वर्षा ऋतु पर निबंध
भारत में मुख्य रूप से तीन ऋतु है, जिसमें वर्षा ऋतु लोगों की प्रिय ऋतु होती है। वर्षा ऋतु शुरू होते ही विद्यालयों में बच्चों को वर्षा ऋतु पर निबंध (Varsha Ritu Par Nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है।
निबंध के जरिए बच्चे वर्षा ऋतु के आगमन, वर्षा ऋतु का महत्व, वर्षा ऋतु में उत्पन्न धरती के अनुपम सौंदर्य से अवगत हो सके।
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वर्षा ऋतु पर निबंध (Varsha Ritu Par Nibandh)
इस लेख में हम अलग-अलग शब्द सीमा में वर्षा ऋतु निबंध हिंदी (varsha ritu essay in hindi) शेयर कर रहे हैं, जिससे हर कक्षा के विद्यार्थियों को सहायता मिलेगी।
वर्षा ऋतु पर निबंध 100 शब्द
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसके कारण यहां पर वर्षा ऋतु का बहुत ही ज्यादा महत्व है। किसान वर्षा पर ही निर्भर होते हैं, इसीलिए वे साल भर बहुत बेसब्री से वर्षा ऋतु का इंतजार करते हैं। क्योंकि वर्षा ऋतु शुरू होते ही किसान हल लेकर अपने खेत फसल बुवाई के लिए चले जाते हैं।
वर्षा ऋतु भारत में जून महीने में प्रारंभ होती है और सितंबर महीने तक यह मौसम रहता है। वर्षा ऋतु के दौरान चारों तरफ हरियाली छा जाती है। पेड़-पौधे भी लगते हैं, खुशी के मारे झूम रहे होते हैं। वर्षा ऋतु में मोर अपने पंख फैला कर नाचते हैं।
आकाश में उत्पन्न इंद्रधनुष बहुत खूबसूरत दृश्य उत्पन्न करते हैं। बाजार में केला, जामुन, अनानास, सीताफल और अनार जैसे वर्षा ऋतु के फल बिकने लगते हैं। चारों तरफ मेढ़क के टरटराने की आवाज आती है। आसमान घने काले बादल से घिर जाता हैं।
वर्षा ऋतु में बच्चे कागज का नाव बनाकर पानी में खेलते हैं। पहली बारिश की बूंद जब मिट्टी पर पड़ती है तो उसकी खुशबू लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। वर्षा ऋतु हर किसी का पसंदीदा मौसम होता है।
वर्षा ऋतु पर निबंध 200 शब्द
भारत में तीन प्रमुख ऋतु है, जिसमें से एक है वर्षा ऋतु। भारत में जुलाई महीने में शुरू होती है और फिर सितंबर महीने तक रहती है। वर्षा ऋतु का आगमन होते ही आसमान पूरी तरीके से काले बादल से ढक जाता है।
फिर बादल की गरज और बिजली की चमक के साथ वर्षा की बूंदे धरती पर अपना कदम रखती है। बारिश की बूंदे जैसे ही मिट्टी पर गिरती है, उसकी खुशबू वातावरण को मनमोहन बना देती है। सूरज की जब किरण वर्षा की बूंदों पर पड़ती है तो नीले आसमान में रंग-बिरंगे इंद्रधनुष से देखने लायक दृश्य उत्पन्न होता है।
वर्षा ऋतु का इंतजार न केवल इंसान बल्कि जीव-जंतु, पेड़-पौधे सभी उत्सुकता से करते हैं। जब वर्षा ऋतु शुरू होती है तब पेड़-पौधे भी खुशी से झूम उठते हैं। वर्षा ऋतु के खुशी में मोर भी अपने खूबसूरत रंग-बिरंगे पंख फैला कर नाचने लगता है, मेंढक भी टरटराने लगता है। चारों तरफ हरे-भरे घास उग आते हैं, जिससे गाय भैंस के लिए चारा आ जाता है।
वर्षा ऋतु के कारण पानी के हर एक स्त्रोत में पानी का स्तर बढ़ जाता है। नदी नाले, कुंवे सब में पानी भर जाता हैं। वर्षा ऋतु में लोग पके हुए आम को खाने का आनंद लेते हैं।
वर्षा ऋतु मानव जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है लेकिन कभी कबार अत्यधिक वर्षा के कारण भयंकर बाढ़ भी आ जाता है, जिससे जानमाल का बहुत नुकसान होता है।
वहीं कभी कबार बहुत कम वर्षा होती है, जिसके कारण सूखा भी पड़ जाता है। रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, ओणम, गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार वर्षा ऋतु में ही आते हैं।
वर्षा ऋतु पर निबंध 250 शब्द
वर्षा ऋतु भारत की ऋतुओं में से वर्ष की सबसे अधिक प्रतीक्षित ऋतुओं में से एक है। पूरे भारत में वर्षा ऋतु की शुरुआत गर्मी के बाद जुलाई से होकर सितम्बर तक चलती है। ये ऋतु असहनीय गर्मी से परेशान हो रहे जीव-जन्तु, लोग आदि के लिए एक राहत की फुहार लेकर आती है।
इस ऋतु का इंतजार लोगों के साथ ही जानवरों, पेड़-पौधों, पक्षियों को भी रहता है। सभी इसका उत्सुकता से इंतजार करने के साथ ही इसके स्वागत के लिए तैयार रहते हैं।
