्रयास और उत्कृष्ट पहचान के लिये राष्ट्रीय विज्ञान सार्वजनिकीकरण पुरस्कार की घोषणा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय संचार के लिये राष्ट्रीय परिषद ने किया था।

भारत में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में इण्डियन ऐसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में 1907 से 1933 तक सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने कार्य किया था जिसके दौरान उन्होंने भौतिकी के कई बिन्दुओं पर शोध किया था जिसमें से “रमन प्रभाव”(प्रकाश के फैलने पर प्रभाव जब विभिन्न वस्तुओं के द्वारा उसको गुजारा जाता है) उनकी महान सफलता और खोज बनी जो भारतीय इतिहास में प्राख्यात हुआ। अपने बड़े आविष्कार के लिये वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार सहित कई भारतीय पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया। साल 2013 से, अमेरिकन केमिकल समाज द्वारा अंतरराष्ट्रीय ऐतिहासिक केमिकल लैण्डमार्क के रुप में “रमन प्रभाव” को नामित किया गया है।

वर्ष 2009 के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस उत्सव के दौरान, देश में आधुनिक विज्ञान के सार्वजनिकीकरण और नेतृत्व के लिये सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के भारतीय वैज्ञानिकों के बड़े प्रयासों और उपलब्धियों की पहचान के लिये विज्ञान संचार के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार के द्वारा पाँच भारतीय संस्थान को इण्डियन डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी ने पुरस्कृत किया। विज्ञान से इसके बड़े योगदान की पहचान के लिये वर्ष 2009 में विक्रम साराभाई समुदाय विज्ञान केन्द्र को सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया था।

स्कूल और कॉलेजों से विद्यार्थियों के भाग लेने, राज्य और राष्ट्रीय विभाग से वैज्ञानिकों के द्वारा वैज्ञानिक क्रिया-कलापों और कार्यक्रमों की पहचान के लिये विज्ञान उत्सव के रुप में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाने की शुरुआत हुई। विज्ञान के पेशे में अपने जीवन को चमकाने और अपना पैर जमाने के लिये कई नये वैज्ञानिकों के लिये ये कार्यक्रम एक सही मंच उपलब्ध कराता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाया जाता है

हर वर्ष भारत में मुख्य विज्ञान उत्सवों में से एक के रुप में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है जिसके दौरान स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी विभिन्न विज्ञान प्रोजेक्ट्स को प्रदर्शित करते हैं साथ ही राष्ट्रीय और राज्य विज्ञान संस्थान अपने नवीतम शोध प्रदर्शित करते हैं। इस समारोह में सार्वजनिक भाषण, रेडियो-टीवी टॉक शो, विज्ञान फिल्मों की प्रदर्शनी, विषय और संकल्पना पर आधरित विज्ञान प्रदर्शनी, नाईट स्काई देखना, सजीव प्रोजेक्ट्स और शोध प्रदर्शनी, चर्चा, प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता, भाषण, विज्ञान मॉडल प्रदर्शनी आदि बहुत सारे क्रियाकलाप होते हैं।

खोडद में जायंट मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप (जीएमआरटी भी कहा जाता है) में बड़े जूनुन के साथ हर वर्ष इसे मनाया जाता है जो कि टीआईएफआर (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के द्वारा स्थापित एनसीआरए (नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजीक्स) के द्वारा लो रेडियो फ्रिक्वेन्सीज़ पर संचालित किया जाने वाला पूरे विश्वभर में एक प्रसिद्ध टेलिस्कोप है।

रेडियो खगोल विद्या और खगोल भौतिकी के क्षेत्र में अपने मुख्य शोध क्रिया-कलापों को पहचान दिलाने के लिये राष्ट्रीय विज्ञान दिवस उत्सव के समारोह में एनसीआरए और जीएमआरटी के द्वारा विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित होती हैं। देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सार्वजनिकीकरण करने के लिये आम जन और विद्यार्थी वर्ग के लिये कई प्रकार के कार्यक्रम रखे जाते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मंत्री इस दिन अपने भाषण के द्वारा विद्यार्थी, वैज्ञानिक, शोधकर्ता और राष्ट्र के आम नागरिकों को एक संदेश देते हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का लक्ष्य

  • लोगों के दैनिक जीवन में वैज्ञानिक अनुप्रयोग के महत्व के बारे में एक संदेश को व्यापक तौर फैलाने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है।
  • मानव कल्याण के लिये विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिये।
  • विज्ञान के विकास के लिये सभी मुद्दों पर चर्चा करना और नयी प्रौद्योगिकी को लागू करना।
  • देश में वैज्ञानिक दिमाग नागरिकों को एक मौका देना।
  • विज्ञान और तकनीक को प्रसिद्ध करना साथ ही लोगों को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का थीम (विषय)

  • वर्ष 1999 का विषय था “हमारी बदलती धरती”।
  • वर्ष 2000 का विषय था “मूल विज्ञान में रुचि उत्पन्न करना”।
  • वर्ष 2001 का विषय था “विज्ञान शिक्षा के लिये सूचना तकनीक”।
  • वर्ष 2002 का विषय था “पश्चिम से धन”।
  • वर्ष 2003 का विषय था “जीवन की रुपरेखा- 50 साल का डीएनए और 25 वर्ष का आईवीएफ”।
  • वर्ष 2004 का विषय था “समुदाय में वैज्ञानिक जागरुकता को बढ़ावा देना”।
  • वर्ष 2005 का विषय था “भौतिकी को मनाना”।
  • वर्ष 2006 का विषय था “हमारे भविष्य के लिये प्रकृति की परवरिश करें”।
  • वर्ष 2007 का विषय था “प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल”।
  • वर्ष 2008 का विषय था “पृथ्वी ग्रह को समझना”।
  • वर्ष 2009 का विषय था “विज्ञान की सीमा को बढ़ाना”।
  • वर्ष 2010 का विषय था “दीर्घकालिक विकास के लिये लैंगिक समानता, विज्ञान और तकनीक”।
  • वर्ष 2011 का विषय था “दैनिक जीवन में रसायन”।
  • वर्ष 2012 का विषय था “स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा”।
  • वर्ष 2013 का विषय था “अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा”।
  • वर्ष 2014 का विषय था “वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना”।
  • वर्ष 2015 का विषय था “राष्ट्र निर्माण के लिये विज्ञान”।
  • वर्ष 2016 का विषय देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के लक्ष्य के लिए होगा।
  • वर्ष 2017 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकलांग व्यक्तियों के लिए है” था।
  • वर्ष 2018 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी” था।
  • वर्ष 2019 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “ लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिये लोग (सांइस फार द पीपल एंड पीपल फार साइंस ” था।
  • वर्ष 2020 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “वुमन इन साइन्स” था।
  • वर्ष 2021 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “एसटीआई का भविष्य: शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव (Future of STI: Impacts on Education, Skills and Work)” है।

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National Science Day Speech In Hindi : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर दें यह सरल और छोटा भाषण

National science day speech in hindi : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन स्कूल व कॉलेजों में कई तरह के कार्यक्रम होते हैं। अगर आप भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो यहां से आइडिया ले सकते हैं।.

National Science Day Speech In Hindi : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर दें यह सरल और छोटा भाषण

National Science Day Speech In Hindi : हर वर्ष 28 फरवरी को देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इसी दिन सर सीवी रमन ने रमन इफेक्ट की खोज की घोषणा की थी जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. सीवी रमन की रमन इफेक्ट खोज के उपलक्ष्य में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (नेशनल साइंस डे) मनाया जाता है। इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 की थीम 'विकसित भारत के लिए भारतीय स्वदेशी प्रौद्योगिकी' तय की गई है। इस दिन का मकसद विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर देश भर में खासतौर पर स्कूल व कॉलेजों में कई तरह की प्रतियोगिताएं व कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि बच्चों की वैज्ञानिक सोच का निर्माण हो और विज्ञान के प्रति उनकी रूचि बढ़े। 

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन स्कूल व कॉलेजों में शिक्षक तरह-तरह के सवालों का जवाब देकर छात्रों के मन में ज्ञान और रुचि को बढ़ाते हैं। अगर आप स्कूल में किसी भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो यहां से इसका उदाहरण व आइडिया ले सकते हैं - 

National Science Day Speech In Hindi : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भाषण

आदरणीय मुख्य अतिथि/प्रधानाचार्य, मेरे अध्यापकगण और मेरे साथियों...  आप सभी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। सबसे पहले मैं महान भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सीवी रमन को नमन करता है हूं जिनकी महान खोज की याद में आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है। भारत के महान वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. सीवी रमन की ओर से विज्ञान जगत को दिए गए अनुपम उपहार रमन इफेक्ट के सम्मान में हर वर्ष 28 फरवरी को देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 28 फरवरी ही वह दिन है जब दुनिया भर में प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन ने अपनी खोज रमन इफेक्ट की घोषणा की थी। इस खोज के लिए उन्हें 1930 में नोबल पुरस्कार मिला था। 

सीवी रमन के इस महान आविष्कार के सम्मान में भारत सरकार ने 1986 में तय किया कि हर वर्ष 28 फरवरी का दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया था। साथियों, हर साल सरकार की ओर से राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की कुछ न कुछ थीम भी रखी जाती है। इस बार इसकी थीम "विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक"  रखी गई है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कुछ दिन पहले ही इसकी घोषण की थी। 

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन देश भर में विज्ञान और नई नई खोजों, आविष्कारों को प्रोत्साहित करने और उसके महत्व को बताने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सीवी रमन समेत देश के महान वैज्ञानिकों को याद किया जाता है। भारत सरकार वैज्ञानिकों को उनके सराहनीय कार्यों के लिए सम्मानित करती है। साथ ही युवा और छात्र विज्ञान के क्षेत्र में बढ़चढ़ कर आगे आएं, इसके लिए योजनाओं की घोषणा होती है। 

अब मैं आपको सीवी रमन के बारे में बताता हूं जिनकी उपलब्धि को लेकर ये दिन मनाया जाना शुरू हुआ। सीवी रमन का पूरा नाम था चंद्रशेखर वेंकट रमन। उनका जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिलापल्ली में हुआ था। उनके पिता गणित और भौतिकी के लेक्चरर थे। उन्होंने विशाखापट्टनम के सेंट एलॉयसिस एंग्लो-इंडियन हाईस्कूल और तत्कालीन मद्रास के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से पढ़ाई की। प्रेसीडेन्सी कॉलेज से उन्होंने 1907 में एमएससी पूरी की। यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में उन्हें फिजिक्स में गोल्ड मेडल मिला। 1907 से 1933 के बीच उन्होंने कोलकाता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में काम किया। इस दौरान उन्होंने फिजिक्स से जुड़े कई विषयों पर गहन रिसर्च की। 

दोस्तों, सीवी रमन की महान खोज रमन इफेक्ट के बारे में भी जानना जरूरी है। जब वह एक बार लंदन से भारत आ रहे थे, तब समुद्र के जल को नीला देखकर उनके मन में जिज्ञासा पैदा हुई कि यह जल नीला क्यों है। इस पर उन्होंने भारत आकर रिसर्च की। पारदर्शी पदार्थ से गुजरने पर प्रकाश की किरणों में आने वाले बदलाव पर की गई उनकी महत्‍वपूर्ण खोज को रमन प्रभाव (रमन इफेक्ट) के नाम से जाना गया। जब प्रकाश की किरणें अलग अलग चीजों से टकराती हैं या उनमें से होकर गुजरती है, तो तरंगों के बिखरने के बाद उन पर व उनकी गति पर क्या असर होता है, उनकी खोज यह सब बताती थी। रमन इफेक्ट खोज का उपयोग आज पूरी दुनिया में हो रहा है। 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा। भौतिकी में नोबल पुरस्कार पाने वाले वह भारत ही नहीं बल्कि एशिया के पहले वैज्ञानिक थे। 

रिटायरमेंट के बाद उन्होंने बेंगुलुरु में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित किया। 1947 वह प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ( IISc ) के डायरेक्टर बने। 21 नवंबर, 1970 को उनका निधन हो गया।  साथियों, आज के दिन हमें साइंस के प्रति अपनी सोच को प्रोत्साहित करने का संकल्प लेना चाहिए। दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व के बारे में सभी का जागरूक होना बेहद जरूरी है। 

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर निबंध – National science day essay in Hindi

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस निबंध हिंदी में / National science day essay Hindi mein – भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है। 

भारत में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 28 फरवरी 1928 को महान भारतीय वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन ने “Effect” की खोज की थी, जिसे “Raman Effect” के नाम से भी जाना जाता है।

(राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भाषण निबंध हिंदी में | Short and Long Essay on National Science Day in Hindi, Rashtriya Vigyan Diwas par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

निबंध 1 (350 शब्दों में)

प्रस्तावना:

सर सी.वी. द्वारा वर्ष 1928 में “रमन इफेक्ट” की खोज की याद में भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। सर सी.वी. रमन को उनकी इस अभूतपूर्व खोज के लिए वर्ष 1930 में फिजिक्स में “नोबेल पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है?

28 फरवरी, 1928 को, महानतम भारतीय भौतिकविदों में से एक, सर सी.वी. रमन ने प्रकाश के प्रकीर्णन पर अपनी आधुनिक खोज की घोषणा की, जिसे “रमन इफ़ेक्ट” के नाम से जाना जाता है।

यह विज्ञान की एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज थी जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार मिला।

इसके बाद, नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने भारत सरकार से 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व के बारे में जागरूक करना और लोगों को विज्ञान प्रौद्योगिकी के लिए प्रोत्साहित करना है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाया जाता है?

