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जल परिवहन पर निबंध | Essay On Water Transport In Hindi

Essay On Water Transport In Hindi नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं. आज हम जल परिवहन पर निबंध लेकर आए हैं. इससे पूर्व हमने सड़क और वायु परिवहन के बारें में जाना हैं.

जल परिवहन को सबसे सस्ता एवं माल ढोने में प्रयुक्त सर्वाधिक प्राचीन परिवहन माध्यम माना जाता हैं. जल परिवहन क्या है इसका इतिहास, लाभ आदि के बारे में इस निबंध, भाषण, अनुच्छेद, पैराग्राफ में हम विस्तार से जानेंगे.

जल परिवहन पर निबंध | Essay On Water Transport In Hindi

जल परिवहन निबंध 400 शब्द

किसी भी देश को जल परिवहन के द्वारा सस्ते में सस्ता यातायात दिया जाता है क्योंकि जल परिवहन का जब निर्माण होता है तब परिवहन मार्गों का निर्माण नहीं करने की आवश्यकता होती है, वरन सिर्फ और सिर्फ परिवहन के जो साधन होते हैं उनके द्वारा ही यातायात शुरू होता है। हालांकि इसके लिए कृत्रिम अथवा प्राकृतिक जल पूर्ण मार्ग जरूरी होते हैं।

हमारे भारत देश में सामुद्रिक जल परिवहन भी मौजूद है और आंतरिक जल परिवहन भी मौजूद है। देश में बहुत पहले से ही नदियों के द्वारा आंतरिक जल परिवहन की दृष्टि से यातायात किया जा रहा है।

वर्तमान के समय में हमारे भारत देश में तकरीबन 14500 किलोमीटर लंबा नौगम्य जल मार्ग मौजूद है जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की नदियां, बड़े-बड़े नहर,प्रवाही जल और झील तथा संकरी खाड़ी आती है। देश में मौजूद नदियों में तकरीबन 3700 किलोमीटर लंबे मार्ग का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

हर साल तकरीबन 160 लाग टन माल की ढुलाई आंतरिक जल परिवहन के जरिए की जा रही है और वर्तमान के समय में भी हमारे देश की जमुना, हुगली, गंगा,ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, ताप्ती, मांडवी, गोदावरी, कृष्णा, महानदी इत्यादि नदियों के द्वारा आंतरिक जलमार्ग की सुविधा दी जा रही है।

देश में साल 1980 में 26 दिसंबर के दिन ब्रह्मपुत्र नदी की सादिया-धुबरी सीमा को राष्ट्रीय जलमार्ग नंबर 2 के तहत घोषित किया गया। इसके अलावा सरकार के द्वारा पश्चिमी तटीय नहर के कोल्लम-कोट्टपुरम क्षेत्र को और चंपकारा तथा उद्योग मंडल नहर को भी जल्द ही जलमार्ग घोषित किया जाएगा।

परिवहन के जितने भी साधन मौजूद है उन सभी साधनों में से सबसे सस्ता साधन और आसान साधन जल परिवहन ही है, जो कि नदी, नहर, झील और समुद्र से होकर के गुजरते हैं।

जलमार्ग को तैयार करने में ज्यादा पैसे खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि जलमार्ग को सुरक्षित रखने के लिए साथ ही जलमार्ग को और अधिक गहरा करने के लिए कुछ धन खर्च करना पड़ता है।

जल मार्ग में चलने के लिए मुख्य तौर पर नाव, जलयान, समरीन जैसे जल में चलने वाले वाहनों की आवश्यकता होती है। सामान्य तौर पर सस्ते और भारी पदार्थ जैसे कि कोयला, लोहा, लोहा इस्पात, सीमेंट, अनाज इत्यादि को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने के लिए जलयान का इस्तेमाल किया जाता है।

नदियों और झीलों में जल की गहराई और मात्रा के हिसाब से नाव और छोटे बड़े जलपोत भी चलाए जाते हैं। जल परिवहन के द्वारा ही किसी एक देश की सामग्री दूसरे देश में और किसी एक राज्य की समाधि दूसरे राज्य में आसानी से पहुंचाई जा सकती है।

जल परिवहन पर निबंध 800 शब्द

पृथ्वी के जलीय भागों के माध्यम से होने वाला व्यक्तियों और वस्तुओं का आवागमन जल परिवहन कहलाता हैं. जल परिवहन सस्ता व सुविधाजनक होता हैं. भारी माल परिवहन के लिए यह परिवहन का उत्तम साधन माना जाता हैं.

यह परिवहन का बहुत प्राचीन साधन हैं. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी भारतीय जल परिवहन का उल्लेख मिलता हैं. रेलों के संचालन से पूर्व यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और परिवहन का प्रमुख साधन था.

भारत में जल परिवहन की दृष्टि से ब्रह्मपुत्र नदी सर्वश्रेष्ठ हैं. गंगा, महानदी, गोदावरी, कृष्णा आदि में भी नावों से माल का परिवहन होता हैं. वर्षा ऋतु में नदियों में बाढ़, गर्मियों में पानी की कमी, मिट्टी का आ जाना आदि बाधाओं के कारण यह परिवहन अधिक विकसित नहीं हो पाया हैं.

आज विश्व अर्थव्यवस्था में उद्योग व व्यापार की वृद्धि के साथ साथ विश्व के महाद्वीपों को जोड़ने के सस्ते तथा सुलभ साधन के रूप में जल परिवहन का महत्व बढ़ गया हैं. पैकिंग उद्योग के विकास के कारण भी जल परिवहन का महत्व बढ़ा हैं.

जल परिवहन की विशेषताएं (Water transport features)

  • जल परिवहन सबसे सस्ता परिवहन साधन हैं. जल परिवहन के लिए किसी मार्ग के निर्माण की आवश्यकता नहीं पड़ती हैं. यह इंधन की बचत करता हैं, पर्यावरण हितैषी होता है तथा परिवहन में कम लागत आती हैं. अनुरक्षण व्यय भी अपेक्षाकृत कम होता हैं.
  • जल परिवहन सबसे धीमी गति का परिवहन साधन हैं. परिवहन किये जा रहे माल के समय का साधारण महत्व हो तो जल परिवहन सर्वोत्तम हैं.
  • जल परिवहन भारी तथा अधिक स्थान घेरने वाले कच्चे माल को ढोने के लिए विशेष उपयुक्त होता हैं. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कच्ची धातुएँ, खनिज तेल, कोयला, लकड़ी, रासायनिक पदार्थ, भारी मशीने, वस्त्र वाहन, सीमेंट आदि का आवागमन जल परिवहन द्वारा ही होता हैं.
  • जलयानों के संचालन में कम इंधन, कम धन तथा कम व्यक्तियों की आवश्यकता होती हैं.
  • जल परिवहन में जल मार्गों को गहरा करने, पोताश्रयों के निर्माण करने, विशाल जलयानों को तैयार करने आदि पर व्यय के कारण आरम्भिक व्यय अधिक करना पड़ता हैं.
  • विभिन्न स्तर वाली नहरों को एक तल से दूसरे तल पर लाने के लिए लॉक बनाने की आवश्यकता होती हैं.
  • नहरों के निर्माण में अत्यधिक पूंजी व्यय करनी पड़ती हैं.
  • जल परिवहन ने पृथ्वी के दूरस्थ क्षेत्रों तक भारी सामान को पहुंचाना सम्भव किया हहिं.

जल परिवहन को दो भागों में विभक्त किया जा सकता हैं.

  • अंत स्थलीय या आंतरिक जल परिवहन
  • सागरीय या महासागरीय जल परिवहन

आंतरिक जल परिवहन – स्थलीय भागों पर जल क्षेत्रों में परिवहन को आंतरिक जल परिवहन कहा जाता हैं. नदियाँ, नहरें व झील आन्तरिक जल परिवहन के माध्यम हैं. आंतरिक जलमार्गों का विकास नदियों व नहरों में पानी की मात्रा, प्रवाह की निरन्तरता व इनकी चौड़ाई पर निर्भर करता हैं.

आंतरिक जलमार्गों को प्रभावित करने वाले तत्व (Elements Affecting Internal Waterways)

  • नदियों में जलप्रपात व घुमावदार प्रवाह व मोड़ अधिक नहीं होने चाहिए
  • नदियों में जल की गहराई सर्वत्र समान हो तथा पानी की मात्रा समान ही रहे क्योंकि शुष्क हो जाने या बाढ़ आ जाने से परिवहन में बाधाएं आएगी.
  • नदियाँ हिम के प्रभाव से सर्वथा मुक्त हो
  • नदियों के मार्ग में रपट, झरने और चट्टाने नीं हो, मार्ग दलदला न हो
  • नदियों का मार्ग तंग व गहरी घाटियों में न होकर मैदानी भाग के सघन जनसंख्या वाले प्रदेशों या औद्योगिक क्षेत्रों में ही हो.
  • नदी का बहाव धीमा हो.
  • नदियों में मौसमी प्रवाह से जल की मात्रा बढ़ने व नदी का मार्ग बदलने से परिवहन प्रभावित होता हैं.

महासागरीय या सामुद्रिक जल परिवहन – सागरों महासागरों में परिवहन को महासागरीय परिवहन कहा जाता हैं. महासागरीय जलमार्ग वे समुद्रीय जलमार्ग हैं. जिनमें एक देश से दूसरे देश के मध्य महासागरीय जलपोतों द्वारा मानव व माल का परिवहन किया जाता हैं.

महासागरीय जलमार्गों द्वारा परिवहन सस्ता होता हैं. अतः भारी मालों को जलमार्गों द्वारा ही भेजा जाता हैं. महासागरों में न तो कहीं रेल पटरियाँ बिछाई जाती हैं. और न ही सडकें बनाई जाती हैं.

सामुद्रिक परिवहन के लाभ (Benefits of maritime transport)

  • ये विभिन्न स्तरीय देशों के मध्यम सम्पर्क जोड़ते हैं.
  • सामुद्रिक परिवहन में जहाजों से जल सतह पर निम्नतम संघर्षण होता हैं. इस कारण कम शक्ति से अधिक माल ढोया जा सकता हैं. थोड़ी शक्ति के द्वारा ही भारी सामान के जहाज चले जाते हैं, क्योंकि जल में तरलता होती है और भूमि की सी रूकावट नहीं होती हैं. रेल के इंजन की अपेक्षा स्टीमरों को कम ईंधन की आवश्यकता होती हैं.
  • स्थल पर गाड़ियों के टकराने, पटरी पर से उतर जाने, पुल इत्यादि टूट जाने तथा अन्य प्रकार की बहुत सारी दुर्घटनाओं के खतरे रहते हैं, किन्तु महासागरों में खतरों की संख्या कम होती हैं.

सामुद्रिक परिवहन की सीमाएं (Maritime transport limits)

  • जलमग्न चट्टानों का खतरा
  • जल की गहराई में अंतर
  • जल घनत्व में अधिक परिवर्तन
  • हिमशैलों के आने और टकराने का भय
  • सागरीय जल का जम जाना

अक्षांशीय क्षेत्रों में सागरीय जल जम जाता हैं. अतः उन क्षेत्रों में सामुद्रिक परिवहन सम्भव नहीं हैं. पूर्व सोवियत संघ की लम्बी उत्तरी तट रेखा इसी कारण उपयोगी नहीं हैं.

भारत में जल परिवहन (Water transport in india In Hindi)

भारत में जल परिवहन की दृष्टि से ब्रह्मपुत्र नदी सर्वश्रेष्ठ हैं. गंगा, महानदी, गोदावरी, कृष्णा आदि में भी नावों से माल का परिवहन होता हैं.

भारत के प्रमुख बंदरगाह – भारत की 7517 किमी लम्बी तटरेखा पर 12 मेजर व 200 छोटे बन्दरगाह स्थित हैं. भारत के पश्चिम तट पर कांडला, बम्बई, मारमागोआ, न्यू मैंगलोर व कोचीन, विशाखापत्तनम, चेन्नई, एन्नौर, तूतीकोरन बन्दरगाह हैं.

छोटे बन्दरगाहों का संचालन व देखरेख सम्बन्धित राज्य सरकारों द्वारा किया जाता हैं. एन्नोर बन्दरगाह के अतिरिक्त अन्य समस्त मेजर पोर्टों के संचालन पोर्ट ट्रस्ट द्वारा किया जाता हैं. सर्वाधिक छोटे बन्दरगाह महाराष्ट्र में हैं.

One comment

Water transport ke bare me jaise boat ke bare me boat kya karta he

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जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi

जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi

आप इस पोस्ट में जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi पढेंगे। साथ ही पानी बचाने के आवश्यकताओं और उपायों के बारे में भी हमने विस्तार से बताया है। यह लेख हमें जल के महत्व को समझाता है। इसको हमने स्कूल और कॉलेज के बच्चों के लिए 1500+ शब्दों मे लिखा है।

आईये शुरू करते हैं – जल संरक्षण पर निबंध हिन्दी में

Table of Contents

प्रस्तावना Introduction

ईश्वर ने हमें पांच महत्वपूर्ण तत्व दिए हैं जल, वायु, अग्नि, आकाश, और पृथ्वी। कभी कल्पना की है कि इन पांच तत्वों में से एक तत्व ना रहे तो क्या होगा? जी हाँ ! हर एक तत्व का एक अलग महत्व है जिसमे से जल का एक बहुत ही अनमोल महत्व है। आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी ‘जल ही जीवन है’।

जल संरक्षण क्या है? What is Conservation of Water in Hindi?

स्वच्छ और पेयजल का व्यर्थ बहाव ना करते हुए उसको सही तरीके से उपयोग में लाकर जल के बचाव की ओर किए गए कार्य को जल संरक्षण कहते हैं। जल के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। 

पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग पानी है जिसका 96.5 प्रतिशत नमकीन या समुद्री पानी है और मात्र 3.5 प्रतिशत ही पीने लायक पानी है। इससे यह साफ़ पता चलता है कि आने वाले वक्त में मनुष्य के लिए जल का कितना बड़ा अभाव होने वाला हो। इसलिए हमें आज से ही जल संरक्षण का कार्य शुरू करना होगा।

जल संरक्षण का काम किसी नेता या सरकारी संस्थान का काम नहीं है। इसे हमें घर-घर से शुरू करना होगा। अगर हम शुरू करेंगे तो धीरे-धीरे हमें देख कर हमारे आसपास के लोग और आने वाली पीढ़ी भी सीखेंगे।

जल संरक्षण का महत्व Importance of Water Conservation in Hindi

हम सभी को जल के महत्त्व को और भविष्य में जल की कमी से संबंधित समस्याओं को समझने चाहिए। धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि बिना जल के जीवन संभव नहीं है। पृथ्वी पूरे ब्रह्मांड में मात्र एक ऐसा ग्रह है जहां पानी और जीवन आज की तारीख तक मौजूद है।

पृथ्वी पर हर चीजों को पानी की जरूरत होती है जैसे पेड़- पौधे, जीव- जंतु, कीड़े, इंसान और अन्य जीवित चीजें। हमें पीने, खाना पकाने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि आदि जैसी हर गतिविधियों में पानी की आवश्यकता होती है। इसीलिए पानी बचाने के लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं।

आईये एक-एक करके जानते हैं हमें जल संरक्षण की ज़रुरत क्यों है?

जल संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? Why to Conserve Water in Hindi?

