मेरे शिक्षक पर निबंध (My Teacher Essay in Hindi)
पहले के समय में हमारे देश में शिक्षक को इस तरह का सम्मान दिया जाता था, परन्तु आज के समय में शिक्षक और छात्र दोनो ही बदल गये है। पहले के समय में शिक्षण एक पेशा ना होकर एक उत्साह और एक शौक का कार्य था, पर अब यह मात्र एक आजीविका चलाने का साधन बनकर रह गया है। लेकिन मुझे लगता अभी भी सब कुछ खत्म नही हुआ है। जब भी मैं छात्रों को शिक्षक दिवस मनाते हुए देखता हूँ मैं काफी भावुक हो जाता हूँ और इसके साथ ही काफी प्रसन्न भी महसूस करता हूँ। यह सब देखकर मुझे लगता है अभी भी हमारे दिलो में शिक्षको के लिए विशेष स्थान है।
शिक्षक दिवस पर 10 वाक्य | मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध
मेरे शिक्षक पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on My Teacher in Hindi, Mere shikshak par Nibandh Hindi mein)
मेरे शिक्षक पर निबंध – 1 ( 250 – 300 शब्द).
इस बात से को इनकार नही कर सकता है कि स्कूल के पहले दिन से लेकर कालेज के आखिरी दिन तक वह हमें पढ़ाते है हमारी कमियां खोजते है और हमें शिक्षा देते है। इसके अलावा वह हमारे व्यक्तित्व का भी निर्माण करते है अगर संक्षिप्त में कहे तो वह हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं।
शिक्षक हमारे भविष्य के निर्माता
वैसे तो कई रिश्ते है जिनका हमारे ह्रदय में विशेष स्थान होता है और मुझे विश्वास है कि उनमें से एक है शिक्षक का रिश्ता जो हमारे लिए सबसे प्रिय है। खासतौर से वह जो हमारे साथ सख्ती से पेश आते थे और हमें गलतियों पर सजा दिया करते थे।
जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते है यह नफरत प्रेम में बदल जाता है, क्योंकि हम अपने पेशे में डांट का महत्व महसूस करते है। कबीर दास ने शिक्षक के कार्य को नीचें के पंक्तियो में बखूबी समझाया है।
“गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट, अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट”
उपर के पंक्तियों में कबीर दास जी कहते है कि शिक्षक एक कुम्हार के तरह है और छात्र पानी के घड़े के तरह जो उनके द्वारा बनाया जाता है और इसके निर्माण के दौरान वह बाहर से घड़े पर चोट करता है और इसके साथ ही सहारा देने के लिए अपना एक हाथ अंदर भी रखता है।
इसलिए मैं अपने शिक्षक को इतना प्रेम करता हूँ (खासतौर से उनका जो मुझे ज्यादे डांटते थे)। वो वह व्यक्ति थे जो मेरे भविष्य निर्माण के लिए जिम्मेदार है।
जब मैं एक छात्र था, तब मैं एक अंग्रेजी लेखक बनना चाहता था। जब यह बात मैंने अपने दोस्तो और माता-पिता को बताया तो वह मुझ पर हंसने लगे क्योकि मेरी अंग्रेजी काफी खराब थी। मेरे शिक्षक हमेशा डांटते और सजा दिया करते थे पर मैनें कभी अपना धैर्य नही खोया। यह उनके मार्गदर्शन और मेहनत का फल ही जिससे कि मैं एक अंग्रेजी शिक्षक और लेखक बन पाया। पहले मैं उनके द्वारा मुझसे कड़ाई बरतने पर मुझे काफी बुरा लगता था, पर अब मैं उन्हे धन्यवाद देता हूँ क्योंकि उनके कड़ाई और मेरे उपर किये गये मेहनत का फल मुझे प्राप्त हुआ।
तो आपको भी अपने कड़ाई बरतने वाले शिक्षको की बातो का बुरा नही मानना चाहिए, क्योंकि वह आपको वो बनायेंगे जो आप बनना चाहते हो। दूसरे शब्दो में कहे तो वह आपके भविष्य के निर्माता है।
Meri Teacher par nibandh – 2 (400 शब्द)
यह सच है कि हमारे माता-पिता हमारे पहले शिक्षक है। वह हमें काफी कुछ सिखाते है, इस बात इन्कार नही किया जा सकता है, पर हमारी असली शिक्षा तब शुरु होती है जब हम स्कूल जाते है। जहा हम अपने शिक्षको द्वारा ज्ञान प्राप्त करना शुरु करते हैं। शिक्षक एक व्यक्ति के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व
एक शिक्षक एक मार्गदर्शक, गुरु, मित्र होने के साथ ही और कई भूमिकाएं निभाते है, जिनके बारे में हम सोच भी नही सकते है। यह विद्यार्थी के उपर निर्भर करता है, कि वह अपने शिक्षक को कैसे परिभाषित करता है। संत तुलसी दास के ने इसे नीचे के पंक्तियों में बहुत ही अच्छे तरीके से समझाया है।
“जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी”
उपर के पंक्तियों में संत तुलसी दास ने बताया है कि भगवान/गुरु एक व्यक्ति को वैसे ही नजर आयेंगे जैसा कि वह सोचेगा। उदहारण के लिए अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण को अपना मित्र मानते थे, वही मीरा बाई भगवान श्रीकृष्ण को अपना प्रेमी ठीक इसी प्रकार से यह शिक्षक के उपर भी लागू होता है।
मेरे नर्सरी शिक्षक – मेरे सब कुछ
मेरे नर्सरी शिक्षक के व्यक्तित्व में कुछ जादू सा था, मैं उन पर आंख मूंदकर भरोसा करता था। मैं उनके साथ के अपने इस रिश्ते को बयान नही कर सकता पर हाँ मैं यह अवश्य कह सकता हूँ कि यह कई रिश्तो का मिश्रण था।
मेरे प्राइमरी (प्राथमिक) शिक्षक – मेरे गुरु
ऐसा कहा जाता है कि एक इमारत की नींव मजबूत हो तो इमारत मजबूत होती है, और व्यक्ति जितने चाहे उतनी मंजिले उसमें जोड़ सकता है लेकिन अगर नींव कमजोर हो तो ऐसा करना काफी खतरनाक होता है। मैं काफी भाग्यशाली था जो मुझे इतने अच्छे प्राथमिक शिक्षक मिले जिन्होंने मेरे जीवन में चरित्र और शिक्षा की नींव रखी और इसी मजबूत नींव के वजह से आज मैं इस मुकाम पर पहूँच पाया हूँ।
मेरे माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक – मेरे अनुशासन कर्ता
आज मेरे अंदर जो भी अनुशासन है वह मेरे माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक के द्वारा ही दी गयी है। वह मुझे डांटा करते थे, मुझ पर चिल्लाया करते थे और मुझे मेरे सीमा तक पहूँचाते थे। जब मैं विद्यालय में था, तब मुझे उनकी बातो का काफी बुरा लगता था, पर अब मैं इस बात को समझ चुका हूँ कि यह सब उन्होंने मेरे भलाई के लिए किया।
मेरे सेंकडरी और हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षक – मेरे दोस्त
किसी ने सच ही कहा कि जब बेटे/बेटी के जूते उनके माता पिता या शिक्षक के जूते के बराबर हो जाये तो वह दोस्त बन जाते है। मैं अपनी हर व्यक्तिगत बाते अपने शिक्षको के साथ बांटा करता था, जिससे वह इन बातो में मेरा मार्गदर्शन किया करते थे। यह उनका मार्गदर्शन ही था, जो मैं किशोरावस्था के कई समस्याओं से बच गया।
एक शिक्षक हमारे जीवन में एक अभिनेता की तरह कई भूमिकाएं निभाता है, जो हमारी जीवन में हमारे लिए मददगार साबित होती है। जिनसे हमें एक बेहतर व्यक्ति एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा मिलती हैं।
निबंध – 3 (500 शब्द)
मेरे लिए यह बताना काफी मुश्किल है कि एक व्यक्ति के जीवन में शिक्षक का क्या महत्व है, क्योंकि हम में ज्यादेतर लोगो की वह एक पूरी दुनिया ही होते है। वह लोग काफी सौभाग्यशाली होते है, जिन्हे अच्छे शिक्षक मिलते है।
शिक्षक का हमारे जीवन में महत्व
एक पैदा हुए बच्चे का दिमाग बिल्कुल खाली होता है, हम कह सकते है यह एक खाली स्लेट की तरह होता है और इस स्लेट पर एक शिक्षक जो भी सिखाता है वह उस बच्चे का व्यक्तित्व बन जाता है।
हमें शिक्षा देने वाले