गर्मी की ऋतु में अधिक गर्मी होने के कारण नदी, तालाब, महासागर आदि से जल आकाश में वाष्प के रूप में चला जाता है और वहां पर बादल का निर्माण करता है। फिर जब बादल चलते है तो आपस में टकराते या फिर घर्षण करते हैं तो आकाशीय बिजली गरजती है और वर्षा होती है।
वर्षा ऋतु में वर्षा होने से सभी को आनंद और सुकून की अनुभूति होती है और वातावरण को खुशनुमा बना देती है। आसमान में नीले रंग के चमकदार बादल और सात रंगों से भरा हुआ इन्द्रधनुष दिखाई देता है। जिसका सभी लोग बेसब्री से इन्तजार करते हैं।
भारत देश में गर्मी का तापमान 45 डिग्री से भी ऊपर चला जाता है, जिसके कारण नदी और तालाब सूख जाते हैं और जिसके कारण जानवर आदि भी प्यास से मरने लग जाते हैं। वर्षा ऋतु आने आने पर सभी के चहरे खिल उठते हैं।
वर्षा ऋतु पर निबंध 300 शब्द
3 से 4 महीने तक भीषण गर्मी और तपती ज्वाला में जलने के बाद मनुष्य सहित हर एक जीव जंतु और पेड़ पौधों को बेसब्री से वर्षा ऋतु का इंतजार रहता है। वर्षा ऋतु हर ऋतु की तरह ही मनुष्य और प्राणी के लिए बहुत महत्व रखता है।
हालांकि पूरी दुनिया में हर जगह पर वर्षा ऋतु के आगमन का समय अलग-अलग होता है। इसके साथ ही इसका अंतराल भी कम ज्यादा होता है। कुछ जगह तो ऐसी भी है, जहां पर साल भर वर्षा होती रहती हैं।
वर्षा ऋतु का आगमन
दुनिया के हर जगह अलग-अलग समय पर वर्षा ऋतु का आगमन होता है। बात करें भारत में तो भारत में वर्षा ऋतु का आगमन जून महीने में होता है और सितंबर महीने तक यह रहता है।
भारत में वर्षा ऋतु का आगमन अरब सागर से होते हुए पहले केरल राज्य की ओर बढ़ता है, उसके बाद यह उत्तर भारत की ओर आता है।
वर्षा ऋतु का आगमन होते ही कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोग अपने घर की मरम्मत करने लगते हैं और किसान खेती की तैयारी करने लगते हैं।
प्रकृति का दृश्य
वर्षा ऋतु में धरती का श्रृंगार होते हुए नजर आता है। चारों तरफ हरे-भरे घास और पेड़ पौधे वातावरण में हरियाली भर देते हैं। रंग बिरंगे फूल प्रकृति को और भी खूबसूरत बना देते हैं। वर्षा ऋतु में मानो धरती खिल उठती है।
पेड़ पौधे झूम उठते हैं, बागों में लगी अमिया पक्कर आम बन जाते हैं। प्रकृति और भी खूबसूरत और मनमोहक हो जाता है। चारों तरफ मिट्टी की मनमोहक सुगंध वातावरण को और भी प्रफुल्लित बना देती है।
वर्षा ऋतु का महत्व
वर्षा ऋतु मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। भारत एक कृषि प्रधान देश होने के कारण यहां पर वर्षा ऋतु हर एक किसानों के लिए सबसे खास ऋतु होता है। क्योंकि इस ऋतु में ही वे खेती करना शुरू करते हैं और हर किसी को अन्य मिल पाता है।
वर्षा ऋतु के कारण सूखी नदियों में दोबारा पानी आ जाता है। पेड़ पौधों को फिर से नया जीवन मिल जाता है।
वर्षा ऋतु का नुकसान
वर्षा ऋतु मनुष्य के लिए जरूरी है लेकिन अत्यधिक वर्षा के कारण मनुष्य को परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। आवश्यकता से ज्यादा बारिश होने के कारण नदियों के पानी का स्तर बढ़ जाता है जिससे बाढ़ आ जाती है और बाढ़ के कारण कई जान माल का नुकसान होता है।
अत्यधिक बारिश होने के कारण फसलें भी खराब हो जाती हैं। नदी नाले गड्ढों में गंदा पानी इक्कठा होने के कारण मच्छर का उपद्रव बढ़ जाता है और कई तरह की बीमारी फैलने लगती हैं।
जल ही जीवन है और जल के स्त्रोतों में पानी बरसा के कारण ही आ पाता है। अगर वर्षा ऋतु ना हो तो पीने के पानी की कटौती हो जाएगी। वर्षा ऋतु ना हो तो किसान फसल नहीं पैदा कर पाएगा और फिर अन्न की कमी हो जाएगी।
इस तरह वर्षा ऋतु हर तरह से मनुष्य के लिए बहुत ही जरूरी है। यह मनुष्य के साथ ही जीव जंतु सभी के लिए जरूरी है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध 500 शब्द
तपती और चिलचिलाती हुई गर्मी को दूर करने के लिए वर्षा ऋतु का आगमन हमारे देश में जुलाई में होता है, जो सितम्बर तक चलता है। वर्षा ऋतु मनुष्य के साथ पेड़, पौधों और जीव जगत को एक नया उत्साह दे जाता है।
वर्षा ऋतु में गर्मी के कारण सूखे पड़े नदी, तालाब और महासागर फिर खिल उठते हैं और पेड़ पौधों को नया जीवन मिल जाता है। जब तपती जमीन पर जल की बूंदे गिरती है और फिर कुछ दिन बाद पूरा वातावरण हरा भरा हो जाता है।
