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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।

Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं

और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।

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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।

भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।

उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।

महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।

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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था

जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।

इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।

उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।

लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words

प्रस्तावना –

महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।

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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

प्रारंभिक जीवन –

महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।

जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।

Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।

उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –

महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।

उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।

राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –

दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।

यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।

भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –

महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।

इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।

इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।

गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।

असहयोग आंदोलन –

अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।

महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।

इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।

इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।

नमक सत्याग्रह –

ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।

नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।

नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन –

महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।

उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।

बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।

उपसंहार –

Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।

उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।

हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।

यह भी पढ़ें –

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”

Rohit ji app ne sahi bola

apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile

Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.

Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h

Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.

Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai

Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.

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Mahatma Gandhi Essay – छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 10, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, नमक आंदोलन और भारत छोड़ो सहित कई आंदोलन किए। स्वतंत्रता में योगदान और उनके बारे में बच्चों को जानकारी रहे इसलिए महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) लिखने के लिए स्कूल में दिया जाता है और कई परीक्षाओं में गांधी जी के बारे में पूछा भी जाता है। इसलिए आपकी मदद के लिए इस ब्लॉग में 100, 200 और 500 शब्दों में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) दिया गया है।

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महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।

महात्मा गांधी पर निबंध

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। जिन्हें महात्मा , गांधी जी, महान आत्मा और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता को ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। बचपन से वह सामान्य ही रहे थे और उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष से लेकर आज तक और आगे के लिए भी उनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार है –

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू और राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेताओं में से एक थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने अपनी शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद, वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव का सामना किया और उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ।

दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया और अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और इस संघर्ष के दौरान उनके अंदर एक ऐसा नेतृत्व कौशल विकसित हुआ, जिसने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिनमें लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। 1920 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें लोगों से अपील की गई कि वे ब्रिटिश सरकार की नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और संस्थानों का बहिष्कार करें। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया और भारतीयों के मन में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता पैदा की।

1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव को कमजोर कर दिया और यह स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण बना।

गांधी जी का जीवन सादगी, आत्मसंयम, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। वे समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी संघर्षरत रहे। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और समाज में समानता और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को यह संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक गुलामी में नहीं रह सकते। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की शुरुआत की और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने हमें सत्य, अहिंसा, और सेवा का मार्ग दिखाया, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनकी जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए संघर्ष, मानवता के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।

यह भी पढ़ें – नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा?

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में इस प्रकार है –

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गाँधी को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। उनके द्वारा अपनाई गई सादगी, आत्मसंयम और संघर्ष की राह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को भी अहिंसक संघर्ष के महत्व से अवगत कराया। गांधी जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जिसमें उन्होंने देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को एकजुट कर उनके भीतर आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का भाव जागृत किया। उनकी विचारधारा और आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय के रूप में दर्ज हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अहिंसा के पुजारी थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई और उन्हें “राष्ट्रपिता” के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।

गांधी जी की शिक्षा इंग्लैंड में हुई, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे भेदभाव का सामना किया और यहीं से उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ। दक्षिण अफ्रीका में 21 साल बिताने के बाद, गांधी जी भारत लौटे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया।

गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का आयोजन किया गया, जिनमें असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। उनकी नीतियों में सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, और आत्मनिर्भरता का महत्व था। गांधी जी ने भारतीय समाज को जाति-भेद, छुआछूत, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नैतिक आधार प्रदान किया।

1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गांधी जी ने सामाजिक समरसता और शांति की दिशा में काम जारी रखा। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनके सिद्धांत और विचारधारा आज भी पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत हैं। गांधी जी का जीवन एक ऐसा मार्गदर्शक है, जो मानवता को सत्य, अहिंसा और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया। उनके नेतृत्व में किए गए विभिन्न आंदोलनों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया, बल्कि दुनिया को भी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी द्वारा किए गए ये आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का अहसास भी कराते हैं। गांधी जी के नेतृत्व में किए गए ये आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुए और आज भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। यहां महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन किया गया है:

1. चंपारण सत्याग्रह (1917)

चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में किया गया पहला बड़ा आंदोलन था। यह बिहार के चंपारण जिले में हुआ, जहां ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से जबरन नील की खेती करा रहे थे। इस अन्याय का सामना करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार को नील की खेती के अत्याचार को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा। यह आंदोलन भारतीय किसानों की पहली बड़ी जीत थी और गांधी जी के नेतृत्व को पूरे देश ने स्वीकारा।

2. असहयोग आंदोलन (1920-1922)

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और स्वराज की प्राप्ति करना था। गांधी जी ने लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करें। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ। हालाँकि, चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया।

3. नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च, 1930)

महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह , जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना।

4. दलित आंदोलन (1932)

महात्मा गांधी ने दलितों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था। इसके लिए उन्होंने उपवास और सत्याग्रह का सहारा लिया, जिससे भारतीय समाज में जागरूकता आई और दलितों के उत्थान के लिए कई सुधार किए गए।

5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, जिसका नारा था “करो या मरो”। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था। गांधी जी के इस आह्वान पर पूरे देश में लाखों लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को समझा दिया कि अब भारतीयों को अधिक समय तक गुलाम नहीं रखा जा सकता, और इसके बाद ही स्वतंत्रता के लिए अंतिम चरण की तैयारियां शुरू हुईं।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े और भारत को आज़ादी दिलाई।

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के सत्याग्रह पर निबंध

महात्मा गांधी पर एक अच्छा निबंध लिखने के लिए सरल और स्पष्ट भाषा का उपयोग करें, ऐतिहासिक तथ्यों और गांधी जी के विचारों को सटीक रूप से प्रस्तुत करें, निबंध में अनुच्छेदों के बीच तारतम्यता बनाए रखें, ताकि पूरा निबंध एक संगठित और प्रवाहयुक्त लगे। इसके अतिरिक्त कई बिंदु यहां दिए गए हैं, जिनका पालन करके आप Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिख सकते हैं –

  • निबंध की शुरुआत महात्मा गांधी के परिचय से करें।
  • गांधी जी का पूरा नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान, और प्रमुख उपाधियां जैसे “राष्ट्रपिता” और “बापू” का उल्लेख करें।
  • उनके जीवन के प्रमुख उद्देश्यों और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका का संक्षिप्त परिचय दें।
  • गांधी जी के प्रारंभिक जीवन के बारे में लिखें, जैसे उनके परिवार, बचपन, और शिक्षा का वर्णन करें।
  • इंग्लैंड में उनकी कानून की पढ़ाई और दक्षिण अफ्रीका में उनके संघर्ष का उल्लेख करें।
  • दक्षिण अफ्रीका में उनके जीवन के अनुभवों और कैसे वहां के नस्लीय भेदभाव ने उनके विचारों को प्रभावित किया, इस पर लिखें।
  • गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन करें।
  • हर आंदोलन की शुरुआत, उद्देश्यों, और उसके परिणामों का विस्तार से वर्णन करें।
  • गांधी जी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का उल्लेख करें।
  • गांधी जी के सामाजिक सुधारों पर प्रकाश डालें, जैसे छुआछूत विरोधी आंदोलन, दलित अधिकार, और महिला सशक्तिकरण।
  • गांधी जी की जीवनशैली, उनके विचार, और उनके प्रमुख सिद्धांत जैसे सत्य, अहिंसा, और स्वराज (आत्म-शासन) के बारे में लिखें।
  • उनके द्वारा चलाए गए स्वदेशी और ग्राम स्वराज के आंदोलनों का वर्णन करें।
  • 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या का उल्लेख करें और इस दुखद घटना के प्रभाव पर लिखें।
  • गांधी जी को विश्व में प्रेरणा स्रोत के रूप में कैसे देखा जाता है, इस के बारे में भी आप लिख सकते हैं।
  • निबंध का समापन महात्मा गांधी की शिक्षा और उनके सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित करते हुए करें।
  • गांधी जी के जीवन से हमें क्या सीखने को मिलता है, और उनकी विचारधारा आज भी क्यों प्रासंगिक है, इसके बारे में लिखें।

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गांधी के अनमोल विचार (Gandhi Quotes in Hindi) जिन्हें आप अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं –

आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों। -महात्मा गांधी

डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है। -महात्मा गांधी

उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा। -महात्मा गांधी

ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है । -महात्मा गांधी

आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। -महात्मा गांधी

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महात्मा गांधी के बारे में कुछ रोचक तथ्य यहां दिए हैं, जिसके बारे में Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिखते समय विचार कर सकते हैं –

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

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गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

  • सत्य और सत्याग्रह – गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।
  • अहिंसा – हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 
  • गांधीवादी अर्थशास्त्र – गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।
  • बौद्ध, जैन और सिख – गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।
  • मुस्लिम – गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।
  • ईसाई – गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।
  • महिला – गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।
  • अस्पृश्यता और जातियां – गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 
  • नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा – गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया।

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सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

महात्मा गांधी

उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।

महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)

महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।

महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान

महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।

इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh

Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।

बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?

महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-

  • असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

  • नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

  • दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

  • भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

  • चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी

गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।

बापू की अफ्रीका से भारत वापसी

वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।

गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक

गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।

गाँधीवाद विचार धारा का महत्व

दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।

गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में

भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

प्रिय बापू का निधन

30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।

आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

Mahatma Gandhi Essay

FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।

उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।

उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।

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राष्ट्रपिता महात्मा | Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi

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राष्ट्रपिता महात्मा | Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi!

सत्य और अहिंसा की बात हो या परोपकार के लिए अपना सब कुछ त्याग देने की चर्चा हो, महात्मा एक महान नेता का नाम लें अथवा सफल सुधारक का, तो वह नाम अवश्य ही महात्मा गाँधी का होगा जिन्हें हम सभी प्यार से बापू और सम्मान से राष्ट्रपिता कहते हैं ।

2. जन्म और शिक्षा:

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्तूबर , 1869 ई. को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था । इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी , पिता का नाम करमचंद तथा माता का नाम पुतलीबाई था । गाँधीजी पर उनकी माता के धार्मिक संस्कारों का प्रभाव पड़ा और पिता से उन्हें न्याय के लिए लड़ने की प्रेरणा मिली ।

ADVERTISEMENTS:

वे बचपन से ही सादे विचार तथा सत्यवादी प्रकृति के थे । उनकी स्कूली शिक्षा राजकोट में हुई । बचपन में ही उनका विवाह कस्तुरबा नामक कन्या से हो गया । विवाह के कारण उनकी शिक्षा में कुछ बाधा पड़ी किन्तु परिश्रम करके वे उसी विद्यालय में मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी करने में सफल हुए । इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड जाकर वकालत की परीक्षा पास की ।

3. कार्यकलाप:

सन् 1891 ई. में वे भारत लौटे और बम्बई (मुम्बई) में वकालत करने लगे, लेकिन झूठ न बोलने के कारण वे इसमें असफल रहे । इस बात का उन्हें दुःख नहीं था । सन् 1893 ई में एक मुकदमा (case) लेकर वे दक्षिण अफ्रीका गए और जीत हासिल की । वहाँ उन्होंने एक संगठन बनाया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए ।

फिर सन् 1915 ई. में भारत लौटकर 1919 में कांग्रेस दल की बागडोर (Leadership) संभाली और सन् 1920 ई. से उन्होंने अंग्रेजी अत्याचारों के खिलाफ आन्दोलन तथा समाज सुधार का कार्य आरम्भ कर दिया । असहयोग आन्दोलन ( Non co-operation movement), सविनय अवज्ञा आन्दोलन ( Civil-disobedience movement) तथा भारत छोडो आन्दोलन ( Quit India movement) आदि प्रमुख थे ।

अनेक वर्ष आपने कैद में बिताए और कई बार आमरण-अनशन (Fast unto death) किये । महात्मा गाँधी के अ थक प्रयास से अन्तत; 15 अगस्त 1947 ई. को भारत स्वाधीन हो गया । इसके बाद वे समाज सु धार में लगे रहे किन्तु नाथूराम गोदसे की गोलियों ने 30 जनवरी 1948 को उनके प्राण ले लिए ।

4. उपसंहार:

गाँधीजी के विचारों को याद दिलाने के लिए सरकारी दफ्तरों के सा थ अन्य स्थानों पर भी उनकी तस्वीर लगाई जाती है । उन्हें याद करने से हमारे मन में सत्य ( Truth), सादगी ( Simplicity), आत्मविश्वास ( Self confidence) तथा अच्छे आचरण ( Good conduct) की भावना उत्पन्न होती है ।

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जीवनी

आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वो हमेशा कहते थे

“बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो!”