एक शिक्षक का मुख्य लक्ष्य छात्रों को ज्ञान देना होता है। वह अपने छात्रो को सबसे अच्छे तरीके से सीखाने का प्रयास करता है और उनके जरुरत के हिसाब से खुद को ढालता है। इसके साथ ही एक शिक्षक को कई बार काफी कम संसाधनो या बिल्कुल ना के बराबर के संसाधनो के साथ विद्यार्थियों को पढ़ाना होता है जैसे की सरकारी विद्यालयों में जो वाकई में एक चुनौती का कार्य होता हैं।
कई बार एक शिक्षक को अपन वित्तीय जरुरतो को पूरा करने के लिए काफी लम्बे समय तक कार्य करना होता है क्योंकि एक शिक्षक को काफी कम वेतन मिलता है। इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए एक शिक्षक को उस विषय में नोट बनाने और अन्य जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से हम कह सकते है कि एक शिक्षक का कार्य काफी कठिन कार्य होता है।
शिक्षक एक चरित्र निर्माता
किताबी ज्ञान देने के अलावा एक शिक्षक बच्चों को नैतिक ज्ञान भी देते हैं। जो कि कई बार औपचारिक रुप से होता है तो कई बार साधरण रुप से, जब मैं एक बच्चा था तो एक बार मैने अपने एक दोस्त से बिना पूछे उसका रबड़ ले लिया और उसे लौटाना भूल गया। इस पर मेरे दोस्त ने मेरे शिक्षक से जा कर कह दिया कि मैने उसका रबड़ चुराया है। इस बात पर मैं रोने लगा और कहा मैं उससे पूछना भूल गया था, मैंने चोरी नही की, इस बात पर मेरे शिक्षक ने मुझसे कहा की “मैं तुम्हारी बात पर यकीन करता हूँ, लेकिन तुम्हे दूसरे की वस्तु लेने से पहले पूछना चाहिए था” तब से लेकर आज तक उनके इस बताये गए पाठ को मैं कभी नही भूला।
छोटी-छोटी चीजे जो विद्यालयों में सिखायी जाती है, जैसे कि तमीज, झूठ ना बोलना, हमेशा धन्यवाद और कृपया कहना, कक्षा में आने पर या कुर्सी पे बैठने से पहले आज्ञा लेना आदि, भले ही यह चीजे काफी छोटी प्रतीत होती हो पर मेरा यकीन मानिए यह छोटी चीजे आसानी से परिस्थितियों को तोड़ और जोड़ सकती है।
शिक्षक एक पथ प्रदर्शक और एक गुरु
जब मैं 10वीं कक्षा में था, तो मुझे समझ नही आ रहा था कि मुझे कौन सा विषय चुनना चाहिए विज्ञान या वाणिज्य, मैं जितने लोगो से सलाह लेता उतना ही ज्यादे भ्रमित हो जाता। अंत में इस विषय में मैने अपने शिक्षक से सलाह ली और “उन्होंने मुझसे कहा अपने दिल की बात सुनो तुम्हे अपना उत्तर मिल जायेगा” और वास्तव में मुझे मेरा उत्तर मिल गया।
एक शिक्षक एक दोस्त
मुझे इस बात का पूरा विश्वास है कि कोई व्यक्ति कितना भी प्रतिभासाली क्यों ना हो, अगर वह भावनात्मक रुप से अच्छा नही है तो वह अच्छा प्रदर्शन नही कर सकता है। अगर एक छात्र अपने शिक्षक को अपना मित्र मान ले तो मेरा विश्वास मानिए वह अपने भावनात्मक बाधाओं को आसानी से पार कर जायेगा।
शिक्षक हमारे शुभचिंतक
कुछ व्यक्ति ऐसे होते है, जो आपको कभी धोखा नही देते है। उनमें से एक है आपके शिक्षक, इससे कोई फर्क नही पढ़ता है कि आप उनके विषय में क्या सोचते है वह हमेशा ही आपके शुभ चिंतक रहेंगे।
ऐसा ही एक वाकया मैं आप लोगो के सामने रखना चाहूँगा, जब मैं स्कूल में था। हमारे एक गणित के शिक्षक थे जो हमेशा हमारे साथ काफी कड़ाई के साथ पेश आते थे, वह अक्सर हमे डांटते थे और पिटाई भी किया करते थे। दूसरे शब्दो में कहे तो उन्होंने हमारा जीना मुश्किल कर दिया था। एक दिन इन सब बातो को लेकर हमारा धैर्य जवाब दे गया और हममे उनकी मोटरसाईकल में आग लगा दी, जिसके बाद इस मामले की एफ.आई.आर दर्ज हुई और जब हमारे एक सहपाठी को धमकाया तो उसने कुछ लोगो के नाम बता दिये और जब पुलिस उन लड़को को गिरफ्तार करने आयी तो हमारे गणित के शिक्षक ने अपनी शिकायत वापस ले ली।
हम में से किसी ने भी ऐसा सोचा भी ना था, हम उनके पास गये और उनसे क्षमा मांगी और उनसे पूछा कि उन्होंने अपनी शिकायत वापस क्यों ले ली उन्होंने जो कहा अब वह मैं आपको बताने जा रहा हूँ, उन्होंने कहा “एक विद्यार्थी के रुप में आपसे गलतियां होती है और मेरा काम है उन्हे ठीक करना, लेकिन मैं तुम लोगो को ऐसी सजा नही दे सकता जो तुम्हारा भविष्य खराब कर दे और तुम्हे एक अपराधी बना दे, इसलिए मैने अपनी शिकायत वापस ले ली।” उनकी इस बात पर हम काफी रोये और अपने इस किये के लिए उनसे माफी मांगी, वास्तव में यही शिक्षक का असली चरित्र होता है।
अंत में मैं यहि कहूंगा कि एक शिक्षक वह व्यक्ति होता है जो हमें सही मायनों में एक पूर्ण इंसान बनाता है।
निबंध – 4 (600 शब्द)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, हम एक समय में कई भूमिकाएं निभाते है। जैसे कि हम एक बेटे हो सकते है, या माता, पिता, भाई, पति, दोस्त, बास, कर्मचारी आदि जैसे रिश्तो में एक ही समय पर बंधे हो सकते है। हर एक रिश्ते का क्षेत्र और सही रुप से निर्धारित होता है पर कुछ ऐसे रिश्ते होते है जो काफी जटिल होते है और इन्हे शब्दो में बयान नही किया जा सकता है। देखा जाये तो यह कई रिश्तो का मिश्रण होते है, कुछ ऐसा ही रिश्ता एक छात्र और शिक्षक का भी होता है। इस रिश्ते को परिभाषित करना काफी कठिन है क्योंकि शिक्षक हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण किरदार निभाते है।
शिक्षक और विद्यार्थी का रिश्ता
- एक विशेष रिश्ता (एक नर्सरी के छात्र और उसके शिक्षक के मध्य)
मुझे इस बात का पुरा भरोसा है कि आप सबको भी यही लगता होगा की एक नर्सरी के छात्र का उसके शिक्षक/शिक्षिका के साथ एक ऐसा विशेष संबंध होता है, जिसे परिभाषित नही किया जा सकता है। मेरे पास इसके लिए सिर्फ एक ही शब्द है वो है जादुई, अगर वह मुझसे कुछ करने के लिए कहा करती थी, तो मैं कभी मना नही कर पाता था। एक बार मैंने उनसे मासूमियत से पूछा “मैडम क्या आप मुझे पसंद करती हैं?” इस पर उन्होंने मुझे जवाब दिया कि “हाँ बिल्कुल” उस दिन मुझे काफी प्रसन्न्ता हुई।
एक दिन कुछ कारणों से मैं नाराज हो गया और घर पर खाना नही खा रहा था। मेरे माता-पिता ने हर कोशिश की पर उन्हें कोई कामयाबी नही मिली, अंत में मेरे पिता जी ने मेरे स्कूल टीचर को फोन किया और मुझे उनसे बात करने के लिए कहा। उन्होंने मुझसे कहा कि “धीरेन्द्र………” मैंने तुरंत जवाब दिया “हाँ मैम मैं बिल्कुल भी गुस्सा नही हूँ और अभी खाना खा लूंगा और अपना होमवर्क भी करुंगा………” उनका मुझ पर कुछ इस तरह का प्रभाव था।
अब एक शिक्षक के तौर मैं भी अपने छोटे-छोटे छात्रों के साथ कुछ वैसा ही रिश्ता बनाने का प्रयास करता हूँ। अब इसमें मुझे सफलता मिलेंगी या नही यह चर्चा का विषय हो सकता है, पर मैं अपने तरफ से हमेशा ही एक अच्छा शिक्षक बनने का प्रयास करुंगा।
- एक आर्मी कैडेट और उसके प्रशिक्षक का रिश्ता
जब मैं छठवीं कक्षा में था तब मैंने एन.सी.सी में शामिल हुआ था। मुझे याद है कि हमारे प्रशिक्षक एक सख्त इंसान थे और हम उन्हे गब्बर पुकारा करते थे। आज मेरे अंदर जो भी अनुशासन और संघर्षशीलता है वह उन्ही के बदौलत है। उन्होंने हमे बचने के तरीके और कई चीजे सिखायी। हमारे बीच का यह रिश्ता डर पे टिका हुआ था। यह बिल्कुल शोले फिल्म के गब्बर सिंह के आतंक के तरह था।
वह जब भी चिल्लाया करते थे “लड़को क्या तुम भूखो हो?” हम जवाब दिया करते थे “नही सर”, इसके बाद वह फिर से पूछा करते थे “क्या तुम थके हो” और फिर से जवाब दिया करते थे “नही सर”। अब मैं जब भी थका महसूस करता हूँ मुझे उनकी वह चिल्लाहट याद आ जाती है और मेरा शरीर फिर से स्फूर्ति से भर जाता है।