किसान वर्ग को वर्षा ऋतु का बेशब्री से इंतजार रहता है। इस ऋतु के आने के पश्चात किसान अपने खेत में नई फसल की पैदावार करते हैं। वर्षा होने के कारण धूल भरी आंधियों से निजात मिल जाती है।
हमारे जीवन में वर्षा ऋतु का महत्व उतना ही है, जितना अन्य ऋतुओं का है। यह ऋतु जब शुरू होती है तो हमें तेज गर्मी से राहत मिलती है और इससे पेड़ पौधों को बहुत फायदा होता है। ऐसा मान सकते हैं कि सभी को एक नया जीवन मिल गया हो।
गर्मी अधिक पड़ने के कारण सभी तालाब, नदियां आदि सूख जाते हैं जिसके कारण वातावरण गर्मी से भर जाता है और सभी को परेशानी होने लग जाती है। जब वर्षा ऋतु आती है तो वर्षा होने से ठंडी हवा चलने लग जाती है और चारों ओर पानी से भरे तालाब, हरे भरे पेड़ पौधे और हरियाली छा जाती है, जो सबको उत्साह से भर देती है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर ही निर्भर है। इसके लिए वर्षा ऋतु अपना अहम योगदान अदा करती है। वर्षा ऋतु में सभी किसानों के चहरे खिल उठते हैं।
सभी किसान खुशी ख़ुशी अपने खेतों में फसल की पैदावार करते हैं और उसे अच्छे दामों में बेचते हैं। जिसके कारण उनकी आमदनी हो जाती है।
वर्षा ऋतु के फायदे
वर्षा ऋतु के कई सारे फायदे है, जो कुछ इस प्रकार है:
- इसके कारण हमें चिलचिलाती और कड़कड़ाती धूप से निजात मिलती है।
- चारों ओर वातावरण हराभरा हो जाता है। पेड़ और पौधे खिल उठते हैं।
- नदी और तालाब पानी से भर जाते हैं, जिसके कारण वातावरण में ठंडी हवा चलने लगती है।
वर्षा ऋतु के नुकसान
वर्षा ऋतु के कुछ नुकसान भी है, जो कुछ इस प्रकार है:
- वर्षा आने के कारण चारों और कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है।
- वर्षा ऋतु में बाढ़ आने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।
- गढ़ों में पानी भर जाने के कारण अधिक संख्या में मच्छर पैदा हो जाते हैं।
- रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
वर्षा ऋतु के आने का सभी लोग इंतजार करते हैं और इसके स्वागत के अपनी तैयारियां शुरू कर देते हैं। वर्षा ऋतु में चारों तरफ हरियाली और आकाश में नीले बादलों में इन्द्रधनुष दिखाई देता है, जो सभी में एक नई ऊर्जा का संचार करता है।
सुहाने मौसम में पक्षियों की चहचहाने की आवाज सुनने को मिलती है और मोर के पंख फैलाकर झुमने लग जाते हैं। चारों तरफ आनंद और उल्लास छा जाता है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध 1000 शब्द
ग्रीष्म ऋतु के बाद में आने वाली वर्षा ऋतु प्रकृति में बहुत बदलाव कर जाती है। ग्रीष्म ऋतु में तेज कड़कड़ाती धूप से सभी लोग, जीव-जन्तु परेशान हो जाते हैं।
लेकिन जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो सभी में एक नई ऊर्जा का संचार होने लग जाता है। सभी इसके आने से पहले अपनी तैयारियों में लग जाते हैं।
वर्षा ऋतु के आने पर सभी ओर नया दृश्य देखने को मिलता है, जो मन को भाने वाला और रोमांचित करने वाला होता है। लोगों के साथ पेड़-पौधे और जीव-जन्तु भी इसका बेशब्री से इन्तजार करते हैं।
वर्षा ऋतु का समय
मई-जून में जब ग्रीष्म ऋतु अपने पूरे प्रकोप में होती है तो फिर वर्षा ऋतु उसके प्रकोप को भंग करने के लिए उसके पश्चात आती है।
इसके आने का समय जून के मध्य का होता है और यह लगभग दो महीने तक सक्रिय रहती है। हिंदी महीनों में इसका समय सावन भदो का होता है।
मई और जून के महीने में गर्मी अपने पूरे प्रभाव में होती है। इसके कारण नदी, तालाब, महासागर आदि सूख जाते हैं और धरती पर पानी की कमी होने लगती है। इसके कारण प्रकृति में मौजूद पेड़-पौधे सूखने लगते हैं और जीव-जन्तु प्यास से बिलखने लगते है।
तेज गर्म हवाएं आंधियों के रूप में चलने लगती है। तापमान अधिक होने के कारण नदियों, तालाबों आदि का पानी भाप के रूप में आसामान में बादल के रूप में जमा होने लगता है।
जब हवाओं के साथ बादल चलते है तो आपस में एक दूसरे से टकराते है या फिर आपस घर्षण करते हैं तो तेज गर्जनाहट होती है और आकाशीय बिजली कड़कड़ाती है। फिर वर्षा होनी शुरू होती है।