और उनका ये भी मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। इस महान इन्सान को भारत ने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उनका पूरा नाम था ‘मोहनदास करमचंद गांधी’।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

Mahatma Gandhi Biography

मोहनदास करमचंद गांधी
2 अक्तुंबर 1869 ( )
पोरबंदर (गुजरात)
करमचंद
पुतली बाई
 ( कस्तूरबा – 
,
सत्या और अहिंसा का महत्व बताकर इसको लोगों तक पहुंचाया,
छुआ-छूत जैसी बुराइयों को दूर किया

आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी  ने अपने अथक प्रयासों के बल पर अंग्रेजो से भारत को आजाद कराया यही नहीं इस महापुरुष ने अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित में लगा दिया। महात्मा गांधी की कुर्बानी की मिसाल आज भी दी जाती है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पास सत्य और अहिंसा दो हथियार थे जिन्होनें इसे भयावह और बेहद कठिन परिस्थितयों में अपनाया शांति के मार्ग पर चलकर इन्होनें न सिर्फ बड़े से बड़े आंदोलनों में आसानी से जीत हासिल की बल्कि बाकी लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बने।

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता और बापू जी के नामों से भी पुकारा जाता है। वे सादा जीवन, उच्च विचार की सोच वाली शख्सियत थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन सदाचार में गुजारा और अपनी पूरी जिंदगी राष्ट्रहित में कुर्बान कर दी। उन्होनें अपने व्यक्तित्व का प्रभाव न सिर्फ भारत में ही बल्कि पूरी दुनिया में डाला।

महात्मा गांधी महानायक थे जिनके कार्यों की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। महात्मा गांधी कोई भी फॉर्मुला पहले खुद पर अपनाते थे और फिर अपनी गलतियों से सीख लेने की कोशिश करते थे।

जन्म, बचपन, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन –

देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता करमचन्द गांधी ब्रिटिश हुकूमत के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, उनके महान विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

विवाह एवं बच्चे – 

महात्मा गांधी जी जब 13 साल के थे, तब बाल विवाह की कुप्रथा के तहत उनका विवाह एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा मनकजी के साथ कर दिया गया था। कस्तूरबा जी भी एक बेहद शांत और सौम्य स्वभाव की महिला थी। शादी के बाद उन दोनो को चार पुत्र हुए थे, जिनका नाम हरिलाल गांधी , रामदास गांधी, देवदास गांधी एवं मणिलाल गांधी था।

शिक्षा –

महात्मा गांधी जी शुरु से ही एक अनुशासित छात्र थे, जिनकी शुरुआती शिक्षा गुजरात के राजकोट में ही हुई थी। इसके बाद उन्होंने 1887 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। फिर अपने परिवार वालों के कहने पर वे अपने बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

इसके करीब चार साल बाद 1891 में वे अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने स्वदेश भारत वापस लौट आए। इसी दौरान उनकी माता का देहांत हो गया था, हालांकि उन्होंने इस दुख की घड़ी में भी हिम्मत नहीं हारी और वकालत का काम शुरु किया। वकालत के क्षेत्र में उन्हें कुछ ज्यादा कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन जब वे एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए तो उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा।

इस दौरान उनके साथ कई ऐसी घटनाएं घटीं जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और इससे लड़ने के लिए 1894 में नेटल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की। इस तरह गांधी जी ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर रंगभेदभाव के मुद्दे को उठाया।

जब इंग्लेंड से वापस लौटे – 

साल 1891 में गांधी जी बरिस्ट्रर होकर भारत वापस लौटे इसी समय उन्होनें अपनी मां को भी खो दिया था लेकिन इस कठिन समय का भी गांधी जी ने हिम्मत से सामना किया और गांधी जी ने इसके बाद वकालत का काम शुरु किया लेकिन उन्हें इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली।

दक्षिण अफ्रीका की यात्रा – 

महात्मा गांधी जी को वकालत के दौरान दादा अब्दुल्ला एण्ड अब्दुल्ला नामक मुस्लिम व्यापारिक संस्था के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। इस यात्रा में गांधी जी का भेदभाव और रंगभेद की भावना से सामना हुआ। आपको बता दें कि गांधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचने वाले पहले भारतीय महामानव थे जिन्हें अपमानजनक तरीके से ट्रेन से बाहर उतार दिया गया। इसके साथ ही वहां की ब्रिटिश उनके साथ बहुत भेदभाव करती थी यहां उनके साथ अश्वेत नीति के तहत बेहद बुरा बर्ताव भी किया गया था।

जिसके बाद गांधी जी के सब्र की सीमा टूट गई और उन्होनें इस रंगभेद के खिलाफ संघर्ष का फैसला लिया।

जब गांधी जी ने रंगभेद के खिलाफ लिया संघर्ष का संकल्प –

रंगभेद के अत्याचारों के खिलाफ गांधी जी ने यहां रह रहे प्रवासी भारतीयों के साथ मिलकर 1894 में नटाल भारतीय कांग्रेस का गठन किया और इंडियन ओपिनियन अखबार निकालना शुरु किया।

इसके बाद 1906 में दक्षिण अफ्रीकी भारतीयों के लिए अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की इस आंदोलन को सत्याग्रह का नाम दिया गया।

दक्षिणा अफ्रीका से वापस भारत लौटने पर स्वागत –

1915 में दक्षिण अफ्रीका में तमाम संघर्षों के बाद वे वापस भारत लौटे इस दौरान भारत अंग्रेजो की गुलामी का दंश सह रहा था। अंग्रेजों के अत्याचार से यहां की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी। यहां हो रहे अत्याचारों को देख गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जंग लड़ने का फैसला लिया और एक बार फिर कर्तव्यनिष्ठा के साथ वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

स्वतंत्रता सेनानी के रुप में – 

महात्मा गांधी जी ने जब अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से लौटने के बाद क्रूर ब्रिटिश शासकों द्धारा भारतवासियों के साथ हो रहे अमानवीय अत्याचारों को देखा, तब उन्होंने देश से अंग्रेजों को बाहर खदेड़ने का संकल्प लिया और गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र करवाने के उद्देश्य से खुद को पूरी तरह स्वतंत्रता संग्राम में झोंक दिया।

उन्होंने देश की आजादी के लिए तमाम संघर्ष और लड़ाईयां लड़ी एवं सत्य और अहिंसा को अपना सशक्त हथियार बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन लड़े और अंतत: अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया। वे न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार थे, बल्कि उन्हें आजादी के महानायक के तौर पर भी जाना जाता है।

हमारा पूरा भारत देश आज भी उनके द्धारा आजादी की लड़ाई में दिए गए  त्याग, बलिदान की गाथा गाता है एवं उनके प्रति सम्मान प्रकट करता है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन –

  • चंपारण और खेड़ा आंदोलन –

चम्पारण और खेडा में जब अंग्रेज भारत पर शासन कर रहे थे। तब जमीदार किसानों से ज्यादा कर लेकर उनका शोषण कर रहे थे। ऐसे में यहां भूखमरी और गरीबी के हालात पैदा हो गए थे। जिसके बाद गांधी जी ने चंपारण के रहने वाले किसानों के हक के लिए आंदोलन किया। जो चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना गया और इस आंदोलन में किसानों को 25 फीसदी से धनराशि वापस दिलाने में कामयाब रही।

इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया और वे जीत गए। इससे लोगों के बीच उनकी एक अलग छवि बन गई।

इसके बाद खेड़ा के किसानों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा जिसके चलते किसान अपनों करों का भुगतान करने में असमर्थ थे। इस मामले को गांधी जी ने अंग्रेज सरकार के सामने रखा और गरीब किसानों का लगान माफ करने का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने प्रखर और तेजस्वी गांधी जी का ये प्रस्ताव मान लिया और गरीब किसानों की लगान को माफ कर दिया।

  • खिलाफत आंदोलन (1919-1924) –

गरीब, मजदूरों के बाद गांधी जी ने मुसलमानों द्दारा चलाए गए खिलाफत आंदोलन को भी समर्थन दिया था। ये आंदोलन तुर्की के खलीफा पद की दोबारा स्थापना करने के लिए चलाया गया था। इस आंदोलन के बाद गांधी जी ने हिंदू-मुस्लिम एकता का भरोसा भी जीत लिया था। वहीं ये आगे चलकर गांधी जी के असहयोग आंदोलन की नींव बना।

  • असहयोग आंदोलन (1919-1920) – 

रोलेक्ट एक्ट के विरोध करने के लिए अमृतसर के जलियां वाला बाग में सभा के दौरान ब्रिटिश ऑफिस ने बिना वजह निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा दी जिसमें वहां मौजूद 1000 लोग मारे गए थे जबकि 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस घटना से महात्मा गांधी को काफी आघात पहुंचा था जिसके बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर आंदोलन करने का फैसला लिया था। इसके तहत गांधी जी ने ब्रिटिश भारत में राजनैतिक, समाजिक संस्थाओं का बहिष्कार करने की मांग की।

इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने प्रस्ताव की रुप रेखा तैयार की वो इस प्रकार है –

  • सरकारी कॉलेजों का बहिष्कार
  • सरकारी अदालतों का बहिष्कार
  • विदेशी मॉल का बहिष्कार
  • 1919 अधिनियम के तहत होने वाले चुनाव का बहिष्कार
  • चौरी-चौरा काण्ड (1922) – 

5 फरवरी को चौरा-चौरी गांव में कांग्रेस ने जुलूस निकाला था जिसमें हिंसा भड़क गई थी दरअसल इस जुलूस को पुलिस ने रोकने की कोशिश की थी लेकिन भीड़ बेकाबू होती जा रही थी। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक थानेदार और 21 सिपाहियों को थाने में बंद कर आग लगा ली। इस आग में झुलसकर सभी लोगों की मौत हो गई थी इस घटना से महात्मा गांधी का ह्रद्य कांप उठा था। इसके बाद यंग इंडिया अखबार में उन्होनें लिखा था कि,

“आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मै हर एक अपमान, यातनापूर्ण बहिष्कार, यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूं”
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक आंदोलन (1930) – 

