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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध (Ideal Student Essay in Hindi)

एक आदर्श छात्र वह है जो समर्पित रूप से अध्ययन करता है, स्कूल और घर में ईमानदारी से व्यवहार करता है और साथ ही सह-पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेता है। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक आदर्श छात्र बने जो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके। आदर्श छात्रों का हर जगह (स्कूलों, कोचिंग सेंटरों और खेल अकादमियों में) स्वागत किया जाता है। आदर्श छात्र सटीकता के साथ उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करते हैं। वे शीर्ष पर रहना पसंद करते हैं और उस स्थान को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

आदर्श विद्यार्थी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Ideal Student in Hindi, Adarsh Vidyarthi par Nibandh Hindi mein)

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

एक आदर्श छात्र वह है जिसे हर दूसरा छात्र देखता है। कक्षा में या खेल के मैदान में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। वह अपने शिक्षकों का पसंदीदा होता है और स्कूल में विभिन्न कर्तव्यों का कार्यभार उसे सौंपा जाता है। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा ऐसे छात्रों से भरी रहे।

समाज के लिए बहुमूल्य

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? शायदनहीं!

अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा

एक आदर्श विद्यार्थी समाज के अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। समाज के अन्य विद्यार्थी उसके आचरण और स्वभाव से सिखते है। आदर्श विद्यार्थी समाज के लिए एक बहुमूल्य रत्न होता है , जो समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।

किसी ने भी परिपूर्ण या आदर्श रूप में जन्म नहीं लिया है। किसी भी छात्र में आदतें पैदा करने में लिए समय लगता है जिससे वही छात्र आदर्श बनता है। माता-पिता और शिक्षक दोनों को बच्चे में छिपी संभावितता पहचानने के लिए प्रयास करने चाहिए।

आदर्श छात्र पर निबंध : एक आदर्श छात्र की विशेषताएं – 2 (400 शब्द)

एक आदर्श छात्र वह है जो शिक्षा के साथ-साथ अन्य सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भी अच्छा है। हर माता-पिता चाहते हैं कि उसका बच्चा स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करे पर कुछ ही बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदें पूरी कर पाते हैं। माता-पिता की भूमिका न केवल अपने बच्चों को व्याख्यान देने और उनसे उच्च उम्मीदें लगाने की होती है बल्कि उन अपेक्षाओं को पूरा करने में उनकी मदद करने और उनका मार्गदर्शन करने की भी होती है।

एक आदर्श छात्र की विशेषताएं

यहां एक आदर्श छात्र की मुख्य विशेषताएं बताई गई हैं:

एक आदर्श छात्र लक्ष्य निर्धारित करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करता है। वह अध्ययन, खेल और अन्य गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ करना चाहता है और ऐसा करने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास में शामिल होने से संकोच नहीं करता।

  • लक्ष्य निर्धारण करना

एक आदर्श छात्र कभी भी मुश्किल होने पर हार नहीं मानता। वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित रहता है और सफ़लता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य करता है।

  • समस्या निवारक

कई छात्र विद्यालय / कोचिंग सेंटर तक देर से पहुंचने, अपने होमवर्क को पूरा नहीं करने, परीक्षा में अच्छी तरह से प्रदर्शन नहीं करने आदि के लिए बहाने देते हैं। हालांकि एक आदर्श छात्र वह है जो बहाने मारने की बजाए ऐसी समस्याओं का हल ढूंढता है।

आदर्श छात्र भरोसेमंद होता है। शिक्षक अक्सर उन्हें अलग-अलग कर्तव्यों का आवंटन करते हैं जो वे बिना असफल हुए पूरा करते हैं।

एक आदर्श छात्र हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। यदि पाठ्यक्रम बड़ा है, यदि शिक्षक अध्ययन करने के लिए समय दिए बिना परीक्षा लेता है, यदि कुछ प्रतियोगी गतिविधियां अचानक रखी जाती हैं तो भी आदर्श छात्र घबराता नहीं है। आदर्श विद्यार्थी हर स्थिति में सकारात्मक बना रहता है और मुस्कुराहट के साथ चुनौती स्वीकार करता है।

  • जानने के लिए उत्सुक

एक आदर्श छात्र नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक रहता है। वह कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करता। एक आदर्श छात्र भी पुस्तकों को पढ़ने और इंटरनेट पर सर्फ करने के अपने तरीके से अलग-अलग चीज़ों के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए तत्पर रहता है।

  • पहल करता है

एक आदर्श छात्र भी पहल करने के लिए तैयार रहता है। यह ज्ञान और क्षमता को जानने, समझने और बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका है।

एक आदर्श छात्र बनने के लिए दृढ़ संकल्प करना पड़ता है। परन्तु इसके लिए किए गए प्रयास अच्छे होने चाहिए। यदि कोई बच्चा कम उम्र से उपरोक्त विशेषताओं को विकसित करता है तो जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे वह निश्चित रूप से बहुत कुछ हासिल कर लेगा।

आदर्श छात्र पर निबंध : आदर्श छात्र कैसे बने – 3 (500 शब्द)

हर एक व्यक्ति आदर्श छात्र बनना चाहता है लेकिन केवल कुछ ही ऐसा बनने में सक्षम हैं। इस प्रकार की उत्कृष्टता हासिल करने के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जाने की ज़रूरत है। हालांकि एक बार जब आप इसे हासिल कर लेते हैं तो आपको कोई नहीं रोक सकता। हर चीज़ में अच्छा होना आदत हो जाती है और आप इससे कम कोई समझौता नहीं करना चाहते।

आदर्श छात्र कैसे बने?