  • मनुष्य जल के बिना जीवित नहीं रह सकता है। यह पानी बचाने का सबसे बड़ा कारण है।
  • शहरी क्षेत्रों में लोगों को पानी की बहुत किल्लत होती है। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषण है और बढती जनसंख्या है। परन्तु जिस प्रकार आज सरकार ने पानी का बिल लेना शुरू कर दिया है और बाजारों में पीने का पानी तेज़ी से बिक रहा है यह साफ़ पता चलता है की पेयजल में तेज़ी से कमी आ रही है।
  • पीने का पानी कम होने के कारण लोग अशुद्ध पानी का सेवन कर रहे हैं जिसके कारण मनुष्य को बड़ी-बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • बड़े-बड़े किसान अधिक लोभ के कारण ज्यादा-ज्यादा से बोरेवेल खुदवा रहे हैं जिससे वे भू-जल का ज्यादा भाग गर्मियों के महीने में कृषि के लिए उपयोग कर रहे हैं। इसका सीधा असर पृथ्वी के जल स्तर पर पड़ रहा है और कुछ वर्षों की अच्छी खेती के बाद उनकी धरती बंजर होते जा रही है।
  • मनुष्य को पानी की आवश्यकता हर क्षेत्र में है जैसे पीने, भोजन बनाने, स्नान करने, कपड़े धोने, फसल उगाने, आदि के कार्य में।
  • जल की कमी से प्रकृति का संतुलन बुरी तरह से बिगड़ते जा रहा है जो पृथ्वी के हर जीव को संकट की और लेते जा रहा है।

जल संकट के कारण Reasons of Water Crisis in Hindi

  • हमारे देश में औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और खनिज संपदा का बड़ी मात्राओं में विद्रोहन तथा कल कारखानों के विषैले रासायनिक अवशिष्टओ का उत्सर्जन होने से जल संकट निरंतर बढ़ रहा है इससे ना तो खेती-बाड़ी के लिए पर्याप्त पानी मिल पा रहा है और ना ही पेयजल की आपूर्ति हो पा रही है।

जल संकट के प्रभाव Effects of Water Crisis in Hindi

जल संकट के कारण तालाब सरोवर एवं कुएं सूख रहे हैं, नदियों का जलस्तर घट रहा है और जमीन का जलस्तर भी लगातार कम होते जा रही है, जिसके कारण अनेक प्रकार के जीव जंतु एवं पादपों का अस्तित्व मिट गया है, खेतों की उपज घट गई है और वन भूमि सूख रही है तथा धरती का तापमान लगातार बढ़ते जा रहा है। इस तरह से जल संकट का दुष्परिणाम देखने को मिल रहा है।

जल संरक्षण के उपाय How to Conserve Water in Hindi?

  • फ़ैक्टरी व कारख़ानों से निकलने वाले गंदे पानी को एक सुनिश्चित जगह पर निर्धारित किया जाना चाहिए जिससे वह अशुद्ध पानी, शुद्ध पानी के जल स्रोतों से ना मिल जाये।
  • समरसेबल पंप से निकलने वाले पानी को हम सब जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जो कि गलत है। हमें उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जितना की हमें जरूरत है।
  • सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए पानी की टंकियों को ऑटोमेटिक करना चाहिए जिससे शुद्ध जल की बर्बादी ना हो सके।
  • हम सभी को जागरूक नागरिक की तरह जल संरक्षण का अभियान चलाते हुए बच्चों और महिलाओं में जागरूकता लानी होगी। स्नान करते समय हमें शावर टब का प्रयोग ना करके बाल्टी में पानी लेकर नहाना चाहिए जिससे हम बहुत जल बता सकते हैं।
  • रसोई में जल की बाल्टी या टब में बर्तन साफ करें तो पानी बहुत बचाया जा सकता है।
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल संचयन के प्रोजेक्ट शुरू किये जाने जाने चाहिए।
  • गांव कस्बों और नगरों में छोटे बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जाए।
  • नगरों और महानगरों में घरों कि नालियों में पानी को गड्ढा बनाकर एकत्रित किया जाए और पेड़ पौधे की सिंचाई के काम में लाया जाए तो साफ पानी की बचत की जा सकती है।
  • यदि प्रत्येक घर के छत पर वर्षा जल का भंडार करने के लिए एक या दो टंकी बनाया जाए और उन्हें मजबूत जालिया फिल्टर कपड़े से ढक दिया जाए तोहर नगर में जल संरक्षण किया जा सकेगा।
  • घरों मुहल्लों और सार्वजनिक पार्कों स्कूलों अस्पतालों दुकानों मंदिरों आदि में नली की टोटियां खुली या  टूटी रहती है, तो अनजाने ही प्रतिदिन हजारों लीटर जल बेकार हो जाता है। इस बर्बादी को रोकने के लिए नगर पालिका एक्ट में टोंटियों की चोरी को दंडात्मक अपराध बनाकर, जागरूकता भी बढ़ानी होगी।
  • विज्ञान की मदद से आज समुद्र के खारे जल को पीने लायक बनाया जा रहा है। गुजरात के आदि नगरों और प्रत्येक घर में पीने के जल के साथ-साथ घरेलू कार्यों के लिए खारे जल का प्रयोग करके शुद्ध जल का संरक्षण किया जा रहा है। इसे बढ़ावा देना चाहिए।
  • गंगा तथा यमुना जैसी बड़ी नदी की सफाई करना बहुत जरूरी है। बड़ी नदियों के जल का शोधन करके पेयजल के रूप में प्रयोग किया जा सके। शासन प्रशासन को लगातार सक्रिय रहना होगा।
  • जंगलों को काटने से हमें दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला यह कि वाष्पीकरण ना होने से वर्षा नहीं हो पाती है तथा भूमिगत जल सूख जाता है। बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुन काटने से भूमि की नामी लगातार कम होते जा रही है, इसीलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना चाहिए।
  • पानी का दुरुपयोग हर स्तर पर कानून के द्वारा प्रचार माध्यमों से प्रचार करके तथा विद्यालयों में पर्यावरण प्रदूषण की तरह जल संरक्षण विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ाकर रोका जाना जरूरी है। अब समय आ गया है कि केंद्रीय और राज्यों की सरकारों जल संरक्षण को नए विषय बनाकर प्राथमिक से उच्च स्तर तक नई पीढ़ी को बताने का कानून बनाएं।

जल संरक्षण पर 10 लाइन 10 lines on Conservation of Water in Hindi

  • स्वच्छ  और पेयजल का व्यर्थ बहाव न करते हुए उसको सुनिश्चित तरीके से उपयोग मे लाकर जल के बचाव की ओर किए गए कार्य को जल संरक्षण कहते हैं।
  • हम सभी को जल के महत्त्व को और भविष्य में जल की कमी से संबंधित समस्याओं को समझने चाहिए।
  • धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि बिना जल के जीवन संभव नहीं है।
  • पृथ्वी पर हर चीजों को पानी की जरूरत होती है जैसे पेड़ पौधे, जीव जंतु, कीड़े, इंसान और अन्य जीवित चीजें।
  • हमें पीने, खाना पकाने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि आदि जैसी हर गतिविधियों में पानी की आवश्यकता होती है। इसीलिए पानी बचाने के लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं।
  • पेयजल की कमी होने से लोग इसका उपयोग कम से कम करें। शुद्ध जल कम होने के कारण लोगों को बड़ी बड़ी बीमारियां शुरू हो जाएगी।
  • धरती के अंदर जल का स्तर कम होने से धरती बंजर होने लगेगी और धीरे-धीरे करके चटकना शुरू कर देगी जो भूकंप जैसे हालातों को बढ़ावा देती है।
  • फैक्ट्री व कारखाने से निकलने वाले गंदे पानी को एक सुनिश्चित जगह पर निर्धारित कर दिया जाना चाहिए, जिससे साफ पानी गंदा ना हो।
  • समरसेबल पंपों से निकलने वाले पानी को हम सब जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जो कि गलत है, हमें उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जितना हमें जरूरत है।

निष्कर्ष Conclusion

अंत में बस में कहूँगी –

जल है तो जीवन है और जीवन है तो पर्यावरण है पर्यावरण से धरती है और धरती से हम सब हैं

जल को जीवन का आधार मानकर समाज में नई जागृति लाने का प्रयास किया जाए। अमृत जल जैसा जनजागरण किये जाए। जल चेतना की जागृति लाने से जल संचय एवं जल संरक्षण की भावना का प्रयास होगा तथा इससे धरती का जिवन सुरक्षित रहेगा।

जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi) आपको कैसा लगा कमेंट के माध्यम से बताइये और हमारे साथ जुड़े रहें।

2 thoughts on “जल संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Water in Hindi”

Fantastic and very nice

Very very fantastic essay on conservation of water

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जल पर निबंध 10 Lines (Essay On Water in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

waterways essay in hindi

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी, पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के अस्तित्व का कारण, ग्रह का 70% से अधिक हिस्सा है। जल वह जादुई तरल है, जो जानवरों, पौधों, पेड़ों, जीवाणुओं और विषाणुओं को जीवन प्रदान करता है। जल ही वह कारण है जिसके कारण पृथ्वी जीवन का समर्थन कर सकती है और अन्य ग्रह नहीं कर सकते।

मानव शरीर का 60% तक पानी से बना है। जबकि ग्रह पर पानी की बहुतायत है, मनुष्य और जानवरों द्वारा हर चीज का सेवन नहीं किया जा सकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पृथ्वी पर केवल 3% पानी ही मीठा पानी है, जो पोर्टेबल और उपभोग करने के लिए सुरक्षित है।

जल निबंध पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Water Essay in Hindi)

  • जल ही वह कारण है जिसके कारण जीवन अस्तित्व में है और पृथ्वी पर फलता-फूलता है
  • पृथ्वी की सतह का 70% हिस्सा पानी से बना है जिसमें से केवल 3% मीठा पानी मानव उपभोग के लिए है
  • पानी ग्रह पर जीवन के सभी रूपों का समर्थन करता है
  • मनुष्य पानी का उपयोग पीने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि, उद्योगों और कारखानों में करता है
  • मानव शरीर का 60% से अधिक भाग पानी से बना है
  • जानवर पीने और नहाने के लिए पानी का उपयोग करते हैं
  • पौधे, पेड़ और अन्य विभिन्न जीव अपनी वृद्धि और अस्तित्व के लिए पानी का उपयोग करते हैं
  • यह भविष्यवाणी की जाती है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा यदि मनुष्य ने इसका विवेकपूर्ण उपयोग करना नहीं सीखा
  • मनुष्य को जिम्मेदारी से पानी का उपयोग करना सीखना होगा क्योंकि यह एक गैर-नवीकरणीय संसाधन है
  • सभी देशों की सरकारों को मिलकर नीतियां और कानून बनाने चाहिए जो लोगों को अनावश्यक रूप से पानी बर्बाद करने से रोकें

जल पर निबंध 100 शब्द (Essay on Water 100 words in Hindi)

पानी पृथ्वी पर हर जीवन रूप की मूलभूत आवश्यकता है। यह पानी ही है जो हमें इस ग्रह पर आरामदायक जीवन जीने में मदद करता है। हमारा शरीर 70% पानी से बना है, इसलिए पानी हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण यौगिक है। जल का उपयोग हम अनेक कार्यों में करते हैं। हमें पीने, खाना पकाने, नहाने और साफ-सफाई के लिए पानी की जरूरत होती है। जल के बिना, ग्रह पर जीवन असंभव होगा। जल पृथ्वी पर नदियों, महासागरों, समुद्रों, तालाबों, झीलों, नदियों और हिमनदों के रूप में पाया जाता है। जल की संरचना पूरी पृथ्वी पर एक समान रहती है।

इनके बारे मे भी जाने

  • Noise Pollution Essay
  • Nature Essay
  • India Of My Dreams Essay
  • Gender Equality Essay
  • Bhagat Singh Essay
  • Essay On Shivratri

जल पर निबंध 150 शब्द (Essay on Water 150 words in Hindi)

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी सभी जीवित रूपों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरल है। यह न केवल हमारी जीवन प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है बल्कि हमारे ग्रह के कामकाज के लिए भी आवश्यक है। पृथ्वी पर जल तीन अवस्थाओं में उपलब्ध है- ठोस, द्रव और गैसीय। सॉलिड-स्टेट में ग्लेशियर, स्नो कैप, आइस शीट और पोलर आइस रिजर्व शामिल हैं। तरल अवस्था में नदियाँ, समुद्र, झीलें, तालाब, नदियाँ, महासागर और गीज़र शामिल हैं। 

गैसीय अवस्था में वायुमंडल में पाए जाने वाले जलवाष्प शामिल हैं। जल चाहे किसी भी अवस्था में क्यों न हो, जल का संघटन सदैव एक समान रहता है। यह एक शक्तिशाली यौगिक है जो पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवन का पोषण करता है। पौधों को प्रकाश संश्लेषण और श्वसन के लिए पानी की आवश्यकता होती है। मनुष्यों को परिसंचरण, पाचन, श्वसन और उत्सर्जन जैसी कई अलग-अलग जीवन प्रक्रियाओं के लिए पानी की आवश्यकता होती है, पानी के बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव होगा। चूँकि यह इतना महत्वपूर्ण यौगिक है, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम इसे संरक्षित करें ताकि यह जल्द समाप्त न हो।

जल पर निबंध 200 शब्द (Essay on Water 200 words in Hindi)

पानी किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल हमारे अपने अस्तित्व के लिए बल्कि हमारे ग्रह के समुचित कार्य के लिए भी आवश्यक है। सभी फलों और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पानी होता है। स्वस्थ रहने के लिए भरपूर मात्रा में पानी की जरूरत होती है, यानी लगभग 3-4 लीटर पानी प्रतिदिन। मानव शरीर को पानी की आवश्यकता होती है, और इसकी कमी से बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अपर्याप्त पानी की खपत के कारण गुर्दे की पथरी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। पानी में चंगा करने की क्षमता है और जीवन के अस्तित्व के लिए जरूरी है। हमारा ग्रह ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां जीवन की कल्पना की जा सकती है क्योंकि पानी और जीवन के लिए अन्य सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं। मंगल, बुध और शुक्र जैसे ग्रह निर्जन हैं। पानी न होने के कारण वे एक उजाड़ रेगिस्तान के समान हैं। जल जीवन के लिए आवश्यक है, और यह पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी मदद करता है।

जल पर निबंध 250 शब्द (Essay on Water 250 words in Hindi)

जल निबंध पर (Essay On Water in Hindi) – पानी एक अनमोल संसाधन है। पानी की कमी मध्य पूर्व और यहां तक ​​कि भारत के कुछ हिस्सों में सबसे गंभीर मुद्दों में से एक है। पीने के पानी की किल्लत है। जल प्रदूषण ने पृथ्वी की सतह पर सुलभ पीने के पानी की मात्रा को कम कर दिया है, साथ ही पानी की गुणवत्ता को भी नुकसान पहुँचाया है। यह न केवल इंसानों बल्कि जानवरों, पक्षियों और पौधों को भी प्रभावित करता है।

जल की प्रासंगिकता को वर्तमान जल संकट के संदर्भ में देखा जा सकता है। सूखा उन दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों में से एक है जो किसी स्थान पर हो सकती है। क्षेत्र की आर्थिक और वित्तीय स्थिति बुरी तरह प्रभावित होगी। दूसरी ओर, अत्यधिक बारिश लोगों, जानवरों और यहां तक ​​कि किसानों और निर्माताओं के लिए भी चिंता का विषय है। जल को वरदान माना जाता है, लेकिन यह अभिशाप भी हो सकता है।

