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पर्यावरण की सुरक्षा | paryvaran ki suraksha hindi essay.

Paryvaran Ki Suraksha Hindi Essay

icse question -  पर्यावरण है तो मानव है’ विषय को आधार बनाकर पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप क्या-क्या प्रयास कर रहे हैं ? विस्तार से लिखिए।

100 Words - 150 Words 

पर्यावरण सुरक्षा विश्वास का विषय है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करता है । यह मानव और सभी प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक है । प्रदूषण , वनों का कटाव , जलवायु परिवर्तन , और विकास के लिए अनुशासनहीनता पर्यावरण को खतरे में डालते हैं । हमें अपने उच्च जीवन शैली को संतुलित करने और प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने की आवश्यकता है ।  

पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें संबंधित विषयों पर शिक्षा , संगठन , और कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है । वन्यजीवन की संरक्षण , बिजली और पानी के सही उपयोग , और विकासी योजनाओं की पर्याप्त पर्यावरणीय प्रतिबद्धता हमारे लिए आवश्यक हैं । हम सभी को इस बड़े परिवर्तन में अपना योगदान देना होगा और सुरक्षित पर्यावरण का आनंद उठाने के लिए एकजुट होना होगा ।  

200 Words - 250 Words

पर्यावरण सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों, जीवजंतुओं, और मानव समृद्धि की रक्षा करता है। पर्यावरण हमारे जीवन के लिए अनमोल है और उसकी रक्षा हमारा कर्तव्य है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली, विकास, और औद्योगिकी के कारण पर्यावरण को कई तरीकों से नुकसान पहुंचा रहा है।  

वन्यजीवन का नष्ट होना, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, और जमीन का अतिक्रमण कुछ मुख्य पर्यावरण समस्याएं हैं। इन समस्याओं का समाधान न केवल सरकारी तंत्रों द्वारा बल्कि हर व्यक्ति के सहयोग से किया जा सकता है।  

पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें अपने उत्पादन और उपभोग के तरीकों में सुधार करने की आवश्यकता है। हमें बचाते और पुनर्चक्रण की अधिक प्रवृत्ति करनी चाहिए। विद्युत् ऊर्जा और पेयजल के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए और अनावश्यक उपभोग से बचना चाहिए। वन्यजीवन को संरक्षित करने और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने का ध्यान रखना भी जरूरी है।  

वैश्विक स्तर पर, हमें संगठित रूप से सहयोग करके पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। विभिन्न देशों को आपसी समझदारी से परस्पर सहायता करनी चाहिए।  

इस प्रकार, हम सभी को साथ मिलकर पर्यावरण सुरक्षा के लिए संघर्ष करना होगा। हमारे छोटे-छोटे कदम भी बड़े परिवर्तन का हिस्सा बन सकते हैं और एक स्वच्छ और हरित पर्यावरण के निर्माण में सहायक साबित हो सकते हैं।  

पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसका हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि, और समस्त प्राकृतिक जीवन के साथ सीधा संबंध होता है। यह हमें ऊर्जा, खान-पान, और विभिन्न अन्य जीवन जरूरियतों के रूप में सबकुछ प्रदान करता है। यहां तक कि प्राचीन समय से ही मनुष्य ने पर्यावरण की संरक्षण की जिम्मेदारी को समझा और विभिन्न तरीकों से इसे सुरक्षित रखने का प्रयास किया है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली, विकास, और तकनीकी प्रगति के साथ, मानव ने पर्यावरण को अधिक भयंकर रूप में प्रभावित किया है और इससे उसकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। इसलिए, पर्यावरण की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी है जिसका समाधान हमें जल्द से जल्द ढूंढना होगा।  

प्राकृतिक आपदाएं, जैसे भूकंप, बाढ़, तूफ़ान, और जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं। इनके प्रभाव से लाखों लोग घातक रूप से प्रभावित होते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं। भूकंपों के कारण भूमि के तहस-नहस हो जाने से इमारतें ढह जाती हैं, बाढ़ और तूफ़ान से फ़सलों का नुकसान होता है और जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर घटते जा रहे हैं और समुद्र तटों के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। ये सभी पर्यावरण के खिलाफ असर के उदाहरण हैं जिनसे हमें समझना चाहिए कि हमें पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की ज़रूरत है।  

प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है जो पर्यावरण को हानि पहुंचाती है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, और ध्वनि प्रदूषण जैसे रूपों में अपना प्रभाव दिखाता है। वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल की गर्मी बढ़ जाती है जिससे जलवायु परिवर्तन होता है और मौसम की परिवर्तनशीलता बढ़ती है।

जल प्रदूषण के कारण जल की गुणवत्ता खराब होती है और इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण बड़े शहरों में अधिक होता है जो हमारे कानों को भी प्रभावित करता है। इससे सभी प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि वृक्षारोपण, पानी के संचयन, और जलवायु नियंत्रण। वनों की कटाई और वृक्षारोपण की कमी से हमारे प्राकृतिक पर्यावरण के संतुलन में बदलाव होता है और जलवायु को प्रभावित करने के लिए उसके नियंत्रण को भी खतरा पड़ता है।  

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकारों, संगठनों, और व्यक्तियों के सहयोग की ज़रूरत है। सरकारों को सख्त नियमों और कानूनों के रूप में पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने चाहिए और इनके पालन का प्रतिबंधी तरीके से सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, संगठनों को अपने कामकाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए, उन्हें सुस्ताई नहीं करनी चाहिए और पर्यावरण के साथ जिम्मेदारी उठानी चाहिए।  

व्यक्तियों को भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझना चाहिए और उन्हें अपने स्तर पर छोटे-मोटे कदम उठाने की ज़रूरत है। वृक्षारोपण, वन्यजीवन का समर्थन, और जल संचयन जैसे छोटे-मोटे कदम हमारे पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।  

इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करना भी आवश्यक है। लोगों को पर्यावरण की समस्याओं के बारे में शिक्षित करना चाहिए और उन्हें इससे जुड़े समाधानों के बारे में बताना चाहिए। शिक्षा के माध्यम से जागरूकता फैलाने से लोग स्वयं भी सक्रिय रूप से पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान करते हैं और दूसरों को भी जागरूक करते हैं।  

समाप्ति में, पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी की ज़िम्मेदारी है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाएं और आने वाले पीढ़ियों को एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण छोड़ें। हमें अपने आसपास के पर्यावरण का ध्यान रखना होगा, संवेदनशीलता से समझना होगा और उसे सुरकषित रखने के लिए सामाजिक एवं आर्थिक रूप से समर्थ उपाय अपनाने होंगे।

हमें पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का एक मूल्यांकन बनाना होगा और इसे व्यक्तिगत, परिवारिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देनी होगी।  

सरकारों को विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी को गहराई से समझना होगा। पर्यावरण के संरक्षण के लिए सशक्त नीतियों और क़ानूनों को बनाएंगे और उन्हें नियमित रूप से जांचने और पालन करने का सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही, संगठनों को अपने उत्पादन और प्रोसेस को पर्यावरण के साथ समन्वयित करने के लिए उत्साहित करना होगा। पर्यावरण के साथ संरक्षण करने वाले संगठनों को इन्सेंटिव और प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए ताकि वे इस मामले में और सक्रिय बन सकें।  

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पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay in Hindi)

पर्यावरण

पर्यावरण के इसी महत्व को समझने के लिए आज हम सब ये निबंध पढ़ेंगे जिससे आपको पर्यावरण से जुड़ी समस्त जानकारियाँ मिल जाएंगी। आपकी आवश्यकता को देखते हुए ये निबंध 300 शब्द, 400 शब्द, और 500 शब्द के अंतर्गत दिया गया है।

पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध || पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध || पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

पर्यावरण पर निबंध (100 – 200 शब्द) – Paryavaran par Nibandh

वो सारी चीजें जो हमारे चारों ओर हैं पर्यावरण कहलाता है जैसे हवा, पानी, आकाश, जमीन, जीव जन्तु, वनस्पति, पेड़ पौधे आदि। पर्यावरण, प्रकृति द्वारा भेंट किया गया एक तोहफा है। हम सबको स्वस्थ रूप से जीने के लिए जिन चीजों की जरुरत पड़ती है वो पर्यावरण हमे देता है। लेकिन मानवों ने अपने लालच को पूरा करने के लिए पर्यावरण को इतना दूषित कर दिया है कि आज धरती पर सारे जीव जन्तु भुगत रहे हैं।

बढ़ती जनसँख्या के डिमांड्स को पूरा करने के लिए, घर और कारखाने बनाने के लिए लोगों ने जंगल के जंगल काट दिए और नए पेड़ भी नहीं लगाए। कारखानों व फैक्ट्री से निकलने वाले कूड़े कचरे, प्लास्टिक और गंदे पानी ने हवा, पानी और मिट्टी को दूषित कर दिया है। जिससे लोग बीमार पड़ रहे है, मर रहे हैं, जीव जन्तु विलुप्त हो रहे हैं, गर्मी में तापमान चरम सीमा पर पहुंच गया है, ठंढी में ज्यादा ठंढी पड़ती है, बरसात में समय पर बारिश नहीं होती इसलिए सूखा पड़ रहा है लोग खेती नहीं कर पा रहे है, असमय जलवायु परिवर्तन हो रहा है, ओज़ोन लेयर में छेड़ हो गया है जिससे अल्ट्रा वायलेट किरणे धरती पर आने लगी हैं, इत्यादि।

अगर हमें अपना स्वस्थ पर्यावरण वापस चाहिए तो हम सबको अपनी गलती जल्द से जल्द सुधारनी होगी। सिर्फ सरकार के नियम बनाने से कुछ नहीं होगा, हर एक इंसान को भी जागरूक होकर कदम उठाना होगा। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे, गाड़ियों की जगह साइकिल इस्तेमाल करना होगा, AC और फ्रीज का सहारा छोड़ना होगा, और वो सभी चीजे छोड़नी होगी जिससे हमारा पर्यावरण दूषित हुआ है।

पर्यावरण पर निबंध (300 – 400 शब्द) – Environment par Nibandh

धरती पर हम जिस परिवेश में रहते हों उसे पर्यावरण कहते हैं जो हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा है और हमें जीवन जीने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करता है, जैसे कि स्वच्छ हवा, पानी, भोजन और आश्रय। धरती पर एक स्वच्छ पर्यावरण का महत्व इतना अधिक है कि इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन आज के आधुनिक युग में हम मनुष्यों ने अपने स्वार्थ और विकास की दौड़ में पर्यावरण को काफी हद तक दूषित कर दिया है।

पर्यावरण दूषित कैसे हुआ

विकास की अंधाधुंध होड़ में उद्योगों का तेजी से विकास हुआ, जिससे वायुमंडल में प्रदूषक गैसों का उत्सर्जन हुआ और वायु प्रदूषित हो गयी। बड़े बड़े उद्योगों के अपशिष्ट जल के नदियों में गिरने से जल प्रदिर्शित होकर एक गंभीर समस्या बन गया है। वनों के अंधाधुंध कटाई से न केवल वन्य जीवों का घर नष्ट हुआ है, बल्कि इससे मृदा अपरदन, जलवायु परिवर्तन और जल संकट भी उत्पन्न हुए हैं।

पर्यावरण दूषित होने से नुकसान

जलवायु परिवर्तन आज के समय में एक वैश्विक संकट बन चुका है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिससे ग्लेसियर्स पिघल रहे हैं और समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। इस जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कृषि, वनस्पति, और मानव जीवन पर भी सीधा पड़ रहा है। कई वन्य जीव प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं और कई विलुप्त होने के कगार पर हैं। साथ ही साथ मौसम चक्र में भी अनियमितता देखने को मिल रही है।

पर्यावरण को दूषित होने से कैसे बचाएं

हम सभी को बिना देर किये अपने पर्यावरण को संरक्षित करना होगा, इसके लिए सबसे पहले, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा और वनों की कटाई को भी रोकना होगा। वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे वायु शुद्ध रहती है। हमें जल संसाधनों का संरक्षण करके पानी की बर्बादी को रोकना चाहिए। प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करके रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना चाहिए।

सरकारें द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएं और कानून लागू की गयी हैं जैसे स्वच्छ भारत अभियान, जल बचाओ अभियान, और वन महोत्सव इत्यादि। लेकिन सिर्फ सरकार से ही काम नहीं चलेगा, जन जागरूकता भी जरुरी है जो कि शिक्षा और प्रचार-प्रसार से संभव है।

जब तक हम ये नहीं समझेंगे कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार का ही नहीं, बल्कि हर नागरिक का भी कर्तव्य है, तब तक हम सफल नहीं होंगे। हमें अपनी दैनिक जीवनशैली में छोटे-छोटे कई बदलाव करने होंगे, जैसे कि बिजली और पानी का संयमित उपयोग, पैदल चलना या साइकिल से चलना, और कचरे का सही निपटान करना इत्यादि। इन छोटे-छोटे प्रयासों से हम एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं और भविष्य में अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण दे सकते हैं।

पर्यावरण पर निबंध (250 – 300 शब्द) – Paryavaran par Nibandh

पर्यावरण में वह सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं जो कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं तथा चारों ओर से हमें घेरे हुए हैं। यह हमें बढ़ने तथा विकसित होने का बेहतर माध्यम देता है, यह हमें वह सब कुछ प्रदान करता है जो इस ग्रह पर जीवन यापन करने हेतु आवश्यक है। हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे की हमारा लालन पालन हो, हमारा जीवन बना रहे और कभी नष्ट न हो। तकनीकी आपदा के वजह से दिन प्रति दिन हम प्राकृतिक तत्व को अस्वीकार रहे हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस

पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा। पूरे ब्रम्हांड में बस पृथ्वी पर ही जीवन है। वर्षों से प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस समारोह के विषय को जानने के लिए, हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाये तथा हमारे उन सभी बुरी आदतों के बारे में जानने के लिए जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचता है, हम सभी को इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए।

पर्यावरण सुरक्षा के उपाय

धरती पर रहने वाले सभी व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे कदमों के माध्यम से हम बहुत ही आसान तरीके से पर्यावरण को सुरक्षित कर सकते हैं। हमें अपशिष्ट की मात्रा में कमी करना चाहिए तथा अपशिष्ट पदार्थ को वही फेकना चाहिए जहां उसका स्थान है। प्लास्टिक बैंग का उपयोग नही करना चाहिए तथा कुछ पुराने चीजों को फेकने के बजाय नये तरीके से उनका उपयोग करना चाहिए।

आईए देखें कि किस प्रकार हम पुराने चीजों को दुबारा उपयोग में ला सकते हैं- जिन्हें दुबारा चार्ज किया जा सकता है उन बैटरी या अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें, प्रतिदीप्त प्रकाश का निर्माण कर, बारिस के पानी का संरक्षण कर, पानी की अपव्यय कम कर, ऊर्जा संरक्षण कर तथा बिजली की खपत कम करके, हम पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखने के मुहिम की ओर एक कदम बढ़ा सकते है।

Environment Essay in Hindi

FAQs: Frequently Asked Questions on Environment (पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर – हमारे चारों तरफ का वह परिवेश जो हमारे लिए अनुकूल है, पर्यावरण कहलाता है।

उत्तर – विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।

उत्तर – पर्यावरण के प्रमुख घटक हैं- वायुमंडल, जलमंडल तथा स्थलमंडल।

उत्तर – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण आदि पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार है।

उत्तर – बांग्लादेश विश्व का सबसे प्रदूषित देश है।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

Essay on Save Environment in Hindi: हम सभी पर्यावरण से घिरे हुए हैं। पेड़-पौधे, जीव जंतु, पंछी, नदी, पहाड़, पर्वत, झरने इत्यादि सभी पर्यावरण है। मनुष्य तथा सभी जीव जंतुओं का पर्यावरण से बहुत ही घनिष्ट संबंध है और हमेशा रहेगा। पर्यावरण के साथ संतुलन बनाकर ही मनुष्य इस धरती पर अपने अस्तित्व को बनाए रख सकता है।

