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क्या आप जानते हैं भारतीय इतिहास की इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में?
- Updated on
- जनवरी 24, 2024
भारत एक महान देश है जिसका इतिहास इतना समृद्ध है कि आपको हर कोने में छुपा हुआ मिलेगा। इतिहास का अध्ययन करने पर हम ये जान पाते हैं कि हमारे देश में सभ्यता और संस्कृति कैसे विकसित हुई, धर्म और धार्मिक व्यवहार कैसे अस्तित्व में आये या फिर कौन कौन सी कई ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं घटित हुई है। भारतीय इतिहास की शुरुआत हज़ारों साल पहले होमो सेपियन्स के साथ हुई थी। होमो सेपियन्स अफ्रीका, दक्षिण भारत, बलूचिस्तान से होते हुए सिंधु घाटी पहुंचे और यहाँ नगरीकरण का बसाव किया जिससे सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई। भारतीय इतिहास, सिंधु घाटी की रहस्यमई संस्कृति से शुरू होकर भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक फैला। इससे अधिक जानकारी के लिए ये ब्लॉग पूरा पढ़ें। इस ब्लॉग के माध्यम से आपको Indian History in Hindi के बारे में विस्तार से जानने को मिलेगा। आईये जानते हैं।
This Blog Includes:
भारतीय इतिहास के भाग , प्राचीन भारतीय इतिहास का घटनाक्रम, सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में विस्तार से, गुप्त साम्राज्य , मौर्य साम्राज्य का परिचय, मध्यकालीन भारत का घटनाक्रम, एंग्लो-मराठा युद्ध, मुगल साम्राज्य के तहत व्यापार का विकास, मुगल साम्राज्य के तहत कला और वास्तुकला, अवध का इतिहास, आधुनिक भारत का घटनाक्रम, इतिहास के प्रकार, इंडियन हिस्ट्री बुक्स इन हिंदी.
दुनिया के इतिहास की तरह, भारतीय इतिहास (History of India in Hindi) को विस्तार से समझने के लिये 3 भागों में वर्गीकृत किया गया है, जो कि निम्नलिखित हैं:-
- प्राचीन भारत
- मध्यकालीन भारत
- आधुनिक भारत
यह भी पढ़ें: हर्यक वंश का इतिहास
प्राचीन भारत का इतिहास
प्राचीन भारत का इतिहास पाषाण युग से लेकर इस्लामी आक्रमणों तक है। इस्लामी आक्रमण के बाद भारत में मध्यकालीन भारत की शरुआत हो जाती है।
Indian History in Hindi के इस ब्लॉग में प्राचीन भारतीय इतिहास के घटनाक्रम को विस्तार से जानते हैं।
- प्रागैतिहासिक कालः 400000 ई.पू.-1000 ई.पू. : इस समय में मानव ने आग और पहिये की खोज की।
- सिंधु घाटी सभ्यताः 2500 ई.पू.-1500 ई.पू. : सिंधु घाटी सभ्यता सबसे पहली व्यवस्थित रूप से बसी हुई सभ्यता थी। नगरीकरण की शरुआत सिंधु घाटी सभ्यता से मानी जाती है।
- महाकाव्य युगः 1000 ई.पू.-600 ई.पू. : इस समय काल में वेदों का संकलन हुआ और वर्णों के भेद हुए जैसे आर्य और दास।
- हिंदू धर्म और परिवर्तनः 600 ई.पू.-322 ई.पू. : इस समय में जाति प्रथा अपने चरम पर थी। समाज में आयी इस रूढ़िवादिता का परिणाम महावीर और बुद्ध का जन्म था। इस समय में महाजनपदों का गठन हुआ। 600 ई. पू.- 322 ई. पू. में बिम्बिसार, अजात शत्रु, शिशुनंगा और नंदा राजवंश का जन्म हुआ।
- मौर्य कालः 322 ई.पू.-185 ई.पू. चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित इस साम्राज्य में पूरा उत्तर भारत था, जिसका बिंदुसार ने और विस्तार किया। कलिंग युद्ध इस समयकाल की घटना है, जिसके बाद राजा अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया।
- आक्रमणः 185 ई.पू.-320 ईसवीः इस समयकाल में बक्ट्रियन, पार्थियन, शक और कुषाण के आक्रमण हुए। व्यापार के लिए मध्य एशिया खुला, सोने के सिक्कों का चलन और साका युग का प्रारंभ हुआ।