यहां कुछ ऐसी तकनीकें हैं जो आपको एक आदर्श छात्र बनने में मदद करती हैं:

यदि आप एक आदर्श छात्र बनने की कामना करते हैं तो सबसे पहले आपको यह करना होगा कि आप संगठित हो। सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए अपने कमरे, अलमारी, अध्ययन की मेज और आसपास की  व्यवस्था। अव्यवस्थित परिवेश मस्तिष्क को अव्यवस्थित कर देते हैं।

हर दिन एक निश्चित समय पर जागने और सोने की कोशिश करें। अपने अध्ययनों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को समायोजित करने के लिए एक सूची बनाएं। अपने समय को अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए सही शेड्यूल बनाए रखें।

  • करने वाले कामों की सूची बनाएं

दैनिक कार्यों की सूची तैयार करना अच्छी आदत है। हर सुबह दिन में पूरा करने वाले कामों की आवश्यक चीज़ों की एक सूची तैयार करें। कार्यों को प्राथमिकता दें और उन्हें समय दें। अपने पास इस तरह की सूची रखने से बेहतर समय प्रबंधन में मदद मिलती है। जैसे आप काम को पूरा करते हैं तो उनको जांचते रहें। इससे आपको उपलब्धि की भावना मिलती है और आप प्रेरित रहते हैं।

स्कूल में और अन्य जगहों में पहल करने में संकोच न करें। अपनी क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए नई परियोजनाएं बनाएं और समझें कि आपकी रुचि वास्तव में क्या है। इस तरह आप न केवल नई चीजों के बारे में सीखेंगे बल्कि उनका प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता को भी समझेंगे।

  • कुछ नया सीखें

पढ़ने की आदत बनाएं, सूचनात्मक वीडियो और ऐसी अन्य सामग्री देखें। यह नई चीजें सीखने, विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने और अपने संपूर्ण ज्ञान और क्षमता को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

  • अच्छे दोस्त बनाएं

ऐसा कहा जाता है आप जिन पांच लोगों के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं आप में उन पाँचों के औसत गुण आ जाते हैं इसलिए यदि आप एक आदर्श छात्र बनना चाहते हैं तो उन लोगों के साथ दोस्ती बनाएं जो अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं और उनके साथ रहें जो प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हैं बजाए उनके जो अपने जीवन को लापरवाही से लेते हैं।

  • स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें

एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसमें नीचे साझा किए गए तीन पहलुओं का ध्यान रखना शामिल है:

  • स्वस्थ खाना खाएं

स्वस्थ रहने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करके उचित आहार लेना जरूरी है। आप केवल तब ही अच्छे प्रदर्शन कर पाएंगे जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होंगे।

प्रत्येक दिन 8 घंटे नींद पूरा करना आवश्यक है। आपको अपनी नींद पर किसी भी मामले में समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आप में सुस्ती और चेहरे पर थकावट दिखती है। ज़रूरत से ज्यादा सोना भी इस तरह के प्रभाव का कारण बन सकता है तो आपको उस से भी बचाना चाहिए।

जैसे-जैसे कोई छात्र उच्च कक्षा में प्रवेश करता है वैसे-वैसे उस छात्र का जीवन काफी व्यस्त हो जाता है। शारीरिक व्यायाम करने के लिए आधे घंटे से एक घंटे की कसरत करना अनिवार्य है। आप अपनी पसंद के किसी भी व्यायाम का चयन कर सकते हैं। टहलना, साइकिल चलाना, तैराकी, योग, नृत्य या किसी भी चीज में आपकी रुचि हो सकती है।

माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनका बच्चा अपने दम पर उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकता है। उसे उनके समर्थन की जरूरत है। माता-पिता को बच्चो से उच्च उम्मीदें रखने की बजाए उन्हें जीवन के विभिन्न चरणों में मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

Essay on Ideal Student in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द): क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है

आदर्श छात्र जन्म से आदर्श या संपूर्ण नहीं होते हैं। वे अपने माता-पिता और शिक्षकों द्वारा आदर्श बनाए जाते हैं। स्कूल में छात्र के प्रदर्शन पर, घर का वातावरण एक बड़ा प्रभाव डालता है। शिक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि माता-पिता और शिक्षक केवल छात्र का मार्गदर्शन कर सकते हैं और अंततः यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह खुद को कैसे संचालित करता है।

क्या चीज़ छात्र को आदर्श बनाती है?

