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वालीबॉल खेल के नियम | Volleyball Game Rules in Hindi

वालीबॉल खेल के नियम | Volleyball Game Rules in Hindi

वालीबॉल खेल के नियम (Volleyball Game Rules)

वालीबॉल खेल के नियम- वॉलीबाल (volleyball) डब्ल्यू० डी० मोर्गन द्वारा वॉलीबाल खेल का प्रारम्भ सन् 1895 ई० में अमेरिका में किया गया था। तदुपरान्त खेल में अनेक परिवर्तन हुए और आज यह खेल अन्तर्राष्ट्रीय खेल है। इसे सर्वप्रथम ओलम्पिक खेलों में 1964 ई० में सम्मिलित किया गया। यह प्रत्येक मौसम में आसानी से खेला जा सकता है। यह दो दलों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक दल में सदस्यों की संख्या 6 होती है। यह खेल 15 अंक बनाने तक खेला जाता है। यदि दोनों टीमों के 14-14 अंक बन जाते हैं तो जो टीम लगातार दो अंक बनाती है वही विजयी घोषित की जाती है। इस खेल में रोटेशन पद्धति को अपनाया जाता है। मैदान की लम्बाई 18 मीटर तथा चौड़ाई 9 मीटर होती है। लम्बाई में 9 मीटर की दूरी पर अर्थात् लम्बी रेखा के मध्य नेट बाँधा जाता है। नेट की ऊँचाई फर्श या जमीन से 8 फीट होती है। बॉल की परिधि 65 से 67 सेमी होती है तथा बॉल का वजन 260 से 280 ग्राम तक होता है। वॉलीबाल मैदान का चित्र निम्नांकित है-

वॉलीबाल का मैदान

वॉलीबाल का मैदान

महत्त्वपूर्ण शब्द

सर्विस, ब्लॉक, स्टेशन, स्मैश, स्पिकर, अण्डर हैण्ड, टेनिस सर्विस, अटैक एरिया आदि वॉलीबाल खेल में महत्त्वपूर्ण शब्द प्रयोग होते हैं।

वालीबॉल खेल के नियम

(1) टॉस जीतने के बाद टॉस जीतने वाली टीम सर्विस या कोर्ट का चयन करता है। सर्विस करने वाली टीम अपनी पीछे वाली लाइन के दाहिने खिलाड़ी से सर्विस कराकर खेल शुरू करती है । सर्विस करने वाला खिलाड़ी खुले या मुट्ठी बँधे हाथ से गेंद को इस प्रकार मारता है कि वह जाल के ऊपर से होती हुई विपक्षी दल के अर्द्धक में पहुँच जाए। गेंद को उछालकर मारना ठीक है, हाथ में पकड़कर मारना निषिद्ध है। सर्विस की गेंद जाल को छुए बिना दूसरी ओर सीमा रेखाओं के बीच पहुँचती है, तो सर्विस ठीक मानी जाती है। यह सर्विस उस समय तक जारी रहेगी जब तक उसके पक्ष का कोई खिलाड़ी त्रुटि नहीं करता।

(2) गेंद के जाल को स्पर्श करने, जाल के नीचे से निकलने, फीते को छूने तथा अर्द्धक से परे जा गिरने पर त्रुटि मानी जायेगी तथा सर्विस बदलने के लिए सीटी बजायी जायेगी। इस प्रकार सर्विस बदल जायेगी।

(3) यदि सर्वर गेंद को हवा में उछाले तथा उस पर प्रहार न कर पाये तथा गेंद गिरती हुई सर्वर शरीर के किसी अंग को छू जाए तो यह सर्विस में त्रुटि मानी जायेगी और गेंद विपक्षी दल को दे दी जायेगी।

(4) खिलाड़ी क्षेत्र के बाहर से सर्विस करें, गेंद को फेंकें, दोनों हाथों से सर्विस करें, गलत खिलाड़ी सर्विस करे तथा प्रहार के बाद गेंद को छोड़े तो सर्विस में त्रुटि मानी जायेगी और गेंद विपक्षी दल को दे दी जायेगी।

(5) खेल के समय नेट को छूना भी निषिद्ध है।

(6) बॉल को एक तरफ केवल तीन बार खेला जायेगा। चौथे खिलाड़ी के छूने पर फाउल हो जायेगा। कोई भी खिलाड़ी बॉल को दो बार नहीं खेलेगा।

(7) खिलाड़ी द्वारा सेण्टर लाइन को पार करना फाउल कहलाता है।

(8) सर्विस करते समय खिलाड़ी गेंद को उछालकर नहीं मारे , अथवा सर्विस करते समय आखिरी लाइन को पार कर जाए तो वह सर्विस फाउल कहलाता है।

(9) सर्विस करने वाली टीम के सभी खिलाड़ी स्टेशन पर घूमते रहेंगे ।

(10) सर्विस करने के बाद गेंद नेट पार विपक्षी के कोर्ट के अन्दर गिरे अथवा विपक्षी टीम उसे ढंग से न खेल पाये तो सर्विस करने वाली टीम को एक अंक मिलेगा। यदि सर्विस करने पर गेंद नेट पार न कर सके अथवा कोर्ट के बाहर जा गिरे अथवा विपक्षी द्वारा खेली गई गेंद सर्विस करने वाले दल की ओर ही आकर गिर जाए तो सर्विस बदलकर दूसरी टीम को दे दी जायेगी, और वह टीम उक्त प्रकार ही सर्विस करेगी। इस प्रकार खेल उस समय तक चलता रहेगा जब तक कि कोई भी एक टीम 15 अंक नहीं बना लेती ।

(11) जब एक दल अंक बनाकर 2 अंकों से दूसरे दल से आगे रहता है तो वह विजयी घोषित कर दिया जायेगा। जब फलांक 14-14 हो तो निम्नलिखित फलांक तक खेल जारी रहेगा-

16-14,. 17-15, 18-16 तथा 19-17 आदि। अधिक फलांक वाला दल विजयी घोषित होगा। वॉलीबाल सम्बन्धित टूर्नामेंट निम्नलिखित प्रकार के हैं-

(1) नेशनल वॉलीबाल चैम्पियनशिप

(2) जे० आर० नेशनल चैम्पियनशिप

(3) फैडरेशन कप

(4) वर्ल्डकप

(5) एशियन कप।

प्रमुख खिलाड़ी

भारत – जे० एस० बावा, बलवन्त सिंह, शियोराज सिंह, जगदीश सिंह, टी० गोपालन, कुलदीप चोपड़ा, सत्यप्रकाश, महेन्द्र सिंह, दलेल सिंह, सुखपाल सिंह, अमीर सिंह, पी० वी० रमन आदि ।

रूस – अलैक्जेण्डर, पिननोव आदि

Important Link…

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Anjali Yadav

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  • वालीबॉल खेल के नियम (Volley Ball)- इतिहास, खेल का मैदान, खेल के महत्वपूर्ण तथ्य तथा प्रतियोगिताएं

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इस पोस्ट की PDF को नीचे दिये लिंक्स से download किया जा सकता है। 

Table of Contents

 इस खेल का जन्मदाता विलियम मोरगन था, जिसने सन् 1894 में अमरीका में इस खेल का प्रचलन किया था। प्रारम्भ में इस खेल को ‘मिण्टो बेण्ट’ के नाम से जाना जाता था। सन् 1896 में वालीबाल के नियम बने और सन् 1900 में ‘यंगमैन एसोसियेशन’ ने इन नियमों में संशोधन किए सन् 1917 में पहला बालोबॉल क्लब खुला और सन् 1922 में वालीबॉल खेल की पहली प्रतियोगिता सम्पन्न हुई सन् 1940 में ‘अमेरिकन वालीबॉल संघ’ की स्थापना हुई। सन् 1948 में ‘अन्तर्राष्ट्रीय वालीबॉल संघ’ की स्थापना हुई। सन् 1952 से इस खेल की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ होने लगीं। सन् 1964 में वालीबॉल खेल ओलम्पिक खेलों का अग बन गया।

भारत में सर्वप्रथम सन् 1951 में लुधियाना (पंजाब) में ‘भारतीय वालीबॉल संघ’ की स्थापना हुई । सन् 1952 से देश में वालीबॉल की राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ प्रारम्भ हो गई| सन् 1953 से महिलाएँ भी वालीबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने लगीं।

वालीबॉल का मैदान

  वालीबॉल के मैदान की माप 18 मीटर x 9 मीटर होती है। मैदान को एक मध्य रेखा द्वारा दो पालों में विभाजित कर देते हैं। मैदान की सीमा-रेखाएँ 5 सेमी चौड़ी रखी जाती हैं। प्रत्येक पाले में, मध्य रेखा से तीन मीटर दूर एक समान्तर रेखा खिंची होती है, जिसे ‘आक्रमण रेखा’ कहते हैं। प्रत्येक पाले में सर्विस का क्षेत्रफल पिछली लाइन के दाहिने कोने से 20 सेमी पीछे तथा लम्बा बनाते हुए 15 सेमी की दो रेखाओं से चिह्नित किया जाता है। मध्य भाग में पड़ा हुआ जाल पुरुषों के लिए 9-50 मीटर लम्बा, 1 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर ऊँचा होता है। महिलाओं के लिए जाल की लम्बाई 9-5 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर और ऊँचाई 2:24 मीटर होती है।