- दक्कन और दक्षिणः 65 ई.पू.-250 ईसवीः इस काल में चोल, चेर और पांड्या राजवंश ने दक्षिण भारत पर अपना शासन जमा रखा था। अजंता एलोरा की गुफाओं का निर्माण इसी समयकाल की देन है, इसके अलावा संगम साहित्य और भारत में ईसाई धर्म का आगमन हुआ।
- गुप्त साम्राज्यः 320 ईसवी-520 ईसवीः इस काल में चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की स्थापना की, उत्तर भारत में शास्त्रीय युग का आगमन हुआ, समुद्रगुप्त ने अपने राजवंश का विस्तार किया और चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शाक के विरुद्ध युद्ध किया। इस युग में ही शाकुंतलम और कामसूत्र की रचना हुई। आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान में अद्भुत कार्य किए और भक्ति पंथ भी इस समय उभरा।
- छोटे राज्यों का उद्भव : 500 ईसवी-606 ईसवीः इस युग में हूणों के उत्तर भारत में आने से मध्य एशिया और ईरान में पलायन देखा गया। उत्तर में कई राजवंशों के परस्पर युद्ध करने से बहुत से छोटे राज्यों का निर्माण हुआ।
- हर्षवर्धनः 606 ई-647 ईसवीः हर्षवर्धन के शासनकाल में प्रसिद्ध चीनी यात्री हेनत्सांग ने भारत की यात्रा की। हूणों के हमले से हर्षवर्धन का राज्य कई छोटे राज्यों में बँट गया। इस समय में दक्कन और दक्षिण बहुत शक्तिशाली बन गए।
- दक्षिण राजवंशः 500ई-750 ईसवीः इस समय में में चालुक्य, पल्लव और पंड्या साम्राज्य का उद्भव हुआ और पारसियों का भारत आगमन हुआ था।
- चोल साम्राज्यः 9वीं सदी ई-13वीं सदी ईसवीः विजयालस द्वारा स्थापित चोल साम्राज्य ने समुद्र नीति अपनाई। इस समय में मंदिर सांस्कृतिक और सामाजिक केन्द्र होने लगे और द्रविड़ियन भाषा फलने फूलने लगी।
- उत्तरी साम्राज्यः 750ई-1206 ईसवीः इस समय राष्ट्रकूट ताकतवर हुआ, प्रतिहार ने अवंति और पलस ने बंगाल पर शासन किसा। इसी के साथ मध्य भारत में राजपूतों का उदय हो रहा था। इस समय में भारत पर तुर्क आक्रमण हुआ जिसके बाद मध्यकालीन भारत का प्रारम्भ हुआ।
सिंधु घाटी की सभ्यता के साथ भारतीय इतिहास का जन्म हुआ था। सिंधु घाटी की सभ्यता दक्षिण एशिया के पश्चिमी हिस्से में लगभग 2500 BC में फैली हुई है। Indian History in Hindi में सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है:
- यह क्षेत्र आज के समय में पाकिस्तान और पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है।
- सिंधु घाटी मिश्र
- मेसोपोटामिया
- 1920 तक मनुष्य को सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था।
- घरेलू सामान
- युद्ध के हथियार
- सोने के आभूषण
- चांदी के आभूषण
- सिंधु घाटी की सभ्यता को व्यापार के केंद्र के नाम से भी जाना जाता है।
- यहाँ सभी चीजों की देखभाल बहुत ही अच्छी तरीके से रखी जाती थी।
- सिंधु घाटी सभ्यता में चौड़ी सड़कें और सुविकसित निकास प्रणाली भी स्थित थे।
- यहां पर घरों पर पुताई होती थी और घर ईटों से बने होते थे।
- साथ ही यहां पर दो या दो से अधिक मंजिलें भी होती थीं।
- हड़प्पा सभ्यता का 1500 BC तक अंत हो गया था।
- माना जाता है कि प्राकृतिक आपदाओं के आने के कारण सिंधु घाटी की सभ्यता भी नष्ट हो गई थी।
यह भी पढ़ें : भारत का इतिहास
भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ और तथागत के भी नाम से जाना जाता है। बुद्ध के पिता का नाम कपिलवस्तु था, वह राजा शुद्धोदन थे और इनकी माता का नाम महारानी महामाया देवी था। बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा था और उनके पुत्र का नाम राहुल था। भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ था। यह बात जानने को मिली कि इसी दिन 528 ईसा पूर्व में उन्होंने भारत के बोधगया में सत्य को जाना और साथ में इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में भारत के कुशीनगर में निर्वाण (मृत्यु) को प्राप्त हुए।