Mahatma Gandhi

महात्मा गांधी ने ये आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चलाया था इसके तहत ब्रिटिश सरकार ने जो भी नियम लागू किए थे उन्हें नहीं मानना का फैसला लिया गया था अथवा इन नियमों की खिलाफत करने का भी निर्णय लिया था। आपको बता दें कि ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई अन्य व्यक्ति या फिर कंपनी नमक नहीं बनाएगी।

12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्धारा नमक बनाकर इस कानून को तोड़ दिया था उन्होनें दांडी नामक स्थान पर पहुंचकर नमक बनाया था और कानून की अवहेलना की थी।

गांधी जी की दांडी यात्रा 12 मार्च 1930 से लेकर 6 अप्रैल 1930 तक चली। दांडी यात्रा साबरमति आश्रम से निकाली गई। वहीं इस आंदोलन को बढ़ते देख सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिए भेजा था जिसके बाद गांधी जी ने समझौता स्वीकार कर लिया था।

  • भारत छोड़ो आंदोलन- (1942) –

ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी ने तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन छेड़ा था। इस आंदोलन को ‘अंग्रेजों भारत छोड़ों’ का नाम दिया गया था।

हालांकि इस आंदोलन में गांधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। लेकिन देश के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ के माध्यम से इस आंदोलन को चलाते रहे उस समय देश का बच्चा-बच्चा गुलाम भारत से परेशान हो चुका था और आजाद भारत में जीना चाहता था। हालांकि ये आंदोलन असफल रहा था।

आंदोलन के असफल होने की कुथ मुख्य वजह नीचे दी गई हैं –

ये आंदोलन एक साथ पूरे देश में शुरु नहीं किया गया। अलग-अलग तारीख में ये आंदोलन शुरु किया गया था जिससे इसका प्रभाव कम हो गया हालांकि इस आंदोलन में बड़े स्तर पर किसानों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था।

भारत छोड़ों आंदोलन में बहुत से भारतीय यह सोच रहे थे कि स्वतंत्रता संग्राम के बाद उन्हें आजादी मिल ही जाएगी इसलिए भी ये आंदोलन कमजोर पड़ गया।

गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन सफल जरूर नहीं हुआ था लेकिन इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासकों को इस बात का एहसास जरूर दिला दिया था कि अब और भारत उनका शासन अब और नहीं चल पाएगा और उन्हें भारत छोड़ कर जाना ही होगा।

गांधी जी के शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई है और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

आंदोलनों की खास बातें –

महात्मा गांधी की तरफ से चलाए गए सभी आंदोलनों में कुछ चीजें एक सामान थी जो कि निम्न प्रकार हैं –

  • गांधी जी के सभी आंदोलन शांति से चलाए गए।
  • आंदोलन के दौरान किसी की तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने की वजह से ये आंदोलन रद्द कर दिए जाते थे।
  • आंदोलन सत्य और अहिंसा के बल पर चलाए जाते थे।

समाजसेवक के रुप में –

महात्मा गांधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ एक महान समाज सेवक भी थे। जिन्होंने देश में जातिवाद, छूआछूत जैसी तमाम कुरोतियों को दूर करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका सभी जाति, धर्म, वर्ग एवं लिंग के लोगों के प्रति एक नजरिया था।

उन्होंने जातिगत भेदभाव से आजाद भारत का सपना देखा था। गांधी जी ने निम्न, पिछड़ी एवं दलित वर्ग को ईश्वर के नाम पर ”हरि”जन कहा था और समाज में उन्हें बराबरी का हक दिलवाने के लिए अथक प्रयास किए थे।  

”राष्ट्रपिता” (फादर ऑफ नेशन) के रुप में – 

सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता की उपाधि भी दी गई थी। उनके आदर्शों और महान व्यक्तित्व के चलते नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने सर्वप्रथम 4 जून, 1944 को सिंगापुर रेडियो से एक प्रसारण के दौरान गांधी जी को ”देश का पिता” कहकर संबोधित किया था।

इसके बाद नेता जी ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो रंगून से एक संदेश प्रसारित करते हुए गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।  वहीं 30 जनवरी, 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी ने भारतवासियों को रेडियो पर उनकी मौत का दुखद समाचार देते हुए कहा था कि ”भारत के राष्ट्रपिता अब नहीं रहे”।

शिक्षा मे योगदान –

महात्मा गांधी के शिक्षा मे योगदान को समझने से पहले उनके शिक्षा के प्रती विचार को समझना अत्यंत आवश्यक है, जैसा के;

१. ६ साल से १४ साल तक के बच्चो को अनिवार्य तथा निशुल्क शिक्षा प्रदान की जायेगी। २. शिल्प केंद्रित शिक्षा दी जायेगी। ३. शिक्षा का माध्यम केवल मातृभाषा होगी, अंग्रेजी नही। ४. करघा उद्योग, हस्तकला इत्यादी की शिक्षा दी जायेगी, जिसमे कृषी, लकडी का काम, कताई, बुनाई, ,मछली पालन, उद्यान कार्य, मिट्टी का कार्य, चरखा इत्यादी शामिल होगा।

गांधीजी ने आत्मनिर्भर बनाने की शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित किया, जिससे व्यक्ती का सर्वांगीण विकास हो और खुद्के बलबुते इंसान जीवन मे आगे बढ पाये। इसिलिये उन्हे मुलभूत शिक्षा प्रणाली के जनक के तौर पर देखा जाता है।

शिक्षा संबंधी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य गांधीजी ने सबके सामने रखे,जैसा के ;

१. स्वयं के अनुभव से सिखना और करके देखना: – किसी भी चीज को सिखने के साथ खुद्से करके देखने पर गांधीजी का ज्यादा झुकाव था, उनका मानना था स्वयं से करके देखकर सिखना ही उत्तम शिक्षा होती है।आपस मे चर्चा एवं प्रश्न उत्तर के माध्यम को उनके नजर मे काफी सराहनिय माना गया है, वे किताबी शिक्षा से ज्यादा क्राफ्ट/शिल्प इत्यादी को अधिक महत्व देते थे

२. शारीरिक क्रियाकलाप द्वारा शिक्षा पर गांधीजी ने अधिक बल दिया जिसमे सभी आयु वर्ग के बच्चो को उनके क्षमता अनुसार कार्य दिया जाये।जिससे वो जीवन मे आगे बढते समय अधिक मजबूत विचार और शारीरिक बल अर्जित कर सके।

३. सिखने की अनेक क्रिया और प्रकार का समन्वय कर शिक्षा देने पर गांधीजी का अधिक झुकाव था, जैसे के चित्रकला, हस्तकला और शिल्पकला इनका एक दुसरे से नजदिकी संबंध आता है।तो इस तरह से विभिन्न कलाओ का आपस मे तालमेल साध कर शिक्षा दी जाये।

१४ साल से उपर के आयु के बच्चो को पूर्णतः रोजगार पूरक शिक्षा देने पर गांधीजी का अधिक बल था, जिससे वो बच्चे आगे चलकर रोजगार हेतू सक्षम बन पाये।

गांधीजी ने शिक्षा पद्धती मे सहयोगी क्रिया पर पहल तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्व पर अधिक कार्य किया, ये निष्कर्ष शिक्षा के लिये स्थापित “झाकीर हुसैन समिति” द्वारा दिया गया है।

गांधीजी शिक्षा मे अनुशासन को बहूत अधिक महत्व देते थे, इसके अलावा छात्रो को आत्मबल अधिक बढाने के साथ, वो अध्यापक वर्ग को ब्रह्मचर्य एवं संयमित जीवन जिने की सलाह देते थे।जिससे के छात्रो के सामने आदर्श एवं उच्च आदर्श का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सके।

गांधीजी छात्रो मे एवं अध्यापको मे सत्य, अहिंसा, सहिष्णुता, प्रेम, न्याय और परिश्रम इत्यादी गुणो को विकसित करने पर अधिक बल देते थे।

किताबें –

महात्मा गांधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी, अच्छे राजनेता ही नहीं बल्कि एक बेहतरीन लेखक भी थे। उन्होंने अपने लेखन कौशल से देश के स्वतंत्रता संग्राम और आजादी के संघर्ष का बेहद शानदार वर्णन किया है। उन्होंने अपनी किताबों में स्वास्थ्य, धर्म, समाजिक सुधार, ग्रामीण सुधार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लिखा है।

आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी ने  इंडियन ओपनियन, हरिजन, यंग इंडिया, नवजीवन आदि पत्रिकाओं में एडिटर के रुप में भी कार्य किया है। उनके द्धारा लिखी गईं कुछ प्रमुख किताबों के नाम निम्नलिखित हैं-

  • हिन्दी स्वराज (1909)
  • मेरे सपनों का भारत (India of my Dreams)
  • ग्राम स्वराज (Village Swaraj by Mahatma Gandhi)
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (Satyagraha in South Africa)
  • एक आत्मकथा या सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी (An Autobiography or The Story of My Experiments with Truth (1927) 
  • स्वास्थ्य की कुंजी (Key To Health)
  • हे भगवान (My God)
  • मेरा धर्म(My Religion)
  • सच्चाई भगवान है( Truth is God)

इसके अलावा गांधी जी ने कई और किताबें लिखी हैं, जो न सिर्फ समाज की सच्चाई को बयां करती हैं, बल्कि उनकी दूरदर्शिता को भी प्रदर्शित करती हैं।

स्लोगन –

सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व महात्मा गांधी जी के ने अपने कुछ महान विचारों से प्रभावशाली स्लोगन दिए हैं। जिनसे देशवासियों के अंदर न सिर्फ देश-प्रेम की भावना विकिसत होती है, बल्कि उन्हें सच्चाई के मार्ग पर चलने की भी प्रेरणा मिलती है, महात्मा गांधी जी के कुछ लोकप्रिय स्लोगन इस प्रकार हैं-

  • आपका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या कर रहे हैं- महात्मा गांधी
  • करो या मरो- महात्मा गांधी
  • शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है, यह एक अदम्य इच्छा शक्ति से आती है- महात्मा गांधी
  • पहले वो आप पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हंसेगें, और फिर वो आपसे लड़ेंगे तब आप निश्चय ही जीत जाएंगे – महात्मा गांधी
  • अपना जीवन कुछ इस तरह जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसे सीखो जैसे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो- महात्मा गांधी
  • कानों का दुरुपयोग मन को दूषित एवं अशांत करता है- महात्मा गांधी
  • सत्य कभी भी ऐसे कारण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता जो कि उचित हो-महात्मा गांधी
  • भगवान का कोई धर्म नहीं है- महात्मा गांधी
  • ख़ुशी तब ही मिलेगी जब आप, जो भी सोचते हैं, जो भी कहते हैं और जो भी करते हैं, वो सब एक सामंजस्य में हों- महात्मा गांधी

जयंती –

Mahatma Gandhi

2 अक्टूबर को पूरे देश में गांधी जयंती ( Gandhi Jayanti ) के रुप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी 1869 में गुजरात के पोरबंदर शहर में जन्में थे। गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे, इसलिए 2 अक्टूबर के दिन को पूरे विश्व में विश्व अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।

गांधी जयंती के मौके पर स्कूल, कॉलेजों में अन्य शैक्षणिक संस्थानों में तमाम तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत कई बड़े राजनेता दिल्ली के राजघाट पर बनी गांधी प्रतिमा पर सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। वहीं गांधी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया है।

कुछ खास बातें – 

  • सादा जीवन, उच्च विचार –

राष्ट्रपति महात्मा गांधी सादा जीवन उच्च विचार में भरोसा रखते थे उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें ‘महात्मा’ कहकर बुलाते थे।