पर्यावरण और प्रकृति की सुंदरता मनुष्य को हर्षोउल्लासित कर देती है, मनुष्य में उत्साह का संचार होता है। प्रकृति के बीच मनुष्य अपने आप को बहुत शांत और स्वस्थ अनुभव करता है। लेकिन दिन प्रतिदिन मनुष्य अपनी तरह तरह के गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे धीरे-धीरे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ते जा रहा है, जिसका बुरा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ रहा है।

यदि ऐसे ही चलता रहा तो वह समय दूर नहीं जब मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व इस धरती से खत्म हो जाएगा। जिस कारण अभी से ही हर मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय हो जाना चाहिए।

Essay-on-Save-Environment-in-Hindi-

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Save Environment in Hindi)

यदि आप एक विद्यार्थी हैं तो निश्चित तौर पर आपके विद्यालय या कॉलेज में पर्यावरण के संरक्षण पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता होगा ताकि हर एक विद्यार्थी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ सके। इसीलिए आज के इस लेख में हम 250, 300, 500 और 1200 शब्दों में निबंध लेकर आए हैं।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 250 शब्द

यह सभी की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि देश में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण के प्रदूषण के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार होती जा रही है। पहले के जमाने में हमारी धरती पर अच्छा प्रदूषण मुक्त माहौल हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे आधुनिक तकनीकीओ का विकास हुआ, जनसंख्या बढ़ी, वैसे ही वनों का विनाश होने लगा। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, वाहन प्रदूषण, वायु मंडल में भी ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग इन सभी की वजह से हमारा वातावरण बहुत प्रदूषित हो गया है।

हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है। इस वजह से आज सभी का जीवन संकट में पड़ता जा रहा है। क्योंकि हमें ना खाने को अच्छा मिल पा रहा है और ना हम अच्छी शुद्ध हवा ले सकते हैं। चारों तरफ प्रदूषण की मात्रा इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि हर इंसान का सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हम सभी को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। बहुत अधिक संख्या में प्रयास करने होंगे।

हालांकि हमारी सरकार के द्वारा भी पर्यावरण को बचाने के बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। लोग अधिक से अधिक संख्या में लोग पेड़ लगा रहे हैं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमको सभी को एकजुट होकर इसका सोशल मीडिया के द्वारा प्रचार करना होगा। लोगों में हमारे पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने होगी ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक होकर पेड़ लगाएं तथा पर्यावरण को संरक्षित कर सके।

हमारे देश में जितने तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, आधुनिक साधनों का लोग प्रयोग किए जा रहे हैं, उनकी वजह से हमारा वातावरण बहुत नुकसान हो रहा है। इन सभी से चीजों के हानिकारक प्रयोग से बचने के लिए एकजुट होकर सबको हमें अपने पर्यावरण को बचाना होगा।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 300 शब्द

पृथ्वी पर स्थित सभी जीव-जंतु, मनुष्य पर्यावरण से घिरे हुए हैं। हमारे आसपास मौजूद हरे भरे पेड़ पौधे, पंछियों की चहकान, नदियों की लहरों की कलरव करती आवाज, सुंदर सुंदर फूल, हर चीज हमें बहुत मनोरम एहसास दिलाता है। यह हर चीज पर्यावरण ही तो है। हमारे आसपास मौजूद जितनी भी चीजें है, सभी पर्यावरण संरचना में योगदान देता है। मनुष्य बिना पर्यावरण के लंबे समय तक जीवन नहीं जी सकता।

क्योंकि यदि एक व्यक्ति को बंद कमरे में हमेशा के लिए बंद कर दिया जाए और सारी सुख सुविधा दी जाए लेकिन उसे बाहर आने ना दिया जाए तो वह व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। क्योंकि धरती पर मौजूद हर मनुष्य हर और जीव जंतु इस पर्यावरण के साथ अपने आपको ढाल चुका है और अब बिना पर्यावरण के मनुष्य कहीं और नहीं रह सकता।

लेकिन अफसोस की बात है कि जिस पर्यावरण के बिना व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता, उस पर्यावरण के महत्व को ही मनुष्य समझ नहीं पा रहा है। आज मानव नए-नए आविष्कार कर रहा है, विज्ञान के दुनिया में खूब तरक्की कर रहा है। लेकिन मनुष्य के तरक्की का हर्जाना पर्यावरण को भुगतना पड़ रहा है। आज मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को काट रहा है, जानवरों की हत्या कर रहा है, पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।

मनुष्य के इन गतिविधियों के कारण दिन-प्रतिदिन मानव जाति विनाश की ओर आगे बढ़ रही हैं। यदि लंबे समय तक मनुष्य ऐसा करता ही रहा तो मनुष्य को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा। धीरे-धीरे धरती से मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इसीलिए आज ही हर एक मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक होना जरूरी है। हर एक मनुष्य को पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए अन्यथा यह पर्यावरण पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा और इसी के साथ मानव जाति भी खत्म हो जाएगी।

हालांकि पर्यावरण को लेकर हर देश चिंता में है, इसीलिए हर साल 5 जून को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़-चढ़कर लोग हिस्सा लेते हैं और पेड़ पौधों को लगाते हैं, पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य लोगों को भी जागरूक करते हैं। लेकिन केवल एक ही दिन नहीं बल्कि हर दिन लोगों को पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 500 शब्द

पर्यावरण से मनुष्य का रिश्ता मनुष्य जाति की उत्पत्ति से ही हो चुका है। क्योंकि पर्यावरण नहीं होता तो मनुष्य जाति यहां तक कि अन्य जीव-जंतुओं का भी अस्तित्व नहीं होता। जब से धरती पर जीव उत्पन्न हो गए हैं तब से ही प्रकृति से जीवों को जीने के लिए संसाधन प्राप्त हो रहे हैं। मनुष्य जीवन जीने के लिए प्रकृति का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग कर रहा है। प्रकृति ने मनुष्य को रहने के लिए आश्रय दिया है।

लेकिन शायद मनुष्य भूल चुका है। इसीलिए तो मनुष्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जैसे जैसे समय बीतता गया मनुष्य की जरूरते बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए मनुष्य पर्यावरण के प्रति निर्दय होने लगा। दिन प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है, जिस कारण लोगों की आवश्यकता भी बढ़ रही है और इसी कारण मनुष्य कई प्रकार के जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मार रहा है, बढ़ती शहरीकरण के कारण पेड़ पौधों को काटा जा रहा है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

पर्यावरण जो ईश्वर के द्वारा बनाई गई है। पर्यावरण में मौजूद तरह-तरह के रंग-बिरंगे सुंदर फूल, पेड़-पौधों की हरियाली, पंछियों की चहकती आवाज और पर्यावरण के सुंदर नजारे हमारी आंखों को खूब लुभाते हैं और इन्हें देख मनुष्य का मन प्रफुल्लित हो जाता है। इन सुंदर दृश्य को देख मनुष्य चिंता मुक्त हो सकता है और अंदर ही अंदर वो खुशी महसूस करता है।

पर्यावरण में मौजूद जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पर्वत, नदियां सभी से मानव का संबंध है। पर्यावरण से ही तो मनुष्य को जीने के लिए सभी तरह के संसाधन प्राप्त होते हैं। इसीलिए प्राचीन काल से ही भारत में वृक्षों को संतान स्वरूप एवं नदियों को मां स्वरूप माना गया है।

प्राचीन काल के ऋषि मुनि भी प्रकृति की पूजा करते थे। क्योंकि वे जानते थे कि मनुष्य और पर्यावरण का नाता लंबे समय से है और हमेशा ही रहेगा। इन्हीं पर्यावरण के बदौलत मनुष्य इस धरती पर अपना जीवन यापन कर पाएगा, इसीलिए पर्यावर संरक्षण महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

  • यदि पर्यावरण को संरक्षित करना है तो सबसे पहले मनुष्य को पर्यावरण को प्रदूषित करने से रोकना होगा।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए फैक्ट्री और घरों से निकलने वाली गंदगी को नदियों और समुद्रों में निष्कासित करने से रोकना होगा। क्योंकि इन्हीं पानी को पीने से कई प्रकार के जीव जंतुओं की मौत हो जाती है। मनुष्य चाहे तो इन गंदे पानी को पेड़ पौधे और फसल उगाने में प्रयोग कर सकता है।
  • मनुष्य अपनी सुविधा के कारण कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामान का इस्तेमाल करता है जैसे कि एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर इत्यादि जिनसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन निकलता है, जो पर्यावरण में तापमान को और भी ज्यादा बढ़ा रहा है और इस बढ़ते तापमान के कारण ध्रुव पर ग्लेशियर पिघल रहा है। इसलिए इन इलेक्ट्रॉनिक सामान के इस्तेमाल पर कटौती करना जरूरी है।
  • पर्यावरण को संरक्षित रखना है तो पेड़ पौधों के कटाई पर रोक लगाना जरूरी है और यदि मनुष्य पेड़ पौधों की कटाई करता है तो उसका दोगुना पेड़ पौधे भी उसको उगाना जरूरी है।

सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण में भूमिका

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस लिक दुर्घटना होने के बाद सरकार ने भी संसद में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सन 1986 में एक अधिनियम जारी किया, जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं।

अब इस अधिनियम का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाना है। इसके अतिरिक्त विश्वभर में पर्यावरण सरंक्षण के लिए हर साल 5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर सके और खुद भी योगदान दे सके।

मनुष्य जिस घर में रहता है मनुष्य उस घर को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। क्योंकि वह उसका आश्रय है। ठीक उसी तरह पर्यावरण भी तो मनुष्य और सभी जीव-जंतुओं का आश्रय है। यदि पर्यावरण ना हो तो मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व भी ना होता। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना आप अपने आप और अपने घरों को सुरक्षित रखते हैं।

जिससे जीवन यापन के लिए सभी तरह की चीजें प्राप्त होती है, उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जाता। क्योंकि यदि वही चीजों को नुकसान पहुंचाएंगे तो फिर जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी चीजें कहां से प्राप्त होगी? और मनुष्य को जीवन जीने के लिए जितनी भी चीजें हैं सभी चीजें पर्यावरण से ही तो प्राप्त होती है। इसीलिए पर्यावरण का संरक्षण करना हर एक मानव की जिम्मेदारी है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (1200 शब्द)

पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत अत्यधिक जरूरी हो गया है, क्योंकि संपूर्ण मानव जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जब हमारा पर्यावरण सही नहीं रहेगा तो हमारा जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा, इसलिए पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत जरूरी है।

ऐसी चीजों का प्रयोग नहीं करना होगा, जिन से हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे, तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इसके लिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में जागरूक करना होगा। नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को जागरूक कर हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे उसको संरक्षित कर पाएंगे।

पर्यावरण शब्द का अर्थ

यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पर+ आवरण। मतलब चारों तरफ से गिरा हुआ या ढका हुआ, उसको पर्यावरण कहते हैं। जिस तरह से पहले पृथ्वी हमारे चारों तरफ हरियाली से ढकी हुई रहती थी, बढ़ती जनसंख्या के कारण आज वनों से पेड़ पौधों से विहीन हो गई है।

पर्यावरण कैसे बनता है?

जिस वातावरण में हम रहते हैं, वहां पर पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य आदि प्रकृति के द्वारा प्रदान सभी चीजों से मिलकर हमारा पर्यावरण बनता है, इसीलिए हमारा बहुत गहरा रिश्ता होता है पर्यावरण के साथ में। प्रकृति और पर्यावरण का घनिष्ठ संबंध देख कर मन में बहुत उत्साह और प्रसन्नता का अनुभव याद दिलाता है।

पर्यावरण के संरक्षण की जरूरत

जिस प्रकार से मनुष्य प्रकृति के द्वारा प्रदान की गई चीजों को नुकसान पहुंचाने लग रहा है, उससे मनुष्य जीवन बिल्कुल खतरे में पड़ चुका है। मनुष्य भूल चुका है कि जिस प्रकृति ने उसको आश्चर्य दिया जीवन दिया, वह उस प्रकृति को ही नुकसान पहुंचा रहा है।

जिस तेज गति से संसाधन बढ़ते जा रहे हैं, लोगों की आवश्यकता है, बढ़ती जा रही हैं, उसे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंच रहा है, आज मनुष्य को सबसे ज्यादा पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता पड़ गई है क्योंकि उसका खुद का जीवन संकट में आ गया है। दिन प्रतिदिन मनुष्य अपने स्वार्थ और अपने फायदे के लिए हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता जा रहा है।

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हम सभी का दायित्व

यह संपूर्ण विश्व के लोगों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हम को बहुत छोटी छोटी बात पर ध्यान देना होगा और हमारे पर्यावरण को उन हानिकारक चीजों से बचाना होगा, जिससे पर्यावरण हमारा प्रदूषित हो रहा है। यह हम सब को एकजुट जागरूक होकर करना होगा। जैसे लोग प्लास्टिक के थैलों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, पेट्रोल डीजल युक्त साधनों का प्रयोग कर रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, इन सभी चीजों को बंद करना होगा।

तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित संरक्षित रख पाएंगे। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं होता। इसके लिए सभी को जागरूक होकर एक साथ काम करना होगा। लोगों को पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को समझाना होगा। यह हम सबका दायित्व है कि हम अपने पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखें।

पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भूमिका

संरक्षण के लिए सबसे अधिक लोगों की भूमिका होती है, क्योंकि हम खुद अपने पर्यावरण को संरक्षित रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। सबसे पहले हमें इको फ्रेंडली चीजों का निर्माण कर उनको उपयोग में लाना होगा, क्योंकि इको फ्रेंडली चीजें हमारे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है।

इसीलिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में इन चीजों का प्रयोग करने के लिए बताना होगा। इनके महत्व को समझाना होगा तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इको फ्रेंडली का मतलब यह होता है कि मनुष्य उन वस्तुओं का निर्माण करता है, जो हमारे पर्यावरण के अनुरूप हो हमारे पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान ना पहुंचाएं।

मनुष्य जीवन में पर्यावरण के संरक्षण का महत्व

आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से हमारे देश में पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसका पूजन करने के समान होता है। हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं। मनुष्य के साथ एक गहरा रिश्ता है, क्योंकि यह सभी हमें प्रकृति के द्वारा प्रधान हुए हैं। हम खुद भी प्रकृति की ही देन है।

हमारे देश में वृक्षों को संतान के स्वरूप नदियों को मां के समान माना गया है। हमारे देश में ऋषि-मुनियों को पहले से ही पता था कि मनुष्य का स्वभाव किस प्रकार से होता है। मनुष्य अपने स्वार्थ और लालच के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इसीलिए मनुष्य ने प्रकृति के साथ भी अपने संबंधों को कभी विकसित नहीं किया।

हमारे पुराने ग्रंथों में भी कहा गया है कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण कितना जरूरी है। हमारे वेदों में भी कहा गया है:

ॐ पूर्णभदः पूर्णमीदम पूर्णातपुर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।

अर्थात हमारी प्रकृति से उतना ही ग्रहण करो जितना आवश्यक है, लेकिन अपनी जरूरतों के लिए अपनी प्रकृति को नुकसान बिल्कुल मत पहुंचाओ।

पर्यावरण के संरक्षण का उपाय

सबसे पहले हमें पर्यावरण के संरक्षण के लिए जनसंख्या की दृष्टि से वृद्धि हो रही है, उस पर रोक लगानी होगी। सरकार को इसके लिए सख्त कदम उठाने होंगे तभी यह काम आसान हो पाएगा और हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे।

फैक्ट्रियों बड़े-बड़े कारखाने के द्वारा निकला हुआ प्रदूषित जल सागरों नदियों में छोड़ा जा रहा है, जिससे जल प्रदूषित होता जा रहा है। उस जल का उपयोग खेती में पीने में भी किया जाता है। इस वजह से लोग बहुत बीमार हो जाते हैं, वह जल पीने योग्य नहीं होता उपजाऊ जमीन भी बंजर हो जाती है। इन सब पर रोक लगानी होगी। इस पानी को नदी और सागरों में छोड़ने के प्रयास नहीं करने होंगे।

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने कई विषयों की भी शुरुआत की है, जिसमें स्वच्छ भारत अभियान नदियों की सफाई का कार्यक्रम प्रमुख रहे हैं। आज सरकार के द्वारा ही बहुत अच्छे अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं, जिनसे हमारा पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सके।