वालीबॉल खेल के महत्त्वपूर्ण तथ्य

 इस खेल के महत्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं-

(1) वालीबॉल में प्रयुक्त गेंद की परिधि 65 सेमी होती है और इसका भार 270 प्राम होता है।

(2) इस खेल में दो टीमें खेलती हैं और प्रत्येक टीम में 6 खिलाड़ी होते हैं।

(3) इस खेल का मैच तीन अथवा पाँच सेटों का होता है। हर सेट के बाद दूसरी टीम को क्रम से सर्विस करने का अवसर मिलता है।

(4) किसी टीम का स्कोर अपनी ही सर्विस पर अंक बनाने पर बढ़ता है। जो टीम 15 अंक पहले बना लेती है, वही विजयी घोषित की जाती है।

(5) इस खेल की शब्दावली में स्मैश, डबल फाल्ट, एरियल, डब हिट, फोरआर्म पास, ब्लॉकिंग, वॉलीपास, वॉली, पावर सर्व, हुक सर्व, टेनिस सर्व, लाइन्समैन, डिंग पास स्विच, ओवरलेपिंग, बूस्टर, लव, डिंग, नेट फाल्ट, नेट बाल, डबल हिट, फ्लोटर, सर्विस आदि शब्द महत्त्वपूर्ण हैं।

(6) इस खेल में सर्विस ठीक न देना, मध्य रेखा छूना, जाल छूना, बाधा डालना, डबलिंग, होल्डिग आदि ‘फाउल’ माने जाते हैं।

का संचालन अम्पायर अथवा रेफरी, निर्णायक, रेखा निरीक्षक और स्कोरर, चार अधिकारी

(7) इस खेल का संचालन अंपायर तथा रेफरी, निर्णायक, रेखा निरीक्षक और स्कोरर, चार अधिकारी करते हैं।

खेल के नियम

  इस खेल के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-

(1) यह खेल ‘सर्विस’ देने के साथ ही आरम्भ होता है। अंक बनाने पर वही टीम सर्विस करती है। विपक्षी टीम की ‘सर्विस’ तोड्ने पर पहली टीम को सर्विस का अवसर मिलता है ।

(2) फाउल खेल एवं सर्विस बदलने का अन्तिम निर्णय अम्पायर देता है।

(3) एक मैच में 6 खिलाड़ी तक बदले जा सकते हैं।

(4) प्रत्येक बॉल को अधिक-से-अधिक तीन खिलाड़ी छूकर जाल के ऊपर से विपक्षी टीम के पाले में भेज सकते हैं।

(5) यदि जाल पर दो विरोधी एक साथ बॉल छूते हैं तो उस स्थिति में जिस पाले में बॉल गिरेगी उसकी विरोधी टीम को अंक मिलेगा।

प्रमुख प्रतियोगिताएँ

  • शिवाजी गोल्ड कप
  • इन्दिरा एस० प्रधान ट्रॉफी
  • ग्राण्ड चैम्पियन्स कप
  • इण्डिया स्वर्ण कप
  • पूर्णिमा ट्रॉफी।

प्रमुख खिलाड़ी

भारत – जे० एस० बावा, बलवन्त सिंह, शियोराज सिंह, जगदीश सिंह, टी० गोपालन, कुलदीप चोपड़ा, सत्यप्रकाश, महेन्द्र सिंह, दलेल सिंह, सुखपाल सिंह, अमीर सिंह, पी० वी० रमन आदि ।

रूस – अलैक्जेण्डर, पिननोव आदि।

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    महत्वपूर्ण लिंक

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टेबल टेनिस के नियम (Table Tennis)- रैकेट, गेंद, टेबल, सर्विस, प्वाइंट तथा मैच इत्यादि

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वॉलीबॉल के नियम, इतिहास ,[Volleyball Rules, History in Hindi]

Quick Links

वॉलीबॉल के मुख्य पहलू

कोर्ट: मानक वॉलीबॉल कोर्ट एक आयताकार क्षेत्र है जिसकी लंबाई 18 मीटर और चौड़ाई 9 मीटर है। इसे एक जाल द्वारा दो हिस्सों में विभाजित किया गया है, जो पुरुषों की प्रतियोगिताओं के लिए 2.43 मीटर और महिलाओं की प्रतियोगिताओं के लिए 2.24 मीटर की ऊंचाई पर है।

 लम्बाई  18 x चौड़ाई 9 मीटर
 5 सेमी.
 9 मीटर
 3 मीटर, दोनों मध्य रेखा से
  50 सेमी. मध्य रेखा के बराबर,(अन्तर्राष्ट्रीय नियम 1 मीटर) साइड लाइन के बाहर
   10 मी. लम्बा 1 मी. चौड़ा अन्तर्राष्ट्रीय नियम
 10 से.मी. वर्गाकार






   2 मीटर 43 से.मी. नेट के मध्य से पुरुष
 2 मीटर 24 से.मी. महिला
   65 से 67 से.मी.
260 ग्राम से 280 ग्राम

स्कोरिंग: रैली जीतने पर टीम को अंक दिए जाते हैं (टीमों के बीच गेंद का आदान-प्रदान)। आधुनिक वॉलीबॉल में आमतौर पर रैली स्कोरिंग का उपयोग किया जाता है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक खेल पर अंक बनाए जाते हैं, भले ही कोई भी टीम गेंद परोसती हो।

गेमप्ले: प्रत्येक टीम के पास गेंद को नेट के प्रतिद्वंद्वी के पक्ष में लौटाने के लिए तीन हिट (संपर्क) हैं। संपर्कों का मानक अनुक्रम आमतौर पर एक “बम्प” या “फोरआर्म पास” होता है जिसके बाद एक “सेट” होता है और फिर गेंद को प्रतिद्वंद्वी के पाले में मारने के लिए एक “हमला” या “स्पाइक” होता है। वॉलीबॉल के नियम, इतिहास

रोटेशन: रैली जीतने और सर्विस करने का अधिकार हासिल करने के बाद खिलाड़ियों को स्थिति को दक्षिणावर्त घुमाना होगा। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी खिलाड़ियों को कोर्ट पर विभिन्न पदों पर खेलने का मौका मिले।

लिबरो: एक नामित रक्षात्मक खिलाड़ी जिसे “लिबरो” के नाम से जाना जाता है, एक अलग रंग की जर्सी पहनता है और उसके पास विशेष रक्षात्मक कौशल होता है। उन्हें प्रतिस्थापन के रूप में गिनती किए बिना किसी भी पिछली पंक्ति के खिलाड़ी को बदलने की अनुमति है।

सर्विस: खेल की शुरुआत सर्व से होती है, जहां एक खिलाड़ी अंतिम पंक्ति के पीछे खड़ा होता है और गेंद को नेट के माध्यम से विरोधी टीम को भेजता है। सर्व को नेट साफ़ करना होगा और प्रतिद्वंद्वी के पाले में उतरना होगा।

अवरुद्ध करना: नेट पर खिलाड़ी विरोधी टीम के आक्रमण को रोकने का प्रयास कर सकते हैं, गेंद को अपने पाले में जाने से रोकने का प्रयास कर सकते हैं।

जीतना: एक टीम निर्धारित संख्या में सेट जीतकर वॉलीबॉल मैच जीतती है। प्रत्येक सेट आम तौर पर 25 अंक तक जाता है (2 अंक से जीतना होगा)। किसी मैच को जीतने के लिए आवश्यक सेटों की संख्या प्रतिस्पर्धा के स्तर के आधार पर भिन्न हो सकती है।

वॉलीबॉल विभिन्न स्तरों पर खेला जाता है, जिसमें मनोरंजक, स्कूल, कॉलेजिएट, पेशेवर और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं शामिल हैं। इसमें टीम वर्क, संचार और त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है, जिससे यह एक रोमांचक और गतिशील खेल बन जाता है जिसका आनंद खिलाड़ी और दर्शक समान रूप से लेते हैं।

वॉलीबॉल की शुरुआत  – Volleyball in Hindi

वॉलीबॉल के नियम- वॉलीबॉल खेल का आविष्कार 1895 में अमेरिका के मैसाचुसेट्स के होलोके में वाईएमसीए (यंग मेन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन) के शारीरिक शिक्षा निदेशक विलियम जी. मॉर्गन द्वारा किया गया था। मॉर्गन बास्केटबॉल के लिए शारीरिक रूप से कम मांग वाले विकल्प की तलाश में थे, जिसका आविष्कार कुछ साल पहले ही किया गया था।

उन्होंने बास्केटबॉल, बेसबॉल, टेनिस और हैंडबॉल के तत्वों को मिलाकर एक नया खेल बनाया जिसे घर के अंदर खेला जा सकता था और इसके लिए कम दौड़ने और शारीरिक संपर्क की आवश्यकता होती थी। खेल को शुरू में “मिन्टोनेट” कहा जाता था, जिसका नाम बैडमिंटन के खेल के नाम पर रखा गया था, जिसकी मॉर्गन ने प्रशंसा की थी।