वर्षा होने के बाद सभी ओर पानी ही पानी हो जाता है। सभी नदी, तालाब, महासागर के साथ पूरी जमीन अपनी प्यास बुझाती है। फिर कुछ ही दिनों बाद पूरा वातावरण नए रूप में हमारे सामने आता है।
वर्षा ऋतु का दृश्य
जब वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है तो पूरे नीले आसमान में चमकदार और सफेद बादल आ जाते हैं। वर्षा ऋतु के दौरान इन्द्रधनुष भी आसमान में दिखाई देने लगता है।
वर्षा होने के बाद पूरे वातावरण में ठंडी हवा चलने लगती है और चारों ओर पेड़-पौधों पर हरियाली अपना कब्ज़ा जमा लेती है। सभी खेत फसलों से लहराने लगते हैं।
सभी ओर पक्षियों की चहचहाट सुनने को मिलती है और मोर इस मौसम में पंख फैलाकर नाचने लगते है। सभी पक्षियों के साथ ही सभी जानवरों में वर्षा ऋतु की खुशी देखने को मिलती है।
वर्षा ऋतु का महत्त्व
सभी ऋतुओं का अपना अपना महत्व है। इसी प्रकार वर्षा ऋतु का महत्त्व भी अलग है। यह तो हम जानते ही है कि “जल है तो जीवन है” और “जल ही जीवन है” हमारे जीवन में जल सबसे महत्वपूर्ण चीज है।
यदि यह नहीं होगा तो जीवन संभव नहीं है। इसलिए यदि वर्षा नहीं होगी तो धरती पर पानी की कमी हो जाएगी और अकाल का सामना करना पड़ेगा।
जंगलों में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए वर्षा ऋतु बहुत ही अहम योगदान देती है। उनके लिए पीने के लिए पानी और खाने के लिए पेड़-पौधे, झाड़ियां आदि वर्षा से ही संभव है।
भारत कृषि प्रधान देश है, भारत की अधिकतर जनसंख्या कृषि पर आश्रित है। इसके लिए वर्षा का होना बहुत ही जरुरी है। भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का विशेष योगदान है। यदि फसल की अच्छी पैदावार होगी तो सभी को किसानों को अधिक आमदनी होगी। यह सभी वर्षा से ही संभव है।
- वर्षा ऋतु आने से पूरे वातावरण से गर्मी दूर हो जाती है और पूरा वातावरण ठंडा और शांत हो जाता है।
- वर्षा ऋतु में चारों ओर हरियाली, पेड़-पौधों और नदी, तालाब खिल उठते हैं।
- वर्षा ऋतु में सभी खेत फसलों से लहराने लगते है।
- सभी जानवरों के लिए खाने के लिए हरी घास आ जाती है।
- चोरों तरफ हरियाली ही हरियाली हो जाती है।
- भूमिगत जल में काफ़ी सुधार हो जाता है।
- पेड़ों पर पक्षियों की चहचहाने की आवाज सुनाई देने लग जाती है।
- वर्षा आने से चारों तरफ पानी ही पानी हो जाता है, जिससे आवागमन बाधित हो जाता है।
- वर्षा ऋतु में वर्षा अधिक हो जाने के कारण बाढ़ आने की संभावना अत्यधिक हो जाती है।
- अधिक वर्षा हो जाने के कारण फसलें भी ख़राब हो जाती है।
- गड्ढों में पानी इकठ्ठा हो जाने के कारण मच्छर पैदा हो जाते है, जो कई सारी बीमारीयों को अंजाम देते है।
- चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है।
वर्षा ऋतु के दौरान आने वाले त्योहार
भारत एक ऐसा देश है, जहां पर हर दिन कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। विश्व में सबसे अधिक त्यौहार भारत देश में मनाये जाते है। कई त्यौहार ऋतुओं के आधार पर भी मनाये जाते हैं।
जन्माष्टमी, तीज, रक्षाबंधन, ईद उल जुहा, मुहर्रम, ओणम, गणेश पूजा, प्रकाश वर्ष आदि त्यौहार वर्षा ऋतु के दौरान मनाये जाने वाले त्यौहार है। इसलिए वर्षा ऋतु को तीज-त्योहारों का मौसम भी कहा जाता है।
वर्षा का होना हम सभी के लिए बहुत ही जरूरी है। यदि वर्षा नहीं होगी तो हमारा पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जायेगा।
अधिक वर्षा के होने के काफी सारे नुकसान तो होते ही है लेकिन हमारे जीवन के लिए वर्षा का होना बहुत ही जरूरी है। इससे काफी लोगों की आमदनी होती है और यह देश की अर्थव्यवस्था में भी सहयोग करती है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध- Rainy Season Essay in Hindi
दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए Rainy Season Essay in Hindi ( Varsha Ritu Par Nibandh ) शेयर कर रहे है, हमने 100 words, 200 words, 250 words, 300 words, 500 words 600 words ke essay लिखे है जो की class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 ke students | Vidyarthi ke liye upyogi hai.