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वैज्ञानिक प्रस्तुतियों के साथ पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है। देश भर के सभी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विभिन्न गतिविधियों जैसे भाषण, विज्ञान प्रदर्शनी, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, व्याख्यान आदि का आयोजन किया जाता है।

मुख्य रूप से इंजीनियरिंग और विज्ञान महाविद्यालयों में वैज्ञानिक प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है जिसमें छात्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास और अनुप्रयोगों पर ज्ञान का आदान-प्रदान करते हैं।

  • सरकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार में शामिल व्यक्तियों और संगठनों को उनके योगदान के लिए स्मृति चिन्ह और पुरस्कार प्रदान करती है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी और इसकी व्यवहार्यता को बढ़ावा देना है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार में शामिल वैज्ञानिकों, लेखकों, छात्रों और अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल नवीनतम वैज्ञानिक गतिविधियों के साथ मनाया जाना चाहिए। यह केवल विज्ञान से जुड़े लोगों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें विभिन्न क्षेत्रों के छात्रों और प्रतिभागियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

निबंध 2 (650 शब्दों में)

महान भारतीय वैज्ञानिक सी.वी. रमन द्वारा “रमन इफेक्ट” की खोज की याद में भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। उन्होंने 28 फरवरी, 1928 को “रमन इफेक्ट” का अद्वितीय आविष्कार किया था।

कौन थे सीवी रमन?

सर सी.वी. रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। सीवी रमन का पूरा नाम सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (Sir Chandrasekhara Venkata Raman) है। उनके पिता फिजिक्स और गणित के विद्वान थे। 

रमन ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट एलॉयसियस एंग्लो-इंडियन हाई स्कूल, विशाखापत्तनम से पूरी की। 904 में, उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से BSc की डिग्री प्राप्त की और प्रथम स्थान पर रहे और भौतिकी में स्वर्ण पदक जीता। 1907 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से MSc की डिग्री भी पूरी कर ली।

1907 से 1933 तक, उन्होंने कलकत्ता में Indian Association for the Cultivation of Science में काम किया और भौतिकी में विभिन्न विषयों पर शोध किया।

28 फरवरी 1928 को रमन ने के.एस. कृष्णन के साथ प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering of light) पर प्रयोग का नेतृत्व किया। महान भारतीय वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन को 1930 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, रमन ने बैंगलोर में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (Raman Research Institute) की स्थापना की। 21 नवंबर 1970 को सर सीवी रमन का निधन हो गया।

सीवी रमन को विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए भारत रत्न और नोबेल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

सी.वी. रमन सिद्धांत (रमन इफेक्ट) क्या है?

रमन इफेक्ट प्रकाश के प्रकीर्णन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज थी। 

सर सीवी रमन ने 1928 में खोज की थी कि जब रंगीन प्रकाश की किरण किसी द्रव में प्रवेश करती है, तो उस द्रव द्वारा प्रकीर्णित प्रकाश का एक अंश भिन्न रंग का होता है। तब यह पता चला कि इस बिखरे हुए प्रकाश की प्रकृति मौजूद नमूने के प्रकार पर निर्भर करती है।

यह खोज सर सी.वी. रमन द्वारा 26 फरवरी, 1928 को की गई थी और इस महत्वपूर्ण खोज के लिए उन्हें वर्ष 1930 के लिए फिजिक्स क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

सर सी.वी. रमन को स्मरण करने और उनकी खोज “रमन इफेक्ट” को सम्मान देने के लिए हम इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास

सर सी.वी.रमन द्वारा इस महत्वपूर्ण खोज के लगभग छह दशक बाद, नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने 1986 में भारत सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने का अनुरोध किया। 

पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 1987 में भारत सरकार की स्वीकृति के बाद मनाया गया। इसलिए, 1987 से, भारतीय स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य प्रासंगिक स्थानों में हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित विशेष कार्यक्रम / गतिविधियां

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर कई गतिविधियों जैसे वाद-विवाद, टॉक शो, विज्ञान प्रदर्शनी आदि का आयोजन किया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उत्सव इस मायने में बहुत महत्वपूर्ण है कि यह हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान संस्थानों और इसके कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है। यह उन लोगों, वैज्ञानिकों, लेखकों आदि को भी प्रोत्साहित करता है जो निरंतर आधार पर विज्ञान को बढ़ावा देने और शोध करने का सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

यह वैज्ञानिक समुदाय के सदस्यों के साथ-साथ सरकार को विज्ञान की उपयोगिता और इसके विकास की संभावित गुंजाइश के बारे में बातचीत करने और उन्हें सूचित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

विज्ञान विकास की अपार संभावनाएं प्रस्तुत करता है और हमारे दैनिक जीवन को अधिक आरामदायक और सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस न केवल एक महान भारतीय वैज्ञानिक और उनकी महान खोज को याद करने के लिए मनाया जाता है, बल्कि विज्ञान को हमारे दैनिक जीवन के हिस्से के रूप में बढ़ावा देने के लिए भी मनाया जाता है। 

जब समाज का दृष्टिकोण हर दृष्टि से वैज्ञानिक हो जाएगा तो उसके फलस्वरूप स्वतः ही विकास और समृद्धि आ जाएगी। इसलिए, इस दिन को सरकार और संबंधित विभागों के पूर्ण समर्थन के साथ मनाया जाना चाहिए।

निबंध 3 (1000 शब्दों में)

भारत की भूमि पर कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है और इन महान वैज्ञानिकों के कारण ही भारत ने पूरे विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है। ऐसे ही एक महान भारतीय वैज्ञानिक थे डॉक्टर चंद्रशेखर रमन जिन्होंने अपनी एक खोज से भारत का सिर दुनिया में ऊंचा किया।

उनकी इस खोज को याद करने के लिए हम हर साल इसे राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं।

28 फरवरी 1928 का दिन भारतीय इतिहास में एक महान दिन था, क्योंकि इसी दिन राष्ट्रीय वैज्ञानिक डॉ. सी.वी. रमन द्वारा एक विशेष आविष्कार किया गया था।

  • डॉ. सी.वी. रमन द्वारा की गई महत्वपूर्ण खोज की याद में भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 

भविष्य में उनके इस प्रयास को हमेशा याद रखने के लिए वर्ष 1986 में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC) ने 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया गया था।

  • यह दिन भारत की वैज्ञानिक उत्कृष्टता को समर्पित है और भारत में विज्ञान के विकास और इसकी उपलब्धियों को समझाने और प्रचारित करने के लिए मनाया जाता है।

भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था। जवाहरलाल नेहरू विज्ञान को देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानते थे और उन्होंने भारत में विज्ञान के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इस पहल की शुरुआत की।

विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने अनेक खोजें करके अपने जीवन को बेहतर और आसान बनाया है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भारत में वैज्ञानिकों के योगदान को पहचानने और प्रेरित करने का अवसर प्रदान करता है।

यह दिन स्कूलों और कॉलेजों के साथ-साथ अनुसंधान संस्थानों सहित वैज्ञानिक संगठनों से जुड़े लोगों और भारत सरकार द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक रूप से मनाया जाता है।

  • इस दिन को मनाकर लोग भारत में विज्ञान के महत्व को बढ़ावा देते हैं और युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्योग में रुचि लेने के लिए प्रेरित करते हैं।

विज्ञान के महत्व के बारे में संदेश फैलाने और आम लोगों के दैनिक जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से विज्ञान में रुचि रखने वाले भारत के युवाओं को अवसर प्रदान कर उन्हें इस क्षेत्र में बढ़ावा देना है।

विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान आवश्यक है, जैसे स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, संसाधन विकास और सामाजिक सुरक्षा आदि। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, आधुनिक जीवन, सामाजिक संगठन और आर्थिक विकास के नए तरीके संभव हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में विज्ञान के प्रति जागरूकता पैदा करना है। इतना ही नहीं, इस दिन के माध्यम से बच्चों को विज्ञान को अपने करियर के रूप में चुनने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। ताकि हमारे देश की आने वाली पीढ़ी विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दे सके और अपने देश की प्रगति कर सके।

इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित करने का एक मुख्य उद्देश्य डॉ. चंद्रशेखर रमन और उनकी खोज “रमन इफेक्ट” को सम्मानित करना था, इसके अलावा इसके और भी कई उद्देश्य थे जो इस प्रकार हैं।

हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों के प्रति जागरूकता को उजागर करना भी इस दिवस को मनाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। मानव कल्याण और प्रगति के लिए वैज्ञानिक क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करना भी इस दिवस को मनाने के उद्देश्यों में शामिल है।

  • इस दिन विज्ञान और वैज्ञानिक विकास के लिए सभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है और इस दिन नई तकनीकों को भी लागू किया जाता है।

देश में कई ऐसे होनहार लोग हैं, जो वैज्ञानिक सोच रखते हैं, इन लोगों को अवसर देना और उनके काम के लिए प्रोत्साहित करना भी इस दिन को मनाने के उद्देश्यों में से एक है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम (National Science Day 2023 Theme)

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में एक समारोह में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम जारी की।

इस वर्ष के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम है- “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान (Global Science for Global Wellbeing)” है ।

इस विषय को वैश्विक संदर्भ में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से चुना गया है। वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

विज्ञान विश्व के कल्याण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो वैश्विक कल्याण के लिए विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाते हैं:

  • स्वास्थ्य – वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार के लिए वैश्विक विज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। विज्ञान के जरिए कई नई दवाएं, टीके और ऐसे उपकरण विकसित किए गए हैं जो बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन – वैश्विक जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए विज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। विज्ञान ने कुछ नए ऊर्जा स्रोत विकसित किए हैं जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं।
  • जल संरक्षण के लिए विज्ञान – विज्ञान ने जल संरक्षण के लिए नई तकनीकों का विकास किया है। ये तकनीकें जल संचयन, जल की सफाई और जल संबंधी समस्याओं को हल करने में मदद करती हैं।
  • खाद्य सुरक्षा के लिए विज्ञान – विज्ञान ने नई तकनीकों को विकसित करके खाद्य सुरक्षा में बहुत मदद की है। यह जैव प्रौद्योगिकी, भोजन के जैव-उत्पादन, बीजों के संरक्षण, फसल सुरक्षा और खाद्य असुरक्षा सहित खाद्य असुरक्षा के मुख्य कारणों को समझने में मदद करता है।
  • जीवन के लिए ऊर्जा के स्रोत – विज्ञान ने सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा तथा अन्य ऊर्जा स्रोतों का विकास किया है। ये स्रोत जीवन को बनाए रखने में मदद करते हैं और अधिक संगठित तरीके से ऊर्जा का उपयोग करते हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य विज्ञान और उनकी प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच वाले युवाओं को बढ़ावा देना है। विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को मानव कल्याण के लिए प्रदर्शित किया जाता है।

इस दिन का मुख्य उद्देश्य सभी संशोधन मुद्दों पर चर्चा करना और विज्ञान के विकास के लिए नई तकनीक को लागू करना है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on National Science Day in Hindi)

  • महान भारतीय वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन ने 28 फरवरी 1928 को “रमन इफ़ेक्ट” की खोज की थी।
  • सर सी.वी. रमन को उनकी इस अभूतपूर्व खोज के लिए वर्ष 1930 में फिजिक्स में “नोबेल पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था।
  • नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने भारत सरकार से 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया था।
  • भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।
  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वैज्ञानिक प्रस्तुतियों के साथ पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है। 

Also Read: 50+ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर स्लोगन (National Science Day Slogan in Hindi)

Q – राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है? A – राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है।

Q – राष्ट्रीय विज्ञान दिवस किस वैज्ञानिक की याद में मनाया जाता है? A – राष्ट्रीय विज्ञान दिवस डॉ चंद्रशेखर रमन की याद में मनाया जाता है।

Q – वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखर रमन ने किसका आविष्कार किया था? A – वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखर रमन ने “रमन इफ़ेक्ट” का आविष्कार किया। इसके द्वारा उन्होंने प्रकाश के विस्तार और प्रसार के विषय में संशोधन किया था। इस प्रयोग की खोज ने प्रकाश के बारे में हमारी समझ को बदल दिया और इससे कई वैज्ञानिक और तकनीकी अनुप्रयोगों को लाभ हुआ।

Q – राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम क्या है? A – वर्ष 2023 के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान (Global Science for Global Wellbeing)” है।

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024, भाषण, निबंध | National Science Day Essay in Hindi

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 कब मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है, भाषण, निबंध, विज्ञान दिवस पर वृत्तांत लेखन, थीम, शायरी (National Science Day 2024 Speech, Theme, Objective   in Hindi)

विज्ञान की मदद से इंसानों ने कई तरह की खोज कर, अपने जीवन को ओर बेहतर बना लिया है. विज्ञान के जरिए ही आज हम लोगों ने नई तरह की तकनीकों का आविष्कार किया है. वहीं हर रोज ना जाने हम विज्ञान की मदद से बनाई गई कितनी तकनीकों और चीजों का इस्तेमाल करते हैं. इतना हीं नहीं इसके जरिए ही हम लोग नामुकिन चीजों को मुमकिन बनाने में कामयाबी भी रहे हैं. विज्ञान की मदद से ही हम अंतरिक्ष में पहुंचने से लेकर रोबोट, कंप्यूटर जैसी चीजे बनाने में सफल हो पाए हैं. ऐसे में विज्ञान हमारे जीवन में काफी महत्व रखता है और हर स्कूल में इस विषय को बच्चों को पढ़ाया जाता है. वहीं भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी योगदान दिया है. भारत की धरती पर कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है और इन महान वैज्ञानिकों की बदलौत ही भारत ने विश्व भर में विज्ञान के क्षेत्र में अपना एक अलग ही औदा बनाया हुआ है. 

National Science Day

Table of Contents

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day)

नामराष्ट्रीय विज्ञान दिवस
कब मनाया जाता है28 फरवरी
पहली बार कब मनाया गया थासन 1987 में
विश्व विज्ञान दिवस10 नवंबर को

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है (When National Science Day Celebrate)

आज से कई वर्ष पूर्व 28 फरवरी के दिन भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर रमन सिंह के द्वारा रमन प्रभाव की खोज की गई थी, इस दिन को एक यादगार बनाने के लिए 28 फरवरी को हर वर्ष विज्ञान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई, और तब से लेकर अब तक 28 फरवरी को हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते आ रहे है. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्या है, इसका इतिहास, इसके उद्देश्य और राष्ट्रीय विज्ञान दिवस आदि सभी जानकारी को हमने अपने इस आर्टिकल में संकलित किया है.  