इसलिए जल के महत्व को समझना जरूरी है। बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, जनसंख्या और वनों की कटाई के साथ, ताजा पानी प्रदूषित हो रहा है, और हमारे लिए उपलब्ध मात्रा कम हो रही है। अधिक जनसंख्या के कारण पानी का दुरूपयोग हो रहा है। पानी कई रूपों में दुनिया के प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है। पानी प्रकृति की सुंदरता को भी बिखेरता है।

जल पर निबंध 300 शब्द (Essay on Water 300 words in Hindi)

जल जीवन की सबसे मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है और इसके बिना जीवित रहना असंभव है। पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक जीव को अपने शरीर के समुचित कार्य के लिए पानी की आवश्यकता होती है। यह न केवल हमें जीवित रहने में मदद करता है बल्कि हमारे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पृथ्वी स्वयं 70% जल से बनी है, तथापि, सारा जल उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए, हमें इसके महत्व को समझने और इसका बुद्धिमानी से उपयोग करने की आवश्यकता है। जैसा कि हम दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पानी की कमी को देख सकते हैं, इसलिए समय आ गया है कि हम पानी का संरक्षण करना शुरू कर दें।

पानी के कई उपयोग हैं और यह कृषि में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है क्योंकि यह भारत का मुख्य व्यवसाय है। सिंचाई और मवेशियों को पालने की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए, किसान पानी का अधिक उपयोग करते हैं और काफी हद तक इस पर निर्भर रहते हैं।

दूसरी ओर, उद्योगों को विभिन्न उद्देश्यों जैसे कुछ वस्तुओं को संसाधित करने, ठंडा करने और निर्माण के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांट बड़े पैमाने पर पानी का उपयोग करते हैं। इन सबके अतिरिक्त जल का उपयोग घरेलू कार्यों जैसे पीने, कपड़े धोने, साफ-सफाई, बागवानी आदि में भी किया जाता है। इस प्रकार हमें जीवन के कुछ मूलभूत कार्यों को चलाने के लिए जल की आवश्यकता होती है।

पौधों और जानवरों को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। पानी जीवन का एक अनिवार्य घटक है जो किसी को जीवित रहने और ठीक से काम करने में मदद करता है। हालाँकि, लोग पानी की कमी से अनभिज्ञ हैं और इस प्रकार इसके परिणामों के बारे में सोचे बिना इस प्राकृतिक संसाधन का दोहन करते रहते हैं।

इसलिए सरकार के साथ एकजुट होने और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी के संरक्षण के लिए उपचारात्मक उपाय करने और बहुत देर होने से पहले इसका बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए एक घंटे की आवश्यकता है। पानी बचाने के लिए सरकार द्वारा प्रदान किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और जिनमें से एक वर्षा जल संचयन है- पानी बचाने और विभिन्न उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करने का एक शानदार तरीका।

जल पर निबंध 500 शब्द (Essay on Water 500 words in Hindi)

जल (रासायनिक सूत्र H2O) एक पारदर्शी रासायनिक पदार्थ है। यह हर जीवित प्राणी के लिए मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है चाहे वह पौधे हों या जानवर। जिस प्रकार पृथ्वी पर जीवन के समुचित विकास और विकास के लिए हवा, सूर्य का प्रकाश और भोजन, पानी की आवश्यकता होती है। हमारी प्यास बुझाने के अलावा, पानी का उपयोग कई अन्य गतिविधियों जैसे सफाई, कपड़े धोने और खाना पकाने के लिए किया जाता है।

पानी मुख्य रूप से अपने पांच गुणों के लिए जाना जाता है। यहाँ इन संपत्तियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है:

  • सामंजस्य और आसंजन

संसंजन, जिसे अन्य जल अणुओं के लिए जल के आकर्षण के रूप में भी जाना जाता है, जल के मुख्य गुणों में से एक है। यह पानी की ध्रुवता है जिसके कारण यह पानी के अन्य अणुओं की ओर आकर्षित होता है। पानी में मौजूद हाइड्रोजन बांड पानी के अणुओं को एक साथ बांधे रखते हैं।

आसंजन मूल रूप से विभिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच पानी का आकर्षण है। यह पदार्थ किसी भी अणु के साथ बंध जाता है जिसके साथ यह हाइड्रोजन बांड बना सकता है।

  • बर्फ का कम घनत्व

पानी के हाइड्रोजन बंध ठंडे होने पर बर्फ में बदल जाते हैं। हाइड्रोजन बांड स्थिर होते हैं और अपने क्रिस्टल जैसे आकार को बनाए रखते हैं। पानी का ठोस रूप जो बर्फ है तुलनात्मक रूप से कम घना होता है क्योंकि इसके हाइड्रोजन बांड बाहर की ओर होते हैं।

  • पानी की उच्च ध्रुवीयता

पानी में उच्च स्तर की ध्रुवीयता होती है। यह एक ध्रुवीय अणु के रूप में जाना जाता है। यह अन्य ध्रुवीय अणुओं और आयनों की ओर आकर्षित होता है। यह हाइड्रोजन बंध बना सकता है और इस प्रकार एक शक्तिशाली विलायक है।

  • जल की उच्च विशिष्ट ऊष्मा

पानी अपनी उच्च विशिष्ट ऊष्मा के कारण तापमान को मध्यम कर सकता है। जब गर्म होने की बात आती है तो इसमें काफी समय लगता है। गर्मी लागू नहीं होने पर यह लंबे समय तक अपना तापमान बनाए रखता है।

  • पानी की वाष्पीकरण की उच्च ऊष्मा

यह पानी का एक और गुण है जो इसे तापमान को सामान्य करने की क्षमता प्रदान करता है। जैसे ही पानी एक सतह से वाष्पित होता है, यह उसी पर शीतलन प्रभाव छोड़ता है।

पानी की बर्बादी से बचें

हमारे दैनिक जीवन में जिन गतिविधियों में हम शामिल होते हैं उनमें से अधिकांश के लिए पानी की आवश्यकता होती है। हमें इसका संरक्षण करना आवश्यक है अन्यथा आने वाले वर्षों में हमारा ग्रह ताजे पानी से रहित हो जाएगा। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे पानी को संरक्षित किया जा सकता है:

  • पानी की बर्बादी रोकने के लिए टपकते नलों को तुरंत ठीक करें।
  • नहाते समय शावर के प्रयोग से बचें।
  • अपने दांतों को ब्रश करते समय अपना नल बंद रखें। जरूरत पड़ने पर ही इसे चालू करें।
  • आधे कपड़े धोने के बजाय पूरे कपड़े धोएं। इससे न केवल पानी की बचत होगी बल्कि बिजली की भी काफी बचत होगी।
  • बर्तन धोते समय पानी को बहता हुआ न छोड़ें।
  • वर्षा जल संचयन प्रणाली का प्रयोग करें।
  • गटर की सफाई के लिए पानी की नली का उपयोग करने से बचें। आप इसके बजाय झाडू या अन्य तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं।
  • खाना बनाते और खाते समय सही आकार के बर्तनों और अन्य बर्तनों का उपयोग करें। अपनी आवश्यकता से बड़े का उपयोग करने से बचें।
  • स्प्रिंकलर के बजाय अपने पौधों को हाथ से पानी देने की कोशिश करें।
  • तालों को ढक दें ताकि वाष्पीकरण के कारण पानी की कमी से बचा जा सके।

हमें पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए और इसके संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए। हमें उन गतिविधियों और योजनाओं का अभ्यास और प्रचार करना चाहिए जो जीवित प्राणियों की वर्तमान और भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए जल संरक्षण और इसके स्रोतों की रक्षा करने में मदद करती हैं।

जल पर निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पृथ्वी की सतह का कितना भाग जल से बना है .

पृथ्वी की सतह का 70% से अधिक भाग पानी से बना है जिसमें से केवल 3% पीने योग्य मीठा पानी है

क्या पानी बनाया जा सकता है?

अभी तक, यह संभव नहीं है, लेकिन उचित रासायनिक उपचार के बाद पानी को रिसाइकल और पुन: उपयोग किया जा सकता है

जल के स्रोत क्या हैं?

नदियाँ, झीलें, ग्लेशियर और भूजल तालिका पृथ्वी पर पानी के कुछ स्रोत हैं

विश्व का सबसे बड़ा जल निकाय कौन सा है?

प्रशांत महासागर विश्व का सबसे बड़ा जल निकाय है। साथ ही, नील नदी दुनिया में ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है।

भारत में राष्ट्रीय जलमार्गों की सूची_0.1

भारत में राष्ट्रीय जलमार्गों की सूची

राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अनुसार 111 अंतर्देशीय जलमार्ग (भारत में पहले घोषित पांच राष्ट्रीय जलमार्गों सहित) को 'राष्ट्रीय जलमार्ग' घोषित किया गया है। 

List of National Waterways in India

Table of Contents

भारत, एक प्रायद्वीपीय देश होने के कारण, एक प्रभावशाली जलमार्ग परिवहन के लिए एक  व्यापक अवसर प्रदान करता है। भारत 14,500 किलोमीटर की तटरेखा से संपन्न है एवं इसलिए यह परिवहन का एक किफायती साधन  सिद्ध होता है। जलमार्ग का विकास सड़कों या रेलवे के विकास की तुलना में कम चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि भूमि अधिग्रहण का मुद्दा उत्पन्न ही नहीं होता।

हिंदी

राष्ट्रीय जलमार्ग क्या हैं ?

  • भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों का एक विशाल नेटवर्क है जिसमें नदी निकाय, नहरें, पश्चजल (बैकवाटर) एवं खाड़ियाँ सम्मिलित हैं।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अनुसार 111 अंतर्देशीय जलमार्ग (भारत में पहले घोषित पांच राष्ट्रीय जलमार्गों सहित) को ‘ राष्ट्रीय जलमार्ग ‘ घोषित किया गया है।
  • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया/आईडब्ल्यूएआई), भारत में जलमार्गों का एक प्रभारी वैधानिक प्राधिकरण, राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजनाओं के समय पर निष्पादन  तथा भारत में बेहतर जल परिवहन सुनिश्चित करने  हेतु उत्तरदायी है।

देश में क्रियाशील राष्ट्रीय जलमार्ग

राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत घोषित 111 राष्ट्रीय जलमार्गों (नेशनल वॉटरवेज/एनडब्ल्यू) में से 13 एनडब्ल्यू जहाजरानी तथा नौवहन के लिए  क्रियाशील हैं  एवं उन पर कार्गो/यात्री जहाज चल रहे हैं।

गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली (हल्दिया – इलाहाबाद) 1620 उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल
: ब्रह्मपुत्र नदी (धुबरी – सादिया) 891 असम

 

: वेस्ट कोस्ट नहर (कोट्टापुरम – कोल्लम), चंपक्कारा तथा उद्योग मंडल नहर 205  

 

केरल

चरण -1 कृष्णा नदी के मुक्तियाला से विजयवाड़ा तक खंड का विकास 82 आंध्र प्रदेश
 

 

(अम्बा नदी)

राजपुरी क्रीक

– (रेवदंडा क्रीक – कुंडलिका नदी प्रणाली)

(शास्त्री नदी-जयगढ़ क्रीक सिस्टम)

 

 

45

31

31

 

52

महाराष्ट्र

 

 

 

 

– उसगांव ब्रिज से अरब सागर (41 किमी)

– सांवोर्डेम ब्रिज से मोरमुगाओ पोर्ट (50 किमी)।

41

 

50

 

 

 

 

गोवा

 

 

226

436

 

गुजरात एवं महाराष्ट्र

पश्चिम बंगाल में नामखाना से अथरबंकी खल। 172 पश्चिम बंगाल

(भारत-बांग्लादेश नवाचार मार्ग के माध्यम से)

हिंदी

भारत में राष्ट्रीय जलमार्गों की संपूर्ण सूची

राष्ट्रीय जलमार्ग 1

उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल

गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली (हल्दिया-इलाहाबाद)।
राष्ट्रीय जलमार्ग 2

असम

ब्रह्मपुत्र नदी (धुबरी – सादिया)
राष्ट्रीय जलमार्ग 3

केरल

वेस्ट कोस्ट कैनाल (कोट्टापुरम – कोल्लम), चंपक्कारा तथा उद्योग मंडल नहरें
वेस्ट कोस्ट कैनाल (कोट्टापुरम – कोझिकोड)
राष्ट्रीय जलमार्ग 4

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, पांडिचेरी एवं महाराष्ट्र

काकीनाडा नहर (काकीनाडा से राजमुंदरी)
गोदावरी नदी (भद्राचलम से राजमुंदरी)
एलुरु नहर (राजमुंदरी से विजयवाड़ा)
कृष्णा नदी (वजीराबाद से विजयवाड़ा)
कोमूर नहर (विजयवाड़ा से पेद्दागंजम)
दक्षिण बकिंघम नहर (चेन्नई सेंट्रल स्टेशन से मराकानम)
मराकानम से पुडुचेरी तक कालुवेली तालाब
गोदावरी नदी (भद्राचलम-नासिक)
कृष्णा नदी (वजीराबाद-गलगली)
राष्ट्रीय जलमार्ग 5

ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल

पूर्वी तट नहर एवं मताई नदी
ब्राह्मणी-खरसुआ-धामरा नदियां
महानदी डेल्टा नदियां (हंसुआ नदी, नुनानाला, गोब्रिनाला, खरनासी नदी तथा महानदी नदी से सम्मिलित होकर)
राष्ट्रीय जलमार्ग 6

असम

आई नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 7

पश्चिम बंगाल

अजॉय (अजय) नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 8

केरल

अलाप्पुझा- चंगानस्सरी नहर
राष्ट्रीय जलमार्ग 9

केरल, वैकल्पिक मार्ग: 11.5 किलोमीटर

अलाप्पुझा- कोट्टायम-अथिरम्पुझा नहर
राष्ट्रीय जलमार्ग 10

महाराष्ट्र

अंबा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 11

महाराष्ट्र

अरुणावती – अरन नदी प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 12

उत्तर प्रदेश

असी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 13

केरल एवं तमिलनाडु

एवीएम नहर
राष्ट्रीय जलमार्ग 14

ओडिशा

बैतरनी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 15

पश्चिम बंगाल

बकरेश्वर – मयूराक्षी नदी प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 16

असम

बराक नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 17

हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब

ब्यास नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 18

असम

बेकी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 19

उत्तर प्रदेश

बेतवा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 20

तमिलनाडु

भवानी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 21

कर्नाटक एवं तेलंगाना

भीमा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 22

ओडिशा

बिरुपा – बडीगेंगुटी – ब्राह्मणी नदी प्रणाली
एन राष्ट्रीय जलमार्ग 23

ओडिशा

बुद्ध बलंगा
राष्ट्रीय जलमार्ग 24

उत्तर प्रदेश

चंबल नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 25

गोवा

चापोरा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 26

जम्मू एवं कश्मीर

चिनाब नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 27

गोवा

कम्बरजुआ नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 28

महाराष्ट्र

दाभोल क्रीक -वशिष्ठी नदी प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 29