In this article, we are providing information about Rainy Season in Hindi | 4 well written essay on Rainy Season in Hindi Language. वर्षा ऋतु पर पूरी जानकारी जैसे की सामान्य परिचय, प्राकृतिक शोभा, जन-जीवन, लाभ-हानि अदि के बारे बताया गया है।
वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy Season Essay in Hindi
10 Lines Essay on Rainy Season ( 100 words )
1. वर्षा ऋतु का समय मुख्य रूप से श्रावण-भाद्रपद मास में होता है।
2. वर्षा ऋतु के आते ही आकाश में काले-काले मेघ छा जाते हैं।
3. वर्षा के बरसने से वनों और बागों में हरियाली छा जाती है।
4. वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान है।
5. वर्षा ऋतु से पहले ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ती है
6. इसी ऋतु में खरीफ की फसल बोई जाती है।
7. वर्षा हमें नव जीवन देती है।
8. अधिक वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है।
9. वर्षा ऋतु में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं।
10. वर्षा प्राणि-मात्र के लिए वरदान है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध | Short Essay on Rainy Season in Hindi ( 200 words )
गर्मी के बाद वर्षा ऋतु आती है। तेज गर्मी के बाद आसमान बादलों से ढंक जाता है। बिजली चमकने लगती है और बारिश होने लगती है। सभी जीव-जन्तु प्रसन्न हो जाते हैं।
वर्षा ऋतु चार महीने जून से सेप्टेंबर तक रहती है। वर्षा ऋतु में चारों तरफ हरियाली छा जाती है। नदी, नाले पानी से भर जाते हैं। मेंढ़क टर्र-टर्र करने लगते हैं। मोर खुशी से नाचने लगता है।
इस मौसम में लोग छाते, रेनकोट में इधर-उधर जाते नज़र आते हैं। बच्चों को पानी में भीगना और खेलना बहुत अच्छा लगता है। वे कागज की नाव बनाकर पानी में तैराते हैं।
वर्षा ऋतु में सबसे ज्यादा किसान खुश रहता है। वर्षा होते ही वह खेतों में बीज बो देता है। अच्छी वर्षा होती है, तो फसल भी अच्छी होती है।
लेकिन इस ऋतु में कुछ नुकसान भी होता है। तेज वर्षा से बाढ़ आ जाती है। गाँव-नगर पानी में डूब जाते हैं। सामान बह जाता है। अनेक लोग और पशु मर जाते हैं।
लेकिन फिर भी यह मौसम खुशहाली लाता है । इस ऋतु को जीवन देने वाली ऋतु कहते हैं।
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Varsha Ritu Par Nibandh Hindi me ( 300 words )
मनमोहिनी प्रकृति के अनेक रूप हैं। उसके अनेक रूपों में वर्षा ऋतु का रूप विशेष रूप से आनन्ददायक और मन-भावन है। वर्षा ऋतु का आगमन ग्रीष्म ऋतु के अनन्तर होता है।
भारत में वर्षा ऋतु का समय मुख्य रूप से श्रावण-भाद्रपद मास में होता है। यद्यपि वर्षा का आरम्भ आषाढ़ मास में हो जाता है और आश्विन मास तक रहता है। इसी कारण इसे चौमासा भी कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के कारण जो भीषण गर्मी पड़ती है, उसी के कारण जल भाप बनकर आकाश में उड़ जाता है। उसी से बादल बनते हैं; वे बादल ही पानी बरसाते है।
वर्षा ऋतु के आते ही आकाश में काले-काले मेघ छा जाते हैं, शीतल वायु बहने लगती है, बिजली चमकने लगती है और मेघों का गर्जन प्रारम्भ हो जाता है। तदनन्तर झम-झम करके बादल बरसने लगते हैं। वर्षा के बरसने से वनों और बागों में हरियाली छा जाती है। धरती की प्यास बुझ जाती है। नदी-नाले, ताल-तलैया पानी से भर जाते हैं। प्राणि-मात्र आनन्द से भर जाता है। वनों में पपीहा पीहू-पीहू स्वर करने लगता है तो मेघों की काली घटा को देखकर मोर भी नाचने लगते हैं तो मेंढक टर्राने लगते हैं। बागों में वृक्षों पर झूला डालकर उन पर स्त्रियाँ झूलने लगती हैं। बरसात की अंधेरी रात में चमकते जुगनू तारों सी शोभा देते हैं।
वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान है। वर्षा से खेतों में हरियाली छा जाती है। धान, ज्वार, बाजरा, मक्का और तरह-तरह के दानों के पौधे अन्न से भर जाते हैं। यही अन्न मानवों को नव जीवन देता है।
अत्यधिक वर्षा होने पर जब बाढ़ आती है तो वर्षा ऋतु हानिकारिणी भी बन जाती है; पर जल रूपी जीवन का दान करने के कारण तथा ग्रीष्म की तपन से रक्षा करने के कारण यह वन्दनीय ही है।
Varsha Ritu Nibandh
वर्षा ऋतु पर निबंध | Long Rainy Season Essay in Hindi ( 500 to 600 words )
भूमिका
प्रकृति अपना स्वरूप लगातार बदलती रहती है। कभी बहुत गर्मी पडती है कभी अधिक वर्षा होती है तो कभी अधिक जाड़ा पड़ता है। हमारे देश में चार मौसम और छ: ऋतुएँ होती हैं- बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर। हर ऋतु का समय दो महीने का होता है। हर ऋतु में प्राकृतिक शोभा अलग-अलग होती है। वर्षा ऋतु सावन और भादों में मानी जाती है।
