- मासिक मैगज़ीन
- इंटरव्यू गाइडेंस
- ऑनलाइन कोर्स
- कक्षा कार्यक्रम
- दृष्टि वेब स्टोर
- नोट्स की सूची
- नोट्स बनाएँ
- माय प्रोफाइल
- माय बुकमार्क्स
- माय प्रोग्रेस
- पासवर्ड बदलें
- संपादक की कलम से
- नई वेबसाइट का लाभ कैसे उठाए?
- डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम
- बिगनर्स के लिये सुझाव
एचीवर्स कॉर्नर
- टॉपर्स कॉपी
- टॉपर्स इंटरव्यू
हमारे बारे में
- सामान्य परिचय
- 'दृष्टि द विज़न' संस्थान
- दृष्टि पब्लिकेशन
- दृष्टि मीडिया
- प्रबंध निदेशक
- इंफ्रास्ट्रक्चर
- प्रारंभिक परीक्षा
- प्रिलिम्स विश्लेषण
- 60 Steps To Prelims
- प्रिलिम्स रिफ्रेशर प्रोग्राम 2020
- डेली एडिटोरियल टेस्ट
- डेली करेंट टेस्ट
- साप्ताहिक रिवीज़न
- एन. सी. ई. आर. टी. टेस्ट
- आर्थिक सर्वेक्षण टेस्ट
- सीसैट टेस्ट
- सामान्य अध्ययन टेस्ट
- योजना एवं कुरुक्षेत्र टेस्ट
- डाउन टू अर्थ टेस्ट
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी टेस्ट
- सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा)
- सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा)
- मुख्य परीक्षा (वर्षवार)
- मुख्य परीक्षा (विषयानुसार)
- 2018 प्रारंभिक परीक्षा
- टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन
- फ्री मॉक टेस्ट
- मुख्य परीक्षा
- मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
- निबंध उपयोगी उद्धरण
- टॉपर्स के निबंध
- साप्ताहिक निबंध प्रतियोगिता
- सामान्य अध्ययन
- हिंदी साहित्य
- दर्शनशास्त्र
- हिंदी अनिवार्य
- Be Mains Ready
- 'AWAKE' : मुख्य परीक्षा-2020
- ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.एस.सी.)
- मेन्स टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.)
- उत्तर प्रदेश
- मध्य प्रदेश
टेस्ट सीरीज़
- UPSC प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
- UPSC मेन्स टेस्ट सीरीज़
- UPPCS प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
- UPPCS मेन्स टेस्ट सीरीज़
करेंट अफेयर्स
- डेली न्यूज़, एडिटोरियल और प्रिलिम्स फैक्ट
- डेली अपडेट्स के लिये सबस्क्राइब करें
- संसद टीवी संवाद
- आर्थिक सर्वेक्षण
दृष्टि स्पेशल्स
- चर्चित मुद्दे
- महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन
- मैप के माध्यम से अध्ययन
- महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट
- पीआरएस कैप्सूल्स
- एनसीईआरटी बुक्स
- एनआईओएस स्टडी मैटिरियल
- इग्नू स्टडी मैटिरियल
- योजना और कुरुक्षेत्र
- इन्फोग्राफिक्स
- मासिक करेंट अपडेट्स संग्रह
वीडियो सेक्शन
- मेन्स (जी.एस.) डिस्कशन
- मेन्स (ओप्शनल) डिस्कशन
- करेंट न्यूज़ बुलेटिन
- मॉक इंटरव्यू
- टॉपर्स व्यू
- सरकारी योजनाएँ
- ऑडियो आर्टिकल्स
- उत्तर लेखन की रणनीति
- कॉन्सेप्ट टॉक : डॉ. विकास दिव्यकीर्ति
- दृष्टि आईएएस के बारे में जानें
सिविल सेवा परीक्षा
- परीक्षा का प्रारूप
- सिविल सेवा ही क्यों?
- सिविल सेवा परीक्षा के विषय में मिथक
- वैकल्पिक विषय
- परीक्षा विज्ञप्ति
दृष्टि आईएएस ब्लॉग
रूस-यूक्रेन विवाद का इतिहास और वर्तमान संकट.