पश्चिम बंगाल

दामोदर नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 30

असम

दिहिंग नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 31

असम

धनसिरी / चठे
राष्ट्रीय जलमार्ग 32

असम

दिखू नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 33

असम

दोयांग नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 34

पश्चिम बंगाल

डीवीसी नहर
राष्ट्रीय जलमार्ग 35

पश्चिम बंगाल

द्वारकेश्वर नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 36

पश्चिम बंगाल

द्वारका नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 37

बिहार तथा उत्तर प्रदेश

गंडक नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 38

असम  एवं पश्चिम बंगाल

गंगाधर नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 39

मेघालय

गनोल नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 40

बिहार  एवं उत्तर प्रदेश

घाघरा नदी
 राष्ट्रीय जलमार्ग 41

कर्नाटक

घाटप्रभा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 42

उत्तर प्रदेश

गोमती नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 43

कर्नाटक

गुरुपुर नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 44

पश्चिम बंगाल

इच्छामती नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 45

पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान

इंदिरा गांधी नहर
राष्ट्रीय जलमार्ग 46

जम्मू  तथा कश्मीर

सिंधु नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 47

पश्चिम बंगाल

जलंगी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 48

गुजरात एवं राजस्थान

कच्छ नदी प्रणाली का जवाई-लूनी-रण
राष्ट्रीय जलमार्ग 49

जम्मू  तथा कश्मीर

झेलम नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 50

असम  एवं मेघालय

जिंजीराम नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 51

कर्नाटक

काबिनी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 52

कर्नाटक

काली नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 53

महाराष्ट्र

कल्याण-ठाणे-मुंबई जलमार्ग, वसई क्रीक  एवं उल्हास नदी प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 54

बिहार  एवं उत्तर प्रदेश

कर्मनासा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 55

तमिलनाडु

कावेरी – कोलिदाम नदी प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 56

झारखंड

खरकई नदी
एन राष्ट्रीय जलमार्ग 57

असम

कोपिली नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 58

बिहार

कोसी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 59

केरल

कोट्टायम-वाइकोम नहर
राष्ट्रीय जलमार्ग 60

पश्चिम बंगाल

कुमारी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 61

मेघालय

किंशी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 62

असम एवं अरुणाचल प्रदेश

लोहित नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 63

राजस्थान

लूनी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 64

ओडिशा

महानदी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 65

पश्चिम बंगाल

महानंदा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 66

गुजरात

माही नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 67

कर्नाटक

मालाप्रभा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 68

गोवा

मंडोवी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 69

तमिलनाडु

मणिमुथारू नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 70

महाराष्ट्र एवं तेलंगाना

मंजरा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 71

गोवा

मापुसा / मोइदे नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 72

महाराष्ट्र

नाग नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 73

महाराष्ट्र एवं गुजरात

नर्मदा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 74

कर्नाटक

नेत्रावती नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 75

तमिलनाडु

पलार नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 76

कर्नाटक

पंचगंगावली (पंचगंगोली) नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 77

तमिलनाडु

पझ्यार नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 78

महाराष्ट्र एवं तेलंगाना

पेनगंगा – वर्धा नदी प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 79

आंध्र प्रदेश

पेन्नार नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 80

तमिलनाडु

पोन्नियार नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 81

बिहार

पुनपुन नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 82

असम

पुथिमरी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 83

महाराष्ट्र

राजपुरी क्रीक
राष्ट्रीय जलमार्ग 84

जम्मू तथा कश्मीर, हिमाचल प्रदेश  एवं पंजाब

रावी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 85

महाराष्ट्र

रेवदंडा क्रीक – कुंडलिका नदी प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 86

पश्चिम बंगाल

रूपनारायण नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 87

गुजरात

साबरमती नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 88

गोवा

साल नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 89

महाराष्ट्र

सावित्री नदी (बैंकोट क्रीक)
राष्ट्रीय जलमार्ग 90

कर्नाटक

शरावती नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 91

महाराष्ट्र

शास्त्री नदी – जयगढ़ क्रीक प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 92

पश्चिम बंगाल

सिलाबती नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 93

मेघालय

सिमसांग नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 94

बिहार

सोन नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 95

असम

सुबनसिरी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 95

झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा

सुवर्णरेखा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 97

पश्चिम बंगाल

सुंदरबन जलमार्ग
बिद्या नदी
छोटा काला गाछी (छोटो कलेर गाछी)
गोमर नदी
हरिभंगा
(होगल)-पठान खली नदी
कालिंदी (कलंदी)
नदी
नदी
मुरी गंगा (बाराटाला) नदी
रायमंगल नदी
साहिबखाली (साहेबखी नदी) सप्तमुखी नदी
सप्तमुखी नदी
ठकुरान नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 98

हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब

सतलुज नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 99

तमिलनाडु

तमारापारानी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 100

महाराष्ट्र  एवं गुजरात

तापी नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 101

नागालैंड

टिज़ू-जूंग की नदियाँ
राष्ट्रीय जलमार्ग 102

असम एवं मिजोरम

तलवांग (ढलेश्वरी नदी)
राष्ट्रीय जलमार्ग 103

उत्तर प्रदेश

टोंस नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 104

कर्नाटक, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश

तुंगभद्रा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 105

कर्नाटक

उदयवारा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 106

मेघालय

उमंगोट (दावकी) नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 107

तमिलनाडु

वैगई नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 108

उत्तर प्रदेश

वरुणा नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 109

महाराष्ट्र एवं तेलंगाना

वैनगंगा – प्राणहिता नदी प्रणाली
राष्ट्रीय जलमार्ग 110

दिल्ली, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश

यमुना नदी
राष्ट्रीय जलमार्ग 111

गोवा

जुआरी नदी

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पानी की समस्या और समाधान : कारण, उपाय

waterways essay in hindi

By मनीष कुमार साहू

पानी की समस्या और समाधान

विषय-सूचि

पानी की कमी के महत्वपूर्ण कारण (reasons for water scarcity in hindi)

1. पानी का अत्यधिक दुरुपयोग.

पानी का दोहन एक ऐसा कारण है जो कि पानी की कमी के प्रमुख कारणों में माना जाता है यह सिर्फ लोगों के नहाते-धोने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कृषि, जानवरों फैक्ट्रियों आदि के द्वारा भी पानी का बड़े पैमाने पर दोहन हो रहा है। इसके अलावा भी बहुत सारे क्षेत्रों में पानी का आना बनाया सदुपयोग होना भविष्य के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।

2. जल प्रदूषण

जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है खासकर अगर हम विश्व के उन हिस्सों की बात करें, जहां पर कचरा निकासी का कोई मजबूत ढाँचा नहीं है। ये कचरे कुछ भी हो सकते हैं, जैसे कि किसी तेल फैक्ट्री के कचरा, रासायनिक फैक्ट्री का कचरा, आम आदमी के जीवन शैली से उत्पन्न कचरा, तथा पशुओं के मृत शरीरों से उत्पन्न कचरा आदि।

इससे कोई फर्क नही पड़ता कि ये कचरे क्या हैं, किस रूप में हैं, लेकिन ये जरूर समझा जाना चाहिए कि इन सभी से पानी बुरी तरह से प्रदूषित होता है।

3. सूखा

पानी की कमी की बात कर रहे हो तो सूखे का नाम आना लाजमी है। भारत ही नहीं विश्व के कई क्षेत्रों में सूखे की स्थिति बराबर बनी रहती है। जब पानी बरसेगा नहीं, तो भू जल का स्तर इतना नीचे हो जाएगा कि लोगों के लिए पानी निकालना लगभग असंभव हो जाएगा। सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि इस स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास ज्यादा कुछ खास होता भी नहीं है।

4. पानी के स्त्रोत की कमी

भौगोलिक तौर पर देखा जाए तो दुनिया के बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर पानी के स्रोत ही नहीं है अगर है भी तो कई किलोमीटर दूर पर है इन परिस्थितियों में भी लोगों को जीवन जीने के लिए पानी तो चाहिए ही होता है।

पानी की कमी के प्रभाव (effects of water scarcity in hindi)

1. पीने के पानी की भारी कमी.

अगर आदमी दो-चार दिन में एक बार ही नहायेगा तो चल जाएगा, अगर आदमी अपने कपड़ों को बार-बार नहीं धोएगा तभी भी चल जाएगा लेकिन अगर आदमी पानी नहीं पी पाएगा तो बिल्कुल नहीं चल पाएगा। सबसे बड़ा प्रभाव यही पड़ता है कि लोगों को पीने तक कि पानी के लिए दर-ब-दर भटकना पड़ता है।

स्वच्छ और साफ पानी की तो बात छोड़िए, बहुत सारे क्षेत्र तो ऐसे भी हैं जहाँ नदियों, जलाशयों तक के पानी के लिए लोगों को कई किलोमीटर तक भटकना पड़ता है।

2. अशिक्षा

पानी की कमी से अशिक्षा जैसी बड़ी समस्या भी भयंकर रुप ले लेती है। दरासल वो बच्चे जिन्हें स्कूल जाकर अपनी पढ़ाई करनी चाहिए थी, वह अपने माता पिता या बड़ो के साथ पानी खोजने में और उसके घर तक लाने में ही रह जाते हैं। स्कूल जाने तक का उन्हें मौका नहीं मिल पाता है।

3. भुखमरी

जरा सोचिए अगर पानी नहीं होगा अगर पानी नहीं होगा तो अन्न कैसे उगेंगे? अगर अन्न नही उगेंगे तो खाया क्या जाएगा? जिन लोगों के पास पीने का पानी नहीं हो पाता, वो अन्न नही उगा पाते। और वो इतने सक्षम भी नहीं होते हैं, कि वो अन्न खरीद सकें। इस स्थिति में वो भुखमरी का शिकार हो जाते हैं।

4. गरीबी

जो लोग अपना सारा समय पानी खोजने और उसको अपने घर में ही लगा देते हैं उनको दूसरी चीजों के लिए समय नहीं मिल पाता। फलस्वरूप वो दिन-प्रतिदिन गरीब होते चले जाते हैं।

5. बीमारियाँ

पानी आदमी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन अगर यही पानी स्वक्ष ना हो और फिर भी पिया जाए जो की अक्सर पानी की कमी के क्षेत्र वाले में किया जाता है तो पानी काफी नुकसान भी पहुंचाता है नतीजा यह निकलता है कि उन लोगों को तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं।

जब भी समस्याएं होती हैं तो उनका उपाय भी होता है लेकिन जरूरत होती है उसको समझने और लागू करने कि यहां पर भी सारे बहुत सारे उपाय हैं जिन पर अगर ध्यान दिया जाए तो आने वाली पीढ़ी के लिए पानी बचाने में आसानी हो जाएगी।

पानी की समस्या का समाधान (water problem and solution in hindi)

1. शिक्षा-जागरूकता.

शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा बड़ी से बड़ी समस्या को हल करने में आसानी हो जाती जिसके पास पानी खोजने तथा उस को घर लाने का ही समय होता है उनको तो शिक्षित कर पाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन बाकी की दुनिया जिसके पास फिलहाल पानी है उन को जागरुक करना बेहद जरूरी है उनके दिमाग में पानी की अनावश्यक उपयोग आने वाली पीढ़ी के लिए घातक हो सकता है पानी बचाने में मददगार हो सकता है

2. पानी पुनर्चक्रण के द्वारा

आज के इस टेक्नोलॉजी वाली युग में बहुत सारी तकनीकी जन्म ले रही है, जो पानी के पुनर्चक्रण (रीसाइकिल) यानी दोबारा उपयोग में लाने वाले लायक बदलने में सक्षम है। यह भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इस्राइल इसका एक जीता-जागता उदाहरण है। लेकिन यह जरूर देखा जाना चाहिए कि पानी को पीने लायक बनाने के चक्कर में प्रकृति के दूसरे तत्वों को नुकसान ना पहुंचे।

3. कृषि सिंचाई पद्धति में बदलाव करके

कृषि में सिंचाई में काफी सारा पानी थक जाता है लेकिन जिस से उस क्षेत्र का भूजल स्तर लगातार गिरता जाता है लेकिन अगर इससे किसान ड्रिप पद्धति या झूम पद्धति अपनाए तो पानी को बचाया जा सकता है। फिर जब खेतों में पानी की खपत कम होगी तो पीने लायक पानी की बचत होगी।

4. कचरा निकालने का व्यवस्था करके

स्वच्छ पीने लायक जल की शुरुआत होती है एक व्यवस्थित कचरा निकासी के ढांचे से। क्योंकि बिना स्वच्छ वातावरण के हम स्वच्छ पानी की कल्पना भी नहीं कर सकते। इसीलिए कचरा निकासी के लिए एक व्यवस्थित ढांचा बनाना बहुत जरूरी होता है।

5. जल संरक्षण करके

जल संरक्षण की दिशा में काफी कुछ किया जा सकता है जब बारिश होती है तो जल संरक्षण में कोई खास व्यवस्था ना होने की वजह से सारा पानी नालियों और नदियों के जरिए होते हुए समुद्र में चला जाता है। जिससे भूजल स्तर नही बढ़ पाता।

गांवों के बाहर बड़े- तालाब बनवाकर अगर उसी पानी को एकत्रित कर लिया जाय तो उससे भूजल स्तर सुधारने में काफी मदद तो मिलेगी ही साथ में उस पाने को सिंचाई में भी प्रयोग कर सकेंगे।

मनीष साहू, केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातक कर रहे हैं और इस समय अंतिम वर्ष में हैं। इस समय हमारे साथ एक ट्रेनी पत्रकार के रूप में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इनकी रुचि कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में भी है।

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Very good points.

ye samshya door kese hoge sahu ji

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नदियों का महत्व पर निबंध - Essay on Importance of Rivers in Hindi

नदियों का महत्व पर निबंध - Essay on Importance of Rivers in Hindi

नदियों का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। इससे हमें पीने योग्य पानी और खेती तथा उद्योगों के लिए उचित जल की आपूर्ति होती रहती है। जितने भी वन्य प्राणी हैं जो जंगलों में निवास करते हैं वह अपनी प्यास से बुझाने के लिए नदियों का जल पीते हैं। आकाश में उड़ने वाले पक्षी भी नदी के जल का सेवन करते हैं। नदियां विभिन्न रिहायशी इलाकों, आवासीय क्षेत्र, या जहां पर लोग रहते हैं वहां पर उचित जल की उपलब्धता बनाए रखते हैं। ग्रामीण अपनी दैनिक के जीवन में नदियों के जल पर निर्भर हैं कपड़े धोने से लेकर पशुओं को नहलाने तक और खेती करके फसलों को उगाने हेतु भी नदियों के माध्यम से खेतों में जल को लाया जाता है।

नदिया संपूर्ण प्राणी जगत के लिए महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है यह हमारे पर्यावरण के लिए भी जरूरी है। गर्मी के मौसम में जब तेज धूप पड़ती है तो छोटे तालाब, कुंआ का पानी सूखने लगता है लेकिन नदियों में अधिक जल प्रवाह होता है इस वजह से वहां पर जल उपस्थित रहता है। ग्रीष्म ऋतु में नदियों के किनारे बसे बस्तियां तथा ग्रामीण इलाकों के लोगों को नदी से जल की प्राप्ति होती रहती है।

नदियां विभिन्न प्रकार से जीव जंतुओं को लाभान्वित करती है वह उनका लालन-पालन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बाटी जल का सेवन करके कई पालतू पशु और जंगली जानवर अपनी प्यास बुझाते हैं। भारत देश में नदियों की पूजा भी की जाती है गंगा नदी को माता कहा जाता है और उसकी पूजा भी की जाती है, उसमें स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं ऐसी मान्यता सदियों से चली आ रही है। इस पृथ्वी पर नदियों का अस्तित्व है इसलिए संपूर्ण प्राणी जगत को जल की आपूर्ति आसानी से हो पाती है। नदियों की वजह से ही उसके आसपास बस्तियाँ बसती है, लोग निवास करते हैं। कई बड़े महानगर नदियों के किनारे ही स्थित हैं, जैसा आगरा शहर यमुना नदी के किनारे और हरिद्वार गंगा नदी के किनारे स्थित है।