यहां कुछ चीजें हैं जो विद्यार्थी को आदर्श बनाती हैं:

  • आदर्श छात्र कक्षा में जितना ध्यान देते हैं और समझते हैं उतना ही अच्छा वे अपने कक्षा सत्रों में कर सकते हैं।
  • वे अपने संदेहों को स्पष्ट करने के लिए कक्षा में सवाल पूछने में संकोच नहीं करते।
  • वे यह सुनिश्चित करते हैं कि वे हर दिन घर पर जाने से पहले कक्षा में मिले कार्य को पूरा करें।
  • वे चीजों को व्यवस्थित रखते हैं।
  • वे न केवल अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं बल्कि खेल, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, कला और शिल्प गतिविधियों जैसी अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं।
  • वे पहल करते हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैंI वे असफलता के डर के कारण अवसरों को नहीं छोड़ते।
  • वे विफल होने पर भी हार नहीं मानते हैं। वे चीजों को फिर से करने की कोशिश करते हैं जब तक वे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं करते।

आदर्श छात्र स्कूल में पसंदीदा होते हैं

आदर्श छात्र वे होते हैं जो स्कूल में लगभग हर चीज में अच्छे होते हैं। वे सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। कक्षा में हर कोई उनका मित्र बनना चाहता है। सर्वश्रेष्ठ छात्र के रूप में एक आदर्श छात्र होने पर शिक्षक और साथ ही अन्य छात्रों पर अच्छी छाप पड़ती है। अगर आपका मित्र पढ़ाई में अच्छा है तो आपको पढ़ाई में सहायता मिलती है। उनके नोट्स हमेशा आपके लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। वह आपको नियमित रूप से अध्ययन करने और खेल, संगीत, नृत्य जैसी अतिरिक्त पाठ्यचर्या वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करता है। एक व्यक्ति की कंपनी विशेष रूप से उम्र के बढ़ने वाले वर्षों में उस पर एक बड़ा प्रभाव डालती है। जो अच्छे / आदर्श छात्रों का साथ रखते हैं उनमें अच्छी आदतें पैदा होना निश्चित है।

शिक्षकों के बीच आदर्श छात्र उनका पसंदीदा होता है। शिक्षक कक्षा में दूसरों को उनका उदाहरण देते हैं और उन्हें उनकी अच्छी आदतों को अपनाने के लिए कहते हैं। शिक्षक अपनी अनुपस्थिति में इन छात्रों को अन्य कार्य सौंप देते हैं जैसे कि परियोजनाओं की तैयारी, पुस्तकों/नोटबुक का वितरण और कक्षा की निगरानी। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा में हर छात्र आदर्श हों।

आदर्श छात्र होना जीवन में हमेशा मदद करता है

ऐसा कहा जाता है आप जो बार-बार करते असल में आप वैसे ही होते हैं। तब उत्कृष्टता जीवन का एक रास्ता बन जाती है। एक आदर्श छात्र हमेशा व्यवस्थित होता है। वह अपने कमरे, स्कूल बैग, किताबों और अन्य सामान को एक संगठित ढंग से रखता है ताकि जब उसे ज़रूरत पड़े तब समय की बर्बादी न हो। वह जानता है कि उसे सामान की तलाश कहां करनी है। संगठित होने का मतलब केवल चीजों को सही तरीके से रखने का मतलब नहीं है बल्कि इसका मतलब है कि अपने कार्य को एक कुशल तरीके से प्राथमिकता देने और संगठित करने की क्षमता है ताकि उन्हें समय पर पूरा किया जा सके। बाद में यह एक आदत बन जाती है और यहां तक ​​कि जब छात्र बड़े होते हैं तो इस आदत की वजह से संगठित रहते हैं। जो लोग संगठित होते हैं वे दोनों निजी और पेशेवर जीवन को कुशलता से प्रबंधित कर सकते हैं।

एक आदर्श छात्र जानता है कि कैसे विभिन्न गतिविधियों के बीच एक संतुलन को बनाए रखना है और वह जैसे-जैसे पेशेवर जीवन में बढ़ता है उसके लिए कार्य-जीवन का संतुलन बनाए रखना आसान हो जाता है। वह काफी कठिन काम करता है और केंद्रित रहता है और यही बाद के जीवन में उसे बहुत कुछ करने में मदद करता है।

एक आदर्श छात्र का जीवन दूर से मुश्किल लग सकता है। हालांकि आदर्श छात्र का जीवन वास्तव में उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है जो अपनी पढ़ाई और अन्य कार्यों पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। आदर्श छात्रों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