- 26 Feb, 2022 | शान कश्यप
वह 27 फरवरी, 2014 की रात थी। हथियारबंद लोगों ने क्रीमिया में संसद और मंत्रिपरिषद की इमारतों को अपने नियंत्रण में ले लिया और उन पर रूसी झंडे लहरा दिये। अगली सुबह जल्दी ही अचिन्हित वर्दी में और अधिक लोगों ने सेवस्तोपोल और सिम्फ़रोपोल में हवाई अड्डों पर कब्जा कर लिया। एक रूसी नौसैनिक पोत ने सेवस्तोपोल के पास बालाक्लावा में बंदरगाह को अवरुद्ध कर दिया जहाँ यूक्रेनी समुद्री रक्षक सैनिक तैनात थे और रूसी सेना के लड़ाकू हेलीकॉप्टर यूक्रेन के क्रीमिया की ओर बढ़ चले। अठारह दिन बाद आनन-फानन में आयोजित किये गए जनमत संग्रह के बाद व्लादिमीर पुतिन ने औपचारिक रूप से क्रीमिया को रूसी संघ में शामिल करने वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये। इस तरह 18 मार्च, 2014 को रूस और क्रीमिया के स्व-घोषित गणराज्य ने रूसी संघ में क्रीमिया गणराज्य और सेवस्तोपोल के परिग्रहण की संधि पर हस्ताक्षर किये। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तुरंत 68/262 प्रस्ताव पारित करके इसका उत्तर दिया कि जनमत संग्रह अमान्य था और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता बनी रहनी चाहिए। इस प्रस्ताव के खिलाफ केवल रूस ने मतदान किया। हालाँकि इस प्रस्ताव को लागू नहीं किया जा सका। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लागू करने योग्य प्रस्तावों को पारित करने के प्रयासों को रूसी वीटो द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया था।
2014 में रूस द्वारा क्रीमिया का अधिग्रहण करने को आज के यूक्रेन संकट के साथ कैसे जोड़कर देखें? क्या इसमें कोई निरंतरता है? या कोई नवीन परिवर्तन? दो ऐसे देश जो दशकों तक एक ही संघ का अटूट हिस्सा रहे, और इतिहास के बड़े कालखंड में एक साम्राज्य का भाग रहे वो आज युद्ध की विभीषिका के बीच क्यों जा फंसे हैं? इन सवालों का जवाब देना जरूरी है ताकि हम घटित हो रहे संकट को ठीक से समझ सकें।
सोवियत संघ और यूक्रेनियन संघ
प्रथम विश्वयुद्ध के मध्य साम्राज्यवाद के साए से उभरते हुए यूक्रेनियन पीपल्स रिपब्लिक (यूएनआर) की स्थापना 1917 में हुई। जार के शासकीय पतन के बाद यूएनआर ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर लिया था। लेकिन इसी क्रम में बोल्शेविक क्रांति (1917) के बाद हुए रूसी गृहयुद्ध (1917–22) के दौरान रूसी रेड्स और व्हाइट्स के बीच हुए घोर संघर्ष से यूएनआर बच नहीं सका क्योंकि दोनों ताकतों ने यूक्रेनी संप्रभुता को मान्यता नहीं दी थी। लेकिन यूक्रेनी स्वतंत्रता की मिसाल ने बोल्शेविकों को एक सोवियत यूक्रेनी गणराज्य बनाने के लिए मजबूर किया जो 1922 में सोवियत संघ का एक संस्थापक सदस्य बना।
हालाँकि 1930 के दशक की शुरुआत में जोसेफ स्टालिन यूक्रेनी राजनीतिक राष्ट्र को कुचलने के अधूरे काम को पूरा करने की ठान चुके थे। यह राजनीतिक राष्ट्र जैसा कि ऊपर बताया गया है बोल्शेविक क्रांति की पृष्ठभूमि में विकसित हुआ था। 1932-33 के राज्य-प्रायोजित अकाल में लगभग 40 लाख यूक्रेनी किसान मारे गए जिसे यूक्रेन में ‘होलोडोमोर’ (यानी, भुखमरी के माध्यम से हत्या) के रूप में जाना जाता है और एक नरसंहार माना जाता है। स्टालिन ने यूक्रेनी सांस्कृतिक अभिजात वर्ग को भी नष्ट कर दिया और जार के काल से प्रचलित धारणा कि यूक्रेनी रूसियों के "छोटे भाई" हैं इसे बढ़ावा देना शुरू कर दिया। इसी तरह पूरा यूक्रेन जबरन “छोटे भाई" की तरह सोवियत संघ का हिस्सा बना रहा। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद उसी साल दिसंबर में यूक्रेनी जनमत संग्रह ने खुद को सोवियत संघ से अलग कर लिया। हालाँकि 1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक सुधारों के रुकने के साथ बोरिस येल्तसिन और अन्य रूसी हस्तियों ने यूक्रेनी सांस्कृतिक नीतियों की आलोचना करके और क्रीमिया के हस्तांतरण पर सवाल उठाकर घरेलू राष्ट्रवादियों को सोवियत साम्राज्य की याद दिलाना भी शुरू कर दिया था।
1997 में रूस और यूक्रेन के बीच एक व्यापक संधि ने यूक्रेनी सीमाओं की अखंडता की पुष्टि की थी। इस संधि की गारंटी रूस और पश्चिमी परमाणु शक्तियों ने 1994 के बुडापेस्ट ज्ञापन में दी थी जब यूक्रेन अपने सोवियत-निर्मित परमाणु शस्त्रागार को आत्मसमर्पण करने के लिए सहमत हुआ था। यह संधि 31 मार्च, 2019 को समाप्त हो गई।
वर्तमान संकट और अमेरिकी भूमिका
1990 के दशक के मध्य से यूक्रेन नाटो ढांचे के बाहर अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार रहा है। इस स्थिति को यूएस-यूक्रेन चार्टर (2008; 2021 में फिर से नई संधि पर हस्ताक्षर हुए थे।) के अंतर्गत सामरिक साझेदारी में औपचारिक रूप दिया गया है। वर्तमान चार्टर "रूसी आक्रमण का मुकाबला करने" में यूक्रेन की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है लेकिन इसमें सूचीबद्ध विशिष्ट उपाय केवल यूक्रेनी सेना में सुधार और डेटा-साझाकरण में अमेरिकी सहायता पर केंद्रित हैं। युद्ध के मामले में किसी भी मौजूदा संधि के लिए अमेरिका को यूक्रेन की रक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।
नाटो में शामिल होने का उद्देश्य अब यूक्रेनी संविधान में निहित है और इसके सशस्त्र बल धीरे-धीरे नाटो मानकों में परिवर्तित हो रहे हैं। लेकिन 2008 में पिछली बार जब नाटो के सदस्यों ने यूक्रेन के परिग्रहण के विचार पर चर्चा की थी तो जर्मनी और फ्रांस ने इसे अवरुद्ध कर दिया ताकि था ताकि रूस को आक्रामक होने का मौका न मिले। पिछले दो दशकों से यूक्रेन का लगातार पश्चिमी खेमे के साथ जाना व्लादिमीर पुतिन के आक्रामक राष्ट्रवाद वाले रूस को रास नहीं आया है।