हमारी प्रकृति का संरक्षण करना उतना ही जरूरी होता है, जिस प्रकार हम अपने जीवन को सुरक्षित रखते हैं। हमारी बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है कि हम अपने तरह ही अपने प्रकृति के जीवन को भी बचा है। क्योंकि जिस प्रकार से आज हमारी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, इसलिए हम लोगों को जागरूक होकर उसके संरक्षण की जरूरत है।

पर्यावरण का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है और इसको सभी लोगों को एक साथ एकजुट होकर पूरा करना होगा, जितना अधिक हो सके। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना होगा। इसके रोकने के पूरे प्रयास सभी को मिलकर करने होंगे तभी हम  पर्यावरण को सुरक्षित रख पाएंगे और खुद भी सुरक्षित रह सकेंगे।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF (Paryavaran Sanrakshan Essay in Hindi)

यहाँ पर हमने आपकी सहायता के लिए पर्यावरण संरक्षण पर निबंध को पीडीऍफ़ के रूप में उपलब्ध किया है, जिसे आप आसानी से डाउनलोड करके अपने प्रोजेक्ट के रूप में प्रयोग में ले सकते हैं।

आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Save Environment in Hindi) बहुत पसंद आया होगा। इस निबंध को आगे शेयर जरुर करें। यदि आपका इस निबंध से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

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पर्यावरण का महत्व: एक स्वस्थ भविष्य की खोज। Paryavaran ka Mahatva Nibandh: The Search for a Healthy Future

पर्यावरण का महत्व: एक स्वस्थ भविष्य की खोज। Paryavaran ka Mahatva Nibandh: The Search for a Healthy Future

प्रकृति की संरक्षा और मानवीय विकास के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए पर्यावरण का महत्व (paryavaran ka mahatva) अपार है। पर्यावरण का महत्व पर यह निबंध (Paryavaran ka Mahatva Nibandh) पर्यावरण कि मानव जीवन में आवश्यकता को व्यापक रूप से वर्णित करता है और हमें प्रेरित करता है कि हमें इसकी संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्प होना चाहिए।

पर्यावरण के बारे में निबंध या पर्यावरण पर निबंध (paryavaran ke bare mein nibandh or essay on environment in hindi) पर्यावरण के महत्व को व्यापक रूप से वर्णित करता है और हमें प्रेरित करता है कि हमें पर्यावरण की संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।

पर्यावरण के महत्व के इस निबंध में (paryavaran ka mahatva nibandh) हम इसके महत्व के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे जल, वायु, ध्वनि, और प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसे पढ़कर हमें पर्यावरण संरक्षण की महत्ता (paryaavaran sanrakshan kee mahatta or importance of environmental protection in hindi) समझ में आएगी और हम अपनी पृथ्वी की रक्षा के लिए एकजुट होंगे।

पर्यावरण का महत्व पर निबंध। Paryavaran ka Mahatva Nibandh or paryavaran essay in hindi

Table of Contents

पर्यावरण हमारे आस-पास की सभी चीजों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारा पूरा जीवन इस पर निर्भर है। हमें सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी, खाने के लिए भोजन और रहने के लिए जमीन यह सब इसी पर्यावरण से मिलते हैं। यहाँ तक कि वनस्पतियां, पेड़-पौधे, जानवर इत्यादि इस पर्यावरण का हिस्सा है। पर्यावरण जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें उन सभी चीज़ों को प्रदान करता है जो हमें सुरक्षित रहने और उन्नति करने के लिए चाहिए। 

पर्यावरण कई कारणों से महत्वपूर्ण है। यह हमें स्वच्छ हवा और पानी प्रदान करता है, मौसम को नियंत्रित करने में मदद करता है और जैव विविधता ( Jaiv Vividhata ) को संतुलित करता है। यह हमें खाद्य और अन्य संसाधनों  को भी प्रदान करता है।  साथ ही साथ यह सौंदर्य और प्रेरणा का स्रोत भी है। नीचे दिए गए कुछ बिंदुओं से हम पर्यावरण के महत्व को विस्तार पूर्वक समझेंगे:

वायु या हवा:

शायद यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि हमें हवा की आवश्यकता हमारे जन्म से लेकर अंतिम क्षणों तक होती है। हम आपके द्वारा सांस ली जाने वाली हवा जोकि ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य गैसों से मिलकर बनी होती है इस पर्यावरण से ही मिलती है। पर्यावरण हवा को साफ़ करने में मदद करता है और प्रदूषकों को हटाता है।

पानी या जल:

हमें पानी की जरूरत प्यास बुझाने, खाना पकाने और स्नान इत्यादि कार्यों में पड़ती है। पर्यावरण हमें नदियों, झीलों और अन्य जलस्रोतों  के माध्यम से हमें अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए पानी प्रदान करता है।

खाद्य सामग्री:

हम अपने भोजन या खाद्य को पौधों और जानवरों से प्राप्त करते हैं। पर्यावरण हमें पौधों के लिए ज़मीन, पानी और सूर्य की रोशनी प्रदान करता है। यह जानवरों के लिए आवास प्रदान करता है ताकि वे जीवित रह सकें और प्रजनन कर सकें।

हम अपनी रोजमर्रा की चीजों के लिए जैसे परिवहन, गर्मी और शीतलन या वातानुकूल (hot and cold or air conditioning)  इत्यादि के लिए ऊर्जा का उपयोग करते हैं। पर्यावरण हमें सौर और हवा ऊर्जा (Solar and wind power)  जैसे नवीनीकरणशील ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है। यह हमें कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे फोसिल या जीवाश्म ईंधन ( fossil fuel) से भी ऊर्जा प्रदान करता है।

हम पर्यावरण में समय बिताने का आनंद लेते हैं। पर्यावरण हमें ट्रेकिंग, साइकिल चलाने, तैराकी, मछली पकड़ने और अन्य बाहरी गतिविधियों के लिए अवसर प्रदान करता है।

पर्यावरणीय संरक्षण के महत्व को समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण को सही ढंग से देखें और समझें। हमें अपने आस-पास के पेड़-पौधों, जल, जन्तुओं और पृथ्वी की सुंदरता का महत्व समझना चाहिए।

पर्यावरण को खतरा:

प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन इत्यादि सभी पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं। ये खतरे मानव स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचा रहे हैं, पारिस्थितिकी को बिगाड़ रहे हैं, और पृथ्वी को निवास के लिए  धीरे-धीरे कम  अनुकूल बना रहे हैं। 

पर्यावरण हमारा घर है। इसे संरक्षित करना ना केवल हमारी जिम्मेदारी है  बल्कि पर्यावरण का संरक्षण जीवन के लिए अनिवार्य है। हमें पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना चाहिए ताकि हमारी पीढ़ियाँ भी एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य का आनंद ले सकें।

हमें अपने आपको और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए अभी से ठोस और उचित कदम उठाने पड़ेंगे। 

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हमें निम्नलिखित कार्रवाई लेनी चाहिए:

 पेड़ लगाएँ:

हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। पेड़ हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।

 बिजली की बचत करें:

हमें विद्युत ऊर्जा की बचत करनी चाहिए। बिजली की बचत के लिए हमें अपनी बत्ती और उपकरणों को बंद करना चाहिए जब हम उनका उपयोग नहीं कर रहे होते हैं।

 जल संरक्षण करें:

हमें पानी की बचत करनी चाहिए। हमें स्नान के समय पानी का उपयोग कम करना चाहिए और लीक टैप और पाइपों  की तुरंत मरम्मत करनी चाहिए।

 प्रदूषण कम करें:

हमें वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए। हमें इंजन की सर्विसिंग समय-समय पर करानी चाहिए ताकि यह अच्छी तरह से काम कर सके और प्रदूषण को कम कर सके।  

समुद्री जीवन की संरक्षा करें:

हमें समुद्री जीवन की संरक्षा करनी चाहिए ताकि वे हमारे पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रख सकें।

  रीसाइकल करें:

हमें कचरे को रीसाइकल करना चाहिए। हम इस्तेमाल की गई सामग्री को पुनर्चक्रण करके उसका उपयोग कर सकते हैं और भूमि को कचरे (waste landfill) से बचा सकते हैं।

संक्षेप में पर्यावरण की संरक्षण के लिए हम अपनी खपत को कम करके, रीसाइकलिंग और कम्पोस्टिंग करके, कम ऊर्जा का उपयोग करके,  सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करके, पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों  और व्यवसायों का समर्थन करके कर सकते हैं। हम पर्यावरणीय क्रांति और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय होकर और दूसरों को जोड़कर इस क्षेत्र में बेहतर प्रयास कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें उदारवादी सोचने की आवश्यकता है। हमें अपने आस-पास की प्रकृति के साथ संघर्ष करने की बजाय उसकी सहायता करनी चाहिए। हमें प्राकृतिक संसाधनों का समय पर उपयोग करना चाहिए और उन्हें संरक्षित रखना चाहिए। हमें उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उपयोग करना चाहिए और विकास को सतत रखने की आवश्यकता है, लेकिन हमें इसे पर्यावरण के नुकसान के बिना करना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें एकजुट होकर काम करना चाहिए। हमें अपनी सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर कानून बनाने के लिए उचित दबाव डालना चाहिए और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए। हमें इसके लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए।

 इस प्रकार, हमें पर्यावरण का महत्व (paryavaran ka mahatva) समझने और इसकी रक्षा करने के लिए कठोर कानून बनाने, जागरूकता फैलाने, और अपनी आदतों को बदलने की आवश्यकता है। हमारा पर्यावरण (hamara paryavaran) हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए आश्रय है और  हम पर इसे संरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। हमें अपनी छोटी-छोटी कार्रवाइयों  और प्रयासों से शुरूआत करनी चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपना योगदान देना चाहिए। 

पर्यावरण का महत्व पर निबंध का निष्कर्ष। Conclusion of Paryavaran ka mahatva par nibandh: 

पर्यावरण हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है। हमारा पर्यावरण हमें ऊर्जा, शुद्ध वायु, पानी, खाद्य और अन्य जीवन संसाधनों की प्रदान करता है। हमें पर्यावरण की सुरक्षा करने की जरूरत है ताकि हम इन संसाधनों का उचित उपयोग कर सकें और इसे अपने आनंद के लिए बनाए रख सकें। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें अपनी आदतों को बदलने, संयुक्त कार्रवाई करने और उदारवादी सोचने की आवश्यकता है। इस प्रकार, हम सभी मिलकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं और स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की गारंटी कर सकते हैं।

Essay No. 2: पर्यावरण पर निबंध। Paryavaran Essay in Hindi or Essay on environment in hindi: 

पर्यावरण हमारे जीवन की रक्षक है, जिसकी महत्ता को हमें समझना चाहिए। पर्यावरण पर निबंध (paryavaran ke upar nibandh or paryavaran essay in hindi ) के माध्यम से हम पर्यावरण के महत्व (paryavaran ka mahatva) पर गहराई से विचार करेंगे और इसके विभिन्न पहलुओं को जानेंगे। प्रदूषण, जल, वायु, ध्वनि, और प्लास्टिक प्रदूषण जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा। इसे पढ़कर हमें यह अनुभव होगा कि हमारा प्रत्येक कदम पर्यावरण संरक्षण के लिए कितना महत्वपूर्ण है और हमें अपने भूमि की देखभाल करने के लिए सक्रिय होना चाहिए।

पर्यावरण हमारे चारों तरफ विद्यमान है और हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पर्यावरण में हमारे वायुमंडल, धरती, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और अन्य जीव-जंतु आदि शामिल हैं। हमारे पर्यावरण में न केवल स्वच्छ वायु, नदियों और झीलों का पानी, बल्कि वनस्पति और जानवरों की अपार संपदा भी शामिल है। पर्यावरण हमें जीने के लिए सभी आवश्यक संसाधन प्रदान करता है।

पर्यावरण का महत्व पर निबंध।। Paryavaran Essay in Hindi or Essay on environment in hindi or paryavaran ka nibandh: 

पर्यावरण का महत्व समझने के लिए हमें इसके विभिन्न पहलुओं को समझना चाहिए। पहला महत्वपूर्ण पहलू है पर्यावरण का जल के संरक्षण । पानी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारी प्यास बुझाने के लिए जरूरी है, हमारे खाने में इसका उपयोग होता है और इसे साफ रखना हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। पानी की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जैसे जलसंकट, जलाशयों की प्रदूषण और जल संपदा की कमी जिसके लिएहमें जागरूक  होने की आवश्यकता है। हमें पानी का सही उपयोग करना चाहिए और इसकी बचत भी करनी चाहिए।

दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है वायुमंडल के संरक्षण का । हमारे पर्यावरण में स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वायु का होना बहुत आवश्यक है। वायुमंडल में विषाणुओं, धूल, धुंध और अन्य प्रदूषक पदार्थों के जलने से प्रदूषण होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए योजनाबद्ध ढंग से जीना चाहिए, जैसे प्रदूषण करने वाले पदार्थों का उपयोग कम करना, गैर-प्राकृतिक ऊर्जा का उपयोग कम करना और वैश्विक तापमान में कमी करने के लिए सही कदम उठाना।

पेड़-पौधों का संरक्षण भी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। पेड़-पौधे हमारे जीवन का आधार हैं। वे हमें ताजी हवा, ऑक्सीजन, शांति और सौंदर्य प्रदान करते हैं। हमें वृक्षारोपण करना चाहिए और पेड़ों का संरक्षण करना चाहिए। हमें वन्य जीवों की संरक्षा करनी चाहिए और अपने आस-पास के प्राकृतिक माहौल की देखभाल करनी चाहिए।

पर्यावरण का संरक्षण करने के अलावा, हमें प्रदूषण को कम करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। जल, हवा और भूमि प्रदूषण की समस्याओं से निपटने के लिए हमें गैर-प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग कम करना चाहिए। हमें सभी प्रदूषण योग्य औद्योगिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए उचित कानूनों का पालन करना चाहिए।

इसके अलावा, हमें अपने स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए। हमें स्वस्थ भोजन खाना चाहिए और प्राकृतिक उपचार का उपयोग करना चाहिए। हमें ध्यान देना चाहिए कि हम अपनी आदतों को बदलकर, विचार करके और सही निर्णय लेकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं।

इस प्रकार, पर्यावरण का महत्व हमारे जीवन में अन्यों चीजों से कहीं ज्यादा है। हमें पर्यावरण के साथ संतुष्ट और संतुलित रहकर इसकी देखभाल करनी चाहिए। हमारा पर्यावरण हमें जीने के लिए सभी संसाधन प्रदान करता है और हमें इसके लिए आभारी होना चाहिए। हमें सावधान रहकर अपने पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए, ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित और स्वस्थ जीवन बिता सकें।

इस प्रकार, हमारा पर्यावरण हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें इसकी देखभाल करनी चाहिए। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष करना चाहिए और इसे हर संभव तरीके से सुरक्षित रखना चाहिए। हमारे छोटे कदम भी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। हमें पर्यावरण पर केवल बातें नहीं करनी चाहिए, बल्कि इसे समझना और इसकी देखभाल करना चाहिए। हमारे छोटे कदम बड़े परिवर्तन लाने में सहायता करेंगे और हमें एक स्वस्थ, सुरक्षित और सुखी पर्यावरण में जीने की संभावना प्रदान करेंगे।

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paryavaran ki raksha essay in hindi 150 words

बृजेश कुमार स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय (Occupational Health, Safety, Environment and Community) से जुड़े विषयों पर लेख लिखते हैं और चाय के पल के संस्थापक भी हैं।वह स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और सामुदायिक मामलों (Health, Safety, Environment and Community matters) के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम (Portsmouth University, United Kingdom) से व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन में मास्टर डिग्री (Master's degree in Occupational Health, Safety & Environmental Management ) हासिल की है। चाय के पल के माध्यम से इनका लक्ष्य स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय से संबंधित ब्लॉग बनाना है जो लोगों को सरल और आनंददायक तरीके से स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण के बारे में जानकारी देता हो।

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paryavaran ki raksha essay in hindi 150 words

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध और 10 lines in hindi | Paryavaran sanrakshan par nibandh

पर्यावरण संरक्षण(Paryavaran sanrakshan): हमारी जिम्मेदारी, हमारा भविष्य। यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि हम प्रदूषण को कम करें, पृथ्वी के संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें और हरित पर्यावरण की रक्षा करें, ताकि हमारे आने वाली पीढ़ियाँ भी स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जी सकें। यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

Also Read: पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300, 500 और 600 शब्दों में) // पर्यावरण पर निबंध // पर्यावरण संतुलन पर निबंध // औद्योगीकरण का पर्यावरण पर प्रभाव निबंध, लेख // “पर्यावरण” हमारा दायित्व पर निबंध // पर्यावरण संरक्षण में विद्यार्थिओं का योगदान |

रुपरेखा: प्रस्तावना, पर्यावरण संरक्षण की परिभाषा, पर्यावरण संरक्षण के उपाय, पर्यावरण संरक्षण की प्रमुख उपाय है, पर्यावरण संरक्षण को नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य प्रकार, पर्यावरण संरक्षण का महत्व, उपसंहार, पर्यावरण संरक्षण पर 10 लाइन

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

Table of Contents(विषयसूची)

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध। hindi essay on environmental protection.