- किशोर छात्रों और उनके शिक्षकों के मध्य का रिश्ता
किशोरावस्था का समय जिदंगी का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है। सामान्यतः इस समय में शिक्षक और छात्र का रिश्ता समझ, प्रेम और आकर्षण पर टिका होता है। किशोरावस्था के बच्चो को संभालने के लिए एक शिक्षक के लिए यह सबसे जरुरी होता है कि वह काफी परिपक्व हो, नही तो इस बात की ज्यादे संभावना है कि हर चीज उलट-पुलट हो जायेगी।
यह उम्र ऐसी होती है जब मनुष्य के मन में विद्रोह भरा होता है। मेरा मतलब है कि एक किशोर को कोई काम करने से जितना भी रोका जाता है वह उसके प्रति उतना ही ज्यादे ही आकर्षित होता है। इसलिए एक अच्छे शिक्षक के लिए यह काफी आवश्यक है कि कड़ाई भी काफी सोच-समझ करे क्योंकि ज्यादे कड़ाई भी चीजो को बिगाड़ सकती है।
जब मैं आठवीं कक्षा में था, तो मेरी अंग्रेजी काफी खराब थी। इसलिए मैं सही उत्तर नही लिख पाता था। एक दिन मेरे अंग्रेजी के अध्यापक ने मुझे बुलाया और उनके हाथ में मेरी साहित्य की एक कापी थी मुझे लगा कि आज मुझे फिर से डांट पड़ने वाली है या फिर उससे भी बुरा मेरे माता-पिता को बुलाया जायेगा। लेकिन भगवान का शुक्र था कि ऐसा कुछ भी नही हुआ, उन्होंने मुझसे विनम्रता से मेरी समस्या के बारे में पूछा पर मैं डर के मारे इस विषय में उन्हे कुछ बता नही पाया। जब मुझे लगा कि वह मुझे नही डाटेंगी तब मैने उन्हे अपनी समस्या के बारे में बताया उसके बाद उन्होंने मुझ पर काफी मेहनत की और आज यह उन्हीं के मेहनत तथा मेरे दृढ़ इच्छाशक्ति का नतीजा है, जिससे मेरी अंग्रेजी काफी सुधर गयी। इस पुरे घटना को आपको का बताने का मतलब यह है कि अगर वह मुझे डांटती या सजा देती, तो मुझे इस बात का पूरा भरोसा है परिस्थितियां विपरीत हो जाती।
मैं भी अपने छात्रों के साथ ऐसा ही करने का प्रयास करता हूँ, पर कई बार परिस्थितियां काफी पेचीदा हो जाती है। उदाहरण के लिए, एक बार मेरी एक छात्रा ने मुझसे पुछा “सर मैं आपको कैसी लगती हूँ” इस पर मैने हसते हुए कहा “तुम एक अच्छी लड़की हो।”
अंत में मैं यही कहूँगा की एक शिक्षक और छात्र का रिश्ता दुनिया भर के सबसे अच्छे रिश्तो में से एक है, क्योंकि यह कई रिश्तो का मिश्रण होता है।
सम्बंधित जानकारी:
शिक्षक दिवस पर निबंध
शिक्षक पर निबंध
FAQs: Frequently Asked Questions
उत्तर – हमें शिक्षकों का आदर इसलिए करना चाहिए क्योंकि वो हमें ज्ञान देते हैं।
उत्तर – शिक्षक वह व्यक्ति होता है जो सीखने की प्रक्रिया में छात्रों की सहायता करता है।
उत्तर – हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने कहा था कि ‘शिक्षण एक महान पेशा है’।
उत्तर – जो शिक्षक अपने स्वार्थ के लिए काम नहीं करते और छात्रों की मदद के लिए तैयार रहते हैं वे अच्छे शिक्षक होते हैं।
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मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi)
मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi) : शिक्षक हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बचपन से ही वे हमारे चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सबके जीवन मे कोई न कोई प्रिय शिक्षक (My Favourite Teacher Essay in Hindi) होता है। यहां "मेरे प्रिय शिक्षक"(My Favourite Teacher Essay in Hindi) पर कुछ निबंध दिए गए हैं जो छात्र-छात्राओं के लिए अपने प्रिय शिक्षक के बारे में लिखने के कौशल को बढ़ाने के साथ ही निबंध लिखने की क्षमता को भी बढाएंगे।
इस लेख में आपको मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi) संक्षिप्त यानी 100 शब्दों में मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (100 Word Essay On My Favourite Teacher in hindi) के साथ-साथ विस्तृत रूप में भी यानी 200 व 500 शब्दों में मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi) मिल जाएगा।
मेरे प्रिय शिक्षक पर 100 शब्दों का निबंध (100 Word Essay On My Favourite Teacher)
सरिता कौर मेरी प्रिय शिक्षक(My Favourite Teacher Essay in Hindi) हैं। वह छठी कक्षा को सामाजिक विज्ञान पढ़ाती हैं। वह बहुत ही पेशेवर और योग्य शिक्षिका हैं। वह हमेशा मेरी सभी शंकाओं के समाधान में मेरी मदद करती हैं, और यदि मैं कभी उनसे एक से अधिक बार कोई शंका पूछूं, तो भी वह कभी गुस्सा नहीं होती। वह बहुत स्नेहशील और मिलनसार हैं, और इसलिए मेरे कई सहपाठी भी उन्हें अपनी पसंदीदा शिक्षिका मानते हैं।
मैं वास्तव में उनकी कक्षा का आनंद लेता हूं, और वह हमारी कक्षा के प्रत्येक छात्र पर ध्यान देती है। वह बहुत ही संवादात्मक और रचनात्मक तरीके से पढ़ाती हैं। उसकी कक्षाएं बहुत दिलचस्प हैं, और वह उन्हें कभी उबाऊ नहीं बनाती, और इसलिए वह मेरी प्रिय शिक्षिका (My Favourite Teacher Essay) है।
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मेरे प्रिय शिक्षक पर 200 शब्दों का निबंध (200 Word Essay On My Favourite Teacher)
स्कूल हो या कॉलेज लाइफ में हर किसी का कोई न कोई प्रिय शिक्षक (My Favourite Teacher Essay in hindi) होता है। एक शिक्षक जिसकी कक्षाओं में भाग लेने के लिए छात्र उत्सुक रहते हैं। वे बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं और उस एक विशेष शिक्षक की कक्षा कभी नहीं छोड़ते। अनीता शर्मा मेरे लिए वह शिक्षिका हैं। वह मेरी प्रिय शिक्षिका (My Favourite Teacher) हैं। वह हमें इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र तथा नागरिक शास्त्र पढ़ाती हैं।
अन्य सेक्शन के मेरे अधिकांश सहपाठियों ने शिकायत की कि ये विषय कितने उबाऊ विषय थे। लेकिन वह अपने शिक्षण के अनूठे तरीके का उपयोग करके इन विषयों को आकर्षक बनाती हैं। वह थ्योरी पढ़ाने के लिए कहानियों और चित्रों का उपयोग करती है। उनकी कक्षाएं आनंददायक और आकर्षक होती हैं। वह अपनी कक्षा में पहली बेंच से लेकर आखिरी बेंच तक सब पर नज़र रखती है।
वह उन शिक्षकों में से एक हैं जो जब भी हम संदेह में फंसते हैं तो हमारा मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंनें एक सोशल मीडिया ग्रुप भी बनाया है ताकि हम उनसे संपर्क कर सकें खासकर जब हमें कोई संदेह हो। जब भी मुझे सामाजिक विज्ञान में कुछ भी समझ में नहीं आता है, तो मैं उनसे ग्रुप में पूछता हूं, और वह तुरंत जवाब देती है, मेरी शंकाओं को मिनटों में हल करती है। वह उन छात्रों के साथ हमेशा सौम्य और शांत रहती हैं जो मूलभूत सिद्धांतों को नहीं समझते हैं। वह विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके उसे समझाने की कोशिश करती है, लेकिन उनकी भाषा में कभी भी थोड़ी सी भी हताशा या गुस्सा नहीं होता है। वह शायद ही कभी किसी छात्र को डाँटती है, और उन्होंने कभी किसी को नहीं मारा। इन सब वजहों ने वह मेरी शिक्षक बन गई।
महत्वपूर्ण लेख :
- बिहार बोर्ड 10वीं टाईमटेबल देखें
- छत्तीसगढ़ बोर्ड 10वीं टाइम टेबल
- एमपी बोर्ड 10वीं टाईमटेबल देखें
- एमपी बोर्ड 12वीं टाईमटेबल देखें
मेरे प्रिय शिक्षक पर 500 शब्दों का निबंध (500 Word Essay On My Favourite Teacher)