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है (Why is National Science Day Celebrated)

28 फरवरी 1928 का दिन भारतीय इतिहास में एक महान दिन था, क्योंकि इसी दिन राष्ट्रीय वैज्ञानी डॉक्टर चंद्रशेखर रमन द्वारा एक विशेष आविष्कार किया गया था. वे एक तमिल ब्राह्मण थे और ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होने भारत में कोई शोध कार्य किया था. इन्होने सन 1907 से लेकर 1933 तक इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टीवेशन ऑफ साइन्स, कोलकाता पश्चिम बंगाल में काम किया. इस समय में इन्होने कई विषयों पर शोध कार्य किया.  जिसमें इनकी रमन प्रभाव नामक खोज एक विशेष खोज बन गई.  उनके इस प्रयास के लिए उन्हे विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया और साल 1930 में उन्हे नोबल पुरुस्कार भी दिया गया.

उनके इस प्रयास को भविष्य में हमेशा याद रखने के लिए वर्ष 1986 में नेशनल काउंसिल फॉर साइन्स एंड टेक्नालजी कम्युनिकेशन द्वारा 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में घोषित करने के लिए कहां गया था. तब से भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में 28 फरवरी को बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है. इस दिन को भारत के वैज्ञानिक, शैक्षणिक, चिकित्सा, तकनीकी और अनुसंधान संस्थानों सहित सभी स्कूलों, कॉलेजों, और शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों, शिक्षकों, वैज्ञानिको और शोधकर्ताओ द्वारा मनाया जाता है.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य (National Science Day Objective)

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच में विज्ञान के प्रति ओर जागरूकता पैदा करना है. इतना ही नहीं इस दिवस के जरिए बच्चों को विज्ञान को बतौर अपने करियर को चुनने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है. ताकि हमारे देश की आनेवाली पीढ़ी विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दे सके और हमारे देश की ओर तरक्की हो सके.

इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित करने का एक मुख्य मकसद रमन प्रभाव और डॉक्टर चंद्रशेखर रमन को सम्मान देना तो था, ही इसके अलावा भी इसके कई अन्य उद्देश्य थे जो इस प्रकार है.

  • हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों कि महत्ता बताना भी इस दिन को मनाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है.
  • मानव कल्याण और प्रगति के लिए वैज्ञानिक क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करना भी इस दिन को मनाने के उद्देश्यों में शामिल है.
  • विज्ञान और वैज्ञानिक विकास के लिए इसी दिन सभी मुद्दो पर चर्चा की जाती है और इसी दिन नई तकनिको को लागू भी किया जाता है.
  • देश में कई ऐसे लोग है, जो वैज्ञानिक सोच रखते है, इन लोगो को मौका देना और इन्हे अपने काम के लिए प्रोत्साहित करना भी इस दिवस को मनाने का एक उद्देश्य है.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की घोषणा कब की गई (National Science Day Annoucement)

इस साल भी हम 28 फरवरी के दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाएंगे.  चुकी इस दिवस की घोषणा साल 1986 में हुई थी और इसे पहली बार साल 1987 में मनाया गया था, इसलिए इस साल यह 31 स्वा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस होगा, जिसे हम गर्व से मनाएंगे. इस साल इस दिन की थीम “विज्ञान लोगों के लिए और लोग विज्ञान के लिए” (Science for People and People for Science) होगी.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम (National Science Day Themes)

वैसे तो राष्ट्रीय विज्ञान दिवस साल 1987 से मनता आ रहा है पर हम यहां आपको साल 2011 से लेकर 2024 तक इस दिन की थीम से अवगत कर रहें है-

2011दैनिक जीवन में रसायन
2012स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु ऊर्जा
2013अनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें और खाद्य सुरक्षा 
2014वैज्ञानिक तापमान और ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा
2015राष्ट्र निर्माण का विज्ञान
2016मेक इन इंडिया; एस एंड टी संचालित नवाचार
2017विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विज्ञान और प्रोद्योगिकी
2018एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रोद्योगिकी
2019विज्ञान लोगों के लिए और विज्ञान के लिए लोग
2020वीमेन एंड साइंस (महिलाएं और विज्ञान)
2021एसटीआई का भविष्य : शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव
2022सतत विकास के लिए बिनियादी विज्ञानं
2023वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान
2024विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियां

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 की थीम (National Science Day Theme)

इस साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम यानि विषय ‘ विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियां’ है.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाया जाता है (National Science Day Activities)

भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा इस दिन को विशेष बनाने के लिए कई तरह की तैयारियां की जाती हैं. वहीं भारत के स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन पर कई तरह के कार्यक्रमों, बच्चों द्वारा विज्ञान प्रोजेक्ट, प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है और इन कार्यक्रमों में बच्चे बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. इतना ही नहीं बच्चों को विज्ञान विषय को लेकर जानकारी दी जाती है, ताकि बच्चे इस विषय में अपना करियर बना सकें. वहीं रेडियो और टीवी पर इस दिन कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इन कार्यक्रमों में विज्ञान को लेकर चर्चा की जाती है. इसके अलावा विज्ञान से जुड़े कॉलेजों में वैज्ञानिकों को भी बुलाया जाता है, ताकि वो कॉलेज के छात्रों के साथ अपना अनुभाव साझा कर सकें.

वर्ल्ड साइंस डे फॉर पीस एंड डेवलपमेंट (World Science Day for Peace and Development in Hindi)

10 नवंबर के दिन पूरी दुनिया में वर्ल्ड साइंस डे फॉर पीस एंड डेवलपमेंट मनाया जाता है. इस दिन पूरी दुनिया में विज्ञान को लेकर कई तरह के सैमीनारों का आयोजन होता है. इतना ही नहीं इस दिन विज्ञान से जुड़े फायदों के बारे में भी लोगों को बताया जाता है. साल 2002 में सबसे पहले इस दिवस को मनाया गया था. वहीं जब से लेकर अभी तक इस दिवस को हर साल इस दिन मनाया जाता है.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के बारे में और जानने के लिए क्लिक करे

होमपेज

Ans : 28 फरवरी

Ans : राष्ट्रीय वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर रमन की

Ans : इसकी जानकारी ऊपर दी हुई है.

Ans : 10 नवंबर को

Ans : विज्ञान से संबंधित विभिन्न गतिविधियाँ करके.

Ans : विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियां

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विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder of Science Essay in Hindi) - 100 - 200 शब्द के निबंध, प्रस्तावना

English Icon

हमारे दैनिक जीवन से लेकर ब्रह्मांड में घटित होने वाली सभी घटनाओं के पीछे कोई न कोई विज्ञान छिपा हुआ है। हमें बस जरूरत है, तो उसे समझने और सामने लाने की। विज्ञान अपने आप में एक विशाल विषय है। हमारे जीवन के हर पहलू में विज्ञान के चमत्कार (wonder of science in hindi) देखने को मिलते हैं। इसके हर पहलू को कवर कर पाना लगभग असंभव है। विज्ञान के चमत्कार पर लिखे गए इस निबंध में हम आप लोगों को नवीनतम विज्ञान के चमत्कारों (wonders of science in hindi) से अवगत करवाने का प्रयास करेंगे। योग पर निबंध पढ़ें हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Essay on Vigyan ke chamatkar in Hindi) - प्रस्तावना (Introduction)

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (essay on vigyan ke chamatkar in hindi) - 100 - 200 शब्द, विज्ञान के चमत्कार (essay wonder of science in hindi) - अंतरिक्ष के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science essay in hindi) - सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science essay in hindi) - शिक्षा के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - कंप्यूटर के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - मनोरंजन के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science essay in hindi) - चिकित्सा के क्षेत्र में, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2023 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2022 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2021 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2020 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार (wonder of science) - 2019 के नोबल पुरस्कार विजेता और उनके अनुसंधान, विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (wonder of science essay in hindi) - विज्ञान के चमत्कार लाभ और हानि, विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (wonder of science essay in hindi) - विज्ञान के चमत्कार से लाभ, विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (wonder of science essay in hindi) - विज्ञान के चमत्कार से हानि, विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (wonder of science essay in hindi) - क्या है भविष्य.

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder of Science Essay in Hindi) - 100 - 200 शब्द के निबंध, प्रस्तावना

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (vigyan ke chamatkar nibandh) में हम आपको विज्ञान की परिभाषा के साथ-साथ विश्व में होने वाले नए अनुसंधानों, खोज तथा अविष्कारों और प्रयोगों से अवगत कराने का प्रयास करेंगे। विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (vigyan ke chamatkar par nibandh) विशेष इस लेख से आपकी जानकारी तो समृद्ध होगी ही तथा साथ ही आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में भी मदद करेगा।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव जाति की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे ही उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतो की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीको का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

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किसी भी वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त करना और जानकारी को सही तरीके से लागू करना तथा किसी भी वस्तु का सही अवलोकन अथवा विश्लेषण करना ही विज्ञान है। ‘वि’ का अर्थ है विकास करना, इससे तात्पर्य है कि विकास करने वाले ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं। आज विज्ञान के चमत्कार (vigyan ke chamatkar par nibandh) के माध्यम से ही मानव जाति इतनी समृद्ध हो पाई है। यदि प्राचीन काल की बात करें, तो मानव विकास उसकी चेतना के जागृत होने तथा उसकी जिज्ञासा का समुद्र की तरह विशाल होने के कारण ही हो पाया है। सबसे पहले मानव ने अपनी कमजोरियों को समझा और उसके बाद अपनी सीमाओं को, फिर मानव ने अपने दृढ़ निश्चय से अपनी कमजोरियों को दूर करने तथा अपनी सीमाओं को पार करने का अथक प्रयास किया।

इसमें मानव की चेतना ने मानव का बहुत साथ दिया। मानव चेतना ने स्वयं की कमजोरियों के बारे में उसे आभास कराया जैसे कि वह जंगली जानवरों से कमजोर है, मानव को उनसे लड़ने और अपनी रक्षा करने के लिए औजारों की आवश्यकता है, आदि तथा मानव की जिज्ञासा ने मानव को नई-नई वस्तुओं के बारें में जानकारी एकत्र करने के लिए प्रेरित किया जैसे वह किस वस्तु के माध्यम से एक मजबूत औजार बना सकता है जो उसके और उसकी परिवार की रक्षा कर सकता है। यही वह समय था जब पुरातन काल से मानव की चेतना और जिज्ञासा ने मानव को प्रगति की राह पर बढ़ते रहने को प्रेरित किया। इसके पश्चात मानव ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और निरंतर अपना और अपने समाज का विकास करता चला गया।

मानव द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किए गए अथक प्रयासों की वजह से और विज्ञान के चमत्कार (wonder of science in hindi) से ही ऐसा संभव हो पाया है। मानव ने हर क्षेत्र में अपना विकास किया, पृथ्वी से लेकर ब्रह्मांड तक मानव ने विज्ञान के चमत्कार के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया। हमारे वैज्ञानिकों ने ऐसे प्रयोगों को सफल बनाया है, जो मानव जाति के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे। उन्होंने शिक्षा, यातायात, संचार, चिकित्सा, आदि सभी क्षेत्रों में चमत्कार किए हैं।

यदि हम यातायात के साधनों की बात करें, तो एक समय ऐसा था जब मनुष्य अपने पैरों के माध्यम से ही विचरण करता था और उसे किसी भी स्थान पर पहुँचने में बहुत समय लगता था। इस आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंसान ने पहिए का अविष्कार किया और आज वह इससे बहुत आगे निकल चुका है। एक समय था जब मनुष्य के लिए उड़ना कल्पना मात्र था, परंतु मनुष्य ने विज्ञान की सहायता से इस कल्पना को यथार्थ में परिवर्तित किया और हवाई जहाज का निर्माण किया। अब हम इसे विज्ञान का चमत्कार नहीं कहेंगे, तो और भला क्या कहेंगे। यातायात के क्षेत्र में विज्ञान के ऐसे बहुत से वंडर ऑफ साइंस हैं जो अकल्पनीय हैं, जैसे पानी के बड़े-बड़े जहाज, बुलेट ट्रेन, मेट्रो ट्रेन, हवाई जहाज, अंतरिक्ष में पहुँचने के लिए स्पेस क्राफ्ट आदि जो आज इस समाज के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।

कक्षा 10वीं के बाद करियर बनाने में सहायक कुछ महत्वपुर्ण लेख पढ़ें

  • बी.टेक क्या है? (फुल फार्म)
  • एमबीए (MBA - Full Form)
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

भारत की विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियां बढ़ती ही जा रहीं हैं। हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला यान बन गया है। इसके अलावा सूर्य के बारे में अनुसंधान करने वाला आदित्य एल-1 विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों क्षमता को प्रदर्शित करता है।

वंडर ऑफ साइंस की वजह से हमारा देश भारत भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ता जा रहा है भारत ने भी एक साथ 104 उपग्रह लांच करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है, साथ ही पिछले वर्ष हमारे देश के विज्ञानिकों ने उपग्रह को अंतरिक्ष में ही समाप्त करने के लिए मिसाइल का सफल परीक्षण किया। भारत ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस (पैड) सिस्टम को विकसित किया है। इसे प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर भी कहते हैं। यह एक्सो-एटमॉसफियरिक (पृथ्वी के वातावरण से बाहर) और एंडो-एटमॉसफियरिक (पृथ्वी के वातावरण से अंदर) लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम हैं।