प्रस्तावना : हम अगर हमारे चारों और देखे तो ईश्वर की बनाई इस अद्भुत पर्यावरण की सुंदरता देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है पर्यावरण की गोद में सुंदर फूल, लताये, हरे-भरे वृक्षों, प्यारे – प्यारे चहचहाते पक्षी है, जो आकर्षण का केंद्र बिंदु है आज मानव ने अपनी जिज्ञासा और नई नई खोज की अभिलाषा में पर्यावरण के सहज कार्यो में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है जिसके कारन हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है हम हमारे दोस्तों परिवारों का तो बहुत ख्याल रखते हैं परंतु जब पर्यावरण की बात आती है तो बस गांधी जयंती, या फिर स्वच्छ भारत अभियान, के समय ही पर्यावरण का ख्याल आता है लेकिन यदि हम हमारे पर्यावरण का और पृथ्वी के बारे में सोचेंगे इस प्रदूषण से बच सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की परिभाषा:- हमारे भारत देश में भारतीय संविधान 1950 में लागू हुआ था परंतु पूरे तरीके से पर्यावरण संरक्षण से नहीं जुड़ा था। सन 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन में भारत सरकार द्वारा ध्यान पर्यावरण संरक्षण पर गया और सरकार ने 1976 में संविधान में संशोधन कर नया अनुच्छेद जोड़े गए थे 48A  तथा 51A (G ), जोड़े अनुच्छेद 48 सरकार को निर्देश देता है कि वह पर्यावरण की सुरक्षा करें और उनमें सुधार का काम करें और अनुच्छेद 51 A (G )नागरिकों के लिए है कि वह हमारे पर्यावरण की रक्षा करें।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय:- विश्व पर्यावरण संरक्षण अधिनियम संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण के लिए मनाया जाता है और यह एक उत्सव की तरह होता है। इस दिन पर्यावरण के संरक्षण के लिए जगह-जगह वृक्षारोपण किया जाता है हमारे देश में अक्सर ऐसा होता है कि कोई भी बड़ा कार्य होता है तो हम उम्मीद करते हैं कि वह सरकार करेगी जैसे पर्यावरण संरक्षण दुर्भाग्य से कुछ लोग मानते हैं कि केवल सरकार और बड़ी कंपनियों को ही पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ करना चाहिए परंतु ऐसा नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी अपनी जिम्मेदारी समझे तो सभी प्रकार की कचरा ,गंदगी और बढ़ती आबादी के लिए स्वयं उपाय करके पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी दे सकता है, लेकिन प्रगति के नाम पर पर्यावरण को मानव ने ही विकृत करने का प्रयास किया है, पर्यावरण व्यापक शब्द है जिसका सामान्य अर्थ प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण इसके अंतर्गत जल, वायु, पेड़, पौधे, पर्वत, प्राकृतिक संपदा सभी पर्यावरण सरक्षण के उपाए में आते है। ‘ गो ग्रीन(Go Green) ‘ कहने के लिए नहीं बल्कि करने में ज्यादा आसान होता है, आज पर्यावरण का ध्यान रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य और जिम्मेदारी है।

पर्यावरण संरक्षण की प्रमुख उपाय है

  • प्रदूषण नियंत्रण: वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उचित प्राधिकृत मार्गदर्शन और प्रदूषण निगरानी का समर्थन करना आवश्यक है।
  • वनस्पति और वन्यजीव संरक्षण: अवैध वनस्पति कटाई और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कठिन से कठिन कदम उठाने चाहिए।
  • जल संरक्षण: जल संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने के लिए जनजागरूकता बढ़ानी चाहिए और जल संचयन तंत्र बनाना आवश्यक है।
  • नवाचार तकनीकी: पर्यावरण के साथ मिलकर चलने वाली नवाचार तकनीकी के साथ प्रदूषण को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
  • उर्जा संरक्षण: उर्जा संचयन और उपयोग में जागरूकता फैलाकर विद्युत और ऊर्जा संबंधित विकल्पों का सही तरीके से उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए।
  • साफ-सफाई अभियान: साफ-सफाई अभियानों का समर्थन करने और स्वच्छता में योगदान देने से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहलु हो सकती है।
  • शिक्षा और जागरूकता: लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षा देना और उन्हें जागरूक करना आवश्यक है।
  • सामुदायिक सहयोग: सामुदायिक स्तर पर मिलकर काम करके पर्यावरण संरक्षण के उपायों को सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
  • पुनरावृति करना चाहिए यानी वापस इस्तेमाल करने योग्य सामान को हमें खरीदने चाहिए जिसे हम वापस उपयोग कर सकते हैं। जैसे शराब की बोतलें, खाली जार इत्यादि ऐसे समान जो हम हमारे घरों में उपयोग करते हैं और फेंक देते हैं लेकिन उन्हें वापस उपयोग लाने का काम कर सकते हैं उदाहरण के तौर पर अखबार, खराब कागज , गत्ता, इत्यादि ऐसे समान होते हैं जिनका उपयोग बनाकर वापस उपयोग में ला सकते है। पर्यावरण सरक्षण का उपाय किसी भी महिला के किचन से शुरू होकर हमारे पर्यावरण तक हमारे सामने आता है, इसकी और सरकार को विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए।

इन प्रमुख उपायों के माध्यम से हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठा सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में प्रगति कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण को नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य प्रकार

जल प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषणरेडियोधर्मी प्रदूषण
प्रकाश प्रदूषणभूमि प्रदूषण

इस प्रकार अगर हमें वास्तव में अपने पर्यावरण संरक्षण के बारे में सोचना है तो इन मुख्य कारणों पर विशेष ध्यान देना होगा तभी हम अपने पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं।

पर्यावरण पर इन प्रदूषण का घातक प्रभाव

आज का युग आधुनिक युग है, और पूरा संसार ही पर्यावरण के प्रदूषण से पीड़ित है, आज मनुष्य की हर एक सांस लेने पर हानिकारक है जहरीली गैसे मिली होती है। इसकी वजह से जहरीले सांस लेने के लिए हम मानव मजबूर है। इस्से हमारे शरीर पर कई विकृतियां पैदा हो रही है, कई तरह की बीमारियां विकसित हो रही है, वो दिन वो दिन दूर नहीं है, अगर पर्यावरण इसी तरह से प्रदूषित होता रहा तो पूरी पृथ्वी प्राणी और वनस्पति इस प्रदूषण में विलीन हो जाएगी इसलिए समय रहते हमें इन प्रदूषण से हमारी पृथ्वी और हमारी जान बचानी है इसलिए इसके संरक्षण का उपाय हर व्यक्ति को करना आवश्यक है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

पर्यावरण संरक्षण मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य कर्तव्य है। हमारा पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है और हमारे सभी क्रियाकलापों को संभव बनाता है। परंतु, आधुनिक युग में विकास के माध्यम से हमने प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग किया है, जिसका परिणामस्वरूप पर्यावरण की स्थिति गंभीरता से खराब हो रही है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझने के लिए हमें यह समझना आवश्यक है कि पर्यावरण हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ है। हमारी शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य सीधे प्रभावित होते हैं जब हमारे चारों ओर का पर्यावरण स्वच्छ और स्वस्थ होता है। प्रदूषण , जलवायु परिवर्तन, और वनस्पति और जीव-जंतुओं के नष्ट होने की चिंता हम सभी को करनी चाहिए।

हमें अपने जीवन में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण की गारंटी सुनिश्चित कर सकें। इस प्रकार, पर्यावरण संरक्षण का महत्व अत्यधिक है, और हम सभी को इसके प्रति जिम्मेदारी समझकर अपने कार्यों को निर्वाह करना चाहिए। सुरक्षित, स्वस्थ और हरित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

पर्यावरण सुरक्षा और उसमें संतुलन हमेशा बना रहे इसके लिए हमें जागरुक और सचेत रहना होगा। प्रत्येक प्रकार के हानिकारक प्रदूषण जैसे जल, वायु, ध्वनि, इन सब खतरनाक प्रदूषण से बचने के लिए अगर हमने धीरे-धीरे भी कोई उपाय करें तो हमारी पृथ्वी की सुंदरता जो कि पर्यावरण है। उसे बचा सकते हैं और अपने जीवन को भी स्वस्थ और स्वच्छ रूप में प्राप्त कर सकते हैं पर्यावरण संरक्षण विश्व में प्रत्येक मनुष्य के लिए अनिवार्य रूप से घोषित करना चाहिए।  पर्यावरण है तो हमारा जीवन है।

पर्यावरण संरक्षण पर 10 लाइन ( Paryavaran sanrakshan par 10 lines)

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध और 10 lines in hindi | Paryavaran sanrakshan par nibandh 1

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

पर्यावरण यानि ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से ढंक कर रखता है, जो हमसे जुड़ा है और हम उससे जुड़े हैं और हम चाहें तो भी खुद को इससे अलग नहीं कर सकते हैं। प्रकृति और पर्यावरण एक दूसरे का अभिन्न हिस्सा हैं।

आज मानव नए नए आविष्कार कर रहा है और खूब तरक्की कर रहा है, परन्तु उसका हर्जाना भुगत रहा है ये पर्यावरण और इसमें रहने वाले अबोध जीव। आज सभी को पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करने के लिए जागरूक होना पड़ेगा, अन्यथा पर्यावरण के साथ सारी मानव जाति का भी विनाश हो जाएगा।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

यह बहुत बड़ी ओद्यौगिक दुर्घटना थी, जिसमें करीब 2,259 लोग वहीं मारे गए और 500,000 से ज्यादा व्यक्ति मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस की चपेट में आ गए थे। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान देना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाने हेतु कानून बनाना था।

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पर्यावरण पर निबंध इन हिंदी

दोस्तों आज के इस लेख पर्यावरण पर निबंध में पर्यावरण में हो रही असंतुलित घटनाक्रम को हम सब अनदेखा नहीं कर सकते इसलिए हमें इस पर विचार करने की जरूरत है इसलिए हमने इस निबंध में पर्यावरण की कुछ मुख्य बिंदुओं को केंद्र में रखा है जिसका अनुसरण हमारे लिए बहुत जरूरी है। 

पर्यावरण पर निबंध

paryavaran par nibandh

पर्यावरण सीधे तौर पर हमारी जिंदगी से जुड़ा हुआ है यदि हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगे और उसे प्रदूषित करेंगे तो यह हमारी जिंदगी को संकट में डालने जैसा होगा इसलिए संयुक्त राष्ट्र का पर्यावरण दिवस पर वर्तमान नारा पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर करने का है। 

यह तब ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है जब कोविड-19 ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा कर रखा है। यह पूरी तरह सच है कि कोरोना वायरस को पर्यावरण के बिगड़ते सूचक के रूप में समझना चाहिए क्योंकि शायद आज यह भी है कि हम इस बड़ी महामारी को अगर प्रकृति के साथ जोड़ कर देखें तो भविष्य में इसे कुछ हद तक रोका जा सकता है। 

पर्यावरण का सम्मान करें : पर्यावरण पर निबंध

आज हमें अपनी सीमा अवश्य खींच लेनी चाहिए आज समय है कि हम प्रभु प्राकृतिक प्रवृत्ति को अलग न करें वैसे भी हमारे  शास्त्रों में हवा मिट्टी जल अग्नि को देवता तुल्य माना गया है।

यह भी समझना जरूरी है प्राकृतिक हमारी प्रवृत्ति को भी तैयार करता है आज बिगड़ती पर्यावरण के साथ साथ अलग-अलग चीजें ही पैदा नहीं हो रही बल्कि उसके साथ-साथ कई कुरीतियों का भी जन्म हो रहा है। 

उदाहरण के लिए आज से दुनियाभर में फास्ट फूड स्टोर जैसे दुकानों ने जगह बना लिया है इनमें परोसे जा रहे अलग-अलग तरह के भोजन निश्चित रूप से ही हमारी प्रवृत्ति एवं हमारे स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। इस तरह के फास्ट फूड से शरीर में तमाम तरह की बीमारियां उत्पन्न होती है और इसका सीधा असर हमारे व्यवहार पर भी देखने को मिलता है। इस तरह  पर्यावरण का पूरा  असर हमारे शरीर एवं व्यवहार पर देखने को मिलता है।

अभी के समय में वन्य जीवों को भोजन के रूप में लोग अपना रहे हैं।  वर्तमान समय में जीवों को भोजन के रूप में खाए जाने का प्रचलन ही चल पड़ा है इसे  कई बड़े-बड़े  व्यापार चलते हैं और इसका सीधा असर हमारे आने वाले समय में दिखेगा।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण ने हमें सब कुछ दिया है हम जहां पैदा होते हैं वहां की मिट्टी से हम लोग भोजन भी प्राप्त कर सकते हैं और यह हमारे सेहत के लिए भी अच्छा होता है यदि हम वन्य जीवों को भोजन के रूप में इस्तेमाल ना करें तो हम पर्यावरण को बचाने में एक और सफलता हासिल कर लेंगे। 

हम सब पर्यावरण पर आश्रित हैं यह हमें समझने की जरूरत है

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस इस बात पर केंद्रित है कि हम किस तरह से अपने पारिस्थितिक तंत्र को दोबारा अपनी मेहनत  एवं व्यवहार से कैसे वापस ला सकते हैं। 

इसके बड़े बड़े कारणों में यह स्पष्ट है कि हम अपने पूरे तंत्र वह इकोसिस्टम को समझने में फेल हो चुके हैं और पर्यावरण के नियमों और कानूनों से पूरी तरह दूर हैं। प्राकृतिक हमारी शिक्षा एवं व्यवहार का एक हिस्सा है। 

आज यह सबसे बड़ी चुनौती बन गई है कि हम पर्यावरण के नियमों को एक नए सिरे से समझें। हमें  जानना होगा कि हमारी सीमाएं क्या है? किसी भी तरह की हलचल व लाभ के लिए हमें अंत में पृथ्वी पर ही निर्भर होना पड़ता है।  

इसलिए हमे अपने पारिस्थितिक तंत्र को समझें और अपनी बदलती चाल चलन पर अंकुश लगाएं। पर्यावरण के प्रति हमारी समझ जितनी बढ़ेगी उतना ही हमारे पर्यावरण के लिए बेहतर कर पाएंगे जिससे हमें एक स्वस्थ पर्यावरण मिल सकता है।

सामूहिक प्रयासों से पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध

आज हम सब ऐसी मुश्किल में है जिसे हम सब मिलकर भी सुलझा नहीं सकते। पर्यावरण ने कोविड-19 जैसे अदृश्य वायरस को भी हमारे सामने लाकर खड़ा कर दिया है

अतः  पर्यावरण हमें समझाने की कोशिश कर रही है कि कोई भी वैज्ञानिक प्रयत्न को विफल कर सकती है यदि हम पर्यावरण को केंद्र में ना रख कर काम करें तो पर्यावरण को बचाने में रिफर्बिश्ड सामानों का इस्तेमाल भी एक अच्छी कदम है। । 

प्राकृतिक हमें बार-बार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि हमें संतुलन को बनाए रखना चाहिए और यह तभी सफल हो सकता है जब हम एक साथ मिलकर  पर्यावरण के नियमों  को  समझें और  पर्यावरण के स्वरूप ही अपनी प्रवृत्ति को बदलें। 

अभी जिस परिस्थिति में हम सभी खड़े हैं वह हमारी गलतियों का नतीजा है क्योंकि हमने पर्यावरण को इतना प्रदूषित कर दिया है कि वह हमारे लिए रोज रोज एक नई समस्याएं लेकर आ रही है। 

इसलिए हमें अब पछतावा करनी चाहिए और अपनी गलती को सुधारने के लिए एवं पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सब मिलकर साथ आएं और पर्यावरण के हितों में कार्य करें। 

प्रश्न और उत्तर : पर्यावरण पर निबंध

हमारे आसपास वातावरण में मौजूद वायुमंडल जलमंडल जीवमंडल के मिश्रण को पर्यावरण कहा जाता है।

हमे अपने आसपास साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिए कूड़े कचरे को उसकी जगह डस्टबिन में रखनी चाहिए जहाँ तहँ कूड़ा कचरा न फेकें घर की गन्दगी को किसी निश्चित स्थान पे ही फेंके इसके अलावा हम कम से कम गैस प्लांट कारखानों का इस्तेमाल kar के पर्यावरण को बचा सकते है।

2 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध इन हिंदी”

It’s true real fact

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Environment Protection Essay In Hindi

पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध – Environment Protection Essay In Hindi

पर्यावरण सुरक्षा पर छोटे-बड़े निबंध (essay on environment protection essay in hindi), पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता – importance of environmental protection.