1900 में, पहली आधिकारिक वॉलीबॉल गेंद डिज़ाइन की गई और नियमों को औपचारिक रूप दिया गया। यूनाइटेड स्टेट्स वॉलीबॉल एसोसिएशन (USVBA) की स्थापना 1928 में हुई, जो देश में इस खेल के लिए शासी निकाय बन गया। संयुक्त राज्य अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल की लोकप्रियता बढ़ती रही।

20वीं सदी के दौरान, वॉलीबॉल के नियमों को और अधिक परिष्कृत किया गया और इस खेल को वैश्विक मंच पर पहचान मिली। 1947 में, वॉलीबॉल के लिए अंतर्राष्ट्रीय शासी निकाय के रूप में इंटरनेशनल वॉलीबॉल फेडरेशन (FIVB) की स्थापना की गई थी। FIVB ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए मानक नियम स्थापित किए और दुनिया भर में खेल के विकास को बढ़ावा दिया।

वॉलीबॉल ने 1964 में टोक्यो खेलों में ओलंपिक की शुरुआत की। तब से, यह ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक बन गया है, जिसने दुनिया भर के लाखों प्रशंसकों का ध्यान आकर्षित किया है।

इन वर्षों में, नियमों, खेल तकनीकों और रणनीतियों में बदलाव के साथ खेल विकसित हुआ है। इनडोर और बीच वॉलीबॉल (रेत पर खेला जाने वाला) दोनों व्यापक रूप से लोकप्रिय हो गए हैं, जो प्रतिभाशाली एथलीटों और उत्साही दर्शकों को आकर्षित कर रहे हैं।

आज, वॉलीबॉल विश्व स्तर पर लाखों लोगों द्वारा खेला और आनंद लिया जाता है, जिसमें आकस्मिक मनोरंजक खिलाड़ियों से लेकर खेल के उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले पेशेवर एथलीट तक शामिल हैं। यह एक रोमांचक और गतिशील टीम खेल बना हुआ है जो टीम वर्क, कौशल विकास और शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देता है।

खेल के नियम – Volleyball Rule in Hindi

  • प्रत्येक टीम में एक समय में कोर्ट पर छह खिलाड़ी होते हैं। सेटर, आउटसाइड हिटर, मिडिल ब्लॉकर, अपोजिट हिटर और लिबरो जैसे विशेष पद हैं। एक टीम में विकल्प के रूप में अतिरिक्त खिलाड़ी हो सकते हैं, लेकिन केवल विशिष्ट रोटेशन की अनुमति है।
  • रैली स्कोरिंग का उपयोग आमतौर पर वॉलीबॉल में किया जाता है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक खेल पर एक अंक दिया जाता है, भले ही किसी भी टीम ने सर्विस की हो। ज्यादातर मामलों में, एक सेट 25 अंकों तक खेला जाता है, और एक टीम को दो अंकों से जीतना होता है। जो टीम किसी मैच में अधिकांश सेट जीतती है वह समग्र गेम जीतती है।
  • सर्व का उपयोग खेल शुरू करने के लिए किया जाता है, और सर्वर को अंतिम पंक्ति के पीछे खड़ा होना चाहिए। सर्व को नेट साफ़ करना होगा और प्रतिद्वंद्वी के पाले में उतरना होगा। यदि सर्व के दौरान गेंद नेट को छूती है लेकिन फिर भी आगे निकल जाती है, तो इसे वैध सर्व माना जाता है।
  • रोटेशन: टीम के रैली जीतने और सर्विस करने का अधिकार मिलने के बाद खिलाड़ियों को क्लॉकवाइज तरीके से पोजीशन को रोटेट करना होगा। यह सुनिश्चित करता है कि सभी खिलाड़ियों को कोर्ट पर विभिन्न पदों पर खेलने का मौका मिले।
  • एक टीम को प्रतिद्वंद्वी के पक्ष में गेंद को नेट पर लौटाने के लिए अधिकतम तीन हिट (संपर्क) की अनुमति है। मानक अनुक्रम एक बम्प (फोरआर्म पास) है, उसके बाद एक सेट (ओवरहेड पास), और फिर गेंद को प्रतिद्वंद्वी के पाले में भेजने के लिए एक हमला (स्पाइक) होता है।
  • खिलाड़ियों को खेल के दौरान नेट को छूने की अनुमति नहीं है। अपवाद तब किया जाता है जब नेट की गति गेंद या हवा के कारण होती है।
  • यदि गेंद किसी सीमा रेखा पर गिरती है तो उसे “अंदर” माना जाता है, और यदि वह सीमा रेखा के बाहर गिरती है तो उसे “बाहर” माना जाता है। यदि कोई संदेह है, तो गेंद को “अंदर” माना जाता है।
  • सर्व के दौरान, सर्वर को गेंद से संपर्क होने तक अंतिम पंक्ति पर या उसके ऊपर कदम नहीं रखना चाहिए। लाइन पर या उसके पार जाने को फ़ुट फ़ॉल्ट कहा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप विरोधी टीम को एक अंक मिलता है।
  • लिबरो खेल में अनुमति प्राप्त एक विशेष रक्षात्मक खिलाड़ी है। उन्हें एक अलग रंग की जर्सी पहननी होगी और नियमित प्रतिस्थापन के रूप में गिनती किए बिना पिछली पंक्ति के खिलाड़ियों की जगह ले सकते हैं। हालाँकि, लिबरो सर्विस नहीं कर सकता, नेट की ऊंचाई से ऊपर गेंद पर हमला नहीं कर सकता, या आगे की पंक्ति में नहीं घूम सकता।
  • गेंद को एक तरफ से दूसरी तरफ जाते समय नेट पर लगे एंटेना (ऊर्ध्वाधर ध्रुवों) के बीच से गुजरना होगा। एंटेना को पार्श्व सीमा रेखाओं का विस्तार माना जाता है।

भारत के प्रसिद्ध खिलाडी – Volleyball in Hindi

  • सुखपाल सिंह
  • रविकांत रेड्डी

वॉलीबॉल से संबन्धित प्रमुख प्रतियोगिताएं 

  • शिवाजी गोल्ड कप
  • इन्दिरा एस. प्रधान ट्रॉफी
  • ग्रांड चैम्पियन कप
  • इंडिया स्वर्ण कप
  • पुर्णिमा ट्रॉफी

वॉलीबॉल का मैदान का चित्र

वॉलीबॉल के नियम, इतिहास

Q:- वॉलीबॉल में कितने नियम होते हैं?

Q:- वॉलीबॉल में दोष होते हैं, q:- वॉलीबॉल खेलने से क्या लाभ होता है.

  • ताइक्वांडो के नियम और इतिहास जाने कैसे खेला जाता है ताइक्वांडो (Taekwondo)

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वॉलीबॉल खेल का इतिहास, नियम एवं मैदान, संक्षिप्त परिचय | Volleyball Game Rules, History and Brief Information in Hindi

Posted by Ajay kumar | Apr 20, 2023 | ब्लॉग | 0 |

वॉलीबॉल  खेल का इतिहास, नियम एवं मैदान, संक्षिप्त परिचय | Volleyball Game Rules, History and Brief Information in Hindi

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वॉलीबॉल दुनिया का एक प्राचीन और एक मशहूर गेम है इस गेम को विशेष तौर पर अमेरिका में खेला जाता है और उसका जन्म अमेरिका में हुआ था ऐसे में वॉलीबॉल खेल का इतिहास नियम उसके अंतर्गत कितने खिलाड़ी खेलते हैं उन सब के बारे में अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपसे निवेदन करेंगे कि हमारा आर्टिकल पूरा पड़े क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको वॉलीबॉल खेल का इतिहास, नियम और अन्य जानकारी  के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाएंगे आइए जानते हैं-

Table of Contents

वॉलीबॉल खेल क्या है (Volley ball khel kya hai)

वॉलीबॉल एक टीम खेल है जिसमें छह खिलाड़ियों की दो टीमों को एक जाल से अलग किया जाता है। प्रत्येक टीम संगठित नियमों के तहत दूसरी टीम के पाले में गेंद डालकर अंक हासिल करने की कोशिश करती है।  वॉलीबॉल खेल वही खेल पाएगा जिसका शरीर तंदुरुस्त और फुर्तीला होगा क्योंकि इस खेल में आपको पलक झपकते दूसरी टीम के पाले में गेंद डालकर अपनी टीम को जिताने में अपनी अहम भूमिका निभाना है |

वॉलीबॉल खेल का इतिहास (volleyball game history)