हमारे देश ने विज्ञान के चमत्कार के माध्यम से अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत से कीर्तिमान स्थापित किए है जिसमे से भारत का मंगल मिशन सफलता की नई उच्चाईयों को छु रहा है। यह मंगल गृह पर पहला ऐसा मिशन था जो सफल रहा था। साथ ही भारत के चंद्रयान प्रथम ने ही चंद्रमा पर पानी होने की पुष्टि की थी। हालांकि हमारा चंद्रयान द्वितीय सफल नहीं हो पाया पर हमारे वैज्ञानिकों ने अथक प्रयास कर इन चमत्कारों को आत्मसात करने का प्रयास किया है। साथ ही हमने ‘नाविक’ नामक अपना मैप नेविगेशन सिस्टम भी तैयार किया है जिससे भविष्य में हमारी गूगल मैप पर निर्भरता समाप्त होगी।

इसके साथ पिछले साल ही यह ज्ञात हुआ है कि ब्लैक होल के भीतर रोशनी होती है। अमेरिकी और यूरोपीय टेलिस्कोप द्वारा की गई खोज ने दुनिया को यह बताया है कि अंतरिक्ष में ब्लैक होल के आसपास बहुत तेज विकिरण एक्स-रे उत्सर्जन होता है। यह पहली बार है जब किसी ब्लैक होल से प्रकाश की खोज की गई है। इस रिसर्च में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से एक्सएमएम-न्यूटन और नासा से नूस्टार-न्यूक्लियर स्पेक्ट्रोस्कोपिक टेलीस्कोप ऐरे का प्रयोग किया गया था। इस मिशन का नेतृत्व अमेरिका के डैन विल्किंस ने किया।

आज का युग अंतरिक्ष का युग है और वहां की यात्रा पर्यटन का एक नया माध्यम बन चुकी है। पिछले वर्ष ब्रिटेन के रिचर्ड ब्रैनसन ने 71 वर्ष की आयु में अंतरिक्ष की यात्रा की। उनकी कंपनी वर्जिन गैलेटिक्स ने यूनिटी नाम का रॉकेट शटल बनाया जिसमें उन्होंने बाहरी अंतरिक्ष की 85 किलोमीटर यात्रा की।

दूसरी ओर अमेज़न कंपनी के संस्थापक जेफ़ बेजोस ने ब्लू ऑरिजिन कंपनी के स्पेस शटल न्यू शेपर्ड से अपनी अंतरिक्ष यात्रा की थी।

एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने स्टारशिप नाम का विश्व का सबसे बड़ा राकेट बनाया है। 2021 में उनकी कंपनी के जरिए 4 यात्रियों ने अंतरिक्ष की यात्रा की।

ये भी पढ़ें :

  • डॉक्टर कैसे बनें (How to become a doctor)
  • बाल दिवस पर हिंदी में भाषण
  • हिंदी दिवस पर कविता

कहा जाता है कि आज का युग सूचना और प्रौद्यागिकी का युग है। आज मानव ने दूर-संचार तथा इन्टरनेट को आत्मसात कर लिया इसके साथ ही कंप्यूटर, मोबाइल आज मानव के जीवन का हिस्सा बन गए है। दूर संचार और इन्टरनेट को सुचारू रूप से चलाने के लिए फाइबर ऑप्टिकल नामक नई तकनीक का प्रयोग अब किया जा रहा है।फाइबर-ऑप्टिक संचारण एक प्रणाली है जिसमें सूचनाओं की जानकारी एक स्थान से दूसरे स्थान में ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रकाश बिन्दुओं के रूप में भेजी जाती हैं। प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग वाहक विकसित करता है जो विधिवत् रूप से जानकारी को साथ ले जाते हैं। 1970 के दशक में इसे सबसे पहले विकसित किया गया, फाइबर-ऑप्टिक संचार प्रणाली ने दूरसंचार उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और सूचना युग के आगमन में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। विद्युत संचरण पर इसके फायदे के कारण, विकसित दुनिया में कोर नेटवर्क में ताबें की तारों के स्थान पर ऑप्टिकल फाइबर का प्रयोग किया जा रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान का बहुत अधिक महत्व है, आज इस कोरोना काल में विज्ञान के माध्यम से ही छात्र अपनी पढाई को जारी रखने में सक्षम हुए हैं। आज हम लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से अपने घर बैठे ही अपने स्कूल की कक्षा ले सकते हैं। इन्टरनेट के माध्यम से वीडियो कॉल के जरिए हम अपनी कक्षा बिना रुके ले सकते हैं। साथ ही दुनिया भर की जानकारी हम मोबाइल पर एक क्लिक करके ही प्राप्त कर सकते हैं।

कंप्यूटर के क्षेत्र में भी सुपर कंप्यूटर की अवधारणा आज के युग में जन्म ले चुकी है। यह विश्व का सबसे तेज़ कंप्यूटर होता है जो डेटा को बहुत तेज़ी से प्रोसेस करता है। यह सामान्य कंप्यूटर की तुलना में बहुत तेज़ी से गणना करता है। सुपर कंप्यूटर की कंप्यूटिंग परफॉरमेंस को MIPS के स्थान पर FLOPS (Floating-point operations per second) में मापा जाता है। विश्व में सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटर का नाम ‘फुगाकू’ है जोकि एक जापानी कंप्यूटर है तथा भारत के सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटर का नाम ‘परम सिद्धि’ है।

विज्ञान के चमत्कारों ने हमेशा से मानव जीवन को सरल बनाने का प्रयास किया है। यही कारण है कि मानव आज तकनीक पर बहुत निर्भर हो गया है। आज हम घर बैठे-बैठे किसी से भी मोबाइल के माध्यम से बात कर सकते है। कंप्यूटर के माध्यम से हमारा कार्य सरल हो गया है और यातायात के विभिन्न साधनों के माध्यम से हमारी यात्रा सुखद हो गई है। यह विज्ञान के चमत्कार ही है जिनके वजह से मानव ने अपना जीवन सरल बना लिया है।

विज्ञान ने मनोरंजन के क्षेत्र में अद्भुत भूमिका निभाई है। आज विज्ञान के चमत्कारों के कारण ही मानव के पास मनोरंजन के बहुत सारे विकल्प हैं। मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप, गेम्स आदि कुछ उदाहरण है जिससे मानव अपना मनोरंजन कर सकता है। इसके अलावा फेसबुक, इन्स्टाग्राम, यूट्यूब, टिकटॉक, ट्विटर आदि कुछ ऐसे ऐप हैं जो मानव का मनोरंजन करने में सहायता करते हैं। जुलाई 2023 में मार्क जकरबर्ग ने 'थ्रेड्स' नामक एक नया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लॉंच किया है, जो विश्व का 24 घंटे के अंदर सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाला एप बन गया है।

मनुष्य ने चिकित्सा के क्षेत्र में भी बहुत से चमत्कार किए हैं। एक समय था जब छोटी-छोटी बीमारियाँ मनुष्य की मृत्यु का कारण बनती थी। परन्तु आज इंसान ने विज्ञान के माध्यम से इस क्षेत्र में बहुत अधिक सफलता प्राप्त की है। यदि पिछले कुछ वर्षो के चिकित्सा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कारों की बात करें, तो हमें नए-नए विज्ञान के चमत्कार देखने को मिलते हैं -

नोबेल पुरस्कार 2023 भौतिकी में पियरे ऑगस्टिनी (ट्यूनीशिया), फेरेंक क्रॉस्ज (हंगरी), ऐनी एल हुइलियर (फ्राँस) को प्रायोगिक विधियाँ जो पदार्थ में इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता के अध्ययन के लिये प्रकाश की एटोसेकंड पल्स उत्पन्न करती हैं, उसके लिए दिया गया। रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार मौंगी जी. बावेंडी (फ्राँस), लुईस ई. ब्रस (अमेरिका), अलेक्सी आई. एकिमोव (रूस) को क्वांटम डॉट्स की खोज और संश्लेषण के लिए प्रदान किया गया। वहीं फिजियोलॉजी या चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार कैटालिन कारिको (हंगरी), ड्रू वीसमैन (अमेरिका), को न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधनों से संबंधित खोजें जिन्होंने COVID-19 के खिलाफ प्रभावी mRNA टीकों के विकास को सक्षम बनाया के लिए दिया गया।

2022 का नोबल पुरस्कार भौतिकी मे एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉजर और एंटोन जेलिंगर को दिया गया। यह पुरस्कार जटिल फोटॉनों के साथ प्रयोगों, बेल असमानताओं के उल्लंघन की स्थापना और एडवांस क्वांटम सूचना विज्ञान के लिए दिया गया है। रसायन विज्ञान 2022 में नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से कैरोलिन बर्टोज़ज़ी, मोर्टन मेल्डल तथा के. बैरी शार्पलेस को "क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास के लिए" प्रदान किया गया। फिजियोलॉजी या मेडिसिन 2022 में नोबेल पुरस्कार स्वांटों पाबों को "विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम से संबंधित उनकी खोजों के लिए" प्रदान किया गया।

2021 का नोबल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को दिया गया। उन्हें तापमान और स्पर्श के लिए रिसेप्टर्स की अपनी खोजों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। यह खोज यह समझने में मदद करेगी कि कैसे गर्मी, ठंड और यांत्रिक बल तंत्रिका आवेगों (nerve impulses ) को शुरू करते हैं जो बदले में मनुष्यों को दुनिया को समझने और अनुकूलित करने की अनुमति देते हैं।

2020 के लिए यह पुरस्कार दो अमेरिकन वैज्ञानिक हार्वे जे ऑल्टर और माइकल हॉफटन व ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स एम राइस को संयुक्त रूप से दिया गया है। उन्हें यह सम्मान हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए दिया किया गया।

इस बीमारी के कारण दुनिया भर में लोगों को सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हेपेटाइटिस वायरस के करीब 7 करोड़ से अधिक मरीज हैं और इस वायरस के कारण हर साल करीब चार लाख लोग को मौत का सामना करना पड़ता है। हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के बाद खून का परीक्षण और जरूरी दवाइयों का निर्माण संभव हुआ है जिससे कई लोगों की जान बचाई जा सकी है।

2019 का चिकित्सा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार संयुक्त रूप से विलियम जी.कैलिन जूनियर, सर पीटर जे.रेटक्लिफ, ग्रेग एल. सेमेंज़ा को दिया गया। इन तीनों विजेताओं को शरीर की कोशिकाओं में जीवन और ऑक्सीजन को ग्रहण करने की क्षमता के संबंध में महत्वपूर्ण खोज करने के लिए पुरस्कार दिया गया है। इस खोज से यह ज्ञात होगा कि किस तरह ऑक्सिजन के स्तर कोशिकीय चयापचय और शारीरिक कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं।' इससे अनीमिया, कैंसर आदि जैसे अन्य कई रोगों से लड़ने के लिए नई रणनीतियों का मार्ग प्रशस्त होगा।

कहते हैं ना कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। ठीक उसी तरह, विज्ञान के चमत्कार का सकारात्मक पक्ष भी है और नकारात्मक भी है। जहाँ विज्ञान ने मानव जाति का जीवन सरल किया है वही इसने मानव के विनाश का मार्ग भी प्रशस्त किया है। मानव ने बड़े-बड़े हथियार बनाए हैं। जिसने हमारी प्रकृति और पर्यावरण को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमने बड़े-बड़े एटम बम, हाइड्रोजन बम बनायें है, जिससे मानव जाति के साथ-साथ इस पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव का सर्वनाश हो सकता है।

विज्ञान से हमें अनेक लाभ प्राप्त हुए हैं। विज्ञान ने मानव का जीवन पहले के मुक़ाबले बेहद आसान बना दिया है। एक समय था जब मानव का जीवन बहुत कठिन था, परन्तु मानव ने अपने सामने आने वाली कठिनाइयों पर विज्ञान की मदद से विजय प्राप्त की है। मानव ने कष्ट देने वाले रोगों से लेकर विश्व के प्रत्येक जीव को विज्ञान के चमत्कार के माध्यम से नियंत्रण करने का प्रयास किया है। विज्ञान के माध्यम से ही आज हम टेक्नोलॉजी से जुड़ पाए हैं, जिसका उपयोग हम समाज के विकास और आम जन-जीवन को सरल बनाने के लिए करते हैं। आज के दौर में हम जो कुछ भी करते, देखते या सीखते हैं उसमे कहीं न कहीं विज्ञान का योगदान है। बात किसी स्मार्ट गैजेट की हो या फिर या फिर हमारे दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले किसी भी वस्तु की हर जगह आप आपने आस पास विज्ञान को पाएंगे।

जिस तरह से किसी भी वस्तु का कोई सकारात्मक पहलु होता है, उसी तरह उसका नकारात्मक पहलु भी होता है। विज्ञान के चमत्कार से जितनी हमारी सुविधाएं बढ़ी हैं, हमारी मुश्किलें भी उतनी ही बढ़ी हैं। विज्ञान का योगदान आज के दौर में इतना अधिक बढ़ गया है कि हम विज्ञान पर ही निर्भर रहते हैं। समाज को नुकसान पहुँचाने के लिए कुछ ऐसे घातक हथियारों का निर्माण हो चूका है जिससे पुरे विश्व को कुछ क्षणों में ही नष्ट किया जा सकता है। साथ ही कुछ ऐसी वस्तुएं भी हैं जिनका हम अपने दैनिक जीवन में निरंतर उपयोग करते हैं जिससे हमारा वातावरण, पर्यावरण और जन-जीवन खतरे के तरफ बढ़ता हुआ नजर आ रहा है।

जैसा कि हम समझ चुके हैं कि विज्ञान ने जहाँ मानव जीवन को सुंदर, सुखद तथा आरामदायक बनाने का काम किया है, वहीं हिरोशिमा और नागासाकी के रूप में इसके विनाश की क्षमता को भी हमने देखा है। महाविनाश के लिए बनाए गए हथियार, जैविक हथियार चुटकियों में विज्ञान के चमत्कारों को मिट्टी में मिलाने में सक्षम है। विज्ञान के चमत्कारों का वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब उनका प्रयोग जगत कल्याण के लिए किया जाए, नहीं तो विज्ञान के अभिशाप की विभीषिका पूरी दुनिया को झेलनी पड़ेगी।

Frequently Asked Question (FAQs)

विज्ञान से तात्पर्य ऐसे ज्ञान से है जो विचार अवलोकन और प्रयोगों से प्राप्त होता है । निरंतर विकसित होने वाला ज्ञान विज्ञान कहलाता हैं।

मानव जाति का विकास मानव की जिज्ञासा और चेतना के माध्यम से हुआ जिसने मानव को निरंतर अविष्कार करने के लिए प्रेरित किया।

जेफ़ बेज़ोस ने न्यू शेपर्ड नामक अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा की ।

एलन मास्क की कंपनी का नाम स्पेस एक्स है और उसने विश्व के सबसे बड़े स्पेस शटल स्टारशिप का निर्माण किया है।

2021 का नोबल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन को प्रदान किया गया है।

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024: थीम, इतिहास और सी.वी. रमन

Science Day: हर साल 28 फरवरी को भारत के महान वैज्ञानिक सी.वी. रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज को यादगार बनाने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।

National Science Day 2024: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब और क्यों मनाते है? जानिए कौन थे सी.वी. रमन

महान भारतीय वैज्ञानिक सी.वी. रमन ने वर्ष 1928 में भौतिकी में की गयी अपनी महत्वपूर्ण खोज (रमन इफ़ेक्ट) को 28 फरवरी के दिन सार्वजनिक किया था, उनकी इस कामयाबी को याद रखने के लिए भारत में प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है।

इस साल 2024 में 28 फरवरी को बुधवार के दिन भारत में राष्ट्रीय स्तर पर 38वां विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है, और यह रमन इफ़ेक्ट खोज की 97वीं वर्षगांठ भी है। आइए अब नेशनल साइंस डे की थीम (Theme), उद्देश्य और महत्व के बारे में जानते हैं।

Rashtriya Vigyan Diwas - 28 February

Rashtriya Vigyan Diwas Information in Hindi
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
28 फरवरी (वार्षिक)
वर्ष 1986 में
28 फरवरी 1987
साइंस फॉर अ सस्टेनेबल फ्यूचर
सर सी.वी रमन
  • क्यों (उद्देश्य)
  • सी.वी रमन की बायोग्राफी
  • कैसे (उत्सव)

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास (कैसे हुई शुरूआत?)