प्राचीन काल में ऋषि मुनियों द्वारा नदियों के किनारे शांत वातावरण में बैठकर सालों तक तपस्या किया जाता था। भारतीय संस्कृति रही है कि यहां नदी को माँ माना जाता है। जीवन में आने वाली उलझन और तनाव को काम करने और प्रकृति से जुड़ाव महसूस करने के लिए लोग नदी के किनारे जाकर बैठना पसंद करते हैं, वहां मन शांत होता है, लोग आत्मचिंतन करते हैं, चिंताएं दूर हो जाती है और सकारात्मकता में वृद्धि होती है। धरती पर रहने वाले समस्त जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य,  सबको नदियां जीवनदान देती है इसलिए नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में मनुष्य के मृत्यु के बाद उसकी अस्थि को गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से उसकी आत्मा को शांति मिलती है। 

यदि पृथ्वी पर नदियां नहीं होती तो पूरे संसार में पानी की कमी हो जाती, पेयजल की कमी के कारण लोग प्यास बुझाने के लिए बूंद-बूंद पानी को तरसते, खेतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त जल नहीं मिलता, अलग-अलग अनाज वाले फसलों को उगाने हेतु कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता। मनुष्य की इतनी बड़ी जनसंख्या तक जल पहुंचाना कठिन हो जाता मुख्य रूप से बड़े महानगरों में। ऐसे कई उद्योगों में समस्याएं आती जो जल पर निर्भर रहते हैं जैसे कृषि उद्योग आदि। यदि नदियों का अस्तित्व ना हो तो वातावरण अधूरा हो जाएगा। इससे हमारा दिनचर्या भी मुश्किल हो जाएगा पीने योग्य पानी के लिए जद्दोजहत करना पड़ेगा। 

मनुष्य उसे चीज का महत्व नहीं समझना जो उसे आसानी से उपलब्ध हो जाता है पृथ्वी पर नदियां उपलब्ध है और इसी वजह से पूरे संसार में प्राणी जगत को जल की उचित आपूर्ति हो पाती है, नदियां सबको जीवनदान देती है लेकिन मनुष्य उसके महत्व को न समझते हुए कचरा, प्लास्टिक, अपशिष्ट पदार्थों को बिना सोच विचार किया सीधे नदियों में फेंक देता है, अपशिष्ट पदार्थों को जल में विसर्जित करने का मतलब है कि हम नदियों को मैला कर रहे हैं, पशु पेयजल हेतु नदियों के पानी पर निर्भर रहते हैं ऐसे में अगर कारखानों से निकलने वाले अपशिष्टों को नदियों में विसर्जित किया जायेगा तो वह नदी के जल की गुणवत्ता घटाएगा उसे प्रदूषित करेगा और ऐसे जल का सेवन करके पशु बीमार पड़ेंगे, जिसका जिम्मेदार मनुष्य होगा क्योंकि वह ही नदियों को अपने अनुचित गतिविधियों से धीरे-धीरे करके गंदा करता जा रहा है। 

नदियों के किनारे बसे तीर्थ स्थलों में हर साल यात्री ईश्वर के दर्शन करने और नदियों में डुबकी लगाने आते हैं परंतु उस दौरान कई लोग कचरे जिसमें मुख्य तो प्लास्टिक कचरा, को जल में फेंक देते हैं, पूजन सामग्री जैसे खाली अगरबत्ती के पैकेट आदि को जल में फेंकना उचित नहीं, लाखों की संख्या में लोग तीर्थ स्थानों में जाते हैं और यदि हर कोई वहां कचरा फैलाएगा तो वह नदी में जा मिलेगा और जल की गुणवत्ता खराब हो जायेगी।

हम गंगा जल में स्नान करके अपने पाप धोते हैं परन्तु गंगा जल को साफ और स्वच्छ रखने में अपना योगदान नहीं दे रहे। पृथ्वी के अलग अलग हिस्सों में जितनी भी नदियां बह रही है अगर हम वहां जाते हैं, कभी घूमने के लिए या पिकनिक के लिए अपने परिवार के साथ तो इस बात का जरूर ध्यान रखे की हमारी वजह से वहां पर कोई गंदगी न फैले, जल में किसी अवांछनीय (अनुपयुक्त) चीजों को न फेंके जिससे जल प्रदूषण हो। नदियों को स्वच्छ रखने के लिए हमें स्वयं पहल करनी होगी, और लोगों से भी आग्रह करना होगा कि अगर वह किसी धार्मिक स्थान पर जाते हैं और अगर वहां नदी है तो उसमें या उसके आसपास कोई कचरा न फैलाए बल्कि कूड़ेदान में कचरा डाले इससे नदियां स्वच्छ और पवित्र रहेंगी।

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Importance of Water in Hindi: जल का महत्व 10 लाइन

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  • Updated on  
  • अगस्त 12, 2023

जल का महत्व पर निबंध

हमारा शरीर का 70% जल से बना हुआ है, केवल हमारा शरीर ही नहीं परंतु हमारी पूरी पृथ्वी दो-तीहाई जल से अच्छादित है। हमारे शरीर और जीवन की पूंजी जल, वायु और भोजन हैं। हमारे जीवन में अगर इनमें से अगर एक भी चीज न रही तो हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है। आपने यह तो सुना ही होगा “जल ही जीवन है।” इस ब्लॉग में हम जल का महत्व (Importance of Water in Hindi) पर विभिन्न निबंध लिखना सीखेंगे।

This Blog Includes:

जल का क्या महत्व है, जल ही जीवन है पर निबंध, जल का महत्व पर निबंध 100 शब्द, जल के महत्व पर निबंध 300 शब्द, जल के महत्व पर निबंध पोस्टर, जल का महत्व निबंध 400 शब्द, जल का महत्व निबंध 500 शब्द, जल का महत्व इन हिंदी 10 लाइन, जल का महत्व 10 लाइन, जल का महत्व पर 10 अनमोल विचार.

मनुष्य के शरीर का 70% हिस्सा पानी का बना हुआ है। इंसान 5 दिन बिना खाना खाए रह सकता है लेकिन बिना पानी के एक दिन भी गुजारना मुश्किल हो जाता है। पानी केवल पीने के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन के उद्देश्यों जैसे स्नान, खाना पकाने, सफाई और कपड़े धोने आदि के लिए भी आवश्यक है। जल हाइड्रोजन के दो और ऑक्सीजन के एक अणु से मिल कर बनता है।

जब भी जल के महत्व की बात आती है हमारे दिमाग में सबसे पहली लाइन यही आती है ‘Jal hi Jeevan Hai’। हमारे शरीर की सरंचना ऐसे हुई है, जिसमें 70% हिस्सा जल का है। दुनिया के हर जीव को जीने के लिए जल की आवश्यकता होती है। पेड़-पौधों से लेकर जानवर तक हर जीव पानी की उपस्थिति के कारण मौजूद है।

पानी हमारे रोजमर्रा की जिंदगी के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। सफाई से लेकर खाना बनाने तक, कपड़े से लेकर, बर्तन साफ करने तक हर कार्य को करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। घर हो या बाहर हर जगह हमें पानी की आवश्यकता होती ही है और इसी को पूरा करने के लिए नए-नए तरह की तकनीक का उपयोग किया जा रहा है ताकि हमें कभी पानी की कमी महसूस न हो और हर जगह हमें पानी उपलब्ध मात्रा में मिल सके। हम जिस बिजली का उपयोग करते हैं वह भी पानी से ही बनती है।

पानी की कमी आज देश के लिए बड़ा मुद्दा बन चुकी है। देश के कई राज्य ऐसे हैं जहाँ अकाल पड़ रहा है। हम समाचार पत्र में पढ़ते ही रहते हैं कि कई देश और कई राज्य ऐसे है, जो अकाल से जूझ रहे हैं।

Importance of water in Hindi पर 100 शब्दों पर निबंध इस प्रकार है:

Importance of Water in Hindi (जल का महत्व )

“जल ही जीवन है”, इसका यह अर्थ है कि जहां पानी होता है वहां जीवन होता है। पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी पर ही जल पाया जाता है। जल हमें प्रकृति के द्वारा दिया गया है तो हमें इसका सम्मान करना चाहिए न कि इसका व्यर्थ में बर्बाद करना चाहिए। मनुष्य, जानवरों, पेड़ पौधे सभी के जीवन में जल का उपयोग होता है, जल के बिना जीवन असंभव है। दो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के अणुओं को मिलाकर जल बनता है। जल का रासायनिक सूत्र H2o है। सभी को हमेशा साफ और शुद्ध जल ही पीना चाहिए। पानी का एक एक बूंद भी बहुत कीमती होता है।

Importance of Water in Hindi

पानी सबसे महत्वपूर्ण पदार्थों में से एक है, जो पौधों ,जानवरों ,मनुष्य के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। पानी के बिना हम जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते। हमारे शरीर का आधा वजन पानी से बनता है, पानी के बिना दुनिया में कोई भी जीव जिंदा नहीं रह सकता। जीवन में पानी केवल पीने के लिए ही नहीं परंतु दैनिक जीवन में भी बहुत उपयोगी है जैसे कि स्नान करना ,खाना पकाना ,कपड़े धोने के लिए ,सफाई करने के लिए आदि ऐसी बहुत सारी चीजों के लिए आवश्यक है। जल की तीन अवस्थाएं होती है:

  • ठोस (solid)
  • द्रव्य (liquid)

पृथ्वी के 70% भाग पर जल विद्यमान है। यह जल महासागरों ,सागरों में  वितरित है। जल एक रासायनिक पदार्थ के रूप में भी काम आता है, यह रंगहीन और गंधहीन होता है। जल का क्वथनांक (boiling point)  1000 डिग्री सेल्सियस होता है। जल का सतही तनाव (surface tension) उच्च होता है, क्योंकि जल के अणु के बीच होने वाली अंत क्रिया कमजोर होती है। जल बहुत अच्छा विलायक साल्वेंट (solvent) होता है। इसका यह मतलब है कि जो पदार्थ अच्छी तरीके से पानी में घुल जाता है। जल की इस घुलनशील प्रवृत्ति को  हाइड्रोफिलिक (hydrophilic) का नाम दिया जाता है, जैसे कि नमक चीनी ,आदि। ऐसे भी कुछ पदार्थ होते हैं जो पानी में घुलनशील नहीं होते जैसे कि तेल और वसा। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है, भविष्य में हमारे लिए जल का संरक्षण करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

जल का महत्व निबंध के लिए पोस्टर नीचे दिया गया है-

पृथ्वी इस ब्रह्मांड में एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां पानी और ऑक्सीजन की उपलब्धता के कारण ही जीवन संभव है। जल पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जीवन की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। हालाँकि पृथ्वी की सतह पर पानी की प्रचुर मात्रा का 97.5% पानी खारा है और 2.5% ताजा पानी (पीने के लायक) है। दुनिया का केवल 3% पानी एक ऐसे रूप में है जिसका हम उपयोग कर सकते हैं। हम प्रत्येक दिन बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग करते हैं, क्योंकि पानी कई अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करता है। 

2020 के लिए जल संरक्षण के प्रयासों में उत्तर प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य का दर्जा दिया गया है। जल शक्ति मंत्रालय ने जल संरक्षण की दिशा में उनके कार्यों और प्रयासों के लिए क्रमशः राजस्थान और तमिलनाडु को दूसरे और तीसरे स्थान से सम्मानित किया। देश को अपनी कृषि, सिंचाई, उद्योग और घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष 1,000 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता है। पानी का उपयोग तो लगातार बढ़ता जा रहा वहीं इसकी उपलब्धता में कमी होती जा रही है। पानी की इस कमी को पूरा करने के लिए सकारात्मक और प्रभावी कदमअपनाने होंगे।

पृथ्वी पर महासागर, नदियां, झील, भूमिगत जल और वर्षा जल के मुख्य और सबसे बड़े स्रोत हैं। पानी को बचाना और संरक्षित करना आज की आवश्यकता है। कई गांव पीने की कमी की बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं। पानी सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए हमें पानी बचाना चाहिए। हम सभी को इस समस्या का एहसास होना चाहिए और पानी बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए। वर्षा जल संचयन जैसे कदम पानी बचाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। हम पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। पानी हमारी दुनिया के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। हमें अच्छे जीवन और आने वाली पीढ़ी के लिए जल का संरक्षण करना होगा। पानी की कमी और पानी की उच्च जरूरतों को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि हमें पानी की बचत के लिए संरक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ करने की आवश्यकता है।

एक निष्कर्ष पर पहुंचा जाये तो यह कह सकते हैं कि बिना जल के जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है। लॉरेन ईसेली का कहना है कि “यदि इस ग्रह पर जादू है, तो यह पानी में निहित है।”

पृथ्वी पर हर एक जीव के लिए जल का बहुत ही बड़ा महत्व है। जीने के लिए जल के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। पृथ्वी पर जल पाया जाता है इसी कारण से इसे ब्रह्मांड का एक अनोखा ग्रह कहा जाता है। जल के कारण ही पृथ्वी पर मनुष्य की जाति विकसित हो रही है। जीने के लिए मनुष्य पशु, पेड़ पौधों सभी को जल की जरूरत होती है।अगर किसी कारण जल समाप्त हो जाता है तो कोई भी जीव जंतु जीवित नहीं रह पाएगा क्योंकि सभी जीने के लिए जल का उपयोग करते हैं। पृथ्वी का 7 8% जल महासागर में पाया जाता है, जिसमें नमकीन जल मिलता है परंतु यह पानी किसी काम के योग्य नहीं है। 2.7 प्रशीतक जल ही पीने के योग्य है, जो पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव इस्तेमाल करते हैं।

जल ही जीवन है इस बात का हर एक मनुष्य को ध्यान रखना चाहिए। मनुष्य को जल के संरक्षण के बारे में विचार करना चाहिए क्योंकि पृथ्वी से जल तेजी से विलुप्त हो रहा है यानी कि कम हो रहा है। फैक्ट्रियों द्वारा प्रदूषण फ़ैल रहा है, इनका सारा कचरा नदियों, झीलों और तालाबों में जाकर मिल रहा है, जिसके कारण जल दूषित हो रहा है। हमें जल को दूषित होने से रोकना चाहिए ताकि आने वाले समय के लिए हम जल को बचा सकें। 65 से 80% तक जल मनुष्य के शरीर में पाया जाता है। 7% रक्त में होता है। हमेशा साफ और शुद्ध जल पीना चाहिए। ब्लीचिंग पाउडर, फिटकरी डालकर हम जल को साफ कर सकते हैं। पानी पीने से पहले उसे उबालना चाहिए, जिसके कारण उसमें मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं।

मनुष्य के साथ-साथ पेड़ पौधों को जल की उतनी ही आवश्यकता होती है। जल के बिना कोई भी पेड़ पौधे विकसित नहीं हो सकते, वह मुरझा जाते हैं और सूख जाते हैं। मनुष्य को जीवित रहने के लिए पेड़ पौधों का जीवित रहना उतना ही आवश्यक है। खेत में ऐसे कई सारी फसल हैं जो जल के द्वारा ही संभव हो सकती हैं जैसे कि गेहूं, मक्का ,चावल ,आदि। पशु पक्षियों और अन्य जीवो को भी मनुष्य की तरह प्यास लगती है। रेगिस्तान में पाए जाने वाले ऊंट को “रेगिस्तान का जहाज ” कहते हैं। वह अपने शरीर में एक बार में 50 लीटर तक पानी पीकर उसे संचित कर सकता है और कई दिनों तक बिना पानी के जीवित भी रह सकता है।