बॉलीवुड का आविष्कार विलियम जी मॉर्गन को ही है। इसे शुरू में “मिंटोनेट” कहा जाता था, बाद में इसका नाम बदलकर वॉलीबॉल कर दिया गया कर दिया गया 1947 में बॉली बॉल एसोसिएशन की स्थापना की गई और प्रथम चैंपियनशिप 1949 में ओलंपिक में आयोजित किया गया था भारत में वॉलीबॉल की शुरुआत मथुरा से हुई थी लेकिन पहला मैच 1916 में लाहौर में चला गया इस मैच को जीतने के बाद  वॉलीबॉल चाहने वाले लोगों ने पंजाब के लुधियाना शहर में फेडरेशन ऑफ इंडिया वॉलीबॉल की स्थापना की थी हालांकि इस गेम को खेलने के लिए एक बहुत ही भारी और कीमती उपकरण की जरूरत पड़ती है ऐसे में हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जिनके पास इतने पैसे नहीं है कि इस प्रकार के उपकरण खरीद सके’ लेकिन आज भी छोटे-छोटे गांव और कस्बों में छोटे बच्चे वॉलीबॉल खेल खेलते हैं क्योंकि इस प्रकार के खेल से हमारा शारीरिक और मानसिक दोनों विकास होता है वॉलीबॉल आज के समय दुनिया में कई देशों में खेला जाता है और कई देशों का राष्ट्रीय खेल तो वॉलीबॉल है |

वॉलीबॉल खेल का मैदान (volleyball game playground)

वॉलीबॉल खेल का मैदान 18 मीटर x 9 मीटर होती है ।वॉलीबॉल खेल के मैदान को एक मध्य रेखा द्वारा दो पालो में विभाजित किया जाता है ।मैदान की सीमा रेखाओं 5 मीटर चौड़ी होती है और प्रत्येक पाले में मध्यम रेखा से 3 मीटर की दूरी पर एक समानता देखा की जाती है जिसे हम लोग आक्रमक रेखा के नाम से जानते हैं प्रत्येक पाले में सर्विस का क्षेत्रफल के बारे में बात करें  तो पिछली लाइन के दाहिने कोने की 20 सेंटीमीटर पीछे और लंबा बनाते हुए 15 सेंटीमीटर की दो रेखाओं से निशान बनाया जाता है। चलावा मैदान के मध्य भाग में जाल बनाया जाता है  पुरुषों के लिए 9।50 मीटर लंबा और 1 मीटर चौड़ा और इसकी ऊंचाई 2।43 मीटर तक होती है।  इसके विपरीत महिलाओं के लिए वॉलीबॉल जाल  लंबाई 9-50 मीटर इसके साथ ही चौड़ाई 1 मीटर और ऊंचाई 2।43 मीटर तक की होती है |

वॉलीबॉल खेल में कितने खिलाड़ी होते हैं (Volleyball Khel me kitne players)

वॉलीबॉल खेल में 2 टीम में सम्मिलित होती हैं और प्रत्येक टीम में 6 खिलाड़ी होते हैं यानी कुल मिलाकर 12 खिलाड़ी किस खेल में सम्मिलित होते हैं और जिस टीम के द्वारा सबसे अधिक अंक  प्राप्त करता है  उनको यहां पर विजेता घोषित किया जाता है |

वॉलीबॉल खेल की प्रमुख प्रतियोगिताएँ (volleyball game tournament)

  • शिवाजी गोल्ड कप
  • इन्दिरा एस. प्रधान ट्रॉफी
  • ग्रांड चैम्पियन कप
  • इंडिया स्वर्ण कप
  • पुर्णिमा ट्रॉफी

वॉलीबॉल खेल के नियम (volleyball game Rules)

  • वॉलीबॉल के मैच में दो टीमें हिस्सा लेती हैं और
  • एक टीम से केवल छह खिलाड़ी ही मैदान में उतरते हैं
  • दोनों टीमों के बीच एक नेट बंधा होता है।
  • टॉस के लिए सिक्का उछाल कर यह फैसला किया जाता है कि पहला सर्व किस टीम की तरफ से होगा।
  • खिलाड़ी को बेसलाइन के पीछे रहकर ही सर्व करना होता है और विरोधी टीम को इसके बाद केवल तीन पास में गेंद को वापस विरोधी की ओर भेजना होता है।
  • जो खिलाड़ी सामने से आई सर्व को पिच करता है, वह फोर आर्म्स से अपने साथियों के लिए गेंद बनाता है और इसे खेल की भाषा में ‘पास’ या ‘बंप सेट’ कहते हैं।
  • गेंद को छूने वाला दूसरा खिलाड़ी सेटर कहलाता है, जो गेंद को नेट के पास खड़े खिलाड़ी तक पहुंचाने की कोशिश करता है। गेम को छूने वाला आखिरी आखिरी खिलाड़ी ‘स्पाइक’ कहलाता है।
  • प्रत्येक पाली में 25 पॉइंट होता है जो टीम पहले 25 पॉइंट अर्जित करती है वह एक पाली भी जाती है |जिस कोर्ट की टीम तीन में से दो पाली जीत जाती है वह उस मैच को भी जीत जाती है और अगले चरण में पहुंच जाती है |
  • Final Match पांच पाली का होता है|फाइनल मैच में दोनों टीमों में से जो टीम पांच में से तीन मैच जीत जाती है, वह टीम दोनों टीमों में से जिस टीम ने सबसे पहले 25 अंक प्राप्त करता है वह टीम उस पाली को जीत जाती है |

Note: अगर दोनों टीमों के अंक यहां पर बराबर हो जाते हैं तो उसके बाद एक और भी यहां पर एक और पाली खेली जाएगी और उसमें जो कि सबसे अधिक अंक यहां पर अर्जित करें उसे विजेता घोषित कर दिया जाएगा |

अन्य महत्वपूर्ण के बारे मे पढ़े -:

  • कबड्डी खेल के बारे में संक्षिप्त जानकारी
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वॉलीबॉल खेलने के दूसरे अन्य नियम (Volleyball play Rules)

  • मैच खेलने के दौरान किसी भी खिलाड़ी को किसी अधिकारी या Refree के विरुद्ध कुछ बोलना हो तो वह अपने कप्तान के द्वारा ही बोले अन्यथा उन्हें निर्णायक के द्वारा बाहर कर दिया जाएगा|
  • कोई भी खिलाड़ी किसी भी अधिकारी अथवा सामने वाले खिलाड़ी को कटु शब्द या गेम कैसे खेलना है यह बता नहीं सकता है|
  • Volleyball का मैच सिर्फ Rotation मैं होता है इसलिए सभी खिलाड़ी को Rotate करते वक्त अपने सही स्थान पर आ जाना चाहिए |
  • कोई भी खिलाड़ी गेंद को अपने हाथ में कुछ क्षण नहीं रुक सकता है क्योंकि इसे होल्ड माना जाता है |
  • कोई भी खिलाड़ी एक समय में एक बार से ज्यादा गेंद को नहीं मार सकता है|
  • किसी भी टीम के खिलाड़ी को गेंद को तीन बार मैं जाल के उस पार करना जरूरी होता है|
  • एक ही टीम के दो खिलाड़ियों को एक साथ एक ही समय में गेंद को मारना फाउल माना जाता है इसे डबल फाउल कहा जाता है|
  • जब खिलाड़ी गेंद को मारने के लिए अथवा ब्लॉक करने के लिए जाल के पास उछलते हैं तो उनका कोई भी अंग जाल को नहीं छूना चाहिए|
  • Service करते समय गेंद को विरोधी टीम के बाहरी रेखा के अंदर ही कोर्ट में सर्विस करना होता है
  • एक ही पाली में 2 बार से अधिक टाइम आउट नहीं लिया जा सकता है, टाइम आउट का समय 30 सेकंड

वॉलीबॉल खेल कैसे खेलते है ? (Volley ball kaise khelte hai)

वॉलीबॉल खेल खेलने के लिए दो टीम होनी चाहिए और प्रत्येक टीम में 6 खिलाड़ी होना आवश्यक है। वॉलीबॉल का खेल को खेलने के लिए दो टीमों के बीच में एक जाल होती है और नेट की ऊंचाई लगभग 7 फीट होती है और लंबाई नेट की लगभग 11 5/8 इंच होती हैं।  जिसके ऊपर से गेम को पास करना है  वॉलीबॉल खेल की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि ball जिसके जाल के ऊपर से फेंका जाता है अगर ball बिना जाल को टच किए हैं  विरोधी टीम के जमीन पर गिर जाती है तो उस टीम को 1 अंक अर्जित कर जाता है ऐसे में जो टीम सबसे अधिक अपने विरोधी टीम के पाले में गेंद को फेक पाएगी उसे उतना अधिक यहां पर नंबर मिक खिलाड़ी एक अवस्था मे गेंद को सिर्फ एक बार ही मार सकता है इसके अलावा टीम को गेंद को तीन बार में मारकर नेट पार करना होता है।इसी प्रकार से टीम को 15 पॉइंट बनाने होते हैं और टीम सबसे पहले 15 पॉइंट बनाती हैं उसी टीम की जीत मानी जाती है

वॉलीबॉल खेल से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर (Volleyball Khel FAQ)