साल 2014 में जब यूक्रेन में एक लोकप्रिय क्रांति ने रूसी समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से बेदखल कर दिया और पश्चिमी समर्थक लोकतांत्रिक ताकतों को सत्ता में लाया तो क्रीमिया में एक घोर संकट पैदा हो गया। जैसा कि ’द न्यू यॉर्कर’ को दिये साक्षात्कार में (फरवरी 23, 2022) यूक्रेनी इतिहासकार सेरही प्लोखी ने इस विचार पर कि यूक्रेन में एक जन समूह अभी भी रूसी साम्राज्यवाद से खुद को जोड़ता है पर कहते हैं, “निश्चित रूप से उस विचार को 2014 में क्रीमिया में कर्षण मिला। वहाँ की अधिकांश आबादी जातीयता से रूसी थी। और इसे डोनबास में भी आबादी के एक हिस्से के मध्य कर्षण मिला था जिसकी एक लोकप्रिय सोवियत पहचान थी। वहाँ के लोग वास्तव में एक बहिष्करणीय पहचान के इस विचार से इनकार कर रहे थे और इसने इस विचार के लिए कुछ आधार बनाए कि हाँ, शायद हम यूक्रेनियन हैं, लेकिन हमारे बीच एक बड़ी रूसी भूमिका के लिए भी जगह है।”
डोनेट्स्क और लुहान्स्क पूर्वी यूक्रेन में स्थित दो राज्य हैं जो रूस के साथ सीमा साझा करते हैं। इन दो राज्यों के भीतर दो अलगाववादी क्षेत्र हैं जिन्हें डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (डीपीआर) और लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (एलपीआर) के नाम से जाना जाता है जो रूसी समर्थित अलगाववादियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र जिसमें डोनेट्स्क, लुहान्स्क और उनके संबंधित अलगाववादी क्षेत्र शामिल हैं आम तौर पर 'डोनबास' क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। रूस ने लंबे समय से दावा किया है कि चूँकि ये मुख्य रूप से रूसी भाषी क्षेत्र हैं इसलिए उन्हें "यूक्रेनी राष्ट्रवाद" से संरक्षित करने की आवश्यकता है। सोवियत काल के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कई रूसी श्रमिकों को वहाँ भेजे जाने के कारण रूसी बोलने वालों की उपस्थिति वहाँ बढ़ती रही थी।
तो अब आप यह जान चुके होंगे कि यहाँ केवल सामरिक शक्ति या क्षेत्रीय आधिपत्य से कहीं अधिक राष्ट्रवाद के सांस्कृतिक मुद्दे हैं। साथ ही नाटो और पश्चिमी देशों के अड़ियल रवैए के कारण यह मुद्दे सुलझने की जगह और उलझते गए हैं। सीरिया, इराक, लीबिया, लेबनान, वेनेजुएला, जैसे कई देशों में पश्चिमी राष्ट्रों ने उनके समर्थित सरकारों को बिठाकर उनके जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था के निर्माण का जो हठ किया है उसका दुष्परिणाम बेहद गंभीर है। शीत युद्ध में इसी तरह की विभीषिका कई बार यूरोप, एशियाई और अफ्रीकी देशों में देखने को मिले थे। जहाँ रूस और यूक्रेन अपने मुद्दों को अपने इतिहास और सांस्कृतिक भिन्नताओं में सुलझा सकते थे वहीं पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप और व्लादिमीर पुतिन को उनका एक ‘तानाशाह’ मानने की जिद ने इस संघर्ष को जटिल बना दिया। चूँकि पुतिन एक अणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के नेता हैं तो उन्हें सद्दाम हुसैन या मुअम्मर गद्दाफी की तरह हटाया नहीं जा सकता।
|
कमेंट्स (0)
- India Today
- Business Today
- RajasthanTak
- ChhattisgarhTak
- Cosmopolitan
- Harper's Bazaar
- Aaj Tak Campus
- Brides Today
- Reader’s Digest
NOTIFICATIONS
रूस-यूक्रेन संघर्ष
रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia Ukraine Conflict) अभी भी चल रहा है. फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया और देश के अधिक हिस्से पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में इसे सबसे बड़ा संघर्ष माना जा रहा है. इस युद्ध में हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई जिसमें कई शरणार्थी शामिल हैं.
जून 2024 को भारत के विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया गया था कि रूसी सेना में भर्ती हुए दो भारतीय नागरिक यूक्रेन संघर्ष में मारे गए. साथ ही कहा कि 'मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास ने रूसी सेना में शामिल सभी भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई और वापसी के लिए नई दिल्ली स्थित रूसी राजदूत और मॉस्को स्थित रूसी अधिकारियों के समक्ष इस मामले को जोरदार तरीके से उठाया.' वहीं भारत ने रूसी सेना द्वारा अपने नागरिकों की और ज्यादा भर्ती रोकने की भी मांग की थी.
रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और उसे अपने में मिला लिया. डोनबास युद्ध में यूक्रेनी सेना से लड़ने वाले रूस समर्थक अलगाववादियों का समर्थन किया.
रूस-यूक्रेन संघर्ष लंबे समय तक खिंचे जाने की वजह से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है.
रूस-यूक्रेन संघर्ष न्यूज़
'यूक्रेन और इजराइल में चल रहे युद्ध से MP में खाद संकट', कृषि मंत्री का बड़ा बयान
MP के कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में डीएपी की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव का कारण यूक्रेन और इजराइल संघर्ष है. इनके संघर्ष के कारण आपूर्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ा है. फिर भी किसानों को पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध कराने की योजना तैयार की गई है.
- मध्य प्रदेश
- 19 अक्टूबर 2024,
- अपडेटेड 11:18 IST
यूक्रेन के खिलाफ जंग में उतरेगा उत्तर कोरिया? किम जोंग उन रूस भेज सकता है अपने सैनिक
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की युद्ध की तैयारियों की खबरें आ रही हैं. दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी के अनुसार, उत्तर कोरिया के सैनिक रूस के साथ यूक्रेन के खिलाफ युद्ध कर सकते हैं. उत्तर कोरिया में युद्ध के लिए हथियार बनाए जा रहे हैं और ये हथियार रूस को दिए जा रहे हैं.