FAQs: Frequently Asked Questions on Ideal Student (आदर्श विद्यार्थी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- अनुशासन का पालन तथा आत्मनिर्भर होने की प्रवृत्ति।

उत्तर- भारत में प्रत्येक वर्ष 17 नवंबर को विद्यार्थी दिवस मनाया जाता है।

उत्तर- संपूर्ण विश्व डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की याद में 15 अक्टूबर को विश्व विद्यार्थी दिवस मनाता है।

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Nibandh

विद्यार्थी जीवन का महत्व पर निबंध

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रूपरेखा: प्रस्तावना - बिना किसी तनाव के पढाई - विद्यार्थी जीवन के प्रकार - विद्यार्थी जीवन पर अनुशासन का महत्व - एक विद्यार्थी का कर्तव्य - आज का विद्यार्थी - छात्रों का बुरे आदतें की ओर आकर्षित होना - परिवार की समस्याएं - विद्यार्थी जीवन में अभ्यास का महत्व - विद्यार्थी जीवन में खेलों का महत्व - उपसंहार।

एक समय आता है जब बालक या युवक किसी शिक्षा-संस्था में अध्ययन करता है, वह जीवन ही विद्यार्थी जीवन (Student Life) है । कमाई की चिंता से मुक्त अध्ययन का समय ही विद्यार्थी-जीवन है। भारत की प्राचीन विद्या-विधि में पचीस वर्ष की आयु तक विद्यार्थी घर से दूर आश्रमों में रहकर विविध विद्याओं में निपुणता प्राप्त करता था, किन्तु देश की परिस्थिति-परिवर्तन से यह प्रथा गायब हो गई। इसका स्थान विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों ने ले लिया। इन तीनों संस्थाओं में जब तक बालक या युवक पढ़ते है, वह विद्यार्थी कहलाते है। उसकी अध्ययन पद में उसका जीवन “विद्यार्थी-जीवन (Vidyarthi Jeevan) नाम से नामांकित किया जाता है। आधुनिक भारत में गुरुकुल तथा छात्रावास नियम प्राचीन ऋषि- आश्रमों का बदला हुआ समय है।

आज का विद्यार्थी-जीवन दो प्रकार का है, पहला वह जो परिवार में रहते हुए विद्यार्थी - जीवन पूरा करता है। दूसरा जो छात्रवास में रहकर अपना विद्यार्थी जीवन समाप्त करता है | परिवार में रहते विद्यार्थी -जीवन में विद्यार्थी परिवार में रहकर ठसकी समस्याओं, आवश्यकताओं, माँगों को पूरा करते हुए भी अध्ययन करता है। नियमित रूप से विद्यालय जाना और पारिवारिक कामों को करते हुए भी घर पर रहकर ही पढ़ाई करना, उसके विद्यार्थी-जीवन की पहचान है। दूसरी ओर, छात्रावास में जो विद्यार्थी रहते है वह पारिवारिक समस्याओं से मुक्त शैक्षिक वातावरण में रहता हुआ विद्यार्थी-जीवन का निर्वाह कर अपना शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक विकास करता है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व होता है। अनुशासन सफलता की कुंजी है। अनुशासन मनुष्य के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। यदि मनुष्य अनुशासन में जीवन व्यतीत करता है तो वह स्वयं के लिए एक सुखद और उज्जवल भविष्य निर्धारित करता है और यदि किसी व्यक्ति के भीतर(अंदर) अनुशासनहीनता होती है तो वह स्वयं के लिए कठिनाइयां उत्पन्न करता है और निराशा एवं असफलता प्राप्त करता है।

यदि किसी विद्यार्थी में अनुशासन की कमी होगी तो उनका भविष्य खतरे में होगा। यदि आंखें उठाकर हम देखे तो अनुशासन मनुष्य के जीवन में हर रूप में विद्यमान है। इस संसार में हर कोई अनुशासन का पालन करता है जैसे, जिस प्रकार सूर्य समय पर उगता व अस्त होता है, पेड़-पौधों में भी अनुशासन व्याप्त है। घड़ी की सुई भी अनुशासन का पालन करते हुए चलती है। वर्तमान समय में देखा जाए तो हर तरफ अनुशासनहीनता दिखाई देती है। यही कारण है कि आज देश में अधिक विद्यार्थी का जीवन सफल नहीं हो पा रहा है। अतः विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व है।

विद्यार्थी-जीवन उन विद्याओं, कलाओं के शिक्षण का काल है, जिनके द्वारा वह छात्र-जीवन में ही कमाई कर अपने परिवार का देखभाल कर सके यही एक विद्यार्थी का कर्तव्य है। यह काल संघर्षमय संसार में सम्मानपूर्वक जीने तथा निर्माण करने का समय है। इन सबके निमित्त सीखना, शारीरिक और मानसिक विकास करने, नैतिकता द्वारा आत्मा को विकसित करने की स्वर्णिम समय है यह विद्यार्थी जीवन। निश्चित-पादयक्रम के अध्ययन से छात्र सीखता है। समाचार पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों के अध्ययन तथा आचार्यों के प्रवचनों से वह मानसिक विकास करता है। शैक्षणिक-प्रवास और भारत-दर्शन कार्यक्रम उसके मानसिक-विकास में विकास करता हैं। हर रोज सुबह उठकर व्यायाम कर अपना शारीरिक विकास करता है।