  • सत्य और अहिंसा –

महात्मा गांधी के जीवन के 2 हथियार थे सत्य और अहिंसा। इन्हीं के बल पर उन्होनें भारत को गुलामी से आजाद कराया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।

  • छूआछूत को दूर करना था गांधी जी का मकसद

महात्मा गांधी का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली छुआछूत जैसी कुरोतियों को दूर करना था इसके लिए उन्होनें काफी कोशिश की और पिछड़ी जातियों को उन्होनें ईश्वर के नाम पर हरि ‘जन’ नाम दिया।

मृत्यु – 

नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने 30 जनवरी 1948 को बिरला हाउस में गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

एक नजर में –

  • 1893 में दादा अब्दुला के कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। महात्मा गांधी जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगों को संघटित करके उन्होंने 1894 में “ नेशनल इंडियन कॉग्रेस ” की स्थापना की।
  • 1906 में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना जरुरी था। इसके अलावा रंग भेद नीती के खिलाफ उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
  • 1915 में महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
  • 1919 में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन शुरु किया।
  • 1920 में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
  • 1920 में लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया।
  • 1920 में नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया। असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
  • 1924 में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद।
  • 1930 में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुआ। नमक के उपर कर और नमक बनाने की सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
  • 1931 में राष्ट्रिय सभा के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे।
  • 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
  • 1933 में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
  • 1934 में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की। हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी।
  • 1942 में चले जाव आंदोलन शुरु हुआ। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
  • व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः 15 अगस्त 1947 में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया।
  • 1948 में नाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था।

महात्मा गांधी महान पुरुष थे उन्होनें अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण काम किए वहीं गांधी जी के आंदोलनों की सबसे खास बात यह रही कि उन्हें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सभी संघर्षों का डटकर सामना किया।

उन्होनें अपने जीवन में हिंदू-मुस्लिम को एक करने के भी कई कोशिश की। इसके साथ ही गांधी जी का व्यक्तित्व ऐसा था कि हर कोई उनसे मिलने के लिए आतुर रहता था और उनसे मिलकर प्रभावित हो जाता था।

मोहनदास करमचंद गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले। विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।

फिल्में –

महात्मा गांधी जी आदर्शों और सिद्धान्तों पर चलने वाले महानायक थे, उनके प्रेरणादायक जीवन पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अन्य देशप्रेमियों और स्वतंत्रता सेनानियों पर भी बनी फिल्मों में गांधी जी का अहम किरदार दिखाया गया है। यहां हम आपको गांधी जी बनी कुछ प्रमुख फिल्मों की सूची उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है-

  • फिल्म- ‘गांधी’ (1982)

डायरेक्शन-   रिचर्ड एटनबरो

गांधी जी का किरदार निभाया- हॉलीवुड कलाकार बने किंस्ले

2- फिल्म- ”गांधी माइ फादर”(2007)

डायरेक्टर- फिरोज अब्बास मस्तान

गांधी जी का किरदार निभाया- दर्शन जरीवाला

3- फिल्म- ”हे राम” (2000)

डायरेक्टर-कमल हसन

गांधी जी का किरदार निभाया- नसीरुद्दीन शाह

4- फिल्म- ”लगे रहो मुन्नाभाई”

डायरेक्टर- राजकुमार हिरानी (2006)

गांधी जी का किरदार निभाया- दिलीप प्रभावलकर

5- फिल्म- ”द मेकिंग ऑफ गांधी”(1996)

डायरेक्टर- श्याम बेनेगल

गांधी जी का किरदार निभाया-रजित कपूर

6- फिल्म- ”मैंने गांधी को नहीं मारा”(2005)

डायरेक्शन- जहनु बरुआ

इसके अलावा भी कई अन्य फिल्में भी गांधी जी के जीवन पर प्रदर्शित की गई हैं।

भजन –

महात्मा गांधी जी के प्रिय भजन जिसे वह अक्सर गुनगुनाते थे-

भजन नंबर 1-

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे ।।

पर दुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे ।। सकल लोक माँ सहुने वन्दे, निन्दा न करे केनी रे ।। वाच काछ मन निश्चल राखे, धन-धन जननी तेरी रे ।।

समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी, पर स्त्री जेने मात रे ।। जिहृवा थकी असत्य न बोले, पर धन नव झाले हाथ रे ।। मोह माया व्यापे नहि जेने, दृढ वैराग्य जेना तन मा रे ।। राम नामशुं ताली लागी, सकल तीरथ तेना तन मा रे ।। वण लोभी ने कपट रहित छे, काम क्रोध निवार्या रे ।। भणे नर सैयों तेनु दरसन करता, कुळ एको तेर तार्या रे ।।

आपको बता दें कि महात्मा गांधी जी का यह भजन साल 2018 में वैश्विव हो गया था, इस भजन को 124 देशों के कलाकरों ने एक साथ गाकर बापू जी को श्रद्धांजली अर्पित की थी।

भजन नंबर 2-

रघुपति राघव राजाराम,

पतित पावन सीताराम

सीताराम सीताराम,

भज प्यारे तू सीताराम

रघुपति राघव राजाराम ।।

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,

सब को सन्मति दे भगवान

रात का निंदिया दिन तो काम

कभी भजोगे प्रभु का नाम

करते रहिए अपने काम

लेते रहिए हरि का नाम

रघुपति राघव राजा राम ।।

इस भजन के अलावा भी गांधी जी ”साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।।।।……..” आदि भजन भी गुनगुनाते थे ।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के बारे में कई रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जो हम आपको यहाँ बतायेंगे …

रोचक और अनसुने कुछ तथ्य –

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के बारे में कई ऐसे रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जिनके बारे में शायद ही आप जानते हों। जिनके बारे में आज हम आपको अपने इस लेख के द्धारा बताएंगे, जो कि निम्नलिखित हैं –

1) गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, इनके पिता करम चंद गांधी कट्टर हिंदू थे और जाति से मोध बनिया थे। गांधी जी गुजारात की राजधानी पोरबंदर के दीवान थे, इसके अलावा वे राजकोट और बांकानेर के दीवान भी रह चुके थे। उनकी मातृभाषा गुजराती थी।

2) आजादी के महानायक महात्मा गांधी को एक बहादुर, साहसी और बोल्ड नेता के रुप में तो सभी जानते हैं, लेकिन आपको बता दें कि उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह बचपन में काफी शर्मीलें स्वभाव के व्यक्ति थे, यहां तक कि वे अपने सहपाठियों से बात करने में भी हिचकिचाते थे।

3) 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पूरे देश में मनाई जाती है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने महात्मा गांधी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर को विश्व अंहिसा दिवस के रुप में घोषित किया है, इसलिए उनकी जन्मदिन को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।

4) महात्मा गांधी, पुतलीबाई और करमचंद गाधी जी की सबसे छोटी संतान थे, उनके दो भाई और एक बहन भी थी।

Mahatma Gandhi old photo

5) ऐसा माना जाता है कि 12 अप्रैल साल 1919 को रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने गांधीजी को ‘महात्मा’ कहकर संबोधित किया था। हालांकि इसको लेकर भी विद्धानों के अलग-अलग मत हैं।

6) महात्मा गांधी के बारे मे यह भी काफी रोचक है कि, उन्हें 5 बार नोबल पीस प्राइज के लिए नोमिनेट किया गया, लेकिन यह पुरस्कार कभी वह हासिल नहीं कर सके। क्योंकि साल 1948 में यह पुरस्कार मिलने से पहले ही उनकी गोडसे द्दारा हत्या कर दी गई थी। हालांकि नोबल कमेटी ने यह पुरस्कार उस साल किसी को नहीं दिया था।

7) भारत के राष्ट्रपिता को अमेरिका की टाइम मैग्जीन द्धारा साल 1930 में “Man of the year” पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

8) महात्मा गांधी के बारे में यह अति रोचक तथ्य है कि वे अपने पूरे जीवनकाल में कभी अमेरिका नहीं गए और यह भी कहा जाता है कि 24 साल विदेश में रहने के बाद भी वह कभी एयर प्लेन में भी नहीं बैठे।

9) सादा जीवन, उच्च विचार की सोच वाले गांधी जी हर रोज 18 किलोमीटर पैदल चलते थे, उनके जीवनकाल ने इस यात्रा के मुताबिक यह आकलन लगाया जाता है, उनकी पैदलयात्रा पूरी दुनिया के दो चक्कर लगाने के बराबर थी। वहीं साल 1939 में 70 साल की आयु में भी गांधी जी का वजन 46 किलोग्राम था।

10) देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन के 6 साल 5 महीने जेल में बिताए थे। आपको बता दें कि कि गांधी जी को 13 बार गिरफ्तार किया गया था।

11) महात्मा गांधी के प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव पूरी दुनिया में है, इसलिए उनके सम्मान में उनके नाम के 53 मुख्य मार्ग भारत में और 48 सड़कें विदेशों में है।

12) जब 15 अगस्त, 1947 को हमारा भारत देश आजाद हुआ तो उस रात भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी का भाषण सुनने के लिए महात्मा गांधी मौजूद नहीं थे, वे उस दिन उपवास पर थे। आपको बता दें कि 1921 में महात्मा गांधी से देश के आजादी तक हर सोमवार को व्रत रखने का संकल्प लिया था और उन्होंने अपने जीवन में करीब 1 हजार 41 दिन उपवास रखा।

13) आजादी के आदर्श महानायक गांधी जी ने देश के लिए कई आंदोलन किए, कई बार उन्हें राजनीतिक पद अपनाने के लिए भी प्रस्ताव रखा गया, लेकिन गांधी जी ने अपने पूरे जीवन काल में कभी भी राजनीति पद को नहीं अपनाया।

essay on rashtrapita mahatma gandhi in hindi

14) देश को आजादी करवाने के लिए गांधी जी ने तमाम आंदोलन किए और अंग्रेजी के खिलाफ कई सालों तक लड़ाई भी लड़ी, लेकिन अंग्रेजी सरकार ने ही महात्मा की मौत के 21 साल बाद उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया था, जो कि सराहनीय है।

15) महात्मा गांधी ने अपने पूरे जीवनकाल में तमाम संघर्ष और आंदोलन किए और सफलता भी हासिल की। इसके अलावा वे 4 महाद्दीप और 12 देशों में नागरिक अधिकार आंदोलन के लिए भी जिम्मेदार थे।

16) गांधी जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि जब लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने वकालत करना शुरु किया था तो, वे कोर्ट में ठीक तरीके से अपना पक्ष भी नहीं रख पाते थे, यहां तक कि पहला केस लड़ते वक्त वह कांपने लगे और बहस बीच में ही छोड़कर बैठ गए, जिससे वह शुरुआती दौर में वकालत करने में फेल हो गए थे।

essay on rashtrapita mahatma gandhi in hindi

हालांकि बाद में वह एक कुख्यात और सफल वकील भी बने। वहीं दक्षिण अफ्रीका में उन्हें वकालत के लिए 15 हजार डॉलर सालाना मिलते थे, जो आज के करीब 10 लाख रुपए के बराबर हैं, वहीं कई भारतीयों की सालाना आय आज भी इससे कम है।

17) गांधी जी के जीवन के आदर्शों और उनके महान विचारों की वजह से उनके तमाम प्रशंसक थे, लेकिन एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स भी महात्मा गांधी जी के सम्मान में गोल चश्मा पहनते थे।

18) महात्मा गांधी जी के बारे में एक अति रोचक तथ्य है कि वे नकली दांत लगाते थे, जिसे वह अपने कपड़े के बीच में रखते थे और इसका इस्तेमाल सिर्फ खाना खाते वक्त ही करते थे।

