Problem Solving Skills क्या है और किसी भी समस्या को कैसे सुलझाएं ?
आपने काफी सारे interview दिए होंगे और देखा होगा की साक्षात्कार किसी भी कैंडिडेट का problem solving skills जैसी क्षमता जाँचने के लिए अलग तरह के क्वेश्चन पूछता है ताकि वह जान सके की यदि कंपनी के किसी काम में कुछ समस्या आती है तो आप सुलझा पाते है या नहीं इस article में हमने कुछ ऐसी ही बातें बताई है जिसके द्वारा आप भी अपने प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल को और ज्यादा इम्प्रूव कर सकते है।
समस्या समाधान कौशल (Problem Solving Skills) क्या हैं?
एक ऐसा कौशल जब व्यक्ति अपनी व दुसरो की परेशानियों (problems) का हल ढूढ़ने का गुण रखता हों l इसका अर्थ यह हुआ की व्यक्ति आ रही परेशानियों का हल बड़ी जल्दी और आसानी से कर लेता है l और ऐसे उपायों को अपनाता है जिससे उसे आ रही दिक्कतों का सामना करने में एक शक्ति मिले l सामान्य तौर पर देखा जाए तो हमें अपनी जीवन मे ऐसे कई बार ऐसी परेशानी और दिक्कतों से गुजरना पड़ता है जब हम अकेले होते है और हमारे सुझाव देने वाले व्यक्ति हमसे हमारी बचकाने हरकतो की कोई उमीद नहीं करते इस जगह हमें अपने स्वयं के निर्णय खुद लेना पड़ता हैं और आगे बढ़ना (move forward) होता है l
अब यहाँ देखा जाए तो दूसरी ओर ध्यान दे तो एक कर्मचारी, एक पुलिसकर्मी, अधिकारी आदि को भी इस स्किल की जरूरत होतीं हैं क्योंकि वहा बड़े स्तर पर उच्च विचार व समाधान की जरूरत होती है और ऐसे अनेकों परिस्थिति (situations) आती है जब हमें अपने कौशल की जरूरत दिखानी होतीं है वैसे देखा जाए तो कुछ व्यक्तियों मे यह गुण जन्मजात दिखाई देता है वजह ये होतीं की हमे अपने परिवार के अंदर ऐसे लोग जरुर मिलते है जो अपनी तेज बुद्धि से प्रभावित करते है और बच्चे अपने माता पिता को हमेशा कॉपी करते देखे गए है और कुछ अपने माता पिता के गुण प्राप्त कर लेते हैं l
Problem Solving Skills मे कौन-कौन से कौशल सामिल होते है ?
इसके विभिन्न टाइप को इस प्रकार समझा जा सकता हैं जो नीचे दिए गए तालिकाओं में हैं l
- बातचीत ( communication )
प्रायः देखा गया है की कुछ परिस्थिति ऐसी भी होतीं है जहाँ बातचित के माध्यम से भी समस्या का हल निकला जाता है l देखा गया है की बड़े बड़े कंपनियाँ ऐसे कर्मचारी वर्ग की तलाश मे रहती है जिनका communication skills मजबूत हो ताकि आने वाले क्लाइंट या कस्टमर से अच्छी प्रकार से बातचित करने में सक्षम हो l कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जहाँ समस्याओं को बहस के माध्यम से भी सुलझाया जा सकता है l उदाहरण हम कोर्ट मे वकीलों का भी ले सकते है जहाँ वे अपनी skills का प्रयोग बहुत ही खूबसूरत ढंग से करते हैं l
- निर्णय निर्माण (Decision making )
इस कौशल को सबसे अधिक लोगो ने सही माना है क्योंकि व्यक्ति जब स्वयं निर्णय लेता है और उन लिए निर्णय पर काम करता है तो उसे अंदर से साहस (encourage) और आत्मविश्वास (self-confidence) जैसे भावना का निर्माण होता हैं l
- खोज करना (Research)
कुछ व्यक्तियों की प्रवृति चीजों को ढूंढ कर तथा उसमे छुपे रहस्यों को जानकर संतुष्टि मिलती हैं l यही परिस्थिति उसे जब अपनी किसी समस्या का समाधान करने के लिए बोला जाए तो खोज जैसी विधि को अपनाएगा और ऐसे तथ्य को सामने लाने की कोशिश करेगा ताकि उसे स्वयं को खुशी मिले l
- विश्लेषण करना (Analysis )
कई बार समस्या को देखने मात्र से ही उसका हल नहीं निकला जा सकता l समस्या इतनी गहरी होतीं हैं की हमें उसमे छुपे राज को ढूँढना और समाधान करना शामिल होता हैं l एक अध्यापक अपने शिष्यों के खराब परिणाम आने पर आ रही परेशानियों को ढुंढता है फिर बच्चों की शिक्षा विधि मे बदलाव लाकर उसे आगे की शिक्षा करवाता हैं l
- स्वतंत्र निर्णय (Independent thinking)
यह विधि सबसे बढ़िया मानी गयी हैं l कई बार परिस्थिति ऐसी आ जाती है जब हम उसे समय पर छोड़ देते है ताकि समय के साथ कुछ-कुछ चीजें बदल जाती है उन्हें कुछ पल के लिए छोड़ दिया जाए तो समाधान अपने आप निकल जाता है l उदाहरण के रूप में समझे तो हम पायेंगे की एक फेक्ट्री के मजदूरों को कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि वो अपना adjustment करने में सक्षम हो जाए l कुछ दिनों बाद हमें पता लगेगा की मजदूर वर्ग बनाई गयी समय सारणी को फॉलो कर रहे हैं l