- 18 अक्टूबर 2024,
- अपडेटेड 17:51 IST
यूक्रेन में युवाओं को जबरन सेना में भर्ती कराने के लिए छापेमारी, क्लब और रेस्टोरेंट से युवाओं को अगवा कर रही जेलेंस्की सरकार
यूक्रेन को अमेरिका समेत कई देशों का साथ भले मिला हो लेकिन उसके लिए युद्ध को अब लंबा खींच पाना आसान नहीं है. इसका सबसे बड़ा कारण है सैनिकों की संख्या में भारी कमी. कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें देखा जा सकता है कि सैनिकों की कमी से जूझ रहा यूक्रेन जबरदस्ती युवाओं को सेना में भर्ती कर रहा है.
- अपडेटेड 17:43 IST
सैनिकों की कमी से जूझ रहा यूक्रेन, भर्ती के लिए जबरन उठाए जा रहे नौजवान, देखें Video
यूक्रेन की सेना अब जबरदस्ती नौजवानों को पकड़ कर सेना में शामिल कर रही है. यहां तक कि नाइट क्लब, रेस्टोरेंट और कॉन्सर्ट जैसी जगहों पर छापेमारी की जा रही है. युवाओं को युद्ध के मैदान में ले जा रही है. यूक्रेन ने जंग की शुरुआत के बाद पुरुषों के सेना में शामिल होने को अनिवार्य कर दिया था.
- अपडेटेड 17:36 IST
रूस की तरफ से लड़ रहे नॉर्थ कोरियाई सैनिक, क्यों दुनिया से कटा हुआ ये देश मॉस्को के साथ दिखता रहा?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की ने नॉर्थ कोरिया पर रूस को सैन्य मदद देने का आरोप लगाया. इस तरह की बातें पहले भी आ चुकी हैं. यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच बहुत से देश यूक्रेन के पाले में हैं, वहीं रूस के पीछे कम ही लोग खड़े हैं. उत्तर कोरिया को उनमें से एक माना जाता रहा.
- 14 अक्टूबर 2024,
- अपडेटेड 13:36 IST
रूस ने अपनी Iskander बैलिस्टिक मिसाइल ईरान को दी! इजरायल के लिए मुसीबत
Russia ने ईरान की मिसाइल के बदले मिसाइल से मदद की है. ईरान ने यूक्रेन से जंग के लिए रूस को अपनी मिसाइल दी थी. अब रूस ने इजरायल से जंग के लिए ईरान को इस्कंदर बैलिस्टिक मिसाइल दी है. ऐसी खबरें सोशल मीडिया पर कई जगहों पर चल रही हैं. पुख्ता तौर पर इसकी सटीक जानकारी नहीं है. लेकिन आपको बताते हैं इस्कंदर मिसाइल की ताकत...
- डिफेंस न्यूज
- 07 अक्टूबर 2024,
- अपडेटेड 20:02 IST
जब रूस ने लगा दी थी यहूदियों के देश छोड़ने पर पाबंदी, क्या अरब से मजबूत रिश्ते मॉस्को को भी खींच लेंगे मध्य पूर्व जंग में?
इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकी गुट हमास के बीच जंग को एक साल हो चुके. इस बीच युद्ध की आग मिडिल ईस्ट के कई देशों तक फैल चुकी. इजरायल ने गाजा के अलावा दक्षिणी लेबनान पर भी रविवार रात भारी बमबारी की. ईरान से भी उसका तनाव बढ़ता जा रहा है. इस बीच कई देश युद्ध में अपने-अपने पाले चुके चुके. अब बारी रूस की है.
- अपडेटेड 11:24 IST
युद्ध में अमेरिकी मदद... जानें यूक्रेन और इजरायल को मिल रहे सपोर्ट में कितना अंतर
यूक्रेन और इजरायल के लिए अमेरिका की मदद में काफी अंतर है. अमेरिका यूक्रेन में सावधानी से मदद कर रहा है और नाटो के साथ मिलकर काम कर रहा है, जबकि इजरायल को दी जाने वाली मदद एक मजबूत द्विदलीय समर्थन पर आधारित है, जो इसकी भू-राजनीतिक अहमियत को दर्शाता है.
- 05 अक्टूबर 2024,
- अपडेटेड 06:37 IST
यूक्रेन का आसमान छेद नहीं पाएंगी रूसी मिसाइलें... नया Patriot एयर डिफेंस तैनात
NATO देश रोमानिया ने यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम दिया है. इस सिस्टम से यूक्रेन रूस की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देगा. उसके पास पहले से भी पैट्रियट मिसाइले हैं. अभी मिलने वाले पैट्रियट मिसाइल सिस्टम से यूक्रेन की ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी. आइए जानते हैं इस मिसाइल की ताकत को...
- 04 अक्टूबर 2024,
- अपडेटेड 17:33 IST
रूस ने क्यों गिराया 9000 kg का बम, यूक्रेन का खंडहर शहर तबाह, देखिए Video
रूस ने यूक्रेन के खारकीव ओब्लास्ट में मौजूद वोवचान्स्क शहर पर 9000 किलोग्राम वजनी बम गिराया है. इस शहर में पहले साढ़े 17 हजार लोग रहते थे. लेकिन इस साल रूसी हमलों की वजह से सिर्फ 300 ही बचे हैं. ज्यादातर लोग मई में ही भाग गए. इस बम का धमाका इतना खतरनाक था कि उसकी शॉकवेव दूर तक गई.