प्राकृतिक अवस्था
वर्षा से पहले ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ती है, किन्त इस ऋतु के आने के बाद बदलाव आता है। आकाश में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं। पहले हल्की वर्षा होती है जिसे “दौंगरा” कहते हैं। धीरे-धीरे वर्षा अधिक होने लगती है। प्रायः कई दिनों तक वर्षा होती रहती है। आकाश में बादल छाए रहते हैं जिसके कारण सूर्य का दर्शन नहीं होता है। रह-रह कर बादल दिखाई पड़ता है। खेत, मैदान, बाग-बगीचे हरे-भरे हो जाते हैं। जिसे देखकर सब का मन प्रसन्न हो जाता है। प्रकृति की शोभा बढ़ जाती है। जलाशय पानी से लबालब भर जाते हैं। चारों ओर छातों और बरसातियों की घूम मच जाती है।
जन-जीवन
वर्षा का प्रभाव जन-जीवन पर बहुत पड़ता है। इस समय लोग अधिक प्रसन्न रहते हैं। किसानों के लिए यह ऋतु वरदान है। वे अपने हल-बैल के साथ निकल पड़ते हैं और खेतों की जुताई-बुआई करते हैं। इसी ऋतु में खरीफ की फसल बोई जाती है। अन्य प्राणी भी इस समय आनंदित होते हैं। झींगुरों की झंकार, कोयल की कूक, मेढ़कों की टर्र-टर, मयूर की क्याऊँ-क्याऊँ से वातावरण मुखरित हो जाता है। जन-जीवन में नयापन आ जाता है। लोग तरह-तरह के गीत गाने लगते हैं- जैसे ‘आल्हा, कजली, मल्हार आदि। इस सुखद समय में पेड़ों की डालियों पर लोग झूले डालकर झूलते हैं।
वर्षा में शहरों की अवस्था भिन्न होती है। अधिक वर्षा से सड़कें डूब जाती हैं, आवागमन ठप हो जाता है। जन जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। शहरों के बच्चे वर्षा का आनंद लेने के लिए सड़कों पर निकल आते हैं।
वर्षा ऋतु के लाभ
वर्षा हमें नव जीवन देती है। ग्रीष्म काल की गर्मी से व्याकुल लोगों को इससे राहत मिलती है। हवा में ठंडापन आ जाता है। इस समय थोड़ी बहुत उमस रहती है। हमारा देश कृषि प्रधान है। कृषि पूरी तरह बरसात पर निर्भर है। यदि वर्षा न हो तो खेती का काम होना असम्भव हो जाए। खेत की फसलें सूख जाएँ और लोग भूखों मर जाएँ। वर्षा के कारण खेती होती है, पशुओं को चारा मिलता है। वर्षा के अभाव में बाग-बगीचे उजड़ जाते हैं। सूखा पड़ने से अकाल पड़ जाता है। जिसके कारण जन-धन की बहुत हानि होती है। जल को जीवन कहते हैं। जल की कमी से जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता है।
वर्षा ऋतु की हानियाँ
वर्षा से जहाँ इतने लाभ हैं, वहीं इससे कुछ हानियाँ भी हैं। अधिक वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ की चपेट में अनेक गाँव डूब जाते हैं। इसके कारण पशु बह जाते हैं। कहीं-कहीं जन-धन की भी हानि होती है। बाढ़ से हरी-भरी फसलें तबाह हो जाती हैं। अधिक वर्षा से शहर के लोगों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके कारण गाँवों की दशा अधिक खराब हो जाती है। चारों और कीचड़ और पानी के कारण कहीं आना-जाना कठिन हो जाता है। तालाबों, गड्ढों, पोखरों में भरा जल सड़ने लगता है, जिसमें तरह-तरह के मच्छर पैदा हो जाते हैं। इन मच्छरों के काटने से रोग फैलने लगता है। मलेरिया का प्रकोप इसी मौसम में होता है। साँप, बिच्छु जैसे विषैले जीव वर्षा में अधिक पैदा होते हैं। गाँवों के कच्चे मकान वर्षा में गिर जाते हैं।
उपसंहार
थोड़ी बहुत हानि के बाद भी वर्षा से लाभ अधिक है। हमारी सरकार बाढ़ पर काबू पाने के लिए बाँधों का निर्माण कर रही है, जिससे बाढ़ पर नियंत्रण लग रहा है। इससे बिजली पैदा की जा रही है। नदियों से नहरें निकाल कर सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है। हमें वर्षा का स्वागत करना चाहिए। वर्षा ऋतु में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। लोग आनंद से आल्हा और कजली गाते हैं। वर्षा प्राणि-मात्र के लिए वरदान है।
ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Rainy Season Essay in Hindi article आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।
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वर्षा ऋतु पर निबंध (Varsha ritu par nibandh)
यहाँ हमने छोटे बच्चों के लिए और बड़े बच्चों के लिए वर्षा ऋतु पर बहुत ही आसान भाषा में जानकारी युक्त निबंध दिए हैं जो अलग अलग शब्द सीमा में लिखा गया है। जैसे – छोटे बच्चों के लिए वर्षा ऋतु पर 100 – 200 शब्दों में निबंध और बड़े बच्चों के लिए वर्षा ऋतु पर 250 – 350 शब्दों में निबंध। आप अपने आवश्यकता और क्लास के अनुसार कोई भी निबंध चुन सकते हैं।
छोटे बच्चों के लिए वर्षा ऋतु पर निबंध (Essay on rainy season for children 100 – 200 Words)