- सबके साथ मिलकर काम करना ( teamwork)
प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल (problem solution skills) में teamwork को शामिल किया गया है कभी कभी कुछ ऐसी प्रॉब्लम होती है जिन्हे अकेले सुलझा पाना मुश्किल होता है या इसमें ज्यादा समय निकल जाता है लेकिन ऐसे में अगर सब मिलकर उस प्रॉब्लम पर काम करे तो उसको जल्दी ठीक किया जा सकता है उदहारण के तौर पर मान लो आपकी कंपनी में किसी काम में कुछ प्रॉब्लम हुई है ऐसे में अगर पूरी team मिलकर चले तो उसको एक निश्चित समय में ठीक किया जा सकता है।
प्रोब्लॉम सोल्विंग स्किल (Problem Solving Skills) की खासियत
- निर्देशक की भूमिका
जी हाँ अगर आपको समस्या समाधान में काबिल पाया जाता हैं तो आपको एक निर्देशक की भूमिका निभाने का अवसर जरूरत मिलेगा l आप लोगों के लिए एक खास व्यक्ति बन सकते हैं जो हर समस्याओं का हल जनता हों l
- Leadership की भूमिका
आपका नेता वाला गुण लोगों को तभी पसन्द आता है जब आप कठिन परिस्थिति में लोगों के साथ खड़े रहेंगें और समस्या में आपका यह गुण आपको एक अलग पहचान देगा l
- समायोजन (Adjustment )
अगर आप आपका solution लेवल हाई हैं तो आप किसी के भी लोकप्रिय व्यक्ति बन सकते है एक इंस्टीट्यूशन को समझदार व solution-orientated की नजर के कामकर्ता की जरूरत होतीं हैं l
- Interview
किसी संस्था में अगर आप अच्छी जॉब पाना चाहते है तो आपको अपनी mind की capability से अपने बॉस को खुश करना होगा हो सकता है की वो आपकी मेंटलिटी देखने के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा करे जिससे आप घबरा जाए तो यहाँ आपका solution area मजबूत होना आवश्यक हैं l
- परेशानियों के प्रति चेतनशील
जिन व्यक्तियों मे समस्या समाधान की कौशलता (problem solving skills) पूर्ण रूप से विकसित होतीं है वे व्यक्तियों आने वाली परेशानियों के प्रति चिंता मे नहीं रहते बल्की उससे अच्छा वेकल्पिक रास्ता ढूंढ लेते है ताकि उसमें भी कुछ productive मिले l और समस्याओं से सीखकर आगे बढ़ते हैं l
Problem Solution Skills में Improvement कैसे लाएं ?
यहाँ हम कुछ ऐसे tips बताएँगे जिनका उपयोग करके आप भी अपना problem solving skills इम्प्रूव कर सकते है –
- समस्याओं पर गहनता से अध्यन करना अनिवार्य हैं जैसे जैसे हम अपनी मानसिक क्षमता का प्रयोग उलझनों को मिटाने में सहायक पायेंगे तो हम जानेंगे की हमारी मानसिक क्षमता कहाँ तक deserve कर रही हैं l
- समस्या समाधान किताबें तथा आर्टिकल्स को पढ़ने से भी समस्या समाधान स्किल को कही हद तक improve होगा क्योंकि कई बार हम पड़ते समय अपने जवाबों का हल भी पा लेते है ये तब होता है जब हम उन किताबों व आर्टिकल में समाधान से सम्बन्धित विषयों के प्रति सुविचार पाते हैं l
- समस्या के समय अपने आप को शांत रखना और फिर उन पर गहनता से विचार करना और फिर समस्या का समाधान करना पॉजिटिव पॉइंट है l
- अपने आप को समस्या की परिस्थिति में रखने से भी मानसिक एकाग्रता (concentration) विकसित होतीं हैं l अगर हम परेशानियों से भागेंगे तो समस्या का समाधान स्वयं कभी ढूंढने के काबिल नहीं हो पाएंगे l इसलिए किसी भी समस्या से भागने से ज्यादा समय उसको सुलझाने पर देना चाहिए
- हम दूसरे लोगों की समाधान करने के तरीको observe करके भी अपनी कौशलता बढ़ा सकते हैंl
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समस्या समाधान विधि क्या है,अर्थ एवं परिभाषा,सोपान तथा सीमाएँ | Problem Solving method in Hindi