वर्ष 1928 में 28 फरवरी ही वह दिन था जब भारतीय वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखर रमन द्वारा भौतिक विज्ञान (Physics) में प्रकाश प्रकीर्णन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण ‘ रमन इफेक्ट ‘ की खोज की घोषणा की गई।

National Science Day क्यों मनाते है? (उद्देश्य और महत्व)

रमन इफेक्ट के खोजकर्ता सर सी.वी रमण के इस महत्वपूर्ण खोज के उपलक्ष में प्रति वर्ष 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाया जाता है, जिसका मकसद उन्हें और उनके योगदानों को याद करना है।

इसके साथ ही इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करना, इसके महत्व को समझाना, वैज्ञानिक सोच पैदा करना तथा बच्चों को विज्ञान विषय को एक करियर के रूप में चुनने के लिए प्रोत्साहित करना भी है। जिससे देश में आने वाली पीढ़ी इसके प्रति जागरुक रहे और देश विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की करता रहे।

हमारे देश में कई असाधारण वैज्ञानिकों का जन्म हुआ जिनमें से एक सर सी.वी. रमण (CV RAMAN) ने भारत को नए आयाम दिए। भारतीय वैज्ञानिकों के योगदानों के कारण ही आज भारत का विश्व भर में विज्ञान क्षेत्र में लोहा माना जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 की थीम (Science Day Theme in Hindi)

प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 की थीम “ सतत भविष्य के लिए विज्ञान ” (Science for a Sustainable Future) है, पिछली साल 2023 की थीम “ वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान ” (Global Science for Global Wellbeing) थी, यह विषय देश और विदेश में वैज्ञानिकों को एक साथ आने, और काम करने तथा वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक मुद्दों की सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के उद्देश्य से चुना गया है।

नेशनल साइंस डे 2022 की थीम ‘ दीर्घकालिक भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण ‘ थी। इससे पहले 2021 में इसे “ एसटीआई का भविष्य: शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव ” Theme के साथ मनाया गया था। तो वहीं 2020 का विषय ‘ वूमेन इन साइंस ‘ था।

National Science Day Previous Themes:

  • 2021 – “Future of STI: Impacts on Education, Skills and Work” (यहाँ STI का अर्थ Science, Technology & Innovation है।)
  • 2020 – “Women in Science”
  • 2019 – “Science for the People, and the People for Science”
  • 2018 – “Science and Technology for a sustainable future.”
  • 2017 – “Science and Technology for Specially Abled Persons”
  • 2016 – “Scientific Issues for Development of the Nation”
  • 2015 – “Science for Nation Building”
  • 2014 – “Fostering Scientific Temper”
  • 2013 – “Genetically Modified Crops and Food Security”

सी.वी. रमन का जीवन परिचय (C.V. Raman Biography in Hindi)

सर सी.वी रमन का पूरा नाम ‘ चंद्रशेखर वेंकटरमन ‘ है, उनका जन्म 7 नवंबर 1888 को भारत के तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली शहर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता ‘ चंद्रशेखर अय्यर ‘ कॉलेज में भौतिकी विज्ञान के शिक्षक थे। तथा उनकी माता ‘ पार्वती अम्मल ‘ एक गृहस्त महिला थी।

1892 में जब रमन के पिता का तबादला विशाखापट्टनम में हुआ तो वहां उनके पिता को पढ़ने का ज्यादा शौक होने के कारण घर में ही किताबों का भंडार लग गया था। जहां से रमन ने बचपन से ही काफी अच्छी शिक्षा प्राप्त की।

पढ़ाई-लिखाई (Education):

इसके बाद उन्होंने विशाखापट्टनम के ‘ सेंट अलोय्सिअस एंग्लो-इंडियन हाई स्कूल ‘ से पढ़ाई की और मात्र 11-12 साल की उम्र में ही उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली।

इसके बाद 13 साल की कम आयु में उन्होंने बारहवीं की परीक्षा भी पास कर ली तथा आगे की पढ़ाई के लिए मद्रास (चेन्नई) के विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर सन 1904 में अपनी स्नातक की शिक्षा पूर्ण की।

तथा 1907 में मास्टर की डिग्री में वह पूरे मद्रास विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान विषय में प्रथम (First) आए।

विवाह (पत्नी और बच्चे):

सी वी रमन का विवाह 6 मई 1907 को ‘ लोक सुंदरी अम्मल ‘ से हुआ उनकी दो संताने थी। जिसमें से एक बेटे का नाम चंद्रशेखर और दूसरे बेटे का नाम ‘ राधाकृष्णन ‘ था। राधाकृष्णन बाद में एक खगोल शास्त्री बने।

करियर की शुरुआत:

विज्ञान क्षेत्र में कुछ असुविधाओं के कारण वर्ष 1917 में सीवी रमन जी सरकार द्वारा आयोजित कराई गई परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर वित्त विभाग में नियुक्त हो गए। उनकी नियुक्ति कोलकाता में हुई थी। परंतु वह इस सरकारी नौकरी से खुश नहीं थे।

उन्होंने इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस मे पहुंच कर वहां अपना परिचय दिया और प्रयोगशाला में आज्ञा प्राप्त की और वहां शोध कार्य करते रहे, इसके बाद उनका तबादला रंगून में हो गया।

सर सी.वी रमन जी को मिले सम्मान और पुरस्कार:

  • 1928 में ‘ रॉयल सोसायटी (लंदन) ‘ का फेलो बनाया गया।
  • 1930 में उन्हें भौतिकी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया। इस क्षेत्र में पुरस्कार पाने वाले वे भारत और एशिया के पहले वैज्ञानिक थे।
  • 1941 में फ्रैंकलीन मेडल मिला।
  • 1954 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
  • 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार भी मिला।

मृत्यु (Death):

सर सी.वी. रमन जी जब अपनी प्रयोगशाला में प्रयोग कर रहे थे तब वह वहां गिर गए। जिसके बाद उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया तो डॉक्टरों ने जवाब दे दिया, और बताया कि उनके जीवन में अब कुछ ही दिन बचे हैं।

ऐसे में वे अपने जीवन के आखिरी पल अस्पताल में ना गुजरते हुए अपने इंस्टिट्यूट के बगीचे में अपने हाथों से लगाए गए फूलों के साथ व्यतीत करना चाहते थे। और आखिरकार 21 नवंबर 1970 को 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

नेशनल साइंस डे कैसे मनाया जाता है?

राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् द्वारा 28 फरवरी को साइंस डे घोषित किए जाने के बाद से ही हर साल यह दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षिक संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा कई कार्यक्रम एवं निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

इसके साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के माध्यम से व्याख्यान, प्रश्नोत्तरी, रेडियो, टेलीविजन शो और वाद-विवाद आदि गतिविधियों को एक केंद्रीय विषय के आसपास आयोजित किया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस प्रथम बार कब मनाया गया?

प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाए जाने की शुरुआत भारत सरकार द्वारा वर्ष 1986 में की गई, जिसके बाद 28 फरवरी 1987 को इसे पहली बार मनाया गया। यह दिवस भारतीय भौतिकविद सी.वी. रमन की महान खोज रमन प्रभाव को रेखांकित करता है।

रमन प्रभाव क्या है? (Raman Effect in Hindi)

रमन प्रभाव 1928 में भारतीय भौतिक विज्ञान संघ (कोलकाता) की प्रयोगशाला में काम करते हुए प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा खोजे गए स्पेक्ट्रोस्कोपी की एक घटना है।

रमन प्रभाव के अनुसार प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन, तब होता है जब प्रकाश की किरण अणुओं द्वारा विक्षेपित हो जाती है। अथार्त जब प्रकाश पारदर्शी पदार्थ से यात्रा करता है, तो प्रकाश की तरंगदैर्ध्‍य में बदलाव दिखता है।

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National Science Day: जानिए 1999 से लेकर अब तक के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के विषय

National Science Day 2024 Theme, History & Significance: वर्ष 1928 में सर सीवी रमन द्वारा रमन प्रभाव की खोज के उपलक्ष्य में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत की समृद्ध वैज्ञानिक उपलब्द्धि को श्रद्धांजलि देने के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान जनता के बीच विज्ञान के नवाचार की भावना को प्रोत्साहित किया जाता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 पर आइए जानें राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 इतिहास, महत्व क्या है। इसके साथ ही इस लेख की मदद से हम जानेंगे कि वर्ष 1999 से लेकर अब तक राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर कौन कौन से थीम तय किये गये थे।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विज्ञान के चमत्कारों का उत्सव मनाये

National Science Day 2024 | राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 इतिहास

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, महान भौतिक विज्ञानी सर सी.वी. रमन द्वारा रमन प्रभाव की नोबेल पुरस्कार विजेता खोज की याद में मनाया जाता है। 28 फरवरी, 1928 को, रमन ने इस अभूतपूर्व खोज की घोषणा की, जिसने प्रकाश के प्रकीर्णन का प्रदर्शन किया और भौतिकी के क्षेत्र पर गहरा प्रभाव डाला।

National Science Day 2024 Theme: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम 'विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक' लॉन्च

भारत सरकार ने देश में वैज्ञानिक जागरूकता और स्वभाव के महत्व को स्वीकार करते हुए 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित किया। यह दिन न केवल सर सी.वी.रमन को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है बल्कि भारत की वैज्ञानिक शक्ति और उसके वैज्ञानिक समुदाय के योगदान का भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

National Science Day 2024 |राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व क्या है?

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, इस दिन का उद्देश्य लोगों के बीच वैज्ञानिक दृष्टिकोण और स्वभाव को बढ़ावा देना, उन्हें दैनिक जीवन में विज्ञान की भूमिका की सराहना करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस विशेष दिन में नवाचार को प्रेरित किया जाता है। उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धियों को उजागर करके, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस युवा दिमागों को विज्ञान में करियर बनाने और नवीन अनुसंधान में संलग्न होने के लिए प्रेरित करता है।

देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को और अधिक खास बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और अद्वितीय कार्य के लिए वैज्ञानिकों को मान्यता दी जाती है। यह अवसर उन वैज्ञानिकों के योगदान को स्वीकार करने और सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है, जिन्होंने इस क्षेत्र पर स्थायी प्रभाव डाला है।

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस विज्ञान संचार को प्रोत्साहित करता है। शैक्षणिक संस्थान, अनुसंधान संगठन और विज्ञान के प्रति उत्साही व्यक्तियों द्वारा इस दिन का उपयोग आम जनता तक वैज्ञानिक अवधारणाओं को संप्रेषित करने के लिए सेमिनार, कार्यशालाएं और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

National Science Day 2024 Theme Timeline | राष्ट्रीय विज्ञान दिवस थीम

वर्ष 1999 से राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कुछ विशिष्ट विषयों को ध्यान में रखकर मनाया जाता रहा है। वर्ष 1999 से रखे गए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम इस प्रकार है:

National Science Day 2024 Theme राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

1999 हमारी बदलती पृथ्वी 2000 बुनियादी विज्ञान में पुनः रुचि पैदा करना 2001 विज्ञान शिक्षा के लिए सूचना प्रौद्योगिकी 2002 अपशिष्ट से धन 2003 डीएनए के 50 वर्ष और आईवीएफ के 25 वर्ष - जीवन का खाका 2004 समुदाय में वैज्ञानिक जागरूकता को प्रोत्साहित करना 2005 भौतिकी का जश्न 2006 हमारे भविष्य के लिए प्रकृति का पोषण करें 2007 प्रति बूँद अधिक फसल 2008 पृथ्वी ग्रह को समझना 2009 विज्ञान के क्षितिज का विस्तार 2010 सतत विकास के लिए लैंगिक समानता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी 2011 दैनिक जीवन में रसायन विज्ञान 2012 स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा 2013 आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें और खाद्य सुरक्षा 2014 वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना 2015 राष्ट्र निर्माण के लिए विज्ञान 2016 राष्ट्र के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दे 2017 विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी टिकाऊ भविष्य के लिए 2018 विज्ञान और प्रौद्योगिकी 2019 विज्ञान लोगों के लिए, और लोग विज्ञान के लिए 2020 विज्ञान में महिलाएं 2021 एसटीआई का भविष्य: शिक्षा कौशल और कार्य पर प्रभाव 2022 सतत भविष्य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण 2023 वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान 2024 विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक

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National Science Day in Hindi : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्या है और साथ ही जानें यह 28 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है? 