मैं अपनी कक्षा में कभी भी पढ़ाई मे अच्छा छात्र नहीं था, मैं अन्य विषयों से प्यार करता था, लेकिन गणित हमेशा मेरा कमजोर विषय रहा। लेकिन यह सब नौवीं कक्षा में बदल गया जब अनिरुद्ध कुमार सर हमारे गणित के शिक्षक बन गए। अपनी पहली कक्षा में ही, उन्होंने धीरे और बहुत ही शांत तरीके से अपना परिचय दिया और प्रत्येक छात्र के पास जाकर उनकी हॉबी और पसंदीदा विषयों के बारे में पूछा। जब उन्होंने मुझसे पूछा, तो मैंने अचानक कहा, "मुझे गणित पसंद नहीं है और इतिहास मेरा पसंदीदा विषय है।"
इस बात से मेरी कक्षा पूरी तरह से स्तब्ध हो गई। मुझे डर था कि वह मेरे उत्तर पर गलत प्रतिक्रिया देंगे, लेकिन वह मुस्कुरायें और कहा, "हम इस साल के अंत तक इसे बदल देंगे।"
अब मैं 12वीं कक्षा में हूँ, और उन्होंनें वास्तव में मेरा पसंदीदा विषय बदल दिया। उनके ही कारण मुझे गणित पसंद है। वह मेरे प्रिय शिक्षक हैं और हमेशा रहेंगे। उन्होंने अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाया है, जैसा किसी अन्य शिक्षक ने नहीं किया है। इतना ही नहीं, बल्कि उन्होंने कभी भी किसी भी गलत काम को करने के लिए किसी को डांटा नहीं। इसके अलावा, वह हमेशा बहुत धैर्यवान और स्नेहशील रहे। मेरे सहित कक्षा के सबसे कमजोर छात्र भी धीरे-धीरे उसकी वजह से परीक्षा में सुधार कर रहे थे।
पढ़ाने का तरीका : उन्होंने हमें कठिन गणित के फॉर्मूले सीखने के लिए मज़ेदार और आकर्षक राइमिंग ट्रिक्स का इस्तेमाल किया। उनकी उपस्थिति में हमें कभी कोई परेशानी या भय महसूस नहीं हुआ; उन्होंने अकेले ही क्लास को एक खुशमिजाज और मजेदार जगह में बदल दिया। मेरे जीवन में ऐसे दिन आ गए थे जब मैं रविवार को सोमवार की प्रतीक्षा करता था, ताकि गणित की कक्षा ले सकूँ। जब भी मैं भ्रमित होता या किसी समस्या से परेशान होता - चाहे वे गणित का प्रश्न हो या अपने करियर को चुनने की समस्या, मैं हमेशा उनके पास जाता, और उन्होंने मेरी सभी समस्याओं को तुरंत हल कर दिया। यहां तक कि मेरे सहपाठी भी उनकी मदद लेते थे और प्यार से उन्हें काउंसलर सर कहते थे।
शिक्षक दिवस पर, उन्होंने सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार भी जीता। उन्हें वोट के माध्यम से चुना गया था। मुझे उस दिन एहसास हुआ कि अनिरुद्ध सर बहुत छात्रो के प्रिय शिक्षक(My Favourite Teacher) हैं। मुझे उनके लिए बहुत गर्व और खुशी महसूस हुई।
छात्रों के लिए प्रेरणा : वे कई सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल रहते है। वह शाम को गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे। वह कई एनजीओ से जुड़े हुए थे और सप्ताहांत में झुग्गी-झोपड़ियों में वंचित बच्चों को पढ़ाने जाते थे। मुझे याद है एक बार वह हमारी पूरी क्लास को स्लम एरिया में ले गए थे। मैं विस्मय से भर गया जब मैंने उन्हे वहाँ बच्चों को उसी जोश के साथ पढ़ाते हुए देखा जैसे वह हमें स्कूल में पढ़ाते थे। यही वह क्षण था जब वह मेरे प्रिय शिक्षक बन गए।
मेरे जीवन पर प्रभाव : मैंने अपनी कक्षा 9 में गणित में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए। उन्होंने मुझमें गणित पढ़ने के लिए रुचि उत्पन्न की। उन्होंने नीरस और उबाऊ विषय को ऐसी चीज में बदल दिया जो मुझे सिर्फ मनोरंजन के लिए करना पसंद है। मैंने अपनी कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में भी पूर्ण अंक प्राप्त किए। मैंने उनसे फोन पर बात की और उन्हें धन्यवाद दिया। इतने जुनून के साथ पढ़ाने के लिए मेरे भीतर का छात्र हमेशा उनका आभारी रहेगा। मैं आज जो कुछ भी हूं, उसे बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।
कॉलेज के दिनों में विभाग की विभागाध्यक्ष दविंदर कौर उप्पल मैम मेरी प्रिय शिक्षक रहीं। मैम से मेरी पहली बातचीत विश्वविद्यालय में एडमिशन से पहले इंटरव्यू के दौरान हुई। उस इंटरव्यू में लगभग 20 मिनट तक पैनल के लोगों के साथ उन्होंने मुझसे बात की थी। सबसे पहले सहज किया था कि यह कोई इंटरव्यू नहीं है यह एक बातचीत है। एक बार मुझे फीस जमा करने में देरी हो गई। उन्होंने बुला कर मुझसे वजह पूछा और वजह जानने के बाद फीस में छूट दिलाई और बाद में स्कॉलरशिप का फॉर्म भरवा कर छात्रवृत्ति भी दिलवाया। ग्रामीण पृष्ठभूमि के स्टूडेंट्स का हमेशा समर्थन किया। छात्राओं को हमेशा आगे बढ़ाने की कोशिश करतीं। खुद क्लास में आने से पहले पूरे नोट्स बनाकर आती थी और पॉइंट वाइज पढ़ाती थी और स्टूडेंट्स अच्छे से समझ पाते थे। वह एक अनुशासन प्रिय महिला थी और सख्त प्रशासक भी।
इन्हें भी देखें
- सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर
- यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट
- यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड
- आरबीएसई 10वीं का सिलेबस
विद्यार्थियों से कक्षा में मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध लिखने काे कहा जाता है। आप अपने शिक्षक की विशेषता बता सकते हैं। उनके बारे में बता कर निबंध की शुरुआत कर सकते हैं। यहां एक नमूना निबंध दिया गया है जिससे आपको निबंध लिखने में मदद मिलेगी।
मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध का नमूना
सारण जिले के जनता बाजार के शिक्षक कामेश्वर राय करीब चार दशक तक कोचिंग और स्कूल के माध्यम से छात्र-छात्राओं से जुड़े रहे। आसपास के करीब 12 पंचायत के बच्चे उनके यहां पढ़ने आते।
उनकी खासियत थी समय पर सिलेबस पूरा करते थे। कई बार रिवीजन करा देते थे। उन्हीं चीजों को पढ़ाते थे जो परीक्षा में आना हो। जो जानना जरूरी हो। वे इधर-उधर की बातों में विद्यार्थियों का समय जाया नहीं करते थे। समय के पाबंद रहे। यदि क्लास सुबह 5:00 बजे से शुरू होनी हो तो ठीक 5:00 बजे शुरू हो जाती थी। उसके पहले वे नहाकर पूजाकर तैयार रहते। चाय पान के हमेशा शौकीन रहे।
मुझे याद है 1998 में बिहार बोर्ड की परीक्षा में जिस बैच में हम लोग थे, उसके 1 साल पहले बहुत कड़ाई से परीक्षा हुई थी और बहुत कम बच्चे पास हुए थे। जाहिर है कि उसके अगले साल वाले बच्चों ने अधिक मेहनत की। हम लोग भी उसी में शामिल थे। उनके कोचिंग में उस साल पहली बार 13 बच्चों का फर्स्ट डिवीजन रिजल्ट आया था और मास्टर साहब ने तय किया था कि रिजल्ट अच्छा रहा तो बाबा धाम जाएंगे। सचमुच रिजल्ट अच्छा रहा और वह उस साल से बाबा धाम जाने लगे।
वे अपने संस्थान में सरस्वती पूजा बड़े धूमधाम से करते थे। बड़ा पंडाल, बड़ी सी मूर्ति सजती और सभी बच्चे खूब उत्साह से भाग लेते थे। चार या पांच दिवसीय आयोजन में रंगारंग कार्यक्रम होता था और जिस दौर में भारी भीड़ जुटती थी, उस दौर में लोगों को पूजा का इंतजार रहता था। हजारों लोग देर रात तक दूर-दूर के गांव से आकर रंगारंग कार्यक्रम देखते थे।
90 के दशक में वे मैदान पर उतने ही एक्टिव थे, जितना पढ़ाने में। हर दिन शाम को बच्चों के साथ फुटबॉल मैच खेलने जाते। कभी वॉलीबॉल में भी वे उतनी ही शिद्दत से हिस्सा लेते तो कभी क्रिकेट में भी।