19) महात्मा गांधी जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि उन्हें फोटो खिंचवाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था, लेकिन आजादी की लड़ाई के दौरान वह एक ऐसे महानायक थे, जिनकी सबसे ज्यादा फोटो खींची गई थी।

20) महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी, 1948 को गोडसे द्धारा बिरला भवन के बगीचे में कर दी गई थी। उनकी अंतिम यात्रा में काफी लोगों का हुजुम उमड़ा था, उनकी शवयात्रा करीब 8 किलोमीटर लंबी थी, जिसमें पैदल चलने वालों की संख्या करीब 10 लाख थी, जबकि 15 लाख से भी ज्यादा लोग रास्ते में खड़े होकर उनके अंतिम दर्शन कर रहे थे।

आपको बता दें कि महापुरुष महात्मा गांधी जी की शवयात्रा को आजाद भारत की सबसे बड़ी शवयात्रा भी कहा गया है।

इनके अलावा भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के बारे में कई ऐसे तथ्य हैं जो कि बेहद रोचक और महत्वपूर्ण है। हालांकि, महात्मा गांधी द्धारा राष्ट्र के लिए दिए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। महात्मा गांधी जैसे शख्सियत का भारतभूमि पर जन्म लेना गौरव की बात है।

अगले पेज पर पढ़िए…

165 thoughts on “राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जीवनी”

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महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। बहुत ही अच्छा लेख लगा एक महान नेता को नमन, धन्यवाद।

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बहुत ही अच्छा लेख लिखा है आपने थैंक यू

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gandhi ji ka sampoorn parichay hindi me

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महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे। 

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में

भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे। 

इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे। 

महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।

सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था। 

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे। 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की। 

गांधी जी का विवाह 

जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे। 

गांधीजी का राजनीति में प्रवेश 

जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए। 

महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया। 

गांधी जी की मृत्यु 

देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी‌। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। 

  • 10 Lines About Mahatma Gandhi in Hindi
  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • 10 Lines on A.P.J. Abdul Kalam in Hindi

दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं। 

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हिन्‍दी निबंध: राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी.

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Hindi Essay  Mahatma Gandhi | हिन्‍दी निबंध: राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay In Hindi)

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) भगवान राम, भगवान कृष्ण, यशु और अशोका की तरह ही सपना रखते थे। वह इन की तरह ही सोच रखते थे। बीसवीं सदी में ऐसा कोई भी नहीं था जो महात्मा गांधी जी के व्यक्तित्व की तुलना कर सकें।

वह खुद से उनके किए गए गलतियों को मान लेते थे। गांधी जी को वैष्णो धर्म और जैन धर्म के सिद्धातो पर लाया गया था। यह दोनों धर्म अहिंसा और किसी भी जीवित व्यक्ति या प्राणियों को चोट ना पहुंचाने के सिद्धांतों का समर्थन करते थे।

१८०६ में महात्मा गांधी अपनी पत्नी और बच्चों को दक्षिण अफ्रीका ले जाने के लिए भारत लौटे थे। जब वह १८९७ में जनवरी को डरबन वापस आए तब उन पर एक सफेद भीड़ ने हमला कर दिया।

इसी तरह सत्याग्रह का जन्म हुआ।दक्षिण अफ्रीका में उनका यह संघर्ष ७ साल से ज्यादा समय के लिए चलता रहा। भारतीय समुदाय ने भी स्वेच्छा से गांधी जी का समर्थ किया और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ अंग्रेजों द्वारा किए गए अत्याचारों से किये जाने वाले संघर्ष में भाग लेने से रोका नहीं गया।

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Nibandh

महात्मा गांधी पर निबंध

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भारत महापुरुषों का एक अनोखा देश है। जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर टिळक, महादेव गोविंद रानडे, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाषचंद्र बोस, आदि अनेक नेताओं ने हमारे इतिहास की शोभा बढ़ाई है। लेकिन महात्मा गाँधी बापू या राष्ट्रपिता के रूप में भारत में बहुत प्रसिद्ध हुए। महात्मा गांधी हमारे देश के एक महान नेता थे।

गांधी जी का जन्म २ अक्टूबर, १८६९ को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। उनके पिता का नाम करमचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी ने इंग्लैंड जाकर वकालत की परीक्षा पास की थी।

उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। गांधी जी ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए आंदोलन शुरू किया। इसके लिए उन्होंने सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाया। आखिरकार उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी से देश को आज़ादी दिलाई। सन १९४८ में दिल्ली में गांधी जी की हत्या हो गई। गांधी जी भारत के राष्ट्रपिता' कहलाते हैं।

गांधीजी ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत का नवनिर्माण किया। वे भारत में ही नहीं, सारे विश्व में अपने कार्यों से चर्चे में रहे। ऐसे महान देशभक्त और महामानव को आज भी सभी लोग याद करते है। महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।

गांधीजी ने सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चल के अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संगठन ने प्रतिवर्ष गांधी जयंती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की।

अंत ३० जनवरी १९४८ को उनकी मृत्यु हो गई और उनके शरीर का राजघाट, नई दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया। उनको श्रद्धांजलि देने के लिए ३० जनवरी को भारत में शहीद दिवस के रूप में हर साल मनाने की घोषणा की गयी। महात्मा गांधी जी को प्यार से 'बापू' कहते हैं।

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[Update] 3 Hindi Essays on “Rashtrapita Mahatma Gandhi” ”राष्ट्रपिता महात्मा गांधी” Complete Hindi Essays for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

Rashtrapita Mahatma Gandhi

निबंध नंबर : 01

महात्मा गांधी के नेतृत्व वाला समय गांधी युग कहलाता है। गांधी भारतवासियों को कितने प्रिय लगते थे, इसके लिए प्रमाण की नही, इन पंक्तियों के मर्म को समझने की आवश्यकता है-

चल पड़े जिधर दो पग मग में, चल पडे़ कोटि पग उसी ओर, पड़ गयी जिधर भी एक दृष्टि, पड़ गये कोटि दृग उसी ओर।                                 (दिनकर)

दूसरी बात यह भी है कि जब-जब मानव-समूह पर कोई संकट आता है, तो कोई-न-कोई आवतारी पुरूष सामने चला ही आता है। इतिहास साक्षी है-

धरा जब-जब विकल होती मुसीबत का समय आता, किसी  भी रूप में कोई महामानव चला आता।                                                 (दिनकर)

महात्मा गांधी विश्व के मान्य नेता थे। उनका जन्म भारत में गुजरात प्रान्त के काठियावाड़ा जिले के पोरबन्दर नामक स्थान में 2 अक्टूबर सन् 1869 ई0 को हुआ था। उनका जन्म एक वैश्य परिवार में हुआ था। उनकी माता पुतलीबाई अत्यन्त धार्मिक प्रवृति की महिला थी। उनके घर में रामायण और भागवत का पाठ होता था और भक्ति के गीत गाये जाते थे। जन्म से ही इस प्रकार के धार्मिक परिवेश का प्रभाव गांधीजी पर भी पड़े बिना न रहा। उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपने बाल्यकाल के इस धार्मिक वातावरण का वर्णन किया है। वास्तव में, किसी भी व्यक्ति कम व्यंितव का निमार्ण उसके बचपन में मिले संस्कारों पर निर्भर करता है।

महात्मा गांधी सन् 1888 ई0 में कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैण्ड गये। सन् 1891 ई0 में वे इंग्लैण्ड गये। सन् 1891 ई0 में वे इंग्लैण्ड से बैरिस्ट्री की परीक्षा पास कर स्वदेश लौट गये। कुछ ही दिनों के बाद उन्हें वकालत के काम से दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां उन्हें कुछ ऐसे अनुभव हुए कि भारतवासियों के हितार्थ उन्होंने वहीं आन्दोलन और सत्याग्रह शुरू कर दिया। 20 वर्षों तक वे दक्षिण अफ्रीका में रहे। सन् 1901 ई0 में भारत लौट आये। इसी वर्ष उन्होंने कोलकता में कांग्रेस अधिवेशन में भारत में राजनीतिक जीवन का आरम्भ किया और नेताजी से उनकी बातचीत हुई। वे एक दिन देश के सर्वाेच्च नेता मान लिये गये। इस बीच वे एक बार फिर अफ्रीका गये, लेकिन कुछ ही वर्षों में लौट आये। लौटने के बाद वे देश में पूर्णकालिक राजनीति के लिए तैयार हो गये। 25 मई 1914 ई0 को उन्होंने अहमदाबाद में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की। तदन्तर भारतीय राजनीति की बागडोर संभाली।

सन् 1920 ई0 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन किया। सन् 1930 ई0 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया और नमक बनाकर नमक कानून भंग किया। यह आन्दोलन 1934 ई0 तक चलता रहा। सन् 1942 ई0 में भारत छोडो़ं प्रस्ताव पारित हुआ। गांधीजी जेल गये। जेल में उन्होंने 21 दिनों तक उपवास रखा। सन् 1947 ई0 में भारत आजाद हो गया। सन् 1920 ई0 तक भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का काल गांधी युग कहा जाता है।

देश को स्वतन्त्रता मिलने के बाद गांधीजी ने सरकार से अलग रहकर आन्दोलन को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। गांधीजी के जीवन पर गीता और उपनिषद् का विशेष रूप से प्रभाव पड़ा। हमारे लिए सबसे अधिक उपयोगी हथियार गांधी का दिया हुआ सत्य और अहिंसा का हथियार है। इसके बाद उनके शिक्षा से सम्बन्धित कुछ विचार भी अत्यन्त महत्वपूर्ण  हैं। शिक्षा के सम्बन्ध में गांधी के विचार बिल्कुल स्पष्ट थे-’’शि़क्षा से मेरा तात्पर्य शिशु और मनुष्य में शरीर, मन और आत्मा जो कुछ सर्वोत्तम  है, उसकी सर्वागीण अभिव्यक्ति है।’’

साक्षरता शिक्षा का लक्ष्य नहीं है और न उससे शिक्षा आरम्भ होती है। वह तो उन साधनों में से एक है, जिससे सभी पुरूष शिक्षित किये जाते हैं। साक्षरता स्वयं शिक्षा नहीं है। गांधीजी ने अंग्रेज सरकार द्वारा चलाई गयी तत्कालीन शिक्षा-योजना की कटु आलोचना की। गांधीजी का विचार था कि शिक्षा बेरोजगारी के विरूद्ध एक प्रकार का बीमा होनी चाहिए। यही कारण था कि गांधीजी ने अपनी बुनियादी शिक्षा योजना में उद्योग द्वारा शिक्षा एवं बेसिक शिक्षा पद्धति पर जोर दिया था। ’रूसो’ के समान गंाधीजी ने शिक्षा को बाल केन्द्रित माना। उनके विचार से-’’सच्ची शिक्षा वह है, जो बालकों की आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक शक्तियों को प्रोत्साहित करती रहे। ’’गांधीजी शिक्षा को चरित्र-निर्माण का आधार मानते थे। गांधीजी के ऊपर टाॅल्स्टाय का भी बहुत प्रभाव था। उन्होंने 25 मई सन् 1915 ई0 को अहमदाबाद में सरस्वती के तट पर सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की और एक विद्यालय भी खोला।