Indian History in Hindi में अब बौद्ध धर्म के बारे में विस्तार से जानते हैं। इतिहास में इस बात का उल्लेख भी किया गया है कि जब महात्मा बुद्ध को सच्चे बोध की प्राप्ति हुई उसी वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा को वे काशी के पास मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ) पहुँचे। यह बात भी जानने को मिलती है कि वहीं पर उन्होंने सबसे पहला धर्मोपदेश दिया, जिसमें उन्होंने लोगों से मध्यम मार्ग अपनाने के लिए कहा। साथ में इस बात का उल्लेख भी हुआ है कि उन्होंने चार आर्य सत्य अर्थात दुःखों के कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया, अहिंसा पर जोर दिया, और यज्ञ, कर्म कांड और पशु-बलि की निंदा की।
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गुप्त साम्राज्य के दो महत्वपूर्ण राजा हुए, समुद्रगुप्त और दूसरे चंद्रगुप्त द्वितीय। गुप्त वंश के लोगों के द्वारा ही संस्कृत की एकता फिर एकजुट हुई। चंद्रगुप्त प्रथम ने 320 ईस्वी को गुप्त वंश की स्थापना की थी और यह वंश करीब 510 ई तक शासन में रहा। 463-473 ई में सभी गुप्त वंश के राजा थे, केवल नरसिंहगुप्त बालादित्य को छोड़कर। बालादित्य ने बौद्ध धर्म अपना लिया था, शुरुआत के दौर में इनका शासन केवल मगध पर था, पर फिर धीरे-धीरे संपूर्ण उत्तर भारत को इन्होने अपने अधीन कर लिया था। गुप्त वंश के सम्राटों में क्रमश : श्रीगुप्त, घटोत्कच, चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त प्रथम (महेंद्रादित्य) और स्कंदगुप्त हुए। देश में कोई भी ऐसी शक्तिशाली केन्द्रीय शक्ति नहीं थी , जो अलग-अलग छोटे-बड़े राज्यों को विजित कर एकछत्र शासन-व्यवस्था की स्थापना कर पाती । यह जो काल था वह किसी महान सेनानायक की महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिये सर्वाधिक सुधार का अवसर के बारे में बता रहा था। फलस्वरूप मगध के गुप्त राजवंश में ऐसे महान और बड़े सेनानायकों का विनाश हो रहा था ।
मौर्य साम्राज्य मगध में स्थित दक्षिण एशिया में भौगोलिक रूप से व्यापक लौह युग की ऐतिहासिक शक्ति थी, जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ई.पू. मौर्य साम्राज्य को भारत-गंगा के मैदान की विजय द्वारा केंद्रीकृत किया गया था, और इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में स्थित थी। इस शाही केंद्र के बाहर, साम्राज्य की भौगोलिक सीमा सैन्य कमांडरों की वफादारी पर निर्भर करती थी, जो इसे छिड़कने वाले सशस्त्र शहरों को नियंत्रित करते थे। अशोक के शासन (268-232 ईसा पूर्व) के दौरान, साम्राज्य ने गहरे दक्षिण को छोड़कर भारतीय उपमहाद्वीप के प्रमुख शहरी केंद्रों और धमनियों को संक्षेप में नियंत्रित किया। अशोक के शासन के लगभग 50 वर्षों के बाद इसमें गिरावट आई, और पुष्यमित्र शुंग द्वारा बृहदरथ की हत्या और मगध में शुंग वंश की नींव के साथ 185 ईसा पूर्व में भंग कर दिया गया।
मध्यकालीन भारत का इतिहास