तब के दौर में हर साल ठंड के दिनों में भव्य फुटबॉल मैच का आयोजन हुआ करता था। उसमें अलग-अलग गांव, शहर की टीमें हिस्सा लेती थी। जनता बाजार हाई स्कूल मैदान में होने वाले फुटबॉल मैच में 10,000 से अधिक लोगों की भीड़ जुटती थी। भुजा का, मूंगफली का ठेला लगा रहता, पापड़ वाले घूम घूम के दर्शकों में पापड़ बेचा करते थे। उसमें खिलाड़ियों जैसी फिटनेस वाले मास्टर साहब बिजली की फुर्ती से खिलाड़ियों से अधिक तेज मैदान में रेफरी की भूमिका में दौड़ लगाते थे। और उनका साथ देते थे जापानी मास्टर।
वह अपने कैरियर के उत्तरार्ध में सरकारी स्कूल में शिक्षक बने। प्रधानाचार्य पद से रिटायर हुए। सामाजिक कार्यों में भी उनकी एक अलग प्रतिष्ठा रही। हर आयोजन में शरीक होते। थाना से लेकर नेताओं तक में उनकी अच्छी पैठ हमेशा रही। लोकसभा चुनाव में शुरुआती दौर में वे अपने प्रत्याशियों के समर्थन में खूब एक्टिव रहते। बाद में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जिस भी प्रत्याशी से उनका नजदीकी रिश्ता रहा वे उससे बहुत करीबी रूप से जुड़े रहे।
बच्चों की मदद करने में भी मास्टर साहब आगे रहते थे। मुझे आज याद आ रहा है कि मैं बाइक चलाना सीखना चाहता था। बाइक मेरे पास नहीं थी। उनके पास एक राजदूत था। उनसे बस यही कहा था कि सर बाइक सीखना चाहता हूं। वे तुरंत तैयार हुए। बोले- चलो सिखाते हैं और वह खुद ले कर चल दिए। मैं उन्हीं के बाइक पर बाइक चलाना सीखा।
मैंने कभी भी उनको बच्चों से ट्यूशन फी के लिए तगादा करते हुए नहीं देखा। जो जितना दे दे, रख लेते थे। क्षेत्र के हजारों विद्यार्थियों को उन्होंने काबिल बनाया। आजीवन जनता बाजार के एक कुटिया में उन्होंने जीवन गुजार दिया।
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- Essays in Hindi /
My Favourite Teacher Essay : अपने ‘पसंदीदा शिक्षक’ पर स्टूडेंट्स ऐसे लिखें निबंध
- Updated on
- सितम्बर 4, 2024
शिक्षक हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि एक आदर्श शिक्षक छात्रों के विकास के लिए जिम्मेदार होता है। शिक्षक न केवल विषयों के बारे में बल्कि जीवन के लिए भी बुनियादी ज्ञान की एक मजबूत नींव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक शिक्षक का मुख्य उद्देश्य होता है, छात्रों को सशक्त बनाना और उन्हें बेहतर नागरिक बनाने के लिए प्रेरित करना। शिक्षक केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक सेवा है, जिसमें वे दूसरों के भविष्य का निर्माण करते हैं। उनका ज्ञान, धैर्य और समर्पण ही छात्रों के जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। इसके अलावा स्कूल या कॉलेज में हम सभी का कोई न कोई एक फेवरेट टीचर तो जरूर होता है। अगर आप अपने स्कूल या कॉलेज में अपने पसंदीदा शिक्षक पर निबंध तैयार कर रहे हैं तो ये लेख आपके लिए है। यहाँ आपको My Favourite Teacher Essay in Hindi 100, 200 और 500 शब्दों में दिया गया है।
This Blog Includes:
मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 100 शब्दों में, मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 200 शब्दों में, वह मेरी पसंदीदा शिक्षक क्यों हैं, परीक्षा से पहले देती थीं एक्स्ट्रा क्लास, स्टूडेंट को करती थीं मोटिवेट , निबंध कैसे तैयार करें .
100 शब्दों में My Favourite Teacher Essay in Hindi इस प्रकार हैः
स्कूल हो या कॉलेज टीचर हमें हमेशा ही सीखते हैं और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। उनके इसी मार्गदर्शन से आज हम अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ते हैं। मेरी एक पसंदीदा टीचर हैं। वह कक्षा 10 में हमें कला विषय के साथ अन्य विषय भी पढ़ाती थी। वह हमेशा मेरी हर परेशानी को दूर करने में मेरी मदद करती थी और अगर मुझे कोई भी चीज समझ नहीं आती तो वो मुझे बार बार बताने में कभी क्रोधित नहीं होती। वह बहुत मिलनसार शिक्षिका हैं और मेरे लिए वो एक आदर्श भी हैं। उनका पढ़ने का तरीका अन्य शिक्षकों से बेहद अलग है और वह क्लास में सभी पर पूरा ध्यान देती हैं। वह बहुत ही इंटरैक्टिव और रचनात्मक तरीके से पढ़ाती हैं। वह पढ़ाई को इतना आसान बना देती हैं कि उनकी क्लास में हम सभी को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है, इसलिए वह मेरी पसंदीदा शिक्षक है।
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200 शब्दों में My Favourite Teacher Essay in Hindi इस प्रकार हैः
हम सभी के जीवन में एक पसंदीदा शिक्षक रहा होगा और आज भी हम उनके सम्पर्क में या उनकी सिखाई बातों पर अमल जरूर करते हैं। स्कूल हो या कॉलेज जीवन में हर किसी व्यक्ति का एक पसंदीदा टीचर जरूर होता है। एक टीचर जिसकी क्लास में स्टूडेंट्स उत्सुकता से पढ़ते हैं। वे उनकी क्लास का बहुत बेसब्री से इंतेजार करते हैं और उस पसंदीदा टीचर की क्लास को पढ़ने से कभी नहीं छोड़ते हैं। हर शिक्षक एक जैसा नहीं होता, हम स्कूल में जो सीखते हैं वही वास्तव में जीवन भर हमारी मदद करता है।
मेरी पसंदीदा शिक्षिका राज किशोरी बहुत समझदारी के साथ स्टूडेंट्स को पढ़ती थी, इसके अतिरिक्त वे सीखने की गतिविधियों को भी बढ़ावा देती हैं। उनके पढ़ाने का तरीका कई छात्रों के बीच उन्हें पसंदीदा बनाता हैं। वह न सिर्फ मेरी टीचर हैं बल्कि मैं उन्हें अपना आदर्श भी मानती हूँ। वे न केवल एक टीचर हैं बल्कि एक ऐसी महिला भी हैं जिससे आप अपनी इच्छानुसार किसी भी विषय या परेशानी पर बात कर सकते हैं। वे बहुत विनम्र और नम्रता के साथ अपने काम को करती हैं। इसी लिए वो मेरी फेवरेट टीचर हैं।
वे सदैव अपने सभी स्टूडेंट्स को कड़ी मेहनत करने और अच्छे मार्क्स लाने के लिए प्रेरित करती है। जब मुझे किसी भी विषय को लेकर कोई संदेह होता है तो वह उस सब्जेक्ट को अच्छी तरह समझने में मेरी मदद करती है। वह मैथ के सब्जेक्ट को प्रैक्टिकल करके अधिक रोचक और आकर्षक बनाती है। वे हमेशा मुझे सही रास्ते पर चलने के लिए मार्गदर्शन देती हैं। वह हमें सच बोलना, सभी का सम्मान करना और जीवन में एक अच्छे मुकाम को हासिल करने के लिए प्रेरित करती हैं। इस My Favourite Teacher Essay in Hindi के अनुसार हम सबको यह सीखना चाहिए कि हमारे टीचर हम सबके लिए कितने महत्वपूर्ण है।
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मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 500 शब्दों में
500 शब्दों में My Favourite Teacher Essay in Hindi इस प्रकार हैः
एक ऐसा शिक्षक होना जिसके साथ आप विशेष रूप से सहज हों, एक बहुत बड़ा लाभ हो सकता है क्योंकि यह आपको अपने स्कूल के वर्षों को आसान तरीके से पूरा करने में मदद कर सकता है। एक अच्छा शिक्षक एक मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य कर सकता है, जो आपको केवल पढ़ाई के अलावा भी आपके पूरे जीवन में मार्गदर्शन दे सकता है। मेरी भी एक फेवरेट टीचर रही हैं जिनका नाम राज किशोरी है। उन्होंने हमारी पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी। जब हमें कोई परेशानी हुई तो उन्होंने परीक्षा से पहले हमें अच्छे से गाइड किया ताकि हम अच्छे अंकों के साथ पास हो कर आगे बढ़ सकें।