गांधीजी शिक्षा के माध्यम से ’अंग्रेजी’ के कट्टर विरोधी थे। उस सम्बन्ध में उन्होंने कहा है- ’’आज, जबकि हमारे पास निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा को प्रारम्भ करने के साधान तक नहीं हैं, हम अंग्रेजी पढ़ने की व्यवस्था किस तरह कर सकते हैं। रूस ने अंग्रेजी के बिना ही समस्त वैज्ञानिक क्रिया की है। यह हमारी मानसिक दासता ही है, जो हमें यह अनुभव करने के लिए बाध्य करती है कि हम अंग्रेजी के बिना काम नहीं कर सकते। हम इस पलायनशीलता का समर्थन कभी नहीं कर सकते।’’ उन्होंने स्त्री-शिक्षा, शिक्षकों के लिए आवश्यक गुण शिक्षा के लक्ष्य और साधन, इन सभी विषयों पर अपने मौलिक विचार प्रस्तुत किये। गांधीजी ने बहुत गहराई से भारत और भारतीय संस्कृति को समझ था। गांधीजी के विषय में जितन भी कहा जाये, कम है। उन्होंने सत्य और अहिंसा के बल पर सदियों की गुलामी से भारत को आजादी दिलायी। अफसोस है कि जीवन-भर अहिंसा की पूजा करने वाला दुनिया का अव्वल अहिंसावादी व्यक्ति, जिसने पूरी दुनिया को अहिंसा का स्वार्णिम सन्देश दिया, आखिरकार 30 जनवरी सन् 1948 ई0 को हिंसा का ही शिकार हो गया। मरते समय गांधीजी के मुख से-  ’हे राम……. हे राम’ के अतिरिक्त एक भी शब्द नहीं निकला। गांधीजी का सम्पूर्ण जीवन एक हिन्दू महात्मा के रूप में व्यतीत हुआ था। उनके दर्शन को समझने के लिए सत्य और अहिंसा की आध्यात्मिकता को समझना जरूरी है।

निबंध नंबर : 02 

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी वह महान पुरुष हैं जो किसी और को उपदेश । देने से पहले स्वयं उस पर अमल करते थे। उन्होंने अपने देश के लिए सब कुछ।  कुर्बान कर दिया।

अपनी मानवतावादी दृष्टिकोण, अहिंसा, सत्य, प्रेम और भाई चारे के कारण  वे गांधी से महात्मा गांधी बन गए। संपूर्ण भारत उन्हें बापू ने नाम से पुकारता था, उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित करता था। शायद ही किसी को भारतीय इतिहास में अभी तक इतना आदरसूचक संबोधन मिला हो।

गांधी जी का जन्म अंग्रेजों के शासन वाले भारत में हुआ। अंग्रेज भारतीयों पर तरह तरह के अत्याचार किया करते थे। हर जगह अराजकता एवं अत्याचार का बोलबाला था। ऐसे में गांधी जी का जन्म किसी अवतार से कम नहीं था।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। पिता का नाम करमचंद गांधी व माता का नाम पुतलीबाई था। कहा जाता है कि अपनी माता से ही इन्हें सच्चाई की शिक्षा मिली है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदाम करमचंद गांधी था। 13 वर्ष की बाल्यावस्था में ही गांधी जी की शादी कस्तूरबा से हुई थी। कस्तूरबा एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं।

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। सन् 1887 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। फिर बैरिस्ट्री की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां से आकर बंबई में वकालत में जुट गए पर उनका जन्म तो किसी और कार्य के लिए हआ था. उनकी वकालत नहीं चली। संयोग से उन्हें सन् 1892 में मुकद्दमे की पैरवी करने जाना पड़ा। वहाँ उनके जीवन ने ऐतिहासिक मोड़ लिया। वहाँ उन्होंने देखा कि किस तरह से अंग्रेज भारतीय मूल के लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं। इसका प्रभाव ऐसा पड़ा कि वह इतिहास पुरुष ही बन बैठे।

वहीं उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को इकट्ठा किया और सत्याग्रह आंदोलन चलाया, जिसे अपार सफलता मिली और दक्षिण अफ्रीका में बसे सभी भारतीयों को राहत मिली।

भारत लौट गांधी जी ने मन बना लिया कि अब इन गोरों से भारत को मुक्त करवा के ही वह दम लेंगे मगर साथ ही उन्होंने मार्ग चना अहिंसा का।।

वह बिहार के चंपारण पहुँचे जहाँ अंग्रेज किसानों से जमीन छीनकर उनसे । जबरन नील की खेती करवाना चाहते थे। यहाँ भी गांधी जी ने उन सभी किसानों को संगठित कर इस अन्याय के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन करने लगे। जिसकारण किसानों को काफी सुविधाएँ प्राप्त हुई। अचानक इसी बीच बालगंगाधर तिलक जी की मृत्यु हो गई। फिर कांग्रेस की बागडोर गांधी जी को ही संभालनी पड़ी।

गांधी जी संपूर्ण देश में घूम-घूमकर लोगों को आजादी का महत्व समझाने लगे और इसकी प्राप्ति के लिए अहिंसा एवं सत्याग्रह का मार्ग ही चुनने की सलाह देते रहे। सन् 1930 को गांधी जी का नमक आंदोलन तो भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों । में मुद्रित किया गया।

इसी तरह से वह जीवन भर हमें अहिंसा व सत्याग्रह के मार्ग पर चलते रहने की सलाह देते रहे जो काम हमारा लड़ने-झगड़ने से नहीं निपट सकता है, वही काम हमारा प्यार-मोहब्बत से बातचीत करने से निपट सकता है यही सीख महात्मा गांधी सदैव देते थे।

गांधी-वाणी का सब से बड़ा साक्ष्य हमें हमारी भारतीय स्वतंत्रता की कहानी पढ़ने से मिलता है। किस तरह से अंग्रेजों को बापू के आगे झुकना पड़ा। वह भी एक ऐसे आदमी के सामने जिसने केवल धोती पहन रखी हो और अहिंसा का अपना.मार्ग चुन रखा हो। अंततः 15 अगस्त 1947 को हमारा गुलाम देश आजाद हो गया!

गांधी जी अन्य भारतीयों के साथ मिलकर एक ऐसे चट्टान के रूप में खड़े हो गए जिसके आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा और देश छोड़ना पड़ा।

महात्मा गांधी एक विश्व स्तर के महान नेता के रूप में अपनी पहचान बनाए रखे थे। इनकी हत्या 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर की गई थी। मरते समय गांधी जी ने अपनी महात्मा वाली उपाधि को सार्थक करते हुए केवल हे राम! कहा था। आज उनकी समाधि राजघाट पर मंदिर की तरह पूजी जाती है।

देश ने उनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में राष्ट्रीय पर्व घोषित कर रखा है, जिसे हर भारतीय एक त्यौहार की तरह मनाता है।

निबंध नंबर : 03

राष्ट्रपिता

महात्मा गाँधी

महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता है। उनके काबिल और अहिंसक नेतृत्व में भारत ने विदेशी राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की।

उनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 में हुआ। वे एक समान्य विद्यार्थी थे परन्तु उनमें भविष्य को महानता के चिन्ह थे। वे राजा हरीशचन्द्र के सच के प्रति प्रेम से प्रभावित थे। वे स्वयं अपने जीवन में भी इस पर आचरण करते थे। उनमें ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी।

वे एक वकील बने। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने देखा कि किस तरह एशियाई मूल के लोगों के साथ व्यवहार किया जाता था। वे जातीय पक्षपात के शिकार थे। वे अंग्रेज सरकार के शासकों के खिलाफ लड़े। उन्हें कई बार जेल भेजा गया परन्तु वे इस प्रकार की सजा से डरते नहीं थे।

भारत में वापिस आने पर उन्होंने भारतीय लोगों को अपनी अहिंसा से प्रभावित किया। जल्दी ही वे इन्डियन नैशनल कांग्रेस के नेता बन गए। उनके, आज़ादी के लिए, दो सबसे शक्तिशाली हथियार अहिंसा और सत्याग्रह थे। इन्होंने हमारी आज़ादी की लड़ाई में बहुत सहायता की। हमने बिना कोई खून बहाए आज़ादी प्राप्त की।

उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए काम किया। उन्होंने कई सत्याग्रह शुरु किए। उन्होंने हाथ बुने कपड़े पर जोर दिया। उन्होंने हमें परिश्रम का गौरव समझाया। लोग दिल की गहराई से उनके शिष्य बन गए। उन्होंने विदेशी कपड़ों और सामान का बहिष्कार किया। भारत के लोगों ने उनके उदाहरण का पालन किया। वे केवल कमर पर ही कपड़ा (लंगोटी) पहनते थे क्योंकि उनका मानना था कि उनके देश के लोग गरीब हैं। वे सादा जीवन और ऊँची सोच में विश्वास करते थे। यहाँ तक कि उनके दुशमन भी उनकी सादगी सच्चाई, अहिंसा, लक्ष्य के प्रति ईमानदारी और व्यक्तित्व की शक्ति से प्रभावित थे।

उन्होंने गरीबों और पिछड़े लोगों को ऊपर उठाने के लिए काम किया। यह बड़े शर्म की बात है कि वे 30 जनवरी, 1948, आज़ादी के एक साल बाद अपने ही देश के वासी द्वारा मार दिए गए। उन्हें सबसे अच्छी श्रद्धांजलि उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चल कर दी जा सकती है। उनकी समाधी दिल्ली में राज घाट पर बनाई गई। वे हमारे आज़ादी की लड़ाई में रौशनी दिखाने वाले थे। लोग प्यार से उन्हे बापू पुकारते थे।

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राष्ट्रपिता महात्मा-गाँधी, rashtrapita mahatma gandhi.

बापू यानी विश्व-पिता बापू हमारे राष्ट्रपिता थे। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांध सत्य और अंहिसा के पुजारी थे। उनकी वाणी में जादू था, जिससे सारा संसार प्रभावित हुआ। हम भारतवासी उनके प्रताप से आज स्वतंत्रता में सांस ले रहे है। वास्तव में महात्मा गांधी जैसी महान विभूतियाँ ही समय-समय पर विश्व में अवतरित होकर कष्टों से मुक्त कराती है।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई. में गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पतलीबाई था। पिता पोरबंदर रियासत के दीवान थे और माता धार्मिक प्रवृति की ममतामयी महिला। इनका विवाह केवल 13 वर्ष की अवस्था में हो गया था। 18 वर्ष की अवस्था में उन्होंने मेट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर के श्यामलदास कालेज में प्रवेश लिया, किंतु शीघ्र ही बैरिस्टरी (वकालत) पढ़ने के लिए इंगलैंड चले गए।

1891 ई0 में वकालत पास करके उन्होंने बंबई में वकालत शुरू कर दी। संकोची स्वभाव और धार्मिक प्रवृति उनके व्यवसाय के अनुकूल न थी, इसलिये छह महीने बाद राजकोट आए और केवल अर्जियाँ लिखकर जीवन-यापन करने लगे। इसी बीच 1892 ई0 में पोरबंदर के एक व्यापारी के मुकदमें के सिलसिलें में उन्हें अफ्रीका जाना पड़ा, वहाँ भारतीयों और अफ्रीका मूल के लोगों के प्रति अंग्रेजों का भीषण अत्याचार देखा। गोरे, काले लोगों का पग-पग पर अपमान करते थे। महात्मा गांधी भारतीयों की दशा सधारने में लग गए और उन्हें इस कार्य में सराहनीय सफलता मिली।

अफ्रीका से गांधी जी 1915 में लौटे। तब तक प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ चुका था। इसमें भारत द्वारा अंग्रेजों की धन-जन से सहायता की गई पर उन्होंने स्वराज्य वचन देकर भी अंगूठा दिखा दिया तब भी गांधी जी ने साहस नहीं छोड़ा। वे स्वराज्य की राह पर लगे रहे। उनके सन् 1920 और 1930 के आंदोलनों से अंग्रेज कांप उठे।