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  • Updated on  
  • फरवरी 27, 2024

National Science Day in Hindi

सर सी.वी. द्वारा ‘रमन प्रभाव’ की खोज को चिह्नित करने के लिए हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इसी खोज से सर सी.वी. रमन को 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला था। यह दिन विज्ञान के महत्व बताने के उद्देश्य से मनाया जाता है। स्टूडेंट्स के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए उन्हें इस दिन के महत्व और इतिहास को सही से समझना जरूरी है। इस ब्लाॅग में National Science Day in Hindi के बारे में बताया जा रहा है।

National Science Day in Hindi
28 फरवरी 2024
यह दिन विज्ञान के महत्व बताने और सीवी रमन का विज्ञान में योगदान याद करने के उद्देश्य से मनाया जाता है
विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीकें (Indigenous Technologies for Viksit Bharat)

This Blog Includes:

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के बारे में, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास क्या है, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व क्या है, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाते हैं, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 थीम, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाते हैं, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर 10 लाइन्स, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के बारे में रोचक तथ्य.

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर वर्ष 28 फरवरी को ‘रमन प्रभाव’ की खोज के उपलक्ष्य में और विज्ञान के महत्व को बताने के लिए मनाया जाता है। 1986 में भारत सरकार ने 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में नाॅमिनेट किया था क्योंकि इस दिन सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन (सीवी रमन) ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी और इसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बाद में वह वैज्ञानिक क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए। 

यह भी पढ़ें- National Science Day Quotes in Hindi: पढ़िए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उत्सव बनाते वो प्रेरक विचार, जो युवाओं को विज्ञान विषय पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे!

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day in Hindi) का इतिहास राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का विचार पहली बार 1986 में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) द्वारा प्रस्तावित किया गया था। बाद में इसे भारत सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के योगदान को पहचानने और उसकी सराहना करना है। साथ ही हम लोगों की रोजाना की जिंदगी में विज्ञान के महत्व के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता लाना है। यह दिन यह वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और युवाओं को विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए है। 

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National Science Day in Hindi क्यों मनाते हैं के बारे में यहां बताया जा रहा हैः

  • विज्ञान के महत्व के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता लाने के लिए।
  • युवाओं को विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए।
  • भारत के महान वैज्ञानिक सीवी रमन के विज्ञान में योगदान को याद करने के लिए।
  • सर सी.वी. द्वारा ‘रमन प्रभाव’ की खोज को चिह्नित करने के लिए।
  • विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए।

किसी भी आयोजन की सफलता के लिए थीम निर्धारित की जाती है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए भी हर वर्ष थीम निर्धारित की जाती है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 के लिए थीम – विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीकें (Indigenous Technologies for Viksit Bharat) है।

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National Science Day in Hindi कैसे मनाते हैं के बारे में यहां बताया जा रहा हैः

  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने के लिए सबसे पहले वैज्ञानिक अनुसंधान या खोज के किसी विशेष क्षेत्र को उजागर करने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए एक थीम चुनी जाती है। 
  • शैक्षणिक संस्थान में सार्वजनिक भाषण, कार्यक्रम, विज्ञान प्रदर्शनियां, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, व्याख्यान और विज्ञान मॉडल प्रदर्शनियों का आयोजन करके राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाते हैं।
  • इस दिन को मनाने के लिए रेडियो, टीवी और वर्तमान में इंटरनेट पर भी विज्ञान से संबंधित विषयों और अवधारणाओं पर कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाता है।

National Science Day in Hindi से जुड़ीं 10 लाइन्स इस प्रकार हैंः

  • सर सीवी रमन की रमन प्रभाव खोज को याद करने के लिए हम हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाते हैं।
  • सर सीवी रमन ने वर्ष 1930 में भौतिकी क्षेत्र में महान पुरस्कार जीता और उनके योगदान को याद करने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर मनाया जाता है।
  • 1987 में 28 फरवरी को भारत सरकार ने पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया था।
  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान परिषद बहुत मदद करती है।
  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को पूरे देश में इस कार्यक्रम को स्कूलों, कॉलेजों और विभिन्न वैज्ञानिक संगठनों की ओर से मनाया जाता है।
  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन विज्ञान पर विभिन्न कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं, विज्ञान के क्षेत्र में फिल्में और प्रदर्शनियां प्रदर्शित की जाती हैं।
  • विज्ञान के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मुख्य संदेश यह था कि विज्ञान लोगों के लिए कितना आवश्यक है और लोग विज्ञान के लिए कैसे काम कर रहे हैं।
  • हमारे दैनिक कार्यों के लिए विज्ञान कितना आवश्यक है, यह दिन हमें समझाता है।
  • विज्ञान दिवस भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक वार्षिक उत्सव है।

यह भी पढ़ें- 28 फरवरी का इतिहास (28 February Ka Itihas) – 1928 में आज ही के दिन भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन ने ‘रमन प्रभाव’ का किया था आविष्कार

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के बारे में रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः

  • प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर एक थीम होती है जो वैज्ञानिक अनुसंधान के एक विशेष क्षेत्र या एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि के बारे में बताती है।
  • भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और पूरे देश में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 
  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ाने में इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए है।
  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर वैज्ञानिक चर्चाओं, वाद-विवादों और प्रयोगों में शामिल होने के अलावा सीखने की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
  • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर वैज्ञानिक विषयों में उत्कृष्ट योगदान के लिए योग्य व्यक्तियों को कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पुरस्कार और मान्यताएं दी जाती हैं।

सर सी.वी. द्वारा रमन प्रभाव की खोज की स्मृति में भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। रमन यह दिन समाज में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और छात्रों को विज्ञान को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस ने समाज में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करके भारत में विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन ने कई छात्रों को विज्ञान को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया है।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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स्टडी अब्राॅड प्लेटफाॅर्म Leverage Edu में सीखने की प्रक्रिया जारी है। शुभम को 4 वर्षों का अनुभव है, वह पूर्व में Dainik Jagran और News Nib News Website में कंटेंट डेवलपर रहे चुके हैं। न्यूज, एग्जाम अपडेट्स और UPSC में करंट अफेयर्स लगातार लिख रहे हैं। पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद शुभम ने एजुकेशन के अलावा स्पोर्ट्स और बिजनेस बीट पर भी काम किया है। उन्हें लिखने और रिसर्च बेस्ड स्टोरीज पर फोकस करने के अलावा क्रिकेट खेलना और देखना पसंद है।

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दैनिक जीवन में विज्ञान पर निबन्ध | Essay on Science in Everyday Life in Hindi

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दैनिक जीवन में विज्ञान पर निबन्ध | Essay on Science in Everyday Life in Hindi!

विज्ञान मानव के लिए एक महान वरदान है । मानव के इतिहास में, उसके जीवन के लिए विज्ञान के उदय से बेहतर कोई घटना घटित नहीं हुई हैं जब विज्ञान का उदय हुआ उस समय विश्व अज्ञानता, दु:खों और विपत्तियों से घिरा हुआ था ।

विज्ञान ने मनुष्य को दुखों से छुटकारा दिलाने, उसकी अज्ञानता को दूर भगाने व उसकी मुश्किलों को कम करने में सार्थक भूमिका निभाई है । विज्ञान मानव का निष्ठावान सेवक है । चाहे वह घर हो या खेत या कारखाना जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान हमारी सहायता करता है ।

इससे अधिक कर्तव्यनिष्ठ सेवक मानव को प्राप्त नही हो सकता । जब हम अपने सेवक को बिगाड़ देते हैं, या उसपर हमारा नियंत्रण नहीं रहता । तभी वह हमारे लिए हानिकारक होता है । लेकिन इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं । सेवक को अपने नियंत्रण में रखना आवश्यक है ।

ADVERTISEMENTS:

विज्ञान ने हमारे जीवन में भारी परिवर्तन ला दिया है । वे दिन बीत गए जबकि सम्पन्न व्यक्ति ही ऐश्वर्य का मजा ले जाते थे । विज्ञान ने उन्हें सस्ता, सहज और सुलभ बना दिया है । विज्ञान की सहायता से माल का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है, अब ये वस्तुएं सस्ती कीमतों में बाजार में बिकती है ।

पुस्तकें, संगीत और मनोरंजन के अन्य साधन आज आसानी से मिल जाते है । रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा ऐसे साधन हैं, जिनसे हम अपना समय आनंदपूर्वक गुजार सकते है । निस्संदेह आज साधारण व्यक्ति के जीवन में पहले से बहुत अधिक अंतर आ गया है ।

चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान हमारा निष्ठावान सहचर है । वह प्रत्येक दृष्टि से हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखता है । विज्ञान द्वारा मानव को विभिन्न असाध्य रोगों के इलाज की शक्ति प्राप्त हो गई है । चेचक, हैजा तथा प्लेग आदि के विनाश से अब मानवता अपने आपको सुरक्षित पाती है । किशान की सहायता से हम रोगों को फैलाने वाले कीटाणुओं को जड़ से उखाड़ फैंकने में समर्थ हो जाते हैं । आज संभवत: एक-दो रोगों को छोड्‌कर, कोई ऐसा रोग नहीं है, जिसको असाध्य कहा जा सके ।

विज्ञान ने हमारी यात्राओं को सुखद बना दिया है । आज हम दूरस्थ पवित्र तीर्थ स्थानों में जाते समय अपने संबंधियों तथा मित्रों से बिछुड़ते हुए रोते नही है । विज्ञान ने समय और दूरी पर विजय प्राप्त कर ली है । गाड़ियाँ वनों और मरुस्थलों को सुरक्षित पार कर जाती हैं और मनुष्य तेज गति तथा आराम से अपने गंतव्य तक पहुँच जाता है ।

हवाई जहाज एक घंटे में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर लेता है । आप अपना नाश्ता दिल्ली में, दोपहर का खाना लंदन में और रात का भोजन न्यूयार्क में कर सकते है । महीनों का काम अब कुछ घंटो में पूरा हो जाता है । गृहिणियों के लिए तो विज्ञान एक वरदान है । अब उसे अपना सारा समय रसोईघर में बिताने की आवश्यकता नहीं पड़ती ।

उसके कार्यभार को कम करने के लिए अनेक उपकरणों का विकास हो गया है । अब रसोई के सारे कार्य बिजली के यंत्रों की सहायता से किए जा सकते हैं, जिससे खाना पकाना बहुत आसान हो गया है और खाना बिना गन्दगी और धुंए के पलक झपकते ही तैयार हो जाता है ।

आज गृहिणी कपड़े धोने, प्रेस करने से लेकर फर्श आदि साफ करने के काम बिजली के यंत्रों की सहायता से करती है । आज की गृहिणी को विज्ञान का सब से अधिक आभारी होना चाहिए क्योंकि इसने उसके बहुत से काम आसान कर दिए हैं । अब उसे विश्राम, अध्ययन और अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताने के अवसर प्राप्त होते है ।

श्रमिक-वर्ग भी विज्ञान के विकास से बहुत लाभान्वित हुआ । उन्हें धूल-मिट्‌टी के कार्यों को अपने हाथों से नही करना पड़ता । अब उन्हें कोयले और लोहे की खानों में खुदाई का काम अपने हाथों से नही करना पड़ता । प्रत्येक कारखाने में सुख और सुविधाओं के सभी साधन मौजूद है जिन्हें विज्ञान ने प्रदान किया है ।

विज्ञान के वरदानों का अंत यही नहीं हो जाता है । यह सेवक शिक्षा प्रदान करने की सेवा भी करता है । विज्ञान द्वारा बड़े-बड़े मुद्रणालयों का निर्माण हुआ है जो मस्त मूल्यों पर बड़ी संख्या में पुस्तके छापते हैं । इसने मानव के अज्ञान को मिटाने के लिए अनेक साधन उपलब्ध कराए हैं ।

दुनिया के प्रत्येक कोने की खबरें हम समाचारपत्र, रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से प्राप्त हो जाती हैं । इसके कारण हमारे समाज से अज्ञान और अंधविश्वास समाप्त होता जा रहा है । अब सीधे-सादे व्यक्ति को कोई चालाक व धूर्त व्यक्ति धोखे से ठग नही सकता है ।

तथापि, तस्वीर का दूसरा रूख भी है । हथियारों के क्षेत्र में विज्ञान ने मानव का सबसे बड़ा अहित किया है । यद्यपि प्रारंभ में बारूद के आविष्कार को मानव की बहुत बड़ी उपलब्धि समझा गया था, परंतु बारूद के आविष्कार का दिन मानव के लिए बहुत भयानक था । क्योंकि धीर-धीरे बारूद का प्रयोग युद्ध के सैकड़ों नए विनाशकारी हथियारों को बनाने में किया जाने लगा ।

अत: यदि मानव विज्ञान का प्रयोग अपनी सुख-सुविधा कें स्थान पर विनाशकारी कार्यों के लिए करने लगे, तो उसके लिए भला कौन जिम्मेदार हो सकता है । यदि हम अपने आप विनाश के यंत्रों के ढेर लगाते जाएगें तो इसमें विज्ञान का क्या दोष है?

आधुनिक युग परमाणु ऊर्जा का युग है । अब या तो पूर्ण विनाश की स्थिति उत्पन्न होगी या ऐसा युग आएगा जब यह शक्ति मानव के श्रम को हल्का करके, विश्व भर में उसके रहन-सहन के स्तर को बढ़ाने में सहायक होगी । इसका निर्णय तो स्वयं मनुष्य को करना है कि वह परमाणु बम से विश्व को विनाश के कगार पर पहुँचाना चाहता है या परमाणु ऊर्जा से इसका पुन: निर्माण करना चाहता है ।

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विज्ञान के चमत्कार पर निबंध Wonder Of Science Essay In Hindi

नमस्कार आज हम विज्ञान के चमत्कार पर निबंध Wonder Of Science Essay In Hindi पढ़ेगे. विज्ञान ने हमें क्या नही दिया, उनके बढ़ते कदम चमत्कारों के कारण साइंस ने हमारे जीवन को सुखमय बना दिया हैं.