इसमें पोस्ट में समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method), समस्या समाधान का अर्थ एवं परिभाषा(Meaning & Definition of Problem Solving), समस्या समाधान के सोपान (Steps of Problem Solving), समस्यात्मक स्थिति का स्वरूप (Nature of Problematic Situation), समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान (Model of Problem Solving Teaching), समस्या समाधान शिक्षण हेतु आदर्श पाठ-योजना, समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ, समस्या समाधान शिक्षण की विशेषताएं,समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ, आदि को पढेगें।
Table of Contents
विभिन्न पद्धतियों पर आधारित पाठ-योजना(Lesson Planning Based on Various Methods)
शिक्षण तकनीकी में तीव्र गति से हए विकास के फलस्वरूप शिक्षण हेतु शिक्षा न विभिन्न नवीनतम पद्धतियों का आविष्कार किया ताकि छात्रों में नवीन चनौति सामना करने हेतु मौलिक चिन्तन का विकास किया जा सके। बहुत लम्बे समय तक हरबर्ट की पंचपदी का प्रचलन शिक्षण हेतु मुख्य रूप से किया जाता रहा, लेकिन आज हरबाट पंचपदी के साथ-साथ विशिष्ट शिक्षण के प्रयोजनार्थ विशिष्ट शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाने लगा है। शिक्षण की कुछ नवीनतम पद्धतियों का वर्णन पाठ-योजना सहित यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है।
समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method)
मानव जीवन में समय-समय पर अनेकानेक समस्याएँ आती रहती हैं और इनके परिणामस्वरूप मानव में तनाव, द्वन्द्व, संघर्ष, विफलता, निराशा जैसी प्रवृत्तियाँ जन्म लेती हैं जिनके कारण वह अपने जीवन से विमुख होने का प्रयत्न करता है। ऐसी परिस्थितियों से बचाने के लिए अच्छा शिक्षक छात्रों को प्रारम्भ से ही समस्या समाधान विधि से शिक्षण देकर छात्रों में तर्क एवं निर्णय के द्वारा किसी भी समस्या को सुलझाने की क्षमता का विकास करता है।
समस्या समाधान एक जटिल व्यवहार है। इस व्यवहार में अनेक मनोवैज्ञानिक प्रक्रियायें सम्मिलित रहती हैं। छात्र के समक्ष ऐसी समस्यात्मक परिस्थितियाँ उत्पन्न की जाती हैं जिनमें वह स्वयं चिन्तन, तर्क तथा निरीक्षण के माध्यम से समस्या का हल ढूंढ़ सके। सुकरात ने भी आध्यात्मिक संवादों में इसका प्रयोग किया था। समस्या समाधान सार्थक ज्ञान को प्रदर्शित करता है, इसमें मौलिक चिन्तन निहित होता है। इसके लिए शिक्षण की व्यवस्था चिन्तन स्तर पर की जाती है।
समस्या समाधान का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Problem Solving)
समस्या समाधान एक ऐसी शैक्षिक प्रणाली है जिसके द्वारा शिक्षक तथा छात्र किसी महत्त्वपूर्ण शैक्षिक कठिनाई के समाधान अथवा निवारण हेतु प्रयत्न करते हैं तथा छात्र स्वयं सीखने के लिए प्रेरित होते हैं।
1. थॉमस एम. रिस्क-“समस्या समाधान किसी कठिनाई या जटिलता का एक पूर्ण सन्तोषजनक हल प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया नियोजित कार्य है। इसमें मात्र तथ्यों का संग्रह करना या किसी अधिकृत विद्वान के विचारों की तर्करहित स्वीकृति निहित नहीं है, वरन् यह विचारशील चिन्तन की प्रक्रिया है।”
2 रॉबर्टगेने-“दो या दो से अधिक सीखे गये प्रत्यय या अधिनियमों को एक उच्च स्तरीय अधिनियम के रूप में विकसित किया जाता है, उसे समस्या समाधान अधिगम कहते हैं।”
समस्या समाधान के सोपान (Steps of Problem Solving)
बॉसिंग ने समस्या समाधान प्रविधि के निम्नलिखित सोपान बताये हैं :
(अ) कठिनाई या समस्या की अभिस्वीकृति,
(ब) कठिनाई की समस्या के रूप में व्याख्या,
(स) समस्या समाधान के लिए कार्य करना
(i) तथ्यों का संग्रह करना,
(ii) तथ्यों का संगठन करना,
(iii) तथ्यों का विश्लेषण करना।
(द) निष्कर्ष निकालना,
(य) निष्कर्षों को प्रयोग में लाना ।
समस्यात्मक स्थिति का स्वरूप (Nature of Problematic Situation)
बोर्न (1971) ने ‘उस स्थिति को समस्यात्मक स्थिति कहा है जिसमें व्यक्ति किसी लक्ष्य तक पहुँचने की चेष्टा करता है, किन्तु प्रारम्भिक प्रयासों में लक्ष्य तक पहुँचने में असफल रहता है। इस स्थिति में उसे दो या दो से अधिक अनुक्रियायें करनी होती हैं जिनके लिए उसे प्रभावशाली उद्दीपक संकेत प्राप्त होते हैं।’
जॉन्सन (1972) ने समस्यात्मक स्थिति में प्राणी के व्यवहार का विश्लेषण करते हुए कहा:
1. प्राणी का व्यवहार लक्ष्योन्मुख होता है।