- 03 अक्टूबर 2024,
- अपडेटेड 22:53 IST
यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस ने बदली न्यूक्लियर पॉलिसी... वेस्ट को दी वार्निंग
रूस ने कहा कि परमाणु हथियार नीति में किए गए बदलाव पश्चिमी देशों के लिए एक संकेत हैं कि वे रूस पर हमले में भागीदार बनेंगे तो इसके परिणाम भुगतने होंगे. क्रेमलिन ने कहा कि अगर रूस पर पारंपरिक मिसाइलों से हमला होता है, तो वे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- 26 सितंबर 2024,
- अपडेटेड 22:51 IST
रूस ने दी परमाणु हमले की धमकी, पश्चिमी देशों की बढ़ी धड़कनें
रूस और यूक्रेन के बीच इस समय जंग छिड़ी हुई है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर पश्चिमी देशों को परमाणु हमले की चेतावनी जारी की है. पुतिन ने साफ कहा है कि अगर रूस में यूक्रेनी मिसाइलों से नुकसान पहुंचता है तो फिर परमाणु हमले से पीछे नहीं हटेंगे. देखिए VIDEO
- अपडेटेड 16:56 IST
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दी परमाणु हमले की चेतावनी... बढ़ गई पश्चिमी देशों की टेंशन?
बुधवार को रूस की सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, परमाणु शक्ति संपन्न देश के समर्थन से गैर परमाणु हथियार वाले देश का रूस पर हमला दोनों देशों का संयुक्त हमला माना जाएगा और जवाबी कार्रवाई की जाएगी.
- अपडेटेड 07:51 IST
पुतिन, जेलेंस्की और अब बाइडेन... 76 दिन में वॉर ट्राएंगल के तीन बड़े नेताओं से PM मोदी की मुलाकात के क्या मायने?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल अमेरिका के दौरे पर हैं. बीते 76 दिन में पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन जंग के तीन बड़े किरदार देश- रूस, यूक्रेन और अमेरिका का दौरा किया है. इस दौरान उन्होंने तीनों देशों के राष्ट्रपति से मुलाकात की.
- 23 सितंबर 2024,
- अपडेटेड 20:23 IST
Satan-2 ICBM: रूस की सबसे ताकतवर परमाणु मिसाइल का परीक्षण फेल, लॉन्च पैड तबाह
रूस अपनी सबसे ताकतवर परमाणु मिसाइल का 21 सितंबर 2024 को परीक्षण कर रहा था. लेकिन मिसाइल लॉन्च होने से पहले ही अपने साइलो में फट गई. जिससे टेस्ट साइट पर गहरा गड्ढा हो गया. पूरा टेस्ट साइट बर्बाद हो गया. इस मिसाइल को RS-28 Sarmat या Satan-2 कहते हैं.
- 22 सितंबर 2024,
- अपडेटेड 17:42 IST
यूक्रेन के खिलाफ जंग में Elon Musk के दो साइबरट्रक, चेचन्या के लीडर कादिरोव का दावा... देखिए Video
चेचन्या के नेता रमजान कादिरोव ने कहा कि उसने एलन मस्क की कंपनी टेस्ला द्वारा बनाए गए दो साइबरट्रकों को यूक्रेन के खिलाफ जंग में उतारा है. इन साइबरट्रकों पर अमेरिकी सेना से सीज की गई M2 Browning Machine Guns लगी हैं. इसके अलावा उसने इन दोनों साइबरट्रकों का जंग के मैदान में भेजने का वीडियो भी जारी किया है.
- 20 सितंबर 2024,
- अपडेटेड 15:21 IST
यूक्रेन को हथियार सप्लाई के दावे वाली रिपोर्ट को भारत ने बताया भ्रामक, पढ़ें विदेश मंत्रालय का बयान
समाचार न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के हथियार यूरोपीय देशों के जरिए यूक्रेन तक पहुंच रहे हैं. रूस इस बात को लेकर भारत से नाराज है लेकिन भारत ने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया है. हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है और रिपोर्ट को भ्रामक कहा है.
- 19 सितंबर 2024,
- अपडेटेड 06:48 IST
रूस का सबसे पुराना अटैक हेलिकॉप्टर, जिसने कर दी यूक्रेन की हालत खराब
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है...इस भीषण जंग में रूस के एक पुराने हेलिकॉप्टर ने यूक्रेन की हालत खराब कर दी है...दरअसल इस हेलिकॉप्टर का नाम है, के ए एलीगेटर...इस हेलिकॉप्टर का पहला मॉडल 1982 में आया था. यह तब से रूसी सेना में है. अब तक ऐसे 196 हेलिकॉप्टर बने हैं.
- शॉर्ट वीडियो
- 18 सितंबर 2024,
- अपडेटेड 22:23 IST
यूक्रेन के ड्रोन अटैक से दहल उठा रूस, भारी गोला-बारूद तबाह, देखें VIDEO
रूस और यूक्रेन के बीच जंग का एक नया मोर्चा खुला है. इस जंग में यूक्रेन ने रूस के ऊपर एक भयानक ड्रोन हमला किया है. रूस के उत्तरी पश्चिमी सरहदी इलाके में मंगलवार की रात एक के बाद एक कई धमाके हुए, जिन्हें कैमरे में कैद किया गया. देखिए VIDEO
- अपडेटेड 18:53 IST
- Entertainment
- Life & Style
To enjoy additional benefits
CONNECT WITH US
बखमूत के आगेः यूक्रेन जंग का हालिया दौर
भारी कीमत वाली जंग जारी रखने पर अडिग दिख रहे रूस और यूक्रेन.