  • प्रस्तावना,
  • पर्यावरण सुरक्षा की समस्या,
  • पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता,
  • पर्यावरण सुरक्षा के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना– पर्यावरण शब्द “परि + आवरण’ के संयोग से निर्मित है। यहाँ ‘परि’ का अर्थ है–चारों ओर तथा ‘आवरण’ का अर्थ है–घेरा। अर्थात् ऐसी चीजों का समुच्चय, जो प्राणियों को चारों ओर से घेरे हुए है, उसे पर्यावरण कहते हैं। प्रकृति ने हमारे चारों ओर ऐसी वस्तुएँ और वातावरण निर्मित किए हैं, जो सब प्रकार से हमारी उन्नति और स्वास्थ्य के अनुकूल हैं। मगर हमने प्रकृति के इस सन्तुलन अर्थात् पर्यावरण को अपने क्रिया–कलाप से विकृत कर दिया है। इसलिए आज इसकी सुरक्षा की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। आज पर्यावरण सुरक्षा सम्पूर्ण विश्व की समस्या बन गई है।

Environment Protection Essay In Hindi

पर्यावरण सुरक्षा की समस्या– आज मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त करने का सपना देखने लगा है। यही कारण है कि आज प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ गया है। जीवनदायिनी प्रकृति कुपित होकर विनाश की ओर अग्रसर है, परन्तु मनुष्य इस असन्तुलन के प्रति अब भी सावधान नहीं हो रहा है, फलतः पर्यावरण सुरक्षा की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं।

निरन्तर जनसंख्या–वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण ने तीव्रगति से प्रकृति के हरे–भरे क्षेत्रों को कंकरीट के जगलों में परिवर्तित कर दिया है। आज श्वास लेने के लिए शुद्ध वायु का अभाव होता जा रहा है, जिससे अनेक प्रकार के रोग जन्म ले रहे हैं, ओजोन परत का क्षरण घातक होता जा रहा है, फिर भी मानव अपनी अज्ञानता के कारण पर्यावरण सुरक्षा के लिए निरन्तर खतरा बढ़ा रहा है।

‘जल ही जीवन है’ का जाप करनेवाला मनुष्य स्वयं जल के लिए समस्या बन गया है। उसके द्वारा शहरभर के मल–मूत्र, कचरे तथा कारखानों से निकलनेवाले अपशिष्ट पदार्थों को नदियों के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है, जिससे जल अशुद्ध होता है।

केन्द्रीय जल–स्वास्थ्य इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान के अनुसार भारत में प्रति 1,00,000 व्यक्तियों में से 360 व्यक्तियों की मृत्यु आन्त्रशोथ (टायफॉयड, पेचिश) के कारण होती है। वर्तमान में शुद्ध पेयजल का संकट बढ़ता जा रहा है।

Importance Of Environmental Protection

परमाणु–शक्ति उत्पादन– केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों के परिणामस्वरूप जल, वायु तथा पृथ्वी पर रेडियोधर्मी पदार्थ छोटे–छोटे कणों के रूप में वातावरण में फैल जाते हैं, जो लोगों के लिए प्राणघातक सिद्ध होते हैं। यह रेडियोधर्मी प्रदूषण आगामी अनेक पीढ़ियों के लिए भयंकर समस्याएँ उत्पन्न करता है। स्वास्थ्य–सम्बन्धी समस्याएँ तो इन पीढ़ियों को जन्म से ही होती हैं।

इसी प्रकार पैदावार बढ़ाने के लिए किसान जिस तेजी के साथ कीटनाशक, शाकनाशक और रोगनाशक रसायनों तथा उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं, वह पर्यावरण सुरक्षा के लिए समस्या ही है।

वातावरण में चहुंओर मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, बाजे, सायरन तथा कल–कारखानों की मशीनों से निकलती तीव्र–ध्वनियाँ ध्वनि–प्रदूषण को जन्म देकर निरन्तर पर्यावरण सुरक्षा के लिए समस्या बनती जा रही हैं।

पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता– पर्यावरण और प्राणियों का घनिष्ठ सम्बन्ध है, परन्तु मानवीय महत्त्वाकांक्षाओं, भूलों, प्रतिस्पर्धाओं के चलते पर्यावरण प्रदूषण का संकट उत्पन्न हो गया है। प्रदूषण के आधिक्य से पृथ्वी के अनेक जीव और वनस्पतियाँ लुप्त हो गए हैं और अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। यदि पर्यावरण प्रदूषण इसी गति से बढ़ता रहा तो वह दिन भी दूर नहीं है, जब मनुष्य का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।

इसीलिए पर्यावरण सुरक्षा से सम्बन्धित व्यापक अवधारणाएँ दिनोंदिन जन्म ले रही हैं। पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता आज अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता का विषय बन चुकी है। जून 1972 ई० में स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर एक घोषणा–पत्र जारी किया गया। तब से निरन्तर जलवायु परिवर्तन पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे हैं।

दिसम्बर 2015 ई० में पेरिस में सम्पन्न हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 30 से 35 प्रतिशत तक कार्बन उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखा गया है। यह कमी वर्ष 2005 को आधार मानकर की जाएगी। भारत ने भी माननीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में वर्ष 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत तक की कटौती का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अन्तर्गत सन् 2030 ई० तक होनेवाले कुल बिजली उत्पादन में 40% हिस्सा कार्बनरहित ईंधन से होगा।

पर्यावरण सुरक्षा के उपाय– पर्यावरण सुरक्षा हेतु जन जागरण, सहयोग और समर्थन अनिवार्य है। प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे–छोटे कदमों से बहुत ही सरल ढंग से पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है; जैसे –

  • कचरे की मात्रा कम करना।
  • कचरे को सही स्थान पर फेंकना।
  • पॉलीबैग का प्रयोग बन्द करना। ल पुरानी वस्तुओं को नए ढंग से पुनः प्रयोग में लाना।
  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग द्वारा वर्षा–जल का संरक्षण करना।
  • पानी की बर्बादी को रोकना।
  • ऊर्जा संरक्षण करना, बिजली के दुरुपयोग को समाप्त करके उसका कम–से–कम प्रयोग करना।
  • रिचार्जेबल बैटरी या अक्षय एल्कलाइन बैटरी का उपयोग करना।
  • वायु–प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण रखना।
  • कृत्रिम उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरकों का प्रयोग करना।
  • अधिकाधिक संख्या में वृक्षारोपण करना।
  • भारी मात्रा में हो रहे वृक्ष–कटान को रोकना।

इनके अतिरिक्त संचार माध्यमों के द्वारा प्रचार–प्रसार करके, अच्छे प्रशासकों, सजग नीति–निर्माताओं और प्रशिक्षित तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता से पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है।

उपसंहार– हमें भविष्य में सुरक्षित एवं स्वस्थ जीवन की सम्भावना सुनिश्चित करने के लिए न केवल पर्यावरण की महत्ता समझनी होगी, अपितु उसे सुरक्षित रखने का भी उत्तरदायित्व निभाना होगा।

यह याद रखना आवश्यक है कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए उठा पहला कदम व्यक्तिगत स्तर पर हम से ही आरम्भ होता है। पर्यावरण की सुरक्षा करना पृथ्वी पर रहनेवाले समस्त व्यक्तियों का कर्तव्य है। इस कर्त्तव्यपालन के द्वारा ही पर्यावरण सुरक्षित हो सकेगा।

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पर्यावरण पर निबंध

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पर्यावरण में वह सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल है जो कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं तथा चारों ओर से हमें घेरे हुएं हैं। यह हमें बढ़ने तथा विकसित होने का बेहतर माध्यम देता है, यह हमें वह सब कुछ प्रदान करता है जो इस ग्रह पर जीवन यापन करने हेतु आवश्यक है।

हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की अपेक्षा रखता है जिससे की हमारा लालन पालन हो, हमारा जीवन बने रहे और कभी नष्ट न हो। तकनीकी आपदा के वजह से दिन-प्रतिदिन हम प्राकृतिक तत्व को अस्वीकार रहे हैं।

पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा, पूरे ब्रम्हांड में बस पृथ्वी पर ही जीवन है। वर्षों से प्रत्येक वर्ष ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है।

पर्यावरण दिवस समारोह के विषय को जानने के लिए, हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाये तथा हमारे उन सभी बुरी आदतों के बारे में जानने के लिए जिससे पर्यावरण को हानि पहुंचता है, हम सभी को इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए।

धरती पर रहने वाले सभी व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे कदमों के माध्यम से हम बहुत ही आसान तरीके से पर्यावरण को सुरक्षित कर सकते हैं। हमें अपशिष्ट की मात्रा में कमी करना चाहिए तथा अपशिष्ट पदार्थ को वही फेकना चाहिए जहां उसका स्थान है। प्लास्टिक बैंग का उपयोग नही करना चाहिए तथा कुछ पुराने चीजों को फेकने के बजाय नये तरीके से उनका उपयोग करना चाहिए।

देखे किस प्रकार हम पुराने चीजों को दुबारा उपयोग में ला सकते हैं- जिन्हें दुबारा चार्ज किया जा सकता है उन बैटरी या अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें, प्रतिदीप्त प्रकाश का निर्माण कर, बारिस के पानी का संरक्षण कर, पानी की अपव्यय कम कर, ऊर्जा संरक्षण कर तथा बिजली की खपत कम करके, हम पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखने के मुहिम की ओर एक कदम बढ़ा सकते है।

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पर्यावरण और विकास निबंध / विकास बनाम पर्यावरण पर निबंध

पर्यावरण और विकास / विकास बनाम पर्यावरण पर निबंध : विकास उस सोने के हिरन के समान हैं जिसके पीछे-पीछे भागते हुए हम उस हालात पर पहुँच चुके हैं जहां सांस लेना दूभर हो रहा है। आज प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का इतना अधिक दोहन किया जा रहा है की उसने पारिस्थितिकी को ही तबाह कर दिया है। ऐसे में हमें जरुरत हैं आदर्श विकास की। ऐसा विकास जिससे हमारी जरूरतें भी पूरी हो जाए और पर्यावरण को नुकसान भी न हो। विकास के दुष्परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लोगों के कल्याण के लिए विकास जरूरी है। किन्तु हमें इस बात को भी स्वीकारना होगा कि तमाम मुश्किलों का स्रोत बन रहा तथाकथित विकास अर्थहीन है।

पर्यावरण और विकास निबंध / विकास बनाम पर्यावरण पर निबंध  

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi

आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछे जाते हैं: पर्यावरण प्रदूषण के बारे में हिंदी में लिखिए, Write essay on pollution in Hindi, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द में लिखिए आदि। निचे दिए गये निबंध को हमने 100, 200, 300 शब्द, 500 words और 1000 शब्दों में लिखा है जिसे class 5,6,8, या क्लास 10, class 12 आदि का कोई भी विद्यार्थी लिख सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में

प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि।

प्रदूषण से हवा, पानी, मौसम चक्र और जलवायु खराब होते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है और हम रोगों के शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं जैसे: पेड़ों की कटाई, औद्योगीकरण, रसायनों का प्रयोग आदि।

ज्यादातर हम इंसानों की वजह से ही पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण रोकना हम इंसानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा ताकि हम ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे प्रदूषण फैले और प्रकृति को नुकसान हो।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में

आज के समय में मनुष्य आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहा है और इसी होड़ में हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मानव अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए लगातार ऐसी गतिविधियाँ कर रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। प्रदूषण प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही हैं और इससे भविष्य में भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे:

वायु प्रदूषण:  वातावरण में उपस्थित वायु को दूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से गंभीर बीमारियाँ होती हैं।

जल प्रदूषण:  जल में गंदगियाँ फैलाने जल प्रदूषण होता है। कल-कारखानों से निकली गंदगियाँ जल स्त्रोत में बहा दिए जाते हैं परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि/मृदा प्रदूषण:  खेती में खतरनाक रसायनों का लगातार उपयोग, प्लास्टिक और अजैविक कचरे से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। इन सभी की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

  • पेड़ कटाई पर लगाम लगानी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। 
  • कल-कारखानों से निकलने वाले हानिकारक अपशिष्टों को नष्ट करना चाहिए। 
  • हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए
  • पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह विद्युत से चलने वाले वाहनों को प्राथिमिकता देनी चाहिए। 
  • निजी वाहनों के बजाए ज्यादा-से-ज्यादा सार्वजानिक परिवहनों का उपयोग करना चाहिए।  

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – 300 शब्द

विज्ञान के क्षेत्र में आज हम बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहे हैं, आधुनिक विज्ञान ने जहाँ हमारी जीवनशैली को सुविधाओं से युक्त बना दिया है वहीं इससे हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसा भयानक अभिशाप भी मिला है। आज पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, खतरनाक रसायनो के उपयोग ने प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। समय रहते इस ओर यदि ध्यान न दिया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

  • जनसँख्या वृद्धि: पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हम इंसान है जो अपनी सुविधाओं के लिए प्रदूषण फैलाते रहते हैं। मनुष्य की बढती जनसंख्या और उनके जीवनयापन, सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पर्यावरण प्रदूषण को कई गुना बढ़ा रहा है।
  • औद्योगीकरण:  बड़े उद्योग, कल-कारखाने अपशिष्ट पदार्थों को पानी में और हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के लिए औद्योगीकरण एक बहुत बड़ा कारण है।
  • आधुनिकीकरण:  आधुनिक सुख-सुविधाओं ने हमें अँधा बना दिया है हम अप्राकृतिक चीजों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। मोटर-वाहन, एसी, फ्रिज, प्लास्टिक, केमिकल युक्त पदार्थ आदि के उपयोग से लगातार प्रदूषण फ़ैल रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग: अधिक मुनाफा कमाने के लालच में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ रहा है जिससे मिट्टी प्रदूषित होकर अनउपजाऊ हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का परिणाम बेहद खतरनाक है इससे लगातार वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं, मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हम इंसानों के सेहत पर भी असर पड़ रहा है अलग-अलग प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं। प्रदूषण से मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण निबंध – 500 शब्द (Essay on Pollution in Hindi)

आज के समय में प्रदूषण एक गंभीर विषय है। प्रदूषण से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है इसका रोकथाम बहुत ही जरुरी है। कई बार हमें यह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नही देते उदाहरण के लिए, आप हवा में मौजूद प्राकृतिक गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन-डाइऑक्साइड) को देखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे अभी भी मौजूद हैं। धीरे-धीरे वातावरण में प्रदूषक जो हवा को मार रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ा रहे हैं, वे मनुष्यों और पूरी धरती के लिए बहुत ही घातक हैं। प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की जरूरत है अन्यथा इसके भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक

प्रदूषण एक धीमा जहर है जो हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को दिन-ब-दिन नष्ट करता रहता है, इसे मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है: वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण।

वायु प्रदूषण वाहनों, कारखानों से निकलने वाले धुएं, उड़ती धूल आदि के कारण होता है।

ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने और अन्य ध्वनि उत्पन्न करने वाली वस्तुओं के कारण होता है।

जल प्रदूषण कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक के कचरे और अन्य चीजों को नदियों और तालाबों में डालने से होता है।

प्रदूषण के रोकथाम के उपाय

  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, साथ ही जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही हो, वहां इन्हें रोका जाना चाहिए। वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग व्यवसायों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो।
  • जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना होगा। हम नदियों और तालाबों में कचरा फेंकते हैं, जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।
  • ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर मनुष्य द्वारा ही किया जाता है, इसलिए यदि हम स्वयं हॉर्न का उपयोग बंद कर दें और यदि हम नियमित रूप से मशीनों की देखभाल करते हैं, तो वे कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं करेंगे और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी।
  • वाहनों और मशीनों का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है यदि उनका रखरखाव नहीं किया जाता है, तो वे बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • यदि हम एक ही कार्यालय में जाते हैं तो हम सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कर सकते हैं या कार साझा करने से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण कम होगा।
  • हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना है, सरकार भी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रही है, लेकिन प्लास्टिक का उपयोग तब तक बढ़ता रहेगा जब तक हम जागरूक नहीं हो जाते।

जिस तरह से हमारी धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है, आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी धरती का पूरा पर्यावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन बर्बाद हो जाएगा।

अगर हमें प्रदूषण कम करना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। अगर हमें प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और लोगों को भी पेड़ लगाने के प्रति जागरूक करना होगा तभी हम एक अच्छे भविष्य की कामना कर सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1000 शब्दों में

जहां एक ओर आज मानव प्रगति कर रहा है और संसार काफी आधुनिक हो गया है। वहीं दूसरी ओर लगातार पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। यह पृथ्वी और पर्यावरण हम सबके लिए बहुत ज्यादा कीमती है इसलिए हम सब का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम इनकी रक्षा करें।

तो ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पर्यावरण प्रदूषण क्यों होता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को देखना होगा। इस तरह से हम पर्यावरण प्रदूषण को अच्छे से समझ सकते हैं और प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। अगर आप इसके बारे में सारी जानकारी जानना चाहते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इस पोस्ट में हम आपको सारी जरूरी बातों की जानकारी देंगे।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है ?

सबसे पहले हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है जब मनुष्य द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों से दूषित चीजें पर्यावरण में जाकर मिल जाती हैं। इसकी वजह से हर व्यक्ति की दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित होती है और उसे उसके कार्य करने में बाधा होती है।

लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को फैलाने के जिम्मेदार मनुष्य ही होते हैं जो कि हर दिन ऐसे बहुत सारे काम करते हैं जिससे कि प्रदूषक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं। इस प्रकार से प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं और हर व्यक्ति का जीवन इससे काफी अधिक प्रभावित होता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते प्रदूषण को रोकने का काम किया जाए जिससे कि सभी स्वस्थ जीवन जी सकें। 

पर्यावरण प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण 

प्रकृति ने मनुष्य को बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन दिए हैं लेकिन अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण वह उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इस बात को नहीं समझना चाहता कि अगर यह पूरा पर्यावरण ही प्रदूषित हो गया तो ऐसे में भविष्य में जो पीढ़ियां आएंगीं उनके स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा।

इस प्रकार से एक दिन ऐसा भी आ जाएगा जब इस संसार में जीवित रहने के लिए पृथ्वी पर कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं रहेगा। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण के जो भी मुख्य कारण हैं उन्हें जानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं – 

  • लोगों द्वारा वाहन का बहुत ज्यादा प्रयोग करने से
  • हर जगह औद्योगिक गतिविधियों में तीव्रता होने से
  • जनसंख्या के बढ़ने की वजह से
  • कल-कारखानों और कृषि अपशिष्टों के कारण से
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण में तेजी की वजह से
  • हद से ज्यादा वैज्ञानिक साधनों का इस्तेमाल करने से
  • पेड़ों को अंधाधुंध काटने से और घनी आबादी वाले इलाकों में हरियाली ना होने की वजह से
  • सड़कों और बांधों का निर्माण करने से
  • खनिज पदार्थों के अत्यधिक दोहन की वजह से 

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार 

वैसे तो पर्यावरण प्रदूषण के बहुत सारे प्रकार हैं जिनकी वजह से हमारा वातावरण काफी अधिक नकारात्मक हो गया है। लेकिन इसके जो मुख्य प्रकार हैं उनके बारे में जानकारी इस तरह से है – 

वायु प्रदूषण 

हर व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर जितने भी पेड़ पौधे और जानवर हैं उनके लिए भी हवा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन सांस लेने के लिए बहुत जरूरी होती है। लेकिन लोग अब अपनी भौतिक जरूरतों की पूर्ति करने के लिए वायुमंडल में मौजूद सभी गैसों के बैलेंस को खत्म करने में लगे हुए हैं। विशेषतौर से शहरों की हवा तो बहुत ही ज्यादा जहरीली और घुटन वाली होती जा रही है। वायु प्रदूषण के पीछे सबसे प्रमुख घटक है वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं, जीवाश्म ईंधन को जलाना इत्यादि।

जल प्रदूषण 

वैसे तो हर कोई कहता है कि जल हमारा जीवन है लेकिन फिर भी आज मानव उसे प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर कोई जानता है कि पानी के बिना कोई भी जीव जिंदा रहने की सोच भी नहीं सकता फिर चाहे वह मनुष्य हो, पशु पक्षी हो या फिर पेड़ पौधे। जितने भी पानी के प्राकृतिक सोर्स हैं उनमें प्रदूषक तत्व जैसे खनिज, अपशिष्ट पदार्थ, गैस, कचरा आदि मिल जाते हैं। ऐसे में जल पीने योग्य नहीं रह जाता क्योंकि उसमें गंदगी की वजह से वायरस पैदा हो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई भी दूषित जल को पी लेता है तो वह उसके लिए काफी हानिकारक होता है। 

ध्वनि प्रदूषण 

ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण को प्रदूषित करने में काफी हद तक जिम्मेदार है। हद से ज्यादा शोर किसी को भी पसंद नहीं होता लेकिन कई बार बहुत से लोग अपने मनोरंजन के लिए इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई दूसरा व्यक्ति इससे परेशान हो सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हद से ज्यादा तेज आवाज व्यक्ति की सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे बहुत ज्यादा कम कर देता है। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति की सुनने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। शोर की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन तेज आवाज सहन कर पाना अत्यधिक मुश्किल होता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंसान किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पाता और बहुत से कामों में उसे असफलता का मुंह देखना पड़ता है। 

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय 

जिस प्रकार से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य मनुष्य कर रहे हैं तो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए भी इंसान को ही आगे आना होगा। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जाएं। पर्यावरण प्रदूषण इस समस्या को कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसे कि – 

  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक देना चाहिए। इसके अलावा अपने आसपास वृक्ष जरूर लगाएं ‌
  • पर्यावरण प्रदूषण को लेकर युवाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए। 
  • अपने आसपास गंदगी और कूड़े के ढेर को इकट्ठा ना होने दें। 
  • पेट्रोलियम के साथ-साथ कोयला जैसे उत्पादों का भी इस्तेमाल कम से कम करें। 
  • कारखाने शहर से दूर बनाएं जाने चाहिएं जिससे कि उनमें से निकलने वाला धुआं वायु में घुल कर लोगों में बीमारी ना फैला सके।
  • यातायात के लिए ऐसे वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कम धुआं छोड़ते हों।
  • नदियों में कचरा ना फेंके। 
  • जितना ज्यादा हो सके कपड़े और जूट के बने हुए थेलों का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक बैगों को ना कहें। 

निष्कर्ष 

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस लेख में हमने आपको बताया कि पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है और इससे जुड़ी दूसरी जरूरी बातें भी बताईं। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों में जागरूकता फैला कर हम अपने पर्यावरण को काफी हद तक स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए केवल एक व्यक्ति को नहीं बल्कि हर इंसान को प्रयास करना होगा। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई सारी बातों की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

प्रदूषण पर निबंध :

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हमें उम्मीद है की प्रदूषण पर लिखा गया यह निबंध (Essay on Pollution in Hindi) आपके काम आएगा। आपको यह निबंध कैसा लगा हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई दिशा की ओर बढ़ते हुए, हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए आदर्श तकनीकी और नैतिक मूल्यों को मिलाने का संकल्प बनाना होगा। विशेषज्ञता के साथ, हमें व्यक्तिगत संवेदनशीलता और सामाजिक सहयोग के साथ तकनीकी उपायों का अध्ययन करना होगा ताकि हम एक प्रदूषणमुक्त भविष्य की ओर अग्रसर ह सकें।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 156 शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही थी। इसमें तीन शहर थे जिनकी हवा बहुत खराब थी, जिसका मतलब है कि उन शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक था। इसके अलावा, 21 अन्य शहरों की हवा की गुणवत्ता भी खराब श्रेणी में थी। प्रदूषण एक जटिल समस्या है जिसका समाधान विज्ञानिक दृष्टि से होना चाहिए, क्योंकि यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण का मतलब है – प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना, जिससे वायुमंडल, जल, और खाद्य में दोषिति होती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसके विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) प्रदूषण आजकल एक गंभीर समस्या बन चुका है। उद्योगीकरण और शहरीकरण की तेजी ने पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है, जिसमें हवा, पानी, और मिट्टी शामिल हैं। वनों की कटाई और औद्योगिकीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हमें सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याएँ, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन, आदि का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और जागरूकता के साथ देखना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द (Pollution Essay 200 Words in Hindi)

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं।

यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे, वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं।

इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी

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प्रदूषण पर निबंध 300 शब्द (Pollution Essay 300 Words in Hindi)

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ (Meaning of Pollution)

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनों में मिलते हैं, तो इसके कारण कई नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। प्रदूषण मुख्य रूप से मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है और यह हमारे पर्यावरणीय संरचना को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मानवों के लिए छोटी-बड़ी बीमारियों से लेकर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मानवों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पेड़ों की अनधिकारी कटाई की है, जिसके कारण पर्यावरण में असंतुलन हुआ है। प्रदूषण इस असंतुलन का मुख्य कारण भी है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में अनचाहे तत्व घुलकर उन्हें इस प्रकार के रूप में गंदा कर देते हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगते हैं, तो उसे प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण से प्राकृतिक संतुलन पर हानि पहुँचती है और मानव जीवन के लिए एक खतरा पैदा होता है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी अदरकऱी से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया है, जिससे पर्यावरण को हानि पहुँची है, उसे अब उतनी ही अकलमंदी से प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। वनों के अधिक अनिवार्य कटाई भी प्रदूषण के कारकों में शामिल है, लेकिन इसे रोकने के लिए वृक्षारोपण की अधिक प्रक्रिया की आवश्यकता है। ऐसे कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

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अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो हमें इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि पूरी पृथ्वी पर जीवन का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। यही से हम सभी के लिए जीवन की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण संभव होगा।

प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द (Pollution Essay 500 Words in Hindi)

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, और ध्वनि जैसे तत्वों का संतुलन महत्वपूर्ण है। यदि इनका संतुलन बिगड़ जाता है, तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ सकता है, और यही प्रदूषण का मुख्य कारण होता है। इस असंतुलन से फसलों, पेड़ों और अन्य चीजों पर भी असर पड़ता है।

इसके अलावा, हमारे द्वारा फेंके गए कचरे और कूड़े का भी पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और यह भी प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि “प्रदूषण” एक ऐसा अवांछित परिवर्तन होता है जिससे मानवों और अन्य जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता और उपयोगिता को नष्ट किया जाता है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक महत्वपूर्ण मापक है जिसे सरकारी विभाग वायु प्रदूषण की स्तिथि को जांचने के लिए उपयोग करते हैं, ताकि लोग अपनी वायु गुणवत्ता को समझ सकें। AQI के बढ़ जाने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह सूचकांक लोगों को बताता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल सकती है। AQI को पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों की मॉनिटरिंग के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें ग्राउंड लेवल ओज़ोन, पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

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प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है –

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। इसके अलावा, कारखानों, उद्योगों, प्लास्टिक और पत्तियों के जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने और रेफ्रीजरेशन उद्योग के सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।

ध्वनि प्रदूषण: सड़कों पर बढ़ी वाहनों की संख्या और ध्वनि प्रदूषण में भारी योगदान करते हैं। यह शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक है और तनाव और चिंता के कारण हो सकता है।

जल प्रदूषण: कचरे को नदियों और समुद्रों में डालने के कारण जल प्रदूषण होता है। यह समुद्री जीवों के लिए हानिकारक है और पीने योग्य पानी की कमी का कारण बन सकता है।

मृदा प्रदूषण: कृषि और उद्योगों में रासायनिक उपायोग के कारण मिट्टी दूषित होती है, जिससे कृषि और प्रजनन में समस्याएँ होती हैं।

विशेष जानकारी: परमाणु युग में रेडियोधर्मी पदार्थों के उपयोग से रेडियोधर्मी प्रदूषण बढ़ा है, जिसके कारण तनाव और तंत्रिका रोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। यह गर्मी को पृथ्वी के चारों ओर फैलाने वाले प्रदूषण के कारण होता है, जिसमें मनुष्य द्वारा जीवाश्म ईंधन जलाना, प्लास्टिक जलाना, वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसेस, और जंगलों के जलने का शामिल होता है। यह प्रदूषण गर्मी को बढ़ावा देता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा देता है। कार्बन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप आने वाली पीढ़ियाँ ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सामना करेंगी।

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में हम सभी नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि हम इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं –

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: त्योहार मनाते समय पटाखों का इस्तेमाल न करें। यह ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है और हमारे स्वास्थ्य पर भी दुश्मनीकारक प्रभाव डालता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें और सार्वजनिक परिवहन का प्रयास करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: हमें अपने घर के आस-पास क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना हमारी जिम्मेदारी है। कचड़ा कूड़ा फेंकने की बजाय, हमें कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग करें: कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, इन्हें ठीक से डिकम्पोज करें या रिसाइकल के लिए भेजें।

पेड़ लगाएं : पेड़ों की कटाई वातावरणिक प्रदूषण में वृद्धि का कारण बन रही है, इसलिए हमें अधिक पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और हमें इसे समाधान के लिए साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि हम सभी और आने वाली पीढ़ियाँ, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें।

Below are the related topics to pollution in English available at IL

  • Paragraph on Pollution in English
  • Essay on Pollution in English
  • Essay on Causes of Pollution
  • Article on Pollution
  • Types of Pollution

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • प्रदूषण विवादित प्राकृतिक संसाधनों को शामिल करने की प्रक्रिया है।
  • प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • प्राकृतिक प्रकोपों के साथ-साथ मानव गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगलों के जलने और ज्वालामुखी जैसी घटनाएं हैं।
  • प्रदूषण एक ग्लोबल समस्या है, राष्ट्रीय नहीं।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग करना, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं, जैसे कि सौर पैनल।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध FAQs

हिंदी में प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें.

प्रदूषण पर निबंध लिखने के लिए, आप प्रदूषण के प्रकार, कारण, प्रभाव, और निवारण के उपायों पर चर्चा कर सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध कैसे लिखें?

प्रदूषण की समस्या पर निबंध लिखने के लिए, आपको इसके कारण, प्रभाव, और समाधान के बारे में विस्तार से लिखना होगा।

प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

प्रदूषण का मुख्य कारण है वाहनों, उद्योगों, और अन्य जैविक और अजैविक कारकों से निकलने वाले विषाणु, धूल, ध्वनि, और अन्य जलवायु प्रदूषक।

प्रदूषण का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, जैसे की डायरिया, ब्रॉन्काइटिस, और अन्य बीमारियाँ। इसके अलावा, यह पर्यावरण को भी हानि पहुंचाता है।

प्रदूषण के बारे में आप कैसे लिखते हैं?