मध्यकालीन भारत की शुरुआत भारत पर इस्लामी आक्रमण से मानी जाती है। वर्तमान के उज़बेकिस्तान के शासक तैमूर और चंगेज़ खान के वंशज बाबर ने सन् 1526 में खैबर दर्रे को पार किया और वहां मुगल साम्राज्य की स्थापना की, जहां आज अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश स्थित हैं। बाबर के भारत आने के साथ भारत में मुग़ल वंश की स्थापना हुई। सन् 1600 तक मुगल वंश ने भारत पर राज किया। सन् 1700 ई. के बाद इस वंश का पतन होने लगा और ब्रिटिश सत्ता फैलने लगी। भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के समय सन् 1857 में मुग़ल वंश का पूरी तरह खात्मा हो गया।
Indian History in Hindi के इस ब्लॉग में मध्यकालीन भारत का घटनाक्रम नीचे दिया गया है :-
- प्रारंभिक मध्यकालीन युग ( 8वीं से 11 वीं शताब्दी ): इस समयकाल में गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद और दिल्ली सल्तनत का प्रारंभ हुआ जिसके परिणाम स्वरूप भारतवर्ष कई छोटे राज्य में बट गया था।
- गत मध्यकालीन युग ( 12वीं से 18वीं शताब्दी ): इस समयकाल में पश्चिम में मुस्लिम आक्रमणों ने तेजी पकड़ ली थी तो दूसरी तरफ दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश और लोदी वंश का उद्भव हुआ।
- विजयनगर साम्राज्य का उदय: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर तथा बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। यह उस समय का एकमात्र हिन्दू राज्य था जिस पर अल्लाउदीन खिलजी ने आक्रमण किया था। जिसके बाद हरिहर और बुक्का ने मुस्लिम धर्म अपना लिया।
- मुग़ल वंश: मुग़ल वंश के प्रारंभ के साथ दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया। बाबर के भारत पर आक्रमण करने के बाद भारत में मुग़ल वंश की स्थापना की।1857 की क्रांति के साथ ही मुग़ल वंश का पतन हो गया और ब्रिटिश शासन के साथ आधुनिक भारत की शुरुआत हुई।
Indian History in Hindi की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक, एंग्लो-मराठा युद्ध, मराठों और अंग्रेजों के बीच संघर्ष की घटनाओं को कवर करता है। मराठों की हार के बाद 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मरने वाले शासक बालाजीबाजी राव थे। वह अपने बेटे माधव राव द्वारा शुरू किए गए युद्ध में लड़ रहे थे जो कि असफल हो गया था। जबकि बालाजी बाजी राव के भाई रघुनाथ राव अगले पेशवा बन गए। अंग्रेजों ने 1772 में माधव राव की मृत्यु के बाद मराठों के साथ पहला युद्ध लड़ा। Indian History in Hindi के इस ब्लॉग में नीचे उन घटनाओं का सारांश है जो मध्यकालीन भारत के इस महत्वपूर्ण चरण को समझने में आपकी मदद करेंगे, जो एंग्लो-मराठा युद्ध के दौरान हुई थीं:
- माधवराव प्रथम की मृत्यु के बाद, मराठा शिविर में संघर्ष हुआ। नारायणराव पेशवा बनने की राह पर थे, हालांकि, उनके चाचा रघुनाथराव ने भी पुजारी बनना चाहा।
- इसलिए, अंग्रेजों के हस्तक्षेप के बाद, सूरत संधि पर 1775 में हस्ताक्षर किए गए थे। संधि के अनुसार, रघुनाथराव ने सालसेट और बेससीन के बदले में 2500 सैनिकों को अंग्रेजों को दे दिया।
- वारेन हेस्टिंग्स के तहत, ब्रिटिश कलकत्ता परिषद ने इस संधि को रद्द कर दिया और पुरंदर संधि 1776 में कलकत्ता परिषद और एक मराठा मंत्री, नाना फड़नवीस के बीच संपन्न हुई।
- नतीजतन, केवल रघुनाथराव को पेंशन प्रदान की गई और अंग्रेजों ने सालसेट को बरकरार रखा।
- लेकिन बंबई के ब्रिटिश प्रतिष्ठान ने इस संधि का उल्लंघन किया और रघुनाथराव को ढाल दिया।
- 1777 में, नाना फडणवीस ने कलकत्ता परिषद के साथ अपनी संधि के खिलाफ जाकर फ्रांस के पश्चिमी तट पर एक बंदरगाह प्रदान किया।
- इसने अंग्रेजों को पुणे भेजने के लिए नेतृत्व किया। पुणे के पास वडगाँव में एक लड़ाई हुई जिसमें महादजी शिंदे के अधीन मराठों ने अंग्रेजी पर एक निर्णायक जीत का दावा किया।