Published - May 26, 2023 12:14 pm IST
पिछले साल दिसंबर में, अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बखमूत की लड़ाई की तुलना साराटोगा की उस लड़ाई से की थी, जिसमें अमेरिकी क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ अक्टूबर 1777 में निर्णायक जीत हासिल की थी। उन्होंने कहा था, ‘… बखमूत की लड़ाई स्वाधीनता और अपनी आजादी के लिए हमारे युद्ध की दिशा को बदल देगी’। पांच महीने बाद यह बखमूत यूक्रेन के हाथ से निकल गया है। दस महीने की लड़ाई के बाद, रूसी रक्षा मंत्रालय ने पिछले हफ्ते पूर्वी दोनेत्स्क क्षेत्र के इस शहर पर कब्जे का ऐलान किया। जनवरी में पड़ोस के सोलेदार पर कब्जे के बाद रूस को पहली बार बड़ा इलाका हाथ लगा है। यूक्रेन का दावा है कि उसके सैनिक बखमूत के एक छोटे इलाके को अब भी बचाये हुए हैं और किनारों की ओर से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन उसने यह स्वीकार किया है कि यह पूर्वी शहर ‘असल में रूसी हाथों में फिलहाल चला गया है’। पिछले 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण करने वाले, व्लादिमीर पुतिन के रूस को इस जीत की सख्त जरूरत थी। इससे पहले, पिछले साल के आखिरी महीनों में उसे एक के बाद एक धक्के लगे थे जब यूक्रेनियों ने पूर्वोत्तर में खारकीव ओब्लास्त और दक्षिण में खेरसोन शहर से रूसी सैनिकों को पीछे खदेड़ दिया था। रूसियों ने पहले ही पूरे लुहान्स्क पर नियंत्रण कर लिया है और अब बखमूत पर मिला यह नियंत्रण उन्हें दोनेत्स्क में क्रामातोर्स्क और स्लोविनास्क जैसे दूसरे बड़े शहरी ठिकानों को निशाना बनाने में मदद करेगा। बड़े जवाबी हमले की तैयारी में जुटे यूक्रेन के लिए बखमूत को गंवा देना एक धक्का जरूर है, लेकिन उसके सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं।
रूस ने यूक्रेन में जो शुरुआती वार किया वह अपने उद्देश्यों को पूरा करने में नाकाम रहा। वह युद्धक्षेत्र में की गयी अपनी गलतियों से अब सीखता लग रहा है, क्योंकि उसने अपने आक्रमण को एक ऐसी जंग में बदल दिया है जिसमें दुश्मन को थकाकर परास्त किया जाता है। लंदन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के जंग लड़ने के तौर-तरीकों, तालमेल, रसद, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और हवाई रक्षा में बेहतरी आई है। बखमूत में, रूस ने भारी नुकसान झेला, लेकिन यह लड़ाई एक निजी फौजी कंपनी वैगनर ने लड़ी। इसके चलते नियमित रूसी सैनिकों के बड़े हिस्से, जिसमें 300,000 नये जुटाये गये सैनिक शामिल हैं, को 1000 किलोमीटर से अधिक लंबे जंगी मोर्चे की किलेबंदी करने और प्रशिक्षण से गुजरने का
वक्त मिल सका। दूसरी तरफ, यूक्रेन को वसंत के मौसम की शुरुआत में अपना जवाबी हमला शुरू करना था, और इसमें देरी उसकी युद्धक्षेत्र संबंधी समस्याओं की ओर इशारा करती है। इस साल के शुरू में यह बात लीक हुए अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों से भी कुछ हद तक जाहिर हुई। लेकिन यूक्रेनी सैनिकों के पास अब पश्चिम की मदद से कुछ सबसे उन्नत हथियार हैं। हाल के महीनों में, यूक्रेन ने ड्रोन और मध्यम-दूरी के आग्नेयास्त्रों या हमलावरों का इस्तेमाल कर रूस के भीतर हमलों को भी अंजाम दिया है। इससे उसने लड़ाई की आग पुतिन के घर तक पहुंचा दी है। उन्नत हथियारों से लैस यूक्रेन अब अपने जवाबी हमले और रूस के भीतर व्यवधान पैदा करने की अपनी क्षमता पर दांव लगा रहा है। सोलेदार और बखमूत में लगे धक्कों से उबरने के लिए, यूक्रेन को इन इलाकों को जल्द वापस पाना होगा, जबकि बखमूत को हासिल करने से रूस को जो गति मिली है वह उसका फायदा उठाना चाहता है। दोनों पक्ष जंग जारी रखने पर अडिग हैं, ऐसे में शांति या बातचीत की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
Top News Today
- Access 10 free stories every month
- Save stories to read later
- Access to comment on every story
- Sign-up/manage your newsletter subscriptions with a single click
- Get notified by email for early access to discounts & offers on our products
Terms & conditions | Institutional Subscriber
Comments have to be in English, and in full sentences. They cannot be abusive or personal. Please abide by our community guidelines for posting your comments.
We have migrated to a new commenting platform. If you are already a registered user of The Hindu and logged in, you may continue to engage with our articles. If you do not have an account please register and login to post comments. Users can access their older comments by logging into their accounts on Vuukle.
- मध्य प्रदेश
- हिमाचल प्रदेश
- जम्मू-कश्मीर
- पश्चिम बंगाल
- धर्म-अध्यात्म
- पॉजीटिव न्यूज
रूस-यूक्रेन तनाव के पीछे की असल कहानी क्या है? जानिए क्यों पुतिन पर लग रहे हैं जंग थोपने के इल्जाम
यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में कीव से स्वतंत्रता की घोषणा करने के लिए रूसी समर्थक अलगाववादियों के कदम के बाद कई महीनों तक भीषण रक्तपात किया गया था, जिसमें हजारों लोग मारे गये थे।.