2. लक्ष्य की प्राप्ति पर अनुक्रियाएँ समाप्त हो जाती हैं।
3. समस्या समाधान हेतु विविध अनुक्रियाएँ की जाती हैं।
4. व्यक्तियों की अनुक्रियाओं में विभिन्नता होती है।
5. पहली बार समस्या समाधान में अधिक समय लगता है।
6. इससे सिद्ध होता है कि जीव में मध्यस्थ अनुक्रियायें होती हैं।
इस समस्यात्मक परिस्थिति का कक्षा शिक्षण में प्रयोग करते समय समस्या का चयन बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए, जैसे :
1. समस्या जीवन से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथा सार्थक हो,
2. यह छात्रों को स्वतः चिन्तन हेतु प्रेरित करे,
3. छात्रों की अवस्था तथा स्तर के अनुरूप हो,
4. समस्या किसी निश्चित विषयवस्तु तथा लक्ष्य से सम्बन्धित हो,
5. यह स्पष्ट तथा बोधगम्य हो।
समस्या समाधान शिक्षण के सोपान (Steps of Problem Solving Teaching)
जेम्स एम. ली (James M. Lee) ने समस्या समाधान शिक्षण के निम्नलिखित सोपान बताये हैं:
1. समस्या का चयन करना- समस्या का चयन करते समय उपर्युक्त वर्णित सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।
2. यह समस्या क्यों है?- समस्या चयन क बाद समस्या की प्रकृति को छात्रों द्वारा सक्षमता से जाँचा जाता है।
3. समस्या को पूर्ण करना- समस्या का प्रकृति के अनुसार छात्र सूचनाओं, सिद्धान्तों कारणों आदि का संग्रह करते हैं, इसके बाद उनका संगठन एवं विश्लेषण करते हैं। शिक्षक समस्या समाधान हेतु पथ-प्रदर्शन नहीं करता, अपितु खोज एवं अध्ययन कार्यों तथा व्यक्तिगत एवं सामूहिक कठिनाइयों के समाधान में सहायता देता है।
4. समस्या का हल निकालना- छात्र समस्या से सम्बन्धित सामग्री का विश्लेषण करने के बाद उसका कोई उपयुक्त समाधान निकालते हैं।
5. समाधान का प्रयोग- छात्र समस्या का हल अथवा समाधान निकालने के बाद उनका प्रयोग जीवन में करते हैं।
समस्या समाधान के अनुदेशन के लिए पाँच सोपानों का अनुकरण किया जाता है जो ग्लेसर के बुनियादी शिक्षण प्रतिमान से सम्बन्धित हैं। इस प्रतिमान का विस्तृत वर्णन ‘शिक्षण के प्रतिमान’ नामक पाठ में विस्तार से किया जा चुका है।
समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान (Model of Problem Solving Teaching)
समस्या समाधान शिक्षण का प्रतिमान शिक्षण के चिन्तन स्तर पर आधारित होता है। चिन्तन स्तर के शिक्षण के प्रवर्तक हण्ट है तथा इस स्तर के शिक्षण प्रतिमान को हण्ट शिक्षण प्रतिमान भी कहते हैं, इसमें मुख्य रूप से चार सोपानों का अनुसरण किया जाता है :
1. उद्देश्य,
2. संरचना :
(अ) डीवी की समस्यात्मक परिस्थिति,
(ब) कूट लेविन की समस्यात्मक परिस्थिति,
3. सामाजिक प्रणाली; एवं
4. मूल्यांकन प्रणाली।
समस्या समाधान शिक्षण हेतु आदर्श पाठ-योजना
वस्तुतः समस्या समाधान शिक्षण हेतु पाठयोजना बनाना तथा शिक्षण करना-दोनों ही जटिल कार्य हे तथापि इसके लिए शिक्षक को पाठयोजना बनाते समय निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुसरण करना चाहिए :
1. पूर्व योजना-
शिक्षक को सर्वप्रथम पाठ को भली-भाँति समझकर उस पर चिन्तन करना, समस्या के विभिन्न पहलुओं को लिखना,छात्रों को समस्या के प्रति जिज्ञासु बनाना चाहिए, इस समय शिक्षक योजना के निर्माता के रूप में कार्य करता है । जैसे नागरिकशास्त्र शिक्षण करते समय संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों में क्या अन्तर है ? संविधान निर्माताओं द्वारा इनके बीच अन्तर के लिए कौन-कौन से आधार निर्धारित किये ? यह मूल समस्या छात्रों के समक्ष प्रस्तुत की जाती है । इससे छात्रों में मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों के विषय में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है।
यदि समस्या के प्रस्तुतीकरण के साथ छात्र व्यक्तिगत रूप से समस्या से सम्बन्धित नवीन विचारणीय बिन्दुओं को प्रस्तुत करें तो उनकी जिज्ञासाओं को भी नोट करना चाहिए।
2. शिक्षण प्रदान करना-