- 1779 में, अंग्रेजों को वाडगांव संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था।
- एंग्लो-मराठा युद्धों के अंत में, सालबाई की संधि 1782 में संपन्न हुई जिसने Indian history in Hindi में एक घटनापूर्ण मील का पत्थर बनाया।
मुगल साम्राज्य का उदय भारतीय इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। मुगल साम्राज्य के आगमन से भारत में आयात और निर्यात में वृद्धि हुई। विदेशी लोग व्यापार के लिए भारत आने लगे जैसे डच, यहूदी, ब्रिटिश।
- पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में भारतीय व्यापारिक समूह फैले हुए थे। इनमें लंबी दूरी के व्यापारी सेठ और बोहरा शामिल थे; बनिक- स्थानीय व्यापारी; बंजारों ने अक्सर बैलों की पीठ पर अपने माल के साथ लंबी दूरी की यात्रा की, व्यापारियों का एक और वर्ग जो थोक वस्तुओं के परिवहन में विशेषज्ञता रखते थे। साथ ही, नदियों में नावों पर भारी सामान लाया जाता था।
- हिंदू, जैन और मुसलमान गुजराती व्यापारियों में से थे, जबकि ओसवाल, महेश्वरियां और अग्रवाल राजस्थान में मारवाड़ी कहे जाने लगे।
- दक्षिण भारत में, सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक समाज कोरोमंडल, द चेटिस, द मुस्लिम मालाबार व्यापारियों, आदि बंगाल-चीनी, चावल के साथ-साथ नाजुक मलमल और रेशम के तट पर थे।
- गुजरात, जहाँ से बढ़िया वस्त्र और रेशम उत्तरी भारत में ले जाया जाता था, विदेशी वस्तुओं के लिए एक प्रवेश बिंदु था। कुछ धातुएँ जैसे धातुएँ भारत में मुख्य आयात थीं। कॉपर और टिन, वॉरहॉर्स और वॉरहॉर्स, हाथी दांत, सोने और चांदी के आयात सहित लक्जरी टुकड़े व्यापार द्वारा संतुलित हैं।
Samrat Ashoka History in Hindi
भारतीय ऐतिहासिक स्मारकों का ढेर मुगलों के शासनकाल के दौरान बनाया गया और भारतीय इतिहास का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया। यहां मुगल साम्राज्य के तहत लोकप्रिय कला और वास्तुकला का एक सारांश है:
- मुगल बहते पानी के साथ उद्यान बिछाने के शौकीन थे। मुगलों के कुछ बाग कश्मीर के निशात बाग, लाहौर के शालीमार बाग और पंजाब के पिंजौर के बाग़ में हैं।
- शेरशाह के शासनकाल के दौरान, बिहार के सासाराम में मकबरा और दिल्ली के पास पुराण किला बनाया गया था।
- अकबर की सुबह के साथ, व्यापक पैमाने पर इमारतों का निर्माण शुरू हुआ। कई किले उसके द्वारा डिजाइन किए गए थे और सबसे प्रमुख आगरा का किला था। इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया था। उनके अन्य गढ़ लाहौर और इलाहाबाद में हैं।
- दिल्ली में प्रसिद्ध लाल किला का निर्माण शाहजहाँ ने अपने रंग महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़वासस्व के साथ करवाया था।
- फतेहपुर सीकरी में एक महल सह किला परिसर भी अकबर (विजय शहर) द्वारा बनाया गया था।
- इस परिसर में कई गुजराती और बंगाली शैली की इमारतें भी पाई जाती हैं।
- उनकी राजपूत माताओं के लिए, संभवतः गुजराती शैली की इमारतों का निर्माण किया गया था। इसमें सबसे राजसी संरचना जामा मस्जिद और इसके प्रवेश द्वार है, जिसे बुलंद दरवाजा या बुलंद गेट के रूप में जाना जाता है।
- प्रवेश द्वार की ऊंचाई 176 फीट है। इसे गुजरात पर अकबर की जीत की याद में बनाया गया था।
- जोधाबाई का महल और पांच मंजिला पंच महल फतेहपुर सीकरी की अन्य महत्वपूर्ण इमारतें हैं।
- हुमायूं का मकबरा दिल्ली में अकबर के शासन के दौरान बनाया गया था, और इसमें संगमरमर का एक विशाल गुंबद था।