मैं प्रदूषण के खतरों, उसके प्रकारों, और निवारण के उपायों के बारे में लिखता हूँ।

प्रदूषण को 100 शब्दों में क्या कहते हैं?

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसमें वायु, पानी, और भूमि के प्रदूषक वातावरण को हानि पहुंचाते हैं। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है।

प्रदूषण का निष्कर्ष क्या है?

प्रदूषण को रोकने के लिए हमें सभी मिलकर काम करना होगा। हमें वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को कम करने के लिए सावधानी से उपायों पर विचार करना होगा।

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पर्यावरण-संरक्षण

Paryavaran Sanrakshan

जिस वायुमंडल में हम साँस लेते हैं, उसे पर्यावरण कहते हैं। इसी पर्यावरण के कारण ही हम जीवित हैं। यदि इसमें आवश्यकता से अधिक गर्मी या ठंडक बढ़ जाए तो जीवन का अंत हो सकता है। यदि प्राकृतिक रूप से मिलने वाला जल मिलना बंद हो जाए, धरती दूषित फसलें उगाने लगे तो हमारा जीना दूभर हो जाएगा। हम मानव और जीव सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में ही जी सकते हैं। इसलिए यह हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने पर्यावरण को स्वस्थ बनाए रखें। इसके लिए हमें धरती को हरा-भरा रखना होगा। इसके जल-संसाधनों को पवित्र बनाए रखना होगा। हम अपनी आकांक्षाओं के लिए जो अंधाधुंध प्रदूषण फैला रहे हैं, उसे रोकना होगा।

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जानिए क्या है पर्यावरण संरक्षण और क्यों है यह आवश्यक

paryavaran ki raksha essay in hindi 150 words

  • Updated on  
  • जून 5, 2024

paryavaran ki raksha essay in hindi 150 words

पर्यावरण शब्द का अर्थ है हमारे चारों ओर का वातावरण है। हर मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान दे और उसे सँवारे। पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें तथा उसे जीवन के अनुकूल बनाए रखें क्योंकि पर्यावरण और प्राणी एक-दूसरे पर आश्रित हैं। अधिक जनसंख्या, वाटर साइंटिफिक इश्यूज, ओजोन डिप्लेशन, ग्लोबल वार्मिंग से लेकर वनों की कटाई, डिजर्टिफिकेशन और प्रदूषण तक, ये मानव जाति के लिए गंभीर खतरा हैं। पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी है, खासकर तब जब डिजिटल मीडिया पर्यावरण संरक्षण के लिए क्रांति लाने की क्षमता रखता है। इस ब्लॉग में जानेंगे पर्यावरण संरक्षण के बारे में और विस्तार से। 

This Blog Includes:

पर्यावरण क्या है, पर्यावरण संरक्षण का महत्व क्या होता है, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के बारे में, पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों है , पर्यावरण संरक्षण के प्रकार, फॉरेस्ट कंजर्वेशन , सॉइल कंजर्वेशन, वेस्ट मैनेजमेंट , पब्लिक अवेयरनेस , प्रदूषण नियंत्रण , पर्यावरण संरक्षण पर कोट्स.

पर्यावरण शब्द ‘परि +आवरण’ के संयोग से बना है। ‘परि’ का अर्थ चारों ओर तथा ‘आवरण’ का अर्थ परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों, प्राणियों, और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं।

आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसका पूजन करने के समान होता है। हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं। लेकिन बढ़ते विकास के कारण इसे लगातार नुकसान पहुंच रहा है। पर्यावरण सरंक्षण के महत्त्व से जुड़े कुछ बिंदु नीचे दिए गए हैं-

  • पर्यावरण सरंक्षण  वायु , जल और भूमि प्रदूषण को कम करता है। 
  • बायोडायवर्सिटी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण सरंक्षण का बहुत अधिक महत्व है। 
  • पर्यावरण सरंक्षण सभी के सतत् विकास के लिए महत्वपूर्ण है। 
  • हमारे ग्रह को ग्लोबल वार्मिंग जैसे हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए भी पर्यावरण सरंक्षण महत्वपूर्ण है। 

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम संसद द्वारा 23 मई 1986 को पारित किया गया था और 19 नवंबर 1986 को लागू किया गया था। इसमें चार अध्याय तथा 26 धाराएं होती हैं। इसे पारित करने का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों को भारत में विधि (कानून) बनाकर लागू करना है-

  • प्रथम अध्याय की धारा- 1 के अनुसार इसका विस्तार संपूर्ण भारत में है। प्रथम अध्याय की धारा- 2 में पर्यावरण पर्यावरण प्रदूषण परीसंकटमय पदार्थ अधि भोगी शब्दों की विशेष परिभाषा दी गई है।
  • द्वितीय अध्याय में 4 धाराएं हैं जिनमें धारा- 3 में पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिए उपाय करने की केंद्र सरकार की शक्तियां तथा कृत्य धारा- 5 में निर्देश देने की। धारा- 6 में पर्यावरण प्रदूषण को विनियोजन करने हेतु नियमों का उल्लेख है। 
  • अध्याय 3 में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण तथा उप शासन से संबंधित 7 से 17 अर्थात 11 धाराए धारा 5 में उपलब्धियों का उल्लंघन करने पर दंड शक्ति संबंधित कानून का प्रावधान किया गया है।
  • अध्याय 4 में 18 से 26 अर्थात कुल 9 धाराओं में कानून का वर्णन है। इनमें सद्भाव में की गई कार्यवाही को संरक्षण अपराधों का संज्ञान प्रत्यायोजन की शक्तियां नियम बनाने की शक्तियां का उल्लेख है

यह भी पढ़ें :  Facts About Earth in Hindi : जानिए पृथ्वी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

आज के समय में पर्यावरण असंतुलित हो गया है। बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण, प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध इस्तेमाल से आज विश्व का तापमान चिंतित स्तर पर बढ़ रहा है। नीचे कुछ कारण दिए गए हैं जो आपको बताएंगे कि पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों है :

  • ग्लेशियर पिघल के समुद्र में पानी के स्तर को बढ़ा रहे है, जिससे बाढ़ आ रही है। 
  • पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीनहाउस के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग, ब्लैक होल इफ़ेक्ट आदि को कम या कंट्रोल करने के लिए पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता है। 
  • पेड़ कटते जा रहे हैं, जिससे वन क्षेत्र कम हो रहा है। 
  • नदियों का जल भी प्रदूषित हो गया है जिसके कारण पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी है। 
  • ग्लोबल वार्मिंग लगातार बढ़ रही है इसलिए भी पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता है।
  • मीथेन गैसों के साथ-साथ कोलोरोफ्लोरो कार्बन्स की भारी उपस्थिति ने ओजोन परत को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया है। ग्रह पर कई क्षेत्रों में अम्ल वर्षा और त्वचा कैंसर हुआ है। इसलिए पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता बढ़ गयी है। 

यह भी पढ़ें : पर्यावरण से जुड़े इन तथ्‍यों को जानकर हैरान रह जायेंगे आप

पर्यावरण संरक्षण के प्रकार कुछ इस तरह है, जो नीचे दी गई है:

  • वॉटर कंजर्वेशन (जल संरक्षण) 
  • सॉइल कंजर्वेशन (मृदा संरक्षण) 
  • फॉरेस्ट कंजर्वेशन (वन संरक्षण) 
  • वाइल्डलाइफ रिजर्व (वन्य जीव संरक्षण) 
  • डायवर्सिटी कंजर्वेशन (जैव विविधता संरक्षण) 

पर्यावरण संरक्षण के तरीके क्या हैं?

अब जब आप पर्यावरण संरक्षण के अर्थ और महत्व से परिचित हो गए हैं, तो आइए उन मुख्य विधियों को समझते हैं जिनके माध्यम से इसे प्रभावी रूप से सरल बनाया जा सकता है:

हम जानते हैं कि पौधे और पेड़, हवा, भोजन के साथ-साथ हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य दैनिक उत्पादों के आवश्यक स्रोत हैं। वन विभिन्न जीवित प्राणियों का निवास स्थान हैं। फॉरेस्ट कंजर्वेशन उद्देश्य  यह है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाना और साथ ही मौजूदा लोगों को पेड़ काटने से बचाना है क्योंकि पेड़ पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

पृथ्वी पर, मिट्टी मुख्य तत्व है जो मिट्टी के कटाव, लैंड डिग्रेडेशन और बाढ़ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पौधों के उत्पादन के लिए मिट्टी समृद्ध पोषक तत्वों से भरी होती है। उर्वरकों और जहरीले रसायनों के न्यूनतम उपयोग को सुनिश्चित करने के साथ-साथ मिट्टी में हानिकारक इंडस्ट्रियल कचरे को समाप्त करके सॉइल कंजर्वेशन किया जा सकता है। 

खासकर विकासशील देशों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में रोजाना बड़ी मात्रा में कचरा सड़कों पर फेंका जाता है इससे विभिन्न भयानक बीमारियों के साथ-साथ मृदा प्रदूषण भी हो सकता है। हम विभिन्न टेक्नीक्स जैसे 3R का विकल्प चुन सकते हैं, जैसे पुन: उपयोग और रीसाइक्लिंग, सूखे और गीले कचरे को अलग करना।

इसके अलावा, प्रत्येक व्यक्ति को इस बात से अवेयर कराया जाना चाहिए कि वे पर्यावरण को कैसे प्रदूषित कर रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

हमें उन टॉक्सिक कंपाउंड्स पर नजर रखने की आवश्यकता है जो वातावरण को प्रदूषित करते हैं। हमें उत्सर्जन के कई रूपों को कम करने के लिए पर्यावरणीय रूप से स्थायी तरीकों को अपनाने की जरूरत है, जैसे कि कचरे को खत्म करना, बिजली की बचत करना, उर्वरकों, कीटनाशकों और कीटनाशकों के अनावश्यक उपयोग को सीमित करना और ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग करना आदि।

यह भी पढ़ें : पढ़िए पर्यावरण और हम पर निबंध

पर्यावरण संरक्षण पर कुछ कोट्स यहां दिए गए हैं-

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।”
  • “आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।”
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।”
  • “शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।”
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।”
  • “प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।”
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।”
  • “हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।”
  • “मनुष्य अभी भी इस दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार है और इस धरती की सबसे बड़ी समस्या भी।”
  • “प्रकृति में गहराई से देखना शुरू करो, तुम्हें समझ आएगा कि सब कुछ कितना अच्छा है। “

सम्बंधित आर्टिकल्स 

प्राकृतिक आवास और प्रजातियों की रोकथाम, प्रबंधन और संरक्षण को पर्यावरण संरक्षण के रूप में जाना जाता है।

इसके लिए यहां कुछ सामान्य तरीके दिए गए हैं: 1. सूती बैग का प्रयोग करें और प्लास्टिक को ना कहें 2. कम पानी का प्रयोग करें और पानी बचाने के तरीके खोजें 3. रीसाइक्लिंग  4. वेस्ट मैनेजमेंट  5. सस्टेनेबल डेवलपमेंट

निम्नलिखित कारणों की वजह से पर्यावरण संरक्षण जरूरी है: 1.पर्यावरण सरंक्षण  वायु, जल और भूमि प्रदूषण को कम करता है। 2. बायोडायवर्सिटी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण सरंक्षण का बहुत अधिक महत्व है।  3. पर्यावरण सरंक्षण सभी के सतत् विकास के लिए महत्वपूर्ण है।  4. हमारे ग्रह को ग्लोबल वार्मिंग जैसे हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए भी पर्यावरण सरंक्षण महत्वपूर्ण है। 

उम्मीद है कि पर्यावरण संरक्षण के बारे में आपको सभी जानकारियां मिल गई होंगी। इसी तरह के अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu वेबसाइट पर बनें रहें।

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Paryavaran Sanrakshan “पर्यावरण संरक्षण” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 12 Students.

पर्यावरण संरक्षण, paryavaran sanrakshan.

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- परि + आवरण। परि का अर्थ है ‘चारों ओर’ तथा आवरण का अर्थ है ‘ढंका हुआ’। पूरे शब्द का तात्पर्य हुआ चारों ओर से ढंका हुआ। हमारी पृथ्वी चारों ओर से जिन तत्वों

और वस्तुओं से ढंकी या आच्छादित है, वही हमारा पर्यावरण है। हमारे पर्यावरण में पेड-पौधे, जीव-जन्त, नदी-तालाब समुद्र-जंगल, हवा-पानी, सूर्य का प्रकाश आदि सभी कुछ सम्मिलित हैं।

पृथ्वी ग्रह हमारा वास स्थान है और इस पर हम जीवित इसी कारण है कि प्रकृति ने पर्यावरण में संतुलन बना रखा है। जीवन की रक्षा और विकास के लिये हवा, पानी, भोजन, प्रकाश, पेड-पौधों और अन्य जीव प्रजातियों की जितनी और जिस मात्रा में आवश्यकता है, प्रकृति उन्हें उस मात्रा में बनाये रखती है।

यह संतुलन अब बिगड़ रहा है। इसे हम मनुष्यों ने ही बिगाड़ा है। मनुष्य प्रकृति के अनुरूप जीवन-यापन न करने वाला एकमात्र घटक है, शेष सभी प्राणी प्रकृति के अनुरूप जीवन-यापन करते हैं। मनुष्य ने यही नहीं किया, बल्कि प्रकृति को अपने अनुरूप बनाने के प्रयास भी किये।

मनुष्य में स्वामी बनने की जबरदस्त भावना है, इसी भावना ने पर्यावरण का विनाश कर समूचे पृथ्वी ग्रह को ही विनाश के मुँह में पहुँचा दिया है। उसने जंगलों को देखा और सोचा कि यह मेरे लिये है, नदियाँ मेरे लिये हैं, जीव-जंतु मेरे लिये हैं।

पेड़ काटे और उनका फर्नीचर, दरवाजे, खिड़कियाँ बना लीं। नदियों पर बाँध बाँधे और जल का अंधाधुंध दोहन किया। जीव-जन्तु को या तो अपना गुलाम बना लिया या उन्हें भोजन की तरह प्रयोग करने लगा।

आरम्भ में जब मनुष्यों की संख्या कम और प्रकृति की सम्पदा अपार थी, तो इस दोहन का प्रभाव दिखाई नहीं दिया, किन्तु धीरे-धीरे ऐसी स्थिति आई कि मनुष्यों की संख्या निरंतर बढ़ती चली गई और प्रकृति की सम्पदा उसी अनुपात में घटती गई।

इससे असंतुलन पैदा हो गया। मनुष्य को जीवित रहने के लिये सबसे पहले प्राणवायु चाहिये। यह प्राणवायु हमें पेड़-पौधों से मिलती है, परंतु हमने ही अपने लालचीपन के कारण जंगलों को काटकर नष्ट कर दिया। अब हालात यह है कि प्राणवायु देने वाले घट रहे हैं, जबकि प्राणवायु लेने वाले निरंतर बढ़ रहे हैं। पर्यावरणवादियों का अनुमान है कि दुनिया में अब पच्चीस वर्षों के लिये ही प्राणवायु बची है।

यही दशा पानी की है। पानी भी इतना घट चुका है कि भूमिगत जल स्रोत समाप्त हो रहे हैं। पीने के पानी का संकट सारी दुनिया के सामने आ गया है। भोजन के लिये भी मनुष्य को बड़े संकट का सामना करना पड़ेगा। शहरीकरण बढ़ने के कारण खेती की जमीन लगातार कम हो रही है। शहरीकरण ने कचरे की समस्या, शोर, प्रदूषण और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियाँ पैदा कर दी हैं।

ऐसी सभी गतिविधियों ने मिलकर हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है। पर्यावरण इतना बिगड़ चुका है कि अब पृथ्वी ग्रह का बचा रहना असंभव होता जा रहा है। हमारा जीवन ही खतरे में पड़ गया है। जरूरत है समय रहते हमारे चेतने की। चेतना से तात्पर्य है कि हम पर्यावरण के संकटों को समझें और उसे सुधारने में अपना योगदान दें। पर्यावरण रक्षा के उपाय बहुत सरल हैं। हमें अपनी जीवन शैली में थोड़ा सा बदलाव लाना होगा, बस।

हम प्रतिवर्ष दस-पाँच पेड़ लगाएँ; पानी का दुरुपयोग न करें; किसी प्राणी की हत्या न करें। मच्छर, चींटी, साँप, बिच्छुओं का जीवित रहना भी हमारे जीवित रहने के लिये जरूरी है।

प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग संतुलित रूप से करें। जानवरों को मारकर उनकी खाल, बाल, सींग आदि से बनी वस्तुएँ उपयोग न करें। सभी जीव और वनस्पति प्रजातियों का जीवित रहना पर्यावरण के लिये अनिवार्य है। इसे ही जैवविविधता का संरक्षण कहा जाता है।

हमें पर्यावरण-संरक्षण की भावना से ही अपनी जीवन-शैली बनाना होगी, तभी पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी।

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रक्षा बंधन पर छोटे और बड़े निबंध हिंदी में: राखी पर 10 पंक्तियां यहां से प्राप्त करें

रक्षा बंधन निबंध: रक्षा बंधन आने वाला है और छात्र राखी पर निबंध लिखने के लिए खोज रहे होंगे। रक्षा बंधन पर छोटे और बड़े निबंध यहाँ देखें। साथ ही, राखी पर 10 महत्वपूर्ण पंक्तियाँ भी पाएँ।.