कक्षा में समस्या का प्रस्तुतीकरण करने के बाद शिक्षक छात्रों के समक्ष मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्त्वों पर कुछ प्रकाश डालेगा जिससे छात्रों में विषय के प्रति रुचि उत्पन्न होगी और वे अपनी प्रतिक्रियाएँ अभिव्यक्त करेंगे। शिक्षक का यह प्रयास होगा, कि छात्रों द्वारा प्रस्तुत अनेक समस्याओं में से केवल वह विषय से सम्बन्धित समस्याओं की ओर ही छात्रों को केन्द्रित करे। अब शिक्षक विभिन्न दृष्टिकोणों से चिन्तन करने के लिए छात्रों को उत्साहित करेगा कि वे कौन-कौन से कारक थे जिनके कारण संविधान में दो अलग-अलग अध्याय इस विषय से सम्बन्धित रखे गये।
इसके लिए छात्रों को भारत के संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, भारत एवं विश्व का इतिहास, सामाजिक ज्ञान तथा नागरिकशास्त्र की पुस्तकें, संविधान निर्मात्री सभा द्वारा व्यक्त किये गये विचार आदि विषय पढ़ने के लिए निर्देश देगा। छात्र प्रोत्साहित होकर रुचि के अनुसार अध्ययन करेंगे।
इस प्रकार शिक्षक छात्रों को विषयवस्तु से सम्बन्धित तथा अन्य सहायक सामग्री से सम्बन्धित सहायता प्रदान करेगा। इसके बाद छात्रों द्वारा अभिव्यक्त किये गये विषय से सम्बन्धित बिन्दुओं को संकलित किया जायेगा। इस समय शिक्षक की भूमिका एक आदर्श प्रबन्धक के रूप में होगी। संकलित विचारों पर संयुक्त रूप से विचार-विमर्श द्वारा समस्या के समाधान हेतु अनुमान निर्धारित किया जाता है।
अन्तिम चरण में जब विचार-विमर्श द्वारा मौलिक अधिकार तथा राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों के बीच अन्तर का आधार छात्रों को ज्ञात हो जाता है, तो शिक्षक छात्रों से प्रश्न करता है, कि इन अधिकारों तथा नीति-निर्देशक तत्त्वों का संविधान में क्या स्थान है ? इन अधिकारों के साथ आपके क्या कर्त्तव्य हैं ? मानव जीवन के लिए यह कितने सार्थक सिद्ध हुए हैं ? इनमें कौन-कौन से दोष हैं ? इन दोषों के निवारणार्थ कौनसे उपाय हो सकते हैं ? आदि इन समस्याओं के चिन्तन से छात्र कुछ निष्कर्षों तक अवश्य पहुँचेंगे तथा भविष्य में आने वाली इन समस्याओं से सम्बन्धित आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक पहलुओं का निवारण करने में सक्षम होंगे। इस समय शिक्षक एक अच्छे मूल्यांकनकर्ता की भूमिका निभायेगा।
समस्या समाधान शिक्षण की विशेषताएं
1. यह छात्रों को समस्याओं के समाधान के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान करता है।
2. इसमें छात्र क्रियाशील रहता है तथा स्वयं सीखने का प्रयत्न करता है।
3. यह मानसिक कुशलताओं, धारणाओं, वृत्तियों तथा आदर्शों के विकास में सहायक होता है।
4. यह छात्रों को आत्मनिर्णय लेने में कुशल बनाता है।
5. इससे छात्रों की स्मरण-शक्ति के स्थान पर बुद्धि प्रखर होती है।
6. इसके द्वारा छात्रों में मौलिक चिन्तन का विकास होता है।
7. यह छात्रों में उदारता, सहिष्णुता और सहयोग जैसे गुणों का विकास करती है।
समस्या समाधान शिक्षण की सीमाएँ
1. सभी विषयों को समस्याओं के आधार पर संगठित करना लाभदायक नहीं होता।
2. इसमें समय अधिक लगता है था छात्रों की प्रगति बहुत धीमी गति से होती है।
3. इसके अधिक प्रयोग से शिक्षण में नीरसता आ जाती है।
4. इसका प्रयोग केवल उच्च स्तर पर ही किया जा सकता है।
5. छात्र को समस्या का अनुभव करवाना तथा उसे स्पष्ट करना सरल नहीं है।
6. इसमें सामहिक वाद-विवाद को ही शिक्षण की प्रभावशाली व्यहरचना पाता जाता है।
7. इस शिक्षण में स्मृति तथा बोध स्तर के शिक्षण की भाँति किसी निश्चित कार्यक्रम का अनुसरण नहीं किया जा सकता।
8. इसमें छात्र तथा शिक्षकों के मध्य सम्बन्ध निकट के होते हैं। छात्र शिक्षक की आलोचना भी कर सकता है। निष्कर्षतः समस्या समाधान शिक्षण हेतु छात्रों की आकाँक्षा का स्तर ऊँचा होना। चाहिए तथा उन्हें अपनी समस्या के प्रति संवेदनशील और उनके लिए चिन्तन का समुचित वातावरण होना चाहिए, तब ही यह शिक्षण सफल होगा।
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समस्या समाधान का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Problem-Solving in Hindi
समस्या समाधान के विभिन्न सोपानों पर प्रकाश डालते हुए बालकों के लिये इसके महत्व का मूल्यांकन कीजिये।