भारत में भी अछूतपन देखकर गांधी जी का चित्त अत्यंत व्याकुल हो उठा। इसको मिटाने के लिए भी उन्हें आन्दोलन चलाना पड़ा, जिसमें सफलता ने उनके पग चूमे। बहुत से मंदिरों में अछूतों का प्रवेश हो गया फिर वे ग्रामों के सधार में लगे। 1929 ई0 में जलियाँवाला हत्याकांड और रौलेट एक्ट आदि ने भारतीयों को असहयोग का ब्रह्मास्त्र दिया। भारतीयों को संगठित करने के लिए उनकी सामाजिक और आर्थिक दशा सुधारने के लिए रचनात्मक कार्यक्रम शुरू किए। शीघ्र ही वे अखिल भारतीय नेता के रूप में उभरे। 1919 ईसवीं में जलियाँवाला हत्याकांड और रौलेट एक्ट आदि ने भारतीयों को आंदोलन के लिए विवश कर दिया। गांधी जी ने मदन मोहन मालवीय, पंडित मोतीलाल नेहरू, चितरंजन दास आदि के साथ देशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया 1921 ईसवी तक क्रान्ति के सभी नेता और लाखों स्वतंत्रता सेनानी जेलों में लूंस दिए गएं लेकिन सत्याग्रहियों की बाढ़ के कारण ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ां 1930 ईसवी में नमक सत्याग्रह (आंदोलन) छेड़ा और स्वदेशी आंदोलन चलाया।

सरकार ने 1935 का भारतीय शासन कानून पास किया, जिसके अन्र्तगत प्रान्तीय स्वायत शासन का अधिकार जनता को मिला। 1937 ईसवी में भारत के अधिकतर राज्यों में कांग्रेसी मंत्री मंडल बने और द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ने पर कांग्रेसी मंत्रीमंडलों ने इस्तीफा दे दिया। 1942 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध पूरे जोरों पर था, महात्मा गांधी ने “अंग्रेजों भारत छोड़ों” और “करों या मरो’ का नारा दिया, अब ब्रिटिश सरकार को स्पष्ट हो गया कि भारत अधिक दिन तक गुलामी की जंजीरों में बंधा नहीं रह सकता। ब्रिटिश सरकार द्वितीय विश्वयुद्ध में अपनी शक्ति खोकर भी कूटनीति में सफल हो गई। भारत दो टुकड़ों, भारत और पाकिस्तान में बंट गया। हजारों लोग बेघर हो गए। हजारों बच्चे अनाथ हो गए और हजारों स्त्रियाँ बेसहारा हो गई। महात्मा गांधी कभी बिहार जाकर और कभी दिल्ली में दुखी मानव की मरहम-पट्टी करने लगे। यह बात कुछ लोगों को नापसंद थी, उनमें बदले की भावना थी, प्रतिहिंसा थी। 30 जनवरी 1948 ईसवी को नाथूराम गोडसे ने अपनी तीन गोलियों से मानवता के इस मसीहे का अंत कर दिया। संसार का शायद ही कोई सच्चा इंसान होगा, जिसकी आंखों में महात्मा गांधी की मृत्यु पर बरबस आंसू न निकल पड़े हो।

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निबन्ध:मेरा प्रिय नेता- महात्मा गांधी | essay on Mahatma Gandhi in Hindi | मेरे प्रिय नेता

By: Amit Singh

महात्मा गांधी पर निबंध/Mahatma Gandhi par nibandh/Essay on Mahatma Gandhi/Mahatma Gandhi Hindi Essay – video

मेरे प्रिय नेता महात्मा गांधी जी हैं। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द्र गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचन्द्र गांधी और माता का नाम पुतली बाई था।

गांधी जी ने राजकोट के अल्फर्ड हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद शामलदास आर्ट कॉलेज से स्नातक किया। जिसके बाद गांधी जी ने लंदन के विश्वविद्यालय से कानून में डिग्री हासिल की।

महात्मा गांधी का विवाह 13 साल की उम्र में कस्तूरबा गांधी से हुआ था। गांधी जी के चार बेटे हैं, जिनके नाम हरिलाल, मणिलाल, देवदास और रामदास

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अप्रैल 1893 में 23 साल के गांधी जी वकालत पूरी करने के बाद दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। 21 सालों तक दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान गांधी जी ने भेद-भाव और मानवाधिकारों के खिलाफ आवाज बुलंद की। इसी समय गांधी ने सत्याग्रह की पहल की थी। गांधी जी के अनुसार – “खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को दूसरों की सेवा में खो दो”

महात्मा गांधी 1915 में भारत वापस लौटे , जिसके बाद उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरमदलीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु बनाया।

महात्मा गांधी ने 1917 में पहली बार बिहार के चंपारण जिले में सत्याग्रह का आगाज किया। जिसमें कई स्थानीय किसानों ने भाग लिया था। चंपारण सत्याग्रह भारत में गांधी जी का पहला सफल अभियान था।

इसके बाद उन्होंने 1918 में गुजरात में अहमदाबाद मिल आंदोलन शुरु किया। इसी साल गांधी जी ने गुजरात में खेड़ा सत्याग्रह का भी आगाज किया। दोनों की आंदोलन अपने हितों को साधने में कामयाब रहे।

वहीं गांधी जी ने 1919 में रालेट एक्ट का भी खुलकर विरोध किया और जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा दी गयी केसर-ए-हिंद की उपाधि भी वापस लौटा दी।

महात्मा गांधी ने 1921 को राष्ट्रीय स्तर पर असहयोग आंदोलन का आगाज किया, जिसे खिलाफत आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। गांधी जी का यह पहला आह्वाहन था, जिसमें देश के हर वर्ग मसलन अमीर, गरीब, किसान, छात्र, सरकारी कार्यकर्ता, वकील, शिक्षकों, डॉक्टरों सहित कई तबकों ने अपना योगदान दिया था। वहीं पहली बार मुस्लिम वर्ग ने भी खिलाफत आंदोलन के रुप में असहयोग आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।

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हालांकि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित चौरी-चौरा नाम जगह पर यह अहिंसक आंदोलन हिसां में तब्दील हो गया, जिसके बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस लेने का एलान कर दिया। गांधी जी का मानना था कि- आपको “मानवता” में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है; अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता है।

आंदोलन केअंत के साथ ही ब्रिटिश सरकार ने गांधी जी सहित असहयोग आंदोलन के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया और नतीजतन गांधी जी आने वाले कई सालों तक सक्रिय राजनीति से दूर रहे। हालांकि उन्होंने 1927 में भारत आने वाले साइमन कमीशन का पुरजोर विरोध किया।

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महात्मा गांधी ने 26 जनवरी 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के दौरान पहली बार पूर्ण स्वराज का नारा देते हुए इस दिन को स्वतंत्रता दिवस घोषित किया। जिसके बाद गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह शुरु किया। गांधी जी यह यात्रा डांडी मार्च के नाम से जानी जाती है। इस यात्रा में गांधी ने 78 लोगों के साथ गुजराज के साबरमती आश्रम से डांडी गांव तक 240 मील का सफर तय करने का एलाम किया था। गांधी जी ने 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के डांडी पहुंच कर नमक कानून तोड़ाते हुए सविनय अविज्ञा आंदोलन का आगाज किया।

गांधी जी द्वारा नमक सत्याग्रह पूरा होने के बाद देश में कई प्रसिद्ध नेताओं के नेतृत्व में नमक सत्याग्रह फैलने लगा। जिसके कारण ब्रिटिश सरकार के वायसराय लॉर्ड इरविन ने गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया।

कांग्रेस द्वारा पहले गोलमेज सम्मेलन का बहिष्कार करने के बाद गांध-इरविन समझौता हुआ। इस समझौते के अंतर्गत गांधी जी सविनय अविज्ञा आंदोलन वापस लेने पर राजी हो गए। जिसके बाद गांधी जी ने लंदन में आयोजित दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया।

महात्मा गांधी ने 1942 में कांग्रेस के बंबई अधिवेशन में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य पूरी तरह से ब्रिटिश सरकार और ब्रितानी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। इसी दौरान गांधी जी ने सामूहिक सत्याग्रह के स्थान पर व्यक्तिगत सत्याग्रह की पहल की, जिसमें विनोबा भावे पहले और जवाहरलाल नेहरु दूसरे सत्याग्रही बने। भारतीय स्वतंत्रता के विषय में गांधी जी कहते थे कि – पहले वो आपकी उपेक्षा करेंगे, फिर आप पर हसेंगे, फिर आपसे लड़ेंगे और अंत में आप जीत जायेंगे

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया। वहीं आंदोलन की प्रसिद्धि के चलते ब्रिटिश सरकार ने गांधी जी सहित आंदोलन के मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर पुणे रवाना कर दिया। जिसके बाद कई स्थानीय नेताओं ने आंदोलन का नेतृत्व किया।

आखिरकार 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी की घोषणा हुई, जिसके साथ ही विभाजन की विभीषिका का मंजर दिल दहला देने वाला था। वहीं गांधी जी देश के विभाजन के पूरी तरह से खिलाफ थे। इस दौरान गांधी जी बंगाल के नोआखली में भड़के दंगों को शांत कराने और जरुरतमंदों को राहत मुहैया कराने में जुट गये। गांधी जी के शब्दों में – आपको “मानवता” में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है; अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता है।

वहीं आजादी के महज कुछ महीनों बाद ही 30 जनवरी 1948 को एक हिन्दू राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे ने बड़ला हाउस में गोली मारकर गांधी जी की हत्या कर दी और महात्मा गांधी ने गोली लगने के साथ ही इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। जिस जगह गांधी जी को गोली लगी थी, उसे गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है। गांधी जी के शब्दों में – “ जियो ऐसे जैसे कल आपका आखिरी दिन हो, जी भर जियो और सीखो ऐसे जैसे कि आपको यहां हमेशा रहना है।“

गांधी जी भले ही इस दुनिया से चले गए, लेकिन उनकी सीख, उनके सत्य, शांति और अंहिसा के विचार वर्तमान हालातों पर भी बिल्कुल सटीक बैठते हैं। आतंकवाद के रुप में अंहिसा से लेकर झूठ, फरेब, धोखाधड़ी से भरपूर इस दुनिया को गांधी के आदर्शों पर चलने की बेहद जरुरत है। गांधी जी का मानना था कि- आप जो सुधार दुनियाँ में देखना चाहते हो, आप खुद उस सुधार का हिस्सा होने चाहिए।

गांधी जी मर कर भी हमेशा के लिए दुनिया में अमर हो गए। उनका कथन- मेरा जीवन मेरा संदेश है, जो वाकई वर्तमान में एक कठोर सच्चाई है।

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2 thoughts on “निबन्ध:मेरा प्रिय नेता- महात्मा गांधी | essay on Mahatma Gandhi in Hindi | मेरे प्रिय नेता”

Sir Mahatma Gandhi ka birth 1869 ko hua tha. Or aap essay me likh rahe ho ki 1969 ki hua tha, to phir death kab hui thi

Thank you for pointing out. It has now been corrected.