जैसे ही हमारे एग्जाम खत्म होते थे वे हम सभी को बहार घूमने ले जाती थी, स्कूल टूर पर ये सभी स्टूडेंट्स को बहुत प्यार से और बहुत सारे गेम खिलवती थी। उनका कहना था की पढ़ाई के साथ शारीरिक एक्टिविटी का होना भी जरुरी है। वे स्कूल के समय भी एक क्लास में हम सभी स्टूडेंट्स को कुछ न कुछ एक्टिविटी सिखाती थी। वे खुद को भी मोटिवेट करती थी और स्टूडेंट को भी हर चीज के लिए प्रेरित करती रहती थी। इसलिए वह मेरे पसंदीदा टीचर थी।
हमारी टीचर ने हमें एक निश्चित समय के बाद भी पढ़ाने से कभी इन्कार नहीं किया। हमारे एग्जाम से पहले हमेशा वे हम सभी स्टूडेंट्स को एक्स्ट्रा क्लास देती थी, किसी स्टूडेंट्स को अगर किसी भी सब्जेक्ट में कोई परेशानी होती थी, तो वे उसको उस एक्स्ट्रा क्लास में सॉल्व करती थी। उनका प्रॉब्लम सॉल्व करने का तरीका इतना अच्छा होता था की हम सब को लगता था की जिस चीज में हम इतना परेशान थे, वो इतनी छोटी सी चीज थी। वे प्रैक्टिकली चीजों को बताती थी।
मेरी टीचर की एक बहुत अच्छी बात यह थी की जब कोई स्टूडेंट्स निराश होता था या वो डर के कारण उनसे कोई बात को नहीं पूछ पता था, तो वे उसके आत्मविश्वास को बढ़ाती थी और उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती थी। वे हमेशा कहती थी की किसी चीज से डर कर मत भागों हर चीज का सामना करो कोई चीज आपके आत्मविश्वास से बड़ी नहीं हो सकती है। अगर अपने किसी चीज को करने का लक्ष्य तय किया है तो उस लक्ष्य को मेहनत कर के प्राप्त करो। अगर सफलता एक बार नहीं मिली तो ऐसा नहीं है की कभी नहीं मिलेगी।
आपका फोकस होना चाहिए पूरी तरह से की आपको ये चीजे हासिल करनी है, चाहे मुझे दिन -रात एक करनी पड़ें। पूरी लगन से मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। उनके इन्हीं विचारों से हम सब स्टूडेंट्स का मनोबल बढ़ता है और हम और मेहनत करते हैं। शिक्षक हमेशा आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला होना चाहिए, बहुत से टीचर जरा सी गलती पर स्टूडेंट्स को बहुत ज्यादा डिमोटिवेट कर देते हैं, जिससे स्टूडेंट्स को आगे पढ़ने या स्कूल जाने का मन नहीं करता है और वे स्कूल जाने से कतराते हैं।
मैं उनकी स्टूडेंट होने के लिए भाग्यशाली हूं। मैं हमेशा याद रखूंगी कि उन्होंने मुझे क्या सिखाया है और मैं भविष्य में उनके जैसा महान व्यक्ति बनने की कोशिश करुँगी। हम सबको हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और आज हम जो कुछ भी हैं उसके लिए उन्हें धन्यवाद भी देना चाहिए। उनकी सिखाई हुई हर चीज को बहुत ही गंभीरता से लेकर आगे जीवन में बढ़ना चाहिए।
यह भी पढ़ें : गुरु की महिमा का बखान करते शिक्षक दिवस पर आधारित अनमोल विचार
अपने प्रिय शिक्षक पर निबंध कैसे लिखें, इसके बारे में नीचे बताया गया है-
- निबंध लिखने के लिए सबसे पहले स्ट्रक्चर बनाएं।
- स्ट्रक्चर के अनुसार सभी जानकारी इक्कठा कर लें।
- इसके बाद निबंध की शुरुआत शिक्षकों के महत्व को बताते हुए करें।
- अपने प्रिय शिक्षक का परिचय दें। उनका नाम, विषय, और किस कक्षा में आपको उन्होंने पढ़ाया, यह जानकारी शामिल करें।
- अपने प्रिय शिक्षक की कुछ खास विशेषताओं का उल्लेख करें।
- आपके शिक्षक ने आपको कैसे प्रेरित किया, इसका वर्णन करें।
- निबंध के अंत में अपने शिक्षक के प्रति आभार व्यक्त करें।
संबंधित ब्लाॅग्स
शिक्षक मुझे बहुत प्यार करते हैं क्योंकि मैं उनका बहुत अनुशासित और आदर्श छात्र हूँ।
मुझे यह पता लगाने में मदद करने के लिए धन्यवाद कि मैं किसमें अच्छा हूं और यह हमेशा मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
एक अच्छा शिक्षक आशा को प्रेरित कर सकता है, कल्पना को प्रज्वलित कर सकता है, और सीखने के प्रति प्रेम पैदा कर सकता है।
उम्मीद है कि आपको My Favourite Teacher Essay in Hindi के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। निबंध लेखन के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
सीखने का नया ठिकाना स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म Leverage Eud. जया त्रिपाठी, Leverage Eud हिंदी में एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। 2016 से मैंने अपनी पत्रकारिता का सफर अमर उजाला डॉट कॉम के साथ शुरू किया। प्रिंट और डिजिटल पत्रकारिता में 6 -7 सालों का अनुभव है। एजुकेशन, एस्ट्रोलॉजी और अन्य विषयों पर लेखन में रुचि है। अपनी पत्रकारिता के अनुभव के साथ, मैं टॉपर इंटरव्यू पर काम करती जा रही हूँ। खबरों के अलावा फैमली के साथ क्वालिटी टाइम बिताना और घूमना काफी पसंद है।
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प्रत्येक छात्रों के जीवन में उनका एक पसंदीदा शिक्षक होता है या रहा होगा और आज भी हम उनके संपर्क मैं रहते होंगे एवं उनके द्वारा दिए गए शिक्षा अर्थात ज्ञान का उपयोग अपने इस वर्तमान समय में करते हैं |
प्रस्तावना:
छात्र स्कूल के हो या कॉलेज के उनके जीवन में अपना एक पसंदीदा शिक्षक होता है जिस शिक्षक के क्लास को छात्र बड़े रुचि के साथ पढ़ते हैं उनके क्लास के पढ़ाई को पढ़ने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं और साथ ही साथ उनके द्वारा जो क्लास लिए जाते हैं उसे क्लास का पढ़ाई को छोड़ना नहीं चाहते हैं स्कूल एवं कॉलेज में हमारे पसंदीदा शिक्षक जो हमें सिखाते हैं वह हमारे वास्तविक जीवन में काफी मदद करता है
मेरा फेवरेट टीचर | My Favourite Teacher
जब मैं कक्षा 4और 5 में था, उस समय मेरे प्रिय अध्यापक मेरे स्कूल के गिरधारी सिंह मेरा पसंदीदा शिक्षक थे | इनका पढ़ने का और समझने का तरीका ही बिल्कुल अलग था मेरे शिक्षक किसी छात्र को नर्मता और सरल तरीका पढ़ाते थे छात्र बड़ी आसानी पूर्वक समझ पाए थे मेरे शिक्षक गणित के काफी अच्छे शिक्षक थे वह गणित जैसे विषयों को प्रैक्टिकल के द्वारा बड़ी आसानी पूर्वक समझते थे जिससे पढ़ाई के क्षेत्र में मध्य वर्ग के छात्र भी बड़ी आसानी पूर्वक समझ जाते थे वह छात्रों को हमेशा अच्छी-अच्छी बातों का ज्ञान देते थे | वह अपने छात्रों को हमेशा अच्छे मार्क्स लाने के लिए प्रेरित करते थे |
जब कोई विषय पढ़ने या समझने में परेशानी होती थी तब तब मेरे शिक्षा उस विषय को समझने मैं हम लोगों का सहायता करते थे वह पढ़ाई के साथ-साथ हम लोगों को सही रास्ता में चलने के लिए अच्छी-अच्छी ज्ञान देते थे, जो अभी वर्तमान समय में हम लोगों इस ज्ञान का काम आता है एवं जो आर्थिक रूप से कमजोर छात्र होते थे उनको भी आर्थिक रूप से सहायता प्रदान मेरे शिक्षक करते थे |
मेरे शिक्षक प्रत्येक सप्ताह जिस विषय पर पढाते थे उसे विषय से संबंधित टेस्ट सप्ताह के अंतिम दिन में लेते थे | और जो विद्यार्थी सबसे अच्छा मार्क्स लता था | उसे प्राइस के तौर पर चॉकलेट वितरण करते थे | मेरे शिक्षक पढ़ाई के दौरान कभी-कभी हम लोगों को छात्रों को हंसाने के लिए छोटे-छोटे चुटकुले बोलते थे | ताकि छात्रों को काफी खुशी महसूस होता था | यह सब के कारण वह हमारे पसंदीदा शिक्षक थे |
इस आर्टिकल के ऊपर दिए गए बातों को पढ़कर यह पता चलता है कि हम लोगों को हमेशा अपने शिक्षक का सम्मान करना चाहिए एवं उनके द्वारा दिए गए ज्ञान को वर्तमान समय में उपयोग करना चाहिए और आज हम लोग जो कुछ भी है उनके कारण ही है इसलिए हम लोगों को अपने शिक्षक को धन्यवाद देना चाहिए |