Q. वॉलीबॉल का वजन कितना होता है? Ans. वॉलीबॉल गेंद का वज़न लगभग 260-290 ग्राम का होता है।

Q. वॉलीबॉल में खिलाड़ियों की संख्या Ans. वॉलीबॉल में खिलाड़ियों की संख्या 6 होती है।

Q. वॉलीबॉल टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं? Ans. वॉलीबॉल के हरेक टीम में 6 खिलाड़ी होते है।

Q. वॉलीबॉल के प्रसिद्ध खिलाड़ी कौन है? Ans. वॉलीबॉल के प्रसिद्ध खिलाड़ी Jimmy George है।

Q. वॉलीबॉल नेट प्राइस (volleyball nets price in Flipkart) Ans. Flipkart पर वॉलीबॉल नेट प्राइस 199 से लेकर 700 रुपये है।

About The Author

Ajay kumar

नमस्कार दोस्तों मैं अजय कुमार आप लोगों के लिए KhelBazzar में खेल से जुड़ी नई-नई पोस्ट लिखता हूं और मैं लगातार 5 वर्ष से ब्लॉग के क्षेत्र में काम कर रहा हूं। और खेल से सभी इसमें खेल से रिलेटेड खिलाड़ियों को बायोग्राफी टीम के बारे में तथा होने वाले टूर्नामेंट तथा रिकॉर्ड के बारे में नई-नई चीजों को अपडेट करते रहते हैं।

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वालीबॉल खेल (Volley Ball) का इतिहास, नियम, मैदान का माप, प्रमुख प्रतियोगिताएँ, प्रमुख खिलाड़ी

वालीबॉल खेल (Volley Ball) का इतिहास

अनुक्रम (Contents)

वालीबॉल का इतिहास :

वालीबॉल खेल विभिन्न रूपों में प्राचीन समय से खेला जाता रहा है। यह खेल शुरू में अमेरिकन व्यापारियों का मनोरंजन का साधन हुआ करता था। यह खेल दो टीमों के मध्य खेला गया। उस समय खेल के मैदान का माप 25 x 50 फीट रखा गया। नैट की ऊँचाई 6 फीट 6 इंच, लम्बाई 27 फीट व चौड़ाई 2 फीट रखी गई। दोनों तरफ खिलाड़ियों की संख्या 9-9 रखी गई व खेल 21 अंको का खेला गया। इस खेल के प्रदर्शन को देखकर डॉ. अलयर्ड टी. हेलस्टिड ने इस खेल को वालीबॉल नाम दिया। वालीबॉल में वॉली का तात्पर्य किसी वस्तु को निरन्तर हवा में उछालते रहना है। धीरे-धीरे यह खेल अमेरिका में बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो गया । 1947 में 20 अप्रेल को अन्तर्राष्ट्रीय वालीबॉल संघ की स्थापना हुई, जिसमें फ्रांस के श्री पाल लिबॉड पहले अध्यक्ष चुने गये। इसका मुख्यालय फ्रांस के पेरिस शहर में रखा गया। 1949 में प्राग (चैकोस्लोवाकिया) में प्रथम पुरूष विश्व चैम्पियनशिप हुई। 1958 में टोकियों एशियाई खेलों में पुरूष वालीबॉल को भी शामिल किया गया। 1964 में टोकियों ओलम्पिक में महिला वालीबॉल को शामिल किया गया। इस तरह यह खेल धीरे- धीरे पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त करने लगा। तब से लेकर अब तक वालीबॉल संघ हर वर्ष मिनी, सब जूनियर, जूनियर व सीनियर प्रतियोगिताएँ आयोजित करवाता है।

वालीबॉल मैदान का माप

पीछे की रेखा से स्वतंत्र क्षेत्र 3,8,9 मीटर



टीम के खिलाड़ियों की संख्या, ड्रैस व निर्णायक :

एक टीम में आंधेकत्तम 12 खिलाड़ी हो सकते हैं, जिनमें से 6 खिलाड़ी मैदान के अन्दर खेलते हैं और 6 बाहर बैठते हैं। टीम की ड्रेस में जर्सी, नेकर, जुराब व जूते हैं, जो सभी खिलाड़ियों के लिए एक जैसे होते हैं। लिबरों खिलाड़ी की ड्रैस बाकी खिलाड़ियों से अलग होती है। जर्सी पर आगे व पीछे दोनों तरफ चैरट नम्बर लिखे होते हैं। निर्णायकों में एक प्रथम रेफरी, एक द्वितीय रेफरी, एक या दो स्कोरर व 2 से 4 तक लाइनमैन होते हैं।

मैच शुरू होने से पूर्व प्रथम रैफरी पहले बॉल सर्व करने के लिए दोनों टीमों के कप्तानों की उपस्थिति में टॉस कराता है। टॉस में ही मैदान के बारे में निर्णय किया जाता है, कि किस मैदान में कौनसी टीम खेलेगी। दो-दो सैट बराबर रहने पर, पाँचवें सेट के लिए नये सिरे से टॉस करवाया जाता है। टॉस विजेता पहले सर्विस या नैदान दोनों में से एक का चयन करता है तथा हारा हुआ अन्य विकल्प का ही वरण करता है।

प्रतिस्थापन खिलाड़ी :

प्रत्येक सेट में एक टीम के छः खिलाड़ियों को एक ही समय या अलग-अलग समय में बदला जा सकता है। स्थानापन्न खिलाड़ी का नम्बर स्कोरर को लिखवा दिया जाता है। जिस खिलाड़ी का प्रतिस्थापन हुआ है, वह अपने ही स्थान पर वापस उसी खिलाड़ी से प्रतिस्थापित होगा, लेकिन वह किसी दूसरे खिलाड़ी से प्रतिस्थापन नहीं कर सकता। एक घायल खिलाड़ी अपना खेल जारी नहीं रख सकता, वह कानूनी रूप से प्रतिस्थापित हो सकता है। यदि कोई खिलाड़ी निलम्बित होता है तो उसकी जगह कानूनी प्रतिस्थागन हो सकता है। यदि सम्भव ना हो तो टीम अपूर्ण घोषित होगी।

लिबरो खिलाड़ी की विशेषताएँ

लिबरो खिलाड़ी रकोरशीट में पहले से ही अंकित होता है। वह अलग रंग की पोशाक पहने होगा। यह बारह खिलाड़ियों में एक रक्षात्मक खिलाड़ी होता है, जिसे उसके साथी खिलाड़ी उसको लिबरो कहते हैं। यदि कोई लिबरो खिलाड़ी फिंगर पास आगे वाले क्षेत्र में बनाता है तो उसके साथी खिलाड़ उसको अटैक नहीं कर सकते हैं। उसका मुख्य कार्य डिफेन्स करना है। अण्डर हैण्ड पास आगे वाले क्षेत्र में बना सकता है यदि लिबरों खिलाड़ी घायल हो जाता है, तो उसकी जगह किसी भी खिलाड़ी को, जो मैदान में नहीं खेल रह हो, लिबरों बना सकते हैं। लेकिन पहले वाला लिबरो खिलाड़ी टीक होने के बाद वापस लिबरो के स्थान पर नहीं खेल सकता है। लिबरो खिलाड़ी टीम का कप्तान नहीं बन सकता है। लिवरो खिलाड़ी पीछे वाले क्षेत्र के खिलाड़ियों की जगह ही स्थानान्तरित होगा। यह खिलाड़ी पीछे वाले क्षेत्र में खेलता है। इस खिलाड़ी को आक्रमण करना वर्जित होता है। यह सर्विस और ब्लॉक भी नहीं कर सकता है। इसके स्थानापन्न को कोई सीमा नहीं होती है। लेकिन सर्विस की सीटी बजने से पहले ही साथी खिलाड़ी से बदली कर सकता है।

वालीबॉल के कौशल :

वालीबॉल खेल के मूलभूत कौशल चार प्रकार के होते हैं – सर्विस, पासिंग, स्मैश व ब्लॉक ।

सर्वेस वह क्रिया है जिससे गेंद खेल में आती है। जब तक सर्विस करने वाली टीम से किसी प्रकार की गलती नहीं होती तब तक वहीं खिलाड़ी सर्दिस करता है। तथा टीम को अंक प्राप्त होते रहते हैं। जब सर्विस करने वाली टीम के द्वारा किसी प्रकार की गलती होती है, तो अंक व सर्विस दोनों ही विरोधी टीम को चले जाते हैं। रैफरी को सीटी बजने के 8 सैकण्ड के अन्दर खिलाड़ी द्वारा सर्विस करनी होती है। अगर खिलाड़ी नहीं कर कर पाता है, तो सर्विस व अंक विरोधी टीम को दे दिया जाता है। सर्विस करने से पहले सर्वेस करने वाला खिलाड़ी मैदान के अन्दर नहीं आ सकता। सर्विस हम कई प्रकार से कर सकते हैं, जैसे अण्डर हैंड, ओवर हैंड, फ्लोटिंग, राइड आर्ग, हाई रिपन, टेनिस आदि। मुख्यतः दो सनिस प्रयोग में लेते हैं।

(1) अण्डर हैंड :