समस्या समाधान का अर्थ तथा परिभाषा (Meaning & Definition of Problem-Solving)
यदि हम किसी निश्चित लक्ष्य पर पहुँचना चाहते हैं, पर किसी कठिनाई के कारण नहीं पहुँच पाते हैं, तब हमारे समक्ष एक समस्या उपस्थित हो जाती है। यदि हम इस कंठिनाई पर विजय प्राप्त करके अपने लक्ष्य पर पहुँच जाते हैं, तो हमें अपनी समस्या का समाधान कर लेते हैं। इस प्रकार, समस्या समाधान का अर्थ है- कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करके लक्ष्य को प्राप्त करना।
स्किनर के अनुसार- “समस्या समाधान किसी लक्ष्य की प्राप्ति में बाधा डालती प्रतीत होती कठिनाइयों पर विजय पाने की प्रक्रिया है। यह बाधाओं के बावजूद सामंजस्य करने की विधि है।”
“Problem-solving is a process of overcoming difficulties that appear to interfere with the attainment of a goal. It is a procedure of making adjustments in spite of interferences.” -Skinner
समस्या समाधान के स्तर (Levels of Problem-Solving)
तर्क, समस्या के समाधान का आवश्यक अंग है। समस्या का समाधान, चिन्तन तथा तर्क का उद्देश्य है। स्टेर्नले ग्रे के अनुसार- “समस्या समाधान वह प्रतिमान है, जिसमें तार्किक चिन्तन निहित होता है।” समस्या समाधान के अनेक स्तर हैं। कुछ समस्यायें बहुत सरल होती हैं, जिनको हम बिना किसी कठिनाई के हल कर सकते हैं, जैसे—पानी पीने की इच्छा । हम इस इच्छा को निकट की प्याऊ पर जाकर तृप्त कर सकते हैं। इसके विपरीत, कुछ समस्यायें बहुत जटिल होती हैं, जिनको हल करने में हमें अत्यधिक कठिनाई होती है; उदाहरण के लिये रेगिस्तान में किसी विशेष स्थान पर जल-प्रणाली स्थापित करने की इच्छा है। इस समस्या का समाधान करने के लिये अनेक उपाय किये जाने आवश्यक हैं; जैसे-पानी कहाँ से प्राप्त किया जाये ? उसे उस विशेष स्थान कैसे पहुँचाया जाये ? उसके लिये धन किस प्रकार प्राप्त किया जाये ? इत्यादि। इन समस्याओं को हल करने के बाद ही पानी की मुख्य इच्छा पूरी की जा सकती है।
समस्या समाधान की विधियाँ (Methods of Problem-solving)
स्किनर (Skinner) ने समस्या समाधान’ की निम्नलिखित विधियाँ बताई हैं-
1. प्रयास एवं त्रुटि विधि (Trial & Error Method) – इस विधि का प्रयोग निम्न और उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। इस सम्बन्ध में थार्नडाइक (Thorndike) का बिल्ली पर किया जाने वाला प्रयोग उल्लेखनीय है। बिल्ली अनेक गलतियाँ करके अन्त में पिंजड़े से बाहर निकलना सीख गई।
2. वाक्यात्मक भाषा विधि (Sentence Language Method)- इस विधि का प्रयोग मनुष्य के द्वारा बहुत लम्बे समय से किया जा रहा है। वह पूरे वाक्य बोलकर अपनी अनेक समस्याओं का समाधान करता है और फलस्वरूप प्रगति करता चला आ रहा है। इसलिये, वाक्यात्मक भाषा को सारी सभ्यता का आधार माना जाता है।
3. अनसीखी विधि (Unlearned Method) – इस विधि का प्रयोग निम्न कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। उदाहरणार्थ, मधुमक्खियों की भोजन की इच्छा, फूलों का रस चूसने से और खतरे से बचने की इच्छा, शत्रु को डंक मारने से पूरी हो जाती है।
4. वैज्ञानिक विधि (Scientific Method) – आज का प्रगतिशील मानव अपनी समस्या का समाधान करने के लिये वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करता है। हम इसका विस्तृत वर्णन कर रहे है।
5. अन्तर्दृष्टि विधि (Insight Method)- इस विधि का प्रयोग उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। इस सम्बन्ध में कोहलर (Kohler) का वनमानुषों पर किया जाने वाला प्रयोग उल्लेखनीय है।
समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि (Scientific Method of Problem-Solving)
स्किनर (Skinner) के अनुसार, समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि में निम्नलिखित छः सोपानों (Steps) का अनुकरण किया जाता है—
1. समस्या को समझना (Understanding the Problem) – इस सोपान में व्यक्ति यह समझने का प्रयास करता है कि समस्या क्या है, उसके समाधान में क्या कठिनाइयाँ हैं या हो सकती हैं तथा उनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है ?