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महात्मा गांधी पर निबंध Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

इस लेख में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) बड़े ही सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। अक्सर छोटी-बड़ी परीक्षाओं में महात्मा गांधी की जीवनी पर निबंध पूछ लिया जाता है।

यदि आप गांधी जी के ऊपर निबंध की तलाश कर रहे हैं तो आप सही स्थान पर हैं। आज हमने इस लेख मे महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, आजादी मे योगदान, निजी जीवन, मृत्यु,तथा 10 लाइन के बारे मे लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

भारत पर हजारों साल तक विदेशी आक्रमणकारियों का कब्ज़ा था। लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसने कई देशों को पीछे छोड़कर प्रगति की है।

भारत को वीरों की भूमि इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर ऐसे महान आत्माओं ने जन्म लिया है जिन्होंने कभी भी भारत माता का  मस्तक झुकने नहीं दिया।

स्वतंत्रता दिलाने में कई महापुरुषों ने अपना योगदान दिया है जिनके आदर्श को भारतवासी सदा याद करते हैं। उन्ही महापुरुषों में से महात्मा गाँधी भी एक हैं।

गांधी जी का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता ब्रिटिश राज्य में पोरबंदर रियासत के दीवान थे।

परिवार का वातावरण अत्यंत धार्मिक होने के कारण बाल गांधी का जीवन भी आध्यात्मिक ज्ञान से अछूता न रहा। जिसका प्रभाव आगे चलकर गांधी जी पर भी देखने को मिला।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन Early life of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था।

उनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी के पिता सनातन धर्म की पंसारी जाति से ताल्लुक रखते थे। 

पुतलीबाई करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी जो स्वभाव से अत्यंत धार्मिक थी। वह हमेशा भगवान के छोटे बड़े व्रत रखा करती थी। घर में धार्मिक तथा शिक्षा का माहौल होने के कारण इसका असर बालक गांधी पर भी धीरे-धीरे पढ़ने लगा था।

गांधी जी पर बचपन से ही जैन परंपराओं का गहरा असर हो चुका था जिससे उनके स्वभाव में शाकाहार, आत्म शुद्धि, अहिंसा  तथा अन्य सद्गुणों की अधिकता देखने को मिलती थी।

करमचंद गांधी एक बेहद पढ़े लिखे व्यक्ति थे इसीलिए वह अपने पुत्र मोहनदास को भी एक शिक्षित व्यक्ति बनाना चाहते थे।

महात्मा गाँधी की शिक्षा Education of Mahatma Gandhi in Hindi

मोहनदास बचपन से ही एक सामान्य विद्यार्थी थे इसलिए उन्हें पढ़ाई में इतनी ज्यादा रुचि नहीं थी। पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ वे खेलकूद में भी इतने अच्छे नहीं थे। मोहनदास का विवाह बहुत कम उम्र में ही कस्तूरबा के साथ कर दिया गया था।

मोहनदास गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही संपन्न हुई उसके पश्चात मैट्रिक पास करने के बाद 1888 न्याय शास्त्र की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

विदेश में रहकर भी गांधी कभी भी अपनी संस्कृति को नहीं भूले और हमेशा शाकाहार का पालन करते हुए अपनी शिक्षा को पूरा किया।

न्याय शास्त्र की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त हुई जो गुलामी के समय में भारतीयों के लिए अत्यंत कठिन कार्य था।

महात्मा गांधी का आजादी में योगदान Contribution of Mahatma Gandhi in freedom in Hindi

बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद गांधीजी के एक भारतीय मित्र ने उन्हें कानूनी सलाह देने के लिए दक्षिण अफ्रीका बुलाया। दक्षिण अफ्रीका जाने के बाद गांधी जी को भारतीयों और काले लोगों पर हो रहे अत्याचारों को देखकर अत्यंत दुख हुआ।

गांधी जी ने एक बार स्वयं भी इस भेदभाव को महसूस किया था जब ट्रेन में उनकी बहस एक गोरे से हो गई थी। गांधी जी के पास प्रथम श्रेणी का टिकट था किंतु एक गोरे ने उनके प्रथम श्रेणी में बैठने पर आपत्ति जताई तथा जब गांधी जी ने इसका विरोध किया तो उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया।

इस घटना के अलावा उनके साथ कई अन्य भेदभाव हुए। अफ्रीका में कई होटलों में भारतीय और काले लोगों का आना वर्जित कर दिया गया था।

अफ्रीका में गांधी को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जिससे उन्होंने काले लोगों और दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों को न्याय दिलाने का दृढ़ निश्चय कर लिया।

गांधी जी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में आंदोलन चलाया गया जिसके बाद उनकी लोकप्रियता और पहचान पूरे विश्व में  बढ़ने लगी।

1914 में गांधीजी वापस अपने वतन भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद उन्होंने जनसंपर्क शुरू किया  ससे भारतवासियों पर गांधी जी के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।

गांधीजी का पहला आंदोलन 1918 में चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह से शुरू हुआ। आगे चलकर गांधी जी ने कई बड़े आंदोलन किए जिससे ब्रिटिश सरकार बहुत चिंता में पड़ गई। 

उनकी विचारधारा से प्रभावित होकर आंदोलनकारियों द्वारा अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट  के विरोध में एक सभा आयोजित की गई थी।

अंग्रेज ऑफिसर जनरल डायर को जब इस बात का पता चला तो उसने बिना कुछ सोचे समझे 13 अप्रैल 1919 के दिन जलियांवाला बाग में आकर सभी लोगों को गोलियों से भून दिया जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। 

जलियांवाला बाग हत्याकांड से गांधीजी को बहुत बड़ा सदमा लगा। इस दुखद घटना के बाद गांधी जी ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन छेड़ दिया था।

इस आंदोलन के बाद गांधी जी भारत वासियों के बीच और भी लोकप्रिय बन गए थे। लेकिन 4 फरवरी 1922 में  चौरी चौरा कांड के कारण उन्हें आंदोलन वापस लेना पड़ा जिसका कई लोगों ने विरोध किया था।

1930 में गांधीजी तथा उनके साथियों द्वारा नमक पर लगाए गए अन्यायपूर्ण कानून को खत्म करने के लिए अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी मार्च किया गया।

1942 में उन्होंने अंग्रेजों  के खिलाफ ‘भारत छोड़ो’ का नारा प्रस्तुत किया तथा भारतीयों के लिए ‘करो या मरो’ का नारा दिया।

परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को वापस लौटना पड़ा और 15 अगस्त 1947 के दिन भारत पूर्ण रूप से एक स्वतंत्र देश बन गया।

महात्मा गांधी का निजी जीवन Personal Life of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी के संग बाल्यावस्था में ही हो गया था। हरिलाल मोहनदास गांधी, मणिलाल मोहनदास गांधी, रामदास गांधी तथा देवदास गांधी इनके पुत्र थे।

अपने जीवन में एक महान राजनीतिज्ञ के साथ गाँधी कुशल बैरिस्टर, दार्शनिक, पत्रकार तथा एक अच्छे लेखक भी थे।

विदेशों में रहने के बावजूद भी गांधीजी अपनी मातृभूमि और संस्कृति को कभी नहीं भूले तथा हमेशा सत्य और अहिंसा का ही साथ दिया।

गांधीजी एक अच्छे बैरिस्टर थे उनके पास धन की कोई कमी नहीं थी किंतु भारत वासियों की दयनीय स्थिति को देखकर उन्होंने कपड़ों का त्याग कर खादी से बने सामान्य धोती धारण कर ली। उनकी सादगी ने भारतवासियों को पश्चिमी जीवनशैली को त्यागने पर मजबूर कर दिया था।

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम महात्मा से संबोधित करने वाले व्यक्ति सुभाष चंद्र बोस थे। हालांकि सुभाष चंद्र  बोस तथा गांधीजी के बीच काफी मतभेद थे किंतु बॉस हमेशा से गांधी जी को एक मार्गदर्शक के रुप में मानते थे।

गांधीजी हमेशा अहिंसा का मार्ग अपनाते थे और वह हिंसा के हमेशा विरुद्ध खड़े रहते थे हम भले ही वह स्वतंत्रता के लिए ही क्यों न की जाए। 

भगत सिंह , सुखदेव, राजगुरु और उधम सिंह की फांसी के कारण गरम दल के क्रांतिकारियों ने गांधी जी का प्रतिरोध भी किया गया था।

भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के लिए आज भी कई लोग गांधी जी को ही दोषी ठहराते हैं और उनकी निंदा करते हैं किंतु सत्य तो यह है कि गांधी जी ने पाकिस्तान बनने का पूर्ण विरोध किया था।

महात्मा गाँधी पर 10 लाइन Best 10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi

  • महात्मा गाँधी को पूरी दुनियां में ख्याति प्राप्त है।
  • मोहनदास गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • इनका विवाह कस्तूरबा बाई  के साथ 14 वर्ष की उम्र में हुआ था।
  • इंग्लैंड जाकर गाँधी ने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी।
  • गांधीजी हमेशा सत्य और अहिंसा का पालन करते थे।
  • सुभाष चंद्र बोस ने सर्वप्रथम मोहनदास गांधी को महात्मा कह कर संबोधित किया था।
  • गोपाल कृष्ण गोखले को गांधीजी अपना गुरु मानते थे। 
  • आजादी में गांधीजी के योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपिता का पद दिया गया।
  • पहली बार इन्होंने ही अंग्रेजो के खिलाफ भारत छोड़ो का नारा दिया था।
  •  23 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।

महात्मा गाँधी की मृत्यु Gandhi ji Death in Hindi

30 जनवरी 1948 को गांधी जी जब नई दिल्ली के बिड़ला भवन में चहलकदमी कर रहे थे उसी समय नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।

यह दिन पूरे भारत के लिए एक काला दिन साबित हुआ था। गांधी जी की मृत्यु की सूचना जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से भारत वासियों को दिया था।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) पढ़ा।आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा हो। यदि यह निबंध आपको अच्छा लगा हो तो लाइक और शेयर जरूर करें। 

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  19. [Update] 3 Hindi Essays on "Rashtrapita Mahatma Gandhi" "राष्ट्रपिता

    [Update] 3 Hindi Essays on "Rashtrapita Mahatma Gandhi" "राष्ट्रपिता महात्मा गांधी" Complete Hindi Essays for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

  20. Rashtrapita Mahatma Gandhi "राष्ट्रपिता महात्मा-गाँधी" Hindi Essay 600

    Hindi Essays Rashtrapita Mahatma Gandhi "राष्ट्रपिता महात्मा-गाँधी" Hindi Essay 600 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

  21. निबन्ध:मेरा प्रिय नेता- महात्मा गांधी

    निबन्ध:मेरा प्रिय नेता- महात्मा गांधी | essay on Mahatma Gandhi in Hindi | मेरे प्रिय नेता मेरे प्रिय नेता महात्मा गांधी जी हैं। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द्र ...

  22. महात्मा गांधी पर निबंध Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

    इस लेख में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) बड़े ही सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। अक्सर छोटी-बड़ी परीक्षाओं में महात्मा गांधी की जीवनी पर ...

  23. 10 most historic slogans that changed the course of Indian history

    Mahatma Gandhi's "Do or Die" slogan, from his 1942 Quit India Movement speech, urged Indians to commit fully to the struggle for independence from British rule.

  24. Independence Day Cards & Wishes 2024: Best greeting card images to

    Important leaders like Mahatma Gandhi, ... Schools and colleges organize events like plays, essays, and art competitions to engage students in the spirit of independence. ... Upcoming Hindi Movies.

  25. Happy Independence Day 2024: Top 50 Wishes, Messages and Quotes to

    Independence Day Essay. Milk Alternatives. ... It is the breath of life. What would a man not pay for living?" - Mahatma Gandhi. ... Upcoming Hindi Movies.