इस सर्विस में जिस हाथ से गेंद को मारते हैं, उसके विपरीत हाथ के ऊपर गेंद रखकर थोड़ी सी उछालकर हाथ की आधी मुट्ठी बन्द करके पीछे से आगे की ओर लाते हुए गेंद को मारते हैं, जिरारो गेंद नैट के ऊपर से दूसरी टीम के मैदान में पहुँचे।

(2) टेनिस सर्विस

इस सर्विस को ओवर हैंड सर्विस भी कहते हैं। इस सर्विस में गेंद को अपने सिर के ऊपर तथा गेंद को मारने वाले हाथ के सामने करीब 1 से 1.5 मीटर ऊँचाई तक उछालते हैं। मारने वाले हाथ की हथेली वाले हिस्से से, हाथ को पीछे से आगे की ओर लाते हुए ऊपर से नीचे आती हुई गेंद को अधिकतम ऊंचाई पर अधिक ताकत के साथ मारते हैं, जिससे गेंद हवा में नेट के ऊपर से विपक्षी मैदान में पहुंच जाये। प्रहार (पास) विपक्षी मैदान से आई गेंद को वापस विपक्षी मैदान में लौटाने के लिए निम्न तकनीक अपनाई जाती है, जिसके लिए साधारणतया आण्डर हैण्ड पास, अपर हैण्ड फिंगर पास या स्मैश आदि कौशलों का प्रयोग करते हैं। पास दो प्रकार के होते हैं। अण्डर हैण्ड पास अण्डर हैण्ड पास खेलते समय खिलाड़ी के दोनों हाथ एक साथ जुड़े होते हैं. दोनों पैर कंधे की चौड़ाई के बराबर आगे पीछे खुले हुए रहते हैं तथा कमर से ऊपर वाला हिस्सा सीधा रहता है। घुटनों के जोड़ को थोड़ा मौड़ते हुए दोनों हाथों को जोड़कर, कोहनी से नीचे वाले हिस्से से गेंद को उठाते हैं तथा जिस दिशा में भेजनी हो, थोडी सी दिशा देते हुए गेंद के पीछे हार्थों को ले जाते हैं। गेंद को नेट के ऊपर से मारने के लिए भी इस पास से बॉल बनाते हैं।

फिगर पास (अपर हैण्ड पास):

इस पास का लगभग 60 प्रतिशत प्रयोग अपने मैदान में गेंद को खड़ी करने के लिए किया जाता है, जिससे दूसरा खिलाड़ी हवा में उछालकर नेट के ऊपर से गेंद को मारता है। यह पास अंगुलियों व अंगूठे से खेला जाता है। इस पास में भी पैर आगे-पोछे थोड़े से खुले होते हैं। हाथ सिर के ऊपर, माथे के सामने गेंद के आकार में गोलाई लिए हुए तथा सभी अंगुलियों के बीच में थोड़ी व स्मान दूरी होती है। आती हुई गेंद को थोड़ा सा घुटने से झुककर अंगुलियों की सहायता से उठाया जाता है तथा गेंद को जिस दिशा में भेजनी हो उसी दिशा में हाथ, गेंद के पीछे सीधे हो जाते हैं।

मैदान में उपस्थित सभी खिलाड़ी उछलकर नेट के ऊपर से गेंद को मार सकते हैं। अग्रिम पंक्ति के तीनों खिलाड़ी मैदान में कहीं से भी गेंद को मार सकते हैं, लेकिन पीछे को पंक्ति के खिलाड़ी आक्रमण रेखा के पीछे से कूदकर ही गेंद को मार सकते हैं। गेंद को मारने के बाद आगे की पंक्ति में गिर सकते हैं। आक्रमण रेखा को काटकर गेंद को मारते हैं तो वह गलती समझी जाती है और अंक विरोधी टीम को चला जाता है। लिबरों खिलाड़ी स्मैश नहीं कर सकता।

अग्रिम पंक्ति के खिलाड़ियों द्वारा विरोधी टीम के खिलाड़ी द्वारा मारी गई गेंद को नेट के ऊपर व पास उछालकर हाथों द्वरा रोकने को ब्लॉक कहते हैं, जो केवल अग्रिम पंक्ति के तीनों खिलाड़ी ही कर सकते हैं। ब्लॉक एक ही समय में एक खिलाड़ी या फिर दोनों व तीनों मिलकर भी कर सकते हैं। एक से अधिक खिलाड़ी एक साथ ब्लॉक करते हैं तो उसे संयुक्त ब्लॉक कहते हैं। ब्लॉकर के हाथ लगने के बाद गेंद को वही खिलाड़ी दुबारा भी उठा सकता है तथा उसी टीम के खिलाड़ी ब्लॉक के बाद गेंद को तीन बार छू सकते हैं। ब्लॉकर नेट के ऊपर से विरोधी टीन की गेंद को नहीं छू सकता। ब्लॉक करते समय नेट भी नहीं छू सकता और सर्विस को ब्लॉक नहीं कर सकता। अगर ब्लॉक करते सकय गेंद ब्लॉकर के हाथों में लगकर बाहर चली जाती है, तो गेंद मैदान से बाहर मानी जाती है विरोधी टीम को अंक मिल जाता है।

अंक मिलना :

जब कोई टीम नियमों के विरुद्ध खेलती है या उसका उल्लंघन करती है। तब दोनों रेफरियों में से कोई एक सीटी बजाता है, जिसका परिणाम रेली खोना होता है। यदि एक टीम बॉल को दूसरे कोर्ट में डालती है और विपक्षी कोई गलती करता है तब बॉल डालने वाली टीम को एक अंक मिलता है और वह सर्विस करना व बॉल डालना जारी रखता है। यदि एक टोग बॉल डालती है और वही कोई गलती करती है, तो विपक्षी टीम को एक अंक मिल जाता है व सर्विस करने का हक भी मिलता है।

प्रत्येक टीन को एक सैट में 2 टाईम आउट मिलते हैं तथा प्रत्येक टाईम आउट का समय 30 सैकण्ड होता है। किसी बाहरी व्यवधान के कारण प्रथम रैफरी द्वारा तकनीकी टाईम आउट दिया जाता पाँच सेटों का मैच प्रत्येक मैच पाँच सेटों के खेल के नियम के आधार पर खेला जाता है। 1 से 4 सेट तक प्रत्येक सेट में 25 प्वाइन्ट होते हैं तथा पाँचवा सेट 15 प्वॉइन्ट का होता है। प्रत्येक सेट जीतने के लिए कम से कम 2 प्वॉइन्ट का अन्तर होना चाहिए। प्रत्येक सेट में 3 मिनट का अन्तराल होता है तथा दूसरे व तीसरे सेट के मध्य में अन्तराल 10 मिनट को हो सकता है। दुव्यवहार यदि कोई खिलाड़ी दुर्व्यवहार या अपशब्द का प्रयोग करता है तो प्रथम रेफरी उसे मौखिक रूप से चेतावनी देत है व टीम के कप्तान को भी इससे अवगत कराता है। यदि कोई खिलाड़ो इसके बाद भी उसी गलती को दोहराता है तो गम्भीरता के अनुसार रेफरी द्वारा तीन प्रकार के अपराध निर्धारित किये गये है

मौखिक रूप से कहना या हाथ के इशारे से चेतावनी देना।

पीला कार्ड दिखाना।

लाल कार्ड दिखाना। यदि कोई खिलाड़ी जिसको लाल कार्ड दिखाया जाता है, उसको टीम बैंच के पीछे पैनल्टी एरिया बना होता है, वहाँ बैठा दिया जाता है।

अयोग्य करना :

लाल व पीला कार्ड संयुक्त रूप से दिखाना। इसमें खिलाड़ी को प्रतियोगिता–क्षेत्र से बाहर कर दिया जाता है

प्रमुख प्रतियोगिताएँ

  • शिवाजी गोल्ड कप
  • इन्दिरा एस० प्रधान ट्रॉफी
  • ग्राण्ड चैम्पियन्स कप
  • इण्डिया स्वर्ण कप
  • पूर्णिमा ट्रॉफी।

प्रमुख खिलाड़ी

भारत – बलवंत सिंह सागवाल, नृपजीत सिंह बेदी, ए रमाना राव, येजु सुब्बा राव, दलेल सिंह रोर, रामअवतार सिंह जाखड़, मोहन उक्रापांडियन, सुरेश कुमार मिश्रा सिरिल सी वलोर आदि ।

रूस – अलैक्जेण्डर, पिननोव आदि।

वॉलीबॉल के अर्जुन पुरस्कार विजेता

भारतीय वॉलीबॉल में कुछ अर्जुन पुरस्कार विजेता पलानीसामी (1961), नृजीत सिंह (1962), बलवंत सिंह (1972), जी मालिनी रेड्डी (1973), श्यामसुंदर राव (1974), रणवीर सिंह और के सी एलम्मा (1975), जिमी जॉर्ज (1976) 

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Volleyball in Physical Education

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Volleyball is one of the most popular sports in the world. International Volleyball Federation was constituted in the year 1947. First World volleyball Championship was played in the year 1949 at Prague, Czechoslovakia. It was included in Asian Games in the year 1955. India won the Gold Medal in these Asian Games. Volleyball was introduced in India by Y.M.C.A. Volleyball Federation of India. First National Volleyball championship was organised in the year 1952 at Madras (Chennai). It was introduced in the Tokyo Olympics in 1964.