- अकबर का मकबरा आगरा के पास सिकंदरा में जहाँगीर ने बनवाया था।
- आगरा में इतमाद दौला के मकबरे का निर्माण नूरजहाँ ने करवाया था।
- ताजमहल का निर्माण यह पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना था, जिसमें अर्ध-कीमती पत्थरों से बनी दीवारों पर पुष्प डिजाइन थे। शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान, यह विधि अधिक लोकप्रिय हो गई।शाहजहाँ द्वारा निर्मित, ताजमहल को इतिहास के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है। इसके निर्माण के लिए, पिएट्रा ड्यूरा प्रक्रिया का व्यापक स्तर पर उपयोग किया गया था। इसमें उन सभी स्थापत्य रूपों को शामिल किया गया है जो मुगलों ने बनाए थे। ताज की मुख्य महिमा विस्तृत गुंबद और चार पतला मीनारें हैं जिनकी सजावट को न्यूनतम रखा गया है।
Indian History in Hindi में अवध के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं नीचे दी गई है:
- अवध उत्तर भारत का ऐतिहासिक क्षेत्र था, जो अब उत्तर प्रदेश राज्य का उत्तर-पूर्वी भाग है। इसने अपना नाम कोसला की राजधानी अयोध्या साम्राज्य से लिया और 16 वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
- 1800 में, ब्रिटिश ने अपने साम्राज्य के हिस्से के रूप में खुद को अधीन कर लिया। 1722 ई। में अवध का सूबा आजाद हुआ, मुग़ल सम्राट मुहम्मद शा ने एक फ़ारसी शिया को सआदत ख़ान को अवध का गवर्नर नियुक्त किया।
- सआदत खान ने सैय्यद भाइयों को उखाड़ फेंकने में मदद की। सआदत खान को राजा द्वारा नादिर शाह के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था ताकि वह शहर को नष्ट करने और बड़ी राशि के भुगतान के लिए अपने देश लौटने के लिए इच्छुक हो सके। जब नादिर शाह वादा किए गए धन को पाने में विफल रहे, तो उनका गुस्सा दिल्ली के लोगों ने महसूस किया। उन्होंने एक सामान्य वध का आदेश दिया था। सआदत खान ने अपमान और शर्म के कारण आत्महत्या कर ली।
- सफदर जंग, जिसे मुगल साम्राज्य का वजीर भी कहा जाता था, अवध का अगला नवाब था। वह अपने चाचा शुजाउद्दौला द्वारा सफल हो गया था। अवध राजा द्वारा एक मजबूत सेना का आयोजन किया गया, जिसमें मुस्लिम और हिंदू, नागा और सन्यासियों के साथ-साथ शामिल थे। अवध शासक का अधिकार दिल्ली के पूर्व क्षेत्र रोहिलखंड तक था। उत्तर-पश्चिमी सीमांत की पर्वत श्रृंखलाओं से बड़ी संख्या में अफगान, जिन्हें रोहिल कहा जाता है, उसमें बस गए।
Indian National Movement(भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन)
अवध नवाबों का सारांश
- सआदत खाँ बुरहान-उल-मुल्क (1722-1739 ई।): एक स्वायत्त राज्य के रूप में, उन्होंने 1722 ई। में अवध की स्थापना की। नादिर शाह के आक्रमण के दौरान, उन्हें मुगल बादशाह मुहम्मद शाह द्वारा गवर्नर नामित किया गया था और इसमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी शाही मामले उन्होंने नाम और सम्मान की खातिर आत्महत्या कर ली।
- सफदर जंग / अदबुल मंसूर (1739-1754 ई।): अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ मानपुर की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले सआदत खान, सआदत खान (1748 ई।) के दामाद थे।
- शुजा-उद-दौला (1754-1775 ई।): सफदरजंग का बेटा, वह अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली का सहयोग था। रोहिल्ला को अंग्रेजों की सहायता से हराकर उसने विज्ञापन 1774 में रोहिलखंड को अवध में वापस कर दिया।