प्रश्न यह है कि क्या आज का शिक्षार्थी सही अर्थ में विद्यार्थी-जीवन का दायित्व पूर्ण कर रहा है ? इसका उत्तर नहीं में होगा। कारण, उसे अपने विद्यार्थी-जीवन में न तो ऐसी शिक्षा दी जाती है, जिससे जीवन में प्रवेश करते ही जीविका का साधन प्राप्त हो जाये। और नाही उसे वैवाहिक अर्थात्‌ पारिवारिक जीवन जीने की कला का पाठ पढ़ाया जाता है। इसलिए जब वह विद्यार्थी-जीवन से अर्थात्‌ गैर-जिम्मेदारी से पारिवारिक-जीवन अर्थात्‌ सम्पूर्ण जिम्मेदारी के जीवन में कदम रखता है तो उसे असफलता का सामना करना पड़ता है। आज का विद्यार्थी जीवन के लिए अनुचित अनेक प्रकार के विषयों का अपने दिमाग पर बोझ लादता है। सिखने के नाम पर पुस्तकों का भार अपने कमर पर लादता है।

आज का विद्यार्थी-जीवन विद्या की साधना, मन कौ एकाग्रता और अध्ययन के चिंतन-मन से कोसों दूर है। इसीलिए छात्र पढ़ाई से जी चुराता है, श्रेणियों से पलायन करता है। आज के छात्र हर वक़्त नकल करके पास होना चाहता है। जाली-डिग्रियों के भरोसे अपना भविष्य उज्ज्वल करने की प्रयास करता है। स्कूल, कॉलिजों में उपयुक्त खेल-मैदानों, श्रेष्ठ खेल-उपकरणों तथा योग्यशिक्षकों के अभाव में विद्यार्थी-जीवन की पहुँच से परे होते जा रहे हैं। ऐसे में आज का विद्यार्थी- जीवन जीवन को स्वस्थ और उत्तेजित बनाने में पिछड़ रहा है। आज का छात्र विद्यार्थी-जीवन में राजनीति से प्रेम करता है। हड़ताल, तोड़-फोड़, जलूस, नारेबाजी, का पाठ पढ़ता है। जो पढ़ता है, वह उसे प्रत्यक्ष करता है। आज के छात्र का विद्यार्थी-जीवन प्रेम और वासना के आकर्षण का जीवन है। वह गर्ल फ्रेंड, तथा बॉय फ्रेंड बनाने में रुचि लेता है । व्यर्थ घूमने-फिरने, होटलों-क्लबों में जाने में समय का सदुपयोग मानता है।

वर्तमान में तेजी से बढ़ते महँगाई की मार ने, पारिवारिक उलझनों और संकटों ने, दूरदर्शन की चकाचौंध ने, सामाजिक कुरूपता और राजनीतिक अस्थिरता ने भारतीय जीवन से ही जीवन-जीने का हक छीन लिया है। गिरते परीक्षा-परिणाम, फस्ट डिवीजन और डिस्टिकशन की गिरतीसंख्या वर्तमान विद्यार्थ-जीवन के अभिशाप के प्रमाण हैं। जो विद्यार्थी के पारिवारिक की समस्याएँ तथा परेशानी बढ़ा देती हैं।

विद्यार्थी जीवन में उचित पढाई-लिखाई का होना अधिक महत्वपूर्ण है। विद्वानों का कहना है कि, अभ्यास विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अभ्यास का किसी भी विद्यार्थी के जीवन में बहुत अहम भूमिका होता है। किसी भी विद्यार्थी को निरन्तर अभ्यास करने से ही विद्या प्राप्त होती है और अभ्यास न करने से विद्या समाप्त हो जाती है। अभ्यास करने की कोई सीमा नहीं होती। निरन्तर अभ्यास से व्यक्ति कुछ भी प्राप्त कर सकता है। अभ्यास के बल पर असंभव कार्य को भी संभव किया जा सकता है।

विद्यार्थी जीवन काल में पढ़ाई के साथ ही खेलों का भी अधिक महत्व है। विद्यार्थी का पढाई के साथ-साथ खेल में भी रूचि रखना अत्यंत आवश्यक है। वे विद्यार्थी जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेलों को भी बराबर का महत्व देते हैं, वे प्रायः कुशाग्र बुद्धि के होते हैं।