वर्षा ऋतु में मौसम बहुत ही अच्छा हो जाता है। वर्षा ऋतु आ जाने से सभी लोगों को गर्मी से राहत मिलती है। हमारे देश में वर्षा ऋतु की शुरुवात जून के महीने से होती है। और यह लगभग सितम्बर महीने तक चलता है। बारिश का मौसम किसानों के लिए बहुत अच्छा होता है क्योकि अच्छी फसल के लिए बारिश बहुत जरुरी है और कई किसान तो बारिश के पानी के सहारे ही रहते है।
भीषण गर्मी के चलते पेड़-पौधे, तालाब आदि सुख जाते हैं परन्तु जब बारिश होती है तो वही पेड़- पौधे, तालाब आदि हरे भरे हो जाते हैं। वर्षा ऋतु का मजा सब लोग लेते हैं। कुछ लोग बाहर जाकर, बारिश में भीगकर मजे करते है और कुछ लोग अपने घर में फैमिली के साथ मजे करते हैं। बच्चों को ये मौसम बहुत पसंद होता है। बहुत से लोग अपने घर पर गरमा गरम पकौड़ी खाते है और चाय पीते हैं। अक्सर छोटे बच्चे बारिश के वक्त अपना कागज का नाव बनाकर उसे अपने घर के सामने छोटे छोटे गढ्ढे में तैराते हैं।
बड़े बच्चों के लिए वर्षा ऋतु पर निबंध (Essay on rainy season for students 250 – 300 Words)
बरसात का मौसम: हम सभी के लिए प्रकृति का उपहार
बरसात का मौसम साल का एक विशेष मौसम होता है क्योकि सभी जीव जंतुओं को भीषण गर्मी से राहत यही मौसम देता है। इस मौसम में आकाश काले बादलों से भर जाता है जो बारिश की फुहारों भरी ताज़ी, ठंडी हवा लाती हैं। चारो ओर हरियाली छा जाती है और हर चीज़ हरी-भरी और सुंदर दिखने लगती है।
वर्षा ऋतु का प्रारम्भ
जून के महीने में काले, भारी बादलों के आगमन के साथ यह मौसम शुरू होता है। मौसम की पहली बारिश तेज गरज और बिजली चमक के साथ आती है जिससे सूखी जमीन गीली और मुलायम हो जाती है, हवा में ताजी और साफ सोंधी खुसबू आती है, जल्द ही वातावरण का तापमान ठंडा हो जाता है और पूरा परिदृश्य जीवंत और सजीव दिखने लगता है। नदियाँ, झीलें और तालाब सभी पानी से भर जाते हैं, फसलों और जानवरों के लिए प्रचुर मात्रा में पानी मिल जाता है। मेंढक टर्र-टर्र आवाज करने लगते हैं और नीले आसमान में इंद्रधनुष भी दिखाई देता है। ये मौसम सितम्बर महीने तक रहता है और हम सबको राहत देता रहता है।
वर्षा ऋतु – मौज-मस्ती का समय
सभी बच्चों को बारिश में खेलना, भीगना, पोखरों में कूदना और कागज की नाव बनाकर पानी पर तैराना बहुत पसंद होता है क्योकि यह मौसम खुशीयों से भरा आनंदमयी क्षण लाता है।
वर्षा ऋतु – चुनौतियाँ भी लाता है
बरसात का मौसम राहत और खुशियों के साथ साथ चुनौतियाँ भी लाता है। तेज आंधी तूफान साथ जो शहर गंगा किनारे या समुद्र किनारे बसते हैं वो बाढ़ के चपेट में आ जाते है जिससे जन मानस को हर तरीके से बहुत नुकसान होता है। कभी कभी बहुत अधिक बारिश होने से गांव में सड़कों पर कीचड़ फैल जाता है और फिसलन होती है जिससे इधर-उधर जाना मुश्किल हो जाता है।
वर्षा ऋतु के अगर बहुत फायदे हैं तो नुकसान भी है लेकिन अगर बारिश न हो तो किसान फसल उत्पादन नहीं कर पायेंगे और सूखा पड़ सकता है, जीव जन्तु मर सकते है इसलिए वर्षा ऋतु हम सबके लिए बहुत ही जरुरी होता है।
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वर्षा ऋतु पर निबंध
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रुपरेखा : वर्षा ऋतु का परिचय - वर्षा ऋतु के अनेक रूप - सावन के मन - वर्षा ऋतु में हिमपात अथवा स्नोफॉल का मनमोहक दृश्य - चाँदनी रात - वर्षा का आँख-मिचौनी खेलना - वर्षा से लाभ - वर्षा से हानियाँ - उपसंहार।
मौसम ठंडा हो गया और प्रकृति हरी - भरी हो उठी । पीली पत्तियों और मुरझाए पेड़ों पर हरियाली छा गई। उपवन में पुष्प खिल उठे। कुंजों में लताएं एक-दूसरे से आलिगन-बड्ध होने लगीं। सरिता-सरोवर जल से भर गए। उनमें कमल मुकुलित बदन खड़े हुए। नदियाँ इतरातीं, इठलातीं अठखेलियाँ करतीं, तट-बंधन तोड़तीं बिछुड़े हुए पति सागर से मिलने निकल पड़ीं। सम्पूर्ण वायुमंडल शीतल और सुखद हुआ। भवन, मार्ग, वीथियाँ, लता-पादप धुले से नजर आने लगे | वातावरण मधुर और सुगंधित होने लगा । जन-जीवन में उल्लास छा गया। पिकनिक और सैर-स्पॉट का मौसम आ गया। पेड़ों पर झूले पड़ गए। किशोर-किशोरियाँ पेंगे भरने लगीं। उनके कोकिल कंठी से मल्हार फूट निकाला।