  • How do we play Volleyball?
  • Rules of Volleyball in Hindi Medium
  • Class 11 Physical Education
  • Class 12 Physical Education

Volleyball has a history of more than 100 years. It is a cheaper game, which can be played on a minimal ground. William G. Morgan designed it in 1895. He was the physical director of Y.M.C.A. First National Volleyball Championship was by Y.M.C.A. in the year 1929 at Bucklin, New York. National Volleyball Championship is organised every year after the constitution of U.S. Volleyball Association in the year 1928.

Specifications Measurement
Size of the play field 18 m × 9 m
Width of boundary lines 5 cm
Size of the net Length 9.50 m; breadth 1 m
Size of net mesh 10 cm
Height of net from the ground (men) 2 m 43 cm
Height of net from the ground (women) 2 m 24 cm
Circumference of the ball 65 to 67 cm
Weight of the ball 260 to 280 g
Number of players in each team 6
Number of substitutes 6
Size of the marks on chest and back Length 15 cm min and breadth 10 cm min
Officials (referee 1, umpire 1, scorer 1, 7 linesmen 2 to 4)
Length of the antenna 1.80 m
Colour of the ball Multi-coloured
Length of service area 9 m

The latest rules of Volleyball are as given below:

  • 1. Now, the breadth of service area is 9 m instead of 3 m.
  • 2. The attack line has been extended upto 1.75 m outside on both sides in dotted marking.
  • 3. According to the new rule, ‘libero’ is a special player in a team. He is the player of backline. He is not allowed to attack from the attacking area. He can play only for defence. He wears coloured T-shirt different from other players. Neither he can do service nor block. He is not allowed to smash the ball. A libero has a fixed position during the game.
  • 4. Each service has a point as in Table Tennis.
  • 5. A coloured ball is permitted in competition.
  • 6. Let service is allowed.
  • 7. First four sets consist of 25 points each whereas fifth set consists of 15 point.
Column- 1 Column- 2 Column- 3
Diving boosting smasher
Antenna dig libero
Black booster rotation
Holding net ball double hit
Rolling over tapping line cut
  • Federation Cup
  • Grand Champions cup
  • Shiwani Gold Cup
  • Poornima Trophy (National Women)
  • India Gold Cup
  • Super Challenge Cup
  • Canada Open
  • Italian Open
  • Hamburg Open
  • Newzealand Open
Year Awardee
1999 Sukh Pal Singh
2000 P.V.Raman
2001 Amir Singh
2002 Ravi kant Reddy
2009 Kapil Dev
2011 Sanjay Kumar
2014 Tom Joseph
Year Awardee
1990 A Raman Rao
1995 M.Shyam Sunder Rao
2002 Om Prakash
2007 G.E.Sridharan

2002 Om Prakash

What is the length and breadth of Volleyball court?

The length of Volleyball court is 18 m and breadth is 9 m.

What is the height of the antenna?

The height of antenna is 1.80 m. It is fixed in the net in such a way that it remains 80 cm above the net.

What is the standard weight of the ball?

260 g to 280 g.

What is the required circumference of the ball?

The circumference of ball should be 65 to 67 cm.

What should be the pressure of air in the ball?

It should be 0.40 to 0.45 kg/cm.

How many players are there in a team of Volleyball?

There are 12 players in a team but six players play at a time.

How many time outs can be taken by a team in one set in Vollyball?

Two time-outs.

What are the officials of Volleyball match?

Referee 1, umpire 1, scorer 1, linesmen 2 to 4.

When does the rotation take place in Volleyball?

After the change of service.

How many sets are there in a Volleyball match?

What is the standard height of net for men and women.

The standard height of net for men is 2.43 m from the centre whereas for women its height is 2.24 m.

Volleyball

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इंडियन वॉलीबॉल टीम: बड़े नामों से लैस और एशियन गेम्स में मिली सफलताएं

भारतीय वॉलीबॉल टीम ने एशियन गेम्स में तीन मेडल हासिल कर अपने नाम का लोहा मनवाया है।

Indian volleyball team. Photo: Pro Volleyball League/Twitter

भारत में खेल को सराहा जाता है और देखते ही देखते खेल से जुडी सभी चीज़ें इस मुल्क में इज्ज़त कमाने लगती हैं। वॉलीबॉल का खेल भी भारत के कई राज्यों में खेला जाता है और अपनी पहचान बनाए हुए इस खेल को भारत में 70 साल हो गए हैं।

हालांकि भारत इस खेल के माध्यम से कभी भी ओलंपिक गेम्स में प्रवेश करने में सफल नहीं हुआ है लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर ज़रूर कुछ महारत हासिल हुई हैं।

वॉलीबॉल का भारतीय इतिहास

वॉलीबॉल भारत में शौकिया तौर पर तो खेला जाता था लेकिन स्वतंत्रता से पहले 1936 में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (Indian Olympic Association IOA) ने पहली इंटरस्टेट चैंपियनशिप कराई। इसके बाद 1951 में इस खेल का ढांचा तैयार किया गया और इसे नाम दिया गया वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (Volleyball Federation of India VFI)।

इसके अगले ही साला यानी 1952 में सीनियर नेशनल चैंपियनशिप (Senior National Championship) की पहली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके बाद कई युवाओं ने इस खेल में रूचि दिखाई और भारत को नया कौशल देखने को मिला और इस तरह बनी भारतीय वॉलीबॉल टीम।

एशियन गेम्स में भारत की सफलता

भारतीय वॉलीबॉल टीम का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेज़ी से हुआ जब उन्होंने 1955 एशियन चैंपियनशिप का खिताब हासिल कर लिया। यहां से इस टीम का कारवां बढ़ता ही चला गया और इसके बाद भारत ने 1958 एशियन गेम्स पर भी अपने नाम की मुहर लगा दी।

वॉलीबॉल पहली बार उसी संस्करण में शामिल किया गया था, और भारतीय पुरुष वॉलीबॉल टीम ने दिग्गज गुरुदेव सिंह के नेतृत्व में कांस्य पदक जीतने में क़ामयाब रही थी।

भारतीय वॉलीबॉल टीम ने हांगकांग और फिलिपींस को 3 सीधे सेटों से मात दी लेकिन ईरान और जापान को पछाड़ने में असफल रहे। इसके बाद जकार्ता में हुए 1962 एशियन गेम्स में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए दिग्गज खिलाड़ी नृपजीत सिंह बेदी (Nripjit Singh Bedi) और ए पलानीसामी (A Palaniswamy) को अर्जुन आवर्ड से भी सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि उस समय भारतीय वॉलीबॉल टीम के कप्तान थे टीपी पद्मनाभन नायर (TP Padmanabhan Nair)।

देखते ही देखते इस खेल में भारत की पकड़ मज़बूत होती जा रही थी और इस संस्करण की शुरुआत ही भारत ने लगातार 4 जीत के साथ की। जिसमे दो जीत बर्मा के खिलाफ, एक कम्बोडिया और एक पाकिस्तान के खिलाफ आई थी। इस बार फिर भारत की अपने कड़े प्रतिद्वंदी जापान से टक्कर हुई लेकिन इस बार फिर भारत को 12-15 से हार का मुंह देखना पड़ा था।

भारतीय खिलाड़ियों की रगों में जोश और खेल में तकनीक झलक रही थी। इंडोनेशिया और कोरिया को मात देने के बाद इस टीम के हाथ सिल्वर मेडल आया। इसके बाद ढलान देखने को मिली और 1966 और 1974 एशियन गेम्स में चौथे और पांचवें पायदान पर अपने कारवां का अंत किया और 1970 के संस्करण का भारत हिस्सा नहीं था।

नई दिल्ली में हुई 1978 एशियन गेम्स में भी भारतीय वॉलीबॉल टीम का स्थान 7वें नंबर पर रहा।

1978 और अपने घर में हुए 1982 एशियन गेम्स में एक बार फिर भारत के प्रदर्शन में सुधार हुआ, हालाँकि बेहद क़रीबी अतंर से वह पदक से चूक गए और चौथे स्थान पर प्रतियोगिता ख़त्म की।

लेकिन पदक का ये इंतज़ार जल्दी ही ख़त्म हो गया।

भारतीय वॉलीबॉल टीम के कोहिनूर

सियोल में आयोजित 1996 एशियन गेम्स में भारतीय टीम ने लाजवाब प्रदर्शन किया और सभी का मन मोह लिया। सिरिल वल्लूर (Cyril Valloor), की अगुवाई में टीम में जीई श्रीधरन (GE Sridharan), के उदयकुमार (K Udayakumar) जैसे खिलाड़ी भी थे और इन सभी ने अपने कौशल का प्रमाण पेश किया। अब्दुल बासित (Abdul Basith), दलेल सिंह (Dalel Singh) और पीवी रमाना (PV Ramana) (भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु के पिता) जैसे सूरमाओं से लैस इस टीम ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यह सभी खिलाड़ी अर्जुन अवार्ड विजेता हैं और इन सब में सबसे ख़ास रहे जिम्मी जॉर्ज (Jimmy George) जिन्हें अवार्ड के साथ-साथ दुनिया का प्यार भी मिला था।था।