2. जानकारी का संग्रह (Collecting Information)- इस सोपान में व्यक्ति समस्या से सम्बन्धित जानकारी का संग्रह करता है। हो सकता है कि उससे पहले कोई और व्यक्ति उस समस्या को हल कर चुका हो। अतः वह अपने समय की बचत करने के लिये उस व्यक्ति द्वारा संग्रह किये गये तथ्यों की जानकारी प्राप्त करता है।
3. सम्भावित समाधानों का निर्माण- (Formulating Possible Solutions) – इस सोपान में व्यक्ति, संग्रह की गई जानकारी की सहायता से समस्या का समाधान करने के लिये कुछ विधियों को निर्धारित करता है। वह जितना अधिक बुद्धिमान होता है, उतनी ही अधिक उत्तम ये विधियाँ होती हैं। इस सोपान में सृजनात्मक चिन्तन (Creative Thinking) प्रायः सक्रिय रहता है।
4. सम्भावित समाधानों का मूल्यांकन (Evaluating the Possible Solutions) – इस सोपान में व्यक्ति निर्धारित की जाने वाली विधियों का मूल्यांकन करता है। दूसरे शब्दों में, वह प्रत्येक विधि के प्रयोग के परिणामों पर विचार करता है। इस कार्य में उसकी सफलता आँशिक रूप से उसकी बुद्धि तथा आंशिक रूप से संग्रह की गई जानकारी के आधार पर निर्धारित की जाने वाली विधियों पर निर्भर रहती है।
5. सम्भावित समाधानों का परीक्षण (Testing Possible Solutions) – इस सोपान में व्यक्ति उक्त विधियों का प्रयोगशाला में या उसके बाहर परीक्षण करता है।
6. निष्कर्षों का निर्णय-Forming Conclusions- इस सोपान में व्यक्ति अपने परीक्षणों के आधार पर विधियों के सम्बन्ध में अपने निष्कर्षों का निर्माण करता है। परिणामस्वरूप, वह यह अनुमान लगा लेता है कि समस्या का समाधान करने के लिये उनमें से कौन-सी विधि सर्वोत्तम है।
7. समाधान का प्रयोग (Application of Solution)- इस सोपान का उल्लेख क्रो एवं क्रो (Crow & Crow) ने किया है। व्यक्ति अपने द्वारा निश्चित की गई सर्वोत्तम विधि को समस्या का समाधान करने के लिये प्रयोग करता है।
8. यह आवश्यक नहीं है कि व्यक्ति, समस्या का समाधान करने में सफल हो। इस सम्बन्ध में स्किनर के अनुसार- “इस विधि से भी भविष्यवाणियाँ बहुधा गलत होती हैं और गलतियाँ हो जाती हैं।”
“Even with this method, predictions are often inaccurate and errors are still made.” -Skinner
समस्या समाधान विधि का महत्व (Importance of Problem-Solving Method)
मरसेल का कथन है— “समस्या समाधान की विधि का शिक्षा में सर्वाधिक महत्व है।”
“The process of problem-solving is of the utmost importance in education.” – Mursell
छात्रों की शिक्षा में समस्या समाधान की विधि का महत्व इसके अनेक लाभों के कारण है। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं—(1) यह उनमें स्वयं कार्य करने का आत्मविश्वास उत्पन्न करती है। (2) यह उनके विचारात्मक और सृजनात्मक चिन्तन एवं तार्किक शक्ति का विकास करती है। (3) यह उनकी रुचि को जाग्रत करती है। (4) यह उनको अपने भावी जीवन की समस्याओं का समाधान करने का प्रशिक्षण देती है। (5) यह उनको समस्याओं का समाधान करने के लिये वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग का अनुभव प्रदान करती है। इन लाभों के कारण क्रो एवं क्रो का सुझाव है—“शिक्षकों को समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। केवल तभी वे शुद्ध स्पष्ट और निष्पक्ष चिन्तन का विकास करने के लिये छात्रों का प्रदर्शन कर सकेंगे।”
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Anjali Yadav
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किसी भी मुश्किल को आसानी से कैसे सुलझाएं?
Problem Solving Techniques In Hindi : समस्याएं हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होती है, इससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हमारे में से ऐसा कोई नहीं है जिसके जीवन में कोई समस्या नहीं है। पढ़ाई और एग्जाम का तनाव, करियर का टेंशन, पैसों की समस्या आदि जैसी कई समस्याएं है जिसका हमें अपने जीवन में सामना होता है।
कई लोग ऐसे होते हैं जिनके सामने मुश्किल समय आता है तो वह समस्या से डर कर अपनी हिम्मत खो बैठते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो चाहे कितना ही मुश्किल समय क्यों न आ जायें, उसका बहुत तैयारी के साथ सामना करते हैं और उस समस्या से बहुत कुछ सीखते भी है।
इस लिए हर समस्या को अपनी गलती मान कर हार के झोले में डाल देना ये हमारी सबसे बड़ी गलती होती है। हमें उस समस्या को सुलझाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। हमें हमारे जीवन में हर दिन एक नई समस्या देखने को मिलती है उसके लिए हमें कुछ न कुछ निर्णय लेना ही पड़ता है। जिससे हम उस समस्या से निजात पा सके।
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो प्रोब्लम सोल्व करना अच्छी तरह से जानते हैं, उनके पास Skill की कोई कमी नहीं होती। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास Skill की कमी के कारण हर समय उलझे ही रहते हैं। इस Skill को ही Problem Solving Skill या फिर Problem Solving Techniques कहा जाता है।
ये सबकुछ हमें न तो स्कूल में सिखाया जाता है और ना ही कॉलेज में, इसे हमें खुद के अंदर खुद को ही इम्प्रूव करना पड़ता है। खुद को ही सीखना पड़ता है।