Atul Rawal

Short and Long Essay on Raksha Bandhan in Hindi: रक्षा बंधन भारत के सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है, जिसे मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। स्कूल छात्रों को उनकी रचनात्मकता दिखाने और इस विशेष दिन के बारे में जानने के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं। ऐसी ही एक गतिविधि रक्षा बंधन पर निबंध लेखन प्रतियोगिता है।

रक्षा बंधन पर निबंध हिंदी में 10 पंक्तियाँ (Essay on Raksha Bandhan in Hindi 10 Lines)

  • रक्षा बंधन एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भाई-बहन के बीच के बंधन का जश्न मनाता है। 
  • इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर "राखी" बांधती हैं। 
  • राखी बहन के प्यार और उसके भाई की सलामती की प्रार्थना का प्रतीक है। 
  • बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा और देखभाल करने का वादा करते हैं। 
  • यह त्योहार हिंदू महीने श्रावण की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। 
  • रक्षा बंधन भाई-बहनों के बीच प्यार, विश्वास और स्नेह के बंधन को मजबूत करता है। 
  • इस त्योहार का एक समृद्ध इतिहास है और यह विभिन्न पौराणिक कहानियों से जुड़ा हुआ है। 
  • यह एक ऐसा दिन है जब परिवार एक साथ मिलकर जश्न मनाते हैं और खुशियाँ बाँटते हैं। 
  • भारत में रक्षा बंधन की परंपरा अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों में अलग-अलग है। 
  • रक्षा बंधन हमें पारिवारिक रिश्तों के महत्व और एक-दूसरे की रक्षा और समर्थन करने के कर्तव्य की याद दिलाता है।

रक्षा बंधन पर निबंध अंग्रेजी में 150 शब्द (Raksha Bandhan Essay in English 150 Words)

रक्षा बंधन पर निबंध हिंदी में 200 शब्द (raksha bandhan essay in english 200 words).

रक्षा बंधन भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष त्यौहार है जो भाई-बहन के बीच मज़बूत बंधन का सम्मान करता है। "रक्षा बंधन" नाम का अर्थ है "सुरक्षा का बंधन।" इस दिन, जो श्रावण (अगस्त) के महीने में पूर्णिमा को पड़ता है, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर "राखी" नामक एक रंगीन धागा बांधती हैं। यह राखी बहन के प्यार का प्रतीक है और अपने भाई की खुशी और लंबी उम्र की कामना करती है।

बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा और देखभाल करने का वादा करते हैं। यह आदान-प्रदान आपसी सम्मान और स्नेह दिखाने का एक तरीका है। यह त्यौहार अक्सर पारिवारिक समारोहों के साथ मनाया जाता है, जहाँ सभी लोग विशेष मिठाइयों और पारंपरिक खाद्य पदार्थों का आनंद लेते हैं।

रक्षा बंधन सिर्फ़ खून के रिश्तों तक सीमित नहीं है; इसे चचेरे भाई-बहनों या करीबी दोस्तों के बीच भी मनाया जा सकता है, जो भाई-बहनों जैसा बंधन साझा करते हैं। यह खुशी, हँसी और परिवार के साथ गर्मजोशी से भरा दिन है।

रक्षा बंधन पर निबंध हिंदी में 250 शब्द (Raksha Bandhan Essay in English 250 Words)

रक्षा बंधन एक पारंपरिक भारतीय त्यौहार है जो भाई-बहन के बीच प्यार और सुरक्षा के बंधन का जश्न मनाता है। यह त्यौहार, जो आमतौर पर अगस्त में हिंदू महीने श्रावण की पूर्णिमा के दिन पड़ता है, इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी, एक रंगीन और पवित्र धागा बांधती हैं। राखी बहन के प्यार और अपने भाई की भलाई के लिए प्रार्थना का प्रतीक है, जबकि भाई अपनी बहन की रक्षा और देखभाल करने का वादा करता है। रक्षा बंधन के त्यौहार की जड़ें इतिहास और पौराणिक कथाओं की विभिन्न कहानियों में हैं। एक लोकप्रिय किंवदंती महाकाव्य महाभारत से है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण की उंगली में चोट लगी थी, तो पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ा और खून बहने से रोकने के लिए कृष्ण की उंगली पर बाँध दिया। उसके भाव से प्रभावित होकर कृष्ण ने उसकी रक्षा करने का वादा किया और बाद में, उन्होंने उसके बहुत संकट के समय में यह वादा पूरा किया। एक और कहानी मेवाड़ की रानी कर्णावती के बारे में है। जब उसे गुजरात के सुल्तान से खतरा महसूस हुआ, तो उसने सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर उसकी सुरक्षा की गुहार लगाई। राखी के बंधन का सम्मान करते हुए हुमायूं उसकी मदद के लिए आगे आया।

रक्षा बंधन पर निबंध हिंदी में 250 शब्द (Raksha Bandhan Essay in English 500 Words)

रक्षा बंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष त्यौहार है जो भाई-बहन के बीच प्यार और बंधन का सम्मान करता है। "रक्षा बंधन" नाम का अर्थ है "सुरक्षा का बंधन।" यह त्यौहार हर साल हिंदू महीने श्रावण की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त में पड़ता है। रक्षा बंधन पर, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर "राखी" नामक एक रंगीन और पवित्र धागा बांधती हैं। राखी बहन के प्यार, देखभाल और अपने भाई की भलाई और खुशी के लिए प्रार्थना का प्रतीक है। बदले में, भाई अपनी बहन को उपहार देता है और जीवन भर उसकी रक्षा और देखभाल करने का वादा करता है। यह आदान-प्रदान दर्शाता है कि भाई-बहन एक-दूसरे से कितना प्यार करते हैं और एक-दूसरे का कितना सम्मान करते हैं। यह उन्हें एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों की भी याद दिलाता है। यह त्यौहार केवल राखी और उपहारों के बारे में नहीं है; यह भाई-बहनों के बीच के बंधन को मजबूत करने के बारे में है। रक्षा बंधन एक ऐसा समय है जब परिवार जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं। वे विशेष मिठाइयों और पारंपरिक खाद्य पदार्थों का आनंद लेते हैं, और यह दिन खुशी, हँसी और प्रियजनों के साथ होने की गर्मजोशी से भरा होता है। रक्षा बंधन एक ऐसा त्यौहार है जो सिर्फ़ खून के रिश्तों तक सीमित नहीं है। चचेरे भाई-बहन, करीबी दोस्त और यहाँ तक कि पड़ोसी भी रक्षा बंधन मना सकते हैं, अगर उनके बीच भाई-बहन जैसा रिश्ता है। यह त्यौहार समावेशी बनाता है और दिखाता है कि प्यार और सुरक्षा सार्वभौमिक मूल्य हैं। रक्षा बंधन के पीछे की कहानी भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं से आती है। सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक महाभारत से है, जो एक प्राचीन भारतीय महाकाव्य है। इस कहानी में, भगवान कृष्ण ने एक बार अपनी उंगली को घायल कर लिया था। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने खून बहने से रोकने के लिए जल्दी से अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ा और कृष्ण की उंगली पर बाँध दिया। भगवान कृष्ण उसके दयालु व्यवहार से प्रभावित हुए और उन्होंने उसे जब भी मदद की ज़रूरत होगी, उसकी रक्षा करने का वादा किया। बाद में, जब द्रौपदी बहुत संकट में थी, तो कृष्ण ने अपना वादा निभाया और उसकी रक्षा की। एक और प्रसिद्ध कहानी मेवाड़ की रानी कर्णावती के बारे में है। 16वीं शताब्दी की शुरुआत में, जब उन्हें गुजरात के सुल्तान से खतरा महसूस हुआ, तो रानी कर्णावती ने सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर उनकी सुरक्षा माँगी। भले ही वे खून के रिश्ते से जुड़े नहीं थे, लेकिन हुमायूं ने राखी के बंधन का सम्मान किया और उनकी मदद की।

ये कहानियाँ बताती हैं कि रक्षा बंधन सिर्फ़ एक साधारण परंपरा नहीं है बल्कि इसका गहरा अर्थ है। यह हमें प्यार, विश्वास, वफ़ादारी और वादे निभाने के महत्व के बारे में सिखाता है। यह त्यौहार भाई-बहनों को ज़रूरत के समय एक-दूसरे का साथ देने और हमेशा एक-दूसरे की रक्षा और देखभाल करने की याद दिलाता है।

रक्षा बंधन एक ऐसा त्यौहार है जो परिवारों को एक साथ लाता है। यह भाई-बहनों के बीच के बंधन को मज़बूत करता है और उन्हें एक-दूसरे के करीब महसूस कराता है। यह प्यार, खुशी और एकजुटता से भरा दिन है। चाहे आप भाई हों या बहन, रक्षा बंधन आपके बीच के ख़ास रिश्ते का जश्न मनाने का दिन है।

अंत में, रक्षा बंधन एक खूबसूरत त्यौहार है जो परिवार के महत्व और भाई-बहनों के बीच के बंधन को उजागर करता है। यह हमें सिखाता है कि प्यार, देखभाल और सुरक्षा ही सच्चे उपहार हैं जो हम एक-दूसरे को दे सकते हैं। रक्षा बंधन मनाकर, हम अपने पारिवारिक बंधनों की मज़बूती और विश्वास और वफ़ादारी के मूल्यों का जश्न मनाते हैं जो हमें एकजुट रखते हैं।

छात्र ऊपर दिए गए निबंध उदाहरणों का उपयोग करके अपना निबंध बना सकते हैं। आप इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए अधिक रचनात्मक सामग्री और वास्तविक जीवन के उदाहरण या अनुभव जोड़ सकते हैं।

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  • रक्षाबंधन कब मनाया जाता है? + रक्षा बंधन आमतौर पर हिंदू महीने श्रावण की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हर साल इसकी सटीक तारीख अलग-अलग होती है।
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  7. पर्यावरण पर निबंध

    Essay on Environment in Hindi, & Paryavaran par Nibandh For Any Class Students, Kids. Read Paragraph On Pollution Essay - पर्यावरण पर निबंध ... Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye. Reply. Nibandh. July 16, 2022 at 07:31. bahut badhiya jaankari ...

  8. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध और 10 lines in hindi

    पर्यावरण संरक्षण की परिभाषा:- हमारे भारत देश में भारतीय संविधान 1950 में लागू हुआ था परंतु पूरे तरीके से पर्यावरण संरक्षण से नहीं जुड़ा था Paryavaran sanrakshan par nibandh

  9. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

    पर्यावरण संरक्षण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Paryavaran Sanrakshan In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस ...

  10. Paryavaran Essay in Hindi

    पर्यावरण पर निबंध - Paryavaran Essay in Hindi - Paryavaran par Nibandh - Essay on Environment in Hindi Language. ADVERTISEMENT. पर्यावरण संवर्धन निबंध - पर्यावरण की सुरक्षा पर निबंध - पर्यावरण की ...

  11. पर्यावरण पर निबंध पर्यावरण हिंदी में

    पर्यावरण का सम्मान करें : पर्यावरण पर निबंध. आज हमें अपनी सीमा अवश्य खींच लेनी चाहिए आज समय है कि हम प्रभु प्राकृतिक प्रवृत्ति को अलग ...

  12. Environment Protection Essay In Hindi

    पर्यावरण सुरक्षा पर छोटे-बड़े निबंध (Essay on Environment Protection Essay in Hindi) पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता - Importance Of Environmental Protection रूपरेखा- प्रस्तावना, पर्यावरण सुरक्षा की समस्या ...

  13. पर्यावरण पर निबंध

    Environment Essay in Hindi for Class 1, 2, 3 and 4 Kids, Students and Teachers - Environment (Paryavaran) Essay in Hindi in 50, 100, 150, 200, 250, 300 Words.

  14. पर्यावरण और विकास निबंध / विकास बनाम पर्यावरण पर निबंध

    पर्यावरण और विकास / विकास बनाम पर्यावरण पर निबंध : विकास उस सोने के हिरन के समान हैं जिसके पीछे-पीछे भागते हुए हम उस हालात पर पहुँच चुके हैं जहां सांस ...

  15. पर्यावरण पर अनुच्छेद

    पर्यावरण पर अनुच्छेद | Paragraph on the Environment in Hindi! आस-पास के प्रतिवेश, जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं उसको पर्यावरण (Environment) कहते हैं | वह सभी तत्व ...

  16. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में

    फुटबाल पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Essay on Football in Hindi January 4, 2023 January 3, 2023 निबंध शीत ऋतु पर निबंध हिंदी में 100, 200 शब्द | Winter Season Essay in Hindi

  17. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Pollution 100

    प्रदूषण पर निबंध 300 शब्द (Pollution Essay 300 Words in Hindi) बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी ...

  18. Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi

    Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi : पढ़िए पर्यावरण और हम पर निबंध. पर्यावरण शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। परि + आवरण। इसका अर्थ है हमारे आसपास मौजूद सबकुछ ...

  19. Hindi Essay/Paragraph/Speech on "Paryavaran", "पर्यावरण" Complete Essay

    Jayprakash on Hindi Essay on "Aitihasik Sthal ki Yatra" , "ऐतिहासिक स्थल की यात्रा" Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes. Diksha on Official Letter Example "Write a letter to Superintendent of Police for theft of your bicycle. " Complete Official Letter ...

  20. Hindi Essay on "Paryavaran Pradushan", "पर्यावरण प्रदूषण" Complete

    पर्यावरण प्रदूषण . Paryavaran Pradushan. हमारे आस-पास का प्राकृतिक वातावरण जिसमें हम रहते हैं—'पर्यावरण' कहलाता है। इस प्राकृतिक वातावरण का दूषित हो जाना या इसका ...

  21. Paryavaran Sanrakshan "पर्यावरण-संरक्षण" Essay in Hindi, Best Essay

    Paryavaran Sanrakshan "पर्यावरण-संरक्षण" Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 Students. Absolute-Study August 24, 2021 Hindi Essays No Comments

  22. जानिए पर्यावरण संरक्षण क्या है, इसके प्रकार एवं इसे दुरुस्त कैसे करें

    पर्यावरण शब्द का अर्थ है हमारे चारों ओर का वातावरण है। हर मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान दे और उसे

  23. Paryavaran Sanrakshan "पर्यावरण संरक्षण" Complete Hindi Essay

    Jayprakash on Hindi Essay on "Aitihasik Sthal ki Yatra" , "ऐतिहासिक स्थल की यात्रा" Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes. Diksha on Official Letter Example "Write a letter to Superintendent of Police for theft of your bicycle. " Complete Official Letter ...

  24. रक्षा बंधन पर निबंध हिंदी में: छोटे और बड़े निबंध स्कूली छात्रों के लिए

    रक्षा बंधन पर निबंध हिंदी में 200 शब्द (Raksha Bandhan Essay in English 200 Words). रक्षा बंधन भारत में ...