हाइड्रोजन के दो अणु और ऑक्सीजन के एक अणु को मिलाकर जल बनता है। जल का रासायनिक नाम H2Oहै। जल से बिजली का उत्पादन भी किया जा सकता है। जल हमें सिर्फ पीने के लिए नहीं परंतु कई सारे कामों के लिए उपयोगी होता है जैसे कि कपड़े धोने के लिए, नहाने के लिए , भोजन बनाने के लिए, आदि ऐसे कई सारे कार्यों के लिए जल का उपयोग होता है। जल ही जीवन है इस बात का हमें ध्यान रखना चाहिए और हमें जितना हो सके उतना जल को बचाना चाहिए।

जल का महत्व इन हिंदी 10 लाइन नीचे दी गई हैं-

  • पानी सबसे महत्वपूर्ण पदार्थों में से है जो पौधों ,जानवरों ,मनुष्य के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। 
  • हमारे शरीर का आधा वजन पानी से बनता है ।
  • पानी का रासायनिक नाम H2O होता है ।
  • जल की तीन अवस्थाएं होती हैं।
  • जल का कोई भी रंग नहीं होता।
  • जल का क्वथनांक 100 डिग्री सेल्सियस होता है।
  • ऐसे भी कुछ पदार्थ होते हैं जो पानी में घुलनशील नहीं होते जैसे कि तेल और वसा। 
  • पृथ्वी पर हर एक जीव के लिए जल का बहुत ही बड़ा महत्व है।
  • पृथ्वी के जल का 78% महासागर में पाया जाता है।
  • 2.7% जल ही पीने के योग्य है।

जल के महत्त्व पर 10 लाइन नीचे दी गई है:

Importance of water in Hindi पर 10 अनमोल विचार नीचे दिए गए हैं- 

importance of water in hindi

  • “पानी पृथ्वी का खून है इसे यूं ही ना बहाएं”
  • “पानी नहीं अमृत है, इसको बचाना हमारा कर्तव्य है।
  • “जल ही जीवन का अमूल्य धन इसको बचाओ करो जतन।”
  • “जब आप बचाते हैं पानी, तब आप बचाते हैं जिंदगानी।”
  • “हर बच्चा, बुड्ढा और जवान पानी को बचाकर बने महान”
  • “बिन जल जीवन नहीं रहेगा, जल की अद्भुत महिमा तुम जानो”
  • “हर कोई इंसान पानी को बचाकर बने महान”
  • “जरुरत के अनुसार पानी का कीजिए उपयोग, जल बचाओ अभियान में आपका होगा सहयोग”
  • “जो पानी को बचाएगा समझदार तो कहलाएगा”
  • “जल तो है सोना, इसे कभी भी नहीं खोना!”

importance of water in hindi

मनुष्य जल को विभिन्न कार्यों में प्रयोग करता है। जैसे इमारतों, नहरों, घाटी, पुलों, जलघरों, जलकुंडों, नालियों एवं शक्ति घरों आदि के निर्माण में। जल का अन्य उपयोग खाना पकाने, सफाई करने, गर्म पदार्थ को ठंडा करने, वाष्प शक्ति, परिवहन, सिंचाई व मत्स्य पालन आदि कार्यों के लिये किया जाता है।

पानी तीन रूपों में होता है: 1. ठोस, बर्फ के रूप में, 2. तरल, पानी के रूप में, और गैस, जलवाष्प के रूप में।

शहरों में रहने वाले लोगों के लिए तो नल का पानी ही सबसे सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प है।

पानी को साफ करने के लिए इसे पीतल, तांबे या मिट्टी के बर्तन में 100 डिग्री सेल्सियस पर उबालें और पीने लायक होने पर ही प्रयोग में लें। ध्यान रहे कि एक बार उबाले गए पानी को आप आठ घंटे के भीतर प्रयोग कर लें वर्ना इसमें वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से फिर से अशुद्धियां आ जाती हैं।

आशा करते हैं कि आप इस ब्लॉग के माध्यम से जल का महत्व (Importance of Water in Hindi) समझ गए हैं। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करने के लिए 1800 57 2000 पर कॉल कर बुक करें।

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हेलो अनुज आपका आभार, ऐसी ही और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहें।

Essay बहुत अच्छा लिखा है। जल ही जीवन है। प्लीज मेरी पोस्ट के बारे में बताएं कैसी लिखी है

आपका बहुत-बहुत आभार।

This is really helpfull 😇

आपका धन्यवाद।

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ESSAY KI DUNIYA

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Essay on Water in Hindi – जल का महत्व पर निबंध

December 14, 2017 by essaykiduniya

Here you will get Paragraph, Short Essay on Water in Hindi Language, Pani ka Mahatva Essay in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200, 300, 400 & 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में जल का महत्व पर निबंध मिलेगा।

Essay on Water in Hindi – जल का महत्व पर निबंध

Essay on Water in Hindi Language

5 Lines on Water in Hindi 

1. जल मनुष्य, पशु पक्षी और पेड़ पौधो की जरूरत है इसी की वजह से है हरियाली है और देश भी इतना खुबसूरत है।

2. जल से ही आज है और जल से ही है कल कभी भी मत छोड़ो तुम बेमतलब का बहता नल।

3. जल को दुषित मत करो इसके अभाव में होने वाले दुष्परिणामों से डरो।

4. जल को कहते है नीर और पानी इसे बर्बाद करके मत करो नादानी।

5. अगर आज जल को नहीं बचाओगे, कभी जल भी नहीं पाओगे तो बिना जल के जीवन कहाँ से लाओगे।

Short Essay on Water in Hindi – जल का महत्व पर निबंध (200 words)

जल प्रकृति का इंसान को दिया हुआ सबसे अनमोल उपहार है। हम इसका प्रयोग अपनी दिनचर्या में करते हैं। हमारी पृथ्वी चारों तरफ से पानी से घिरी हुई है। लेकिन धरती पर स्वच्छ पानी सिर्फ 3 प्रतिशत है जिसमें से अधिकांश पहाड़ो पर बर्फ के रूप में जमा हुआ है। हमें जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता है। हम रोज कपड़े धोने, बर्तन धोने, नहाने, खाना बनाने और अन्य बहुत सारे क्रियाकलापों में पानी का प्रयोग करते हैं। पानी हाईड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बनता है और यह मनुष्य से लेकर पशु पक्षी और पौधों के लिए भी बहुत जरूरी हैं।

जल के बिना तो हम भोजन प्राप्त भी नहीं कर सकते क्योंकि अगर बारिश नहीं होगी तो फसलें भी नहीं होगी। पानी की वजह से ही किसी भी ग्रह पर जीवन संभव है। लेकिन बहुत सो लोग पानी के महत्व को नहीं समझते हैं। वह इसका इस्तमाल बिना सोचे समझे करते हैं और पानी को बर्बाद करते हैं। हमारे पास पहले ही स्वच्छ जल का अभाव है और जो है हम उसे भी दुषित करते जा रहे हैं। हमें चाहिए कि हम बहुपयोगी जल को गंदा न करे और उसे सरंक्षित भी करे।

Essay on Water in Hindi Language – जल का महत्व पर निबंध ( 300 words )

जल जीवित रहने के लिए अत्यंत आवश्यक है। जल के बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पृथ्वी भी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसपर जीवन संभव है क्योंकि यहाँ पर पानी की व्यवस्था है। हम प्रतिदिन विभिन्न क्रियकलापों जैसे नहाने, कपड़े धोने, बर्तन धोने आदि के लिए पानी का उपयोग करते है। पानी मनुष्य के साथ साथ पशु और पौधों के लिए भी जरूरी है। पानी से ही पौधों का विकास होता है। हमारी पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग जल है लेकिन उसमें से ताजा और पीने लायक पानी केवल 0.98 प्रतिशत है।

यदि हम पानी को इसी प्रकार बर्बाद करते रहे तो एक समय ऐसा आऐगा कि हमें पीने के लिए भी पानी नहीं मिलेगा। वर्तमान में भी बहुत से शहर ऐसे है जहाँ पर पानी का अभाव है। पानी के बिना पेड़ और वनस्पति भी नहीं होंगे इसलिए हमें पानी को बचाने की आवश्यकता है। हमें पानी को बर्बाद होने से भी बचाना है और साथ ही प्रदुषण मुक्त भी बनाना होगा। हमें पानी का सीमित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए और चलते हुए नलों को बंद करना चाहिए। हमें वर्षा के पानी को भी संचय करना चाहिए और पानी को स्वच्छ करने का कर्तव्य करना चाहिए। नदियों में पूजा पाठ के नाम पर राख आदि को नहीं बहाना चाहिए। उद्योगों को नदियों से दूर लगाना चाहिए।

यदि हम पानी को इसी तरह बरबाद करते रहेंगे तो आने वाले समय में पानी के अभाव में ही तीसरा विश्व युद्ध होगा और बिना पानी के धरती पर भी जीवन समाप्त हो जाऐगा। पानी को बचाना कोई पारिवारिक या सामाजिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक मुद्दा है और पूरे विश्व को मिलकर ही पानी को बचाना होगा। बच्चों को पानी की अहमियत को समझना चाहिए और पानी को बर्बाद करने की बजाय बचाना चाहिए।

Essay on Water in Hindi Language – जल का महत्व पर निबंध (400 words)

यह सच है कि दुनिया में जमीन की तुलना में अधिक पानी है। लेकिन इनमें से अधिकांश समुद्र के पानी के रूप में है, जो मानव उपभोग के लिए अयोग्य है, क्योंकि मनुष्य को जीवित रहने के लिए मीठे पानी की आवश्यकता होती है। यह प्यारा भक्षक प्रकृति द्वारा वर्षा, नदी और जमीन या अच्छी तरह से पानी के रूप में प्रदान किया जाता है। भारत एक ऐसा देश है जिसमें बड़ी मीठी जल संसाधन है। बढ़ती आबादी और उचित मेटर मैन-एजमेंट की कमी के कारण, यह पानी बहुत दुर्लभ हो गया है। इसलिए देश में लगभग कहीं भी पेयजल की तीव्र कमी है। यह पानी की आपूर्ति में लगातार कटौती, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। यह वास्तव में हमारे घर में पिछले रविवार को हुआ था।

पानी की बर्बादी के बारे में कोई सोचा नहीं है, जो अक्सर दोषपूर्ण पानी के नल, या हमारे घरों में पानी के लापरवाह संचालन के कारण होता है, हमारे दिमाग को उत्तेजित करता है हम अपने पहाड़ क्षेत्रों में पेड़ों को कम करने या औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट जल से निकलने वाली हमारी नदियों के प्रदूषण से पानी की आपूर्ति से जुड़े नहीं हैं। अगर केवल हम इन कारकों पर अधिक ध्यान दे सकते हैं, तो हम पानी की आपूर्ति में कटौती से बचने में सक्षम होंगे।

Essay on Uses of Water in Hindi Language ( 500 words )

भूमिका-.

जल हमारा जीवन है क्योंकि इसके बिना मनुष्य, वनस्पति और पशुओं का कोई भी अस्तित्व नहीं है। पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ पर पानी पाया जाता है और उसी वजह से यहाँ पर जीवन संभव है। बिना पानी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। हमारी पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है जिसमें से स्वच्छ जल केवल 0.97 प्रतिशत ही है। पानी सो ही जीवन का आधार है।

जल का प्रयोग-

हम प्रतिदिन विभिन्न क्रियकलापों के लिए पानी का प्रयोग करते हैं।

1. पीने के लिए स्वच्छ जल- हर व्यक्ति प्रतिदिन 2 लीटर पानी पीता है जिससे उसकी प्यास बुझती है और शरीर को भी सही तरह से कार्य करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। 2. स्वच्छता के लिए जल- हम प्रतिदिन स्नान करने, अपने शरीर की सफाई करने और घरों की सफाई करने के लिए पानी का प्रयोग करते है। 3. कपड़े धोने के लिए- हमें अपने कपड़ो को स्वच्छ और साफ सुथरा रखने के लिए पानी का ही प्रयोग करना पड़ता है। 4. वनस्पति के लिए-  वनस्पति को उगने के लिए और पेड़ पौधों के विकास के लिए भी पानी की ही आवश्यकता होती है। 5. मनोरंजन के लिए- पानी का प्रयोग मनोरंजन के लिए भी किया जाता है। ज्यादातर लोग छुट्टियों में नौका विहार, रिवर राफ्टिंग आदि गतिविधियों में भाग लेते है। 6. नलिकाओं के लिए- गलियों और नालियों मों से कूड़ा करकट बहाने के लिए भी पानी का ही प्रयोग किया जाता है। 7. बिजली के लिए- बड़ी बड़ी नदियों पर बाँध बनाकर पानी का प्रयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है। 8. भोजन के लिए- भोजन को बनाने के लिए पानी की आवश्यकता होती है और पानी से बहुत से स्वादिष्ट पेय पदार्थ भी बनाए जाते है। 9. सौंदर्य के लिए-  पानी सही मात्रा में पीने से सौंदर्य को भी बढ़ाया जा सकता है। इसे झुरियाँ खत्म होती है और मोटापा भी कम होता है। 10. आग बुझाने के लिए- जब कभी भी कहीं पर भी आग लगती है तो उस पर पानी डालकर ही काबू पाया जाता है। 11. जमीन के लिए- जल जलक्रीय करता है जिसमें यह भाप बनकर उड़ जाता है और बादल बनकर बरसता है। वह वर्षा जमीन की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखती है। 12. मछली पालन- मछलियाँ बिना जल के जीवित नहीं रह सकती है इसलिए उनके पालन के लिए पानी की आवश्यकता होती है और मछली पालन बहुत से लोगों का रोजगार है। 13. उद्योग-  उद्योगों में भी विभिन्न तरह के क्रियकलापों के लिए जल की आवश्यकता होती 14. यातायात-  जहाजों के द्वारा यातायात और सामान भेजने के लिए पानी का ही उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष-

हम अपनी दैनिक दिनचर्या में बहुत से कार्यों के लिए पानी पर निर्भर है और पानी के बिना हमारा जीवन असंभव है। हम सबको पानी का सही तरीके से सीमित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए क्योंकि जल है तो कल है। हमें जल का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए और इसे बर्बाद होने से बचाना चाहिए।

हम आशा करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on Water in Hindi – जल का महत्व पर निबंध ) पसंद आएगा।

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Waterways in India

Last updated on February 3, 2024 by ClearIAS Team

Recently a bill was introduced in the Lok Sabha to provide consistency in the implementation of the law governing inland waterways and national navigation. Which are the major national waterways of India?  What are their benefits over other types of transportation? Read the article to know more about the waterways of India.

 Transportation is critical to our country’s development, has a significant impact on a developing country, and is a significant source of employment. With its vast land area and diverse topography, India boasts of its ability to support numerous modes of transportation.

What are the steps to boost the effectiveness of waterways?

Waterways are the most cost-effective mode of transportation for carrying big and heavy cargo as well as passenger services. It is not only fuel-efficient but also incredibly eco-friendly.

There are two kinds of water transportation:

Oceanic Waterways

  • Inland Waterway

Let us explore more on them.

Inland Waterways

India has about 14500 kilometres of navigable waterways, although they only contribute to around 1% of the country’s transportation. Canal backwaters, rivers, and creeks, among many other sorts of water bodies, are included.

Although 3700 km of major rivers are navigable by mechanised flat bottom vessels, only 2000 km are currently utilised. Mechanised vessels utilise only 900 km of the canal’s 4800 km navigable length. These canals move around 180 lakh tonnes of goods.

Read: Major River Systems in India

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The inland waterways authority has identified ten additional inland waterways. Kerala’s backwaters have a special significance as a mode of transportation as well as a popular tourist attraction. The Nehru Trophy Boat Race is also held here.

India’s coastline is over 7,517 kilometres long, making huge vessels easier to convey. The country has 12 main and 185 small ports that provide vessels with the necessary infrastructure.