मेरे प्रिय अध्यापक निबंध (500 शब्द) | Essay On My Favorite Teacher in Hindi
Mera Priya Adhyapak Nibandh in Hindi :- मैं अपने स्कूल में जिस कक्ष में पढ़ता था उस कक्षा का मैं बहुत कमजोर विद्यार्थी था मेरा इंग्लिश बहुत कमजोर था जिसके कारण मुझे इंग्लिश के कक्षा में बहुत डर लगता था क्योंकि मैं इंग्लिश के विषय में शिक्षा के द्वारा कई बार मार भी खाया हूं लेकिन लेकिन हमारे स्कूल में एक नए शिक्षक इंग्लिश के आए थे जिनका नाम संतोष सिंह था अपना परिचय बड़ी नर्मता के साथ कक्षा में दिए उनका पढ़ने का अंदाज बिल्कुल ही अलग था वह स्कूल के प्रत्येक छात्रों को एक समान देखते थे चाहे छात्र पढ़ाई में कमजोर हो चाहे तेज हो वह खास करके कमजोर छात्रों पर ज्यादा ध्यान देते थे एवं उनको पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे| परीक्षा आने से पहले हम लोगों को अच्छी तरह से गाइड करते थे ताकि हम परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ पास करें
परीक्षा से पहले एक्स्ट्रा क्लास देते थे |
मेरे पसंदीदा शिक्षक जब हम लोगों का परीक्षा नजदीक आता था तो हमारे शिक्षक हम लोग के लिए एक्स्ट्रा क्लासेस की सुविधा प्रदान करते थे अगर किसी विद्यार्थी को किसी विषय संबंधित कोई समस्या है तो वह उसे एक्स्ट्रा क्लासेस में अपने विषय संबंधी समस्याओं का सुझाव लेते थे उनका पढ़ने का एवं समझने का तरीका इतना अच्छा था कि विद्यार्थी उनके क्लास को मिस नहीं करते थे |
पढाई के साथ स्टूडेंट्स के मनोरंजन का भी ख्याल रखती थी |
जैसे ही हम लोग का परीक्षा खत्म होता था हम लोगों के लिए मनोरंजन के लिए कई सारी व्यवस्था हमारे शिक्षक करते थे इस मनोरंजन में हमारे शिक्षक कई प्रकार के गेम का खेलने का व्यवस्था करते थे उनके अनुसार बच्चों को पढ़ के साथ-साथ खेलकूद भी करना जरूरी होता है कभी-कभी तो स्कूल के क्लास में ही मनोरंजन संबंधित एक्टिविटी हमारे शिक्षक करते थे इसलिए वह हमारे पसंदीदा शिक्षक थे
स्टूडेंट को मोटिवेट | Student Ko Motivate
जब कोई विद्यार्थी निराश होता था या डर के कारण उनसे कोई बात नहीं पूछ सकता था तो हमारे शिक्षक हम लोगों का आत्मविश्वास को बढ़ाते थे और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा देते थे वह हमेशा एक बात को कहते थे किसी भी समस्या से डर कर मत भागो उसे समस्याओं का सामना करो क्योंकि कोई भी समस्या आपके आत्मविश्वास से बड़ी नहीं होती है अगर आप लोगों ने किसी कार्य करने के लिए एक लक्ष्य लिया है तो उस लक्ष्य को अपने मेहनत के द्वारा पूरा करो अगर आपको किसी कार्य में सफलता एक बार में नहीं मिलती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप सफल नहीं हो पाएंगे आपको प्रयास करती रहनी चाहिए
सिर्फ आप लोगों को अपने लक्ष्य को पूरा करने में ध्यान देना चाहिए चाहे उसके लिए जितनी भी मेहनत क्यों न करने पड़े क्योंकि ईमानदारी से मेहनत करने वाले लोगों को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता है इन सभी विचारों को सुनकर हम लोग विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ता है और हम लोग और ज्यादा मेहनत करने लगते हैं शिक्षकों को हमेशा विद्यार्थियों का मनोबल को बढाते रहना चाहिए क्योंकि अधिकतर शिक्षक ऐसे होते हैं कि छोटे-छोटे गलतियों पर विद्यार्थियों को डिमोटिवेट कर देते हैं जिसके कारण कई विद्यार्थियों को स्कूल नहीं जाने और पढ़ाई न करने का मन करता है |
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मेरे प्रिय अध्यापक निबंध (750 शब्द) | Essay On My Favourite Teacher in Hindi
शिक्षकों का अहमियत हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण है शिक्षकों को भगवान के रूप में देखा जाता है शिक्षक मोमबत्ती की तरह हमारे जीवन में रोशनी लाते है रोशनी का अर्थ हुआ शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को सही रास्ते पर चलने का राह दिखाए हैं शिक्षक अच्छे बुरे एवं अपने से बड़ों का सम्मान एवं अपने से छोटों का इज्जत करने का ज्ञान हमें प्रदान किए हैं
अगर शिक्षक ना होते तो स्कूल भी नहीं होती और अगर स्कूल नहीं होती तो सभ्य समाज का निर्माण भी नहीं होता| विद्यार्थी अपने शिक्षक के बिना अधूरे होते शिक्षक केवल पढ़ाई संबंधित ज्ञान ही नहीं देते हैं बल्कि हमारे जीवन में अच्छे बुरे की पहचान करने की ज्ञान भी देते हैं साथ ही साथ हम लोगों को एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरणा भी शिक्षक के द्वारा मिलता है
स्कूलों एवं कॉलेज में कुछ ऐसे शिक्षक होते हैं जो काफी अच्छे पढ़ाते हैं और उनके अच्छे पढाने के कारण कारण विद्यार्थी उनके साथ घुल मिल जाते हैं और इस प्रकार व शिक्षक हम लोगों का प्रिय शिक्षक बन जाते हैं
विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूरा करने में शिक्षक के बिना असमर्थ है शिक्षकों के द्वारा पढ़ना एवं उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलने की वजह से सफलता प्राप्त होती है हम लोगों के जीवन में शिक्षक का एक महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए शिक्षकों को भगवान से ऊपर भी माना जाता है |
मेरा पसंदीदा शिक्षक अशोक प्रसाद थे इन्होंने मुझे कक्षा-8 से लेकर दसवीं तक इतिहास पढाते थे सबसे पहले कक्षा में उस विषय को छात्रों को पढ़ने के लिए बोलते थे फिर उसे विषय को छोटे-छोटे भागों में अच्छी तरह से समझाते थे इनका समझने का तरीका बिल्कुल सरल भाषा था जिसको समझने में आसानी होती थी |
उसके बाद अगर उसे विषय का अर्थात जिस विषय का पढ़ाई हो चुका है उस विषय से संबंधित प्रश्न विद्यार्थियों को करते थे जिससे विद्यार्थियों को उस विषय को याद रखने में काफी सहायता होती थी
वर्तमान समय में ऐसे शिक्षक मिलना है काफी मुश्किल की बात है जब उनका क्लास रहता था तो सभी विद्यार्थी उनके क्लास में मौजूद होते थे
वक्त के साथ परीक्षा लेना
मेरे पसंदीदा शिक्षक अशोक प्रसाद जिस पाठ को पढ़ा देते थे उसे पाठ से संबंधित परीक्षा सप्ताह के अंतिम दिन में लेते थे परीक्षा लेने का मुख्य उद्देश्य यह होता था कि विद्यार्थी कितना तक इस पाठ को समझ सके हैं। और जिनका नंबर इस परीक्षा में काम आता था उन पर शिक्षक ज्यादा ध्यान देते थे ताकि अगली बार वह अच्छी तरह से समझ सके |
सबके साथ समान व्यवहार | Equal Treatment
मेरे पसंदीदा शिक्षक कभी भी किसी के साथ भेदभाव नहीं करते थे | वह सभी को एक समान देखते थे | अगर कोई भी विद्यार्थी पढ़ने में कमजोर है और कोई विद्यार्थी पढ़ने में तेज है दोनों के साथ समान व्यवहार करते थे। वह सभी विद्यार्थियों को अच्छे से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करते थे।
वह अपने कक्ष में सभी विद्यार्थियों का काफी ध्यान रखती थी वह रोटेशन के अनुसार प्रत्येक विद्यार्थियों को आगे बैठने का मौका देते थे।
नोट्स वितरण
एक अच्छे शिक्षक का पहचान यह होता है कि प्रत्येक अध्याय का नोट्स वितरण विद्यार्थियों में करना होता है। हम लोग किताब भी पढ़ सकते हैं लेकिन किताबों में लिखी गई भाषा को हमारे शिक्षक नोटिस के माध्यम से उसे सरल बनाकर लिखते हैं जिसको समझने में और पढ़ने में काफी आसानी होती है |