मॉस्को/कीव, जनवरी 23: पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से रूस की सेना यूक्रेन की सीमा पर बोरिया बिस्तर डालकर बैठी है और आशंका है कि फरवरी महीने में रूस की आर्मी यूक्रेन पर चढ़ाई कर देगी। यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका और नाटो सेना की तरफ से मदद भेजी गई है और अमेरिका इस संभावित लड़ाई को टालने के लिए मध्यस्तता भी कर रहा है, लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई थम पाएगी और क्या दुनिया से विश्वयुद्ध का खतरा टल पाएगा? आइये समझने की कोशिश करते हैं, रूस और यूक्रेन के बीच विवाद क्या है और रूस-यूक्रेन तनाव को लेकर पूरी दुनिया को टेंशन में क्यों आना चाहिए?
रूस-यूक्रेन संघर्ष की मूल वजह क्या है?
यूक्रेन रूस का एक पड़ोसी देश है, जिसका क्षेत्रफल 603,628 वर्ग किलोमीटर है, जो रूस और यूरोप के बीच स्थित है। यह 1991 तक सोवियत संघ का ही हिस्सा था, लेकिन सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन एक अलग देश बन गया, जिसका अर्थव्यवस्था तुललात्मक तौर पर सुस्त रही है और यूक्रेन की विदेश नीति कहने के लिए पूरी तरह से लोकतांत्रिक और संप्रभु रहा है, लेकिन अमेरिका और नाटो देश का प्रभाव दिखाई देता रहा है और यूक्रेन के साथ रूस के विवाद की सबसे बड़ी वजह यही रही है कि, आखिर यूरोपीय देश यूक्रेन के इतने करीबी क्यों हैं? नवंबर 2013 में यूक्रेन की राजधानी कीव में यूरोपीय संघ के साथ अधिक से अधिक आर्थिक एकीकरण की योजना को रद्द करने के यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
यूरोप-रूस के बीछ फंसा यूक्रेन
यूक्रेन की सरकार ने जब यूरोपीय संघ के व्यापार फैसले का विरोध किया, तो रूस ने यूक्रेन के राष्ट्रपति यानुकोविच का समर्थन किया, जबकि यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। लेकिन, साल 2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति यानुकोविच को उस वक्त देश छोड़कर भागना पड़ा, जब देश की राष्ट्रीय सुरक्षा बल ही अपने देश के राष्ट्रपति के खिलाफ खड़ी हो गई। राष्ट्रपति का देश छोड़कर भागने की घटना ने देश के प्रदर्शनकारियों को और भी ज्यादा उत्साहित कर दिया, मगर यूक्रेन संकट को काफी ज्यादा बढ़ाकर रख दिया। देश के शासन को अस्थिर करने का आरोप यूरोप और अमेरिकी देशों पर लगा। यूरोपीय देश रूस पर दवाब बनाने के लिए यूक्रेन को अपने पाले में रखने की कोशिश करने लगे और 2014 में राष्ट्रपति के देश से छोड़कर भागने के साथ ही वो इसमें कामयाब भी हो गये।
क्रीमिया पर रूस का हमला
राजनीतिक स्थिरता के बीच यूक्रेन के क्षेत्र क्रीमिया में रूसी संघ में शामिल होना या नहीं होने को लेकर जनमत संग्रह किया गया, जिसमें लोगों ने रूसी संघ के साथ जाने के पक्ष में वोटिंग की और फिर रूसी सेना ने क्रीमिया पर हमलाकर उसे अपने नियंत्रण में कर लिया। क्रीमिया और दक्षिण पूर्व यूक्रेन में रूसी लोगों और रूसी भाषियों के अधिकारों को संरक्षित करने की आवश्यकता को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खास तौर पर रेखांकित किया था। यूक्रेन संकट ने इस जातीय तनाव को और बढ़ा दिया, और पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में रूसी समर्थक अलगाववादियों ने दो महीने बाद यूक्रेन से स्वतंत्रता की घोषणा करने के लिए एक जनमत संग्रह किया था, जिसमें रूस को जीत मिली और फिर क्रीमिया पर रूस का कब्जा स्थापित हो गया।
शांति के लिए कोशिशें
यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में कीव से स्वतंत्रता की घोषणा करने के लिए रूसी समर्थक अलगाववादियों के कदम के बाद कई महीनों तक भीषण रक्तपात किया गया था, जिसमें स्वतंत्र विश्लेषकों के मुताबिक, कम से कम 14 हजार लोग मारे गये थे। इन सबके बीच यूक्रेन और रूस के बीच साल 2015 में फ्रांस और जर्मनी द्वारा आयोजित मिन्स्क में एक शांति समझौते के दौरान दस्तखत भी किए गये, लेकिन उसके बाद भी दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जाता रहा। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, मार्च 2014 से संघर्ष के परिणामस्वरूप पूर्वी यूक्रेन में तीन हजार से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं। रूस, यूक्रेन, फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने दिसंबर 2019 में पेरिस में 2015 शांति समझौते के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए बुलाया, लेकिन राजनीतिक समझौते पर कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई।
नाटो को लेकर पुतिन की नाराजगी क्यों?
सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए ही साल 1949 में नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानि नाटो की स्थापना की गई थी और उसके बाद नाटो गठबंधन में लिथुआनिया, एस्टोनिया और लातविया सहित 30 राष्ट्र शामिल हो गए हैं, जो सभी कभी सोवियत गणराज्य थे। संधि के अनुसार, अगर नाटो के सदस्यों में से किसी एक पर तीसरे पक्ष द्वारा हमला किया जाता है, तो पूरा गठबंधन उसकी रक्षा के लिए जुट जाएगा। क्रेमलिन चाहता है कि नाटो यह सुनिश्चित करे, कि यूक्रेन और जॉर्जिया (एक और पूर्व सोवियत गणराज्य) जिस पर रूस ने 2008 में आक्रमण किया था, नाटो गठबंधन में शामिल नहीं होंगे। बाडेन प्रशासन और नाटो भागीदारों का कहना है कि, यूक्रेन को नाटो में शामिल होने के फैसले को पुतिन रोक नहीं सकते हैं, लेकिन उनका ये भी कहना है कि, फिलहाल यूक्रेन को नाटो में शामिल करने का कोई इरादा नहीं है।
सीमा पर वर्तमान स्थिति क्या है?