इस खिलाड़ी ने भारतीय वॉलीबॉल में लगभग 10 साल तक राज किया और कई उपलब्धियां हासिल की और साथ ही इटली के बेस्ट क्लब की ओर से भी क़ाबिल-ए-तारीफ़ खेल दिखाया। 6’2 के लंबे कद के जिम्मी जॉर्ज की कूद सबसे लचीली हुआ करती थी और हवा में बाकिओं से कुछ समय ज़्यादा रुकने की काबिलियत की वजह से उनका प्रदर्शन भी सबसे बेहतर होता था।

पूर्व खिलाड़ी रामना रॉव और वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के पूर्व उपाध्यक्ष ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया “जिसे असल में जंप कहते हैं वह जंप उनके पास थी – ग्राउंड से लगभग एक मीटर ऊपर। 70 और 80 के दशक में भारत में वैसा करना असामान्य था और आज भी है।”

शारीरिक ताकत और मानसिक संकल्प से जिम्मी जॉर्ज खेल के एक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनते जा रहे थे। जीई श्रीधरन ने एक बार जिम्मी जॉर्ज के लिए कहा था कि, “उनकी जंप के आलावा उनकी मानसिक ताकत उन्हें बाकी भारतीय खिलाड़ियों से अलग करती थी। जिमी खेल में आने से पहले मेडीटेशन किया करते थे। जब वह कोर्ट पर आते थे तब हम बस उनकी निकलती उर्जा को देखा करते थे। जब वे कूदते थे तब उनका मस्तिष्क और उनका शरीर एक समान होता था और दूसरे का साथ देता था।”

हर खिलाड़ी के कौशल को मिलकर यह टीम बनी थी और इस टीम ने इस बार के एशियन गेम्स की शुरुआत हांगकांग,बहरीन, साउदी अरेबिया और इंडोनेशिया को मात देते हुए की थी। अपने घर में खेलती साउथ कोरिया भारतीय वॉलीबॉल टीम पर हावी हो गई और उन्हें पस्त कर दिया। हालांकि भारत ने अपने कड़े प्रतिद्वंदी जापान को धराशाई कर दिया था। इस मुकाबले में भी जिमी जोर्ज का खेल देखते ही बना था।

श्रीधरन ने आगे अलफ़ाज़ साझा करते हुए कहा “उन्होंने लगभग हमे 20 बार कहा होगा कि हमे जीतना है। उन्होंने पहले या दूसरे पॉइंट से ही आक्रामकता दिखानी शुरू कर दी और गेंद को मांगना शुरू कर दिया था। उस दिन उन्होंने गेंद को बहुत आक्रामकता से इस्तेमाल किया और कुछ गलत पास पर भी अंक बटोरे। हालांकि वे खिताबी जीत से तो दूर रह गए लेकिन इस टीम के हाथ ब्रॉन्ज़ मेडल ज़रूर आया।

भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम

1952 में पुरुष और महिला सीनियर नेशनल चैंपियनशिप की टीमे बनी थी लेकिन महिलाओं की टीम ज़्यादा नज़रे बटोरने में सफल न हो पाई। भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम को शुरुआती सालों में इंटरनेशनल स्तर पर नहीं उतारा गया था, जिस वजह से उनकी रैंकिंग ने वर्ल्ड चैंपियनशिप पर वर्ल्ड कप खेलने की अनुमति नहीं दी थी।

इंडियन वुमेंस वॉलीबॉल टीम ने 1977-78 तक गति पकड़नी शुरू की और दीप्ति मलिक (Dipti Malik) जैसे खिलाड़ियों का अच्छा योगदान आना शुरू हुआ। इस खिलाड़ी ने अगुवाई करते हुए इंडियन रेलवे से सीधा इस टीम को सीनियर चैंपियनशिप के पड़ाव तक ले जाकर खड़ा कर दिया।

इस जीत के बाद खिलाड़ियों को रेलवे में ही नौकरी मिल गई और इस वजह वह पूरा समय खेल को दे सकते थे। आर्थिक स्थिति सुरक्षित होने के बाद सभी खिलाड़ियों के ज़हन में केवल खेल और देश रह गया था। इसमें कोई दो राय नहीं है कि रेलवे ने डोमेस्टिक प्रतियोगिताओं में अपना दबदबा बनाया हुआ था और कुल 33 खिताब अपने नाम भी किए और 8 बार दूसरे स्थान पर रहे।

1975 में वुमेंस एशियन चैंपियनशिप की शुरुआत से भारतीय महिला टीम को भी अपने आंकलन का मौका मिला। हालांकि महिला टीम इस प्रतियोगिता का हिस्सा दूसरे संस्करण में बनीं और उस समय उन्होंने 7वें नंबर पर अपने कारवां का अंत किया। इस वजह से भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम को अपने पहले एशियन गेम्स (1982) में जाने की अनुमति भी मिली।

इसके बाद साउथ एशियन फेडरेशन गेम्स (South Asian Federation SAF) Games 1984 के डेब्यू में इस टीम ने 4 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल हासिल कर अपनी क़ाबिलियत का प्रमाण पेश किया। इतना ही नहीं इंडियन वुमेंस वॉलीबॉल टीम ने 2016 और 2019 साउथ एशियन गेम्स के संस्करण में भी गोल्ड मेडल की प्राप्ति की।

यह दौर भारतीय वॉलीबॉल के लिए समस्या लाता जा रहा था। कभी फेडरेशन के साथ मुठभेड़ का असर तो कभी जिम्मी जॉर्ज की मौत का असर इस खेल पर पड़ा और धीरे-धीरे इसने अपनी पकड़ कच्ची कर दी। उसी दौर में भारतीय क्रिकेट को एक नया नाम मिलता जा रहा था इर भारत में वह खेल अपनी पकड़ बना रहा था। भारतीय महिला और पुरुष वॉलीबॉल टीमों ने साउथ एशियन फेडरेशन गेम्स में तीन-तीन मेडल जीत अभी भी इस खेल को जिंदा रखे हुए थे, लेकिन वह ज़्यादा दिनों तक नहीं टिका। इसके बाद 2002 और 2006 में पुरुष टीम के हलके प्रदर्शन की वजह से इस खेल में काफी गिरावट देखी गई।

वही वुमेंस टीम का भी प्रदर्शन गिरता जा रहा था और उन्होंने 2010 एशियन गेम्स के लिए केवल क्वालिफाई ही किया था। इसके बाद पुरुष टीम ने 2010 और 2014 के संस्करण में वापसी की और इस बार खिलाड़ी बदल चुके थे। कप्तान सिननाडु प्रभागरन (Sinnadu Prabhagaran) के साथ और मोहन उक्रापांडियन (Mohan Ukkrapandian) जैसे बेहतरीन खिलाड़ी भी इस टीम का हिस्सा हैं।

साल 2014 में इंडियन मेंस वॉलीबॉल टीम की रैंक 34 थी और तब लग रहा था की यह खेल एक बार फिर सुर्खियां बटोर सकता है, तो इसे एक बार फिर विवादों ने घेर लिया। VFI के आंतरिक विवादों को मद्देनज़र रखते हुए इंटरनेशनल वॉलीबॉल फेडरेशन International Volleyball Federation FIVB) ने इस टीम को दो साल यानी 2018 तक बैन कर दिया। इसका मतलब यह था कि यह भारतीय टीम दो साल तक बाकी लीगों का हिस्सा नहीं बन सकती नतीजन नए फॉर्मेट, तकनीक से इन खिलाड़ियों को अभी वंचित रहना था। वहीं 2018 एशियन गेम्स में कोच जीई श्रीधरन ने इस टीम को 12वें स्थान पर ला खड़ा किया।

एक बार दोबारा इस भारतीय वॉलीबॉल के कोर्ट में सूरज उगा और प्रो वॉलीबॉल लीग (Pro Volleyball League) के आ जाने से इस खेल का महत्व और भी बढ़ गया है। यह भी एक फ्रंचाईज़ी टूर्नामेंट है और इसमें 2008 ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता डेविड ली (David Lee) जैसे दिग्गज भी शामिल हैं।

पिछले साल मोहन उक्रापांडियन ने सपोर्टस्टार से बातचीत के दौरान कहा था “जब हम तैयारी करते थे या खेलते थे उसकी तुलना में यह एक बड़ा बदलाव लाया है। साथ ही टीवी के बड़े किरदार से ओलंपिक की दिशा आसान हो जाएगी।”

ओलंपिक क्वालिफिकेशन में मिली हार से भारतीय मेंस वॉलीबॉल टीम टोक्यो 2020 मिशन में फेल हो गई है और वे अगले साल के ओलंपिक गेम्स का हिस्सा नहीं होंगे।

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