The Oceanic routes also support 95% of India’s foreign trade by volume and more than 70% by value, which goes from India to other countries. They also provide access to the islands.

The National Waterways Act aids in the management of the country’s waterways. It became effective in the year 2016. In addition to the pre-existing one, the act suggested 106 national waterways and consolidated 5 existing statutes that had designated the 5 national waterways.

Out of the 111 national waterways proclaimed by the National Waterways Act, 13 are active for shipping and navigation and are used by cargo or passenger vessels. The government of India established the Inland Waterways Authority of India (IWAI) in accordance with the National Waterways Act to regulate and develop the inland waterways used for navigation and shipping.

waterway map

  • Savings on costs.
  • It is fuel and energy efficient when compared to other forms of transportation, such as rail and road.
  • The cost of building waterways is substantially lower than rail and road.
  • Transport and transition losses are reduced.
  • Friendly to the environment.
  • Fuel consumption per tonne-km is the lowest.
  • Trucks emit 50% of carbon dioxide.
  • In comparison to rail and road transportation, there is no need for land.
  • Reduces road and rail congestion.
  • Reduces traffic congestion and accidents on the road.
  • Combining river transportation with other modes will produce an optimal modal mix.
  • It contributes to the creation of seamless interconnectivity by connecting hinterlands along navigable river coasts and coastal roads.
  • Inland Waterways have enormous possibilities for domestic cargo transportation, cruises, tourism, and passenger travel.
  • Inland waterway development will develop new job opportunities take place.

Disadvantages

  • As they have slow transport speeds, they are unsuitable for situations where time is of the essence.
  • It has a limited operating area due to infrastructural constraints and the depth of the waterways.
  • They do not provide door-to-door cargo transportation.
  • Disruptions in operations.
  • Weather is a significant disadvantage.

National Waterways in India

Government Initiatives

The inland waterways authority of india act, 1985.

The Act establishes an Authority for the management and development of inland waterways for the purposes of shipping and navigation, as well as things relating to it. The Inland Waterways Authority of India was established in 1986. Through a grant from the Ministry of Shipping, it implements initiatives for developing and maintaining IWT infrastructure on national waterways.

The Indian Vessels Act of 1917 (as revised in 2007)

It is concerned with the survey and registration of inland vessels, the elimination of barriers in navigation, the carriage of goods and passengers, the prevention and management of pollution, and so on.

 Inland Water Transport Policy 2001

The policy states that IWT is a cost-effective, fuel-efficient, and environmentally benign means of transportation. It encourages large-scale private sector participation in infrastructure development and fleet operations.

Jal Marg Vikas Project (JMVP)

It aims at capacity augmentation of navigation on National Waterway-1 (NW-1), along the river Ganga. It is being implemented at a cost of Rs 5369.18 crore with the technical assistance and investment support of the World Bank. The Project is expected to be completed by March 2023.

Project Arth Ganga

With the local community’s help and an emphasis on economic activities in and along the Ganga River, Project Arth Ganga aims to re-engineer the JMVP. As part of the “Project Arth Ganga” to revitalise economic activity in Uttar Pradesh, Bihar, Jharkhand, and West Bengal, small jetties along the Ganga will be constructed to enhance local economic activities.

 The National Waterways Act of 2016

The National (inland) Waterways Act designated 111 rivers or river sections, creeks, and estuaries as National (inland) Waterways. It permits the Central Government to regulate the growth of these waterways in terms of shipping, navigation, and transport via mechanically propelled vessels.

Inland Vessels Bill 2021

The bill proposes to replace the Inland Vessels Act of 1917. It establishes a national regulatory framework for inland vessel transportation. It aims to increase openness and accountability in inland water transportation administration, as well as to tighten procedures governing inland vessels’ construction, survey, registration, manning, and navigation.

Sagarmala Project

In addition to developing coast trade routes, the Sagarmala project aims to expand inland waterways to drive industrial development. It intends to save logistical costs by tripling the number of domestic waterways in the modal mix from the existing 6%. (PIB)

River Interlinking Program

Through navigation, the initiative is projected to provide potential benefits to the transportation sector.

Strengthening public-private partnership has a key role to play in developing the inland waterways sector. Private players can undertake terminal development, cargo and passenger handling, and building low-draft vessels and related repair facilities.

Measures should be taken to develop basic infrastructure, address technological bottlenecks and maintenance of rivers to ensure year-round navigability

Measures should be taken to ensure the availability of seamless, multimodal last-mile connectivity to and from the hinterland to reduce trans-shipment costs and make inland water transport economically more viable.

Article Written By: Atheena Fathima Riyas

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Geography Notes

4 national waterways of india (with diagram).

ADVERTISEMENTS:

The share of internal navigation in transportation in India is only one per cent. There are about 14,500 navigable waterways in India which include rivers, canals, backwaters and narrow gulfs. At present, there is only 3,700 km length of flat base which is navigable by mechani­cally operated ferries, of which only 2,000 km is presently being used for navigation. Mechanical boats can be propelled only in 900 km out of 4,300 km long navigable ways. Approximately 180 lakh ton material is transported through these waterways.

Indian Internal Waterways Authority was constituted on 27 October 1986 for development, maintenance and regulation of national waterways of the country. It also provides advice to the Central and state governments regarding development of internal navigable waterways.

The Authority operates projects regarding development of basic infrastructure for internal navigation on national waterways. Its head office is in Noida and it has regional offices at Patna, Kolkata, Guwahati, Kochi and branch offices at Allahabad, Ballia, Bhagalpur, Farrakka and Kollam.

National Waterways:

For giving a important place to internal navigation in national trans­portation system and for development of internal waterways, the government has declared four important waterways as national water ways.

Ten other waterways are still under consideration for such selection. They are the following:

1. National Waterway No. 1:

This water way has been developed on the Ganga-Bhagirathi and Hooghly system from Allahabad to Haldia which is 1,620 km long. It was selected in October 1986. It begins from the confluence of Ganga and Yamuna rivers in Allahabad and joins with Ghaghra and Kosi rivers in the North and Sone River in the South. Farakka barrage has been constructed over it.

2. National Waterway No. 2:

It extends from Sadiya to Dhubri up to 891 km in river Brahmaputra. It was selected in September 1988. Devang and Lohit rivers meet Brahmaputra near Sadiya and before Dhubri the famous river Manas of Assam joins it from the North. The world famous Mujoli river island is located in this waterway. After this waterway, Brahmaputra River enters into Bangladesh.

3. National Waterway No. 3:

It has been developed in the western side of Kerala. It extends from Champakar canal (14 km) and Udyog Mandal canal (23 km) and up to Kolam-Kotapuram portion (168 km) of West Coast Canal. It was declared as the national waterway No. 3 in February 1993. It includes Kottapuram-Cochi (0-30 km), Cochi-Alpurma (30-92 km), Alpujha-Kollam (92-168 km) and Champakar canal (14 km) and Udyog Mandal canal (23 km).

4. National Waterway No.4:

This waterway extends from Kakinada to Marakkanam in Krishna-Godavari Rivers up to 1100 km. Apart from it, 10 other internal waterways have been identified for internal navigation. Special study has been made of Godavari, Sunderban, Krishna, Barak and Brahmani rivers. East Coast canal and Damodar Valley Authority canal etc. The studies report them as feasible.

Except the national waterways, Mandvi and Juari rivers of Goa, Mahanadi delta and the backwaters of Kerala are also being used for internal navigation. Buckingham River and Kambarjua rivers of Andhra Pradesh and Tamil Nadu are also important navigable canals.

Continuous efforts are being made by the government for devel­opment of national internal navigation. Public undertaking in the form of Central Internal Navigation Corporation was set up in 1967 for this purpose. It has its headquarters at Kolkata. This Corporation is mainly engaged in transportation of goods in Ganga-Bhagirathi- Hooghly, Sunderban and Brahmaputra rivers.

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जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay in Hindi)

जल प्रदूषण

धरती पर जल प्रदूषण लगातार एक बढ़ती समस्या बनती जा रही है जो सभी पहलुओं से मानव और जानवरों को प्रभावित कर रही है। मानव गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न जहरीले प्रदूषकों के द्वारा पीने के पानी का मैलापन ही जल प्रदूषण है। जल कई स्रोतों के माध्यम से पूरा पानी प्रदूषित हो रहा है जैसे शहरी अपवाह, कृषि, औद्योगिक, तलछटी, अपशिष्ट भरावक्षेत्र से निक्षालन, पशु अपशिष्ट और दूसरी मानव गतिविधियाँ। सभी प्रदूषक पर्यावरण के लिये बहुत हानिकारक हैं।

जल प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Water Pollution in Hindi, Jal Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द ).

जल में अवांछनीय और हानिकारक पदार्थों के मिलने पर जल का दूषित हो जाना, जलप्रदुषण कहलाता है। जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं, तब खतरनाक रसायन और दूसरे प्रदूषक शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के सभी अंगों के कार्यों को बिगाड़ देते हैं और हमारा जीवन खतरे में डाल देते हैं।

जल प्रदूषण का कारण और प्रभाव

बढ़ती मांग और विलासिता के कारण जल प्रदूषण पूरे विश्व के लोगों के द्वारा किया जा रहा है। कई सारी मानव क्रियाकलापों से उत्पादित कचरा पूरे पानी को खराब करता है और जल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है। ऐसे प्रदूषक जल की भौतिक, रसायनिक, थर्मल और जैव-रसायनिक विशेषता को कम करते हैं और पानी के बाहर के साथ ही पानी के अंदर के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।

जल प्रदूषण पर नियंत्रण

खाद, कीटनाशकों आदि के कृषि उपयोगों से बाहर आने वाले रसायनों के कारण उच्च स्तरीय जल प्रदूषण होता है। जल प्रदूषक की मात्रा और प्रकार के आधार पर जल प्रदूषण का प्रभाव जगह के अनुसार बदलता है। पीने के पानी की गिरावट को रोकने के लिये तुरंत एक बचाव तरीके की ज़रुरत है जो धरती पर रह रहे, प्रत्येक व्यक्ति की समझ और सहायता के द्वारा संभव है।

ऐसे खतरनाक रसायन पशु और पौधों के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। जब पौधे अपनी जड़ों के द्वारा गंदे पानी को सोखते हैं, वो बढ़ना बंद कर देते हैं और सूख जाते हैं। जहाजों और उद्योगों से निकलने वाले दूषित जल की वजह से हजारों समुद्री जीव मर जाते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Water Pollution in Hindi

निबंध 2 (300)

धरती पर जीवन के लिये जल सबसे ज़रुरी वस्तु है। यहाँ किसी भी प्रकार के जीवन और उसके अस्तित्व को ये संभव बनाता है। जीव मंडल में पारिस्थितिकी संतुलन को ये बनाये रखता है। पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज़ के निपटान, उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत ज़रुरी है। बढ़ती जनसंख्या के कारण तेज औद्योगिकीकरण और अनियोजित शहरीकरण बढ़ रहा है जो बड़े और छोटे पानी के स्रोतों में ढेर सारा कचरा छोड़ रहें हैं जो अंतत: पानी की गुणवत्ता को गिरा रहा है।

जल में ऐसे प्रदूषकों के सीधे और लगातार मिलने से पानी में उपलब्ध ओजोन (जो खतरनाक सूक्ष्म जीवों को मारता है) के घटने के द्वारा जल की स्व:शुद्धिकरण क्षमता घट रही है। जल प्रदूषक जल की रसायनिक, भौतिक और जैविक विशेषता को बिगाड़ रहा है जो पूरे विश्व में सभी पौड़-पौधों, मानव और जानवरों के लिये बहुत खतरनाक है। पशु और पौधों की बहुत सारी महत्वपूर्ण प्रजातियाँ जल प्रदूषकों के कारण खत्म हो चुकी है। ये एक वैश्विक समस्या है जो विकसित और विकासशील दोनों देशों को प्रभावित कर रही हैं। खनन, कृषि, मछली पालन, स्टॉकब्रिडींग, विभिन्न उद्योग, शहरी मानव क्रियाएँ, शहरीकरण, निर्माण उद्योगों की बढ़ती संख्या, घरेलू सीवेज़ आदि के कारण बड़े स्तर पर पूरा पानी प्रदूषित हो रहा है।

विभिन्न स्रोतों से निकले जल पदार्थ की विशिष्टता पर निर्भर जल प्रदूषण के बहुत सारे स्रोत हैं (बिन्दु स्रोत और गैर-बिन्दु स्रोत या बिखरा हुआ स्रोत)। उद्योग, सीवेज़ उपचार संयंत्र, अपशिष्ट भरावक्षेत्र, खतरनाक कूड़े की जगह से बिन्दु स्रोत पाइपलाईन, नाला, सीवर आदि सम्मिलित करता है, तेल भण्डारण टैंक से लीकेज़ जो सीधे पानी के स्रोतों में कचरा गिराता है। जल प्रदूषण का बिखरा हुआ स्रोत कृषि संबंधी मैदान, ढेर सारा पशुधन चारा, पार्किंग स्थल और सड़क में से सतह जल, शहरी सड़कों से तूफानी अपवाह आदि हैं जो बड़े पानी के स्रोतों में इनसे निकले हुए प्रदूषकों को मिला देता है। गैर-बिन्दु प्रदूषक स्रोत बड़े स्तर पर जल प्रदूषण में भागीदारी करता है जिसे नियंत्रित करना बहुत कठिन और महँगा है।

निबंध 3 (400)

पूरे विश्व के लिये जल प्रदूषण एक बड़ा पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दा है। ये अपने चरम बिंदु पर पहुँच चुका है। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर के अनुसार ये ध्यान दिलाया गया है कि नदी जल का 70% बड़े स्तर पर प्रदूषित हो गया है। भारत की मुख्य नदी व्यवस्था जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, प्रायद्वीपीय और दक्षिण तट नदी व्यवस्था बड़े पैमाने पर प्रभावित हो चुकी है। भारत में मुख्य नदी खासतौर से गंगा भारतीय संस्कृति और विरासत से अत्यधिक जुड़ी हुई है। आमतौर पर लोग जल्दी सुबह नहाते हैं और किसी भी व्रत या उत्सव में गंगा जल को देवी-देवताओं को अर्पण करते हैं। अपने पूजा को संपन्न करने के मिथक में गंगा में पूजा विधि से जुड़ी सभी सामग्री को डाल देते हैं।

नदियों में डाले गये कचरे से जल के स्व:पुनर्चक्रण क्षमता के घटने के द्वारा जल प्रदूषण बढ़ता है इसलिये नदियों के पानी को स्वच्छ और ताजा रखने के लिये सभी देशों में खासतौर से भारत में सरकारों द्वारा इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिये। उच्च स्तर के औद्योगिकीकरण होने के बावजूद दूसरे देशों से जल प्रदूषण की स्थिति भारत में अधिक खराब है। केन्द्रिय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गंगा सबसे प्रदूषित नदी है अब जो पहले अपनी स्व शुद्धिकरण क्षमता और तेज बहने वाली नदी के रुप में प्रसिद्ध थी। लगभग 45 चमड़ा बनाने का कारखाना और 10 कपड़ा मिल कानपुर के निकट नदी में सीधे अपना कचरा (भारी कार्बनिक कचरा और सड़ा सामान) छोड़ते हैं। एक आकलन के अनुसार, गंगा नदी में रोज लगभग 1,400 मिलियन लीटर सीवेज़ और 200 मिलियन लीटर औद्योगिक कचरा लगातार छोड़ा जा रहा है।

दूसरे मुख्य उद्योग जिनसे जल प्रदूषण हो रहा है वो चीनी मिल, भट्टी, ग्लिस्रिन, टिन, पेंट, साबुन, कताई, रेयान, सिल्क, सूत आदि जो जहरीले कचरे निकालती है। 1984 में, गंगा के जल प्रदूषण को रोकने के लिये गंगा एक्शन प्लान को शुरु करने के लिये सरकार द्वारा एक केन्द्रिय गंगा प्राधिकारण की स्थापना की गयी थी। इस योजना के अनुसार हरिद्वार से हूगली तक बड़े पैमाने पर 27 शहरों में प्रदूषण फैला रही लगभग 120 फैक्टरियों को चिन्हित किया गया था। लखनऊ के पास गोमती नदी में लगभग 19.84 मिलियन गैलन कचरा लुगदी, कागज, भट्टी, चीनी, कताई, कपड़ा, सीमेंट, भारी रसायन, पेंट और वार्निश आदि के फैक्टरियों से गिरता है। पिछले 4 दशकों ये स्थिति और भी भयावह हो चुकी है। जल प्रदूषण से बचने के लिये सभी उद्योगों को मानक नियमों को मानना चाहिये, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त कानून बनाने चाहिये, उचित सीवेज़ निपटान सुविधा का प्रबंधन हो, सीवेज़ और जल उपचार संयंत्र की स्थापना, सुलभ शौचालयों आदि का निर्माण करना चाहिये।

Essay on Water Pollution in Hindi

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नदी पर निबंध हिन्दी में Essay on River in Hindi

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नदी पर निबंध हिंदी में (Essay on River in Hindi) कक्षा 3 से लेकर 8 तक छोटे-बड़े बदलावों के साथ पूछा जाता है। यह निबंध स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए 700+ शब्दों मे लिखा गया है। इससे विद्यार्थी अपने परीक्षा मे लिखने के लिए मदद ले सकते हैं।

Table of Content

नदी पर निबंध हिन्दी में Essay on River in Hindi (700+ Words)

नदियों का महत्व importance of rivers in hindi.