खेल प्रत्येक मनुष्य के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और खेल मानव शरीर के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि भोजन, खासतौर पर विद्यार्थियों के जीवन में मानसिक बोझ और शारीरिक थकान को हल्का करने का एक साधन खेलकूद भी है। खेल हमारे सम्पूर्ण विकास का एक अहम हिस्सा है, जिससे हम दिनभर की थकान को नई ऊर्जा में बदल सकते हैं। इसीलिए विद्यार्थी के साथ-साथ हर व्यक्ति के जीवन में खेल का होना अधिक महत्वपूर्ण हैं।

इसी प्रकार और भी ऐसी बहुत सी महत्वपूर्ण बातें हैं जो विद्यार्थी जीवन का महत्व को दर्शाता है। विद्यार्थी का उचित लगन, उनका कर्तव्य, समाज के प्रति योगदान आदि उन्हें सफल और बेहतरीन भविष्य की ओर ले जाती हैं। विद्यार्थी जीवन किसी भी मनुष्य के जीवन का सबसे अच्छा और यादगार काल होता है। विद्यार्थियों को अपने विद्यार्थी जीवन काल में अपनी उचित शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल कूद और व्यायाम पर पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें इस विद्यार्थी जीवन में बहुत ही परिश्रमी और लगनशील होनी चाहिए। हर व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होने के लिए उचित शिक्षा प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक है।

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विद्यार्थी जीवन पर निबंध- Vidyarthi Jeevan Par Nibandh

In this article, we are providing an Student Life | Vidyarthi Jeevan Par Nibandh विद्यार्थी जीवन पर निबंध हिंदी में | Essay in 100, 150. 200, 300, 500, 800 words For Students. Student Life Essay in Hindi

विद्यार्थी जीवन पर निबंध- Vidyarthi Jeevan Par Nibandh

Short Essay on Student Life in Hindi ( 100 to 150 words )

हमारे जीवन का जो समय विद्यालय में पढ़ने-लिखने में बीतता है उसे छात्र जीवन कहते हैं। इस जीवन में मनुष्य योग्य बनकर अपने जीवन को सफल और उन्नतिशील बना सकता है।

यह जीवन विद्यार्थी के लिए अमूल्य होता है। इस जीवन में जैसा बीज बोया जायेगा उसका फल भावी जीवन में उसी प्रकार मिलेगा। छात्र जीवन बड़ा कोमल होता है। इसमें सम्भलकर कदम रखना पड़ता है।

विद्यार्थियों का मुख्य ध्येय अपनी पाठ्य-पुस्तकों का अध्ययन होना चाहिए। संसार की घटनाओं से परिचित होने के लिए उन्हें दैनिक तथा साप्ताहिक अखबारों को भी पढ़ना चाहिए। विद्यालय में शिक्षकों की आज्ञा पालन करना तथा उनके द्वारा बतलाये हुए मार्ग पर चलना चाहिए। विद्यार्थी को बुरे लड़कों की संगति से दूर रहना चाहिए। उनको सक्रिय राजनीति से दूर रहना चाहिए क्योंकि उन्हें पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।

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Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

Vidyarthi Jeevan Par Nibandh Essay- विद्यार्थी जीवन पर निबंध 200 शब्द 

विद्यार्थी जीवन सबसे अधिक मज़ेदार और याद रखने योग्य होता है। परन्तु वास्तव में यह फूलों की शैय्या भी नहीं होता। कईयों के लिए यह बड़ा कठिन जीवन है। यह काम और अनुशासन से भरा होता है। यही वह जीवन होता है जब कोई अपना भविष्य बनाता या बिगाड़ता है। हर विद्यार्थी को पढ़ने के उद्देश्य से विद्यालय में जाना चाहिए। यही वह समय होता है जब पढ़ने, सीखने, सहयोग, अनुशासन, सही और बुरे में अन्तर का ज्ञान और अपने चरित्र और व्यक्तित्व के विकास जैसी अच्छी आदतें सीखता है।

विद्यार्थी जीवन उत्तरदायित्वों से भरा होता है। एक अच्छा विद्यार्थी अपना समय सफल तभी बना सकता है जब वह समर्पण और पढ़ने की इच्छा से कक्षा में जाता है। यही वह समय है जब वह अपना शरीर, दिमाग और आत्मा का विकास करता है। वह एक उद्देश्य रखता है और उसे अध्ययन में परिश्रम, नियमितता, अनुशासन और समर्पण से पाने की कोशिश करता है। वह अपने बड़ों का आदर करना सीखता है। यही समय अपने भविष्य को बना कर अच्छे और सम्माननीय नागरिक, एक अच्छा मित्र और पड़ोसी और सामाजिक कार्यक्रर्ता बनता है। विद्यार्थी जीवन हर मनुष्य के जीवन का सुनहरी समय होता है। इस का अच्छी प्रकार ध्यान रखना चाहिए।

Essay on Discipline in Hindi

विद्यार्थी जीवन पर निबंध | Hindi Essay Vidyarthi Jeevan Par Nibandh in 300 to 350 words