विज्ञान की प्रगति ने कई ऐसे चमत्कारों को जन्म दिया है, जिन्हें आज हम विज्ञान का चमत्कार निबंध (Miracle of Science) में पढ़ेगे.  100, 200, 300, 400, 500, 1000 शब्दों में हिंदी निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,10 के स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में यहाँ उपलब्ध करवा रहे हैं. चलिए आरम्भ करते हैं.

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध-Wonder Of Science Essay In Hindi

Wonder Of Science Essay In Hindi

विज्ञान का चमत्कार एस्से इन हिंदी 1

प्रस्तावना-  आज विज्ञान ने ऐसे अनेक आविष्कार कर दिए हैं जिनसे जीवन का प्रत्येक कार्य आसान हो गया हैं. इतना ही नही आज प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान का ही साम्राज्य है, यही कारण है कि हूम इस युग को पूर्ण रूप से विज्ञान का युग कहते हैं.

विज्ञान का चमत्कार मानव जीवन में – वर्तमान में विज्ञान ने अलग अलग क्षेत्रों में अनेक चमत्कार किये हैं. विज्ञान ने यातायात के साधनों का निर्माण कर स्थानों की दूरी पर विजय पा ली हैं.

राकेट का निर्माण करके अंतरिक्ष यात्रा आसान कर दी हैं. संदेश भेजने के क्षेत्र में अनेक चमत्कार दिखाई देते हैं. टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट, टेलीविजन, रेडियो आदि.

चिकित्सा के क्षेत्र में  विज्ञान ने अनेक चमत्कार किये हैं. अब असाध्य रोगों का ईलाज संभव हैं तथा स्वचालित उपकरणों से शरीर के अंदर शल्य क्रिया होने लगी हैं. परखनली से बच्चे जन्म लेने लगे हैं. कंप्यूटर विज्ञान का सबसे बड़ा चमत्कार हैं.

इसे मनुष्य का दस हजार गुना अधिक शक्तिशाली मस्तिष्क कहा जाने लगा हैं. मनोरंजन के साधनों में सिनेमा ग्रामोफोन गेम्स आदि अनेक साधन बन गये हैं.

इसी प्रकार घरों में काम आने वाले कूलर फ्रिज एयरकंडिशनर पंखे आटा पिसाई मशीन मिक्सर जूसर गीजर रूम हीटर आदि अनेक उपकरण बन गये हैं.

विज्ञान से लाभ व हानि – विज्ञान ने अनेक चमत्कारी आविष्कार कर अपनी शक्ति से प्रकृति पर विजय प्राप्त कर ली हैं. परन्तु परमाणु शक्ति के आविष्कार से विज्ञान ने मानव सभ्यता के विनाश का रास्ता खोल दिया हैं.

घरों में रसोई घर से लेकर किसान के खेत खलिहान तक अनेक उपकरण काम में आ रहे हैं. इसे काम शीघ्रता से हो रहा हैं. ये सब चमत्कार विज्ञान की लाभकारी देन है परन्तु विज्ञान ने कुछ आविष्कार ऐसे कर दियें हैं जिससे हानि भी हो रही हैं.

कई नयें आविष्कारों से असाध्य रोग फ़ैल रहे हैं. तथा धरती का तापमान व पर्यावरण भी इन चमत्कारों से प्रभावित हो रहा हैं. 

उपसंहार – विज्ञान के चमत्कारों से लाभ और हानि दोनों ही हैं, हमे यह तो मानना पड़ेगा कि आज का जीवन पूरी तरह विज्ञान पर ही निर्भर हैं.

वैज्ञानिक साधनों के बिना आज का मानव एक घंटे भी शांति और चैन से नही रह सकता हैं. हमें चाहिए कि हम विज्ञान का उपयोग मानव कल्याण के लिए करे तो यह विज्ञान हमारे लिए वरदान बन जाएगा.

विज्ञान के चमत्कार निबंध 2 (Wonder Of Science)

प्रस्तावना- आधुनिक युग विज्ञान की आश्चर्यजनक प्रगति का युग हैं. विज्ञान आज मानव जीवन में घुल मिलकर इसका अनिवार्य अंग बन गया हैं. ऐसी स्थिति में यह विचारणीय प्रश्न उत्पन्न हो गया हैं. कि क्या विज्ञान मानव समाज को लाभान्वित कर रहा हैं अथवा पतन के गर्त की ओर ले जा रहा हैं.

आधुनिक युग के समाजशास्त्री, दार्शनिक तथा साहित्यकार इन विशिष्ट प्रश्नों के सही उत्तर ढूढने में संलग्न हैं. कई बुद्धिजीवियों की राय हैं कि विज्ञान मानव की मानवता को नष्ट कर रहा हैं. जबकि अन्य विद्वान् चिंतक विज्ञान की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हैं.

विज्ञान का अभूतपूर्व विकास – बीसवीं शताब्दी में विज्ञान ने अभूतपूर्व उन्नति की हैं. जहाँ आज से सौ वर्ष पहले मनुष्य बैल गाड़ियों और घोड़ों पर बैठकर यात्रा करता था और सौ मील की यात्रा करने में उसके कई दिन निकल जाते थे तथा परिश्रम और थकान के मारे उसका कचूमर निकल जाता था,

वहां आज सैकड़ों मील की यात्रा वह चुटकियों में तय कर लेता हैं. विज्ञान के द्वारा प्रदत्त सुविधाओं से वह सैकड़ो मील दूर के द्रश्य देख लेता हैं. तथा मीलों दूर बैठे व्यक्ति से वार्तालाप कर सकता हैं.

यातायात के साधनों, दैनिक सुख सुविधा की वस्तुओं, यांत्रिक साधनों तथा अनेक स्वचालित मशीनों आदि के आविष्कार से विज्ञान का आश्चर्यजनक विकास हुआ हैं.

विज्ञान मानव के लिए वरदान – विज्ञान से मानव को जितना लाभ हुआ है उतना उसे प्राचीन युग में ईश्वर आराधना या धर्माचरण से नहीं हुआ था. विज्ञान से समाज और व्यक्ति दोनों समान रूप से उपकृत हुए हैं.

व्यक्ति का जीवन पग पग में सरल और उच्च स्तरीय बन गया हैं. आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान ने इतने साधन उपलब्ध करा दिए हैं कि अब कोई काम असम्भव नहीं रह गया हैं. इसलिए विज्ञान अब मानव के लिए वरदान ही हैं.

विज्ञान मानव के लिए अभिशाप- लेकिन साथ ही विज्ञान ने मनुष्य के महत्व और कार्यक्षेत्र का अमित विस्तार करके उसे बहुत ज्यादा व्यस्त बना दिया हैं. आज आदमी का जीवन एकदम नीरस और यंत्र जैसा बन गया हैं.

भौतिकता बढ़ रही हैं. पर्यावरण प्रदूषित हो रहा हैं तथा विनाशकारी परमाणु हथियारों के आविष्कार से मानव जाति के समूल विनाश का भय उपस्थित हो गया हैं. अतः विज्ञान का अतिभौतिकतावादी प्रयोग मानवता के लिए अभिशाप बन गया हैं.

समाधान- अतः यह आवश्यक यह है कि विज्ञान को व्यक्ति मानवीय दृष्टि से अपनाएं. संसार में मानव हित का स्थान सर्वोपरि हैं. विज्ञान हमारी सुविधा के लिए हैं. हम विज्ञान की सुविधा के लिए नहीं हैं.

अतः विज्ञान के द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का महत्व तभी है, जब मनुष्य की मनुष्यता सुरक्षित रहे, वह अमानवीय न बन जाए तथा उसकी आत्मा सूखे नाले की तरह नीरस न हो जाए.

उपसंहार- विज्ञान को अभिशाप से वरदान बनाने का उत्तरदायित्व बुद्धिमान और विवेकशील लोगों पर हैं. इसलिए विज्ञान के सुपरिणामों को सही रूप में प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य हैं कि लोगों को सही रूप में शिक्षा प्रदान कर उनमें वैज्ञानिक समझदारी बढ़ाई जाए. विज्ञान मानव जाति के लिए वरदान सिद्ध हो, हमें इस दिशा में सचेत रहना चाहिए.

विज्ञान के चमत्कार निबंध 3

आज हमारा जीवन कितना सुखी हैं. हमारे कमरे जाड़े में गर्म और गर्मी में ठंडे रहते हैं. पलक झपकते ही हमें हजारों मील दूर के समाचार घर बैठे मिल जाते हैं.

हमारी राते अब दिन जैसी जगमगाती हैं. हमारे घर के भीतर ही रेडियों टेलीविजन हमारा मन बहलाते हैं. यह सब किसकी देन हैं ? एकमात्र उत्तर हैं विज्ञान की.

विज्ञान और उसके चमत्कार- मनुष्य ने जब धरती पर जन्म लिया तो उसके चारो ओर की प्रकृति का कोई ज्ञान नही था. वह अपनी आवश्यकता के अनुसार सभी वस्तुओं का उपभोग करने लगा.

धीरे धीरे उसका ज्ञान भी बढ़ता गया. आज वह विज्ञान के बल पर सम्पूर्ण प्रकृति का स्वामी बन गया हैं. उसने और उसके विज्ञान ने जीवन के हर क्षेत्र में चमत्कार दिखाया हैं.

ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान के चमत्कार – हमारी पुस्तकें, कापियां और लेखन सामग्री मशीनों से तैयार होती हैं. आज आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा भी शिक्षा दी जा रही हैं.

कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विज्ञान के चमत्कार – आजकल विज्ञान ने हमारी कृषि की उपज कई गुना बढ़ा दी हैं. अच्छे बीजों, रासायनिक खादों और कृषि यंत्रों की सहायता से अब खेती सरल हो गई हैं.

और लाभदायक भी. आजकल हमारे सभी उद्योग मशीनों पर आधारित हैं. कहीं कहीं तो सारा काम मशीने करने लगी हैं. मनुष्य केवल उनके काम को देखते हैं.

समाचार और यातायात के क्षेत्र में विज्ञान के चमत्कार – विज्ञान ने रेल यात्रा जैसे कठिन काम को आसान कर दिया हैं. रेलगाड़ी तथा वायुयान द्वारा लम्बी दूरियां भी थोड़ी सी देर में तय की जा सकती हैं.

दिल्ली शहर में भीड़ के बढ़ते हुए दवाब के कारण जमीन के नीचे तथा ऊपर मेट्रों ट्रेन चलाकर यातायात को सुगम बनाया गया हैं. टेलीफोन तथा ईमेल द्वारा समाचार भेजना अब कितना सरल हो गया हैं. रेडियों तथा दूरदर्शन के माध्यम से हम देश विदेश के समाचार क्षण मात्र में जान लेते हैं.

मनोरंजन के क्षेत्र में विज्ञान का चमत्कार – हमारा विज्ञान मन बहलाने में भी पीछे नही हैं. रेडियो, टेप रिकॉर्डर टेलीविजन आदि अनेक साधनों से वह हमारा मनोरंजन करता हैं.

चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की प्रगति – आज रोगी के शरीर का भीतरी हाल जानने के लिए एक्सरे से भी अच्छी मशीने हमे प्राप्त हैं. हर बिमारी की अच्छी से अच्छी दवा की खोज की जा रही हैं. ओपरेशन के द्वारा शरीर के अंगों को भी बदला जा रहा हैं. लेजर किरणों से बिना चीर फाड़ के ओपरेशन भी होने लगे हैं.

युद्ध के क्षेत्र में विज्ञान के बढ़ते कदम – आज हम राडार की सहायता से शत्रु के हवाई आक्रमण की जानकारी पहले से कर सकते हैं. ऐसे अस्त्र भी बन गये हैं

जिनसे शत्रु के लड़ाकू विमान को जमीन पर बैठे हुए भी गिरा सकते हैं. निकट भविष्य में सैनिकों के स्थान पर रोबोट के द्वारा युद्ध लड़े जाने की संभावना को साकार करने में वैज्ञानिक लगे हुए हैं.

अन्य क्षेत्रों में विज्ञान का विकास- कैलकुलेटर गणित के कठिन से कठिन प्रश्न को एक क्षण में हल कर देता हैं. कम्प्यूटर तो हमारे दिमाग के समान ही सोचने समझने और निष्कर्ष निकालने का काम करते हैं.

उपसंहार – विज्ञान एक सेवक के समान हमारे काम करता हैं और हमें आराम देता हैं. वह हमे किसी भी ऋतु में कष्ट नही होने देता. किन्तु कभी कभी युद्ध के रूप में विनाश भी करता हैं. इसलिए हमें विज्ञान का प्रयोग सोच समझकर ही करना चाहिए.

विज्ञान के चमत्कार निबंध 4

विज्ञान का युग है. आज सारे संसार में वैज्ञानिक अविष्कारों एवं अनुसन्धानों की धूम मची हुई है. विज्ञान ने आधुनिक युग में क्रांति पैदा कर दी है. इसके द्वारा ऐसी ऐसी चीजो का आविष्कार हो रहा है.

जिनकी पहले तक कोई कल्पना तक नही कर सकता था. आज मानव जीवन और समस्त प्रकृति का कोई क्षेत्र विज्ञान से अछूता नही है,सारा संसार इसके चमत्कारों से पूर्ण है.

विज्ञान के विविध चमत्कार- विज्ञान ने अनेक क्षेत्रों में विविध चमत्कार किये है यथा-

यातायात के तीव्रगामी साधनों का विकास- इसने यातायात के तीव्रगामी साधनों का आविष्कार किया. कार, स्कूटर, मोटर, रेल, वायुयान की तो क्या कहे, विज्ञान ने दुसरें ग्रहों की यात्रा करने वाले रोकेटों का निर्मांण कर लिया है. ये तीव्रगामी वाले राकेट कुछ ही मिनटों में पृथ्वी की कक्षा से जाकर उपग्रहों का प्रक्षेपण कर देते है.