किसी भी समस्या को हल करने से पहले उस समस्या के को अच्छी तरह से समझना बहुत ही जरूर है। उस समस्या की जड़ का पता लगाना चाहिये कि यह समस्या आने का मुख्य कारण क्या है। अधिकतर लोग मुख्य समस्या से अनजान रह जाते हैं और उनसे समस्या तो सुलझ नहीं पाती और अधिक उलझ जाते हैं।
यदि आपके पास किसी भी समस्या को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका है तो आप किसी भी उच्च-शिक्षित व्यक्ति या फिर बुद्धिमान व्यक्ति जो बिना किसी योजना से अपनी समस्याओं को सुलझाते हैं, इनको भी पीछे धकेल सकते हैं।
आज हम यहां पर इस Skill के बारे में विस्तार से यहां पर जानेंगे कि आप इसे अपने अंदर कैसे ला सकते हैं और किसी भी Problem को बहुत ही कम समय में कैसे सुलझा सकते है? इसके लिए आप इस लेख को अंत तक पूरा जरूर पढ़े।
किसी भी समस्या का समाधान कैसे करे – Problem Solving Techniques In Hindi
जिस प्रकार गणित में बड़े से बड़े सवाल को सिर्फ एक सूत्र द्वारा हल किया जाता है ठीक उसी प्रकार हमारे जीवन में आने वाली समस्याओं को सुलझाने की प्रक्रियाएं होती है। आप इन प्रक्रियाओं को अपने जीवन में लाकर हर समस्या को कुछ ही समय में सुलझा पाएंगे।
समस्या को स्वीकारे और उसे समझे
किसी भी समस्या की साइज़ नहीं होती, यह हमारे हल करने के तरीके की क्षमता पर छोटी या बड़ी होती है। इसलिए सबसे पहले हमें अपनी समस्या को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए और फिर इसे स्वीकार कर लेना चाहिए। क्योंकि हम जब तक उस समस्या को जानेंगे नहीं तब तक उसे हल नहीं कर पाएंगे।
अक्सर हमारे सामने छोटी सी भी प्रोब्लम आ जाती है तो हम बौखला जाते हैं और उस पर अचानक से अपनी प्रतिक्रिया दे देते हैं जिससे वह Problem और अधिक बड़ी हो जाती है। इसलिए ऐसा करने से पहले उस समस्या को अच्छी तरह से समझो, उस पर गहराई से अध्ययन करो और पुराने विचारों को अलग रखकर उसके बारे में सोचो जब तक समस्या की जड़ का पता नहीं लग जाता। तब तक उस पर कुछ विचार नहीं करें और ना ही उस पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
नकारात्मकता दूर रखें
जब कोई समस्या आती है तो हम उस समस्या या उस कठिन समय के बारे में अपने हिसाब से ही अपना मत बना लेते हैं। इस खुद का मत बना लेने के कारण समस्या को सुलझाने का कोई नया आईडिया नहीं आ पाता।
मनोविज्ञान का मानना है कि आप यदि अपना पूरा फोकस अपनी समस्याओं पर रखते हैं तो आपका दिमाग उस समस्याओं का Solution ढूंढ ही नहीं पाता है। अर्थात् यदि आप अपने Mind को प्रोब्लम्स की ओर फोकस करेंगे, तो आपके दिमाग में Negativity घर बना लेती है और फिर दिमाग Solution के बारे में सोच नहीं पाता।
इसलिए हर समस्या को एक नई नजर से देखे और उस समस्या को अलग और नये तरीको से सुलझाने की कोशिश करें। आप अपने दिमाग को पूरा समाधान करने पर लगा दें और यह जानने की कोशिश करें कि यह समस्या कैसे आई, क्या है और यह हल कैसे होगी? इन विचारों पर ही ध्यान दें न कि Negative Thought पर।
यह हमेशा ध्यान में रखें कि “आप जिस नजर से दुनिया को देखोंगे, दुनिया आपको वैसी ही नजर आएगी।”
Read Also: नकारात्मक सोच दूर कैसे करें?
जब हमारे सामने कोई Problem आती है तो हमारे मन में उसके समाधान को लेकर कई तरह के आइडिया आने लग जाते हैं। आप उस समय आये सभी आईडिया को एक जगह पर लिख दें। क्योंकि समस्या के समय सभी आईडिया व्यर्थ और अजीब लगते हैं। इस कारण हम उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते और उन्हें छोड़ देते हैं। लेकिन कई बार ये व्यर्थ आये आईडिया ही समस्या को जड़ से समाप्त कर देते हैं।
इसलिए समस्या के समय दिमाग में आई हर चीज को एक पेज पर नोट करते रहे और उस पर गौर करते रहे। हर चीज को सकारात्मक तरीके से देखना शुरू कर दें। सकारात्मक एक ऐसी चीज है जो हर समस्या को पूरी तरह से खत्म कर देती है।
सुने सबकी लेकिन करें खुद की
सबसे पहले तो आपके सामने आई समस्या का समाधान खुद के स्तर पर हल करने की कोशिश करें। अपनी हर संभव कोशिश करने के बाद जब आपको लगे कि अब किसी और कि भी सहायता लेनी चाहिए तो आप उसके लिए अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि से उसके बारे में सलाह लें। सभी की सलाह लेने के बाद फिर आप उनमें से उस सलाह का चयन करें जिसके बारे में आपका दिल बोल रहा है।
ऐसा करने से आपके खुद के अंदर कॉन्फिडेंस आएगा और आप किसी दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार भी नहीं समझोगे।
खुद पर विश्वास रखें
यदि आपको अपने खुद पर विश्वास है तो आपको सफ़ल होने से कोई नहीं रोक सकता। इसके लिए हमें पहले अपने आप पर विश्वास करना होगा।
कोई भी काम करने से पहले आपको अपने अंदर आत्मविश्वास लाना होगा कि मैं यह काम आसानी से कर सकता हूँ। ऐसा सोचने मात्र से आपके अंदर की सभी नकारात्मकता दूर हो जाएगी।
मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरे द्वारा शेयर की गई यह जानकारी “किसी समस्या का समाधान कैसे करें (Problem Solving Techniques in Hindi)” आपको पसंद आई होगी, आप इसे आगे शेयर करना नहीं भूलें। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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