‘बच्चा इन्सान का पिता होता है’ बच्चों की शिक्षा उनके बचपन से ही शुरू हो जाती है। उसे प्रारम्भिक शिक्षा और तीन R सिखाए जाते हैं यानि कि पढ़ना, लिखना और अंकगणित। छटी कक्षा तक उस की शिक्षा पर माता-पिता और अध्यापक काफी ध्यान देते हैं। परन्तु जब वह बड़ी कक्षा में आ जाता है तो पढ़ाई में उसकी रुचि कम हो जाती है। यह किताबों के बढ़ते बोझ के कारण होता है।

वह विद्यार्थी जो अपने आप पढ़ता है उसकी पढ़ाई में कभी रुचि खत्म नहीं होती, वह अपनी पढ़ाई में और रुचि लेना शुरु कर देता है। अपनी पुस्तकों के इलावा वह और कई अच्छी पुस्तकें पढ़ता है जो उसकी कई प्रकार से सहायता करती हैं। उसका ज्ञान बढ़ता है। उसका शब्द कोष बढ़ता है और लिखने की अपना तरीका हो जाता है। उसके लिए विद्यालय में जाना जरूरी हो जाता है। वह अपने माता-पिता और अध्यापकों को प्रिय होता है। वह प्रसारित पत्र, वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबन्ध लेखन आदि में जीतता है। उसके लिए विद्यार्थी जीवन आनन्ददायक होता है, उसका अधिकतर समय पढ़ाई में बीतता है। वह अपने अध्यापकों और बड़ों में नियमित नहीं है। पीछे वह जाते हैं। उने कम अंक आते हैं। वे बिना छुट्टी लिए स्कूल से अनुपस्थित रहते हैं। उनके लिए विद्यार्थी जीवन विनोदहीन और बोझ लगता है।

यह माता-पिता और अध्यापकों का कर्त्तव्य है कि वे वैसे विद्यार्थियों का प्यार से मार्ग दर्शन करें और किताबों से प्रेम करने में उनकी सहायता करें नहीं तो वे भटक जाएँगे और बुरी संगति में पड़ जाएँगें ।

विद्यार्थी जीवन न फूलों की सेज है न ही काँटों की । परन्तु उसे पढ़ाई की तरफ प्रेरित करना पड़ेगा। उसे नैतिक पाठ पढ़ाना चाहिए और महान व्यक्तियों की पुस्तकें पढ़ने के लिए देनी चाहिएँ। वह उनकी सफलता का राज़ जानेगा। विद्यार्थी का जीवन कठिन है। मैं विद्यार्थी जीवन में सीखने की भावना होनी चाहिए।

परिश्रम, ज्ञान संचय और समर्पण द्वारा विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह एक लगातार होनी वाली क्रिया है। जो उद्देश्य के साथ जीवन में परिश्रम करते हैं। वे हमेशा सफल होते हैं। वे जीवन के पिछले साल में जीवन का आनन्द लेते हैं। उनका लोग सम्मान करते हैं। वे अच्छे नागरिक बन जाते हैं। अच्छा नागरिक देश का खज़ाना होता है।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबन्ध- Essay on Student and Discipline in Hindi

Long Student Life Essay in Hindi | विद्यार्थी जीवन पर निबंध in 700 to 800 words

भूमिका-

विद्या अर्जन करने वाले को विद्यार्थी कहते हैं। देखा जाए तो मनुष्य आजीवन कुछ-न-कुछ सीखता रहता है, ज्ञान प्राप्त करता रहता है। इस प्रकार हम सभी आजीवन विद्यार्थी ही रहते हैं। साधारणतः हम उसे विद्यार्थी कहते हैं, जो विद्यालय में अध्ययन करता है। प्राचीन भारत में विद्यार्थी जीवन को ब्रह्मचर्य आश्रम की संज्ञा दी गई थी। पाँच वर्ष की आयु से पच्चीस वर्ष की अवस्था को विद्यार्थी जीवन कहा जाता था। इस काल में मनुष्य का कार्य गुरुकुलों में विद्योपार्जन होता था ।

प्राचीन विद्यार्थी-

प्राचीन काल के विद्यार्थी का जीवन, रहन-सहन और क्रिया-कलाप आज के विद्यार्थी से सर्वथा भिन्न था। उस काल में भारतीय विद्यार्थी जंगलों में गुरु के आश्रमों में रहकर विद्याध्ययन करते थे। वहाँ राजा और रंक का भेद नहीं था। सभी विद्यार्थियों को समान रूप से शिक्षा दी जाती थी। उन आश्रमों का व्यय राजा तथा जनता वहन करती थी । उस समय गुरु की आज्ञा का पालन करना, विद्याध्ययन करना और गुरु की सेवा करना विद्यार्थी का कर्त्तव्य माना जाता था। उस काल के विद्यार्थियों का आचरण और चरित्र बहुत ऊँचा होता था। इसका कारण यह था कि विद्यार्थी अच्छे परिवेश में शिक्षा प्राप्त करते थे।