संदेश-वाहन, समाचार सम्प्रेष्ण एवं शिक्षा मनोरंजन के क्षेत्र में विज्ञान के चमत्कार- संदेश वाहन तथा समाचार सम्प्रेष्ण के क्षेत्र में रेडियों, टेलीफोन, टेलीप्रिंटर, टेलेक्स, बेतार के तार, फैक्स आदि अनेक यंत्रो के निर्माण से अब क्षणभर में संसार के समाचार ज्ञात हो जाते है.

टेलीविजन, विडियो गेम आदि के आमोद प्रमोद एवं शिक्षा प्रचार हो रहा है. सिनेमा भी विज्ञान का अनौखा चमत्कार है. कंप्यूटर  आधुनिक मानव का बहुपयोगी आविष्कार है.

चिकित्सा के क्षेत्र में चमत्कार- चिकित्सा के क्षेत्र में भी कंप्यूटर ने चमत्कार दिखाए है. अब अनेक नई नई मशीनों की सहायता से असाध्य बीमारियों का इलाज आसानी से होने लगा है.

अन्य आविष्कार- इसी प्रकार खेलकूद के साधनों और घर गृहस्थी के काम आने वाले साधनों के निर्माण में विज्ञान ने अनेक चमत्कारिक आविष्कार किये है.

विज्ञान के चमत्कारों से लाभ (Benefits from the wonders of science)

विज्ञान के विविध अविष्कारों से अब यातायात की सुविधा हो गई है. और एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरलता से पंहुचा जा सकता है. संसार भर के समाचार न केवल सुन सकते है, आपितु टेलीविजन पर उनके द्रश्य देख भी सकते है.

असाध्य रोगों का इलाज आसान होने से आदमी की आयुदर बढ़ गई है. मुद्रण यंत्रो के कारण शिक्षा क्षेत्र लाभान्वित हो रहा है. इस प्रकार विज्ञान के चमत्कारों से अनेक लाभ है.

आज के युग में विज्ञान के चमत्कारों का लाभ सभी को मिलने लगा है. परन्तु परमाणु शक्ति के आविष्कार से मानव सभ्यता के विनाश की भी आशंका होने लगी है. अतएवं विज्ञान का उपयोग सदा मानव हित में ही करना चाहिए.

हम अपने आस पास मानव निर्मित जिन चीजों को देखते हैं, वे विज्ञान के बल पर ही आकार पाने में सफल हो पाई हैं. सड़क पर चलती साईकिल हो या दूर गगन को भेदता हवाई जहाज सभी विज्ञान के आविष्कार हैं यह बात अलग हैं की जिस तरह  सिक्के के दो पहलू होते हैं. उसी तरह यह व्यक्ति पर निर्भर करता हैं की वह विज्ञान को सृजनात्मक माने या विध्वंसात्मक.

इसमें कोई शक नहीं हैं की विज्ञान से यदि हमें लाभ हुआ हैं तो इसके कुपरिणाम को भी भुगतना पड़ा हैं. लिहाजा इस बात का निर्णय करना थोडा कठिन हैं की विज्ञान वरदान हैं या अभिशाप. कई मामलों में यह वरदान साबित हुआ हैं तो कई मामलों में यह अभिशाप भी साबित हो रहा हैं. आइये विज्ञान के दोनों पहलुओं को जानते हैं.

विज्ञान ने मानव जीवन को सुगम और सुखद बना दिया हैं. पहले लम्बी दूरी की यात्रा करना मनुष्य के लिए अति कष्टदायी होता था. अब विज्ञान ने मनुष्य की हर प्रकार की यात्रा को सुखमय बना दिया हैं. सड़को पर दौड़ती मोटरगाड़ियाँ एवं एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ इसका उदहारण हैं.

पहले मनुष्य के पास मनोरंजन के लिए विशेष साधन उपलब्ध नहीं थे. अब उनके पास मनोरंजन के हर प्रकार के साधन उपलब्ध हैं. रेडियो, टेप रिकॉर्डर से आगे बढ़कर अब एलसीडी, वीसीडी एवं डीटीएच का जमाना आ गया हैं. यहीं नहीं मनुष्य विज्ञान की सहायता से शारीरिक कमजोरियों एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से पार पाने में पहले से अधिक सक्षम हो गया हैं.

और यह सब संभव हुआ चिकित्सा क्षेत्र में आई वैज्ञानिक क्रांति से, अब ऐसी असाध्य बीमारियों का ईलाज भी सम्भव हैं जिन्हें पहले लायलाज समझा जाता था. अब टीबी सहित कैंसर जैसी खतरनाक बिमारी को शुरूआती स्तर से ही खत्म करना संभव हुआ हैं. आज के हर हाथ में मोबाइल का दिखना भी विज्ञान के सर्वश्रेष्ठ उदहारण हैं.

खैर कुछ लोग कहते हैं कि विज्ञान ने आदमी को मशीन बना दिया हैं. यह कहना उचित नहीं हैं. मशीनों का अविष्कार मनुष्य ने अपनी सुख सुविधा के लिए किया हैं. यदि मशीनें नहीं होतीं, तो मनुष्य इतनी तेजी से प्रगति नहीं कर पाता एवं उनका जीवन तमाम तरह के झंझावतों के बीच ही गुम होकर रह जाता. मशीनों से मनुष्य को लाभ हुआ हैं.

यदि उसे भौतिक सुख सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं. तो उसमें मशीनों का योगदान प्रमुख हैं. मशीनों को कार्यान्वित करने के लिए मनुष्य को उन्हें परिचालित करना पड़ता हैं. इस कार्य में उसे अधिक परिश्रम करना नहीं पड़ता. यदि कोई व्यक्ति मशीन के बिना कार्य करे तो उसे अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ेगी.

इस दृष्टि से देखा जाए तो मशीनों के कारण मनुष्य का जीवन यंत्रवत नहीं हुआ हैं. बल्कि उसके लिए हर प्रकार का कार्य करना सरल हो गया हैं.

यह विज्ञान का वरदान ही हैं की अब डेबिट क्रेडिट कार्ड के रूप में लोगों के पर्स में प्लास्टिक मनी आ गई हैं एवं वह भी चाहे, रूपये निकाल सकता हैं. रूपये निकालने के लिए अब घंटों लाइन में लगने की जरूरत नहीं हैं.

बहरहाल मशीन का आविष्कार मनुष्य ने अपने कार्यों को आसान बनाने के लिए किया था, किन्तु कोई भी मशीन मनुष्य के बिना अधूरी हैं. जैसे जैसे मनुष्य वैज्ञानिक प्रगति करता जा रहा हैं.

उसकी मशीनों पर निर्भरता बढ़ती जा रही हैं. फलतः मशीनों को चलाने के लिए उसे यंत्रवत उसके साथ व्यस्त रहना पड़ता हैं. आधुनिक मनुष्य भौतिक सुख सुविधाओं को प्राथमिकता देता हैं. इसके लिए वह दिन रात परिश्रम करता रहता हैं.

वह चाहता हैं की उसके पास गाड़ी, बंगला, ऐशोआराम की सभी चीजे हो, इसके लिए वह अपने सुख चैन को भी त्याग देता हैं. और उसे बस एक ही धुन रहती है काम, काम और सिर्फ काम.

इस काम के चक्कर में उसने अपनी जीवन शैली अत्यंत व्यस्त बना ली हैं. खासकर शहरों के लोगों में यह आम दीखता हैं. मनुष्य ने अपने लिए रोबोट का भी आविष्कार कर लिया है. फिर भी उसकी आवश्यकता कम नहीं हुई हैं. वह दिन रात अन्तरिक्ष के रहस्यों को जानने के लिए परिश्रम कर रहा हैं.

कहते हैं दुनियां की किसी भी चीज का दुरूपयोग बुरा होता हैं. विज्ञान के मामले में भी ऐसा ही हैं. विज्ञान का यदि दुरूपयोग किया जाए तो इसका परिणाम भी बुरा होगा.

इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो विज्ञान का सहयोग मनुष्य के लिए एक अभिशाप के रूप में सामने आया हैं. विज्ञान की सहायता से मानव ने घातक हथियारों का आविष्कार किया हैं. ये हथियार पूरी मानव सभ्यता का विनाश करने में सक्षम हैं.

द्वितीय विश्व युद्ध के समय इनके प्रयोग से मानव को जो क्षति हुई, उसकी पूर्ति असम्भव हैं. विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने मशीनों का अविष्कार अपने सुख चैन के लिए किया, किन्तु अफ़सोस की बात यह हैं की मशीन के साथ साथ वह भी मशीन होता जा रहा हैं.

उसकी जीवन शैली भी अत्यंत व्यस्त हो गई हैं. विज्ञान की सहायता से मशीनों के अविष्कार के बाद छोटे छोटे एवं सामान्य कार्यों के लिए भी मशीनों की निर्भरता बढ़ी हैं.

एवं परिणामस्वरूप जो कार्य पहले मानव द्वारा किया जाता था, अब उसके लिए मशीनों से काम लिया जा रहा हैं, यही कारण हैं कि बेरोजगारी में वृद्धि हुई हैं. मशीनों के प्रयोग एवं पर्यावरण के दोहन के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ गया हैं.

तथा प्रदूषण के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा हैं.यही नहीं विज्ञान की सहायता से प्रगति के लिए मनुष्य ने पृथ्वी पर मौजूद संसाधनों का व्यापक रूप से दोहन किया हैं जिसके कारण उसके लिए ऊर्जा संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई हैं.

विज्ञान के दुरूपयोग के कारण यह मनुष्य के लिए विध्वंसक अवश्य लगे किन्तु इसमें कोई संदेह नहीं कि इसके कारण मनुष्य का जीवन सुखमय हो सका हैं.

और आज हम जो प्रगति और विकास की बहार देख रहे हैं, यह विज्ञान के बल पर ही संभव हुआ हैं. इस तरह विज्ञान मानव के लिए सृजनात्मक/ वरदान ही साबित हुई हैं.

विज्ञान के दुरूपयोग के लिए विज्ञान को ही नही बल्कि मानव को भी दोषी ठहराया जाना चाहिए. विज्ञान कभी नहीं कहता कि उसका दुरूपयोग किया जाए.

इस तरह आज तक विज्ञान की सहायता से तैयार हथियारों के दुरूपयोग के लिए विज्ञान को विध्वंसात्मक कहना विज्ञान के साथ अन्याय करने के बराबर हैं. विज्ञान को अभिशाप बनाने के लिए मनुष्य दोषी हैं. अन्तः देखा जाए तो विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान/ चमत्कार/ उपहार ही हैं.

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Kargil Vijay Diwas 2024: Poems in English and Hindi to Honour Valour of Soldiers

  this article comprises heartfelt poems for the occasion of kargil vijay diwas. the day is observed on july 26 to honour the warriors who laid down their lives in service of the nation. .

Garima Jha

Kargil Vijay Diwas is observed every year on July 26. The day is observed to honour the bravery and sacrifices of the armed forces in the Kargil war. This year the event marks the 25th anniversary of India’s victory in the Kargil war in 1999 following the success of Operation Safed Sagar of the Indian Air Force and Operation Vijay of the Indian Army.

The day marks the victory of Indian soldiers in capturing the mountain heights that were occupied by the Pakistani Army. On the occasion of this day, we have brought to you poems in both English and Hindi that will help you to convey the resilience of armed forces in the face of extreme adversity. 

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An Olympics Scene Draws Scorn. Did It Really Parody ‘The Last Supper’?

Some church leaders and politicians have condemned the performance from the opening ceremony for mocking Christianity. Art historians are divided.

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A screen depicting a person painted in blue near fruit. Behind is a rainy Paris street with part of the Eiffel Tower and Olympic rings visible.

By Yan Zhuang

A performance during the Paris Olympics’ opening ceremony on Friday has drawn criticism from church leaders and conservative politicians for a perceived likeness to Leonardo da Vinci’s depiction of a biblical scene in “The Last Supper,” with some calling it a “mockery” of Christianity.

The event’s planners and organizers have denied that the sequence was inspired by “The Last Supper,” or that it intended to mock or offend.

In the performance broadcast during the ceremony, a woman wearing a silver, halo-like headdress stood at the center of a long table, with drag queens posing on either side of her. Later, at the same table, a giant cloche lifted, revealing a man, nearly naked and painted blue, on a dinner plate surrounded by fruit. He broke into a song as, behind him, the drag queens danced.

The tableaux drew condemnation among people who saw the images as a parody of “The Last Supper,” the New Testament scene depicted in da Vinci’s painting by the same name. The French Bishops’ Conference, which represents the country’s Catholic bishops, said in a statement that the opening ceremony included “scenes of mockery and derision of Christianity,” and an influential American Catholic, Bishop Robert Barron of Minnesota, called it a “gross mockery.”

The performance at the opening ceremony, which took place on and along the Seine on Friday, also prompted a Mississippi-based telecommunications provider, C Spire, to announce that it would pull its advertisements from Olympics broadcasts. Speaker Mike Johnson described the scene as “shocking and insulting to Christian people.”

The opening ceremony’s artistic director, Thomas Jolly, said at the Games’ daily news conference on Saturday that the event was not meant to “be subversive, or shock people, or mock people.” On Sunday, Anne Descamps, the Paris 2024 spokeswoman, said at the daily news conference, “If people have taken any offense, we are, of course, really, really sorry.”

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    Kargil Vijay Diwas is observed every year on July 26. The day is observed to honour the bravery and sacrifices of the armed forces in the Kargil war. This year the event marks the 25th anniversary ...

  25. An Olympics Scene Draws Scorn. Did It Really Parody 'The Last Supper

    Some church leaders and politicians have condemned the performance from the opening ceremony for mocking Christianity. Art historians are divided.