- आसफ-उद-दौला: वह लखनऊ की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध थे और उन्होंने इमामबाड़ा और रूमी दरवाजा जैसे महत्वपूर्ण स्मारकों का निर्माण किया। उन्होंने अंग्रेजों के साथ फैजाबाद (1755 ई।) संधि का समापन किया।
- वाजिद अली शाह: उन्हें व्यापक रूप से जान-ए-आलम और अख्तर पिया और अवध के अंतिम राजा के रूप में कहा जाता था, लेकिन ब्रिटिश लॉर्ड डलहौजी को गलतफहमी के आधार पर हटा दिया गया था। शास्त्रीय संगीत और नृत्य शैलियों के कालका-बिंदा भाइयों जैसे कलाकारों के साथ, वहां के दरबार में स्पॉट किए गए।
आधुनिक भारत का इतिहास
मुग़ल काल के पतन से लेकर भारत की आजादी तक और वर्तमान को आधुनिक भारत की श्रेणी में रखा गया है। बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये भारत में संघर्ष प्रारंभ हो गए थे। इस समयकाल ने आंदोलन, क्रांति, विरोध को जन्म दिया।
यह भी पढ़ें : भगवान बुद्ध का परिचय
इंडियन हिस्ट्री इन हिंदी के इस ब्लॉग में आइए आधुनिक भारत का घटनाक्रम जानते है :-
- क्षेत्रीय राज्यों का उदय और यूरोपीय शक्ति: इस समय में पंजाब, मैसूर, अवध, हैदराबाद, बंगाल जैसे छोटे राज्यों का विस्तार हुआ। इसके साथ ही पुर्तगाली उपनिवेश, डच उपनिवेश, फ्रांसीसी उपनिवेश और अंग्रेज उपनिवेश की स्थापना हुई।
- ब्रिटिश सर्वोच्चता और अधिनियम: इस समय ने बक्सर की लड़ाई, सहायक संधि, व्यपगत का सिद्धांत, रेग्युलेटिंग एक्ट 1773, पिट्स इंडिया एक्ट 1784, चार्टर अधिनियम,1793, 1813 का चार्टर अधिनियम, 1833 ई. का चार्टर अधिनियम, 1853 ई. का चार्टर अधिनियम, 1858 ई. का भारत सरकार अधिनियम,1861 का अधिनियम,1892 ई. का अधिनियम,1909 ई. का भारतीय परिषद् अधिनियम, भारत सरकार अधिनियम – 1935, मोंटेंग्यु-चेम्सफोर्ड सुधार अर्थात भारत सरकार अधिनियम-1919 जैसे घटनाओं को अंजाम दिया।
- 18वीं सदी के विद्रोह और सुधार: इस समय काल में रामकृष्ण, विवेकानंद, ईश्वरचंद विद्यासागर, डेजेरियो और यंग बंगाल, राममोहन रॉय और ब्रह्म समाज जैसे समाज सुधारकों का जन्म हुआ।
- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन: इस समय काल में भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र कराने के लिए कई प्रकार के आंदोलनों का उद्भव हुआ जैसे: शिक्षा का विकास, भारतीय प्रेस का विकास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जलियाँवाला बाग, मुस्लिम लीग की स्थापना, रौलट विरोधी सत्याग्रह, स्वदेशी आन्दोलन, अराजक और रिवोल्यूशनरी अपराध अधिनियम 1919, खिलाफ़त और असहयोग आन्दोलन, साइमन कमीशन, नेहरू रिपोर्ट, भारत छोड़ो आन्दोल, कैबिनेट मिशन प्लान, अंतरिम सरकार, संवैधानिक सभा, माउंटबेटन योजना और भारत के विभाजन, दक्षिण भारत में सुधार, पश्चिमी भारत में सुधार आन्दोलन, सैय्यद अहमद खान और अलीगढ़ आन्दोलन, मुस्लिम सुधार आन्दोलन आदि।
यह भी पढ़ें : गुप्त साम्राज्य (Gupta Dynasty in Hindi)
इंडियन हिस्ट्री इन हिंदी में इतिहास के प्रकारों की सूची नीचे दी गई है:
- राजनीतिक इतिहास
- सामाजिक इतिहास
- साँस्कृतिक इतिहास
- धार्मिक इतिहास
- आर्थिक इतिहास
- संवैधानिक इतिहास
- राजनयिक इतिहास
- औपनिवेशक इतिहास
- संसदीय इतिहास
- सैन्य इतिहास
- विश्व का इतिहास
- क्षेत्रीय इतिहास
इंडियन हिस्ट्री बुक्स की सूची नीचे दी गई है:
भारत की सभ्यता को लगभग 8,000 साल पुरानी माना जाता है।
माना जाता है की ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर भारत नाम पड़ा।
तीन प्राचीन काल मध्यकालीन काल आधुनिक काल
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