वर्तमान विद्यार्थी-

प्राचीन विद्यार्थी और आधुनिक विद्यार्थी में बहुत अन्तर है। आज का विद्यार्थी आश्रमों में न रहकर समाज के बीच रहकर शिक्षा ग्रहण करता है। अतः आज की सामाजिक अच्छाइयों और बुराइयों का प्रभाव उस पर पड़ता है। वह अपने जीवन का बहुत कम समय विद्यालय में व्यतीत करता है। उसका अधिकांश समय परिवार और समाज में बीतता है। इसलिए उसके जीवन पर विद्यालय से अधिक बाहर के वातावरण का प्रभाव पड़ता है। वैसे आज के शिक्षा संस्थान व्यवसायी प्रवृत्ति के शिकार हैं। उनका उद्देश्य शिक्षा प्रदान करना कम, अर्थोपार्जन करना अधिक है। इन सब का प्रभाव विद्यार्थी जीवन पर भी पड़ता है। व्यक्ति परिवेश की देन होता है।

महत्व-

विद्यार्थी जीवन मनुष्य जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल है। यह कहना असंगत न होगा कि विद्यार्थी जीवन शेष जीवन की नींव है। इसी काल में उसके ज्ञान, चरित्र, आचरण और व्यवहार का विकास होता है। विद्यार्थी जीवन में ही सच्चे नागरिक का निर्माण होता है। किसी भी देश का भविष्य उस देश के विद्यार्थियों पर निर्भर करता है। यदि विद्यार्थी चरित्रवान, दृढव्रती कर्त्तव्यपरायण और शक्तिशाली होंगे तो वह देश निश्चित रूप से उन्नति करेगा।

विद्यार्थियों के गुण और कर्त्तव्य-

जब तक किसी में गुण का बीजारोपण नहीं होता है तब तक वह अपने कर्त्तव्य का भी पालन नहीं कर सकता है। विद्यार्थी में अनुशासन, स्वावलम्बन और गुरु-भक्ति परायणता, विनम्रता, उदारता, त्याग आदि गुणों का विकास हो सकता है। प्रत्येक विद्यार्थी में अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है। इस गुण के कारण ही वह अपने जीवन को नियोजित कर सकता है। स्वावलम्बन भी विद्यार्थी का एक प्रमुख गुण है। विद्यार्थी को अपना प्रत्येक कार्य स्वयं करना चाहिए। दूसरों के भरोसे रहना ठीक नहीं है। किसी की सहायता या दया चाहने वाला विद्यार्थी अपने जीवन में कभी सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है। विद्यार्थी को परिश्रमी होना चाहिए, क्योंकि प्रतिभा, परिश्रम पर निर्भर करती है। विद्यार्थी को हर प्रकार के नियमों का पालन करना चाहिए। माता–पिता तथा गुरुजनों की आज्ञापालन करना विद्यार्थी का विशेष गुण है।

आजकल विद्यार्थी गुरुजनों के प्रति अवज्ञा, सहपाठियों के साथ कलह, माता-पिता के प्रति अश्रद्धा जैसे व्यवहार करते हैं। यह उनके जीवन के लिए अहितकर है। प्रत्येक विद्यार्थी को इन बुराइयों से बचकर अध्ययन करना चाहिए । विद्यार्थी को सादाजीवन, उच्च विचार का ही अनुकरण करना चाहिए।

विद्यार्थी के जीवन का विकास तभी हो सकता है जब वह अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखे। विद्यालय तथा उसके बाहर शिक्षकों का अपमान करना, उनका मजाक उड़ना तथा निन्दा करना बहुत बड़ा अपराध है। ऐसे शिक्षार्थी गुरु के स्नेह से वंचित रहते हैं। वे गुरु की बातें को ध्यान से नहीं सुन पाते और इस प्रकार अपनी ही हानि करते हैं।

विद्यार्थी में जानने की भावना होनी चाहिए । यही प्रवृत्ति मनुष्य को नित्यप्रति नई-नई बातें जानने की प्रेरणा देती है। इसके लिए विद्यार्थी को एकाग्रचित्त होना चाहिए।

विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इसके लिए विद्यार्थी को व्यायाम और तरह-तरह के खेल-कूद पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही उसे सहिष्णुता, परोपकार, निर्भीकता, स्वावलम्बन, पारस्परिक प्रेम, उदारता आदि मानवीय गुणों का विकास करना चाहिए ।

उपसंहार-

आधुनिक विद्यार्थी में उपर्युक्त गुणों का अभाव देखा जाता है। दुर्भाग्य से आज विद्यालयों का वातावरण भी प्रतिकूल है। ऐसे वातावरण में वर्तमान युग का विद्यार्थी किसी महान लक्ष्य की प्राप्ति कर भी पायेगा ?

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Vidyarthi Jeevan Par Nibandh’ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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