यूक्रेन और उसकी सीमा पर लाखों रूसी सैनिकों की तैनाती को अमेरिका और नाटो खतरे के तौर पर देखा है और अमेरिका ने रूसी सैनिकों की तैनाती को असामान्य करार दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूरोपीय नेताओं की चेतावनियों के बावजूद, कि पुतिन का यूक्रेन पर आक्रमण विनाशकारी साबित होगा, यूक्रेनी सीमा के पास एक लाख रूसी सैनिक तैनात हैं। दिसंबर में जारी अमेरिकी खुफिया निष्कर्षों के अनुसार, रूस 2022 में यूक्रेन में एक सैन्य अभियान शुरू कर सकता है। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि, रूस सिर्फ एक मौके की तलाश में है और मौका बनाने के लिए रूस 'फॉल्स ऑपरेशन' भी शुरू कर सकता है, यानि रूसी अलगाववादी यूक्रेन की तरफ से रूसी सेना पर फर्जी हमला कर दें और जवाब देने के नाम पर रूस यूक्रेन पर हमला कर दे।
पूर्ण युद्ध की आशंका
यदि रूस यूक्रेन या नाटो देशों में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाता है, तो यूक्रेन में संघर्ष और बिगड़ने और एक चौतरफा युद्ध में बढ़ने की आशंका काफी बढ़ जाती है। रूस की गतिविधियों ने पूर्वी यूरोप, अमेरिका और दूसरे देशों में रूस के इरादों को लेकर सभी को आशंका में भर दिया है और नाटो क्षेत्र में रूसी हस्तक्षेप, नाटो सहयोगियों को प्रतिक्रिया करने के लिए मजबूर करेगा। वहीं, अगर रूस यूक्रेन पर हमला कर देता है, तो फिर अमेरिका और यूरोपीय देशों को यूक्रेन को बचाने के लिए बीच में आना पड़ेगा, जिससे एक भीषण लड़ाई की शुरूआत हो सकती है, जिससे आतंकवाद, हथियार नियंत्रण और सीरिया में राजनीतिक समाधान जैसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
russia ukraine vladimir putin nato america
पंजाब वासियों को CM मान ने दिया बड़ा तोहफा, अमृतसर में भगवान वाल्मीकि पैनोरमा का किया उदघाटन
Air India bomb threats: कनाडा से जारी विवाद के बीच विमानों को बम से उड़ाने की धमकी, ये कितना खतरनाक है?
MP News: बुनकरों और कलाकारों से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की विशेष मुलाकात, घूम कर देखें उत्पाद
Latest updates.
- Block for 8 hours
- Block for 12 hours
- Block for 24 hours
- Don't block
- Click on the Menu icon of the browser, it opens up a list of options.
- Click on the “Options ”, it opens up the settings page,
- Here click on the “Privacy & Security” options listed on the left hand side of the page.
- Scroll down the page to the “Permission” section .
- Here click on the “Settings” tab of the Notification option.
- A pop up will open with all listed sites, select the option “ALLOW“, for the respective site under the status head to allow the notification.
- Once the changes is done, click on the “Save Changes” option to save the changes.
- Notifications
IMAGES
VIDEO
COMMENTS
15 min read. सामान्य अध्ययन-II. भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव. द्विपक्षीय समूह और समझौते. वैश्विक समूह. यह एडिटोरियल 26/02/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित ‘Stay the Course’ लेख पर आधारित है। इसमें रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के बारे में चर्चा की गई है।. संदर्भ.
12 min read. टैग्स: सामान्य अध्ययन-II. द्विपक्षीय समूह और समझौते. भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव. प्रिलिम्स के लिये: न्यू स्टार्ट संधि, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO), काला सागर अनाज पहल।. मेन्स के लिये: भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव, वैश्विक प्रभाव।. चर्चा में क्यों?
प्रथम विश्वयुद्ध के मध्य साम्राज्यवाद के साए से उभरते हुए यूक्रेनियन पीपल्स रिपब्लिक (यूएनआर) की स्थापना 1917 में हुई। जार के शासकीय ...
राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि उनका सैन्य अभियान योजना के मुताबिक चल रहा है. वहीं बेलारूस में रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता हुई है. लाइव कवरेज. दिलनवाज़ पाशा. 4 मार्च 2022 बेलारूस ने अपने सैनिकों को...
Russia Ukraine War: 24 फरवरी 2022. रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) क्रेमलिन में बैठक बुलाते हैं. अपने सैन्य कमांडर को यूक्रेन (Ukraine) पर हमला करने का आदेश देते हैं. यूक्रेन पर मिलिट्री ऑपरेशन की शुरुआत हो जाती है.
Russia Ukraine Conflict News in Hindi: Get More information on रूस-यूक्रेन संघर्ष including breaking news, speech, opinion and analysis. Check News articles, photos, videos of रूस-यूक्रेन संघर्ष at Aaj Tak.
editorial in Hindi on Russia’s mindless pursuit of war in Ukraine.
BBC. सारांश. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से फ़ोन पर बात कर सूमी में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने में सहयोग मांगा है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ यूक्रेन...
With Russia and Ukraine determined to continue the war, there is no hope for peace or talks.
रूस-यूक्रेन तनाव के पीछे की असली कहानी क्या है और व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन से नाराज क्यों हैं? What is the real story behind Russia-Ukraine tensions and why is Vladimir Putin angry with Ukraine?