परीक्षा के लिए तैयारी
मेरे शिक्षक परीक्षा से कई दिन पहले परीक्षा की तैयारी करते थे इसके लिए उन्होंने कई वर्ष के पुराने प्रश्न पेपर को सुलझाने के लिए देते थे इससे हम लोग का आत्मविश्वास बढ़ता था और परीक्षा के समय कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता था और जो विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे नंबर चलाते थे उनको पुरस्कार भी देते थे।
अतिरिक्त कक्षाओं का आयोजन
जब कभी हम लोगों को इस विषय के बारे में समझ में नहीं आता था हम लोग का शिक्षक एक्स्ट्रा क्लास का प्रबंध करते थे वह इतना अच्छा पढाते थे और समझाते थे कि कक्षा में हम लोग को अच्छी तरह से समझ में आ जाता था।
जीवन के अनुभव
हम लोगों के शिक्षक अपने जीवन से संबंधित अनुभव के बारे में बताते थे । कि हम लोग अपने जीवन में यही फैसला कर सके और सही मार्ग पर चल सके हमारा जिंदगी में जितनी भी कठिन से कठिन समस्या आए उसका सामना कर सके ।
अतः हम लोग कह सकते हैं कि शिक्षक हम लोगों को अच्छे बुरे की पहचान करना सीखाते हैं साथ ही साथ संसार में चलने के लिए एक योग्य इंसान एवं सम्मानित नागरिक बनाने के कार्य शिक्षक करते हैं। हम लोगों को अपने शिक्षक का हमेशा सम्मान करना चाहिए मैं अपने आप को काफी भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे एक अच्छा शिक्षक मिला।
मेरा प्रिय अध्यापक पर निबंध | Download Mera Priya Adhyapak Essay in PDF Download
मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध कैसे लिखें इसकी जानकारी मैं आप लोगों को पीडीएफ फाइल के रूप में करवा रहे हैं इसको आप लोग डाउनलोड करके अपने मोबाइल में आसानी प्रयोग देख सकेंगे।
Download PDF:
मेरी प्रिय अध्यापिका पर निबंध | My Favorite Teacher Essay in Hindi 5 lines
मेरी प्रिय अध्यापिका पर निबंध 5 lines निम्न है:-
- मेरी प्रिय अध्यापिका समय मिलने पर गेम खेलने का व्यवस्था करती थी | हैं और जीवन में सफल होने के लिए महत्वपूर्ण बातों को बोलती थी।
- मैं भी अपने अध्यापिका की तरह एक अच्छा इंसान बनना चाहता हूं।
- जब कभी भी मैं कोई समस्या में फस जाता था तो मैं अपने अध्यापिका से कुछ समस्या का सलाह लेता था और वह हमें हमेशा अच्छी सलाह देती थी।
- मैं हमेशा अपने अध्यापिका का सम्मान करता हूं हम सभी को शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए कभी भी उनका अपमान नहीं करना चाहिए।
- मेरे शिक्षक बहुत ही सरल भाषा में पढ़ाती है ताकि सभी छात्रों को आसानी पूर्वक समझ सके।
मेरा प्रिय शिक्षक निबंध हिंदी में 100 words | My Favourite Teacher Paragraph in Hindi
स्कूल हो या कॉलेज शिक्षक हमेशा हमें शिक्षा के साथ-साथ अच्छी-अच्छी ज्ञान देते हैं जो सामाजिक तौर पर हमारा काम आता है शिक्षक हमेशा अपने विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देते हैं
मेरे प्रिय शिक्षक क्लास 8 के मोहित शर्मा सर जी थे जो हिंदी विषय के साथ-साथ सभी विषयों को पढाते थे। मैं इंग्लिश विषय में काफी कमजोर था लेकिन मेरे प्रिय शिक्षक मोहित शर्मा जी जब आए तो मेरे इंग्लिश विषय को समझने में सुधार किया उनके पढाने की कला इतनी अच्छी थी कि छात्र-छात्राओं को बड़ी आसानी पूर्वक समझ में आ जाती थी। वह हमेशा सभी विद्यार्थियों को एक समान देखते थे सभी के साथ अच्छा व्यवहार करते थे वह हम लोगों का स्कूली शिक्षा के साथ-साथ हमारे आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को आर्थिक रूप से मदद भी करते थे
मेरी प्रिय अध्यापक पर निबंध 10 Lines | Mera Priya Adhyapik Par Nibandh 10 Lines
- मेरे प्रिय अध्यापक का नाम श्री राजन गुप्ता है।
- मेरे प्रिय अध्यापक मेरी कक्षा में भूगोल के शिक्षक हैं जिनका समझाने का तरीका सबसे अलग और आसान है।
- मेरे प्रिय शिक्षक स्कूल के सभी छात्रों को एक समान मानते थे किसी भी एक छात्र पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं
- मेरे प्रिय शिक्षक एक शिक्षक के साथ ही साथ एक अच्छे इंसान भी हैं वह गरीब वर्ग के छात्रों की बहुत मदद करते हैं।
- मेरे प्रिय शिक्षक का मेरे स्कूल से कुछ दूर में ही उनका घर था।
- मेरे स्कूल के सभी छात्र/छात्राएं अपने शिक्षक का बहुत सम्मान करते हैं। और उनके कक्षा में आने से सभी शांत बैठ जाते हैं।
- अगर कोई छात्र के द्वारा गलती करने पर हमारे प्रिय शिक्षक उनको ज्यादा दण्ड नहीं देते हैं बल्कि हम लोगों को प्यार से समझा देते हैं।
- हम जो भी प्रश्न का उत्तर अपने शिक्षक से पूछते थे तो शिक्षक उसका उत्तर बहुत ही शांत स्वभाव के साथ सरल भाषा में देते हैं।
- मेरे प्रिय अध्यापक हमें बहुत मेहनत और लगन से पढ़ाते हैं वह छुट्टी बहुत कम लेते है।
- मुझे अपने शिक्षक का विद्यार्थी होने पर बहुत गर्व है।
हमारे इस आर्टिकल में मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध कैसे लिखें इसकी जानकारी विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की गई है
मैं आशा करता हूं कि मेरे प्रिय अध्यापक पर जो निबंध लिखा हूं यह आर्टिकल आप लोगों को काफी पसंद आया होगा ऐसे में आप लोगों के मन में इस आर्टिकल संबंधित कोई प्रश्न है तो तो आप हमारे कमेंट्स बॉक्स में आकर प्रश्न पूछे मैं आप लोगों को प्रश्नों का उत्तर जरूर दूंगा |
इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं
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मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध
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मेरे प्रिय शिक्षक (My Favourite Teacher)
शिक्षक का हमारे जीवन में अधिक महत्व है। शिक्षक हमारे जीवन में वह व्यक्ति होता है, जो हमें अच्छी शिक्षा के साथ बहुत सी अन्य महत्वपूर्ण चीजों को सिखाता है। एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक मायने रखता है। हमारे विद्यालय में कई शिक्षक हैं। उनमें श्री अशोक वर्मा मेरे प्रिय शिक्षक हैं। वे हमारे कक्षा-अध्यापक हैं
वर्मा जी बहुत विद्वान और हँसमुख व्यक्ति हैं। वे बहुत स्वस्थ हैं। उनकी आवाज बहुत साफ और मीठी है।
वर्मा जी हमें हिंदी और अंग्रेजी पढ़ाते हैं। उनके पढ़ाने का ढंग बहुत अच्छा है। पढ़ाते वक्त बीच-बीच में वे हमें छोटी-छोटी कहानियाँ भी सुनाते हैं। इस तरह कठिन पाठ भी आसानी से याद हो जाता है। वे सब विद्यार्थियों पर बहुत स्नेह रखते हैं। कक्षा के विद्यार्थी उनका बड़ा आदर करते हैं।
अशोक सर खेल-कूद में भी बहुत रुचि लेते हैं। वे विद्यार्थियों के साथ खेल में भाग लेते हैं। नाटक, चर्चा-गोष्ठी, चित्र-प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता आदि में वे विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें समय-समय पर विविध क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। हमारे विद्यालय का ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं, जिसमें अशोक सर का योगदान न हो।
मैं बड़ा होकर वर्मा जी जैसा शिक्षक बनना चाहता हूँ।
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