इस ऋतु में आकाश में बादलों के झुंड नई-नई क्रीडा करते हुए अनेक रूप धारण करते हैं। मेघमालाच्छादित गगन- मंडल में इन्द्र के वज़पात से चिनगी दिखाने के समान विधद्युल्लता की बार-बार चमक और चपलता देखकर वर्षा में बन्दर भी भीगी बिल्ली बन जाते हैं। मेघों में बिजली की चमक में प्रकृति सुन्दरी के कंकण मनोहारिणी छवि देते हैं। घनघोर गर्जन से ये मेघ कभी प्रलय मचाते हैं तो कभी इन्द्रधनुषी सतरंगी छटा से मन मोह ले लेती हैं। वन-उपवन तथा बाग-बगीचों में यौवन चमकने लगता है | पेड़-पौधे स्वच्छन्दतापूर्वक भीगते हुए मस्ती में झूम उठते है। हरे पत्ते की हरी डालियाँ रूपी कर नील -गगन को म्पर्श करने के लिए मचल उठे। पवन वेग से गुंजित तथा कंपित वृक्षावली सिर हिलाकर चित्त को अपनी ओर बुलाने लगीं। वर्षा का रस रसाल के रूप में टप-टप गिरता हुआ टपका बन जाता है तो मंद-मंद गिरती हुई जामुनें मानों भादों के नामकरण-संस्कार को सूचित कर रही हों। बाबाजी के बाग में दुशाला ओढ़े खड़ी हुई' मोतियों से जड़ी कूकड़ी की तो बात ही निराली है।
सावन की मनभावती फुहारों और धीमी-धीमी शीतल पवन के चलते मतवाले मयुर अपने पंखों को दिखा- दिखाकर नाच रहे हैं । पोखरों में मेंढ्रक टर्र-टर्र करते हुए अपना गला फाड़ रहे हैं। बगुलों की पंक्ति पंख फैला-फैलाकर चाँदनी-सी तान रहे हैं। मछलियाँ जल में डुबकी लगाकर जल-क्रीडा का आनन्द ले रही हैं। रात्रि में जुगनू अपने प्रकाश से मेघाच्छादित आकाश में दीपावली के दीपक समान टिमटिमा रहे हैं। केंचुए, बिच्छू, मक्खी-मच्छर सैर का आनन्द लेने भूतल पर विवरण कर रहे हैं। खगगण का कलरव, झींगुर समूह की झंकार वातावरण को संगीतमय बना रहे हैं। सचमुच सावन का ये मन देख कर मनुष्य तथा पशु-पक्षियों नाचने लगते है।
वर्षा ऋतु में हिमपात अथवा स्नोफॉल का मनमोहक दृश्य इस ऋतु में पर्वतों पर हिमपात अथवा स्नोफॉल का दृश्य मनमोहक होता है। हल्की -सी हवा में बर्फ रूई के फायों के रूप में हवा में तैरती हुई जब भूमि पर उतरती है तो उस नयनाभिराम दृश्य को देखकर हृदय नाच उठता है। पर्वतीय नगरों का चप्पा-चप्पा हिममय हो जाता है | पेड़ पौधे सब बर्फ से लद जाते हैं। मकानों की छतें बर्फ से ढक जाती हैं। चारों ओर सफेदी का साम्राज्य छा जाता है। बर्फ से ढकी बाड़ की जाली और तार चाँदी कि समान चमकते हैं। देवदार वक्षों को देखकर लगता है स्वर्ग के रुपहले विचित्र देवदार निकल गए हैं या खंभों के सहारे विकराल मक्के की बालें लटकाई गई हैं।
चाँदनी रात में तो हिमपात अथवा स्नोफॉल का सौन्दर्य अत्यधिक विषयी बन जाता है, क्योंकि आकाश से गिरती हुई बर्फ और बर्फ से ढके हुए पदार्थ शुभ्र ज्योत्स्ना की आभा से चमकते हुए बहुत सुन्दर लगते हैं। चाँदनीं के कारण सारा दृश्य दूध के समुद्र के समान दिखाई देता है। नयनाभिराम हिमराशि की श्वैतिमा मन को मोह लेती है।
वर्षा का वीभत्स रूप है अतिवृष्टि । अतिवृष्टि से जल-प्रलय का दृश्य उपस्थित होता है। दूर-दूर तक जल ही जल तथा मकान, सड़क, वाहन, पेड्-पौधे, सब जल मग्न हुए दीखते है। जीवन-भर की संचित सम्पत्ति, पदार्थ जल देवता को अर्पित तथा जल-प्रवाह के प्रबल वेग में नर-नारी, बालक-वृद्ध तथा पशु बह रहे हैं। अनचाहे काल का ग्रास बन रहे हैं। गाँव के अपनी प्रिय स्थली को छोड़कर शरणाथी बन सुरक्षित स्थान पर शरण लेने को विवश हैं।
यहां है वर्षा, जो आँख-मिचौनी खेला करती है । इसके आगमन और गमन के पूर्वाभास में मौसम विशेषज्ञ भी धोखा खा जाते हैं। बेचारी आकाशवाणी तथा दूरदर्शन अविश्वसनीय सिद्ध हो जाते हैं। अभी-अभी उमड़-घुमड़ कंर बादल आए और “जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं' के अनुसार बिन बरसे चले गए। कभी-कभी आकाश साफ होता है और अस्मात् ही इन्द्र देवता बरस पड़ते हैं । थोड़ी देर बाद वर्षा रुकने की सम्भावना होती है, पर 'शनीचर की झड़ी, न कोठी न कड़ी ' बन जाती है।
वर्षा होगी तो खेती फले-फूलेगी। अकाल नहीं पड़ेगा। अनाज महँगा नहीं होगा। पर्वतों पर पड़ी बर्फ सरिता-सरोवर और नद-नदियों का जल से जीवधारियों की प्यास शान्त रखेगी । जलवायु पवित्र होगा, पृथ्वी का कूड़ा-कचरा धुल जाएगा, चातक की प्यास बुझ जाएगी।
वर्षा से अनेक हानियाँ भी हैं। सड़कों पर और झोंपड़ियों में जीवन व्यतीत करने वाले लोग भीगे बस्त्रों में अपना समय गुजारते हैं। उनका उठना-बैठना, सोना-जागना, खाना-पीना दुश्वार हो जाता है। वर्षा से मच्छरों का प्रकोप होता है, जो अपने दंश से मानव को बिना माँगे मलेरिया दान कर जाते हैं । वायरल फीवर, टायफॉइड बुखार, गैस्ट्रो एंटराइटिस, डायरिया, डीसेन्ट्री, कोलेर आदि रोग इस ऋतु के अभिशाप हैं।
जगत का जीवन, प्राणियों का प्राण, धरा का श्रृंगार, नद-नदियों, बन-उपवन का अलंकरण, हृदय में उल्लास और उत्साह का प्रेरक, प्रेम और कामना की सृजक है वर्षा ऋतु। इस ऋतु में लोगों को सावधानी से रहना चाहिए क्यूंकि इस ऋतु में लोग अधिक बीमार होते है। मानव जाति को बारिश के पानी को संचित करने का उपाय ढूँढना चाहिए।
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