नदियाँ सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक तथा अन्य कई रूप से सहायक मानी जाती हैं। नदियाँ हमें जल प्रदान करने के साथ-साथ शुद्ध वातावरण भी देती हैं। इसके अलावा नदियों से खेतों के लिए सिंचाई का पानी,पीने के लिए साफ़ पानी, जीवन निर्वाहके लिए मछली पालन रोज़गार, तथा अन्य कई सारे रोज़गार प्राप्त होते हैं।

भारत में नदियों का धार्मिक महत्व Religious Importance of Rivers in India

तमाम ऋषियों ने भारत की पवित्र नदियों के किनारे बैठकर ही ज्ञान प्राप्त किया है। ऐसा मना जाता है की भारत की प्रमुख संस्कृतियों में से एक हड़प्पा तथा सिंधु घाटी सभ्यता भी नदियों के किनारे ही विकसित हुई है।

दुनियाँ की बड़ी नदियाँ Few Big Rivers of The World

नदियों से होने वाले नुकसान disadvantages of rivers in hindi.

प्रकृति से छेड़-छाड़ के कारण कभी-कभार नदी अपना विकराल रूप धारण कर लेती हैं। नदियों का संतुलन बिगड़ने से निदियाँ अपना रौद्र रूप धारण कर तबाही का कारण बन जाती हैं। प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ , सुनामी , भूस्खलन, आदि जहाँ भी आतें हैं उस जगह का अत्यधिक नुकसान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख नदी पर निबंध हिंदी में Essay on River in Hindi में आपने नदियों के बारें में सरल रूप से जाना। अगर यह निबंध आपको सरल व् सटीक लगा हो तो इसे शेयर जरुर करें।

waterways essay in hindi

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Waterways in India

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Words: 1340 |

Published: Feb 12, 2019

Words: 1340 | Pages: 3 | 7 min read

  • A ban on dredging in protected habitat area
  • In other areas that are known to be the habitat of valued aquatic species, no dredging will be allowed in the breeding seasons
  • The speed of barges travelling in the protected areas of the sanctuaries will be restricted to 5km per hour
  • All vessels plying on the Ganga will be fitted with noise control system and animal exclusion devices so that aquatic life is not unduly disturbed
  • All vessels will also have to comply with ‘zero discharge’ standards to prevent solid or liquid waste from flowing into the river and affecting its biodiversity

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गंगा नदी पर निबंध (Essay On Ganga River In Hindi)

Essay on ganga river In hindi

In this Article

गंगा नदी पर 10 लाइन (10 Lines On Ganga River In Hindi)

गंगा नदी पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on ganga river in hindi 200-300 words), गंगा नदी पर निबंध 400-500 शब्दों में (essay on ganga river in 400-500 words), गंगा नदी के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about ganga river in hindi), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs), गंगा नदी के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a ganga river essay).

हिन्दू धर्म के अनुसार गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है, जिसके प्रमाण हमारे वेदों और पुराणों और धर्मग्रंथों में भी मिलता है। हम इसे गंगा माँ भी कहते हैं। ये भारत की सबसे लंबी नदी है और इसकी लंबाई 2525 किलोमीटर है। सदियों से इस नदी से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। गंगा नदी हिमालय से निकलकर सबसे पहले हरिद्वार जाती है। हरिद्वार पहुँचकर इस नदी में लाखों लोग स्नान करने आते हैं। लोगों का मानना है कि गंगा नदी में नहाने से मनुष्यों के सभी पाप धुल जाते हैं। इस नदी के किनारे हमेशा पूजा और आरती का आयोजन होता रहता है। इसके साथ ही इस नदी का प्रवाह लगातार 12 महीने बना रहता है। गंगा नदी हिमालय से निकलकर भारत के कई राज्यों में जाती है और बांग्लादेश से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यदि आप इस इस विषय पर विस्तार से जानना चाहते हैं तो लेख पढ़ना जारी रखें।

अगर आप कम शब्दों में गंगा नदी पर छोटा निबंध लिखना चाहते हैं या 10 लाइन के आसान वाक्य बनाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए गंगा नदी पर निबंध लेख जरूर पढ़ें।

  • गंगा भारत की राष्ट्रीय और सबसे पवित्र नदी है।
  • गंगा नदी गंगोत्री से निकलती है और घूमकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
  • ये भारत की सबसे बड़ी नदी है और इसकी लम्बाई 2525 किलोमीटर है।
  • हमारे ग्रंथों और पुराणों में गंगा नदी की पवित्रता का वर्णन किया गया है।
  • गंगा नदी को भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है।
  • हिन्दू धर्म में गंगा नदी को माँ का दर्जा दिया गया है।
  • गंगा नदी की वजह से कई प्रमुख शहरों में पानी की पूर्ति होती है।
  • इस नदी के तट पर कई धार्मिक स्थल, मंदिर और शहर बने हुए हैं।
  • ये नदी भारत, नेपाल और बांग्लादेश से होते हुए जाती है।
  • साल 2008 में गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया था।

यदि आपके बच्चे को स्कूल की प्रतियोगिता में गंगा नदी पर निबंध लिखने के लिए आता है, तो वह हमारे द्वारा लिखे इस शॉर्ट एस्से की सहायता ले सकते हैं।

गंगा नदी दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नदियों में से एक है। यह भारत की राष्ट्रीय और सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। जो गंगा नदी गंगोत्री से निकलकर बंगाल की खाड़ी में मिलती है। लोग विदेशों से केवल गंगा माँ का दर्शन करने आते हैं, ताकि गंगा नदी में स्नान कर सकें। कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से हमारे पाप धुल जाते हैं, जैसे हमारा नया जन्म हुआ हो। इस नदी का वर्णन पुरानी हिन्दू कथाओं में भी किया गया है। जहाँ गंगा नदी को माँ का दर्जा दिया गया है। गंगा नदी हिमालय के गंगोत्री से निकलती है और इसमें यमुना नदी सहित कई अन्य नदियां समाती हैं। यह हिमालय से अपनी यात्रा शुरू करते हुए सीधे बंगाल की खाड़ी में गिरती है। ये नदी भारत के कई हिस्सों से गुजरती है, इसलिए ये यह अरबों लोगों को रोजी-रोटी प्रदान करती है। ये नदी कृषि के कामों, मछली पकड़ने और पर्यटन उद्योग को बड़े पैमाने पर मदद करती है। लेकिन अब गंगा माँ प्रदूषित होती जा रही है और इसी वजह से कई सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं और ‘नमामि गंगे’ जैसे कार्यक्रम की शुरुआत की गई और इसे साफ करने में सफलता भी मिली है।

Ganga nadi par nibandh

आपके बच्चे के हिन्दू धर्म की लोकप्रिय और पवित्र नदी पर एक हिंदी निबंध लिखना है और वो भी 400 से 500 की शब्द सीमा में तो यहां आपको गंगा नदी पर हिंदी में लॉन्ग एस्से दिया गया है, जिसे पढ़कर आप एक अच्छा निबंध खुद भी लिख सकते हैं।

गंगा नदी की उत्पत्ति कहां से हुई? (From Where The Ganga River Originates?)

गंगा नदी का उद्गम भागीरथी व अलकनंदा नदी मिलकर करती है। जो गढ़वाल में हिमालय के गौमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद या ग्लेशियर से निकलती हैं।ये नदी हिमालय पर्वत से निकलते हुए उत्तरी भारत और बांग्लादेश में बंगाल की खाड़ी में बहती है। गंगा नदी हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर में शुरू होती है। ये ग्लेशियर 12,769 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गंगा नदी भारत और बांग्लादेश के देशों से होकर बहती है। साथ ही बंगाल क्षेत्र में इसका बड़ा डेल्टा, जो ब्रह्मपुत्र नदी का हिस्सा है वह ज्यादातर बांग्लादेश में स्थित है। गंगा नदी भारत के उपमहादेशों की महत्वपूर्ण नदियों में से एक है जो पूर्व से उत्तरी भारत के गंगा के मैदान से होकर बांग्लादेश में बहती है। यह नदी भारत के उत्तराखंड राज्य में पश्चिमी हिमालय में लगभग 2,510 किमी की दूरी पर है और बंगाल की खाड़ी में सुंदरबन डेल्टा में गिरती है।

गंगा नदी का धार्मिक महत्व (Religious Importance of Ganga River)

गंगा नदी को सबसे पवित्र और प्रसिद्ध नदी माना जाता है। वहीं धार्मिक कार्यों में इस नदी को बाकी नदियों से सबसे ऊपर माना जाता है। इस नदी की पवित्रता के कारण हजारों सालों से लोगों के आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक जीवन में इसकी अहम भूमिका रही है। हिंदू धर्म के अनुसार इस नदी को देवी का रूप माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार राजा भगीरथ के पूर्वज बहुत बड़े पाप करने वाले थे। अपने राज्य को अपने बुरे कर्मों से मुक्त करने के लिए, उन्होंने देवी गंगा को जीवन में लाने के लिए ध्यान किया। ऐसा कहा जाता था कि इसमें स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन गंगा नदी की भयंकर शक्ति धरती को नष्ट कर सकती थी, इसलिए भगवान शिव ने गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण किया और उसमें से धाराओं के रूप में बहने लगी। मान्यता के अनुसार देवी गंगा लोगों को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए लोग अपने प्रियजनों की राख को इस पवित्र नदी में विसर्जित करते हैं।

गंगा नदी और प्रदूषण का बढ़ना – एक गंभीर मुद्दा (Ganga River And Pollution – A Serious Issue)

प्रतिदिन गंगा नदी में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और ये एक गंभीर समस्या बन चुकी है। प्रदूषित गंगा नदी हमारे पर्यावरण पर बुरा असर डाल रही है। गंगा नदी के प्रदूषित होने के पीछे वैसे तो कई कारण हैं और उनमें से कुछ मुख्य कारण है – कारखानों से निकलने वाला कूड़ा, गन्दा पानी और पशुओं की गंदगी आदि। इसमें दिन पर दिन बढ़ रही जनसंख्या भी एक कारण है। इतना ही नहीं नदी के किनारे बसे लोग प्रदूषित गंगा के पानी की वजह से कई सारी गंभीर बिमारियों एक शिकार बन रहे हैं।

गंगा नदी का सफाई अभियान (Ganga River Cleaning Campaign)

प्रदूषित गंगा को साफ करने के लिए भारत द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) जैसी योजनाओं की पहल की गई है। ये कार्यक्रम बायोडायवर्सिटी, वनीकरण और जल गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। भारत सरकार कई राज्यों को पैसों की मदद देकर नदी के प्रदूषण को कम करने वाले प्रयासों में सहायता कर रही है। नमामि गंगे कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना है।

  • गंगा के किनारे सैकड़ों घाट हैं, जिनकी सीढ़ियों की मदद से नदी तक पहुंचा जाता है।
  • भारत का प्रसिद्ध कुंभ मेला 12 साल में एक बार गंगा नदी के तट पर आयोजित किया जाता है।
  • वाराणसी, प्रयागराज और कोलकाता जैसे बड़े शहर गंगा नदी के तट पर स्थित हैं।
  • पौराणिक कथाओं में गंगा को देवी का रूप माना जाता है।
  • गंगा दुनिया की सबसे पवित्र नदी है।
  • ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से उद्धार हो जाता है।

1. गंगा नदी यमुना में कहां मिलती है?

गंगा नदी प्रयागराज में यमुना नदी और सरस्वती नदी से मिलती है। जिस स्थान पर ये मिलते हैं उसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है।

2. गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी कौन सी है?

गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी घाघरा नदी है।

3. गंगा नदी को भारत की राष्ट्रीय नदी कब घोषित किया गया?

4 नवंबर 2008 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित किया था।

आपके बच्चे को स्कूल में गंगा नदी पर निबंध लिखने का कार्य मिला है, तो वह इस निबंध की मदद ले सकता है और साथ इस निबंध से उसे कुछ सीखने को भी मिलेगा। इसे पढ़ने के बाद आपके बच्चे को नदी से जुड़ी भारत की संस्कृति और अर्थव्यवस्था समझ में आएगी। साथ ही वो एक बेहतर निबंध लिखना भी सीखेगा और अपने लेखन को बेहतर कर सकेगा।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
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  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
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  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
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  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
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  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
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  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
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  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
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  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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COMMENTS

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  15. Waterways in India

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  16. Water transport in India

    Benefits of waterways transport. Major rivers of India. Buckingham Canal in Andhra Pradesh. A passenger ferry at Kollam Ferry Terminal in Kerala. An electric boat of Kochi Water Metro. The cost of water transport in India is roughly 50 paise (0.60¢ US) a kilometre, as compared to ₹1 (1.2¢ US) by railways and ₹1.5 (1.8¢ US) by roads. [2]

  17. 4 National Waterways of India (with diagram)

    4. National Waterway No.4: This waterway extends from Kakinada to Marakkanam in Krishna-Godavari Rivers up to 1100 km. Apart from it, 10 other internal waterways have been identified for internal navigation. Special study has been made of Godavari, Sunderban, Krishna, Barak and Brahmani rivers.

  18. जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay in Hindi)

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    निष्कर्ष Conclusion. इस लेख नदी पर निबंध हिंदी में Essay on River in Hindi में आपने नदियों के बारें में सरल रूप से जाना। अगर यह निबंध आपको सरल व् सटीक लगा ...

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    Waterways in India. As we know now, India has an extensive inland waterways network of 14,500KMs. Through times, rivers have been efficient and effective for carrying load over long distances. Even in today's time, many countries depend heavily on inland waterways for transport of large and bulky cargo. Talking economy, the inland waterways ...

  21. गंगा नदी पर निबंध

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